Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 693
________________ 330 P. L. सूत्रम् P. L. सूत्रम् 149 235 169 179 99 13 lll 253 253 93 94 154 145 133 138 115 103 6 सड्ढिस्स णं समणुन्नस्स...... 31 24 सत्थं चेत्थं अणुवीइ पास...." 281 40 समणस्स णं ३ अम्मापियरो...... 281 1 समणे० ३ इमाए प्रोसप्पिणीए....... 28133 समणे० ३ कासवगुत्ते. . . . . . 268 28 समणे भविस्सामि अणगारे.. ___ 1 समयं तत्थुवेहाए... 78 38 समिए एयाणु पस्सी....... 24 समुट्ठिए अणगारे आरिए...... 13 समुप्पेहमाणस्स इक्काययण....... 3 सव्वो पमत्तस्स भयं.... 113 29 सहियो दुक्खमत्ताए..... 24 18 संति पाणा पुढो सिया ...... 110 15 संधि लोयस्स जाणित्ता'...." 133 37 संसयं परिप्राणो ..... 94 15 सिया तत्थ एगयरं... 26 सीउसिणच्चाई से निग्गंथे....... 167 25 सीलमंता उवसंता....... 101 27 सुत्ता अमुणी सया मुणिणो ..... 271 21 सुयं मे० इह० थेरेहिं० पंच०...... 8 1 सुयं मे० ईहमेगेसि ...... 80 34 से अबुज्झमाणे होवहए...... 144 41 से अभिक्कममाणे . . . . . 789 से असई उच्चागोए...... 244 8 से आगंतारेसु वा........ 247 12 से आगंतारेसु वा ४ अणु ..... 269 12 से प्रागंतारेसु वा ४ अणु०...." 270 8 , , , , 244 12 से प्रागंतारेसु वा ४ जे....... 244 17 से पागंतारेसु वा ४ जे भयं०....... 269 28 से आगंतारेसु वा ४ से किं पुण. . . . . . 1035 से प्रायवं नाणवं वेयव... 15 से पायावादी....... 220 24 से एगइप्रो अन्नयरं' . . . . . 236 12 से एगइयो मणुन्नं भोयणं.. . . . . 265 21 से एगइयो मुहुत्तगं वा...... 29 34 147 36 से एगइयो साहारणं वा..... ___40 से गिहेसु वा गिहतरेसु वा ..... 14 से जहेयं भगवया'' 3 से जं च प्रारंभे जं च नारभे..... 19 से जं पुण जाणेज्जा ..... 15 से णं परो णावा० पाउसंतो....... 20 से णं परो णावा० पाउसंतो....... 22 से तं जाणह जमहं ...... 4 से तं संबुज्झमाणे ..... 33 से न सद्दे न रूवे न गंधे ..... 27 से पभूयदंसी पभूयपरिन्नाणे 15 से पासइ फुसियमिव...... 32 से बेमि अप्पेगे अच्चाए...... 5 से बेमि अडया पोयया . . . . 33 से बेमि इमं पि जाइधम्मयं .. 26 से बेमि जहा अणगारे...... 9 से बेमि जे अईया....... 38 से बेमि णेव सयं लोग...... 30 , " " " 6 से बेमि तंजहा अवि हरए ...... 39 से बेमि समणुन्नस्स वा...' 5 से बेमि संति पाणा....... 5 से बेमि संतिमे तसा पाणा...... 12 से बेमि संति संपाइमा पाणा...... 34 से भि० अक्खाइयठाणाणि वा ...." 35 से भि० अग्गपिंडं उक्खिप्प....... 5 से भि० अग्गबीयाणि वा....... 35 से भि० अन्नमन्नकिरियं...... ll से भि० अन्नयरं पाणगजाय..... 7 से भि० अनयरं भोयणजायं 12 से भि० अन्नयरिं संखडि सुच्चा. 14 से भि अभि० अप्पंडं. 17 से भि० अभि० अबवणं ...... 29 से भि० अभि० उवस्सयं एसित्तए..... 37 से भि० अभि० ठाणं ठाइत्तए ..... 30 से भि० अभि० निसीहियं फासुयं....... 176 47 52 275 224 233 278 235 235 221 249 270 240 271 272 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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