Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 737
________________ 374 192 37 209 P. L. शद्धः पाठः 192 1 प्रतिपाद्यो 192 34 भवन्ती न काले' 39 सुखदुःखयोः स्वकृत 193 ll दुःखोत्पादिकाः 193 12-14 एवं स नियतिवादी मेधावी स्वकारणं परका रणं च [प्र.] 193 13 सोल्लुण्ठ 193 14 नियतिकारणमापन्ने (न्नः) 193 15 परस्य 193 28 °ध्यवसानेन 194 __ 1 हन्वाए त्ति 194 5 रुक्षवृत्ति 195 9 दीनि परि' [प्र०] 195 14 भिक्षुचर्यायां [प्र.] 195. 23 कामभोगाय,अह 195 24 मनुष्यभवे ममा [प्र.] 195 31 भूतममनामक [प्र.] 19532 वैतत् नो शुभ 195 50 ___ष्वन्येष्वन्येषु 196 1 से मेहावीत्यादि 5 यादिति एव पर्यालोचयेत् [प्र.] 196 11 पीडितात् 196 14 तत् स एव [प्र.] 196 39 तथा विशिष्ट 35 प्रव्रज्याकाले 199 17 त्रसकाय इति 200 3 दुःखः अशुभ: शुभाशुभ 2009 तद्यथा-अरिणमा 2009 ईशित्व 200 20-21 तत्प्रदोष 20027 पाहत्य उपेत्य 20132 °स्तदर्थं तथा पृथक्° 2 वेषिकमिति 201 10 लब्ध्वा 201 11 चाहारादिक [प्र.] 201 26 निरुपध P. L. शुद्धः पाठः 2022 तथा, तथा उपशान्त 20333 दीर्यापथिकी 203 तथा पञ्चभिः 205 अथापरं 205 कुशपप्पबव्व ? कादीनि 206 मन्यमन्यदीयं 206 10 ष्यतीति वेत्येवं 206 25 °करणप्रवृत्ति [प्र०] 206 26 गतः स दृष्ट्वा [प्र.] 206 42 अथानन्तरं पञ्चमं [प्र०] 207 30 परिभवेन 208 9 देहा चुए 208 15 दुद्वर्त्य 208 पादादिसंघट्टन 208 34 लम्बयितुं 209 18 एव च तमःकाषिका: 25 द्भावनाय 209 28 तच्छल्यमेवमेव निष्प्र' 209 33 नो विउट्टइत्ति 209 40 घटीन्यायेन [प्र०] 210 1 तुष्यतीत्यादि । एवं 210 उडवाकारेषु [प्र.] 22 इत्येतदेवावि [प्र०] 24 प्रयुञ्जन्ति वियुञ्जन्ति, 210 27 भोजयेदित्यादि 210 29 °मपद्रा 210 29 तु अपद्रावयितव्या इति । 210 32 एवामेवेत्यादि, 211 9 च परिहर्तव्यानि 211 27 °स्येर्यादिकादिभिः 3 वर्जानि 212 4 कषाया योगाश्च 27 शरीरचिकि 212 28 छन्दश्चित्या 2133 पाकशासनीम् इन्द्रजाल° 21321 यदि वा मनु 196 18 210 210 197 212 201 212 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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