Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
View full book text ________________
381
18 123
85
71
217
154
249
25
176
26
32
24
112
69
P. L. उद्धृतः पाठः 54 13 गतिभ्र शो मुखे दैन्यं 144 4 गन्ता च नास्ति कश्चिद् गतय:० 164 19 गहमि अग्गिजालाउलंमि० 144 10 गान्धर्वनगरतुल्या माया० 136 30 ग्रामक्षेत्रगृहादीनां
26 गाहा सोलसगाणं 203 21 गिण्हइ य काइएणं
25 गिद्धमुहरिणदउक्खित्त 56 32 गुरवो यत्र पूज्यन्ते
6 गृहाश्रमपरो धर्मों 111 9 ग्रीष्मे तुल्यगुडां
1 घटमौलिसुवर्णार्थी 230 घातिकर्मक्षये 229 20 चरहिं ठाणेहिं आहारसण्णा
चित्तमेव हि संसारो 69 32 चितिति कज्जमण्णं अण्णं
1 चुल्लुच्छलेइ जं होइ 25940 छत्र छात्रं पात्रं वस्त्रं 11928 छलिया अवयक्खंता
3 19 छाया य प्रायवो वा 84
छिन्नपादभुजस्कन्धा० 3 13 जइ कालगमेगगुणं
जइ पविससि पायाल 13 जइ सुक्किलमेगगुणं
14 जइ सुक्कं एक्कगुणं 176 17 जइ सोऽवि निज्जरमो. 106 13 जम्म दुक्खं जरा दुक्खं 175 10 जयति णवरणलिणकुवलयविसिय 255 5 जले जीवाः स्थले जीवा 124 5 जस्स धिई तस्स तवो 125 15 जह जह सुयमवगाहइ 141
जह णेगलक्खणगुणा 141
जह पुरण ते चेव 126 21 जह मम ण पियं 127 164
जह वा विससं जुत्तं 96
जहा पुण्णस्स कन्थई 263 12 , " "
L. उद्धृतः पाठः
23 जातिरेव हि भावानां विनाशे 17 26 " " " "
30
14 जीवे णं भंते ! हसमाणे 247 22 जे जत्तिया उ हेऊ 95 21 जो सहस्सं सहस्साणं 44
जं अज्जियं समीखल्लएहि 253 19 जं अण्णाणी कम्म
8 जं इच्छसि घेत्तुं 85 23 जं तंतरभिज्जंतुच्छलंत
35 ज्ञानं मददर्पहरं माद्यति 171 24 ज्ञानमप्रतिघं यस्य 185 22 डोंबिलय लउस बोक्कस
रणत्थि ण णिच्चो ण कुणइ 176
पत्थिय सि कोइ वेसो 270 ण दुक्करं वा णरपासमोक्खणं
28 गवि रक्खंते सुकयं 39 णाहपियकंतसामिय 71 1784 णायम्मि गिव्हियब्वे
15 णेमित्तिएण मुरिणऊरण
___ 1 ण य तस्स तन्निमित्तो बन्धो 149 28 णेरइया दव्वट्ठयाए.
75 33 तज्ज्ञानं तच्च विज्ञानं 125 16 तणसंथारणिसन्नोऽवि 256 22
2 तणसंथारनिविण्णोवि. 106 14 तण्हाइयस्स पाणं 119 7 ततस्तेनाजितव्यरिश्च 46 36 तत्कुरुतोद्यममधुना 59 27 तत्रैवम्भूते तुमुले संग्रामे
33 तथा स्त्रीणां कृते भ्रातृयुगस्य भेदः 19 ll तपांसि यातनाश्चित्राः 141 9 तम्हा मिच्छद्दिट्ठी 143 11 तस्मात् कल्याणानां सर्वेषां) 141 7 तह णिययवादसुविरिणच्छिया वि 62 31 तह वि गणणातिरेगो
30
"
14
27
104
65
171
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764