Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 757
________________ 394 P. 145 123 19 148 145 89 147 18 136 91 116 88 107 99 266 266 267 114 135 100 78 L. 32 ते एवमक्खंति समिच्च लोग... 15 ते णावि० न ते प्रोहंतरा... 17 ते णावि० न ते गम्भस्स पारगा... 18 ते णावि० न ते जम्मस्स पारगा... 19 ते णावि० न ते दुक्खस्स पारगा.... 20 ते णावि० न ते मारस्स पारगा... 16 ते णावि० न ते संसारपारगा... 21 ते णेव कुव्वंति ण कारवंति... 34 ते चक्खु लोगसिह णायगा उ... 14 ते तिप्पमाणा तलसंपुडं व... 23 ते तीयउप्पन्नमणागयाइ 22 ते य वीनोदगं चेव... 14 ते संपगाढंसि पवज्जमाणा'" 35 तेसि पि तवो ण सुद्धो. 26 ते हम्ममाणा णरगे पडंति... 37 थणंति लुप्पंति तसंति कम्मी... 31 थणियं व सद्दाण अणुत्तरे उ... 18 थूलं उरम्भं इह मारियाणं... 37 दक्षिणाए पडिलंभो... 20 दयावरं धम्म दुगं छमाणा... 1 दविए बंधणुम्मुक्के.. 17 दाणठ्ठया य जे पाणा'.. 23 दाणाण सेठं अभयप्पयाणं... 1 दारूणि सागपागए... 7 दीसंति समियायारा... 21 दुक्खी मोहे पुणो पुणो.. 21 दुहनो ण विणस्संति... 32 दुहमोवि ते ण भासंति... 21 दुहमोवि धम्म समुठि... 19 दुहा वेयं सुयक्खायं.. 32 दूरं अणुपस्सिया मुणी'.. 25 देवा गंधव्वरक्खसा... 1 धम्मपण्णवणा जा सा.. 12 धम्मपण्णवणा जा सा.'' 36 धम्मस्स य पारए मणी.. 12 धम्म्म कहतस्स उ पत्थि दोसो. 2 घुणिया कुलियं व लेववं... P. L. __4 घोयणं रयणं चेव... 21 न कम्मुणा कम्म खवेंति बाला... 15 न तस्स जाई व कुलं व ताणं... 20 27 न तं सयंकडं दुक्खं... 5 नत्थि पुण्णे व पावे वा... 5 नन्नत्थ अंतराएणं... 160 10 न पूयणं चेव सिलोयकामी... 263 21 नवं न कुज्जा विहुणे पुराणं... 22 नंदी चुण्णगाईपाहराहि... 19 30 नाणाविहाइ दुक्खाइ... 130 10 निक्खम्म गेहाउ निरावकंखी... 266 23 निग्गंथधम्ममि इमं समाहि... 13533 निव्वाणं परमं बुद्धा.. 165 26 निसम्म से भिक्खु समीहियटुं... 114 17 नेयाउयं सुयक्खायं... 35 नो चेव ते तत्थ मसीभवंति... 10 नो तासु चक्खु संधेज्जा... 26 पक्खिप्प तासं पययंति बाले... 41 33 पण्णसमत्ते सया जए... 13 30 पत्ते कसिणे आया... 263 20 पन्नं जहा वणिए उदयट्ठी... 158 10 पन्नामयं चेव तवोमयं च... 134 8 पभू दोसे निराकिच्चा'.. 112 33 पमायं कम्ममाहंसु. 53 6 पयाता सूरा रणसीसे... 121 12 परमत्ते अन्नपाणं... 118 22 परिग्गह निविट्ठाणं... 11 परियाणिपाणि संकता... 3 पलिउचणं च भयणं च... 177 पंच खंघे वयंतेगे... 1743 पंडिए वीरियं लद्ध.. 1065 पायो सिणाणादिसु णत्थि मोक्खो' 86 1 पागन्भि पाणे बहुणं तिवाति... 121 10 पाणहाओ य छत्तं च... 659 पाणाइवाते वट्ट ता. 116 5 पाणे य णाइवाएज्जा'. 88 24 पाणेहि णं पाव विभोजयंति... 256 49 16 135 267 112 23 62 42 260 39 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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