Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
View full book text ________________
393
172
116
36
262
148
A
64
253
P. L.
P. L. 67 6 जेहिं नारीण संजोगा... ____108 35 णिक्खम्म दीणे परभोयणंमि... 24 जो तुमे नियमो चिण्णो'..
38 णिठियट्ठा व देवा वा... 33 जो परिभवइ परं जणं...
76 14 णीवारमेवं बुज्झज्जा... 12 जोहेसु णाए जह वीससेणे... 1724 णीवारे व ण लीएज्जा... 37 झाणजोगं समाह?"
263 25 णेगंत गच्चंति व प्रोदए सो... 114 18 ठाणी विविहठाणाणि...
1642 णेता जहा प्रकारंसि... 100 25 ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा वा
44 6 णो अभिकखेज्ज जीवियं... 24 डहरा वुड्ढा य पासह..
24 णा कामकिच्चा ण य वालकिच्चा... 162 39 डहरेण बुड्ढेणऽणुसासिए उ... 46 4 णो काहिए होज्ज संजए.
22 डहरे य पाणे बुड्ढे य पाणे... 165 28 णो छायए णोऽविय लूसएज्जा'. 261 30 ण किंचि रूवेणाऽभिधारयामो'..
29 णो पीहे ण यावपंगुणे... 174 4 ण कुब्वती महावीरे..।
33 तत्तेणऽणुसिट्ठा ते... 163 38 ण तेसु कुज्झे ण य पब्बहेज्जा...
28 तत्थ दंडेण संवीते... 252 35 णत्थि पासवे संवरे वा...
14 तत्थ मंदा विसीमति... 255 22 णस्थि कल्लाण पावे वा...
122 13 तत्थिमा तइया भासा... 253 16 णत्थि किरिया प्रकिरिया वा...
60 29 तमेगे परिभासंति'.. 33 णत्थि कोहे व माणे वा..
21 तमेव अविजाणता... 254 15 णत्थि चाउरते संसारे..
27 27 तमेव अवियाणंता... 251 29 णत्थि जीवा अजीवा वा...
20 तम्हा उ वज्जए इत्थी... 254 16 णत्थि देवो व देवी वा...
40 17 तम्हा दवि इक्ख पंडिए.. 252 ___19 णत्थि धम्मे अधम्मे वा...
32 तयसं व जहाइ से रयं... 252 34 णत्थि पुणे व पावे वा...
16 तहा गिरं समारब्भ... 253 35 णत्थि पेज्जे व दोसे वा..
88 11 तहिं च ते लोलणसंपगाढे.. 252 । णत्थि बंधे व मोक्खे वा...
35 तहिं तहिं सुयक्खायं.. 34 णत्थि माया व लोभे वा...
17 तं च भिक्खू परिण्णाय... 251 28 णत्थि लोए अलोए वा...
32 12 तं च भिक्खू परिन्नाय. 15 णत्थि वेयणा निज्जरा वा...
58 1 तं च भिक्खू परिन्नाय .. 255 21 णत्थि साहू असाहू वा."
266 19 तं भुजभाणा पिसितं पभूतं... 254 32 णत्थि सिद्धी प्रसिद्धी वा...
132 28 तं मग्गं णुतरं सुद्ध'... 33 णत्थि सिद्धी नियंठाणं...
171 4 तिउट्टई उ मेधावी... 171 6 ण मिज्जई महावीरे...
___35 तिक्खाहि सूलाहि निवाययंति... 6 ण य संखयमाहु जीवित
___445 तिरिया मणुया य दिव्वगा.'' ___ 1 ण य संखयमाहु जीवियं...
51 19 तिविहेण वि. पाण मा हणे... 1 णवि ता अहमेव लुप्पए''
12 तिव्वं तसे पाणिणो थावरे य... 47 1 ण हि णूण पुरा अणुस्सुतं..
61 ___19 तुब्भे भुंजह पाएसु.. . ____17 णिक्किचणे भिक्खु सुलूहजीवी.... 261 29 ते अन्नमन्नस्स उ गरहमाणा... 14333 णाइच्चो उएइ ण प्रत्थमेति... 14332 ते एवमक्खंति अबुझमाणा... .
.69
253
253
254
49 45
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764