Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 754
________________ 391 120 50 240 119 P. L. 802 एवं बहुहिं कयपुव्वं... 30 एवं मए पुढे महाणुभावे... -3 एवं मत्ता महंतरं... 16 एवं लोगंमि ताइणा... 6 एवं विप्पडिवन्नेगे... 28 एवं समुठिए भिक्खू ... 20 एवं से उदाहु अणुत्तरनाणी... 25 एवं सेहेवि अप्पुढे... 57 2 एहि ताय ! घरं जामो... 1 ओए सया ण रज्जेज्जा... 74 14 प्रोसियावि इत्थिपोसेसु... 161 34 प्रोसाणमिच्छे मणुए समाहि... 173 21 को कयाइ मेघावी... 116 17 कडं च कज्जमाणं च... 32 36 कडेसु घासमेसेज्जा... 112 20 कम्ममेगे पवेदेति 160 9 कम्मं च छंदं च विगिच धीरे... 1083 कम्म परिन्नाय दगंसि धीरे 118 20 कयरे धम्मे अक्खाए'' 132 27 कयरे मज्जे अक्खाए." 256 5 कल्लाणे पावए वावि 36 कहं च गाणं कहं दसणं से... 23 कंदूसु पक्खिप्प पयंति बालं... 37 26 कामेहि ण संथवेहि गिद्धा'.. 164 28 कालेण पुच्छे समियं पयासु'.. 101 27 किरियाकिरियं वेणइयाणुवायं." 86 32 कीलेहिं विज्झति असाहुकम्मा... 15 कुजए अपराजिए जहा.. 12 कुटुं तगरं च अगरु... 10834 कुलाइजे धावइ साउगाई... 14 25 कुव्वं च कारयं चेव... 4 कुव्वंति पावगं कम्म... 73 16 कुब्बति संथवं ताहि... 145 31 केई निमित्ता तहिया भवंति... 86 34 केसिंच बंधित्तु गले सिलाओ... 169 8 केसिंचि तक्काइ अबुज्झ भावं... 60 2 को जाणइ विऊवातं... P. L. 13 कोहं च माणं च तहेव मायं... 96 16 खेयन्त्रए से कुसलासुपन्ने... 105 14 गम्भाइ मिज्जति बुयाबुयाणा... 262 25 गंता च तत्था अदुवा अगता... 57 9 गंतुं ताय ! पुणो गच्छे... 161 30 गंथं विहाय इह सि.... 24 गंधमल्लसिणाणं च... 3 गारंपि अावसे नरे... 5 गिरीवरे वा निसहाऽऽययाणं... 29 गिहे दीवमपासंता'.. 128 24 गुत्तो वईए य समाहिपत्तो... 1 गोमेज्जए य रुयए 79 8 घडिगं च संडिडिमयं च... 87 21 चत्तारि अगणीग्रो समारभित्ता... 141 13 चत्तारि समोसरणाणिमाणि... 240 2 चंदण गेरुय हंसगब्भ 79 7 चंदालगं च करगं च.. 12 चिच्चा वित्तं च पुत्ते य... 35 चित्तमंतमचित्तं वा... 13 चिया महंतीउ समारभित्ता... 31 चिरं दूइज्जमाणस्स... 32 चोइया भिक्खचरियाए'.. 17 छन्नं च पसंस णो करे... 2 छंदेण पले इमा पया... 5 छिदंति बालस्स खुरेण नक्क... 28 जइ कालुणियाणि कासिया... 23 जइ केसिमा णं मए भिक्खू 29 जइ णो केइ पुच्छिज्जा... 30 जइ णो केइ पुच्छिज्जा... 16 जइ ते सुता लोहितपूप्रपाई... 20 जइ ते सुया वेयरणी भिदुग्ग... 29 जइवि य कामेहि लाविया... 38 12 जइवि य णिगणे किसे चरे... 132 जइ वो केइ पुच्छिज्जा... 763 जतुकुंभे जोइउवगूढे .. 43 30 जत्थऽत्थमिए प्रणाउले... 169 33 जमतीतं पडुपन्नं... 95 132 56 30 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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