Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 753
________________ 390 125 265 103 106 P. L. 67 18 उड्ढमहे तिरियं वा... 23 उड्ढे अहेयं तिरियं दिसासु... 5 उड्ढे अहेयं तिरियं दिसासु... 164 27 उड्ढं अहेयं तिरियं दिसासु... .96 18 उड्ढे अहेयं तिरियं दिसासु... 261 31 उड्ढे अहेयं तिरियं दिसासु... 134 7 उड्ढे अहे य तिरियं... 26 उत्तर मणुयाण आहिया... __ I उत्तरा महुरुल्लावा... 27 28 उदगस्स पभावेणं... उदगेण जे सिद्धिमदाहरंति.. 107 13 उदयं जइ कम्ममलं हरेज्जा'.. 120 25 उद्देसियं कीयगडं... 21 उरालं जगतो जोगं... 16 उवणीयतरस्स ताइणो... 17 उसिणोदगतत्तभोइणो... 31 एए गंथे विउक्कम्म'.. 10 11 एए पंच महन्भूया... 248 24 एएहिं दोहिं ठाणे हिं... 2494 एएहिं दोहि ठाणेहिं... 249 32 एएहि दोहि ठाणेहि... 250 11 एएहिं दोहि ठाणेहि... 250 27 एएहिं दोहिं ठाणेहि... 35 एगत्तमेयं अभिपत्थएज्जा'.. 157 13 एगतकूडेण उ से पलेइ... 33 एगंतमेवं अदुवा वि इण्हि... 15 एगे चरे ठाणमासणे... 17 एताणि सोच्चा णरगाणि धीरे... 8 एताणुवीति मेधावी... 10 एते उ तउ आयाणा... 16 एते प्रोघं तरिस्संति... 11 एते जिया भो न सरणं... 8 एते पुव्वं महापुरिसा... 29 एते भो कसिणा फासा... 19 एते सद्दे प्रचायंता... 57 27 एते संगा मणूसाणं... 126 34 एतेसु बाले य पकुव्वमाणे... P. .. 1 एतेहिं छहि काएहि.. 36 एतेहिं तिहिं ठाणेहि... 119 11 एयमझें सपेहाए 134 एयं खु नाणिणो सारं... 34 22 " " " 19 एवं भयं ण सेयाय'.. 113 39 एयं सकम्मवीरियं... 28 एयाइ कायाई पवेदिताइ... 93 35 एयाई फासाइ फुसंति वालं... 158 12 एयाइ भयाइ विगिच धीरा... ll एरिसा जा वई एसा.. 25 एवमन्नाणिया नाणं... 114 32 एवमादाय मेहावी... 15 एवमेगे उ पासत्था.. 65 21 एवमेगे उ पासत्था... 25 एवमेगे उ पासत्था.. ___ 16 एवमेगे णियायट्ठी... 13 16 एवमेगेत्ति जप्पंति... 24 133 एवमेगे वियक्काहिं'.. 21 14 एवमेयाणि जपंता... 121 31 एवं उदाहु निग्गंथे.'' 17 एवं कामेसणं विऊ. ___18 एवं खु तासु विन्नप्पं... 268 24 एवं ण मिज्जंति ण संसरंति... 168 9 एवं ण से होइ समाहिपत्ते... 1 एवं तक्काइ साहिता... ____19 एवं तिरिक्खे मणुयासुरेसु. ____6 एवं तुब्भे सरागत्था... 32 एवं तु समणा एगे.. 25 एवं तु समणा एगे... 29 एवं तु समणा एगे... __ एवं तु समणा एगे... 136 24 एवं तु समणा एगे... 137 9 एवं तु समणा एगे... 161 32 एवं तु सेहंपि अपुठ्ठधम्म... 164 26 एवं तु सेहेवि अपुठ्ठधम्मे... 598 एवं निमंतणं लद्ध... 48 80 127 259 25 26 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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