Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 745
________________ P. 141 101 53 85 102 229 53 117 31 173 53 79 79 3 254 145 144 43 100 64 65 3 75 82 46 254 49 271 9 66 70 226 127 21 22 न देवमिति संचिन्त्य 140 32 37 31 152 17 न नरः सिंहरूपत्वान्न० 173 25 ननु पुनरिदमतिदुर्लभ० L. 9 3 उद्धृतः पाठः तह सव्वे रायवाया तहेव कारणं कारणत्ति 9 तावद् गजः प्रस्त्र तदानगण्ड: 26 तिक्खकुसमाकडियकंटय 16 तित्थयरो चउनाणी Jain Education International 17 17 14 6 34 14 33 34 21 40 3 34 12 दाराः परिभवकारा 28 दीयते प्रियमाणस्य 37 3 11 12 21 तेएरण कम्मएण सो कण्हस्स पिउच्छा योवाहारो चोरभणियो दग्बन्धनः पुनरुपति दग्घे बीजे यथाऽत्यन्तं बहू तो जराणी ददाति प्रार्थिनः प्राणान् ददाति शौचपानीय दव्वस्स चलरण पप्फंदरगा दशहस्तान्तरं व्योम्नि 2222 दानेन महाभोगाश्च 33 " दुःखात्मकेषु विषयेषु सुखाभिमानः दुःखं दुष्कृतसंज्ञयाय दुंदुभिसमारोहे भेए दुर्ग्राह्यं हृदयं यथैव वदनं दुविलयनयोस वोक्स देशे कुलं प्रधानं 34 37 दोषावरणयोर्हानिः 12 दंडकलियं करिन्ता 27 द्रव्यास्तिकरथारूढः 7 द्वेषस्यायतनं घृतेरपचयः 8 धर्मार्थ पुत्रकामस्य 2 घण्णा ते वरपुरिसा न तस्य किञ्चिद्भवति 20 नत्थि य सि कोइ 382 P. 46 86 171 74 271 3 141 252 162 123 149 17 152 271 16 151 189 153 192 36 262 16 125 107 15 102 9 250 108 146 5 196 109 180 43 85 82 185 For Private & Personal Use Only L. उद्धृतः पाठः 31 7 36 11 19 21 5 24 28 35 15 5 6 26 34 7 8,28 ननु पुनरिदमतिदुर्लभ० न मांसभक्षणे दोषो ० 11 न य लोणं सोरिज्ज 17 न याति न च तत्रासीदस्ति नवि सीधो नवि उन्हो नहि कालादीहिंतो 35 3 नहि भवति निर्विगोपक नारणस्स होई भागी " 33 नान्वयः स हि भेदत्वान्न नान्वयः स हि भेदत्वान्न० 23 24 नालं ते तब तालाए [साचारा] नासतो जायते भावो० " 13 2 नित्यं सत्त्वमसत्त्वं [ प्रमाणवातिके ] 37 31 3 33 28 निर्वाणादिसुखप्रदे 2 नेत्रैर्निरीक्ष्य बिलकण्टक 27 17 10 नोदकविनगा हि 38 पञ्चविंशतितत्त्वज्ञो ० 27 3 39 15 पञ्चेन्द्रियाणि विविध बच नैनं छिन्दन्ति ० नैवास्ति राजराजस्य [प्रशमरती ] 4 12 पढमं नाणं तम्रो दया० " 37 17 11 31 20 पण्णवणिज्जा भावा 14 परकृतकर्मरिण यस्मान्न परं लोकाधिकं धाम परिकम्म रज्जुरासी पलिमंथमहं वियाणिया 20 22 पायक्कंतोरत्थलमुह पावा य चंडदंडा " www.jainelibrary.org

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