Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
View full book text ________________
378
283
P. L. शुद्धः पाठः 279 26 भवत्युत नेति ? त पाहु° 27934 °श्रामण्याश्च साधूनां 279 36 द्वितीये तु 2818,10,12 पोष॰ [प्र०] 281 10 मा इति प्रतिषेधे 281 11 काष्टं 281 14 तदुत्पन्नाश्च ते त्रसा एव 281 29 उदाहु इत्यादि, 282 3 नरकाद्वोद्धृताः (द्वोद्वृत्ताः) 2827 भवइ त्ति ॥ 282 20 भवति त्ति
P. L. शुद्धः पाठः 2839 °द्यन्ते ते, द्वितीय 283 15 तत्र यत्र त्रसा 283 17 उदाहु इत्यादि,
20 यद्यपि च [प्र.] 283 24 तदेवमव्युच्छिन्नस्त्रसः [प्र.] 284 24-25 ब्रवीमीति सुधर्म'
35 लक्षणानुमतं [प्र.] 284 36 विशेषभूयिष्ठतया 285 2 यास्यसि, यातस्ते पिता, 285 6-7 पर्यायानेकविषयत्वेनेच्छति
2848
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764