Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

View full book text
Previous | Next

Page 731
________________ 368 P. L. शुद्धः पाठः P. L. शुद्धः पाठः 108 21 भुञ्जते 116 23 न बहु 10822 दीर्घ सत् पाटयित्वा 11623 °येत् तथापि [प्र.] 108 29 मूलपत्रफलादीनि [प्र०] 116 24 तथा, तथा जितानि वशीकृतानि इन्द्रियारिण 109 4 हस्त्यश्वगोमहिष्यादिक येषां ते तथा, त एवम्भूताः [प्र.] 1099 दानश्राद्धाख्यानि 116 25 पाप कर्म [प्र.] 109 ll परेण लापयेत् 116 26 व्याकरणादिपरि 109 13 वशादा” [प्र०] 116 29 महानागाः, नागशब्दः 109 15 सुव्वसि 116 29 विश्रुता वेति 109 17 घंतं ति विनाश 11633 कर्मबन्धायैवेति 11032 °बलदेववासुदेवादीनां यद् वीर्य स्त्रीरत्नस्य वा 116 35 महानागा यद् वीर्य [प्र.] 117 11 तेण व 1113 औषधीनां [प्र.] 117 15 अद्धोमो [प्र.] 11132 अझप्पं अज्झप्पे [प्र०] 117 15 दुभागपत्ते 111 37 भावयति चेदम् 117 नोत्सन्ना [प्र०] 111 वा जनमनश्चम 117 23 सर्वशः 112 17 °ष्टत उपाध° [प्र०] 117 35 एव भावसमाधि [प्र.] 112 21 दुहा चेयं [प्र.] 117 36 एव भावधर्मः [प्र.] 112 24 चो वाक्यालङ्कारे 117 36 एव च भावमार्गो [प्र.] 11231 दिस्सति ति [प्र०] 118 13 तत्र लौकिको 11236 सुसिक्खंति 118 22 परिग्गहे 1133-4 बालवीर्यस्य पण्डितवीर्यस्य 118 23 कच्चती 113 8 प्रत्यालीढादि जीवें 5 वा कृत्यम् 113 12 मधीयते 6 तेऽन्ये विषय षिणः 13 हेठनान् बाधनान् 119 8 हृष्टतुष्टा [प्र.] 113 21 परवञ्चनात्मिका 8 पापः 113 23 तिउट्टइ [प्र०] 119 13 पुढवाउ 113 38 संजिहीर्षुराह 119 17 मानानामहिका 114 15 पापक 19 गच्छति [प्र०] 115 3 गतो यस्तम्, [प्र.] 119 27 चिच्चाएऽणंतर्ग 115 3 रगोपित: कुत्सितकर्तव्याभावात् प्रकट 119 31 पुढवाउ इत्यर्थः [प्र.] 12038 परापकारक्रिया 115 18 विवेकी पापानि [प्र.] 121 5 निर्णयनानि वा, यदि वा 22 इङ्गितमरणे [प्र.] 121 10 गालियं 115 29 पण्डरार्येव [प्र.] 121. ll णायमेज्ज 1162 तिरिय दिसासु जे पाणा [प्र०] 121 15-16 वर्धवेधो द्यूत 1163 विरती [प्र.] 121 34-35 वयवपुञ्छनं [प्र.] 116 19 महानागा 1222 यशःकीर्त्यादिकमप 119 119 113 119 119 115 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764