Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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P. L. शुद्धः पाठः
P. L. शुद्धः पाठः 108 21 भुञ्जते
116 23 न बहु 10822 दीर्घ सत् पाटयित्वा
11623 °येत् तथापि [प्र.] 108 29 मूलपत्रफलादीनि [प्र०]
116 24 तथा, तथा जितानि वशीकृतानि इन्द्रियारिण 109 4 हस्त्यश्वगोमहिष्यादिक
येषां ते तथा, त एवम्भूताः [प्र.] 1099 दानश्राद्धाख्यानि
116 25 पाप कर्म [प्र.] 109 ll परेण लापयेत्
116 26 व्याकरणादिपरि 109 13 वशादा” [प्र०]
116 29 महानागाः, नागशब्दः 109 15 सुव्वसि
116 29 विश्रुता वेति 109 17 घंतं ति विनाश
11633 कर्मबन्धायैवेति 11032 °बलदेववासुदेवादीनां यद् वीर्य स्त्रीरत्नस्य वा 116 35 महानागा यद् वीर्य [प्र.]
117 11 तेण व 1113 औषधीनां [प्र.]
117 15 अद्धोमो [प्र.] 11132 अझप्पं अज्झप्पे [प्र०]
117 15 दुभागपत्ते 111 37 भावयति चेदम्
117
नोत्सन्ना [प्र०] 111 वा जनमनश्चम
117 23 सर्वशः 112 17 °ष्टत उपाध° [प्र०]
117 35 एव भावसमाधि [प्र.] 112 21 दुहा चेयं [प्र.]
117 36 एव भावधर्मः [प्र.] 112 24 चो वाक्यालङ्कारे
117 36 एव च भावमार्गो [प्र.] 11231 दिस्सति ति [प्र०]
118 13 तत्र लौकिको 11236 सुसिक्खंति
118 22 परिग्गहे 1133-4 बालवीर्यस्य पण्डितवीर्यस्य
118 23 कच्चती 113 8 प्रत्यालीढादि जीवें
5 वा कृत्यम् 113 12 मधीयते
6 तेऽन्ये विषय षिणः 13 हेठनान् बाधनान्
119 8 हृष्टतुष्टा [प्र.] 113 21 परवञ्चनात्मिका
8 पापः 113 23 तिउट्टइ [प्र०]
119 13 पुढवाउ 113 38 संजिहीर्षुराह
119 17 मानानामहिका 114 15 पापक
19 गच्छति [प्र०] 115 3 गतो यस्तम्, [प्र.]
119 27 चिच्चाएऽणंतर्ग 115 3 रगोपित: कुत्सितकर्तव्याभावात् प्रकट 119 31 पुढवाउ इत्यर्थः [प्र.]
12038 परापकारक्रिया 115 18 विवेकी पापानि [प्र.]
121 5 निर्णयनानि वा, यदि वा 22 इङ्गितमरणे [प्र.]
121 10 गालियं 115 29 पण्डरार्येव [प्र.]
121. ll णायमेज्ज 1162 तिरिय दिसासु जे पाणा [प्र०]
121 15-16 वर्धवेधो द्यूत 1163 विरती [प्र.]
121 34-35 वयवपुञ्छनं [प्र.] 116 19 महानागा
1222 यशःकीर्त्यादिकमप
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