Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 729
________________ 366 P. 82 33 L. शुद्धः पाठः 23 पलउसबोक्कस [प्र०] 30 मुह तह तुरनमें ढग° [प्र०] 30 पावा पचंडदंडा प्रोसप्पि [प्र०] 33 परियट्टा ॥१॥ इत्येवमादिका वा काल 41 अणुभावं [प्र.] 3 °च्चास्य गन्ध-रस-शब्दान 13 धाति पहाडेंति 15 °तोदण-विंधण-रज्जु-लय 23 थरण-फिगुरु-बाहूर्ण 24 लोहीसु य 24 पाचिति गरएसु 25 भायणे कलंब 37 वेयरणि रिणरयपाला 38 तोदनं व्यथनं, तथा 39 दुःखोत्पादक 3-4 तथा भंजतीत्यादि, तथा उपरुद्राख्या 4 मोटयन्ति, तथा 5 कर्पणीभिः कल्पयन्ति [प्र०] 6 कन्दुषु 7 लोहीषु 9 स्वमांसान् [प्र.] 12 कण्ठोष्ठ° [प्र.] 13 वाताहत 19 भज्जति त्ति 20 °तले लोल 21 श्रोताः [प्र.] 24 शाल्मलीं 24 खरस्वरैरारटन्तो [प्र.] 27 निरुम्भन्ति त्ति 31 महाणुभागे कथय, तथा कथं नु प्रादुष्षन्ती 39 वक्ष्यमाणं, केवलालोकेन 1 वीरवर्धमानस्वामी [प्र.] 6 श्रयस्तं, तथा 11 तिमिसंधयारे 12 थावरे य शुद्धः पाठः दुक्खावहे 85 28 °देहरिएन्नंत° [प्र.] °देहरिणतंत° [प्र.] 31 °पावसंघाया 35 सदानुष्ठेयस्य __ 1 अणिव्वुते 3 दहह सद्दे सुणेत्ता 13 अवाशिरा 24 °माक्रामन्त° 27 परहस्वराः 34 कोलेहि 2 कोलेषु 3 क्रीडन्त 35 परिवत्तयंता 20 उच्चरितानि [प्र.] हा मातः हा तात कष्ट [प्र०] हा मातस्तावत् कष्ट [प्र०] 88 29 पापकर्मारणो 88 36 कलमलं [प्र.] 14 °माकृष्य तीक्ष्णाभिः शूलाभिः प्रतिपातयन्ति अपन 23 यस्याः सा 1 स्मारयित्वा तप्तं वपुः पाय्यन्ते 2 अप्पेण अप्पमित्यादि, 3 यदि वा अल्पेन 11 यथा कृतं कर्म 29 सम्यगुच्छ्रितं समुच्छ्रितं 10 अपगतप्रमोदाः 25 फलगावतट्ठा 29 भंजन्ति 8 °तान् सूर्पकाकारान् 939 कृत्वा 'बलिं कुर्वन्ति' इतश्चेतश्च क्षिपन्ती त्यर्थः, यदि वा कोट्टबलि कुर्वन्तीति नगरबलि वत् कुर्वन्ति [प्र.] 34 पविज्जला 942 पविज्जल त्ति 2 विस्तीर्णा [प्र०] 84 37 38 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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