Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 695
________________ 332 : : : : 260 216 225 275 227 254 267 P. L. सूत्रम् P. L. सूत्रम् 215 27 से भि० गाहावइ० जाव पविढे...... 258 34 से भि. पुचि भासा...... 216 36 ,, " 235 15 से भि० बहुपरियावन्नं भोयण 216 ,, समाणे..... 249 31 से भि० बहु० सयमाणे....... 222 10 , , पविसिउकामे'.. 249 28 से भि. बह० संथरित्ता..... 214 पिंडवाय० 239 3 से भि० बिलं वा लोणं....... 217 38 ", " 27 से भि० मणुस्सं वा गोणं वा' 227 23 से भि० नो गाहावइकूलस्स वा वारसाह 235 1 से भि० मंस वा मच्छ वा..... 15 से भि० गाहावइकुलं पविसिउ०...... 223 7 से भि० मंसाइयं वा..... 32 से भि० गोणं वियालं...... 8 से भि० मुइंगसद्दाणि वा....... 247 25 से भि० जस्सुवस्सए....... 14 से भि० रसेसिणो बहवे पाणा...... 259 38 से भि० जहा वेगइयाई रूवाई' 234 4 से भि० वसमाणं वा...... 10 से भि० जघासंतारिमे...... 261 33 से भिवंता कोहं च...... 21832 से भि० जाई. उग्गकुलाणि...... 264 16 से भि० समंड० वत्थं ..... 262 36 से भि० जाई. पुण वत्थाइ'...... 242 3 से भि० सइत्थियं सलुड्डं...... 32 से भि० जाव समाणे सिया....... 227 3 से भि० समणे वा० नो ते उवाइ....... 244 ___4 से भि० तणपुंजेसु वा...... 226 14 से भि० समणे वा नो तेसि 261 26 से भि० तहप्पगाराई सद्दाई...... संलोए...... 25 से भि० तिव्वदेसियं वासं...... 249 17 से भि० समाणे वा वसमाण वा...... 35 से भि० नावं दुरूहमाणे ..... 249 37 से भि० समा वेगया. . . . . . 15 से भि० नो अन्नउत्थिएण वा...... 274 33 से भि० सयपाययं वा ..... 36 से भि० नो अन्नउत्थियस्स वा........ 247 29 से भि० ससागारियं...... 259 27 से भि० नो एवं वइज्जा नभोदेवि ति वा 232 19 से भि० सालुयं वा..... 254 8 से भि० नो परेहिं सद्धि.......। 236 37 से भि० सिया से परो अभिहटु..... 254 24 से भि० नो मट्टियागएहिं...." 236 से भि० से जं अंतरुच्छियं वा...... 265 39 से भि० नो वण्णमंताइवत्थाइ...... 262 ,, ,, असंजए' . . . . . 219 23 से भि० परं अद्धजोयणमेराए संखडि 2488 ,, , , जं पुण..." णच्चा ..... से भि० सेज्जं गाम वा...... 262 से भि० परं श्रद्धजोयणमेराए 18 से मइमं परिन्नाय ...... वत्थपडिया..... 246 5 से य नो सुलभ फासुए उंछे...... 231 30 से भि० पाणगजा० अबपा....... 53 ____3 से वसुमं सव्वसमण्णागय०..... 231 ___ 1 से भि० पाणगजायं० उस्सेइमं वा ३.... 10 से वसुमं सब्वसमण्णागय०..... 20 से भि० पाणगं० अणन्तरहियाए....... 5 से वंता कोहं च माणं च....... 228 35 से भि. पिहुयं वा० असंजए...... 182 27 से समणुन्ने असमणुन्नस्स....." 216 5 से भि. पिहुयं वा सई...... 278 14 से सिया परो सुद्धणं ..... 259 12 से भि० पुमं आमंतेमाणे....... 139 3 से सुपडिबद्ध सूवणीयं ति..... 222 252 216 251 92 142 231 114 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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