Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 694
________________ 331 - वा हत्य 247 39 214 P. L. सूत्रम् ___P. L. सूत्रम् 262 13 से भि० अभि० वत्थं एसित्तए..... 270 38 से भि० आगं ४ जावोग्गहियंसि...... 266 19 से भि० अभि० पायं एसित्तए...... 232 14 से भि० पागं ४ अन्नगंधाणि वा...." 26436 से भि० अभि० वत्थं प्रायावि....... 232 34 से भि० प्रामडागं वा..... 248 11 से भि० अभि० संथारगं एसि०...... 255 29 से भि० पायरि० नो पायरिय० हत्थेण 249 10 से भि० अभि० संथारगं वा हत्थं...... पच्चप्पिणित्तए...... 257 24 से भि० इमाई वयायाराइ....... 249 23 से भि० अभि० सिज्जासंथारगभूमि... 217 38 से भि० इमेसु खलु कुलेसु...... 229 10 से भि० असणं वा० अगणिनिक्खित्तं ... 36 से भि० इह० अक्कोसंति वा ..... 230 21 से भि० असणं वा ४ अच्चुसि० ... ... 247 37 से भि० इह गायं तिल्लेण वा..... 218 17 से भि असणं वा ४ अट्ठमिपोस...... 247 से भि० इह गायं सिणाणेण वा... 189 18 से भि० असणं वा ४ आहारे' . . . . . 247 40 से भि० इह गाय सीमोदग . . . . . 260 21 से भि० असणं वा ४ उवक्खडियं ..... 273.37 से भि० इह गाहाबई वा..... 222 3 से भि० असणं वा ४ एसणिज्जे सिया'.. 248 3 से भि० इह निगिणा ठिया....... 229 23 से भि० असणं वा ४ खंधसि वा...... 269 38 से भि० उग्गहं जाणिज्जा ..... 21 से भि० असणं वा ४ पाणेहिं वा ४ 273 11 से भि० उच्चारपासवणकिरियाए..... संसत्तं ...... 243 35 से भि० उच्चारपासवणेण...... 235 27 से भि० असणं वा ४ परं समुहिस्स...... 232 40 से भि० उच्छुमेरगं वा...... 19 से भि० असणं वा ४ वहवे समण...... 253 33 से भि० उदगंसि पवमाणे...... 217 27 से भि० असणं वा ४ बहवे समण . . . . . 241 15 से भि० उवस्सयं जा० अस्संजए...... 230 3 से भि० असणं वा ४ मट्टियाउलितं... 246 40 से भि० उवस्सयं जा० खुड्डियाओ.. 230 33 से भि० असणं वा ४ वणस्सइ...... 180 19 से भिक्खु परिक्कमिज्ज वा...... 219 1 से भि० असणं वा समवाएसु वा...... 181 24 से भिक्खु परिक्कमिज्ज वा...... 15 से भि. असंजए..... 222 38 से भि० खत्तियाण वा....... 216 42 से भि० अस्सिपडियाए....... 31 से भि० खधंसि वा ..... 262 29 से भि० अस्सिपडियाए......। 223 34 से भि० खीरिणियायो....... 276 28 से भि० प्रहावेगइयाई रूवाई......। 221 25 से भि० गाम वा जाव राय........ 275 19 से भि० अहावेग० त० व पाणि वा...... 252 25 से भि० गामा० अंतरा से 10 से भि० अहेसणिज्जाई वत्थाई...... नावासंतारिमे..... 252 14 से भि० अंतरा से अरायाणि वा. . . . . . 255 8 से भि० गामा० अंतरा से वप्पाणि .. 2562 9 से भि० अंतरा से आमोसगा'..... 251. 38 ,, ,, विरूव...' 256 18 से भि० अंतरा से गोणं वियालं...... 252 , , , ,, विहं..... 254 10 से भि० अंतरा से जंघासंतारिमे....... 29 से भि० गामा० पुरो...... 252 25 से भि० अंतरा से नावासंतारिमे ...... 267 22 से भि० गाहा० पुवामेव पेहाए...... 254 41 से भि० अंतरा से पाडिवहिया ..... 226 3 से भि० गाहावइकुलस्स दुवारबाहं 256 3 से भि० अंतरा से पाडिवहिया....... 247 33 से भि० गाहावइकुलस्स मज्झं....... 225 8 से भि० अंतरा से वप्पाणि वा...... 216 15 से भि० गाहावइकुलं पविसिउ०...... 217 241 241 265 251 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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