Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 691
________________ 328 105 90 172 245 123 162 86 72 P. L. सूत्रम् 244 22 इह खलु अभिक्कंतकिरिया....... 233 29 इह खलु पाईणं वा...... 220 इह खलु भिक्खू गाहावइहिं वा 245 इह खलु० महावज्जकिरिया...... 245 24 इह खलु० महासावज्जकिरिया...... 245 3 इह खलु० वज्जकिरिया..... 17 इह खलु० सावज्जकिरिया...... 17720 इहमेगेसिं पायारगोयरे..... 14 इहमेंगसि तत्थ तत्थ संथवो....... 36 इह संतिगया दविया ..... ll इहं च खलु भो ! अणगाराणं ...... 35 उड्ढं अहं तिरियं पाईणं ..... 180 1 उड्ढं अहं तिरियं दिसासु...... 83 23 उद्दे सो पासगस्स नत्थि ...... 99 16 उद्देसो पासगस्स नत्थि...... 31 उवाईयसेसेण वा..... 1267 उवेहिणं बहिया य लोग....... 116 5 एग विगिंचमाणे पुढो...... 32 19 एत्थ वि तेसिं नो निकरणाए...... 31 एत्थ सत्थं० अगणिसत्थं...... 37 एत्थ सत्थं० उदयसत्थं...... 12 एत्थ सत्थं तसकायसत्थं ..... 19 एत्थ सत्थं० पुढविसत्थं ..... 31 एत्थ सत्थं० वणस्सइसत्थं...... 52 21 एत्थं पि जाणे उवादीयमाणा ..... 162 38 एवं खु मुणी पायाणं....... 24 एवं नियाय मुणिणा...... 86 3 एवं पस्स मुणि ! महब्भयं 16 5 एयावंति सव्वावंति....... 18 25 एयावंति सव्वावंति ...... 20 एवं ते सिस्सा दिया य..... 107 27 एस मरणा पमुच्चइ ..... 43 6 एस लोए वियाहिए..... 17 एस समिया परियाए...... 183 38 प्रोए दयं दयइ 165 19 प्रोबुज्झमाणे इह माणवेसु....... P. L. सूत्रम् 327 कप्पइ णे कप्पइ णे पाउ.... 38 कम्ममूलं च जं छणं...... 112 20 का अरई के आणंदे 38 कामा दुरतिक्कमा...' 37 कायस्स वियाघाए ..... 168 38 किमणेण भो ! जणेण ...... 73 19 खणं जाणाहि पंडिए' . . . . . 142 39 गामाणुगाम दूइज्जमाणस्स...." 243 14 गाहावई नामेगे सुइसमायारा 10 चिच्चा सव्वं विसुत्तियं..... 35 जमिणं विरूवरूवेहि ...... 1864 जमेयं भगवया पवेइयं .... 1928 जस्स णं भि० अहं च खलु अन्नेसि ...... 187 33 जस्स णं भि० अहं च खलु पडि० 189 5 जस्स णं भि० एगे अहमसि.... 186 9 जस्स णं भि० पुट्ठो खलु अहमंसि... 189 34 जस्स णं भि० से गिलामि ..... 19235 जस्स णं भि० से गिलामि ..... 120. 35 जस्स नत्थि इमा जाई ..... 129 31 जस्स नत्थि पुरा पच्छा .... 18 34 जस्सेते लोगंसि कम्मसमारंभा....." 1134 जं जाणिज्जा उच्चालइयं ..... 6 जं दुक्खं पवेइयं...... 4 जाए सद्धाए निक्खंतो ...... 9 जाणित्तु दुक्खं पत्त यं सायं ..... 749 जाव सोयपरिण्णाणा...... 12 जीविए इह जे पमत्ता...... 141 6 जुद्धारिहं खलु दुल्लहं .... 151 3 जे आया से विन्नाया .... " 121 20 जे पासवा ते परिस्सवा...... 114 34 जे एगं जाणइ से सम्बं....... 116 24 जे कोहदंसी से माणदंसी ..... 130 22 जे खलु भो ! वीरा ते समिया .. 42 9 जे गुणे से प्रावट्टे ...... 66 ll जे गुणे से मूलट्ठाणे ..... 134 8 जे छेए से सागारियं न सेवइ. 44 140 72 166 137 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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