Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

View full book text
Previous | Next

Page 672
________________ ( 309 ) 110 110 110 96 3-4 तत्राप्यभिसहन (प्र०)। तत्राप्यतिसहन विधेय समतेति । (प्र०) 4 उक्तं च5 °यानभिसहमानः (प्र०) 9 करनिहत. 24 °कारपरिसमाप्ती 35 'तुच्छए' इत्यादि, 38 सुवसुमुनि 1 धनधान्यहिरण्यमातापित्रादिः 4 परात्मनोर्मोक्षस्य नायः 14 'इति कम्म' (प्र.) 16 वर्तते 3 नन्दावलाकुक्षिमुद्भिद्य बुद्धो जात इति बुद्धो त्पत्ति 8 'पत्रापि श्रेयो न विद्यते, अत्रापि श्रेयो न विद्यते' इत्येवं 26 तिर्यग्दिक्षु मनु ___1 °तश्च च कुशलः 6 तदारब्धव्यमनारम्भरणीयं चेति, 8 नरिभेत-न कुर्या० 15 कुमार्ग निरा 20 नामेवार्तमनुपरिवर्तते 27 °मर्थाधिकारो 100 20 °नीयोदयादिति 36 भवे सीम्रो । 101 13 °पावकेन च दहयते, 101 38 शब्द-रूप-गन्ध-रस-स्पर्शा 103 36 इति चेत्, तन्न, तत्राप्युपान्तकाले 104 31 तदुपदिशति105 29-30 पञ्चसप्ततिः, सापि तीर्थकर''क्षयमुपगच्छ तीत्यतोऽन्त्यसमये 106 2 तद् यत्क्षणं कर्माहूय 106 33 °पायं भयं शारीरमानस (प्र.) 107 14 न मोहमतिवृत्त्य"न चेकविध 107 32 लोगसीत्यादि (प्र.) 108 1 कालेन 1083 सूक्ष्मसाम्परायिकस्य P. L. 108 37 झोसइ 109 5-6 चालनी "पूरयितुमर्हति, 109 9 कालप्रष्ठादयो 109 16 °येत् एतम् नन्तमन्यं न समनु० (प्र०) 109 29 नन्दी (प्र.) 110 5 वीरः सन् 7 उम्म(म्मु-प्र०)ग्ग लद्धमित्यादि, 110 8 मानुषेष्वित्युक्तम्, 14 अतोऽनेन (प्र.) 21 °मासाद्य क्षणमपि 110 32 पापं कर्म 111 22 एवं गतिरपि, 112 5 से अईअं 112 13 °भिलषन्ति, के 112 15 'विहूयकप्पे' 112 16 स एवंतदनुदर्शी (प्र.) 112 31 परोपाधिनेति (प्र०) 11237 संसारिसुखसाहाय्यो० 113 2 वृत्तमाचरति (प्र०) 11324 जीव्यास्त्वं बहूनि 113 25-26 प्रवर्तमानः''भावयति 11327 'जं सेगे' इत्यादि (प्र०) 1147-8 क्रोधं वमिता (प्र.) 11421 भावशस्त्रं 115 3-4 जे एगणामे से बहुणामे जे बहुणामे से एग. पामे 115 4 जंति वीरा 115 11 बह्वभावनान्तरीयक' 115 11 जे एग इत्यादि (प्र०) 115 14 स्थितिविशेषान् 115 16 नान्यदेत्यतो 11522 'वीरा' कर्मविदारण 1166 पुढो विगिचमाणे एग विगिचई, सड्ढी 116 8-9 °बन्धिनमेकं क्षपयति पृथक्क्षयान्यथानुपपत्तेः, किंगुणः पुन: क्षपक 116 16 ततोऽप्यपरं ततोऽप्यपरमिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764