Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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317
P. L. शुद्धपाठः
___P. L. शुद्धपाठः . 223 31 प्रवर्तनाधि
231 30 अंबपा 224 ll सिहरिणि
231 32 त्वाम्राम्राटकादि° 224 19 यूयं भगवन्तः
232 5 साधूनुद्दिश्य पुनरपि सन्तप्तगुडादिना 224 20 °त्येवं कुर्यात् [प्र.]
232 6 तत् पूतिकर्म 224 23 'लोयं' इन्द्रियानु
232 10 मुद्भिद्य यद् ददाति 224 31 ग्रासैषणादि'
232 30 पलासो [प्र०], पलाशपत्रा [प्र.] 224 36 परिभुज्जमाणं
232 31 पिलखु त्ति 225 3 °दयोऽप्यम मग्र
2326 विशेष्यते 225 19 तथाऽर्गला वा तथाऽर्गलापाशका वा 23235-36 इत्थ पाणा अणुप्पसूया इत्थ पाणा 225 31 °ल्पसरजस्कं
जाया इत्थ पाणा संवुड्ढा इत्थ पाणा 225 34-35 ओवाए वा खाणु वा
ऽवक्कंता इत्थ पाणायरिणया 225 38 प्रति प्रतिपथं तस्मिन् ।
233 3 पोक्खरथिभगं 225 39-40 रिच्छं ति ऋक्षम् [प्र०]
233 7 वित्तग्गं वा कयलीऊसुयं वा 226 31 कुर्यात्, तद्यथा -- तमाहारं गृहीत्वा 233 20 कदलीऊसुयं ति कदलीमध्यं तूष्णीको गच्छन्नैवमुत्प्रेक्षेत
233 23 तदेतदुक्तं 226 35 युष्मभ्यं
233 पूलिकाः कणपूलिकाः [प्र०] 226 42 सह, साम्भोगिकैः सहाप्यालोचनां 234 17 यथा 2278 पूर्वमेव प्रविष्टा [प्र०]
234 29 'नीपकपिण्ड: 227 9 याचेत
234 36 'नस्याकारणदोषः 2279 °लोकेऽवतिष्ठेत [प्र०]
234 38 °स्तूष्णींभावेनोपेक्षेत [प्र०] 227 15 उद्दिसिय २ प्रोणमिय २ उण्णमिय २ 235 21 साम्भोगिका: णिज्झाएज्जा
235 31 `त्येवमननुज्ञातं 227 36 प्रगृह्य
236 31 मेरुकं वेत्ययं [प्र०] 227 37 'त्पद्य तेति
32 वल्लादिफलीनां 228 14 स्वनामग्राहं...."अाउसो त्ति
236 37 परियाभाएत्ता 228 16 एवं कतु, कारणे च सत्येवं वदेत् 'से' अथ 236 40 परियाभाएह 'से' तस्य
237 4-5 परियाभाए[त्त]त्ति 228 24 न प्रतिगृह्णीयादिति
237 22 साम्भोगिकादींस्ते 228 26 स्तिमितेन, तेनापि
237 28 सदतीति उप 229 16 प्रामार्जयन्
237 36 प्रतिज्ञायाs . 229 35 स च प्रचलन्
238 29 सरिका भिः 230 28 फूमेज्ज व त्ति
238 34 °चणकादि 230 29 °कुर्याद् हस्तादिभिर्वा वीजयेत्, [प्र.] 238 36 कांसभाजन
29 °कुर्यात्, अयतो भिक्षुप्रतिज्ञया वीजयेत्, 238 38-39 °रुद्धृत्य [प्र०]
238 40 पात्रस्थितां वा 230 32 न प्रतिगृह्णीयात्
239 12 चान्येनान्येन समा॰ [प्र.] 231 25 गुण्डितेन
239 19 प्रतिपाल
236
230
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