Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 686
________________ P. L. 172 7 89 16 जे जत्तिया य हेऊ. 164 6 जेल विसरिसकल्पा 139 167 164 1882 LEATHER 98 97 75 75 णणु सव्वणभपएसा 5 8 203 27 41 29 मा किरियारहिय णत्थि किर सो पएसो 3 30 णामण- घोयण - वासण 10 णाभि निष्यिव्वे...... 164 24 गिम्मा गरी चिय 27 174 28 तुप्पियत्तस्स...... 75 16 98 24 178 20 1 तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा 178 178 7 77 3 131 64 उद्धृतः पाठः जे उ दाणं पसंसंति 158 17 31 जो चंदणेण बाहुं.... 40 जो जत्थ होइ भग्गो 5 जो विदुत्पतित्वो 34 31 20 जो हेउवायपक्खंमि 28 ज्ञानैश्वर्य धनोपेतो 20 ज्ञानं भूरि यथार्थ वस्तुविषयं 40 ज्ञानक्रियाभ्यां मोक्षः...... 157 ...... Jain Education International 13 तज्ज्ञानमेव न भवति 38 तणवोऽणब्भातिविगार 3 तणसंथारनिसण्णो [ प्रज्ञापनासूत्रे ] ... तत्थ वि य जाइसंपन्नतादि 28 2 तत्व व निडवणं 3 तस्मात् प्रभृति ज्ञान 11 तस्मिन्नेकार्णवीभूते 13 तस्मिन् पर्य तु भगवान् 12 तस्य तत्र शयानस्य 13 तित्थयरो चउणाणी 10 तिथिपर्वोत्सवाः सबै 35 तिन्नेव य गुत्तीनो 25 तिरियं चउरो दोसुं 3 तिवसा बहुमोह 10 वीरसिभिर्दीप्तं ... 4 तैः कर्मभिः स जीवो 6 त्रिदोषो जायते यक्ष्मा : 323 P. 57 69 153 57 97 181 81 86 6 158 80 94 17 181 66 93 112 60 103 16 158 2 - i ≥≥ ទី ៨ ៩ ៖ ៖ ទី ធ ៖ ដ 178 122 150 72 141 L. उद्धृतः पाठः दंडकवाडे मंयंतरे य [ श्रावश्यकनियुक्तौ गा० ७५५] 3 दंडसरच रज्जु [आवश्यक निको गा ०७२५] दग्धेन्धनः पुनरुपैति भवं प्रमथ्य 36 23 18 दजवविजुयं ...... 34 दशसूनासमश्चक्री...... 39 दानं सत्पुरुषेषु स्वल्पमपि 14 दाराः परिभवकारा 21 25 26 23 दुःखकरमकीर्तिकरं " 37 दुःखद्विट् सुखलिप्सुः " 9 दुःखप्रतिक्रियार्थं 40 दुःखसमुद्र प्राज्ञा 1 दुःखात्मकेषु विषयेषु 4 दुःखात सेवते कामान् 40 दुप्पत्ययो धमित्त ... 17 38 30 क्विट्टिगाई 32 20 31 दिट्ठा सि कसेरुमइ दिव्यात् कामरतिसुलात्" दुःखं स्त्रीकक्षिमध्ये 4 देवकुलजाइस्वी 27 16 37 41 19 दृश्यं वस्तु परं न पश्यति देवा णं भंते सव्वे समवण्णा For Private & Personal Use Only देवेषु च्यवन वियोगदुःखितेषु" 20 धर्मवगमङ्गत 23 धावेइ रोहणं तर सायरं 9 नइवेगसमं चवलं च... दो पुरिसा सरिसवया" दोसा वेग नियंति द्वे वाससी प्रवरयोषिदपायशुद्धा द्वावेव पुरुषी लोके धर्मं चरतः साधो 9 न तत् परस्य सन्दध्यात् 6 ननु पुनरिदमतिदुर्लभ 11 [प्रशमरतो ] बलु नरः रोषसिद्धासुर न जायते न म्रियते " " [प्रशमरती www.jainelibrary.org

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