Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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5500
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93
L. उद्धृतः पाठः
P. L. उद्धृतः पाठः 13 एतानि दुर्लभानि.....
1674 क्रीडनकमीश्वराणां ...... 10 एवं कर्माणि पुनः ......
75 1 क्षितितलशयन वा प्रान्तभक्षाशनं वा...... 143 33 एवं गच्छसमुद्दे ......
158 25 क्षुत्तृहिमात्युष्णभयादितानां ..." 17 11 एवं भ्रमत: संसार...
158 29 क्षुत्तहिमोष्णानिलशीतदाह..... 37 35 एवं सब्वे वि णया......
96 4 गंधेसु य भद्दयपावएसु..... 25 एहि गच्छ पतोत्तिष्ठ....... 143 34 गच्छंमि केइ पुरिसा..... 131 26 ओयरिय लोअमज्झा......
91 9 गते प्रेमाबन्धे प्रणयबहमाने च गलिते... 35 कइ णं भंते जुम्मा पण्णत्ता...... 201 27 गरीयस्त्वात् सचेलस्य....... 19 कइ णं भंते सण्णाओ पण्णत्ताओ...... 71 13 गात्रं संकुचितं गतिविगलिता... 40 कइया वच्चइ सत्थो.......
__58 19 गुणानामेव दौर्जन्याद्..... 10 कः कण्टकानां प्रकरोति तैक्षण्यं.......
6 गृहस्थाश्रमसमो धर्मो ..... 152 24 कः प्रव्रजति सांख्यानां......
40 22 गोला य असंखिज्जा......
15 चरणपडिवत्तिहेउं जेणियरे....... 42 17 कण्णसोक्खेहि सद्दे हिं.......
19 चिन्ता गते भवति साध्वसमन्तिकस्थे...... 178 ____कद्रूः सरीसृपाणां......
14 36 चिरसंसिट्ठोऽसि परिचिोऽसि मे गोयमा 1659 कम्माणि णूणं घणचिक्कणाई....... 158 13 छिद्यन्ते कृपणाः कृतान्तपरशोस्तीक्ष्णेन 152 30 कर्तरि जातविनष्टे......
79 22 जइ सो वि पडिसिद्धो...... 17 29 कर्म योगनिमित्तं बध्यते ...... 114 16 जं अज्जिअं चरित्तं ....... 17 8 कर्मानुभवदुःखित.....
1 28 जं अन्नाणी कम खवेइ...... 107 15 कहं णं भंते जीवा अट्ठ कम्मपगडीओ... 71 32 जं जं. करइ तं तं ...... 174 23 बंधंति......
71 24 जन्मजरामरणभयरभिद्रुते [प्रशमरतौ]." 24 काणो निमग्नविषमोन्नतदृष्टिरेक:......। 20 जरामरणदौर्गत्य...... 146 20 काम जानामि ते रूप......
23 जलरेणुपुढविपव्वय...... 40 कालः पचति भूतानि......
29 14 जह जह सुयमवगाहइ"" 38 काले देशे कल्प्यं.......
60 36 जह मत्थयसइए...... 32 काले विणए बहुमाणे.......
143 32 जह सायरंमि मीणा........ 61 18 किं एत्तो कट्ट्यरं.....
143 34 जहा दिया पोयमपक्खजायं. 30 किं कतिविहं कस्स......
102 ___14 जागरह णरा णिच्चं...... 15 1 किं थ तयं पम्हुट्ठ......
17 जागरिआ धम्मीणं....... __ 14 कि पुण अवसेसेहि......
35 23 जायतेयं न इच्छंति . . . . . . 156 36 किमिदमचिन्तितमसदृश'...."
106 16 जायमाणस्स जं दुक्खं...... 34 कुलकोडिसयसहस्सा......
15 20 जाव णं भंते एस जीवे' . . . . . 23 कृमिकुलचितं लालाक्लिन्न...... 2 5 जियपरिसो जियनिहो . . . . . 111 35 केण ममेत्थुप्पत्ती... ....
80 17 जीवन्नेव मृतोऽन्धो ..... 65. 29 केवली णं भंते..... .
60 25 जीवे णं भंते कतिहिं ठाणे हिं...... 178 11 केवलं गह्वरीभूते......
नाणावरणिज्ज...... 211 17 क्रियेव फलदा पुंसां .....
15 34 जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा.....
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