Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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204
P. L. शुद्धपाठः
P. L. शुद्धपाठः 195 2 °कारी च सिद्धि
202 26 परस्परकथायां गृद्ध 195 21 न्याहरेद-व्य
202 36 विति मन्वानः सर्वे 195 22 सङ्कोचनिविण्णो
202 36-37 च विज्ञाय 195 29-30 तश्चित्तस्या"
202 39 °मितो गत इति एकत्वभावना 195 31 सुविशुद्धा
203 12 पृथ्वीशर्करावालुकादिषत्रिंशद्भेदा 196 13-14 मेते तदेवोपद्रवन्ति न पुनर्यज्जिघृक्षितं 203 13 °ङ्गारादिभेदात् पञ्चधा धर्मचरणं°
203 26-27 व्यवस्थापिता इति 196 19 विधिनैनं पादपो'
204 9-10 गुणान् प्रचिकटयिषुराह 19625 निषिध्यते छिन्नमूल'
204 13 नासेवते च 19627-28 स्थानान्तरासङ्क्रमणम, एतदेव दर्शयति-204 13 °प्यसौ नाभुङ्क्त
तिष्ठेत्, सर्वगात्रनिरोधेऽपि स्थाना 204 16 पानकादि 197 ___19 कर्म माया वा, तत् तां वा
204 19 कण्डूत्यपनोदं 197 28 तुल्यफलत्वाद्यथावसरं विधेयम्, इति- 204 21 बुइए पडिभाणी रधिकार'
____ 26 पृष्टः सन् प्रतिभाषी सन्नल्पं 198 2 उक्तमष्टममध्ययनम्,
20436 सेवीय से 198 17 आतंकिते तिगिच्छा य
205 18 सेवइ य भगवं 198 21 हारेण चिकित्सेति ४,
205 24 °ध्यासितः [प्र.] 199 ___ 10 सप्तकमनेन क्रमेणोपशमयति, 206 11 ततोऽज्ञानावृतदृष्टयो दण्डमुष्टयादिना 19931 मिथ्यात्वस्यो'
206 12 भगवांस्तु समाधि 199 36 प्रकृतीनां
206 29 पार्श्वनाथ 4 °पशमनाबद्धनिधत्त [प्र.]
206 32 एधाश्च दहन्तः 200 चतुष्कस्य च यथाक्रम
207 1 इतिब्रवीमिशब्दो 201 12 बोसज्ज
207 10 आहंतु [प्र.] 13 तद्यथा-असौ श्रमणो [प्र.]
16 चितानि काष्ठानि वा 26 जे य पव्वइंसु जे य पव्वयंति
207 20 द्यभावाच्च तृण 30 आरुष्य 'तत्र'
207 20 'कुक्कुराः' 201 32 साधिकं च मासं
207 23 सीत्कुर्वन्ति कथं नु नामैनं श्रमणं कुक्कुराः 33 तद्वस्त्रत्यागात् त्यागी,
208 7 वोसट्ठकाए पणता? 201 35 चकखुभीतसहिया
208 20 °याति एवं 201 37 न सेवे इय से
20831 अभितावे । अदु जावइत्थ 5 चक्षुरासज्य
208 35 प्रादुष्षन्ति 202 7 सहिता
2096 रीयति [प्र.] 202 7 पांसुवृष्ट्या [प्र.]
209 10 मन्थु [प्र.] 202 14 पुट्ठो व से अपुट्ठो वा
209 12 पडिसेवे अट्ठ मासे य जावयं भगवं । 202 19 तिक्खाई
अपिइत्थ एगया भगवं 202 20 एयाई
209 16 णच्चाणं 202 24 नृत्तगीनि
209 20 निर्दिशति
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