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________________ 315 204 P. L. शुद्धपाठः P. L. शुद्धपाठः 195 2 °कारी च सिद्धि 202 26 परस्परकथायां गृद्ध 195 21 न्याहरेद-व्य 202 36 विति मन्वानः सर्वे 195 22 सङ्कोचनिविण्णो 202 36-37 च विज्ञाय 195 29-30 तश्चित्तस्या" 202 39 °मितो गत इति एकत्वभावना 195 31 सुविशुद्धा 203 12 पृथ्वीशर्करावालुकादिषत्रिंशद्भेदा 196 13-14 मेते तदेवोपद्रवन्ति न पुनर्यज्जिघृक्षितं 203 13 °ङ्गारादिभेदात् पञ्चधा धर्मचरणं° 203 26-27 व्यवस्थापिता इति 196 19 विधिनैनं पादपो' 204 9-10 गुणान् प्रचिकटयिषुराह 19625 निषिध्यते छिन्नमूल' 204 13 नासेवते च 19627-28 स्थानान्तरासङ्क्रमणम, एतदेव दर्शयति-204 13 °प्यसौ नाभुङ्क्त तिष्ठेत्, सर्वगात्रनिरोधेऽपि स्थाना 204 16 पानकादि 197 ___19 कर्म माया वा, तत् तां वा 204 19 कण्डूत्यपनोदं 197 28 तुल्यफलत्वाद्यथावसरं विधेयम्, इति- 204 21 बुइए पडिभाणी रधिकार' ____ 26 पृष्टः सन् प्रतिभाषी सन्नल्पं 198 2 उक्तमष्टममध्ययनम्, 20436 सेवीय से 198 17 आतंकिते तिगिच्छा य 205 18 सेवइ य भगवं 198 21 हारेण चिकित्सेति ४, 205 24 °ध्यासितः [प्र.] 199 ___ 10 सप्तकमनेन क्रमेणोपशमयति, 206 11 ततोऽज्ञानावृतदृष्टयो दण्डमुष्टयादिना 19931 मिथ्यात्वस्यो' 206 12 भगवांस्तु समाधि 199 36 प्रकृतीनां 206 29 पार्श्वनाथ 4 °पशमनाबद्धनिधत्त [प्र.] 206 32 एधाश्च दहन्तः 200 चतुष्कस्य च यथाक्रम 207 1 इतिब्रवीमिशब्दो 201 12 बोसज्ज 207 10 आहंतु [प्र.] 13 तद्यथा-असौ श्रमणो [प्र.] 16 चितानि काष्ठानि वा 26 जे य पव्वइंसु जे य पव्वयंति 207 20 द्यभावाच्च तृण 30 आरुष्य 'तत्र' 207 20 'कुक्कुराः' 201 32 साधिकं च मासं 207 23 सीत्कुर्वन्ति कथं नु नामैनं श्रमणं कुक्कुराः 33 तद्वस्त्रत्यागात् त्यागी, 208 7 वोसट्ठकाए पणता? 201 35 चकखुभीतसहिया 208 20 °याति एवं 201 37 न सेवे इय से 20831 अभितावे । अदु जावइत्थ 5 चक्षुरासज्य 208 35 प्रादुष्षन्ति 202 7 सहिता 2096 रीयति [प्र.] 202 7 पांसुवृष्ट्या [प्र.] 209 10 मन्थु [प्र.] 202 14 पुट्ठो व से अपुट्ठो वा 209 12 पडिसेवे अट्ठ मासे य जावयं भगवं । 202 19 तिक्खाई अपिइत्थ एगया भगवं 202 20 एयाई 209 16 णच्चाणं 202 24 नृत्तगीनि 209 20 निर्दिशति 200 19 201 207 201 201 201 202 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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