Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 676
________________ 313 172 P. L. शुद्धपाठः L. शुद्धपाठः 162 25 कर्मधूनना 170 18 °पादनेनो 163 ll "रादानं शोषयितेति आदान 170 32 °स्येव श्वशुर' 163 34 अवगमयन्नवबुध्यमान 1719 सांग्रहिको 163 35 कम्मक्खयकरणं 171 13 बब्भागमे "संपन्ने एवं 164 3 तदुक्तम् - 171 24 योग्यत्वेन भव्यत्वेन 164 3-4 रुपस्पृष्टस्तु 171 28 °त्तदाह164 25 अप्पाण उण वियणं सरीराणं । 9 प्ररूपयेदसावद्या 164 30 सम्बन्धः, तथा 'संसारश्रेणी' 172 ll यथोपदिष्टेन [प्र०] 16437 इति । इति-ब्रवीमिशब्दौ....."संसार- 172 22 सङ्ग विपाकं सागरं तीर्णवत् 172 37 विप्रोपाए 165 9 णाणड्ढियं पि 172 41 णया पातो व्यापातः 165 16 आश्वस्यते 173 1 निशाता 165 27 समुत्थित इति, ....."यथाऽसौ 1736 'नात्मवशतां' 165 28 वहनाना.....'जन्तूनां 173 6 स्थण्डिले 165 40 °शमतिलङ्घय [प्र०] 173 18 असमणु ण्णविमोक्खो 165 41 उज्जयनी"विनश्यति "उज्जयन्यां [प्र०] 173 23 'नामसमनोज्ञानां 166 10 ततस्तस्य ज्यायान् भ्राता हु [प्र.] 174 12 कालं विमुच्यते 166 ___13 शिष्येणापि सदा [प्र०] 174 14 'विमुक्का 167 1 वाक्कुण्ठो 174 16 दृष्टीनामा 167 2 मोहोपशम' 174 24-25 निअच्छंति, दंसणावरणिज्जस्स कम्मस्स 1675 फारुसियं समारभंति उदएणं दसणमोहणिज्ज कम्म नियच्छति, 167 10 प्रवर्तमाना उत्सर्गवेदिना चोदिताः . दसणमोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं 19 °दिभिः म (स) मावेदितं, तं [प्र.] . मिच्छत्त कम्मं नियच्छति, मिच्छत्तेणं 167 22 तथा च क्वचित् उइन्नेणं 167 29 'ख्यापनार्थ 174 28 'नेहोल्लियस्स कम्मं पि 167 33 कैषां प्रचुरो 174 29 °वस्थायां च 167 34 प्रशंसान्विता यथावस्थितमाचारगोचरमा 174 37-38 तत्र कारणे कार्योपचारात् 167 40 यदा युञ्जीत सारथिः । तदा [प्र.] 175 1 मिदं च चतुर्विधाहारनिवृत्तिरूपं 168 1 "रेतदेव 1755 °द्भावविमोक्ष 1682 क्रियोपेता 1757 परक्कमे 168 18 सत्यप्युपशान्ताः, तान् 176 27 अवरुद्धो [प्र०] 168 20 कुण्टमुण्टा० 175 28-29 °तरेणाप (व? )रुद्धो भवेद् [प्र०] 169 ll वि(व-प्र०)दित्वाऽप्येवं [प्र.] 175 34 °ो य णितो मुक्को तिविहस्स णिच्चस्स 169 15 अपसू य 175 36 °भ्युद्यतमरणत्रिका' 169 19-20 बसट्टणं "वस? णं भंते एवं चेव 1767 निष्प (स्य) न्दिनी 169 24 श्लोकोऽश्लाघा' 1767 पदिष्टानुष्ठान 170 12 स्तेषु वा तदन्त' 176 31 निच्चजुत्तप्पा [प्र०] 167 Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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