Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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P.
L.. शुद्धपाठः
140 14 स चायं -नो पूर्वोत्थायी पश्चान्निपातीति ।
141 4 नातोऽप्यपरं
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142 17
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143 1
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143 8 चात्रिंशत
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24 वानृतस्तेयादाविति
7 तदारम्भनिवृत्त: [ प्र० ]
17 पापं कर्म [ प्र० ] यन्वेषयति
32 वर्तमानसामीप्ये वर्तमा
स
3 गतिभेददुष्ट° [ प्र० ]
144 3 धम्मँण
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144 10 संभाव्येत
144 144 23 'मसिनो'
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34 सारणवारणचइया हरति
4
5 'वम्भूतो निकारोऽभूत् [अ०]
144 24 कुलीभूतः
144 25 म
144 31 'स्तिन्मुक्तिः तपा
"
144 37 पथिनि
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19 संसारमोन वा मुहात इति ।
पासत्थगया
41 संपलिमज्जमाणे
10 'प्रमत्तयतेः'
18
क्षप्यत [ प्र० ]
20 विप्यमाण [प्र० ]
24 स वा वेदविद्
3 प्तपञ्च महाव्रत°
भिक्रामतः प्रतिक्रामतः
311
8 'लासापाङ्गनिरी°
10 'णादी व्यावा ? ) ख्यातमिति [प्र० ]
14 [सनासीत् ( त ?),
27 कुमारीतद्दानतो
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afa- 149
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29 सम्बन्धः कलहासङ्गः, तत्करा
40 संवृतोऽध्यात्मसंवृतः
41 कल्मषं
6 पडिपुणे चिट्ठति समसि भोने उवसंत
30 'स्रोतोमध्यगः इत्यनेन
31 स्रोतोमध्यगत्वम्,
P.
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L.. शुडपातः
1
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12 वितिगिछेति विद्वज्जु
19 गृहपाशविमुक्ता वा 'एके' विचिकित्सावादरहिता [ प्र० ]
22 निर्वेदं मच्छेदसदनुष्ठानस्य ?
26 सम्यक्त्वमधिगतं,
14
25
26
मया प्रागुक्तं
30 °मिति, ग्राह च
38 कहन्नं भंते समणा
1 वितिगिछसमा
विचिकित्सा चित्तविप्लुतिः यया इद
मस्ति इदमप्यस्तीत्येवमाकारो
30
परिमलितमतेः
1 असम्यक् पर्या
7 माध्यस्थ्य'
fafafeत्सा शङ्का वा भवेत्, तत्र तस्य
पर्ययैस्तत् श्रर्द्ध'
प्रवर्तत [प्र० ]
12 तां समनुपश्यत यूयं .....श्लाघ्यता दर्शन
स्थैर्यं चारित्रनिष्प्रकम्पता
भविता" इति
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19
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21
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38
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23
151 33 गुरुविनय
151 34-35 निरुपस्थान 152 12 तो जन्तु
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दृष्टास्मीति
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32
विषवत् प्रवर्तित
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इत्याद्यध्यवसायात् प्रकाशदेश ( श्य) स्य
साधुरेव तत्पर मभिसम्बन्धः ...
34
मुत्य
35 करणं सर्वज्ञ
पमेनाचार्येण
"सोपस्थानत्वमित्येतत्
39 तथान्येषामा
1-2 इह आरामं परिणाय अल्लीणगुत्ते
परिव्वए
19 'दिश्यते
27 प्रतिशयिक
32 हृषीकविषयजनित°
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