Book Title: Acharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
View full book text ________________
P.
28
29
30
31
31
31
33
36
37
39
40
40
41
42
42
******99999
42
42
43
44
44
45
46
46
46
46
47
48
49
49
50
50
50
50
L.
44 9
18
Jain Education International
26
21 गुणभाग्
6 प्रत्यवादिभि
31
शाक्यकमुक्०
33 भगवता, पाशो बन्धनम्, शस्त्र०
31
पिन को
36
जरियस्स व जा उम्हा एसुवमा
30
31
16
11
42
से बेमि से जहावि धरणारे
अगरिणकम्म समा०
एत्य सत्यं समारभमाणस्स इच्चेते प्रारंभा परिणाया भवंति । एत्थ सत्थं
०दानात् साधारणाः
सेवालकच्छ०
० दिदण्डोप ०
14
29
30 मावर्तमादन्यत् तदन्तः पायावर्तते स
पैरावतं इति
एतद् वनस्पतेः
द्रव्याणां
35 उध
38 'अ' मिरपवाह
16 मावारयितु०
4
० मेवेति । पूर्वकोऽपिशब्दः
० कुमारयुववृद्धावस्थानाम० प्ररोदिकादीनां
28
तस्यां च
14 मेयं चेव
31 मिति शस्त्रं खड्ग
41 प्रसक्ताः तन्निष्ठाः
बघ्नन्ति रज्ज्वादिना
41 बहून्
28 ति वेमि
3
इतिशब्द एवगर्थे
15 तसकायसत्थसमारंभा
35 एवमेते
(307)
2
रूप-रस- गन्ध-स्पर्शात्मकश्च नैकान्तिका
4
12 उसिफूस (म ) णापाणू व मानाभिधारणोत्सिङ्घनफूत्कार
13
24 385
P.
50 25
50
52
55
55
56
57
555888IIIIII88
57
57
61
61
62
63
63
66
66
66
68
69
70
70
L.
FREECELEBR
60
61 15
21
25
24
16
27
25
75
24
37
37
35
21
32
39
41
1
39
4
13
28
31-32
2
11
8
15
71
71
71
7
73
18
74 19-20
(प्रत्यन्तरे) 'इमेसि गायं भवद्द'ति कि
तत् ज्ञातं
किं न ज्ञातं
वधप्रवृत्ताः कर्मरणा बध्यते
जंमूलागं च संसारो
गुणमूलद्वाणं ति
जे गुणे से मूलट्ठाणे (इ) त्यादि सूत्रम् ।
एनमेव नियुक्तिकार : गुणमभेदेन
व्यवस्थित
निमित्ततेजोलेश्या
क्षेत्रमु
जीव एव क्षान्त्या
एवं संयोज्यैकैक
पाध्यायप्रतिस्थाविर
श्रेण्यावारोहतो
स्यन्दमानस्वेद" प्रेष्यार्थादिनिमित्ता
For Private & Personal Use Only
हलिद्दखं जगकद्दमकिमिराय
जघन्यात उत्कृष्टा
बायोमो द्वीन्द्रियादीनाम्
शेषाणि देशातीम्पपि
सोपपन्नारोहि
5 स्नुषाणान्या
10
बचावसरे
पुणो वसे
[ प्रत्यन्तरे - ] शब्दादिको गुरणः, अथवा मूलं
शब्दादिको विषयगरणस्तस्य
कमाक्षेप इति
काले पिसि समु०
पण रोहि
द्विषा बाह्यमाभ्यन्तरं चेति । तत्रा०
नो प्रमादयेत् न प्रमादवशगो किमनभिकान्त 'समनुवासये:' इति सम्यग् विज्ञानानां चाप्रहीणता 9 ते चाध्यात्मिका दोषा
णिजन्ताल्लिङ्क्षिप्
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764