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१५२ : आचाराङ्ग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन यहाँ 'अणण्णदंसी' और 'अणण्णारामी' पद के द्वारा त्रिविध साधना मार्ग से मोक्षपद की उपलब्धि बतलाई गई है । उक्त विवेचना से यह सिद्ध होता है कि आचारांग में मुक्ति-मार्ग की साधना के बीज निहित हैं, परन्तु परवर्ती ग्रन्थों के समान उसका सुव्यवस्थित एवं सुविकसित रूप हमें उसमें देखने को नहीं मिलता है। आचारांग में सम्यग्दर्शन शब्द का प्रयोग एवं उसके पर्यायवाचोः ।
साधना की प्रथम भूमिका सम्यग्र्शन है। इस सन्दर्भ में आचारांग में सम्यग्दर्शन से सम्बन्धित विचार तो अवश्य उपलब्ध होते हैं, परन्तु उसका सुव्यवस्थित रूप हमें उसमें परिलक्षित नहीं होता और न उत्तरवर्ती जैनग्रन्थों के समान परिभाषाबद्ध कोई स्पष्ट निर्देश ही मिलता है। यही कारण है कि आचारांग में दर्शन ( सम्यग्दर्शन) के लिए 'सम्यग्दृष्टि' 'समत्वदर्शी', 'अनन्यदर्शी', 'निष्कर्मदर्शी', अनोमदर्शी', 'आतंकदर्शी', 'परमदर्शी' आदि शब्द व्यवहृत हुए हैं। इसके अतिरिक्त 'सम्यक्त्व', 'समत्व', 'दर्शन', 'पास','पासइ','पासिय', 'समाधि','पबुद्ध, श्रद्धा' आदि अनेक शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। आचारांग में 'सम्यग्दर्शन' शब्द . के स्थान पर 'दृष्टि' या 'दर्शी' शब्द का प्रचुर प्रयोग हुआ है और वह उसके दृष्टिकोणपरक अर्थ का द्योतक है । 'पास', पासिय' 'पासह' शब्द आत्म-जागरूकता या अप्रमत्तदशा को ओर संकेत करते हैं। 'दर्शन' शब्द सिद्धान्त के अर्थ को भी बताता है। आचारांग में 'समाधि' शब्द का प्रयोग चित्त की निर्विकल्पदशा का संसूचक है। सम्यग्दर्शन-विभिन्न अर्थ में :
'दृश दर्शने' धातु से अण् प्रत्यय लगकर 'दर्शन' शब्द बना है । दृष्टि का अर्थ है-दर्शन । प्राचीन दार्शनिकों ने सभी ज्ञान-विज्ञानों को दर्शन कहा है। सामान्य व्यवहार में 'दर्शन' शब्द का प्रयोग 'देखने के अर्थ में होता है, अर्थात् नेत्रजन्य बोध को देखना या दर्शन कहते हैं, अंग्रेजो भाषा में जिसे विजन (Vision) कहा जाता है । परन्तु आचारांग में प्रयुक्त 'दृष्टि' या 'दर्शन' का अर्थ मात्र नेत्रजन्य बोध या इन्द्रियगम्य वस्तुओं के अवालोकन का बोधक नहीं है, अपितु मनोगम्य या अतीन्द्रिय ज्ञान का द्योतक है। अतः 'दर्शन' का वास्तविक अर्थ है-सत्य-तत्त्व का साक्षात्कार । संक्षेप में सम्यग्दृष्टि अर्थात् सम्यक् बोध । इस प्रकार आचारांग के विचार से सम्यक् दृष्टि को विशुद्ध या यथार्थदृष्टि कहा जा सकता है । उसमें इसके लिए 'समत्तदंसी न करेइ पावं', आयंकदंसी न
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