Book Title: Acharanga ka Nitishastriya Adhyayana
Author(s): Priyadarshanshreeji
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 282
________________ श्रमणाचार : २६९ प्रतिज्ञाओं को भी ग्रहण कर सकता है, किन्तु प्रत्येक भिक्षु अपनी ली गई प्रतिज्ञा का जीवन के अन्तिम क्षण तक दृढ़ता से पालन करे। उक्त छः प्रकार की प्रतिज्ञाओं में से छठी प्रतिज्ञा को धारण करने वाला' वह भिक्षु ग्लान हो जावे और अपना आहार-पानी लाने में असमर्थ रहे तब भी वह स्वग्रहीत प्रतिज्ञा पर अटल रहे । वह अपनी पूर्वग्रहीत प्रतिज्ञानुसार दूसरों के द्वारा लाए हुए आहार पानी को स्वीकार न करे अर्थात् जंघाबल या शरीरबल क्षीण हो जाने पर आहार-पानी का त्याग कर समाधिमरण द्वारा प्राणों का विसर्जन कर दे किन्तु प्रतिज्ञा का भंग न करें। इस प्रकार उक्त प्रतिज्ञाधारी भिक्ष तीर्थंकरों द्वारा प्ररूपित धर्म के स्वरूप को सम्यक् रूप से जानता हआ शान्त, विरत और प्रशस्त लेश्या (विचार धारा ) में समाहित आत्मा वाला बने । वह ग्लान भिक्षु प्रतिज्ञा का पालन करता हुआ यदि उस भक्त-प्रत्याख्यान में प्राण-विसर्जन करता है तो उसकी वह काल-मृत्यु होती है। उस मृत्यु से वह अन्तक्रिया (पूर्ण कर्म क्षय) करने वाला होता है। वह मृत्यु-मोह से मुक्त भिक्षुओं का आयतन, हितकर, सुखकर, कल्याणकर और भविष्य में साथ चलनेवाली होती है ।२४६ क्रम-प्राप्त संलेखना काल पूर्ण होने के बाद या ग्लान होने पर भिक्षु गाँव अथवा अरण्य-जहाँ भी स्थित हो वहाँ स्थण्डिल भूमि को सम्यक् रूप से प्रतिलेखन व प्रमार्जन करे। तदनन्तर उस निर्दोष भूमि में घास का संस्तारक करे । फिर वह उस तृण-शय्या पर बैठकर तथा जल वर्जित या जल सहित चारों आहार का त्याग कर शान्त भाव से लेट जाए। उस स्थिति में परीषह आने पर उन्हें सहन करे ।२४७ भक्तपान में सावधानियां : (१) मनुष्यकृत अनुकूल-प्रतिकूल उपसर्गों से स्पृष्ट होने पर भी मर्यादा का अतिक्रमण न किया जाय । (२) परीषहों के उपस्थित होने पर यह चिन्तन किया जाय कि ये प्राणी मेरे शरीर का हनन कर रहे हैं ( मेरी आत्मा का हनन नहीं कर रहे हैं ) उनसे संत्रस्त होकर उस स्थान से विचलित न हो अर्थात् स्थान न बदले। (३) आस्रवों से पृथक् हो जाने के कारण तृप्ति का अनुभव करता हुआ उन्हें समभावपूर्वक सहन करे। (४) संसपर्ण करने वाली (चींटी आदि ) आकाशचारी जीव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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