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तीन
विज्ञान क्यो और कैसे मानव जी मुखावेषण वृत्ति का परिणाम हो विनान है। इसके प्राविप्पारन नूतनत्व के कारण मनुष्य को भूल-भुलैया मे डाल दिया है। यह यह मोचन की स्थिति म नहीं है कि वास्तविक सुख वहां और क्सिमे है ? क्योरि अतीत में उन दिना के विनान की परिमापा के अनुसार जोबनानिक प्राविष्कार होते थे उनका उपभोग आज के समान जन माधारण न करपाना था, जब पि प्राज एक वैज्ञानिक की साधना के परिणाम से विश्व के मानव न केवल प्रभावित ही होते हैं, अपितु, उससे लाभान्वित होकर दैनिक जीवन को समुचित पावश्यकतामा की पूर्ति भी सरलतापूवर कर सकते हैं। प्राचाय हेमचन्द्र भूरि ने विज्ञान कामणे शाने।' मत्रिय ज्ञान (Practical Knowledge) का ही विज्ञान कहा है।
जिस पान के द्वारा मनुष्य को प्रत्यक्ष काय करते हुए नपुण्य प्राप्त हो, वही विनान है । भौतिर विनान की दप्टि में प्रतिम तथ्य के रूप में माना जाने वाला प्रत्यक्ष दाशनिक प्रत्यक्ष मे भिन होता है, अर्थान् पोद्गलिक शारित और उसके पर्याया का पूण मान तव तव गम्भव नहीं है जब तक कि मनुप्य नान की समस्त शाखामा के प्रकाश का प्राप्त नहीं कर लेता है। बमानिक प्रत्यक्ष सीमित है और ज्ञान प्रभा से पालोपित प्रत्यक्ष अमीमित है। मान प्रना में से एक की ओर ले जाता है तो विनान एन मे मे अनय की पोर। मानप्राध्यात्मिा अहिंसामूला पिन वा प्रतिनिधि है तो विनान भौतिय "क्ति का प्रतीक है। आध्यात्मिा जीवन विनाम के लिए मान को नितान्त प्रायश्यकता है ता भौति गुख-समृद्धि और वभव की प्राप्ति के लिा विनान उपादय है। विज्ञान पयार
मारव जीवन मत्या वपण की एक बहुत बही प्रयागशाना है। इगये