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आधुनिक विज्ञान और अहिंसा
जहाँ से वह गुजरेगा उस देश के सभी तार कुछ ही क्षणों मे एकत्र कर स्वयं वितरित कर देगा। विश्व की तार व्यवस्था को बनाये रखने के लिए इस प्रकार के छह बालचन्द्र काफी होगे। यदि इन तारो के लिए प्रति शब्द एक पैसा भी लिया जाय तो सारे संसार के तारों की कुल आय से अतरिक्ष यात्रा, यहाँ तक कि मंगल ग्रह एवं चन्द्रलोक की यात्रा का पूर्ण व्यय प्राप्त हो जाएगा।
वर्तमान राकेट चन्द्रलोक का चक्कर लगाकर यदि पुन. लौटे तो इसकी गति प्रति घण्टा 23900 मील होनी चाहिए। गति के अतिरिक्त मानव शरीर की सहन शक्ति, क्षमता, ऊष्मा-गति-सहन-योग्यता, गागनीय उल्कानो से बिंध जाने का और अन्तरिक्ष किरणो से शक्ति क्षीणता का भय आदि अनेक वाधाएँ मानव के समक्ष मुंह वाये खड़ी हैं । साथ ही चन्द्रलोक मे खाद्याभाव है, वापस लौटना भी समस्या ही है। इन सब बातो ते एक विचार तो मानव पटल पर अंकित हो ही जाता है कि विज्ञान का यह विकास निर्माण या विनाश दोनो मे से कुछ न कुछ करके ही रहेगा, क्योकि विज्ञान के उच्छ्वासो ने स्वय उसे संकट में डाल रखा है ।