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विर-शाति के अस्मिात्मा उपाय ही राष्ट्रों की समझ म प्राया, प्रत्युत ये अनुभव करन लादि वस्तुन यह भारतीय नीनि यथार्थवादी व न्यायपूर्ण है। स्मरण रहे रि विमी समय राष्ट्र उघ म भारत माती-मा प्रतीत होता था पर आज इसके प्रतिनिधिया या गप्दमघ म अत्यधिक सम्मान है पोर सुरक्षा परिषद का प्रतिनिधि पद भी प्राप्त है। 1919 म परिम में हुई राष्ट्र उप महासभा म १० नहरू पाययोचिन सम्मान, अभिनापण द्वारा पिया गया था। उनसरी प्रमरिती यात्रा द्वारा वहुत-सो गवाएँ निर्मूल हो गई री । तत्पश्चात गुनी विजया समीपटिन सोराप्ट मय की महाममा राप्रपान पद भी प्राप्त हुापा। इन मय की पृष्ठभूमि भारत की शान्तिवादी नीति थी। जब शारिया में गष्ट्र उघ की गनाया न 8 वी समानान्तर रेमापार युद्ध जारी रखने राविचार किया तब भी नहरू जीन न केवल भारत पीआर म इस रास्न पा मफत प्रयान ही पिया अपितु युद्ध पनीने पश्चात युद्ध दिया की पारसी के समय को भी भारत ने ही मम्हाला पा । इडानशिया इनवीन काह-युद्ध विराम, भारत के ही प्रयास या परिणाम या । लान तीन को मा यता न देने का अधिक प्रचार ममरिका की पार से पिय जार पर प० नहरून नीन रे ममथन में अपना दड़ मतव्य व्यक्त करत हुए अमेरिका की नीशिरा भी गण्डन पिया था, गरि वे नहीं चाहते थे कि लाल चीन पो राष्ट्रमपीय मदस्यता गे रचित रसा जाय पोर अव दो रूम और चान अपनी उप्र नीतिको परित्यक्त किये हुए हैं। परिचित दोना दा अधिराधिक नामोप्प म्यापित पर राष्ट्र मम म सम्मिलित हो गये ता तनापूण स्थिनि मरिचित स्थिरता प्रासाती है। मग तो यह गौरव प्राप्त है ही,पर पान नी जापा का दात हुए उसरा राप्दाप म सम्मिलित पिया जाना पारन वानीर है। परराष्ट्रा भी यही पामना को जानी चाहिए कि यमयुत राष्ट्र में पासिनता पाना ममपिशाचिन रात्रिय माग द । पचीस
र राष्ट्रप नातिनागी गदार प्रयाना का हापरिणाा है। पर अनुभाग मास राता है िमहान् प्रनारी किए र पा सम्बन हो यान ही हाना गहना राय कपमारहे। जपता मानयती मोरिन मनाति मोर TRभारनापमानामात्र रेशममार