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सामूहिक हिंसा के अभिनव प्रयोग
किया जाएगा। इससे उस भाई का भी हृदय परिवर्तन हो जाएगा और वह सही रास्ते पर या जाएगा। इस प्रकार एक गाँव मे परिस्थिति परिवर्तन होने पर कई गाँवो पर उसका असर होगा और अन्तत सम्पूर्ण प्रदेश को फिजों ही बदल जाएगी ।
इस पद्धति से सारे समाज और राष्ट्र में, यहा तब पि अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी परिस्थिति परिवर्तन लाया जा सकता है ।
घर मे थोडी गटपट होती है तो क्या उसके निपटारे के लिए यायालय वी शरण ली जाती है ? परिवार के गुत्थियाँ उण्डो से नही सुलभाई जाती और न बावचात मे अदालत के द्वार खटखटाय जाते हैं । तो जिस प्रकार परिवार की उलभनो को सुलझाने के लिए अहिंसात्मक प्रयोग विये जाते हैं, वस ही ग्राम, नगर, प्राप्त और राष्ट, समाज एव विश्व यो समस्याग्रो ये समाधान के लिए भी किया जा सकता है |
भाज अन्तर्राष्ट्रीय विवाद तक सुलभान म अहिमन प्रयोग सफल हो गया है । सयुक्त राष्ट मघ इसका जीता जागता प्रमाण है, जिसने कई विवाद प्रापणी समभीते से निपटाये हैं ।
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अतएव विवाद, सघप, बलह और कोई भी समस्या सुनभाने के लिए सर्व प्रथम कदम है— समभाना, बुभाना, पास बठकर वार्तालाप करना । इस प्रकार पारस्परिक समझौता हो जान से दो वद लाभ होते हैं। प्रथम, यह कि विवाद की परम्परा प्राग नही बढती, जिससे मानसिक हिंसा से बचाव हो जाता है, दानो पा में श्रान्तरिय शान्ति हो जाती है। दूसरे, गुपदम बाजी में होनवाली हैरानी, परेशानी और फिजूल खर्ची से मनुष्य वच जाता है ।
इस भाग का मदम है-मध्यस्थ या पच वा निर्वाचन | अगर पारस्परिय यातनाप और समझौते ने मामला न सुलभता हो ता निष्पक्ष और सदा पचा को नियुक्ति की जानी चाहिए और उगवा निर्णय दाना पता को मान्य होना चाहिए। नान्य यह है कि व्यक्ति-व्यक्ति बीच, व्यक्ति और समाज के बीच इसी प्रकार राष्ट राष्ट्र के बीच मी भी विषय मकाई भी वह विवाद यागधप उपस्थित हान पर महिमात्मव प्रयोगास लाभ उठाना चाहिए।