Book Title: Aadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Author(s): Ganeshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 134
________________ अहिमर प्रयोग के हेतु धम और विज्ञान म सामजस्य हो 137 चिंतन विस्तत किया । सक्रिय विचार खोर तक पाया, स्वाभाविक स्वा स्थ्य योवर चिक्सिा पद्धति पाई । नैतिकता खाकर चातुय पाया। प्रेम सोकर स्वाथ परायण वत्ति पनपाई । तापर्य यह कि इस एकानी भौतिक प्रगति से मनुष्य घाट म ही रहा।

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