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श्रठारह
विज्ञान पर एक तटस्थ चिन्तन
वर्तमान युग को विज्ञान का युग कहकर ग्रभिहित किया जाता है । विमान ने मानव के समक्ष ज्ञान का असीम क्षेत्र उन्मुक्त कर दिया है । मावन इम विराट भ्रमण्डल से ही परिचित नही है अपितु विज्ञान के जातिवारी चरणों से गाानीय भूगभ और सामुद्रिक आदि क्षेत्रा का भी सूक्ष्मता से परिशीलन कर चुका है । विज्ञान की यह कूच वहाँ जाकर ठहरेगी, यह महान् स महान भविष्य उदघाटक भी नही कह सकता ।
इस बजानिक जगत में कोई भी देग या राष्ट्र अपना जीवन सम्मान व सुख समद्धि मूलक निताना चाहे तो यह विज्ञान की उपेक्षा नही कर सकता । विमान उसके लिए अनिवार्य है । प्रधान मंत्री नेहरू विज्ञान की प्रावश्यकता पर घपना महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहते हैं--Life today is governed and conditioned by the off shoots of science and it is very difficult to imagine existence with out them प्रर्थात् " प्राज का जीवन विमान के साधना द्वारा संचालित एव प्रभावित होता है । उनके बिना जीवित रहने के लिए सोचना ही कठिन है ।"
बात यह है कि विज्ञान ने मानवजाति के लिए क्या नही किया ? उसन भूमे वो भोजन, नगे का वस्त्र, दुखी वो प्रसन्नता और धनो को विनासिता प्रदान की है। इस दृष्टि से विज्ञान हमारे लिए सुख-सुविधात्रा के पोप की कुजी है। एक विचारा का तो कथन है कि "विज्ञान न जीवन मरण को कुजी ही प्राप्त करली है ।" Science has discovered the keys of life and death "विमान बीमवी सदी का ईश्वर है ।" Science is the God of 20th Century वस्तुत विधान की इस उन्नतिगील त्रियाया विश्व स्वय श्राश्चर्यावत है ।