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प्राधुनिक विज्ञान और हिंसा
जेनेवा मे लीग ग्रॉफ नेशन्स 'राष्ट्र मघ' की स्थापना की। ताकि भविष्य मे पारस्परिक युद्ध न हो और मिल-जुलकर आपसी वैमनस्य का निर्णय वार्तालाप द्वारा हो । पर यह संस्था अधिक समय तक जीवित न रह सकी । प्रथम महायुद्ध के पश्चात् जर्मनी जैसे कतिपय राष्ट्रों से अन्यायपूर्ण व्यवहार होने के कारण उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ ऐसे व्यक्तियो का प्रादुर्भाव हुआ जिन्होने 'लीग ग्राफ नेशन्स' की स्पष्ट अवहेलना प्रारम्भ कर दी। लीग यो भी कोई शक्तिशाली सस्था तो थी नहीं जो उपद्रवियों पर साधिकार नियंत्रण करती । इटली ने एवीसीनिया पर आक्रमण किया और लीग देखती रह गई । जर्मनी द्वारा छोटे-छोटे राष्ट्रो को हड़पते देखकर लीग की स्थापना के ठीक 20 वर्ष बाद 1939 मे द्वितीय महासमर प्रारम्भ हो गया। इसमे जर्मनी, जापान और इटली एक तरफ ये और रूस, अमेरिका इग्लैण्ड तथा फास दूसरी योर थे । युद्ध-ज्वाला ससार मे फैल गई। भीषण नर सहार हुया । युद्ध की समाप्ति के कुछ समय पूर्व 57 विजेता राष्ट्रो ने भविष्य में इस प्रकार की संहारात्मक कार्रवाही रोकने के लिए 26 जून, 1945 में अमेरिका के सानकासिसको सम्मेलन मे संयुक्त राष्ट्र संघ की नीव पड़ी । मानव दुखानुभूति से अभिभूत था । अत सावधान था कि 'लीग ऑफ नेशन्स' की त्रुटियाँ इसमे कही न रह जाएँ ।
संयुक्त राष्ट्र सघ दो विभागो मे विभक्त है—
1. सुरक्षा परिषद् 1 2 महासभा
चीन, रूस, इंग्लैण्ड, अमेरिका और फ्रांस सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य बने । जिसका स्वरूप लोकतन्त्रात्मिक सरकार के समान बनाया गया । इसमे अन्य सभी देशो से 6 ग्रस्यायी सदस्य प्रति दो वर्ष के वाद महासभा द्वारा चुने जाते है । इस प्रकार 11 सदस्यों की यह समिति है | वर्तमान मे सदस्यों की राज्यो सख्या 100 है । केवल लोक-गणराज्य चान और उत्तरी कोरिया को अभी तक मान्यता प्राप्त नही है । इन पक्तियों को लिखते समय हेमरशोल्ड की मृत्यु के वाद संयुक्त राष्ट्रसघ की समिति एक प्रस्ताव आया है कि चीन को भी इसका सदस्य वनाया जाय ।
सुरक्षापरिषद् के स्थायी सदस्यों को विशेषाधिकार प्राप्त है। जिसका अभिप्राय है कि प्रत्येक निर्णय पर पांचों की सहमति आवश्यक है। किसी
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