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तेरह
विज्ञान द्वारा सुख-समृद्धि "विनान मानव को मानव के निकट लाने का तथा मानव के लिए सम्पूर्ण सुख सामग्री जुटाने का एक चमत्कारपूर्ण प्रयत्न है । जो इसके विरुद्ध आचरण करता है वह विज्ञान को समझता ही नहीं।"
-आइन्स्टाइन अनेक प्रागंकाओं के बावजूद आज मानवीय दृष्टिकोण विज्ञान के प्रति अागान्वित है। क्योकि इन्द्रिय सम्भूत सुखोपलब्धि के समन साधन वह जुटाता है । अतीत मे सम्राटो के लिए भी दुर्लभ साधन आज अकिंचनो के लिए भी सर्व सुलभ हो चले है। विज्ञान की चमत्कृतियाँ अद्भुत है। टेलीविजन कोही लीजिए, हजारों मील दूर होने वाली प्रत्येक प्रक्रिया को जहाँ कही भी, वैज्ञानिक साधन उपलब्ध है, बैठकर देख सकते हैं । औद्योगिक सस्थान का व्यवस्थापक अपने कमरे से ही सस्थान की कार्यवाही का निरीक्षण कर सकता है। हीटर का 'प्लग' लगाते ही आपको गर्म-गर्म पानी तत्काल मिल जाता है।
आटा पीसने के लिए विज्ञान ने आपको पवन चक्कियाँ या कल चक्कियाँ प्रदान की है।
पानी दूर से ढोकर लाने की दिक्कत नही करनी पड़ती है। नल खोलते ही गंगा-यमुना की विमल जल-धारा आपको नहला देती है।
आप गर्मी से घवरा रहे है । बस, वटन दवाने की ही देर है, पखा फरफर हवा करके आपको शान्ति प्रदान कर देगा।
भोजन बनाने के लिए धुएँ मे अॉखो को कप्ट देने की आवश्यकता नहीं रही-फूंका-फूंकी नही करनी है। 'कुकर' मे खाद्य सामग्नी डालते ही रसोई आसानी से तैयार हो जाती है।
विविध विपयक ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यार्थी को कागजों पर हाथ से लिखने और नकल करने की जरूरत नहीं। सौ, दो सौ या हजार पृष्ठो की