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विनान के नये उच्छवास
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लार टन बारूद के समान है और दस लाख टन वारूद की शक्ति एक मगाटन के समान है । कहा जाता है विगत दा महायुद्धो में भी इतने वारूद का व्यय नहीं हुअा होगा जिसका मूल्य लगभग बीस अरव रूपए होते है। एक बात और है, वारूद से तो हवा का वेग और अग्नि विस्फोट ही होता है जबकि उदजन बम में इन दोना के अतिरिक्त रेडियो एक्टीविटी-एक तीसरी शक्ति होती है जो विनाशकारी तत्त्वो को फेंकती है। दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् प्रावित होने में अभी तक इसका युद्ध भूमि में प्रयोग नहीं इया । सम्पूण सृष्टि विनाश के लिए एमे दो चार नम ही पर्याप्त हैं।
इस वम का सन् 1953 म सवप्रथम पता चला जब रूम में एक भयकर पिस्फाट हुअा था। अमेरिका की मान्यता है यह उन्जन वम ही था। अब तो दग्नण्ड और अमेरिका ने भी इसका आविष्कार कर लिया है। 1951 म प्रशान्त महासागर के निपटस्थ द्वीप पर अमेरिका ने इसका प्रथम परीक्षण दिया था जिससे सारा भूभाग नष्ट हो गया। परीक्षण अत्यत गोपनीय था । वहा जाता है इस विस्फोट के कुछ ही क्षणा चाद धुएं की लपट नाले एव सफेद बादल के रूप म चालीस हजार फुट की ऊंचाई तक पहुँच गइ । ये वादल दस मील ऊँचे तया सौ मील में व्याप्त हो गए। इस रम की अत्यन्त भयवरता कापता तव लगाजन इसातीसरापरीक्षण विपिनी बीप में 1 जुलाई, 1956 को दिया गया। एक प्रत्यक्षदर्शी सवाददाना ने इन शब्द म अपना अनुभव व्यक्त किया है---
__ "रानिके अधिकार में अठारह मोल पर एक आल्पिन के भाकार का जालिमा लिये हुए पीला प्रकाश दिसाई पडा। यह परमाणु बम के विम्फोट की पहनी ज्वाला थी, जो धीरे धीरे बढती और फलती एक महान् यप गोल के रूप में परिणत हो गई। प्लूटोनियम के परमाणु टूट टूट कर के यह दृश्य उपस्तित पर रहे । यह सब कुछ एक मक्ण्डि के दस लारात्रं हिस्स म हा गया। महान् अध गोला को ज्वाला फूटती ऊपर की ओर बढती गई । जसो मुण्ड में परमाणु बम का विशेष चिन्ह मवसन जना सफेद एक महान् छनप निकला। चक्कर काटते बादला वेदोरो पर चित्र विचित्र रग दिखलाई पड रह य-यह लाल, पीले और नारीरा सभी जगह एक दूसरे से मिति हाते सदा बदलते