Book Title: Hastlikhit Granth Suchi Part 02
Author(s): Gopalnarayan Bahura
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ r i. .. ... ... .. . राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला ..... प्रधान सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि [सम्मान्य सञ्चालक, राजस्थान पाच्यविधा पतिष्ठान, जोधपुर ] .' ग्रन्थाङ्क ५१ • राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची भाग २ .. भाग २. .. - प्रकाशक राजस्थान राज्य संस्थापित ..... राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान ..... RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR जोधपुर ( राजस्थान) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला . राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यत: अखिल भारतीय तथा विशेषत: राजस्थानदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भापानिबद्ध विविध वाङ्मयप्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि प्रधान सम्पादक पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि [ ऑनरेरि मेम्वर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ] सम्मान्य सदस्य भाण्डारकर प्राच्यविद्या संशोधन मन्दिर, पूना; गुजरात साहित्य-सभा, अहमदावाद; विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध-संस्थान, होशियारपुर; निवृत्त सम्मान्य नियामक ( आनरेरि डायरेक्टर ), भारतीय विद्याभवन, बम्बई ग्रन्थाङ्क ५१ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची भाग २ प्रकाशक राजस्थान राज्याज्ञानुसार सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान .. जोधपुर ( राजस्थान ) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर CTERIAL हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची . भाग २ सम्पादक श्री गोपालनारायण बहुरा, एम. ए. उप सञ्चालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर. प्रकाशनकर्ता राजस्थान राज्याज्ञानुसार सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुर ( राजस्थान ) विक्रमाब्द २०१७) प्रथमावृत्ति ५०० (ख्रिस्ताब्द १९६० भारत राष्ट्रीय शकाब्द १८८२ । - ( मूल्य १२.०० मुद्रक-श्री हरिप्रसाद पारीक, साधना प्रेस, जोधपुर । Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RAJASTHAN PURATANA GRANTHMALA PUBLISHED BY THE GOVERNMENT OF RAJASTHAN A series devoted to the Publication of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa, Old Rajasthani-Gujarati and Old Hindi works pertaining to India in general and Rajasthan in particular. GENERAL EDITOR JINA VIJAYA MUNI, PURATATTVACHARYA . Honorary Member of the German Oriental Society, Germany; Bhandarkar Oriental Research Institute, Poona; Vishveshyrananda Vaidic Research Institute, Hosiyarpur, (Punjab); Gujrat Sahitya Sabha, Ahemdabad; Retired Honorary Director, Bharatiya Vidya Bhawan, Bombay; General Editor, Gujarat Puratattva Mandir Granthavali; Bharatiya Vidya Series; Sinhghi Jain Series etc. etc. No. 51 A CLASSIFIED LIST OF MANUSCRIPTS IN THE RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE JODHPUR Pt: 2. Published Under the Orders of the Government of Rajasthan By Director, Rajasthana Prachya Vidya Pratisthana ( Rajasthan Oriental Research Institute ) . JODHPUR (RAJASTHAN) V.S. 2017 ] All Rights Reserved [ 1960 AD. Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सञ्चालकीय वक्तव्य .. प्रस्तुत सूची राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुरमें अप्रैल सन् १९५६ ई० से मार्च सन् १९५८ ई० तक संग्रहीत ३८.५५ हस्तलिखित ग्रन्थोंकी है । मार्च सन् १९५६ तक संगृहीत ४००० ग्रन्थोंकी सूची भाग १ के रूपमें प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही. मार्च सन् १९५८ तक संग्रहीत राजस्थानी ग्रन्थोंकी सची भी राजस्थानी ग्रन्थ सूची, भाग १. के. नामसे पृथक प्रकाशित की जा चुकी है । .. ग्रन्थोंका वर्गीकरण और. विषयनिर्धारण ये दोनों ही कठिन एवं समयसापेक्ष्य कार्य हैं। हमारा विचार था कि राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानमें संग्रहीत ग्रन्थोंका वर्गीकृत और सविवरण सूचीपत्र तैयार कराकर विज्ञजनोंके सामने लाया जाय, किन्तु ग्रन्थोंकी संख्या दिनों-दिन बढ़ती रही और आगन्तुक विद्वानों एवं अनुसंधित्सुनों का, सामग्रीकी उपयोगिताकी दृष्टिमें रखते हुए, यह अनुरोध रहा कि संगृहीत सामग्रीका कोई न कोई रूप जल्दी से जल्दी ... सामने आ जाना चाहिए। एतदर्थ यथासाध्य उपकरणोंको जुटा कर विभागीय . कर्मचारियों द्वारा थोड़े से थोड़े समयमें मोटे तौर पर वर्गीकरण एवं विषयविभाजन कराकर ये सूचियाँ वार्षिक सूचिकाके रूपमें प्रकाशित की जा रही हैं। आगे विवरणादि तैयार करनेका कार्यक्रम भी हमारे सामने है और राजस्थानी सचित्र ग्रन्थोंके सूचीपत्रका काम इस दिशामें श्रीगणेश करनेके लिए हाथ में लिया गया है। इस प्रकार हमारे सूची-प्रकाशन कार्यक्रममें एक तो संग्रहीत.. ग्रन्थोंकी सूची और दूसरी विवरणात्मक सूचियाँ यथावसर निकलती रहेंगी। ... प्रस्तुत ग्रन्थ-सूची, भाग २, का स्वरूप यद्यपि प्रथम भागके बहुत कुछ अनु रूप रखा गया है, फिर भी इसमें अावश्यकतानुसार कुछ परिवर्तन किये गये हैं। यथा भाषाका कोष्ठक कम करके हिन्दी एवं राजस्थानी ग्रन्थोंके पृथक विषय बना दिये गये हैं जिससे सुविधानुसार इन दोनों भाषाओंके ग्रन्थोंकी जानकारी मिल सके। विशेष उल्लेखनीय के कोष्ठकमें रचनाकाल, लिपिस्थान, लिपिकर्ता, ग्रन्थदशा और विषय-स्पष्टीकरणका संक्षिप्त संसूचन किया गया है। इसके अतिरिक्त परिशिष्ट १ में कुछ विशिष्ट ग्रन्थोंके आद्यन्त अंश अविकल रूपमें उद्धत कर दिये गये हैं। साथ ही ग्रन्थके विषयमें यदि कोई विशेष सूचना प्राप्त हुई है तो वह भी समाविष्ट कर दी गई है। तात्पर्य यह है कि .' ग्रन्थके स्वरूप एवं दशाको समझनेके लिए संक्षिप्त रूपमें जानकारी देनेका यथाशक्य प्रयास किया गया है। परिशिष्ट २ में ग्रन्थकर्ता-नामानुक्रमणिका दी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २ ) गई है। स्पष्ट है कि इन दोनों ही सूचियोंमें बहुतसे ग्रन्थ एवं ग्रन्थकारोंके, नाम अद्यावधि अन्यान्य संस्थानोंमें प्रकाशित ग्रन्थसूचियोंमें, विशेषतः राजस्थानी ग्रन्थ-सूचियोंमें नहीं पाये जाते हैं, जो अद्यतन अनुसंधित्सु विद्वानोंके लिए विशेष आवश्यक एवं उपयोगी हैं। प्रतिष्ठानकी वर्द्धमान प्रगतिको देखते हुए यह भी उचित समझा गया है कि राज्यमें ततत् स्थानों पर उपलब्ध हस्तलिखित ग्रन्थ-संग्रहोंको भी इसी विभागके आयत कर दिया जावे। तदनुसार इन्द्रगढ़ पोथीखानेके २०६ ग्रन्थ प्रतिष्ठानमें प्राप्त हए हैं जिनकी सूची इसी भागके परिशिष्ट ३ में प्रकाशित की जा रही है। भविष्यमें भी ऐसे प्राप्त होने वाले सरकारी एवं व्यक्तिगत संग्रहोंकी सूचियाँ प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित की जावेंगी। इस सूची में समाविष्ट ग्रन्थोंके अाक्रमांक विशिष्ट परिचयान्त परिचय.पत्रक सन् १९५८ के नवम्बर मासमें ही श्री गोपालनारायण वहुरा एवं श्री लक्ष्मीनारायण गोस्वामी द्वारा भरे जा चुके थे, परन्तु दिसम्बर १६५८ में प्रतिष्ठानका स्थानान्तरण जोधपुरमें हो गया । यहाँ आकर व्यवस्था आदि करने में ५-६ मासका समय लगा । तदनतर पुन: जांच आदि करके प्रेस कापियाँ तैयार की गई और मुद्रण चालू करवाया गया। इस पुस्तक का सम्पादन हमारे निर्देशन में विभाग के उप संचालक श्री गोपालनारायण बहुराने किया तथा परिचय पत्रकांकन, प्रेस कॉपी लेखन, नामानुक्रमणिका और परिशिष्टादि संकलन और प्रूफ-संशोधनादि कार्य में सर्व श्री पुरुषोत्तमलाल मेनारिया, लक्ष्मीनारायण गोस्वामी, रमानन्द सारस्वत, स्वर्गीय विश्वेश्वरदत्त द्विवेदी प्रभतिने भो यथेष्ट सहयोग दिया। आशा है, इस प्रकाशनसे विद्वज्जन एवं पुरासाहित्यानुसंधित्सु लाभान्वित . होंगे। राज० प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, ) - जोधपुर दि० २६-७-६० मुनि जिनविजय सम्मान्य सञ्चालक Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची भाग २ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-तालिका विषय कृतियाँ पृष्ठ संध्या १७१ २४. १ स्तुतिस्तोत्रादि २६० १-१४. २ वैदिक १५-२० ३ कर्मकाण्ड १७६ २१-३० ४ तन्त्रमन्त्रादि १३१ ३१-३८ ५ धर्मशास्त्र ११३ ३६ ४६ ६ पुराण-कथा-माहात्म्यादि ४७-५७ ७ वेदान्त २२६ ५८-६६ न्याय-दर्शन ५६ ७०-७२ ६ व्याकरण १६६ १० कोष ८२-८४ ११ ज्योतिष ६२३ ८५-१२१ १२ छन्दःशास्त्र १२२-१२३ १३ संगीतशास्त्र १२४ १४ कामशास्त्र १२५ १५ काव्य-नाटक-चम्पू . २३३ १२६-१४० १६ रसालङ्कारादि १४१-१४३ १७ सुभाषितादि १४४-१४८ १८ कथा-चरित्र-आख्यानादि १४६-१५३ १६ आयुर्वेद १४२ १५४-१६१ २० राजस्थानीग्रन्थ ७९८ १६२-२०५ २१ हिन्दीग्रन्थ ५४८ २०६-२३६ २२ जैनस्तोत्र १४६ २३७-२४५ २३ जैनागम १८१ २४६-२५६ २४ जैनप्रकरण २६०-२७१ २५ प्रकीर्णग्रन्थ २७२-२७४ परिशिष्ट १ [कतिपय ग्रन्थों का विशेष परिचय] २७५-३२६ परिशिष्ट २ [ग्रन्थकारनामानुक्रमणिका] ३३०-३४६ परिशिष्ट ३ [इन्द्रगढ़ पोथीखानेसे प्राप्त हस्तलिखित ग्रन्थोंकी सूची] ३४७-३६१ mour १७१ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातस्वान्वेषस मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १ स्तुतिस्तोत्रादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क १ ७७५८ २४५०३ (१) २ ७६६८ ४ ६६५२ y ६ ७ ५ S १० ११ १२ .१३ १४ १५ ग्रन्थाङ्क १६ ४४६७ ५०५७ ६७८५ ४५१३ ६०७४ अग्निहोत्रपञ्चाग्निस्तोत्र अपराजिता विद्या ( रुद्रगीता ) अपराधनिरसन स्तोत्र अपराधसुन्दरस्तोत्र सटीक ४४७७ " " ५४३८ ( ६ ) अष्टाविंशति नाम ४२३४ अहल्यास्तोत्र ४२५४ ४३७० ४५१२ ५०५२ ग्रन्थ नाम अपामार्जन स्तोत्र अज्ञानविमोचनस्तोत्र श्रादित्यहृदयस्तोत्र ( द्वादशावरण) श्रादित्यहृदयस्तोत्र "" " आनन्दलहरी श्रापदुद्धारबटुकभैरव कवच स्तोत्र ( अष्टोत्तरशतनाम ) प्रालवन्दारस्तोत्र सटीक त्रिपाठ अध्यात्मरामायणगत नन्दिपुराणगत भविष्योत्तरपुराणगत भविष्योत्तरपुराणोक्त विष्णुधर्मोत्तर तृतीयकाण्डगत पद्मपुराणोक्त १८६० शङ्कराचार्य (टी. रामानन्दभिक्षु | १७६७ रामेन्द्र वनशिष्य ) विष्णुरहस्योक्त ( दालभ्य पुलस्त्यसंवाद ) विष्णुधर्मोत्तरे विष्णुरहस्योक्त भगवदुक्त " " लिपि समय शङ्कराचार्य रुद्रयामले भैरवतन्त्रोक्त यामुनाचार्य १८२७ १८वीं श. १८०२ १६वीं श. १८६० १८वीं श. १६वीं श. १८२० १६वीं श. १८६५ १६२३ १६०८ १८०३ १८२८ पत्र संख्या ११ १-६ २ ir ५ १० ६६-६७ ६ ३ ११ २५ १६ १८ २ १३ विशेष उल्लेखनीय लि. क. - वैष्णव नृसिंहदास गढ़ बघणोर मध्ये लि. क. - रामनारायण लि. क. - परमानन्द लि. क. - दवे सदाशिव ** लि. क. - गंगाधर लि. क. - जोशी पन्नालाल सवाई जयपुरमध्ये लि. क. - दवे सदाशिव Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १. स्तुतिस्तोत्रादि | कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमांक ग्रन्थाक १७ १५ १६ २० २१ ६२४३ ६५४७ ७५८२ ६३७९ ४६०४ २२ २३ २४ ५६४७ ५४४८ ५७०३ २५ ५७६० २६ ५८१७ २७ ५१६२ २८ ६२८० (२) २० ७६१६ ३० ४२३६ ३१ ३२ ३३ ३४ ग्रन्थ नाम श्रालवन्दारस्तोत्र सटीक " "1 "" इन्द्राक्षी स्तोत्र ( १ ) एकश्लोकी भागवत (२) महाभारत (३) दुर्गा ( ४ ) सप्तश्लोकी गीता "1 कर्पूरस्तवराज सटीक कार्त्तवीर्यार्जुन कवच कालिका-कवच कालिकाखङ्गमाला स्तोत्र कालीसहस्रनाम काशमङ्गल स्तोत्र कृष्णकरुणामृत कृष्णस्तवराज कौसल्या स्तोत्र ४२३१ गंगालहरी ५४२० ( २ ) गंगालहरी ( सटीक ) ५५६६ ६०५८ गंगालहरी बालबोधिनी टीकासहित गंगालहरी टीका यामुनाचार्य " " महाकालसंहितोपत अमरतन्त्रोक्त तन्त्रोक्त महाकालसंहितान्तर्गत श्रीशंकराचार्य लीलाशुक अध्यात्म रामायणान्तर्गत जगन्नाथ भट्ट जगन्नाथ, टी. वलदेव टी. दलपतिराम टी. चतुर्भुज मिश्र लिपि समय १८२६ १६वीं श. १८७८ १८वीं श १४वीं श. "1 १६१२ १६वीं श १८वीं श. १६वीं श १६०६ १६वीं श १८वीं श. १६वीं श. १६वीं श. "1 १६०६ पत्र संख्या १८ . १४ १८ ५. ६६ से ६६ १२ ३८ ३० २७ ४८-६५ F ३२ ५.८ विशेष उल्लेखनीय प्रथम पत्र प्राप्त ७- १६ लि.क. पुजारी हरदेवदास, गोविदगढ़ १० ! ४ लि.क. - व्रजवासी, अलवर हिन्दी टीका सहित लि. क. - सालग्राम Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १. स्तुतिस्तोत्रादि ] - - | लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्तामादि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम नारायण भट्ट ब्राह्मवैवर्तपुराणगत . महाभारतोक्त mr mar ३५ गंगास्तोत्र ६६३६ ३७ ४२६६ गजेन्द्रमोक्ष ३८ ५२८४ । ४५०६ ४४५२ (३८) गणपतिस्तोत्र ४१ ४६७० । गायत्रीसहस्रनाम १८वीं श. १८५१ १८वीं श. १९वीं श. १८३६ १८वीं श. १८१२ ४० रुद्रयामलोक्त गीता पञ्चरत्न सचित्र | ५४५६ ५५०८ ५८१८ ७१७४ ४५०८ ७६२६ । ७१४८ १८वीं श. १८३० १८७४ १८वीं श. १८१६ १९वीं श. ४१ लि. क.-पं० प्रीतसौभाग्य लि.क.-महात्मा नाथूराम शिवपुरीमध्ये २१६ चित्र संख्या ५ ३६० १६२ गुटका चित्र संख्या ५१ ५ लि.क.-भीकमजी सचित्र " गुरुगीता स्कन्दपुराणोत्तरखण्डोक्त गुरुपादुकास्मृति गुरुस्मरणाष्टक गोपालविंशति ० له ४० २ गोपालविद्यार्थिना लिखितं नेतरामजी कृते ४६-६४ به ५० ५२०५ (१४) गोपिकागीत (रासपंचाध्यायो) । ४२६१ गोपीनाथाष्टक ४५०५ गोविन्दस्तोत्र ५३ ७७८६ . गोविन्दाष्टकम् ५०८३ चण्डीपाठ (सचित्र) कविताकिसिंह वेंकटनाथ शिष्य १९८३ गोपाल भागवतोक्त १८वीं श. विश्वनाथ चक्रवर्ती १९४७ श्रीशंकराचार्य १८४३ १७५१ मार्कण्डेयपुराणोक्त १७८६ س م ه प्राद्य चार पत्र प्राप्त, लि.क.-धवल, चित्रसं.४६ D emiummonweaveena upam .sammam Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १. स्तुतिस्तोत्रादि] लिपि समय | पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ग्रंथा ग्रन्थ नाम सार्कण्डेयपुराणोक्त १८वीं श. " १९वीं श. ६८ चित्र संख्या १० ४७-४८ ११६वां ६ लि.क.-भरतदारा वैष्णव,भरतपुर . लि.क.-रामनारायण १८ ! लि.क. भगवदास । मार्कण्डेयपुराणोक्त ' अगस्त्यसंहितान्तर्गत पद्मपुराणोक्त १७६० २०वीं श. भैरवीतन्त्रोक्त १९वीं श. ५५ . ५२०८ चण्डीपाठ (सचित्र) ५६ ५२०५(१२) चतुःश्लोकी भागवत ५७ ४४५२(५८) चतुःषष्टियोगिनीस्तव ६३८१ जानकीनवरत्नस्तोत्र ७७०३ जानकीस्तवराज ६६६७ जानकीसहस्रनामस्तोत्र ७०६५ जानकीसहस्रनाम ४६६६ ताराकवच तारा-श्रीरामसंवाद ६६३४ द्वादशस्तोत्राणि दशहरास्तोत्र ७६१२ ' दशावतारस्तोत्र ६०५२ दक्षिणामूर्तिस्तोत्र ४५४४ ५५०४ । दुर्गाकीलकस्तोत्र ४२०७ दुर्गासप्तशती < < G १८वीं श. वेदान्तपरक ४२४६ : रामायणोक्त प्रानन्दतीर्थ | स्कन्दपुराणे काशीखंडोक्त १६वीं श. । ११ १७४२ - लि.क.--चतुर्भुज व्यास,अम्बावती लि.क.-केशवदास, गढ़बदनोर | शंकराचार्य लि.क.-हनुमदुपाध्याय १९वीं श. १८वीं श. १७६४ १८८६ १९वीं श.. १७७३ १८३१ १८८६ १७वीं श. १८वीं श. . ७१ ४४७६ ७२ ५३२८ ७३ ५४६३ ७४ ६६२७ ७५ / ७१५७ ५६ . प्रथम पन अप्राप्त ५६ , लि.क.-रघुनाथजोशी, स. जयपुर ५८ लि.क.-हनुमदुपाध्याय ८४ भोजपत्र पर लिखित e Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; १. स्तुतिस्तोत्रादि ] ग्रन्थ नाम ग्रंथाङ्क कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ६७ ७७ ८५ ८६ ८७ ८८ ७८ ७६ ८० ८१ ८२ ४४६८ ८३ ५४३८ (७) ८४ ४२३३ ६४५० ४२६७ ४१७५ ७६५३ ४१७० ६८५८ ४८८१ ८६ ६० १ ५०६२ ६२ ६३ ५५२० ४३११ देवीमाहात्म्य ४२६० नंदाष्टक, कृष्णाष्टक ७७५७ (९ ) | नवश्लोकीस्तोत्र ४१७२ नारायणकवच देवीचरित्र ( दुर्गापाख्यान, त्रयोदशाध्यायान्त ) देवमहिम्नस्तोत्र ४१७८ ४१७६ 17 "" नारायणाष्टक नारायण हृदयस्तोत्र नृसिंहकवच पंचमुखी हनुमत्कवच पंचायुधस्तोत्र पद्मपुष्पाञ्जलि "1 ( १ ) पवनविजयाशनिस्तोत्र (२) रामनवमी संकल्प पीयूषलहरी पीयूषलहरी रुद्रयामलोत्तरखंडोक्त दुर्वासः प्रोक्त वेदव्यास श्रीमद्गोस्वामी ( विठ्ठल ? ) शंकराचार्य भागवतोक्त 11 " ब्रह्मांडपुराणोक्त कवि रामकृष्ण "1 जगन्नाथ पंडितराज 11 लिपि समय १६वीं श १६१७ १८५६ १८वीं श १८५० १८वीं श १६वीं श १८६० १८वीं श १६१७ १८वीं श १६वीं श १८३७ १८७८ १८वीं श. १६वीं श १६१० १६१० पत्र संख्या ५.१ २२ १८ ४ २२८-२३० 15 30 ८ ४ ६७-७३ ३ १-४ ४ १३ २ १० ८ . १६ १४ १३ विशेष उल्लेखनीय पत्र १ व ३२वां श्रप्राप्त तथा १५वें पत्र में कुछ सन्दर्भ त्रुटित लि.क.-- व्यास मुकुन्ददास, जोधनगर प्रथम पत्र सचित्र श्राद्यपत्र चित्रित प्रथम पत्र अप्राप्त [ ५ लि.क.- गोटाराम जोसी Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण सन्दिर -- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; १ स्तुतिस्तोत्रादि ] कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाक ग्रंथात &૪ v ६६ w ४५१० ५२५६ ६५८५ ६८ ६६ १०० १०१ १०२ ६४२३ १०३ ७६६४ १०४ । ४१२४ ६७ ५२४८ बगलामुखी स्तोत्र ४१३३ ४१३४ ४१.५४ ४१६२ १०५ ४२५६ पीयूष लहरी १०६ ५२१३ ५७६० १०७ १०८ ५४६७ १०६ ४२४१ ११० ५२८५ १११ ६६६६ " ब्रह्मस्तुति ( व्याख्या सहित ) बटुकभैरवकवच बटुकभैरवसहस्रनामस्तोत्र भगवती श्रला कीलकस्तोत्र भगवती पुष्पाञ्जलि 11 भवान्यष्टक (१) भवानी कवच (२) भवानीसहस्रनामस्तोत्र भवानीसहस्रनाम भवानी सहस्रनाम एवं कवच भावकल्पतरु भीष्मस्तवराज जगन्नाथ पण्डितराज " श्रीनिवासदास कवि रामकृष्ण " शंकराचार्य मधुर शर्मा महाभारतोक्त 31 " 11 लिपि समय १६१० १८वीं श. १८४० २०वीं श. १९वी श. 17 " " १८०७ १७६४ १८वीं श. १८६१ १८वीं श. १८६८ १६वीं श. १८वीं श. १६वीं श 11 पत्र संख्या ११ २६ २५ ७ ५ ३५ ६ ६ १ २२ | ३० ३० ६ ३४ २२ m १२ विशेष उल्लेखनीय लि.क.- रामशंकर, कुबेरलाल, स्थान- ग्राम मधवासना लि.क.- राघव जोशी [ ६ लि.क.- गंगाविष्णु, मलारणा लि.क.- हरिवल्लभ शर्मा Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २. १. स्तुतिस्तोत्रादि ] . . क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ___कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय शान्तिपर्वोक्त १९३१ १४ ४८-४६ - ११२ ४५१८ भीष्मस्तोत्र, अनुस्मृति ११३ ५२०५(१३) भुजङ्गप्रयाताष्टकम् ११४ ४२७५ भुवनेश्वरीस्तोत्र १६५ ५३८५(६) मङ्गलाष्टक पृथ्वीधराचार्य | १६८६ १६वीं श. कालिदास । १८९७ १८वीं श. ब्रह्माण्डपुराणक्षेत्रखंडोक्त देवीरहस्योक्त राघवचैतन्य । शंकराचार्य १६नी श.. १८२६ १८वीं श. । १९वीं श. १६ : प्रथम पत्र प्राप्त ३. लि.क.-तिवाड़ी वखतरामजी ६-८ ११७ ७७०१ मधुरकुञ्जविहार्यष्टक ११८ मल्लारिकवचस्तोत्र ११६/ ५०५६ महागणपतिकवच - १२० ४५१४ महागणपतिस्तोत्र १२१. ४५०३ (२) महागणपतिस्तोत्र १२२ ४२१५ | महानारायणस्तोत्रचिन्तामणि । १२३ । ५०४६ महालक्ष्मीहृदयस्तोत्र १२४ । ६६८२ महासुदर्शनकवच १२५ । ५२५० महिम्नस्तोत्र १२६ ५८७० १२७ ६६८३ १२८ ६६६१ १२६ ७४६६ महिम्नस्तोत्रटीका ५५६० महिम्नस्तोत्र सटीक (त्रिपाठ) १३१६७८४ १३२ ५७८४ महिषमर्दिनीसहस्रनाम अथर्वणरहस्योक्त सुदर्शनसंहिता श्रीविष्णुकृत पुष्पदन्त " मधुसूदन सरस्वती १८३१ १९वीं श. १७६०११ लिपि स्थान-काशी १८८६ १० लि.क. नन्दराम १७६३ आद्य दो पत्र प्राप्त १६वीं श. १९१६ लि.क.-रामदास कबीरपंथी १८८३ लि.क.-वजवासी सद्गयामलतंत्रोक्त Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्देषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १. स्तुतिस्तोत्रादि ] लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम जगात ग्रन्थाङ्ग १३३ १३४ २०वीं श. * " ८ (४८ कृतियां) १३६ १३७ १३८ १३६ १४० महिषमदिनीसहस्रनाम ५२७८ यमकाष्टक ४२३८ यमुनाष्टकस्तोत्र ६७०१ यमुनाष्टकादिस्तोत्र ६३७६ युगलकिशोर सहस्रनाम रघुवरसहरूनामस्तोत्र ६७४६ (५) राधाकवच ५४५५ (२) राधाकृष्णशतनामस्तोत्र Goo राधाष्टकस्तोत्र ६२८० (५)/ राधास्तवराज ५४५४ राधासहलनामस्तोत्र विश्वसारोद्धृत १९वीं श. पद्मप्रभदेव १८वीं श. श्रीवल्लभ-विठ्ठल-हरिराय-रघुनाथ १६वीं श. चारदीयपुराण १८वीं श. ब्रह्मरहस्यगत १८११ १९वीं श. तंत्रोक्त त्रैलोक्यसम्मोहनतंत्रोक्त १८वीं श. गौतमीयतन्त्रोक्त १९०६ रुद्रयामलोस्त १८१८ १६वीं श. लि.क.-रामसेवक, चित्रकूट अंतमें नवग्रहस्तोत्र आदि हैं लि.क.-पुजारी हरदेवदास w mm १४३ x १४४ " in वृहद्ब्रह्माण्डपुराणोक्त or १७६६ १९०६ १९वीं श. | लि.क.-पुजारी हरदेवदास r नारदप्रोक्त is w | ५२८७ | राधिकाष्टकस्तोत्र १४६ ७७०२ राधिकास्तोत्र १४७ ६२८० (७) राधिकाष्टोत्तरशतनाम | ५२८३ रामचन्तास्तवराज ७७१८ रामचन्द्र स्तुति आदि १५० ६३६६ राम महिम्नः स्तोत्रम् . ४३३२ रामरक्षाकवच १५२ | ७६४७ रामरक्षाविवरणकारिका ३५०५३ रामरक्षास्तोत्र - ar w विजयरामाचार्य विश्वामित्र ऋषि नीलकण्ठ विश्वामित्र. १६०१ १८वीं श. १९वीं श. m 2 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १. स्तुतिस्तोत्रादि ] . क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क - कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम - । हिरण्यगर्भसंहितोक्त १९वीं श. < . बृहद् ब्रह्मसंहितोक्त tu सनत्कुमारसंहितोक्त १७ . १८वीं श. १९वीं श. १८वीं श. १७५६ १८६० १८६० १९वीं श. १९०६ १८वीं श. १९वीं श. १८५० १८वीं श. १९वीं श. १-१६ लि.क.-जयजयराम १०५-११६ ३८ किला अमरकोट मालवामें लिखित १५४, ६६७६ (१) रामवज्रकवच (२) विष्णुहृदयस्तोत्र .. १५५/६६८० | रामशरणस्तोत्र . १५६ | रामस्तव | ४२४७ . रामस्तवराज : १५८ ५२३५ १५६ ५४३८(१) १६० ६६६५ १६१ ६७४६ (४) ५२३३ ४२४८ रामहृदयस्तोत्र ४५०४ १६५ | ७७५७ (८) ६६३६ रामानुजाष्टोत्तरशतनाम १६७ ७६१६ रामाष्टक, रामस्तोत्र १६८ ५७१५ रुचिस्तव १६६ | ७७६६ । रूपचिन्तामणिस्तोत्र १७० ६२८० (६) " १७१ ५१९४ ललितादिव्यनामत्रिशती १७२ / ५८०७ | ललितास्तव १७३ । ७६५६ लक्ष्मीपञ्जरस्तोत्र १६३ १६४ ब्रह्माण्डपुराणोक्त अध्यात्मरामायणोक्त | महात्मा आङ घ्रिपूर्ण महेश्वर भट्ट मार्कण्डेयपुराणोक्त चक्रवर्ती " २५-२८ लि.क.-रामनारायण लि.क.-पुजारी हरदेवदास ललितोपाख्यानगत दुर्वासा मन्त्ररहस्योत्तरखण्डोक्त १८९० १९०६ १९वीं श. १९वीं श. | १९१३ स्तव २११ भार्यानों में है। - Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर----हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १-स्तुतिस्तोत्रादि ] क्रमा ग्रन्था कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम [ १० विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या वेंकटनाथ वेदान्ताचार्य . : ७वां पत्र प्राप्त . अथर्वणरहस्योक्त ब्रह्माण्डपुराणगत अथर्वणरहस्योक्त श्रीधर स्वामी नारायण १६वीं श. १६०१ १९२६ १८२८ १६१७ २०वीं श. २०वीं श. १९११ १० । ५-१७ १७८ लि.क.-देवकृष्ण, र.का. १९०१ १७४ | ६६८६ लक्ष्मीस्तव १७५ - ६६८८ लक्ष्मीस्तोत्र | लक्ष्मीस्तोत्र, नारायणहृदय १७७ ५३१६ | लक्ष्मीसहस्रनाम ६४४० (२) लक्ष्मीहृदयस्तोत्र १७६ | ७७१३वजविहार ५३३६ । वरदगुरुपंचाशत १८१ ५ ५२३४ (२.)/ (१) विंशतिनामस्तोत्र (२) चतुःश्लोकी.भागवत (३) एकश्लोकी रामायण (४) सप्तश्लोकी गीता . (५) विहारी सतसई के २३ दोहे १८२ | ५५११ विलोम सप्तशती . १८३ ७७२१ (१६) विष्णुपञ्जरस्तोत्र १८४ | ७७५० (२) " . १८० ६ १०-१४ मार्कण्डेयपुराण १८वीं श. १८४४ १८६० ब्रह्माण्डपुराणोक्त ३२ २०३-२०५ लि.क.-व्यास केशा २१-२४ | लिपिक -किशनी, लिपि स्थान-खारला ३२ टीका हिन्दी में १८६४४७८ . १८७ १८५ | ४२५१ | विष्णुसहस्रनामस्तोत्र महाभारतोक्त विष्णुसहस्रनाम (सार्थ) पद्मपुराणोक्त ५२८२ महाभारतोक्तः १८८ | ५४३८(२) १८६५४६० (गीतापञ्चरत्न) १८वीं श. १७वीं श. १९वीं श. १८६० १८८२ १६-४० . ३०१ | चित्र संख्या ३ . -- Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १-स्तुतिस्तोत्रादि ] क्रमांक 'ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ ११ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या १७ १७वीं श. १७८२ १८वीं श. १९वीं श. १५वी श. १६ " लि.क.-पण्डित हरिपाणि ८६-८ १६० ६६३५ विष्णुसहस्रनाम महाभारतोक्त १६१ ६३७५ १६२ | ४५१५ १६३६८६४ | विषापहारस्तोत्र व्याख्या धनञ्जयसूरि १९४ ५२०५(१७) विक्षिप्त ? (विज्ञप्तिस्तोत्र) . विठ्ठलेश दीक्षित १६५ ५१८३ वृन्दावनशतकम् प्रबोधानन्द सरस्वती १६६ ५४६६ ६४६८ वेदस्तव सटीक विश्वनाथ १६८ ४२४६ वेदस्तुति भागवतोक्त १६९ ५४६७ वेदस्तुति (अन्वयबोधिनी टीका) २०० ६४६३ वेदस्तुति सटीक २० १६७ २७ १८३७ १९वीं श. १८वीं श. १८६२. " ३ or लि.क.-शिवनिधानगणि, लि० स्था०-प्रल्हादनपुर ५४ लि.क.-हरिलाल २०२ १८८८ १९वीं श. ६४६७ ६५६३ २०३ / ४१८० वैशम्पायन सहस्रनाम २०४ ४२५३ श्रीदेवीपुष्पाञ्जलि २०५ - ४१३१ श्रीसूक्त (सभाष्य) २०६ ७७५७ (१०) श्लोकोपनिषत् २०७ / ५७५६ शरभसहस्रनाम (सकवच) २०८ | ४१७१ शारभकवच २०६ ६६८७ शालिग्रामस्तोत्र टी. श्रीधर श्रीनिवासदास वेदव्यास रामकृष्ण विद्यातीर्थ शंकराचार्य आकाशभैरवकल्पोक्त शंकरप्रोक्त भविष्योत्तरपुराणोक्त १८४६ १६वीं श. १८५० १९वीं श. ३०-२३२ . - Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १-स्तुतिस्तोत्रादि ] [ १२ कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय मामांक गन्थाङ्क ग्रन्थ नाम रावण | जयपुर में लिखित पुष्पदन्त शिवताण्डवस्तोत्र शिवमहिम्नःस्तोत्र शिवमहिम्नःस्तोत्र शिवमहिम्नःस्तोत्रटीका शिवमहिम्नःस्तोत्र (सटीक) १९वीं श. १८४२ १९वीं श. - अहोबल शास्त्री २१०७७६० २११ / ५५०६ २१२ ४६२१ .२१३ ४१६१ . २१४ ६१६८ २१५ ६६६७ २१६ ५१५६ . . २१७ ७७७२ २१८ .४४६६ २१६ ५०५६ २२० | ४२१६ लि.क.-ब्रह्मानन्द शिवस्तोत्र . शिवसहस्रनामस्तोत्र शिवाष्टक शीतलास्तोत्र मधुसूदन सरस्वती रावण शिवपुराणोक्त शंकराचार्य १९वीं श. १९वीं श. १८६२ १९६० १८७१ | लि.क.-गोपीनाथ | लि.क.-केसोराम कान्यकुब्ज लि० स्थाo-नगर बोली . २१-२२ | लि.क.-पुजारी हरदेवदास .. पद्मपुराणोक्त १८वीं श. १९०६ १९वीं श. १६२७ १९वीं श. १८२४ १९वीं श. १८वीं श. १०८ २२१ ७८११(३) स्तोत्रकवचादि . २२२ ६२८० (४) | स्मरणमंगल २२३ / ४५०१ संकटनाशनस्तोत्र २२४ | ४१५३ सप्तशती दुर्गापाठ ७५३५ सप्तशती दुर्गास्तोत्र २२६ । ५५१२ | सप्तशती टीका . २२७ / ७७६२ सप्तशती भाष्यम् २२८ | ४४५२(५९) (१) सरस्वती मंत्रस्तोत्र (२) गणपतिमन्त्र । २२५ ।। चित्र संख्या ११२ नागोजी भट्ट .. . ११७वां Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १-स्तुतिस्तोत्रादि ] amzndimesecswammeadox-means लिपी समय पत्र संख्या क्रमांक | • ग्रन्थाङ्क विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम कृष्णदास पयोहारी १८०८ टी.-राजानक क्षेमराज | १९वीं श. २३१ २२६ / ६३६६ | सहस्रनामस्तोत्र । २३० | ५६२५ साम्बपंचाशिका विवरण ६६७७ सुदर्शनस्तोत्र २३२ ५५२७ सुदर्शनसहस्रनाम स्तोत्र १३३ ४४३६ सुधालहऱ्याख्यमिहिरस्तव २३४ ४५०२ | सूर्यस्तोत्र २३५ / ७००६ २३६ । ७७२१(१५) सूर्याष्टक ४१७७ २३७ । ४१७७ सौन्दर्यलहरी २३८ ४४०३ ४५०७ ४५१६ अहिर्बधन्य संहितागत पंडितराज जगन्नाथ शंकराचार्य सीताराम पर्वणीकर سه ه م م ه م سه शंकराचार्य २०वीं श. १८४४ १९वीं श. १८५७ १८२३ १७३४ Go २०२ प्रथम पत्र प्राप्त लि.क.-ऋषि देवचन्द | लि.क.-ऋषि श्रीकृष्ण २५ लि.क.-पलायथाग्रामस्थ ठाकुरसूरजीपुत्र वल्लभ २३६ २४० १९वीं श. १८६३ लि.क.-धनीराम मिश्र सौन्दर्यलहरी सटीक टी. श्री रंगदास १९वीं श. ४५२६ ५२४४ २४३ | ५५८४ २४४ / ५६७६ २४५५७८८ २४६ / ६५२३ २४७ | ५२३१ टी. नरसिंह कैवल्याश्रम गौरीकान्त वाल्मीकीय रामायणोक्त सौन्दर्यलहरी व्याख्या हनुमत्सहस्रनामस्तोत्र १६३६ २०वीं श. १७५३ लि.क.-शिवदत्त लिस्था०-अजयदुर्ग Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १-स्तुतिस्तोत्रादि ] [ १४ क्रमांक ग्रन्थ नाम ग्रन्या कर्ता यादि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या लाङ्ग ल शत्रुज्जयस्तोत्र २०वीं श. १९वीं श. الده له م - वेंकटनाथ वेदान्ताचार्य शंकराचार्य हरिवंशपुराणोक्त २५०७७०५ (८१वां अध्याय) سه शंकराचार्य १६०२ १-१४ नन्ददास - २४८७६४६ हनुमन्मधुनामस्तोत्र २४६६७०७ हयग्रीवस्तोत्र | ७७०६ हरिनाममालास्तोत्र . २५१ ७८१२ हरिहरस्तोत्र २५२ | ७६५८ | हरिहरात्मकस्तोत्र २५१ / ६८२६(२) (१) हस्तामलक (२) यमुनाष्टक (३) हनुमानाष्टक २५४ ६५८२ हस्तामलक सटीक २५५ क्षमाषोडशी २५६ ६६७८ २५७ / ५१०६ (१) त्रिपुरसुन्दरीहृदय (२) त्रिशती (३) कल्याणीस्तोत्र (४) ललितास्तवराज २५८ | ५१६१ त्रिपुराकवच ... २५६ ७७२१(१७) त्रिपुरास्तोत्र आदि २६० ४१६३ त्रैलोक्यविजयकवच तुलसीदास शंकराचार्य वेदाचार्य ६५८४ लि.क.-रामसुख रामनारायण १९वीं श. १८९५ १९वीं श. १९२५ वीरमहेश्वरतन्त्रोक्त लि.क.-रामकुमार, कोटा १९वीं श. १८४४ १६वीं श. २०५-२७७ उत्तरगन्धर्वतन्त्र २४ - Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २. वैदिक ] क्रमाङ्क | ग्रन्याङ्क - ग्रन्थ नाम कर्ता प्रादि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय १८६५ लि.क.-सदासुख शक्ल,जयनगर १६०४ . १ ४९४३ ४९३७ ३ | ४६२८ - ४४०६५ ४७०२ १८६२ १८वीं श. १९वीं श. १३४ ५६ | लि.क.-महादेव भट्ट अथर्वण निरुक्त अथर्वणसंहिता अष्टादशकांड अथर्वण संहिता प्रापस्तम्ब अग्निष्टोमसूत्र ऐतरेयोपनिषत् ऐतरेयोपनिषद्भाष्य ऐतरेयोपनिषद्भाष्यटीका ऋग्विधान * rur 9 ४६४५ माधव अभिनव नारायणेन्द्र सरस्वती लि.क.-भट्ट मयाराम लि.क.-सवाईराम ० M. 222M १८०६ १६वीं श. १७८१ '१७८४ लि.क.-वीरेश्वर शुक्ल ६५६२ ४५६२ ४६४६ ४६४४ ५०१० ५०११ ५०१२ ५०१३ ५०१४ ५०१५ ५०१६ ५०१७ १६५०१८ २०५०१६ १०५ ७५ ८७ १२४ ऋग्वेद (चतुर्थाष्टक चतुर्थाध्याय) माधव ऋग्वेद प्रथमाष्टक ,, द्वितीयाष्टक " तृतीयाष्टक " चतुर्थाष्टक पञ्चमाष्टक षष्ठाष्टक सप्तमाष्टक प्रष्टमाष्टक प्रथमाष्टक , द्वितीयाष्टक १७१६ १७८४ १७८२ | लि.क.-पंड्या चिन्तामणि E १७८२ १७२६ १९वीं श. १८ लि.क.-वीरेश्वर १३३ | पत्र १६, ४६, ४७ अप्राप्त १२७ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २. वैदिक ] | लिपि समय विशेष उल्लेखनीय कर्ता श्रादि ज्ञातव्य पत्र संख्या प्रमार ग्रन्थ नाम ग्रन्था ५०२० १११ १२६ ६७ १७वां पत्र प्राप्त १०४ १६ ५०२१ ५०२२ ५०२३ ५०२४ ५०२५ ५५७० ७६७३ ११४ पत्र २७ से ३८ तक अप्राप्त ऋग्वेद तृतीयाष्टक , चतुर्थाष्टक " पंचमाष्टक पष्ठाष्टक सप्तमाष्टक अष्टमाष्टक " तृतीयाष्टक प्रथमाष्टक द्वितीयाष्टक " · तृतीयाष्टक , चतुर्थाष्टक पञ्चमाष्टक षष्ठाष्टक सप्तमाष्टक द्वितीयाष्टक ___ तृतीयाष्टक ७४ ७६७४ ३० ७६७५ १९वीं श. १८५३ १८५५ १८५५ १८५६ १८५८ १८वीं श. १७७५ १७७३ १७७५ १७७५ १७२० १७८० १७७४ १६६६ १७६३ १७०४ १७२६ १७७४ ७६७६ ७२ ७६७७ १०० ७६७८ ८४ लि.क.-वीरेश्वर शुक्ल ७६७६ ७६८० ६२ लि.क.-जगन्नाथ, काशी लि,क.-व्यास गोकुल, टोड़ा लि.क.-पण्डया चिन्तामणि - . ३८ ____३६ ७६८२ ७३८३ ७६८४ ७६८५ ७६८६ पञ्चमाष्टक षष्ठाष्टक सप्तमाष्टक ७२ ११० लि.क.-सुखजी १८५३ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २ - वैदिक ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रंथाङ्क ग्रन्थ नाम ४८ ४६ ४२ ४६६७ ४३ ४६५३ ४४ ५१६६ ४५ ५०२६ ४६ ५०२७ ४७ ५०२८ ५०८५ ४६६६ ५० ७५८४ ५१ ६१२६ (२) कौषीतक ब्राह्मण ५२ ५४४३ ५३ ४६२८ ५४ ५७०० ** ७८२० ऋग्वेद प्रातिशाख्य (प्रथमाध्याय ) ऋग्वेद संहिता ५६ ४२४५ ५७ ७७१० ५८ ५०३० ५६ ६७२४ ६० ५५७३ ६१ ५०३४ ऋग्वेदानुक्रमणिका "" "" ऋग्वेदानुक्रमणिका विवृति केनोपनिषत् कैवल्योपनिषत् गोपालता पिन्युपनिषत् त्रिपाठ सटीक चरणव्यूह व्याख्या 11 धनुर्वेदपरच्छेद (वीरचिन्तामणिनामा ) नारायणोपनिषत् निघण्टु ( ढूँढूँ) परिभाषाभाष्य | रघुनाथ " "" निरुक्तम् ब्राह्मण प्रथम पंचिका पाणिनीय लिपि समय १८वीं श. १७६३ १७३० १८५२ १७६६ १७६८ १८वीं श १६वीं श १६वीं श. १५४३ १६०१ १७८० १६२४ १७६६ १८वीं श. १६वीं श १८१२ १६वीं श १७२४ १८वीं श. पत्र संख्या १६ ६३ १५१ १२३ ४७ १० १३ अपूर्ण ३ १ १३३ १६ १३ ४ z a m m २२ विशेष उल्लेखनीय लि. क. - फकीरचन्द ५ ३ २६ | लि.क.- हरिकृष्ण २३ स्वरितं देवशंकरेण लि.क.- रविदत्त [ १७ लि.क.- अम्बालाल लि. क. - पीताम्बर, कान्हाजीसुत लि.क. शुभराम, तुलाराम व्याससुत पत्र ८, व २८ से ४२ तक अप्राप्त Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; २ - वैदिक ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाक ग्रंथा ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६६ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ ७८ ७६ ८० ८.१ ५४८२ ७७०४ ५०३५ ५५६६ ५०३६ ५४८३ ५०३७ ५०३८. ५०३६ ५०४० ५०४१ ६६४४ ४१६४ ५१७६ ४६३० ५५७१ ५८२३ .७७१७ ४६०८ ४७०० ब्राह्मण प्रथमपंचिका " "1 "} " " 97 11 " " द्वितीयपंचिका " तृतीयपंचिका "1 चतुर्थ पंचिका पंचमपंचिका षष्ठपंचिका सप्तमपंचिका श्रमपंचिका ब्राह्मणानि ( तृतीयाध्यायपर्यन्त ) 21 मण्डल ( श्रावणीकर्माङ्गभूत) मण्डल प्रकरण मण्डल व्याख्यान मन्त्रसंहिता शान्तिसूक्तानि मन्त्रार्थदीपिका मन्यु सूक्त मनोज्योतिमंत्र माण्डूक्योपनिषत् सायणाचार्य शत्रुघ्नोपाध्याय लिपि समय १८वीं श. 19 ,, 17 "1 "" 33 "" "" ور " १८५४ १६वीं श १७६१ १७वीं श १८वीं श १८२५ २०वीं श १६१३ १६वीं श पत्र संख्या ४६ २२ २८ ६१ ३० ५५ २४ ३० २० ५२ ७ १० £ १७१ १४२ Norm ४ २ ३ [ १८ विशेष उल्लेखनीय पत्र १, २, ५५ श्रप्राप्त लि.क.- माधवाश्रम शंकर पत्र २० से ६२ श्रप्राप्त श्रादिके दो पत्र नहीं हैं लि. क. - मित्रमणि Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २-वैदिक ] [ १६ . . विशेष उल्लेखनीय - कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ४ ७६६३ ४७०१ ५५८० माध्यन्दिनी संहिता मुण्डकोपनिषत् रुद्रजाप्य (रुद्राष्टाध्यायी) १८५६ १६वीं श. १७८८ .. लि. क.-रामगोपाल दाधीच पत्र १, ५,११,३७ अप्राप्त .४४७६ रुद्रांगभूतमंत्रन्यासादि रुद्राध्याय वंश-ब्राह्मण वाजसनेयी शिक्षा वाजसनेय संहिता १९वीं श. १८६६ १९वीं श. ७६६५ ५७२८ ४५७६ ४२०३ ५००७ याज्ञवल्क्य १५ १७६७ १८४८ १४६ ५२०० ५८०३ ६३ | ४६३२ ५७७८ ४६३३ ५७७६ ५१६७ ६८६४६९ १८वीं श. १७८२ १८७६ १८५२ १८७६ १८७३ १८२८ भा.-शंकराचार्य, टि.अानन्दगिरि १९८६ १९० लि. क.-रावल वलभजी लि. क.-वल्लभराम दुर्लभराम नागर, विषमनगरा १५७ १६२ लि. के.-जयचंद धनेश्वरसुत १७० लि.क.-राधाकृष्ण स्थान-अम्बावती १४८ १०७ लि.क.-रामकृष्ण ६३ १५३ लि. क. रामशुक्ल उत्तरार्द्ध वाजसनेयी संहितोपनिषदीशा वास्यभाष्य सटिप्पण वैदिक संहिता (पदसंग्रह) ६९७८३० १५२५ १५५ । लि. क.-हरिभाई सूर्यपुर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २-वैदिक ] समान ग्रन्थान ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ २० विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या । १७२७ शिक्षाज्योतिपछन्दांसि १००/५०२६ २४ | लि. क.-अम्बिकेश्वर श्यामजी शुक्लसुत, टोडावास्तव्य १५ / लि. क.-पुरुषोत्तम | ५०३१ " १७६७ १९वीं श. प्रथम पत्र प्राप्त (शांकरीशिक्षा) पडङ्गमन्त्राः (मन्त्रार्थदीपिकाख्या- श्रीशत्रुघ्न टीकोपेताः) ७५०६ १७२४ पष्ठाध्यायः १५० लि. क.-करणीदत्त पालीवाल १०४ १०५ १०४ ५५७४ ४११६ ५५७७ १०६ ५००१ १०७ ४६५६ १०८ १०६ ५७७७१ ওওও संहिता - " (द्वितीयाष्टक) संहितैकादशप्रकाशः सर्वानुक्रमणिकावृत्ति हत्यकाण्ड त्र्यचाभाष्य त्र्यचाभाष्य १८६७ १७५६ १६वीं श. १७६८ १६८७ १६१७ १६३७ १३ | धन जटा, मण्डलादि ६१ | लि. क.-दीनानाथ २११ | लि. क.-सेदपाटज्ञातीय वासुदेव ४६४१ ब्राह्मणोक्त Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला । REE ETTES S MAR अश्वाड्यातीगोनिया स्यंत तोगी निःवामयामामालीनुमति या अवयवमागिनेतिइया सायापीता नाना यानि : यतासामभामा २तिम परिसीविन समिधा तियो पर्वमानविपरकीय स्मनोसामाश्रियाशीतीसहस्त्र वर्चसो- अयानावाजवत कोना ऋतिपिचित्रिी आयताअहाअतिवृष्भपबचा बादी सातायावित्रत्यागी :चावासामारावासाचार्य का प४ वि२३ सपना न सायका सत्यसभा ५२ वरिपाचक नामको मित विराजमान र समयावधि वामपनानाधिकारी भोगनायपरोपकारायबालाच कसलहोति ॥७॥ श्रीराम ... :.. .... .:... ...47....... . :' . . MENT FEMATA Eritr2016 . .... ....... .-.' ग्रन्थसंख्या ७८३० ऋग्वेदसंहिता ( संग्रहके वैदिक ग्रन्थों में प्राचीनतम ब्राह्मणलिपिमें संवत् १५२५ में लिखित ग्रन्थ ) Page #30 --------------------------------------------------------------------------  Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ for राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ३. कर्मकाण्ड ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क १ २ ३ ४. ग्रन्थाङ्क ४४४६ ४४५० ४६१० ४४५१ w 2 is श्रग्निष्टोमपद्धति " श्रनन्तव्रतविधि श्रध्वर्युप्रयोग ग्रन्थ नाम ५ ४५५८ ६ ५३४६ ७ ४६८८ ५१७५ ४६३६ ४०६४ ४६५० ४६५५ ४६५४ ५०३३ श्राश्वलायन श्रौतसूत्र अधिदेवतादिस्थापन होमविधि श्रष्टमहादानप्रकरण श्रातुरसंन्यासपद्धति ८ ह १० ११ १२ १३ १४ १५ ४६१९ ( २ ) प्राह्निकपद्धति १६ ६६७४ १७ ४६१३ १८ ४६८३ " श्राराम प्रतिष्ठाविधि श्राश्वलायनगृह्यपरिशिष्ट आश्वलायनगृह्यसूत्रवृत्ति ار ܕܕ 12 17 aff ऋषिपञ्चमीव्रतविधि कर्कभाष्य देव याज्ञिक 11 भविष्योत्तरे अंगिरोक्त "" नारायण त्रैविध्यवृद्ध 17 देवयानिक भविष्यत्पुराणोक्त कर्काचार्य लिपि समय १८६६ १८६५ १८०० १८०० १६वीं श. १६वीं श १७७३ १८वीं श. १५६८ १८वीं श. १८०३ १८०० १७६६ १७६५ १७६८ १६०३ १८वीं श. १८०७ पत्र संख्या ८५ कात्यायनसूत्रोक्त ८२ ११ ५३ १३ ३ سے ५ १४ विशेष उल्लेखनीय २१ २६ १०७ ६४ १०७ ५२ ४२ लि.क. - उमाशंकर शुक्ल लि.क.- नन्दराम आचार्य लि. क. - दुखभंजन तिवाड़ी प्रौदीच्य लि.क. - लीलाधर ठाकुर, कोटा लि.क.- इच्छाराम व्यास लि.क.- यदुराम ६ ४ लि.क.- छेदालाल, पंडित १६ लि. क. - सुखदेव गोलवाल, सुरतबंदरमध्ये Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ३. कर्मकाण्ड ] [ २२ विशेष उल्लेखनीय - कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थ नाम ग्रन्था कर्मप्रदीप ३३ ४६२५ ४९८७ १६वीं श. १५६६ गोभिलोक्त १५वां पत्र अप्राप्त | लि. क.-कालुपा महन्त, महसाणा ६१ देव याज्ञिक १५६ ४६४६ ४४४८ ५४६४ ६३६८ ४६६५ २२ २३ २४ २० कात्यायनश्रौतसूत्र कात्यायनसूत्रपद्धति कात्यायनपद्धति (सौत्रामणी) कार्तिकोद्यापन विधि कुण्डकल्पद्रुम १७६३ १८६४ १८वीं श. १८२२ १८१० m माधव र. का.-१७१२ लि. क.-ऋषीश्वर शुक्ल २६५७४६ ४६६० ४६७% Mr बलभद्रशुक्ल रामचंद्र नैमिषवासी महादेव राजगुरु विठ्ठल दीक्षित १९वीं श. १८वीं श. १८१७ १९२६ १९वीं श. १८वीं श. १९वीं श. कुण्डतत्त्वप्रदीप कुण्डप्रकरण (श्लोकप्रकाशिका) कुण्डप्रदापक सटीक कुण्डमण्डपसिद्धि सवृत्तिक विवृति कुण्ड रत्नटीका कुण्डार्क (मरीचिमालाटीकोपेत) ३० ४२ mr m लि.क.-रुद्रदत्त शुक्ल जम्बूसर ४६३५ ४५२७ ५६४४ ४१२८ . mm विश्वनाथ श्रीपतिद्विवेदसुत मू. शंकर भट्ट टी. रघुवीर दीक्षित १८६४ | लि. के.-व्रजवासी सिल्लुः - ३४ ४६६७ । | कुशकण्डिका ३५, ४११५ . क्रियापद्धति ३६ ४९५१ विश्वनाथ १९वीं श. १८६० १८वीं श. १०६ ७५ / जीर्ण प्रति Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २, ३-कर्मकाण्ड ] [ २३ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क | ग्रंथाङ्क . २६ | लि. फ.-नन्दिकेश्वर देवयाज्ञिक प्रजापतिसुत । देवकीनन्दन जीवानन्दसुत लि.क. राधाकिशन,मूंडोता ग्राम वृद्ध वशिष्ठ योद्धराज १७८२ | १९वीं श. १६१० १६वीं श. १९वीं श. १८६३ १९वीं श. पत्र ८ से १६ तक अप्राप्त । २१ १२ ८३ २८ १-८२ १६ हेरम्ब शिष्य नारायणभट्ट रामेश्वरसुत लि.क.--वामदेव २२ . .. ३७, ४६६३ क्रियापद्धति ५७४१ ५७२६ ग्रहजपदानविधि ४४८० ग्रहशान्ति ४१८५ ग्रहशान्तिप्रकारः (पद्धतिः) ४१२५ ग्रहशान्तिपद्धति ५७६५(१) ५०४४ ४६१४ गयापद्धति ५७१६ | गृह्यसूत्र ४६६१ | गृह्यसूत्रपद्धति ५७६५(२)/ गोदानपद्धति ४१३० घृततुलादान विधि ४५६० जन्मदिवसकृत्यम् ४६३२ तर्पणविधि ४६३४ ५६८१ तिलादिधेनुदानविधि ४६२७ तीर्थयात्राविधि ४६८० तीर्थश्राद्धविधि ५०५१ तुलादानविधि वसुदेव दीक्षित १७५१ १८वीं श. १९वीं श. १८वीं श. १६वीं श. १८९३ १८४० १६वीं श. १८६५ १६वीं श. ८२-८८ | लि. क.-व्रजवासीसिल्लुः, काशी लि.क.-भट्टराजा यज्ञदत्त,जयपुर | विविधपुराणोक्तसंग्रह भट्टोजिदीक्षितकृतत्रिस्थलीसेतुगत १८७६ २२ | लि. क. सदासुख शुक्ल Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२४ राजस्थान पुरातत्यारोपण मन्दिर---- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ३-फर्मकाण्ड ] यन्या कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय | पत्र संख्या । विशेष उल्लेखनीय ग्रन्यनाम ५४५१ ल.क.-माणिकराम भट्ट .. ५६ | तुलादान विधि तुलापुरुषपद्धति वावलिंगीमण्डलदेवतापूजन विधि दशकर्मपद्धति १९६० १९वीं श. १९वीं श. १७१८ | ४११२ ६१ ४९७५ गणपति रावल हरिशंकरसुत रचना १७१६ लि. क.-भट्ट शंकरदत्तजी, जयपुर । ४१२० ६५७३ ६७१३ यशरात्र दशहराकृत्य नवग्रहजाप्यविधि १९वीं श. वीं श. १८३४ लि. क.-हरगोविन्द दाधीच, सवाई जयपुर १८९३ १९वीं श. ६७१४ ४६३३ ४६४० ५८६६ ४६३६ नवग्रहन्यास नवान्नेष्टि नागबलिप्रयोग नरदाहकर्तव्यता नारायणबलि नीलोद्वाह पद्धति श्राश्वलायनगृह्यसूत्रपरिशिष्ट शिवप्रसाद पुष्करवल्लीवास्तव्य ४६८९ १७६० प्रयोगसारान्तर्गत जीर्णप्रति, लि. क.-नन्दिकेश्वर ५००२ ४१०६ ४१११ प्रतिष्ठाकर्म प्रनिष्ठामयूख लि. क.-हरिप्रसाद शर्मा नीलकण्ठ शंकरभट्टात्मज १९वीं श. १८५२ १८वीं श.. १८५६ १८६८ ४६६२ | प्रयाणशान्ति लि. क.-सम्पतराम शुक्ल,जयपुर | राजाविजय प्रयाणविधि . Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ३-कर्मकाण्ड ] क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम .. कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ७६ | ५५६१ प्रयोग अनन्त भट्ट १८४१ ४०६३ ५५५४ प्रयोगदीपिका प्रयोगरत्न मंचनाचार्य नारायण रामेश्वरभट्टात्मज १९वीं श. १८४२ १६० | यज्ञोपवीतविधि पत्र २७ से ५६ व १५५ से १५७ तक अप्राप्त ____६६ / आश्वलायन सूत्रोक्त २१४ | लि. क.-काशीनाथ, पुस्तकमिदं नारायणभट्टसूनोर्देवभट्टस्य । ११२ | पत्र १, ३६, ४०, ७५, ६४ व १५ वां अप्राप्त । लि.क.रामनारायण, सामरयाग्राम ८ अपूर्ण । लि. क.-करुणाशंकर जोशी लि. क.-पाशाराम व्यास, ५५७२ प्रयोगरत्ताकर १९वीं श. ६५६५ १६४११ ८२ | ४६०४ ४६७७ प्राणप्रतिष्ठाविधि प्रायश्चित्तधेनुदानविधि प्रायश्चित्तप्रयोग | प्रासाददेवताप्रतिष्ठा १८८१ १९वीं श. १८३६ १८१३ मालपुरा १९वीं श. १७९४ १९वीं श. ४६४२ ४९८६ | ५३३१ | ४१७४ ६६८४ ४११४ ४२१२ | लि. क'-ऋषीश्वर । लि. क.-गोविन्द शर्मा प्रेतबलि पशुबन्धप्रयोग पापघटदान विधि पार्थिवपूजा पार्थिवेश्वरचिन्तामणिपद्धति पार्थिवेश्वरपूजापद्धति पार्वणश्राद्धविधि Gminind १८७३ चन्द्र चूड १९वीं श. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ३- कर्मकाण्ड ] क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता यदि ज्ञातव्य ६ १ ६६७५ ६२ ६७२७ ६३ ४२११ पितृकैकोद्दिष्टश्राद्धप्रयोग ६४ | ७८११ (४) पुरुषसूक्त ( षोडशोपचार) ६५ ६५०६ ब्राह्मणसर्वस्व ६६ ६६३३ भगवदाराधनप्रकार ६७ ४६४१ ६८ ४६६३ ६६ ४२१० १०० ४६४६ १०१ ७६६७ १०२ ४६६२ १०३ ४६६६ १०४ ४६६६ १०५ ७६०१ १०६ ६४०८ १०७ ४६४२ पार्वणश्राद्धविधि पिण्डप्रमाण १०८ ५०६७ १०६ | ४१२१ ११० ६६०२ १११५८८८ भूतबलि महालक्ष्मीव्रतोद्यापन विधि मातृकको प्रयोग मूर्तिप्रतिष्ठाविधि यजमानपद्धति यजुर्गृह्यसूत्र 11 (डोढकाण्ड) "} यजुर्विधान यज्ञोपवीतविधि यात्राविधि योगपट्टविधि योगिनी पूजन विधि राधाकृष्णषोडशोपचारपूजा रामोद्यापन पूजाविधि हलायुध गंगाधर रामचंद्र पाठकसुत पारस्कर " "" भविष्योत्तरपुराणोक्त लिपि समय १६०३ १८०५ १६वीं श. १८वीं श १८०४ १६वीं श 13 "1 } १८१० १७६४ १८५६ १८वीं श. १७६८ १६वीं श १८वीं श. १६वीं श. 11 "1 १६०८ पत्र संख्या W ८ ८१-८६ १६६ ७ १५ १३ ७ ५ १७ x 20 जू ४८ ४० २४ ५ ३५ ११ अपूर्ण ३ १ १६ ११ विशेष उल्लेखनीय जीर्ण, खण्डित रामानुज संप्रदायानुसार [ २६ * लि. क. - गिरिधारी लि. क. - इच्छाराम व्यास लि. क. - गोविन्दराम, श्राम्बेर सन्यासी छत्र धारणविधि लि क.- श्रम्बाशंकर सामग Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ३- कर्मकाण्ड ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमांङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ११२ ७८११ (१) रात्रिसंध्याविधान आदि ११३ ४६६२ रुद्रपद्धति ( रुद्रार्चनमंजरी ) ११४ ४६०७ रुद्राभिषेककर्म ११५ ४६२० रुद्राभिषेकपद्धति ११६ ६४२७ लघुकारिका ११७ ४६७६ व्यासपूजापद्धति ११८ | ५७६५ (३) वर्द्धापन विधि ११६ ७६६६ वास्तुशांति १२० ४६२४ १२१ ४५१७ १२२ ७१४६ १२३ ४८८८ १२४ १२५ ४५८२ १२६ | ७१४७ १२७४१८६ १२८४६४१ ५७६५ (४) १२६ ४६१ १३० १३१ ५३२० ५५६५ विद्यारत्नसमुच्चय विनायकशांति विवाहचतुर्थी कर्म विवाहपद्धति 37 विवाहविधि (यजुर्वेदीय) वेदोक्तस्नानादिकर्म वैतरण्यादिदान वैधव्यशान्ति श्राद्धप्रयोग 33 मालजी त्यगला भट्टसुत महानन्द पाठक कर्काचार्य गर्गोक्त नारायण भट्ट नारायणभट्ट लिपि समय १८वीं श. १७१४ १६१३ १८१४ १९४७ १९७६ १६वीं श. 71 "" १८५८ १९४३ १७२५ १६वीं श. १८६१ १९४३ १६वीं श १८४५ १६वीं श १८६५ १६वीं श. पत्र संख्या ११८ ५७ १४ १८ १८ १० ८८-६६ २६ २७ ६ १७+१३= ३० ६ ६६-११७ १५ २३ २२ ५ ५ 1 ८ २५ विशेष उल्लेखनीय रचना १६६५, लि. क. - बालकृष्ण न्यासाम्बुक्रम [ २७ लि. क. -जानकीलाल लि. क. - सदासुख शुक्ल, बीकानेर लि. क. - रामचन्द्र लि.क.- सदाफूल लि. क. - रत्नेश्वर व्यास, जयपुर राजस्थानी में अर्थ सहित लि. क. - चुन्नीलाल प्रयोगरत्नाकरगत Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २८ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २, ३-कर्मकाण्ड ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय श्राद्धपद्धति (यजुर्वेदीय) २५ १३२ १३३ १३४ १३५ ४५६५ ४६१५ लि. क.-शंकरदत्त ७ १६। " (सांवत्सरिक) ५७२६ लि. स्था.-सवाई जयपुर श्राद्धविधि श्राद्धविधिवृत्ति (कौमुदी) श्राद्धविवेक श्रावणीविधि (ऋषिपूजन) १९वीं श. १७६७ १९वीं श. १९१५ १८२७ १६वीं श. १९वीं श.. १९वीं श. १८७२ १९वीं श. रत्नेश्वरसूरि रुद्रधर :२० वां पत्र प्राप्त १३७ १३८ १३६ १४० १४१ १४२ ७२६५ ५२५२ ४१५८ ४२२१ ७६६१ ५६३७ २१ लि. फ.-केसोराम, नगर बोली श्रौताधानपद्धति शान्तिकर्म गणपति रावल कमलाकर रामकृष्णसुत, नारायण पौत्र दुर्गाशंकर शुक्ल गर्गोक्त वशिष्ठोक्त १४३ १४४ ४१२३ ४८७२ ५१७० शान्तिपद्धति शांतिविधान (पल्लीसरटपतन) शान्तिभाष्य १८वीं श. १८४४ १८०६ ३ लि फ.-रेवादत्त लि. क-केवलज़ी, जयपुर, माधवसिंह राज्ये ३७ वां पत्र अप्राप्त। . . १८वों श. १९वीं श. | कात्यायन ०८ . १४६ ५५६४ १४७ ४६५२ १४८ . १४६५००६ .१५०७६१३ ४५६६ शान्तिविधि शुल्बसूत्र पपिण्डकर्म षष्ठीपूजा षोडशोपचारपूजा .. १८७० १८४६ ११ लि. फ.-उमाशंकर लि फ.रणछोड़दास, गढ़बदनोर। - Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ३ - कर्मकाण्ड ] क्रमाक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्त्ता आदि ज्ञातव्य १५१ ४२०८ १५२ ४१६५ १५३ ५७१६ १५४ ६६८१ १५५ ६६६२ १५६ ५२५५ १५७ ५६६५ १५८ ६६०० १५६ ६५७२ १६० ७७७५ १६१ ७६६५ १६२ ४५८१ १६३ ६६४८ १६४ ५७४० १६५ ५७६५ (५) १६६ ४५६४ १६७ ४६८५ १६८ | ४६३८ १६६ ५१८२ १७० ४७०७ १७१ ४५६८ स्त्रीकर्तृकश्राद्ध प्रयोग स्वस्तिवाचन 13 "1 55 संध्या (यजुर्वेदीया ) संध्या टीका 19 संध्यापद्धति ( सामवेदीया ) संध्याभाष्य संध्यामंत्रव्याख्या संध्या सटीका (यजुर्वेदीया ) संन्यासपद्धति सपिण्डीकरणविधि सर्वतोभद्रमण्डल पूजाविधि सर्वदेवतास्थापन पूजाविधि सिद्धिविनायकव्रत पद्धति सूर्यव्रतविधि हरतालिका व्रतविधि हेमाद्रिप्रयोग हेमाद्रिविधि ( स्नान संकल्प ) त्र्यृचाकल्प (अर्घ्यदान) दानखण्डोक्त "" यजुर्वेदीय " नारायणमुनि शठकोपमुनि भट्टोजिदीक्षित हंसवतो विधानोक्त लिपि समय १९१७ १६वीं श १७३६ १६वीं श १८६२ १६वीं श १८६६ १६वीं श. १६वीं श १६४२ १६०१ १६०८ १६वीं श " "1" " १८१२ १७२८ १८वीं श १८४४ १६वीं श. पत्र संख्या ५. १३ १० ६ ८ ११ १५ ५ ह १६ ४ ४ ४० ४ ११७-१३१ ४ ४ ७ १२ ८ विशेष उल्लेखनीय लि. क. - नारायण शर्मा [ २६ लि. क. - मुरलीधर शरण लि. क. - मगनराज जोशी लि. क. - रघुनाथाश्रम, काशी लि. क. - वसुदेवराम, मथुरा लि. क. - सदाशिव शुक्ल लि. क. - म. सुर Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ३ - कर्मकाण्ड ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १७२ ७७८८ ज्यूचाविधानम् ७७७४ त्र्यम्बकमंत्रविधि १७३ १७४ १७५ १७६ ५०५८ ५७६१ ६४२४ त्रिकाल संध्या ( सामवेदीया ) (यजुर्वेदीया) " "" लिपि समय १६वीं श १८६३ १९२३ १६२५ १८२५ पत्र संख्या 6 ू १६ १३ १२ ८ विशेष उल्लेखनीय [ ३० अपूर्ण लि. क. - बालमुकुन्द व्यास लि. क. - चैनराम मिश्र, भरतपुर Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ४-तन्त्रमन्त्रादि ] - लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम कमाङ्क ग्रन्थाङ्क १/ ५७८१ अमरनाथपटल भृङ्गीशसंहितान्तर्गत १९वीं श. ५२२७ ३ ५७८३ ४ ४१५२ अष्टादशाक्षरमहामंत्रपद्धति : उच्छिष्ट गणपतिचतुरङ्ग . उड्डीशकल्प रुद्रयामलप्रोक्त १८वीं श. १९वीं श. १९२७ २६ एकादशपटलांत, अमरनाथकी यात्राका फल १७ गोपालमंत्रपरक १५ श्रादि में गणपतियंत्र है । ६४ लि. क.-रामनारायणमिश्र लि.स्था.-बयाना सकलागमसारोक्त १९वीं श. ११४-११६ ५ ५७६३ उद्धारकोश ६ ५८२० ॥ ७४४५२(५७), औषधिकल्प (चक्र) ८५७६७ कक्षपुटो ६५६५० । कामकलाङ्गनाविलास १० / ५७६६ कार्तवीर्यदीपकर्मरहस्य लि. क.-कृपाराम सिद्धनागार्जुन पुण्यानन्दमुनीन्द्र उड्डामरतंत्रोक्त १८वीं श. १८७७ १६१६ १६५१ लि. क.-गदाधर देवज्ञ, लि. स्था.-वाराणसी १९०३ ५२२८ कार्तवीर्यनित्यदीपविधि कालाग्निरुद्रपटलोपनिषत् कालाग्निरुद्रोपनिषत् कुलाचंनदीपिका कुलार्णवतंत्र १८५० १९०६ १९वीं श. लि. स्था.-पुष्कर लि. क.-रामदास नन्दिकेश्वरपुराणोक्त जगदानंद महामहोपाध्याय ५६१७ ५६२३ ५७६२ ४३२६ १८४८८६ कृष्णचरित कौतुकचितामणि सम्मोहनतंत्रगत प्रतापरुद्रदेव १७६२ .१८०६ लि. क.-प्राशाराम ज्ञानी Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ३-कर्मकाण्ड ] [ ३० राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ४-तन्त्रमन्त्रादि ] क्रमांक । ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ ३२ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या | ग्रन्थाङ्क १० लि. क.-रामसुख, जयपुर १६ कौल रहस्य (शतक) ६६३५ ४ लि.क.-शिवनाथव्यास, जयनगर २० ७६६० गणेशपूजा ६७३२ गणपत्युपनिषत् ६३४८ गायत्रीपद्धति ६७७३ गायत्रीपंचांग ६२४७ गंधोत्तमानिर्णय ५७१० गुरुकीलकपटल ७८११(२) गौरीकल्प ५१६८ घंटाकर्णकल्प ५७०२ चण्डिकार्चनदीपिका तरुणीवीरेंद्र नरोत्तमारण्यमुनींद्र- १८८६ शिष्य १८८१ २०वीं श. १८८७ | रुद्रयामलोक्त १९०७ गुरुसेवक (श्रीकाल) १८वीं श. (गुप्तवतीरहस्यतंत्रोक्त) १९वीं श. १५वीं श. १९वीं श. काशीनाथभट्ट जयरामसुत १८६६ वाराणसीगर्भसंभव नागोजीभट्ट १६०० ३५ द्वितीय पत्र अप्राप्त २० लि. क.-रामदास कबीरपंथी २२ * रचना-१७०२ २ २७ २८ . ५८१४ चंडीप्रयोगविधि २० प्रापदुद्धारणमंत्रयुक्त, अपूर्ण २३ लि. फ.-व्रजवासी ज्योतिवित् लि. स्था.-फाशी २७ लि. क.-दामोदरदास, सिउखपुर ग्रामवासी २३ ६१ १६ * नृतीयपटलांत . * लि. फ.-बालमुकुंद -३० ५८८६ ७५०६ __३२ | ४८९७ ७७११ १९वीं श. १८११ . १८वीं श. चंडीपाठप्रयोगविधि | चंडीस्तोत्रव्याख्या । तंत्रलीलावती तंत्रस्थहृदय (स्वोपज़टीकोपेत) तम्बादिबीजमंत्र नागोजीभट्ट कर्णसिंह फाशीनाथभट्ट अनन्तशिष्य नागपुरवास्तव्य जयरामसुत ७६०८ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ४ - तन्त्रमन्त्रादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ग्रंथाङ्क क्रमाक ३५ ५७२२ ३६ ५१२६ ४६०० ३७ ३८ ४६२६ "" ३६ ५७६५ ( २ ) नित्यापारायण ४० ५५१६ नृसिंहमालामंत्र प्रत्यंगिरासूक्तमंत्र ४१ ७६४४ E तुरीयोपस्थानविधि नवार्णन्यासविधि नित्ययात्रा ( षोडशयात्रा ) ४२ ४४५२ (८६ ) प्रभात गायत्री तथा त्रिकाल ब्रह्म गायत्री ४३. ५१२३ (५) पंचदशी यंत्र विधान ४४ ७७०८ ४५ ५७५७ ४६ ५६५४ ४७ ५६५५ ४८ ५६५६ ૪૨ ५६६१ ५० ५६३८ ५१ ५७६५ (१) परशुरामकल्पसूत्र पात्रस्थापन विधि पुरश्चर्यार्णव "1 " पुरश्चरणचंद्रिका पूजा रत्न "7 काशीखण्डोक्त बुद्धिराज प्रतापशाहदेव " " " देवेंद्राश्रम सत्यानन्द लिपि समय १६१५ १६वीं श. " १८४७ १९वीं श "" १६१२ १८वीं श "1 १८वीं श. १६वीं श. " " 11 १६२८ १६वीं श पत्र संख्या ५. २ ε १४ १-२० २० १६ १२८वाँ २७-२८ ४८ ६ २४ २५२ ११७ ११२ २१२ १-६ विशेष उल्लेखनीय [ ३३ लि. क. - घनश्याम ब्राह्मण लि. स्था. - राजपुर, मेवाड़ लि. क. - ब्रजवासी सिल्लू लि. स्था. - अलवर * श्रादिके ११ पत्र कीटविद्ध । प्रथम तरङ्ग द्वितीयसे नवमतरङ्गपर्यन्त दशमैकादशद्वादशत रङ्ग रचना सं० १८३१ प्रथम मयख Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ........ ...... m nidina....... . ..... ... . .. .. ... . .... .. ... . ... .. . . [ ३४ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ४-तन्त्रमन्त्रादि ] कामाक ग्रन्थाङ्क कर्ता श्रादि ज्ञातव्य - ग्रन्थ नाम लिपि समय | पत्र संख्या | विशेष उल्लेखनीय ५२ | ५१६५ पूर्णाभिषेक षडाम्नाय मंत्रादि १८वीं श. स्फुट पत्र | इन पत्रोंमें नृसिंहसुन्दरी महामंत्र, दशमहाविद्या, दशावतार दशश्लोक, शिवाबलि विधि नाभिविद्योद्धार और तन्त्रोक्त अपूर्णहवनपद्धति लिखी हुई है। ६८७८ ५४ / ५००४ ४१३५ ६७६० ब्रह्मकल्प (कायाकल्प) बटुकभैरवपद्धति बटुकभैरवपूजापद्धति बालास्तोत्रादि मंचितामणिप्रोक्त विश्वसारोद्धारतंत्राप्त १९वीं श. १९वीं श. १९वीं श. १७२८ २७ १६-२४ बालास्तोत्र, ईश्वरीस्तुतिपूजा, भारतीस्तोत्र, अन्नपूर्णास्तोत्र, श्रीवातिकसंस्कृतपार्श्वनाथ स्तोत्र, परमानन्दस्तोत्र। पत्रह से १५ अप्राप्त प्रथमपत्र खस्ति। रुद्रयामलतंनांतर्गत भूतडामरतंत्रोक्त १८वीं श. १९वश. लि. फ.-भट्ट दयादत्तशर्मा ५७ - ७०५६ भुवनेश्वरीपद्धति (पञ्चाङ्ग) ५८ ५४२६ भूत-भूतिनीसाधनविधि ६४१६ भूतशुद्धि ७००३ ४१८१ | भूतशुद्धि प्राणप्रतिष्ठा मातृकान्यास ५००५ | भैरवपुरश्चरणविधि . . ६३ | ६४४६ (१) भौमपूजाप्रकार . ६४ ६७२३ | मंगलव्रतपूजाविधि | मंत्रमहोदधि. शिवागमसारोक्त लि. फ.-रामचंद्र शुक्ल लि.क.-विद्याधर महीधर .. १६१७ १८०३ Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [ ३५ . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ४-तन्त्रमन्त्रादि ] - क्रमाङ्क ग्रंथाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय : | मंत्रमहोदधि . महीधर ५७४८ ५७४४ १८वीं श. १९वीं श. १८७६ " ८२ / रचना सं० १६४५ ७४ नौकाटीकासहित लि. क.-शिवदत्त शक्ल सनाढ्य माधोपुर काशी ६६५६ २११ १९वीं श. गौतमतंत्रोक्त रुद्रयामलोक्त ३२ । ४८५८ ५०४६ ६२६२ ७२ ५८३२ ४२६६ ! मंत्रसिद्धिलक्षण महागणपतिविधान (पञ्चाङ्ग) महानिर्वाणतंत्र (पूर्वकाण्ड) महाविद्या बादशश्लोकीविवरण १४६ १६४२ १८वीं श. १४६१(?) % ५५, ४१वां पत्र प्राप्त _४ लि.स्था.-सिरोही,लि.सं-१८६१ प्रतीत होता है। ५३३६ ५००० ५६११ ६४१३ महाविद्यापारायणविधि . मातृकानिघण्टु . मानसोल्लास सटीक .. मायावीजकल्प (ह्रींकारकल्प) सिंह टी. रामतीर्थ १६०० १६वीं श. १६१६ १९७५ लि. क.-भक्तिसुंदर, लि, स्था.-विक्रमपुर ५७८० मार्तण्डमाहात्म्य • रामपद्धति (वेदोक्ता) भृगीशसंहितान्तर्गत श्रीरामानुज १९वीं श. ४११८ । १८६७ * लि. क.-विप्र जयराम ४२३६ ५५ । १८वीं श. ५८७८ लक्ष्मीनिवास नृसिंहाश्रमशिष्य १७७१ लि. क.-पुरुषोत्तमदास वैष्णव, लि. स्था.-गलता, जयपुर Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ...... Annarransmiti राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ४-तन्त्रमन्त्रादि ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम [ ३६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या * पत्र १६०वां अप्राप्त रामपूजापद्धति श्रीरामोपाध्याय १६५६ लक्ष्मीनिवास सिंहाश्रमशिष्य । १७६४ १६वीं श. १६१ २६ ६७४२ ६८०४ ४११७ ७७१६ ४१६६ राममंत्रपटल राममंत्रविधिपटल राममंत्रविधिपद्धतिपटल १७ लि.क.-वैष्णव रामप्रसाद वैष्णव लि. क.-अमरदास, खेतड़ी । १६१० १२२ । १८२४ । १८वीं श. ३१ लि. क.-भवानीदत्त ४२ : अपूर्ण २६ ६० ५७६२ रामार्चनदर्पण (त्रिपुरसुंदरीपूजादिविधान) ८६ ४१६७ लक्ष्मीपञ्चाङ्ग ७०५४ ललितोपाख्यान ६१ / ५१२६ वरदगणेशपञ्चाङ्ग ४४५२ (५६) वश्ययंत्रादि ५२३६ बसुधारा (प्रार्यवसुधारा) ९४ | ५२२५ | वसुधारानाम धारणीकल्प ५८०६ श्यामापद्धति ईश्वरतंत्रोक्त ब्रह्माण्ड पुराणोक्त रुद्रयामलान्तर्गत १९वीं श. १८वीं श. ११४वां । १९वीं श. बौद्धकल्प बौद्धकल्प १८६६ १९वीं श. अन्तमें भैरवतन्त्रोक्त जगन्मंगल कवच भी है। ५६२७ ५६०५ १८६२२१ श्यामार्चनमंजरी श्यामारहस्य लालभट्ट अनारगिरिशिष्य पूर्णानन्दगिरि | १९१६ १८वीं श. १०४ २२ पत्र २० से २२को लिखावट अर्वाचीन प्रतीत होती है। ६६ : ५५६२ - - Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ४-तन्त्रमन्त्रादि ] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य - लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ६ परशुरामकल्पसूत्रानुसार १९वीं श. श्रीचक्रार्चन विधि १०० ५८०५ पृथ्वीधरमिश्र शांडिल्यगोत्रज जगन्नाथसुत हरपुरनिवासी दक्षिणामूर्तिसंहितोक्त १९वीं श. मंत्रमहोदध्यनुसारिणी १०१ ५७५५ श्रीविद्यापटल १०२ । ७५०२ श्रीविद्यार्चनपद्धति १०३ / ५४६८ श्रीविद्यार्चनसंक्षेपपद्धतिः १०४ ५७६८ श्रीविद्यामालामंत्र १०५ : ५६६५ श्रीविद्यारत्नसूत्रदीपिका १०६ ४६५८ • शतचण्डीविधान १०७ ४६६८ १०८ ७१२६ __शतचंडी-सहस्रचंडो-प्रयोगपद्धति १०६ : ५६४१. शरभा पारिजात मंत्रमहोदध्युक्त । ललितापरिशिष्टतंत्रोक्त विद्यारण्य ४४ १९वीं श. ५२ लि. क.-सदाशिव शुक्ल ११ भट्टविश्वनाथस्य पुस्तकम् (अपूर्ण) १९२६ .. रामकृष्णदैवज्ञ नीलकंठवंशीय प्रापदेवसुत भवानीगर्भज दक्षिणामूर्तिप्रोक्त ५६९७ : शिवताण्डवतंत्र १९वीं श. १८४० ६४ लि. क.-जीवणराम, द्वादश पटलसेचतुर्दशपटलान्त २५ ४२ : लि. क.-गंगाधर टी० नीलकण्ठ गोविंदसूरिसूनु १९वीं श. १११ ६४४४ ६४६६ ___" , (सटीक) ११३ ४४६६ शिवपंचाक्षरीन्यासविधि ११४ . ६७३३ शिवाम्बकल्प ११५ ७७४१(२) स्फुटमंत्र ११६ ५००६। सर्वदेवप्रतिष्ठाविधि ११७ ! ५५८५ सांख्यायनतंत्र १७ १७वीं श. १८६१ १९वीं श. १२-१३ . १५४ लि. क. सदाशिव शुक्ल । ५१ . पंचत्रिंशत्पटलांत । Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ३६ ...c- - .. ma.x-नगमन्त्रादि । राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर-~-स्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ४-तन्त्रमन्त्रादि ] जमा गन्यात ग्रन्थ नाम कर्ता प्रादि ज्ञातव्य [ ३८ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या ११८ ७७७३ ११६ ४२०५ सिद्धसिद्धान्तपाद्धति सिंहसिद्धान्तसिंधु गोरक्षनाथ गोस्वामिश्रीशिवानन्दभट्ट १८२५ ६०२ रचना सं० १७३१ लि. स्था. जयपुर लि. क. गंगापुरी लि. स्था. मांगलोर ग्राम हाडौती प्रदेश १२० ७६९२ सुमुखीविधान रुद्रयामलोपत १७३४ १२१ ५६५८ । सौभाग्यरत्नाकर । १९२७ श्रीविद्यानन्दनाथ (श्रीनिवासभट्ट गोस्वामी) ६३७१ १२२ १२३ हनुमत्पताकासिद्धि त्रिकूटारहस्य रद्रयामलोक्त रुद्रयामलगत १८वीं श. २०वीं श. १७५० १२४ | अपूर्ण ५६ प्रथमपत्र प्राप्त लि. क. सुखराम १ प्रतिके कोण खण्डित हैं १२५ ५७७७ त्रिपुरार्चनमंजरी भट्टगदाधर(जानानन्दापर नामधेय १६१६ विमर्शशिष्य शिवशंकरसुत अम्बागर्भसंभूत) १९वीं श. १९वीं श. १२६ ५८१२ २६४ १०६ १२७ १२८ १२६ ५६०० ५८०६ | त्रिपुरारहस्य त्रिपुरासारसमुच्चय त्रिशतीनामार्थप्रकाशिका नागभट्ट शंकराचार्य १९३४ लि. क. नानूराम ब्राह्मण लि. स्था. जयपुर ८१यां पत्र प्राप्त ज्ञानार्णवतंत्र ११६ १३० ५८२६ १३१ । ६६५६ १६वीं श. १६वीं श. Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ५ धर्मशास्त्र ] ग्रंथाङ्क क्रमाङ्क लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेप उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम अविस्मृति स्कन्दपुराणोक्त १ ४३७८ २ ४५३४ | ४६२७ १६वीं श. १८४० १८६३ अथर्वणशांतिप्रयोग ७३ / लि. क. देवकृष्ण दाधीच लि. स्था. जयनगरमध्ये सीतारामजीका मन्दिर आचारदीप नागदेव उपाध्याय १८वीं श. ४५८६ ४६१६ १६वीं श. ४६४३ ६५५६ याचारप्रदीप १६१५ ८८ ज्योतिवित्केवलरामजीकस्य पुस्तकमिदम् ६३ | पत्र ५८, ५६ अप्राप्त ४० लि. क. रामनारायण मिश्र दाधीच ६२ पत्र १ से ३ तथा ५४, ५५वें अप्राप्त । लि. क. किशोरदास लि. स्था. सागवाट कपुर ७४वां पत्र प्राप्त ५२२६ प्राचारप्रदीप कमलाकर कूर्परग्रामवासी १७६० श्राचारमयूख नीलकण्ठभट्ट शंकरसुत है | ४३८२ १० ६५१३ | ४५२६ १२ ५२५८ ४५३० १४ ४५३१ १८वीं श. १८३८ १६वीं श. पाशीचत्रिंशच्छ्लोकी प्राशौचनिर्णय , वृत्ति २३ ६ | लि. क. शीवजी केशवसुत त्रिशच्छलोकी व्याख्या १६७० १८वीं श. श्री भट्टाचार्य ? Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ५- धर्मशास्त्र ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्त्ता आदि ज्ञातव्य १५ ४११३ १६ ७७६१ १७ ४६०२ १८ ४६०३ १६ ६२२८ २० ५२२० २१ ४५५६ २२ ४६७१ २३ २४ ६६६५ ४३५१ २५ ६२४६ २६ ६३८०. २७ ६५८७ २८ ६६२४ प्राशौचदशक सभाष्य " प्राशौचसंग्रह सटीक ( त्रिशच्छ्लोकी टी. भट्टाचार्य भाष्य ) 2: उत्सवप्रतान कालनिर्णयदीपिका 31 " कालनिर्णयप्रकाश कालनिर्णयसिद्धांत सटीक कृत्यरत्नावली गोदानविधिः #~\tentia 'चैत्रशुक्लप्रतिपनिर्णय जयसिंहकल्पद्रुम मू. विज्ञानेश्वर, टी. हरिहर " रामचन्द्रभट्ट विठ्ठलभट्टसुनु बालकृष्ण भट्टपत्र मू. रघुराम, टी. महादेव लिपि समय १८६६ १८वीं श. पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्राचार्य गोपाल गुरुशिष्य १८१३ १८११ रामचन्द्र भट्ट, विठ्ठलभट्टसून जयसिंहकल्पद्रुमान्तर्गत रत्नाकर पुण्डरीक १८४२ १६वीं श. १६वीं श " १८६१ १७४० १८वीं श "" १६वीं श. १८वीं श. पत्र संख्या ११ १० ३७ m १६ ३८ २० ३० ६ शिवनंदनजी लिखापित, जयपुर १४१ १४७ ६२ १६ 柒 ७५५ विशेष उल्लेखनीय [ ४० लि. क. मोरेश्वर लि. क. दयाराम, जयनगर लि. क. गोविंदराम महाशंकर टोडा मध्ये लि. क. प्रनिरुद्ध प्रश्नोरा, प्रति अपूर्ण । पत्र ४७, ८१ से ८४तक अप्राप्त लि. क. हरिराम हलवद्रवासी रचना सं. १७०६, १० स्थान भुजपुर । ५८वां पत्र प्राप्त | लि. क. गोपीनाथ । Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला म R निथिया । . . POWER सवण्श्व नाप्रपदश्वदि नावाशानीरामायनमगाश्रीगोविं दायनमः श्रीरामोजयतिचिन्नमस्तकाएरुन्यानमगिंगायनमः) संगे बोदधि स्नान क्षौरकमलमथुने जाने थमानेषतः लालव्यापिनातिथि मन्बादी : युगादविहदत्यगोव्यतीयाने धुतावतलालबापि नीतिशि२| नि संक्रातीविवाहारियलिस्नानदानादिक कृयान्निशकाम्यवतो . दीपासवऊनाश पादूर्वादुनियावर कादशी अगरवधाक असतके सदा।।४।। मशागाछविधाहे यसमंउये। राहोदर्शनकालनुस्तक नविधीयते॥५॥विताहिक तबंधेचचूडोय करणेतथा।। दुगाहोमसुतेजति अनिवनदृष्यति निबंधसंध्याका नत्यतिकतिरनाताबम्पयथाविधिाजयदशतचीतता राम ही ध्यासमारनायnamयामयंधाता संगवधिगुणं पूरतामध्याने विगुरको ७॥ समपराहीनतामायाने पंचगुणसंध्याति कमानवेनानिवधे ग्रन्थसंख्या ७६१४ तिथिनिर्णय (त्रिराज्य (ओरछा, जयपुर, बीकानेर) दीक्षागुरु गोस्वामिश्रीशिवानन्दभट्ट-रचित । रचयिता के जीवनकाल में संवत् १७३२ में लिखित प्रति) Page #52 --------------------------------------------------------------------------  Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; ५ - धर्मशास्त्र ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्याङ्क २६ ३० ३१ ३५ ३२ ४१२६ ३३ | ४६१८ (१) ३४ ४६०१ ३६ ३७ ३८ ३६ ६६६३ ६६५८ ४० ४१ ४२ ४३ ७०४१ ७५६५ ४५३८ ४६२६ ७५६५ ४६४७ ४६८४ ४५४० ५११३ ४६०५ ग्रन्थ नाम जयसिंहकल्पद्रुम जातिविवेक जीवत्पितृक कर्तव्य निर्णय तिथिनिर्णय ( तिथि दीधिति) " 19 " " दत्तकदीधिति दानचंद्रिका दानधर्म प्रकरण खण्ड दानवाक्यसमुच्चय देवालयगृहादिवास्तुदीधिति धर्मप्रवृत्ति धानतपद्धति ( द्वादश्यादिव्रत निर्णय ) रत्नाकर पुण्डरीक विश्वम्भरीयवास्तु शास्त्रान्तर्गत रामकृष्णभट्ट, नारायण सूनु, रामेश्वर पौत्र श्रनन्तदेव भट्टोजी दीक्षित गंगाराम भट्ट शिवानन्द भट्ट श्रनन्तदेव भविष्योत्तरपुराणोक्त हेमाद्रि पुरुषोत्तम श्रनन्तदेव लिपि समय १६वीं श. १६०२ १७४० १७५७ १८वीं श. १८३४ १७३२ १८वीं श. १८६८ १६वीं श १७६६ १६१६ १८वीं श. रामेश्वरभट्ट, सूनु श्रीनारायणभट्ट १८७६ १६वीं श. पत्र संख्या ४४१ २० २० ४८ २७ १२ ३७ ३०१ ३३६ विशेष उल्लेखनीय ६७ ४२ १७५ £ अपूर्ण, त्रुटित विविध कर्मकार जातियोंका वर्णन प्रथम पत्र प्राप्त १४ स्मृतिकौस्तुभान्तर्गत ६८ स्मृतिकौस्तुभान्तर्गत लि. क. वीरदेव संवत्र ( त्) नेपाले ८३४ [ ४१ कर्ताके जीवनकालमें लिखित प्रति ज्ञात होती है। लि. क. सदासुख शुक्ल श्राद्य १५ पत्र प्राप्त चतुर्वर्गचितामणिगत लि. क. भगवतीदास लि. क. वासनशुक्ल लि.क वैष्णव रामप्रसाद तक्षकपुर Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ५-धर्मशास्त्र ] क्रमांक ग्रन्याङ्क । ग्रन्थ नाम कर्ता यादि ज्ञातव्य [ ४२ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ६६५७ ४५५३ निर्णयसिंधु निर्णयामृत कमलाकरभट्ट १८५२ गोपीनारायणश्रीसूर्यसेन १५३५ महीमहेन्द्र बल्लालदेव १६७० नीलकंठभट्ट शङ्करसूनु १८वीं श. गोपाल न्यायपंचानन भट्टाचार्य । १९०७ नीलकंठ १६वीं श. ३५० लि. क. हरिदास वैष्णव, जयपुर २३० लि. क. पाठक वानरसुत । पाठक परमात्मा १८० (अपूर्ण) ४५८३ yo ५७०६ ४१८४ नीतिमयूख प्रायश्चित्तकदम्बनिर्णय प्रायश्चित्तमयूख ५३ । १०६ । * पत्र ७,६१,६२,७० से ७३ । तथा अन्त्य पत्र प्राप्त १५६ : ६६वां पत्र अप्राप्त ५०८ लि.क.-रामनारायण मिश्र शाकंभरीवासी पाराशरस्मृति सविवृतिक | विवृतिकार माधव ६४५४ ५१ - ४६२६ १५वीं श. १८३३ ७७७२ | ४५६३ ५४ | ४४४६ १७७१ १७वीं श. . । १७०६ १६०। अपूर्ण ३८४ : शाल.क. ३८४ : लि.क.-वीरेश्वर शुक्ल मदनपारिजात भट्ट विश्वेश्वर कौशिक (?) रूपनारायण ५५ ६५७५ मलमासनिर्णयादि ५६ ६००८ । महादानपद्धतिः ५७ ४९९० महावत . ५८ ६१२६ (१) महावतकथा ४४४४ महावतभाष्य ६० ४६८२ महाशान्ति १६वीं श.. १५७२ १८वीं श. १५४३ १७४१ १८६६ प्रथम पत्र प्राप्त १२ लि.क.-ऋपीश्वर १३ जीर्ण, फटी हुई ३४. * ६ लि.क.-सदासुख गोविन्दपण्डित नीलकंठ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ५-धर्मशास्त्र ] [ ४३. विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या | कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमांक ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क १२ ६६८५ ४५१६ ४५३७ ६४ ४३८३ माधवीयकालनिर्णयकारिका माधव मानवधर्मशास्त्रसंहिता भृगुप्रोक्त यमप्रणीतधर्मशास्त्र याज्ञवल्क्यस्मृतिटीका (मिताक्षरा- | विज्ञानेश्वर श्रीपद्मनाभ भट्टोप्रथमाध्याय) पाध्यायात्ज ,, द्वितीयाध्याय १८वीं श. १८वीं श. १८वीं श. १५७८ १ से ६ पत्र प्राप्त ४४ से ५४ पत्र अप्राप्त ४३८४ ४६४५ ४० ४३८५ , तृतीयाध्याय १४१ १८वीं श. १८वीं श. १८११ १७वीं श. ५१९३ ६४५१ ६४५२ प्रथमाध्याय ,, द्वितीयाध्याय ,, तृतीयाध्याय ६५४६ १८६६ १४३ पादितस्तृतीयाध्यायान्त ७५ १३२ 'शुक्लविश्वेश्वरस्येदंपुस्तकम्' १७६ १५०वा पत्र अप्राप्त लि.क.-वैकुण्ठनाथ, व्यवहार खण्ड मात्र ४७ | लि. क. उद्धवजी नागोर स्मृतिकौस्तुभान्तर्गत प्रथम पत्र तथा पृ. ६७ से आगे पत्र अप्राप्त, अपूर्ण प्रति लि. क, सदासुखशुक्ल, जयपुर ७३ | ४६१६ ७४ | ४५४१ रजोदर्शनजातकशांतिदीधितिअनन्तदेव १७८२ १९वीं श. ६७ ७५ / ४६३८ ७६ / ४३५० रजोदर्शनशांति रत्नसंग्रह १८९५ १७१२ गोविन्दपण्डित Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ५-धर्मशास्त्र । मन्या ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ७७ ६५०७ पराशरमुनि १५वीं श. १८वीं श. ५ तृतीयाध्यायपर्यन्त तपाराशरस्मृति व्यासस्मृतिः " . गृहस्थाहिकम् प्रता ६६१५ ४६२६ ५५३ | लि.क. १८६२ शङ्कर नीलकण्ठ (तनय) | लि. क. गङ्गाराम । लि. स्था. जयपुर। पत्र ५२ व ३८९से ३६४ तक अप्राप्त । शति में दो तरहफे पत्र हैं। ५१४ रो ५७० तकके पत्र दूसरी प्रकारके व छोटे हैं तथा इनमें पत्र सं. १७० तक स्वतन्त्र संख्या भी लगी है। ५५२ | पत्र ४७, ४८, १८६ व २२०से २२३ तक अप्राप्त २० ११वां पन अप्राप्त ८१ ५८२१ | वापिककृत्य १९वीं श. ४५८४ | विश्वादर्श कविकान्तसरस्वती मादित्याचार्य- १६७५ सुत कैवल्येन्द्र सरस्वतीशिष्य G ६७१६ ४५३६ विश्वेश्चरस्मृति वृद्धशातातपधर्मशास्त्र वैष्णवचर्चा वैष्णवधर्मतत्त्वचिन्तामणि वैष्णवोपयोगीनिर्णय १८वीं श. १५वीं श. १९वीं श. १८वीं श. १६०५ < श्रीनिवासाचार्य < ६२६६ • रामानचंद्रिकादिके आधार पर संगृहीत 6155 शसस्मृति (शाखशास्त्र) | शंखप्रोक्त १८४१ Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ५- धर्मशास्त्र ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमांङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ८६ ६० ६१ ६२ ६३ &૪ ६५ ६६ ६७ 9 ६८ εε १०० १०१ १०२ ४४४७ ४६४८ ६०७५ ४६३१ ४३८० ५००३ ५१४२ ४६३४ ५५७८ ४६६८ ४५३६ ४६१७ ४६३६ ६०६३ शांखायन सूत्रभाष्य शान्तिमयूख "1 शांतिसार }} शिवरात्रि पूजन विधि शुद्धिविवेक शूद्रधर्मकमलाकर स्मार्तनिष्कृतिपद्धति स्मृत्यान्हिक (स्मृतिसमुच्यय ) स्मृतिकौस्तुभ - संस्कारदीधिति स्मृतिसार 11 संस्कारकौस्तुभ वरदत्तसुत ? नीलकंठ दिनकरभट्ट रामकृष्णात्मज "7 रुद्र धरलक्ष्मीधरात्मज हल धरानुज भट्ट कमलाकर दिवाकर भट्ट श्रनन्तदेव याज्ञिकदीक्षित 11 श्रनन्तदेव लिपि समय १६०६ १७७६ १८७७ १८८७ १६वीं श. १६वीं श १७६६ १८६० १७०६शक १७५८ १८वीं १८१२ १७६७ १८वीं पत्र संख्या १५४ १५८ ८७ ६१ १२३ १५ १४ ६५ ७१ २४ ६७ २२ २० १३५ विशेष उल्लेखनीय [ ४५ कीटविद्ध | 'ठाकुर नाथूरामस्य पुस्तकम्' । पत्र ४६ से ५० व ८१वां प्राप्त लि. क. सदासुखशुक्ल, जयनगर जयसिंहकल्पद्रमोक्त लि. क. रामभक्त सारस्वत लि. क. सदासुखशुक्ल, जयपुर पत्र ६ से १५, २३, २४ तथा ५२ से ६२ तथा ८वां पत्र श्रप्राप्त लि. क. सखारामभट्ट उल्लप नामक भाई भट्ट सूनु लिं. क. ठा. लीलाधर लि. स्था. कोटा लि. क. तिवाड़ी शिवजीराम दायमा, लि. स्था. श्रमेर पत्र ३४, ३५, ३६ अप्राप्त लि. लट्टू गदाधरसुत जयकृष्ण Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ rammar [ ४६ - राजायागपुरातत्यान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ५-धर्मशास्त्र ] गन्य नाग कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय १८वीं श. १९२३ १०५ १०३ ७०४४ १०४ ७०४५ ५२५३ ४५३५ १०७ ४६७६ संस्कारप्रयोगसंग्रह संस्कारपद्धतिसंग्रह संग्रहश्लोकाः संवतस्मृति सापिड्यविवेक १८४० संवर्तनषिप्रोक्त श्रीशूलपाणि १७१६ ____ १८१० १०८ हारीतस्मृति लि. क. श्रीरत्नाकर भट्टात्मज भट्ट शंकर । लि. स्था. काशी ६८ | ५१वां पत्र प्राप्त । लि. क. पाशानन्द व्यास ४५ | लि. क. नाथूराम भालूक हारीतऋषिप्रोक्त ५५४६ भट्टोजीदीक्षित १८वीं श. हेमाद्रिकालनिर्णय विशछलोकीभाष्य विशच्छलोकीसटीक १८८४ १०६ ४५८६ ११० ৩৩৩০ ५३४२ ११२ | ४६३५ ११३ ६६०३ १११ १८ १८५४ १८६६ १९वीं श. लि. क. सम्पतराम १ ज्ञानभास्कर १३८ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-पुराण कथा-माहात्म्यादि ] क्रमात ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम ६६२८ अक्षयतृतीयाकथा पद्मपुराणोक्त अगस्त्यकथा . " (अर्घ्यदानविधिः) पद्मपुराणोत्तरखण्डोक्त भविष्योत्तरपुराणगत ४४६२ ३ / ४६६४ ६६७३ ५४२२० | अगस्त्यायपूजाकथा अनन्तनाथकथा अनन्तवतकथा गोतमप्रोक्त भविष्योत्तरपुराणगत ७ । स्कन्दपुराणोक्त ४१२२ ६६७० ६६५४ ६८११ ४१६० ४०४४ अर्बुदमाहात्म्य इतिहाससमुच्चय एकलिंगमाहात्म्य एकादशीमाहात्म्यकथा सार्थ ४ १६३१ २ | लि. क. देवकृष्ण दाधीच पुरो हित चक्षुपुरे (चाकसू ?) .. १९वीं श. १९वीं श. १८३१ ४ लि. क. रामचन्द्र १८१४ ८ लि. क. केसोराम कान्यकुब्ज ब्राह्मण नगर बोली १८वीं श. १६६ से २०२ १६वीं श. १० १८३२ १६०५ १३१ १९४३ १९१३ १०४ लि. स्था.-उदयपुर १८१३ २८. अर्थ राजस्थानी में है लि. क. रामचन्द ग्राम कांगणी मेवाड़देशे १९०८ ६१ लि. क. यज्ञेश्वरदेव, श्राद्य । ४ पत्र अप्राप्त १६वीं श. भाद्रपद से फाल्गुन कृ. एका | दशी कथापर्यन्त १८१६ १९वीं श. वायुपुराणोक्त विविधपुराणसंकलित १३५५५२ | एकादशीकथासंग्रह " १४ ६४०६ (अपूर्ण) १५ / ६७२६ ऋषिपञ्चमीकथा १६ / ६६६६ऋषिपञ्चमीव्रतोद्यापन ब्रह्माण्डपुराणोक्त भविष्योत्तरपुराणगत | G G Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ६ - पुराण- कथा -माहात्म्यादि ] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १७ १८ १६ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ३१ ६५६६. ६७०४ ५४४४ ४०६७ ४१०७ ४२०६ ४५५४ ६५४८ ६५६७ ६६०७ ६६०८ ६५७८ ४४४१ ४४४३ ४६०१ कमलैकादशीमाहात्म्य कामदेकादशीकथा कार्तिक कृष्णैकादशी माहात्म्य कार्तिकमाहात्म्य 17 "1 " "} " " و कार्तिक शुक्ल नवमी माहात्म्य कूर्मपुराण केदारखण्ड गङ्गामाहात्म्य ब्रह्माण्डपुराणोक्त भविष्योत्तरपुराणोक्त ब्रह्मवैवर्तपुराणोक्त स्कन्दपुराणोक्त पद्मपुराणोक्त "1 ( एकादशी कथा संग्रह) मत्स्याद्यनेक पुराणोत पद्मपुराणोक्तपुराणोक्त ब्रह्मनारदीयपुराणोक्त पद्मपुराणोक्त " " वेदव्यास स्कन्दपुराणोक्त: लिपि समय १६वीं श. " १८४५ १६७७ १८५६ १८५१ १८६१ १६वीं श. " १८७६ १६वीं श. १६वीं श. १८४८ १७६६ १६वीं श. पत्र संख्या ८ ४ ४ कामदा एकादशी पुरुषोत्तम मास की एकादशी होती है 'रमा' एकादशी ४७ ४५ ५१ ७१ ३८ ५१ ५७ २२ ६ २०० विशेष उल्लेखनीय ६७ [ ४८ लि. क. घनश्याम लि. क. गोविन्दव्यास गुर्जरगौड़ श्रजयपुर लि. क. नन्दुभाव विद्यार्थी लि क. गंगाविष्णु कान्यकुब्ज, बोली नगर २०वां पत्र प्राप्त लि. क. रत्नेश्वरव्यास, जयपुर अक्षय नवमीमाहात्म्य १६५वां पत्र प्राप्त लि. क. मोतीराम शैवप्रकरण जागेश्वरस्यपुस्तकम् Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-पुराण-कथा-माहात्म्यादि] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय / स्कन्द० ४४६० ४२५४ ४५५५ ६६०६ ६४१० ५ लि क. नन्दरामव्यास २८ | लि. क. नृसिंह भट्ट तर्ककेक्षरी गणेशचतुर्थीकथा गयामाहात्म्य गरुडपुराण गरुडपुराणसारोद्धार १६०४ १७४१ १९वीं श. वायुपुराणोक्त वेदव्यास प्रेतमञ्जरी " " ६६१० भविष्योत्तर० स्कन्द० १६१६ १४वीं श. १८६१ १६वीं श. ६६८५ ५५०६ गोपाष्टमीकथा गोत्रिरात्रवतकथा चातुर्मासमाहात्म्य (अपूर्ण) चान्द्रायणवतकथा ज्येष्ठकृष्णकादशीमाहात्म्य जन्माष्टमीकथा ६७०८ ४४८६ भविष्योत्तर० ब्रह्माण्ड भविष्योत्तर० १८५७ ५४४२ जन्माष्टमीजयन्तीनिर्णय १९०७ लि. क. व्यास रतनेश्वर, श्रीभिनमालमध्ये ६ लि. क. रामनारायण, हरि वल्लभजीभट्टस्य ४ लि. क. देवकृष्णभट्ट ११० नवानगरे लिखितम् वल्लभ (विष्णुस्वामिमतवर्ती) १८६४ १७६४ ६५८०. ५६६१ ५९६२ ७११६ ६७२२ ६६२६ ६६१२ जन्माष्टमीव्रतकथा तत्त्वदीपभागवतम् (पूर्वखण्ड) ___" (उत्तरखण्ड) तुलसीमाहात्म्य तुलसीविवाहमहिमा द्वादशीमाहात्म्य दशादित्यनतकथा पद्य०स्कन्द०विष्णुधर्मोत्तर० विष्णुपुराणोक्त गरुड़० स्कन्द० १९वीं श. ११वीं श. १७७६ १६वीं श. Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - n. .. ' ........ .... . .. .. -an -m-am--- राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-पुराण-कथा-माहात्म्यादि ] [ ५० कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ११२ ५०/६४८६ ५१ ४२१८ दानभागवत | देवप्रबोधिनीएकादशीव्रतकथा कुबेरानन्दवणि | विष्णु १९वीं श. १८५३ १२ लि. क. गङ्गाविष्णु कान्यकुब्ज बौंलीनगर(जयपुर राज्यान्तर्गत) ब्रह्माण्ड० ५२ ५२०५(१५)/ धरणीशेषसंवाद ५३ / ६८३६ । नासिकेतपुराण १५वीं श. १८६५ ___६२ गुटका-जिसमें रामगीता, राम स्तोत्र, कर्मविपाक व पाण्डवगीता भी हैं माथुरराजद्वारकादास कारायित टिप्पणी लक्ष्मीधरपुत्र रामशिष्य ? नित्यविहारलीला १६४५ ५४ । ५९५२ निर्जलकादशीमाहात्म्य नृसिंहचतुर्दशीव्रतकथा ब्रह्मवैवर्त० पद्मपुराणोक्त G < लि.क. रामलाल स्कन्द० ६७०९ ४४८७ ६६०१ ५८६६७१ ४५४८ ५५४२ .६१६५६० ६२, ६८०७ ६३/ ७७७७ ४६२२ १८६१ १९वीं श. १८७७ २०वीं श. १६२३ १८३८ १८६६ १६वीं श. प्रदोषवतकथा पञ्चपर्वमाहात्म्य गरुड़०वराहनारदीय० पमपुराण (पातालखण्ड) पुरुषोत्तममासमाहात्म्य पुरुषोत्तमसहस्रनाम टीका (अपूर्ण) | शङ्कराचार्य पुष्करणोपाख्यान स्कन्द पुष्करप्रादुर्भाव (सटीक) टी. विश्वेश्वर ११ लि.फ. घनश्याम ब्राह्मण पाराशर ४३, १४वा पत्र प्राप्त ४१ लि. क. रामनारायण मिश्र ४३ विष्णुसहस्रनाम स्कन्द० .... १७६५ ८३ / गौड़जातीयभट्टरामनन्दनात्मजेन वीरनन्दनेन लिखितं व्यास क्षेत्रे' ३६वा ६२वा पत्र प्राप्त Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . राजस्थान पुरातत्त्वान्देषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-पुराण-कथा-माहात्म्यादि] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क विशेष उल्लेखनीय ६५८६ पुष्करमाहात्म्य १७६६ १८३७ ६६७०१७ २१ ७०३३ ७६०६ ४१०१ ६६६० १८वीं श. १७६५ १८६१ १६वीं श. ६६ ५६ लि. क. मोतीराम मथ, रूप-... नगरमध्ये लालदासजीपठनार्थ सलेमाबाद पाद्यपत्र प्राप्त ६० प्राद्य २ पत्र अप्राप्त ६६ १०१ ६६ १७४ ब्रह्मवैवर्तपुराण (गणपतिखण्ड) ६६५६ ६९६१ ६५१२ (प्रकृतिखण्ड) (ब्रह्मखण्ड) बृहन्नारदीयपुराण ७७ १७९८ १३३ लि. क. जतीलालजी सवाई जय पुरे महाराजाधिराज सवाई जयसिंहराज्ये चित्र सं० ६ . १८वीं श. ६७ ५२१२ | भागवत (प्रथम से दशमस्कन्धपर्यन्त) सचित्र ५४६५ । भागवत (प्रथम तीन स्कन्ध) ४२३० , (द्वादशस्कन्ध) ४३१७(१) , सजिल्द सटीक श्रीधर स्वामी (प्रथम-द्वितीयस्कन्ध) ४३१७(२) , (तृतीयस्कन्ध) १८७१ १९वीं श. ११३ लि. क. घनश्यामपल्लीवाल ५२ / लिपि सुन्दर,प्राद्यन्त पत्रोंपर चित्र .. ७९ " १४० Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ६- पुराण कथा-माहात्म्यादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ४३१७ ( ३ ) भागवत ( चतुर्थ स्कन्ध) ( पञ्चम,, ) ४३१७ (४) ( षष्ठस्कन्ध) ( सप्तमस्कन्ध) ४३१७(५) ८३ ४३१७ (६) ८४ | ४३१७ (७) ८५ ७०२१ ८६ ७०३२ ८७ ७०२७ ७०२८ ६४७७ ८० ८१ ८२ ८५ ८६ εo ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६४७८ ६४८६ ६४८० ६४८१ ६४८२ ६४८३ " "} 35 "} " "5 11 11, 21 13 "1 " " " ( अष्टमस्कन्ध ) ( नवमस्कन्ध ) (दशमस्कन्धपूर्वार्द्ध) (दशम उत्तरार्द्ध) सटीक "1 ( दशम पूर्वाद्धं ) ( दशम उत्तरार्द्ध) क्रमसन्दर्भटीका (प्रथमस्कन्ध ) क्रमसन्दर्भटीका (द्वितीय स्कन्ध) | (चतुर्थ स्कन्ध) ( सप्तम,, ) ( श्रष्टम,, ) ( नवम,, ) ( दशम,, ) टी. श्रीधरस्वामी "1 ן " टी०श्रीधरस्वामी "1 १६वीं श. " "1 13 "1 १७६८ १८वीं श. १८२६ " १८वीं श " " " 11 21 १७६८ पत्र संख्या १- १२१ १-६४ १-७८ १-७८ १-७२ १-६२ १७७ १६१ ११ ६५ ८८ ८६ २४ १७ २१ ६ ह ६ १०६ विशेष उल्लेखनीय लिपि सुन्दर. श्राद्यन्तपत्रों पर चित्र 11 प्राद्यन्त पत्र सचित्र ; लिपि सुन्दर एक जिल्द में " "3 लि. स्था. मालपुरा प्रथम स्कन्ध (पूर्ण) प्रति कीटभुग्न 11 "ती सन्तोषयता सन्तौ श्रीलरूप सनातनौ । दाक्षिणात्येन भट्ट ेन पुनरेतद्विविच्यते " 31 11 27 "" [ ५२ ', 23 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ५३ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-पुराण-कथा-माहात्म्यादि ] लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम विशेष उल्लेखनीय १८वीं श. ६४८४ ६४८५ भागवत (एकादशस्कन्ध) भागवतक्रमसन्दर्भटीका द्वादशस्कन्ध भागवतके सचित्र पत्र भागवत सटीक १४०-१४६ / चित्र सं० १२ ७८२२ टी० श्रीधरस्वामी १९वीं श. १८वीं श. १९वीं श. ६९२५ १०० | ६९६४ | ६७०६ १५३ " मूल पञ्चमस्कंधके चतुर्थ अध्याय तक ११६ ६४७४ १०३ । ६४७५ १०४ । ६४७२ १०५ ६५४६ १०६ । ६५५० ,, (प्रथमस्कन्ध) सुबोधिनीटीका | टी० वल्लभाचार्य , द्वितीयस्कन्ध ॥ , सटीक द्वितीयस्कन्ध टी० श्रीधरस्वामी तृतीयस्कन्ध चतुर्थस्कन्ध १७६७ १७९८ १८वीं श. १६वीं श. १८०६ ६५५१ पञ्चमस्कन्ध १७८९ ५७ ४८वां पत्र प्राप्त ११८ ९७ / लि. क. भूधरमहाजन भानपुर मध्ये ८३ | लि. क. खुश्यालचन्द बधवाड़ा ग्रामे राजश्री बेदला इंगरसिंहजी राज्ये ६२ | पत्र २८ से ३० तक अप्राप्त ६७ / २१वां पत्र प्राप्त लि. क. गोवर्द्धनदास जती | सवाई जयपुर मध्ये ६५५२ षष्ठस्कन्ध १६वीं श. १८१० सप्तमस्कन्ध ११० ६५५४ अष्टम स्कन्ध १६वीं श. Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ... .--.-...... ..... ........................----- [ ५४ . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ६-पुराण-कथा-माहात्म्यादि ] क्रमाङ्क | ग्रन्याङ्क | ग्रन्थ नाम । कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय टी० श्रीधरस्वामी १९वीं श. ११२ | भागवत नवमस्कन्ध दशमस्कन्धके सचित्रपत्र भागवत दशमस्कन्ध ७८३४ ५१७८ ६४५० ५१७६ ६ ६ पत्रोंमें ११ चित्र ४० : जीर्ण २६२ लि. क. देवजी रूपपुरनिवासी ३ ३१वां अध्यायमात्र लि. क. दुर्लभराय जगन्नाथ भट्ट १६८५ १९वीं श. ११४ सुत १८वीं श. ११६५१८४ ३६२ : अन्तमें श्रीकृष्णसहस्रनाम और अष्टकादि भी हैं १९वीं श. ११७६४७३ ६४६० ११६ १२० ६४७६ भागवत दशमस्कन्ध रासपञ्चाध्यायी टिप्पणिकार विद्याभूषण वैष्णवनन्दिनीटीका ,, दशमस्न्क धप्रकरणद्वयविवृति-विठ्ठलदीक्षित प्रकाश " दशमस्कन्ध सुबोधिनीटीका वल्लभाचार्य ,, भागवत दशमस्कन्धपूर्वार्द्ध सटीक टी० श्रीधरस्वामी " उत्तरार्द्ध , दशमस्कन्ध (उत्तरार्द्ध) सटीक टी० परमानन्द " , (उत्तरार्द्ध) , एकादशस्कन्धसटीक ट'. श्रीधरस्वामी द्वादश ,,, " दशमस्कन्धे जन्माघस्यार्थप्रकाश १२१ ६८१५ ६५१६ ६४४६ ६५५६ १८वीं श. १६वीं श. १९४५ १७५८ १९वों श. १८२ १११ ६८ : लि. फ. लक्ष्मीनारायण १३० बुन्देलखण्डे कोंचसमीपे १८ १५५ १२२ - १२३ १२४ " १२५ १२६ ६५५८ ६४६५ १८वीं श. १६वीं श. "जन्माघस्य"-इस एकही श्लोकके अनेक प्रकारसे अर्थ किए गये हैं Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-पुराण-कथा-माहात्म्यादि ] [ ५५ लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १२७ | ६६१७ १२८ | ४१०२ भागवतपुराणविषयशंकानिरास भागवतमाहात्म्य पुरुषोत्तम(वल्लभाचार्यचरणानुचर) १९वीं श. पद्मपुराणोक्त " १८ लि. क. ब्रजलालगौड़, ब्राह्मण गुर्जरगौड़, ग्राम खंडारी ५५४१ भागवत माहात्म्य १८वीं श. १६वीं श. १८५५ | पत्र १० से १३ तक अप्राप्त १५ लि. क. कंवर कालूराम जयपुर ६५६८ मध्ये ७५-१ १८४५ ३रा पत्र प्राप्त लि. क. लिषमीराम जोसी नेवटा नगरमध्ये १८२५ १६वीं श. ७८ १३३ / ६४८८ | भागवतसन्दर्भे तत्वसन्दर्भः (प्रथम)| जीवक १३४ | ६४८७ ।, , भगवत्सन्दर्भः (द्वितीयः) १३५ / ६४८६ " , कृष्णसन्दर्भः (तृतीयः) १३६ ५२०५(११) भागवतानुक्रमणिका १३७ ५७३७ भौमत्रतकथा भविष्योत्तर० ४२-४७ १८वीं श. १८६६ लि. क. व्रजवासी ज्योतिर्विद सारस्वतकुलोत्पन्न रीमा (रीवा) १९वीं श. ६७३६ ७५६३ ७३०७ आदिवराहपुराण आद्य ४ पत्र प्राप्त मत्स्यदेशमाहात्म्य मथुरामाहात्म्य , (अपूर्ण) महालक्ष्मीव्रतकथा माघमाहात्म्य ६६११ १९वीं श. १९१६ १८६२ भविष्योत्तर० पद्म० ४५४६ | वसिष्ठ दिलीपसंवाद - - - - - -- Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ६ - पुराण- कथा-माहात्म्यादि ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय क्रमाङ्क १४३ १४४ ग्रन्थाङ्क ६५६३ ६५६६ १४५ ५५७५ १४६ ६५६७ १४७ ६७११ १४८ ५८७२ १४६ ६६६७ १५० ६५६५ १५१ ६७७८ १५२ ५१७३ १५३ ४६३७ १५४ ६४६६ १५५ ६७४० १५६ ६६६८ १५७ ५४६५ १५८ ६५६४ २५६ ६६४७ माघमाहात्म्य "" ग्रन्थ नाम मार्गशीर्ष माहात्म्य " यमद्वितीयाकथा रामनवमीयतकथा " रामायणमाहात्म्य रासक्रीड़ा रासपञ्चाध्यायी लिङ्गपुराण 19 लोहागंलमाहात्म्य वटत्रिरात्रिकथा विष्णुपुराण (६ खण्ड) वैशाखमाहात्म्य पद्म० 19 स्कन्द० 11 लिङ्ग पुराणोक्त प्रगस्त्यसंहितोगत स्कंद० भागयतोवत " वेदव्यास " वराहपुराण भविष्योत २० वेदव्यास स्कंद पा० १६वीं श. १८५६ १८३१ १६वीं श १८८७ १५८६ १८६२ १८५६ १६१६ १८. १०१४ १. २०प. १७६६ १यश. {Ë{' १२४१ ***** पत्र संख्या ३६ ४१ ३८ ५४ १ 6kmmo * ३७ १८६ विशेष उल्लेखनीय लि क. रामसुख रामनारायण सवाईजयपुरमध्ये पत्र ३५, ३६ प्राप्त वि. क. लालबिहारी [ ५६ वि. क. गिरिधारी लि. क. शंकरपान गण्डेला लि. रु. रामनारायण वि. क. रामरामनारायण लि. क. बुधाराम こ १८१ ४६ सि. के. रामनारायपनिय ६३. रान साजर सातारा Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ६ - पुराण - कथा - माहात्म्यादि ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय क्रमाङ्क. ग्रन्थाङ्क १६० १६१ १६२ ६६०६ १६३ ५४४५ १६४ | ६६१४ १६५ ६६४६ ५४८५ ४४८८ १६६ ६७१२ १६७ ५२५७ १६८ ४१०० १६६ ५६७८ १७० ६४०३ १७१ ४६३८ ग्रन्थ नाम शिवपुराण शिवरात्रिकथा 11 शिवरात्रिव्रतकथा संक्रान्तिमाहात्म्य संकष्ट चतुर्थीकथा संकटचतुर्थी व्रतकथा सत्यनारायणव्रतकथा सत्योपाख्यान हरितालिका व्रतकथा हरितालिका व्रतकथा हरिवंशपुराण र सकुल्याख्याव्याख्या वेदव्यास स्कन्दपुराणोक्त स्कन्दपुराणान्तर्गत लिंगपुराणोक्त स्कन्दपुराणोक्त नारदीयपुराणोक्त स्कंदपुराणोक्त श्रीव्यास भविष्यरोत्तरपुराणान्तर्गत भविष्योत्तरपुराणान्तर्गत हितहरिवंशगोस्वामी १८१७ १८वीं श. १६वीं श. १८१६ १८६० १९३७ १७३० १९३४ १६वीं श. १८६५ १६वीं श. १८३५ पत्र संख्या २०६ ४ २ १४ १ ४ [ ५७ ५२६ विशेष उल्लेखनीय ग्राम खाचरोद में लिखित लि. क. संभूकचन्द लि. क. कँवर कालूराम लिखित जयपुर मध्ये लि. क. कँवर कालूराम लि. क. जोशी मोडराम पाटोद्यो बूंदी मध्ये ५ १२ ६५ ४ लि. क. व्रजवासी सिल्लुः काश्याम् ३ प्रथम पत्र श्रप्राप्त Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क अनुस्मृति १ | ४५४५ अध्यात्मविद्योपदेशविधि(गीतागूढार्थ- शंकराचार्य १७६० लि.क. मयाराम दीपिका) लि. स्था. मालपुरा ४५६४ अन्तःकरणबोधसविवृत्तिकविवृति | वल्लभ १८वीं श. ४२४४ महाभारतगत ४६४६ अनुस्मृति महाभारतशान्तिपर्वोक्त १९वीं श. ४५८८ अपरोक्षानुभूति शंकराचार्य १८वीं श. ५२३२ ६७१० २०वीं श. ७७५७ (४) १८५० |१७०-१८६ ५३५१ अभयप्रदानसार वरदाचार्य वेंकटनाथाचार्यशिष्य | १८६१ | ६९४२ अर्जुनगीता १८६६ १२ | लि. क. शिवराजगिरि ११ ५५४७ अर्थपञ्चकम् (रामानुजसम्प्रदायस्य)| गोपदास १८३७ | लि. क. तुलसीदास वैष्णव पुष्कर मध्ये ५५४३ । अष्टावक्रटीका विश्वेश्वर १७१४ लि. क. गोकुल वैरागी शाहगंज १३ | ५२९४(२)| अष्टावकटीका (अवधूतानुभूति) विश्वेश्वर १८६० | लि, फ. हरिदेव .. १४ | ६५६६ अष्टावक्रटीका (वाक्यसुधाख्या) १९वीं . १५ / ४६०४ अष्टावक्रसूक्त अष्टावक्र | ४६०६ अष्टावक्रसूक्तसटीक (त्रिपाठ) टीका-विश्वेश्वर १८०५ २७ | लि. क. रामेश्वर शिवात्मज | ७७५७ (७) | आत्मनिरूपण शंकराचार्य . १८५० २२०-२२२ १८ | ४५६१ आत्मबोध १७६६ ...१६ ४६११ । १८वीं श. लि. क. दयादत्त १० १७ - -- - Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय २१०-२१६ १६वीं श. १७७४ २३. लि. क. रामकृष्ण १८वीं श. ६३५४ ७७५७ (६) आत्मबोध शंकराचार्य ६६७६ आत्मबोधप्रकरण ६६२७ आत्मबोधव्याख्या (विद्वज्जनानन्ददा- शंकराचार्यनारायणतीर्थ यिनी, बालबोधिनी ४१४१ आत्मबोधसटीक शंकराचार्य ४६१२ आत्मबोधसटीक (प्रकाशिकाख्या) | टीका गोविन्दाचार्य ५६१२ | आत्मबोधसटीक शंकराचार्य आत्मानात्मविवेक ६१५४(२) उज्ज्वलनीलमणि विवृतिः | रूपसनातन ४५७८ उत्तरगीता अश्वमेधपर्वगत ५६१६ | उपदेशपजचकव्याख्या शंकराचार्य, टीका-भूधर ५५०३ कर्णानन्दसटीक (अर्थकौमुदीनाम्नी) कृष्णदास, टीका-प्रबोधानन्द सरस्वती ৮৪৬৬ कुम्भकपद्धति रघुराम शिवरामसुत ७०६६ कृष्णसन्दर्भ जीवगोस्वामी १९वीं श. १८वीं श. १८१४ १६वीं श. १७६ १४ १८०६ रचनाकाल सं. १६३५ १९वीं श. १८२० २१ लि. क. व्यास हरिलाल जूनियावासी; पत्र २१, २२ अप्राप्त । ५६८५ १८वीं श. १५६ ब्रह्मज्ञानतत्त्वसार " ४५६७ ७६१० ६७८२ ५४०४ १९वीं श. गर्भगीता गीतासारोपनिसत् गोरक्षशतक गोविन्दगुणानुवादसटीक ४ लि. क. केशवदास कृष्णदास १९४६ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] | कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क [६० विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या १८वीं श. ६४ रचनाकाल १६६५ ३० प्रति जीर्ण व कीटविद्ध है ३० ४१ ४०-४१ १२७ . अपूर्ण २३ ३८ ४५८७ : चन्द्रोदयविलास चन्द्रसिंह ३६६२०१ चित्रदीपव्याख्यान रामकृष्ण ४० ६०६६ चित्रदीपसटीक ४१ ६५६० चैतन्यचरितामृत ५२०५(८), जलभदः वल्लभाचार्य ६५०६ : जलभेदटीका कल्याणराम ४३८१ तत्त्वभागवत ५५२६ तत्त्वमुक्तावली पूर्णानन्द श्रीगौड़ ५५६६ तत्त्वयाथार्थ्यदीपनम् गणेशदीक्षित ७१६१ तत्त्वसन्वर्भ जीवगोस्वामी ७७५७(५) तत्त्वसार ब्रह्मचैतन्यमुनि ५३८५(१) , ५० ६०५६ तत्त्वत्रयचूलिका वरदार्यः ४५४६ | तत्त्वानुसंधान महादेव सरस्वती मुनि ५२ ६०७० ५३ ६१७३ ६४६२ ५५, ६७०५ द्वादशमहावाक्यविवरण ५६ | ७७५७ (२) द्वादशमहावाक्यसिद्धांत ५७ | ६८०६ दशश्लोकीटीका (तत्वसार प्रकाशिनी) नन्ददास ५८६०६१ नाटकद्वीपाख्याव्याख्या | रामकृष्ण विद्वान् १८६-२०६ १९वीं श. १६०१ १८वीं श. १७२८ १८वीं श. १८४६ १९वीं श. १८वीं श. १८५० १६वीं श. १८४७ १७६५ १६०१ १८वीं श. १८५६ १८७५ १८५० १८२१ १९वीं श. १५ लि.क. मयाराम लि. क. हरीराम दवे, भावनगर ५६-१४० लि. क. हरचन्द्र, जयपुर Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] - -- ram [ ६१ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम १९वीं श. १७७६ १८वीं श. | १९वीं श. ४२वां २७ । प्रथम ३ पत्र प्राप्त ३६-३७ ७१ | लि. क. मोतीरामजोशी, जयनगर ८० १२ ४१ ५६ | ७११७ नारदगीता ६० ५२०५(१०) निरोधलक्षण वल्लभाचार्य ६१ / ७५७६ निरोधलक्षणटीका , टी० हरिराय | ५२०५(४) प्रन धः विटुलदीक्षित ६३ | ५६५२ प्रश्नावली जड़भरत (माधवानंदशिष्य) | ५७२५ प्रस्थानभेद मधुसूदनसरस्वती ५४७२ प्रीतिसन्दर्भ (षष्ठः) जीवगोस्वामी ५४६६ प्रेमपतनाख्यसन्दर्भसटीक रसिकोत्तंस ६७१६ पञ्चधाटीव्याख्या ७०३१ पञ्चदशीटीका टी० रामकृष्ण ওওও पञ्चदशीसटीक | ५२९४ (१) पञ्चीकरणप्रकरण (अवधूतानुभूतिः)| टी० विश्वेश्वर ५७८२ पञ्चीकरणसटीक टी० प्रानन्दगिरि पचावली योगेश्वर ५३८५ (२) परमात्मप्रकाश | ७०६८ परमात्मसन्दर्भ जीवगोस्वामी परिभाषावृत्तिः विद्याविलास ४२१४ पाण्डवगीता ४२४० ४५५६ ५११२ १२५ १५ लि. क. हरिदेव १८२१ १८वीं श. १९वीं श. १८६० १८वीं श. १८६० १९१६ १८८८ १६वीं श. १८२० १७२४ १९वीं श. १८वीं श. १९वीं श. ६१३४ २७ / लि. क. हरिलाल व्यास १३ / श्राद्य २ पत्र प्राप्त 22 लि. क. जयकृष्ण " - Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] कमांड ग्रन्थाद्ध ग्रन्थ नाम कर्ता प्रादि ज्ञातव्य [ ६२ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या | लि क. परशुराम व्यास लि. क. बाबा कृपाराम ३७-३८ ७७०६ पाण्डवगीता ७८१६(४) , ५२०५(५) पुष्टिप्रवाहमर्यादा ५४७० ब्रह्मसंहितासटीक (पञ्चमाध्याय) ४५६८ ब्रह्मज्ञान भक्तिप्रकरण ४२६६ भक्तिरत्नावली ४२८९ सटीक लि. क. हरिलाल व्यास वल्लभाचार्य | रूपगोस्वामी महादेव वल्लभाचार्य परमहंस १८०४ १८३३ १८वीं श. । १५२८ १९वीं श. १८वीं श. ३३-३६ ८७ १७५४ .१२३ रचना १५५१ लि० स्था० जोधपुर ३० १८२८ १८वीं श. भगवद्गीता १२६ प्राद्यन्त पत्र सचित्र चित्र संख्या सचित्र ६७ ६१५० ४२६८ ४२६५ ५०८४ ५११० ६२६४ १८०५ १७११ १८वीं श. ८३ (सभाष्य) रामानुजाचार्य ४५८५ | ४५४३ सटीक गूढार्थदीपिकासहित विश्वेश्वर सरस्वती १५३८ १७६० काशीमें लिखित अंतिम अध्याय के ३९वें श्लोक तक है पत्र १, २८, ३३, ३४ अप्राप्त २०५ लि. क. वैष्णव मयाराम लि. स्था. श्री द्रव्यपुर (लि. क. गौरीशंकर पा ३, ४, ६, ८,४६ अप्राप्त १२५ ६६ ५४८० सुबोधिनीटीका श्रीधरस्वामी १६२७ ६७ / ६३५६ " १७६६ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .: राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] [६३ विशेष उल्लेखनीय - लिपि समय पत्र संख्या क्रमात ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य .. ग्रन्थ नाम ७०६६ ४३१० भगवद्गीता (पञ्चोली) | भगवद्गीता (भाषापद्यानुवाद सहित) हरिवल्लभ १९वीं श. १८२० १०० ६०७७ १०१६०६५ " सुबोधिनी व्याख्या श्रीधर भगवद्भक्तिरत्नावलीसटीकत्रिपाठविष्णुपुरी १८४६ १८३४ १४१ १८८ | लि. क. पिरागदास स्था० नटवाड़ा ११३ लि. क. काशीनाथ भरतपुर ६७ पत्र ६६वां अप्राप्त लि. क. नरोत्तमदास वैष्णव २६ लि. क. मनुलाल लि. क. जमनादास, नाथद्वारा ७४ लि. क. वैष्णव गंगादास, पल सरा ग्रामे ६३२४ १८७६ १८८० १९वीं श. ७५२० ७४ १६वीं श. १८वीं श. प्रथमपत्रसचित्र १४७ ६४६४ ६५६२ सटीक १०६, ७०१६ ६१५४(१)| भक्तिरसामृतसिन्धुटीका (दुर्गम संग- रूप सनातन मनी) १०८ ६२३१ | भक्तिरसामृतसिन्धुसटीकपूर्वविभाग भक्तिरसामृतसिन्धुबिन्दु ६७६७ भक्तिरहस्य मल्लिनाथ १११ । ७०७० भक्तिसन्दर्भ जीवगोस्वाम ११२ । ७०६७ भगवत्सन्दर्भ ५२८१ भगवद्गीता १६२४ १९वीं श. १७७६ १८२० लि. क. सहजरामवैष्णव साहिपुरा क. व्यास हरिलाल W or ४४७ 0 ११४ १८११ १७७९ गोविन्द लश्करी शिवनाथ 0 Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्भेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थ नाम • कमाक ग्रन्थाक ११५ ११७ ११८ ११६ १२० १२१ शंकराचार्य ११७ " श्रीधर - १२२ १२३ .. १२४ ६७५७ भगवद्गीता ७६०२ ७८०५ ७७८५ (पंचोली टीका) ५७०७ भगवद्गीतासभाष्य ४५५१ ४३७२ भगवद्गीतासटीक ६६४० ६९५८ (अर्थसंग्रहटीक) सुबोधिनीटीका ६५०५ भगवद्भक्तिविलासटीका ६५२० महावाक्यार्थविवरण ६०६६ मीमांसा परिभाषा ६२८० (१) मूलसूत्र ६२६५ यतीन्द्र मतदीपिका ५२६३ याज्ञवल्योपनिष ५५५१ युगलचरितामृतकथा ७३३६ योगदृष्टिसमुच्चयवृत्ति ७७५७ (३) योगवासिष्ठसार | ४५५२ (सटीक त्रिपाठ) श्रीधर गोपालभट्ट १८८६ ५४ लि. स्था. डेराबसी १८५७ ३५ लि. क. गोडजी शोभजी १८वीं श. ११७ १९४१ एकादश अध्यायपर्यन्त १८वीं श. अपूर्ण १८७५ ११३ १८७३ १०६ लि. क. रामचन्द्र ११२ प्रथम पत्र प्राप्त १८वीं श. ११२ १८६७ ६७१ लि. क. गोविन्दराम, जयनगर १९वीं श. अन्तिम पत्र खण्डित १९१७ १७ लि. श्यामदास, मथुरा १९०६ लि. पुजारी हरदेवदास १८वीं श. १८२३ १९वीं श. १६वीं श. पत्र २५, ४५, ४६वां अप्राप्त १७१६ १८५० १४०-१७० १७८८ .२७ लि. क. नारायणदास वैष्णव | स्थान वृन्दावती १२६ १२७ . १२८ कृष्णयाजी ब्रह्मसंहितान्तर्गत श्रीनिवासदास १२६ १३० - " . १३१. १३२ . १३३ १३४ १३५ वंशीधर हरिभद्रश्वेतभिक्षु २३ महीधर, टी० विश्वेश्वर Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ~ श्री पतञ्जलि हेमचन्द्राचार्य ~ ~ १८११ १५वीं श. १६वीं श. १७वीं श. १५३६ १५६७ १६७७ १६१६ . लि. स्था. इलदुर्ग भवदेवमहोपाध्याय पतञ्जलि वाचस्पति धारेश्वर १६२३ १३६ ४४३० योगशास्त्र १३७ ७३४६ योगशास्त्रप्रकाश १३८ ५६०१ योगशास्त्र (वृत्ति) ७३२८ योगशास्त्र (चतुर्थ प्रकाशपर्यन्त) ४३५३ . योगशास्त्रद्वादशप्रकाश ४३६ ७४०६ योगशास्त्रप्रकाश (चतुर्थ) ५५६५ योगसूत्र (अभिनवभाष्य) ५५६८ योगसूत्रभाष्य १४५ ५६२० योगसूत्रभाष्यवृत्ति १४६५५६६ योगसूत्रवृत्ति ४४२६ योगाख्यान (योगतत्व) ४२५२ रामगीता १४६६६६५ १५० ६२२४ रामगीताविवृति १५१ / ६५०३ १५२ ७७५७(१२) वज्रसूची १५३ | ६२८० (३) , १५४ | ५३०० | वज्रसूचीसंदर्शिनी १५५ | ५७३३ वाक्यसुधाप्रकरण १५६४५८० सटीक | लि. क. साधु श्रीराम, जयनगर याज्ञवल्क्य १९वीं श. १८वीं श. १५३६ १६०० १८१८ १८५० महीधर १७ शंकराचार्य लि. पुरोधा देवकृष्ण १७ / लि. रामचरण | लि. शुभराम २३३-२४४ | लि. भट्ट भाष्कर काश्मीरनिवासी १६-२० लि. पुजारी हरदेवदास ३ | लि. घासीराम २७ श्रीनिवासदास १८५१ १६वीं श. १८३६ शंकराचार्य Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम ग्रन्थाका शठारि? १६वीं श. | कविराज भिक्षु श्रीविठ्ठल लि. माखनलाल लि. शालिग्राम लि. जोशी जीवणराम श्रोचिरंजीव भट्टाचार्य " " १८वीं श. १६०८ १६०० | १८४६ १६वीं श. १८४३ १८वीं श. १९वीं श. १६२१ १९वीं श. १६४ १६५ १५७ ५३२३ - वाक्यार्थसंग्रह (प्रमाणसार) १५८ ५३६३ वार्तामाला १५६ ५२१४ विद्वच्चित्तासादिनीषट्पदीटीका १६० ५४०५ विद्वन्मण्डन १६१ ६०७६ १६२ ४१०६ विद्वन्मोदतरंगिणी १६३ ५५६७ ५९५३ विरोधिपरिहार ५८८६ विवेकत्रयरत्न १६६ ५६१५ विज्ञाननौका १६७ ५५४५ वेदान्ततत्त्वबोध ७५८० वेदान्ततत्त्वसार ওওও | वेदान्तप्रश्नोत्तर रत्नमाला . १७० ४६३१ वेदान्तपरिभाषा . १७१, ६४६३ वेदान्तरत्नावली . १७२ ७७५७ (११) वेदान्तषट्पदी . १७३ | ४१०३ वेदान्तसार १७४ ४११६ १७५ ४५७५ १७६ ४५६६ . १७७ / ४६२३ प्रथम दो पत्र अप्राप्त लि. ललिताप्रसाद पारीक लक्ष्मणाचार्य श्रीरामानुजदास शंकराचार्य अनन्तराम रामानुजाचार्य शंकराचार्य धर्मराजाध्वरीन्द्र परमानन्ददेव शंकराचार्य ४७ ... . . लि. रामनारायण सदानन्द १८८८ १८५०२३२-२३३ १९वीं श. १८वीं श. १९वीं श. पत्र २,३ अप्राप्त कृष्णानन्द सदानन्द १८४१ ११ लि. दुर्गादत्त Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ७ - वेदान्त ] ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमा क १७८ १७६ १८० १८१ १८२ १८३ १८४ १८५ ५७०१ ६२५१ ६२८३ ६५१८ ७६१७ ४६२१ ४६४० ४२७८ १८६ ६१७२ १८७ ६५७६ १८८ ६१५६ १८६ ४५७६ १६० ४५६३ १६१ ६१६५ १६२ ५७७३ १९३ ४५५० १९४ ७६०० ५६६४ ५६६५ ५६६६ १६५ १६६ १६७ वेदान्तसार و. 39 "" 11 " " " वेदान्तसारटीका (सुबोधिनी) वेदान्तसारटीका वेदान्तसिद्धांत संग्रह ( सटीक ) वेदान्तसूत्र वेदार्थसारसंग्रह वैकुण्ठ वैराग्यप्रकरणम् (रामायणान्तर्गत) शतसूत्रीय भाष्य 55 सदानन्द " "1 "" " "" ( सुबोधिनीटीकायुक्त ) नसिंहसरस्वती 11 शंकराचार्य " वनमाली 17 ब्रह्मानन्द शारीरकमीमांसा शारीरकमीमांसाभाष्य (प्रथमश्रध्याय) शंकराचार्य ( द्वितीय अध्याय ) ( तृतीय अध्याय ) 21 "" लिपि समय १६वीं श. १८३६ १८वीं श. १७६७ १६वीं श १८वीं श १६वीं श. १७२६ १८६० वाल्मीकि १८वीं श. मू० शाण्डिल्य भाष्यस्वप्नेश्वराचार्य १८३६ १७४० १८८६ १८वीं श १६वीं श. ܙܕ १८४८ १६वीं श. 11 11 पत्र संख्या १३ २३ १३ २४ १४ १४ २५ ५.१ २६ १२३ १६ ४३ १६ १२६ ३१ १३ १४२ १२८ १३२ विशेष उल्लेखनीय लि. ठक्कुर नरहरबल्लाल लि. रूपराममिश्र वल्लभगढ़ लि. पण्डा शिवदत्त [ ६७ लि. श्यामदास स्थान उरपत्तनग्राम लि. रामसुख रामनारायण लि. व्यास रामरतन Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] [६८ कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमा ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्कः २१८ २३७ लि. गिरधारीरामशर्मा गौड़ १० ३ | लि. रामनारायण ६ लि. बलूराम, दीर्घपुर २ ११ इस ग्रन्थ में १५६ प्रार्या छंद हैं ४६४४ १६८ ५९६७ शारीरकमीमांसाभाष्य(चतु.अध्याय) शंकराचार्य १८७४ १६६ ६२२३ १७३१ २०० ६२३८ १८५१ ६७८३ स्वयम्बोध ईश्वरप्रोक्त १९वीं श. ६५८१ स्वरूपप्रकरण शंकराचार्य ६३६७ स्वरोदय तन्त्रोक्त १९१३ ६७३० स्वात्मनिरूपण नारदपांचरात्रतन्त्रोक्त १९वीं श. २०५ | ५७८६ स्वात्मनिरूपणप्रकरणाशितक शंकराचार्य स्वात्मबोध २०७ ५२०५(६)/ सन्न्यासनिर्णयः वल्लभाचार्य १८वीं श. २०८ ७५७७ सन्न्यासनिर्णयविवरण पुरुषोत्तम १९१३ २०६ ७५८३ | सन्न्यासनिर्णयविवृति गोपेश्वर १९वीं श. २१० ५२०५(७) सर्वसिद्धान्तबालबोध वल्लभाचार्य १८वीं श. २११ सर्वोत्तमविवृति श्रीवल्लभ १६३६ २१२ ५६२६ समाधितन्त्र (बालावबोधिनीटीका) | पर्वतधर्मार्थीकुन्दकुंदाचार्यशिष्य | १७४६ २१३ | ४४६८ सांख्यवृत्ति कपिलोक्त १८वीं श. ६७६६ सामवेदरहस्योपनिषत् १८०३ सिद्धांतदर्पण विद्याभूषण टी० नन्दमिश्र १९वीं श. ... २१६ ४५४७ सिद्धांतबिन्दुः मधुसूदनसरस्वती १७६५ .. . २१७ ७३७० १७७६ ...... २१८५२०५(२) सिद्धांतमुक्तावली १८वीं श. ३८-३९ २४ २३ ३६वां ६२६६ .. . २१४ पत्र १-३ अप्राप्त लि. साधरामदास स्था. मारोठ " वल्लभाचार्य ३२-३३ Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .' राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ७-वेदान्त ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय सेवाप्रकाशशतकव्याख्या १८२४ गोस्वामी श्रीव्रजलाल २१६ - ७०७१ । ६३ । रचनाकाल १७५५, लि. क. श्वेताम्बर नानिगराम पत्र ७ से २६ तक अप्राप्त ४१-४२ वल्लभाचार्य स्वात्माराम योगीन्द्र २२ ५२०५(8) सेवाफलम् ४५६७ हठप्रदीपिका २२२ ५८७३ २२३ ६०७६ २२४ ६७५६ २२५ ७७५७ (१) २२६ । ५८३३ हठरत्नावली १८वीं श. १९वीं श. १८६४ १८६७ १७६५ १८५० १९०४ २६ २७. १७१ लि. तुलाराम १-५६ लि. काश्मीरनिवासीभास्करभट्ट ३१ | पत्र ३०वां अप्राप्त लि. व्रजवासी रीमापुरे भट्ट श्रीनिवास Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ८ - न्याय दर्शन क्रमांक ग्रन्थाक ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य १ २ ३ ४ ६६४० ६५२५ ६१५२ ४४६६ ५६२२ ५६५६ ५६८६ ८ ६६३६ & ४३४३ १० ६१८१ ११ ४४६६ १२ ६८७४ १३ ६०२१ १४ ६०४२ १५ ४४६५ १६ ४५०० १७. ५३२५ ६०३७ ६३६५ ५. ६ ७ १८ १६ २० २१ ६६६४ अनुमानमणिदीधिति अनुमितिपरामर्श प्राप्तपरीक्षा कारिकानिबन्ध किरणावली सूत्र खण्डन खण्डकाव्य जागदीश न्यायव्याख्या तत्त्वचिन्तामणि शब्दखण्ड तत्वदीपिका तर्कचन्द्रिका तर्कप्रदीप तर्कभाषा तर्कभाषाटीका ( भावार्थदीपिका) तर्कसंग्रह "" "1 " "1 " " रघुनाथ रघुदेव भट्टाचार्य विद्यानन्द विश्वनाथ उदयनाचार्य श्रीहर्ष " श्रीगंगेश्वर श्रमृतचन्द विश्वेश्वराश्रम भवदेव केशव मिश्र गौरीकान्त भट्टाचार्य अशंभट्ट "} "" 31 "1 "1 11 लिपि समय १६०८ १८४६ १६७८ १८वीं श. १७०५ १६वीं श "" १६०६ १७वीं श. १८वीं श १८१४ १६वीं श. १८११ १८वीं श १६वीं श. १८०५ १८३६ १८वीं श. १६०० १६०० ७३२ पत्र संख्या २१५ ३४ १३३ १३ ५२ ३४१ पूर्ण २३२ ११६ १४५ १०२ २१ & २६ ६२ ६ ११ ३ ७ ५ २३ & विशेष उल्लेखनीय लि. मथुरानाथ शर्मा लि. जीवेश्वर लि. मथुरानाथ शर्मा लि. शम्भूराम पत्र १६वां प्राप्त लि. चैनराम, गीजगढ़ पत्र ६ठा श्रप्राप्त लि. पं. पन्नालाल, लश्कर लि. श्रीगोविन्दभट्ट Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ८-न्याय-दर्शन ] [ ७१ m लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क or २२ ७७१२ ६ लि. व्रजवासी सिल्लुः | लि. गोस्वामी बलदेव १८६२ १८६४ १८६१ १०१५ १६वीं श. ६१७ ६८९२ ४४३६ ४३४१ m له लि. रामनारायण मिश्र तर्कसंग्रह अन्नंभट्ट तर्कसंग्रहतत्वदीपिका मदनभट्टोपाध्याय तर्कसंग्रहन्यायबोधिनीटीका गोवर्द्धनसुधी तर्कामृत जगदीश भट्टाचार्य न्यायरत्नप्रकरण शशधर न्यायसिद्धांतमञ्जरी चूड़ामणिभट्टाचार्य न्यायसिद्धान्तमञ्जरीतर्कप्रकाशाख्य- | टी० शितिकंठशर्मा दीपिका न्यायार्थमंजूषा (न्यायब्रवृत्ति) | हेमहंस देवसेनपण्डित or mm . १८८४ م १८वीं श. .. ५३३५ له ५६०४ ७२४५ १५१५ १८१५ नयचक्र नयचक्र (सुखबोधार्थमालापद्धति) देवसेन पथम पत्र अप्राप्त लि. साधु सुखरामदास शहर बेथममध्ये लि. सुज्ञानसागर | लि. हमीरविजय लि. ऋषिसुखदेव नयचक्र ३४ ७३५७ ७५८६ ७४१४ ६५१६ ५६२६ ५९२३ ४४३१ ५१७२ ६६५१ ६७१८ निश्चयतत्वनिरुक्ति प्रमाणमंजरी प्रमाणमंजरीटीका पदार्थमाला भाषापरिच्छेद सिद्धसेन रघुदेव तर्कालंकार सर्वदेव टी० अद्वयारण्य जयराम न्यायपंचानन भट्टाचार्य सिद्धान्तपंचानन सिद्धान्तवागीश श्रीकणाद . १८१३ १६०३ १७८६ १६वीं श. १७वीं श. १६वीं श. १६६६ १८२३ १९वीं श. ३६ ४० भाषारत्त ४७ ११वां पत्र अप्राप्त - - Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ...... .. .. . .... .. .. . -...-- राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर---हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २, ८-न्याय-दर्शन ] फमा ग्रथाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [७२ विशेष उल्लेखनीय | लिपि समय | पत्र संख्या ४१ पंचानन भट्टाचार्य | देवसूरि ६ लि. व्रजवासी सिल्लुः | लि. तीर्थचन्द्रगणि ७७१४ ५६३६ ४४३८ ७२५५ ७३६० १३१ मुक्तावलीकारिका रत्नाकरावतारिकापंजिका शब्दनिरूपण पूर्वार्द्ध षड्दर्शनसमुच्चयवृत्ति षड्दर्शनसमुच्चयटीका षड्दर्शनसमुच्चयसावधूरि १८६२ १७०० १७वीं श. १६१२ १७वीं श. १७१० हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि | हरिभद्र २० ४३५० लि. मुनिप्रकाशपाल स्थान-सिरोही ७४८६ स्याद्वादमंजरी हेमचन्द्राचार्य ९ " ७३४८ ४४१६ १५२१ १५वीं श. १६वीं श. ७ व श. सन्देहदोलावलीसटीक सप्तपदार्थी जिनदत्तसूरि शिवादित्य | लि. नयनसुन्दरगणि - ४३४२ २५ ५१८५ ५६०० ७१६० ५४४६ ५१३३ ४४३७ ६६५५ | प्रथम पृष्ठ शोभन प्रथम पत्र प्राप्त सप्तपदार्थीटीका सप्तपदार्थावृत्ति समासवाद सिद्धान्तचन्द्रोदय (तर्कसंग्रहटीका) सिद्धान्तमुक्तावली शेषानन्तपण्डित बलभद्र जयराम भट्टाचार्य १७०४ १७वीं श. १९वीं श. १८वीं श. १९वीं श. १८८४ १८१० १९६४ प्रथम पत्र प्राप्त विश्वनाथ पंचाननभट्टाचार्य १२० | ६६३८ प्रकाशानंद विश्वनाथ Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग--२, ६--व्याकरण]. क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या - विशेष उल्लेखनीय २०वीं श. १९वीं श. سه १८वीं श. हेमचन्द्र » mmm wat»9 लि.नन्दराम ब्राह्मण सवाईजयनगर عمر ur ४३६३ लि. गंगाविष्णु लि. महता नागेश्वर औदीच्य ३५ लि. रामलाल 0 अनिट्कारिका . . २६११७ ।.६११२ ५९८१ अनुबन्धफलसावचूरिपंचपाठ. ६६१६ अव्ययव्याख्या अव्ययव्याख्यान ६७०० अव्ययार्थप्रकाश ५०३२ अष्टाध्यायी व्याकरण ४३७३ पाख्यातवादटीका ४३७७ प्राख्यातविवेक ७४३१ उणादिगणसूत्रविवरण ५२१६ उणादिवृत्ति (पंचमपादान्त) ७४७१ | उणादिसूत्रसटीक ४३६६ ऊष्मभेद १५ | ५३८५(४) कातन्त्रव्याख्या (दौसिंहवृत्ति) ५६५८ कातन्त्रविभ्रम ५८७१ कारकखण्डनमण्डन ६१६८ ७४५६ कारकचक्रम | ६०३१ कारकपरीक्षा पतञ्जलि पाणिनि रघुदेव भट्टाचार्य शिरोमणि हेमचन्द्र उज्ज्व लदत्त . १९वीं श. १८४० १७६६ १८८३ १६वीं श. १५वीं श. १७वीं श. १७६२ १८४७ १६वीं श. १७वीं श. १९वीं श. महेश्वर कवि १२ | लि. रत्नसुन्दर १७ लि. चिमनराम तेरापंथी १७७-१८६ तसिंह भट्टाचार्य १७१६ main com लि. शालिग्राम लि. ज्ञानकल्लोल लि. दीपचन्द्र " मणिकण्ठ भट्टाचार्य वररुचि पशुपति राढीय १८४७ १८वीं श. १८वीं श. Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ६ - व्याकरण कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाक २२ ४२८१ २३ ७४७३ २४ ५४६२ २५ | ४३६४ २६ ६५८३ २७ ५०८६ २८ ७३११ २६ .६१०० ३० ६२७० ३१ ५४८६ ३२ ७४६२ ३३ ५१४५ ३४ ५४८६ ३५ ५४८८ ३६ ३७ ३८ ५४८७ ५००६ ५२५१ कारकविलास कारक विवेचन कृदन्तप्रक्रिया (चन्द्रिका) गणरत्नमहोदधिसवृत्तिक ग्रन्थ नाम गणपाठ (पाणिनीय) दशनलकारिकरूपोधातुपाठः धातुतरंगिणी (स्वोपज्ञधातुपाठ विवरण) धातुपाठ धातुरूपावली प्रक्रियाकौमुदी ( प्रथमभाग ) " " " सुवन्तप्रकरण तद्वितप्रक्रिया रामचन्द्राश्रम वर्द्धमान सूरि ,, कृदन्तप्रक्रिया प्रबोधचन्द्रिका हर्षकीर्ति सूरि " "1 सटीक ( द्विरुक्तप्रक्रियान्त) श्रीकृष्ण नरसिंह सूरिसूनु रामचन्द्र रामचन्द्र रामचन्द्र " वैजलभूपति लिपि समय १९२० १८वीं श. १८६६ १७वीं श. १८६६ १७५६ १७वीं श. १८६० १६वीं श. १७वीं श. १७०१ १८वीं श. १७वीं श. " 11 १६०६ १६२४ पत्र संख्या ५४ ४ २४ ६६ १४ २ ८५ २१ ६ ६३ १६० ३२१ ५९ ११४ ८८ ४२ ४५ विशेष उल्लेखनीय [ ७४ लि. बलदेव १ से ६ पत्र प्राप्त, रचनाकाल सं० ११६७ पत्र ६३,८७,८८, ६०, ६१, ६२ प्रप्राप्त प्रथम पत्र अप्राप्त पत्र ४२,४६,६१,७३,८१ से ८६ तक, ६३ वां प्रप्राप्त पत्र ७६ से ८६ तक प्रप्राप्त लि. श्री नृसिंह गुसांई Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ६-व्याकरण ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय १६वीं श. १६ ६५७० ३६ ४० प्रबोधचन्द्रिका प्रौढमनोरमा (पूर्वार्द्धवत्ति ,, (तिड़न्तकाण्ड) वैजलभूपति दीक्षित ४४६ १५३ ५१५४ ५१४७ ४४७१ अपूण लि. गोपीनाथ १०३ १९१६ १८०० १७वीं श. १८वीं श. १८५५ २१ ५१५५ ५६२४ ५५७६ ६१६६ ६१७० ६०५१ ५६६६ अपूर्ण १८४ ११२ परिभाषासूत्र (सिद्धान्तकौमुद्याः) परिभाषासूत्राणि परिभाषेन्दुशेखर नागेश भट्ट पाणिनीयव्याकरणसूत्रपाठः पाणिनि पाणिनीयशिक्षा भाष्यप्रदीपव्याख्यान (प्रथमखण्ड) नागोजी भट्ट (द्वितीयखण्ड) भीमसेनधातुपाठः भीमसेन भूधातुवृत्ति क्षमा कल्याण मध्यकौमुदी (पूर्वभाग) वरदराज " (उत्तरभाग) __,, (विलासनाम्नीटीकासहित) ,, टी. जयकृष्ण अव्ययपर्यन्त , (पाख्यातप्रक्रिया) : , (कृदन्तप्रक्रिया) ३४ | राजनगरें लिखितम् ५१५० १९३० १८२६ १८वीं श. १८१२ १९वीं श. ५१५१ ६४५६ ११३ ६४६० ६४६१ १५३४ पत्र ६६,६७वां अप्राप्त | लि. जती चैनसागर, जैनगर १९८ ५१४६ महाभाष्य (तृतीयचतुर्थाध्यायौ पतञ्जलि १८वीं श. Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूती, भाग-२; - व्याकरण ] क्रमाक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य ५८ ५५४८ ६६७० ६० ५१४८ ६१ | ६१०३ ६२ ७६८६ ६३ ६८६५ ६४ ७२०५ ६५ ६५२१ ६६ ५३१० ६७ ६३३२ ६६ ६११५ ६६ ७४५७ ७० ५१५२ ५१७४ ७४५१ ५६ ७१ ७२ ७३ ६०१४ ७४ ५६२८ ७५ ५२१७ ७६ ७५१८ ७७ ६५०८: लघुकौमुदी (उत्तरार्द्ध) लघुशब्देन्दुशेखर लघुसिद्धान्तकौमुदी लघुसिद्धान्तकौमुदी " लिङ्गानुशासन लिंगानुशासन विवरण (स्वोपज्ञ ) व्याकरणलघुभाष्य (पूर्वखण्ड) वाक्यप्रदीप विदग्धबोध विपरीतग्रहणप्रकरण वैयाकरणभूषणटीका वैयाकरणभूषणसार (स्फोटवाद ) वैयाकरणसार (शक्ति निर्णय ) शब्दप्रभेदीका शब्दभेदप्रकाश शब्दशोभा शब्दसंचयः शब्दार्थसंग्रह षट्कारकव्याख्यान वरदराज नागेश वरदराज वरदराज हेमचन्द्र सूरि हेमचन्द्राचार्य भूपतिमिश्र कृष्ण मिश्र कौण्डिभट्ट मू. महेश्वर टी. ज्ञानविमल पुरुषोत्तमदेव नीलकंठ शुक्ल केनचिज्जैन मुनिना संकलितः भवानन्द लिपि समय १६१२ १८वीं श १६१० १९०४ १८७४ १८वीं श १६४५ १६वीं श. १७वीं श. १८६० १६वीं श १८वीं श. " "1 ܕܐ १८७६ १७२१ १७वीं श १८६१ १८५२ पत्र संख्या ५७ १६५ ७६ ६८ ६० ५ ७४ २८२ २५ १४ २ १७ ५० ७ ११० २ २६ ११ विशेष उल्लेखनीय लि. नन्दलाल लि. उमाशंकर लि. ओझा रुद्र अपूर्ण वैरिनगरमध्ये लिखितम् १६ प्रपूर्ण रचनाकाल १६८६ सांगानेर मध्ये लिखितं [ ७६ लि. व्रजवासी सिल्लू: Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ६ - व्याकरण ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ७८ ७४४४ (१८) सारस्वत ( पञ्चसन्ध्यन्त ) ७६ ५१४४ सारस्वतसूत्रपाठ ६७८० ७६६४ ४४७० ४३६५ ८० ८१ ८२ ८३ ++ ६६४१ ६६४२ ७६४६ ४४७२ ८८ ५२४१ ८६ ५०४५ ६० ६११६ ६१ ६८२३ ह२ ६६२३ ६३ ६५०४ ८४ ८५ ८६ ८७ ६४ ६५ ६६ ६६६५ ६८६३ ७५६६ " 11 (क्रम) सारस्वत प्रथमावृत्ति ( तद्धित प्रक्रियान्त) सारस्वत ( द्वितीयावृत्ति ) (तृतीयावृत्ति) " " ,, प्रथमसन्धिभाषाटीका सारस्वतप्रकिया " " 17 सारस्वतप्रक्रिया (सार्थ) 22 ( पंचसन्ध्यन्त ) 11 सारस्वत ( श्राख्यातप्रक्रिया ) " ( विसर्गसन्ध्यन्त ) ܙܕ तद्धितप्रक्रियान्त तद्धितप्रक्रिया अनुभूति स्वरूपाचार्य माधव "3 " " " अनुभूति स्वरूपाचार्य 37 "" 11 " "" अनुभूति स्वरूपाचार्य महीदास अनुभूति स्वरूपाचार्य "3 " "1 लिपि समय १८८६ १६वीं श. १६२५ १८५६ १६वीं श १८४२ १७वीं श. १६६८ १६वीं श. १७६१ १६वीं श. 33 " 19 १८वीं श. १७वीं. १८५७ १८८८ १७४२ १वीं श. पत्र संख्या ८ ३०३ - ३१० लि. ऋषिचतुर्भुज उदैपुर में लिखित ८ ११ ८ ६६ ४६ १२ ४ ५६ २३ १२ ७३ ९ १४ ५६ ५८ ४४ १५ विशेष उल्लेखनीय लि. किसोरदास हमीरगढ़मध्ये लि. मयेरण सरूपचन्द मेड़तानगर लि. रघुनाथ [ ७७ अपूर्ण लि. स्था. सुदामापुर प्रथम पत्र प्राप्त अपूर्ण अपूर्ण लि. महात्मा रामलाल नेवटा निवासी Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . - - . राजस्थान पुरातत्त्वान्येपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-व्याकरण ] [ ७८ लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम प्रामाझ ग्रन्थाङ्क अनुभूतिवरूपाचार्य १७४७ ६५८६ ७५८८ सारस्वत (कृत्प्रक्रिया) , (कृदन्तप्रक्रिया) लि. मनि तेजपाल सिलीवदग्रामे | लि. महात्मा रामलाल नेवटा १८५७ १८१६ १९वीं श. १८२५ ७६३६ १०१ । ६००४ २७ ११२ लि. देवचन्द्र माधव भट्ट सारस्वतमाधवीवृत्तिः (सिद्धान्तरत्नावली) सारस्वतसटीक १६५४ ४१६५ अनुभूति स्वरूपाचार्य टी. पुञ्जराजनरेन्द्र ४६५६ " पूर्वार्द्ध सारस्वतटीका सारस्वतचन्द्रिका १७वीं श. १८वीं श. ६८६८ १०५ । ५५०२ पुञ्जराज चन्द्रकीति ५१ पत्र सं०३६ से ४२ तक अप्राप्त १०० २०८ | पाद्य २ पत्र प्राप्त लि.भैरवबकस व्यास केकड़ी में लिखित १८४ / पत्र ६३, ६४, ६५ अप्राप्त १७० आद्य पत्र १ से १० तक, ११८, १३३वा अप्राप्त सारस्वत (चन्द्रकीर्तिव्याख्या) सारस्वतटीका अनुभूतिम्वरूपाचार्य चन्द्रकीति | ६८५३ ६८८७ १७वीं श. १७४५ १८वीं श. २४६ ७४२२ सारस्वतसटीक १७वीं श. १२८ ७५११ - ११२ | ४१६६ . ११३ | ७४६० सारस्वतदीपिका | सारस्वत (प्रसादटीकोपेत) सारस्वतवृत्ति (पाख्यातपर्यन्त) चन्द्रकीतिसूरि वासुदेवभट्ट १६४४ १८वीं श. ६५ ७६ ११८ गोपाल ... Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-व्याकरण ] [ ७६ . विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क अनुभूतिस्वरूपाचार्य १९वीं श. ११४ ११५ ११६ ६०४७ ६०४८ ५१४६ सारस्वत (पूर्वार्द्ध) भाषाटीकासह __,, (कृदन्तप्रक्रिया) सारस्वतधातुपाठ हर्षकीतिसूरि १८०४ १६९३ १७४५ १८६० ११८५९८७ लि. स्था.-मौलत्राण लि. मंगलपुर लि. द्यानतमुनि सावतगंजमध्ये लोहमण्डवी ११६६०२३ सारस्वतरूपमाला पद्मसुन्दर सारस्वतीप्रक्रिया सारस्वतीप्रक्रिया (कृदन्त) ,, तृतीयावृत्ति सारसिद्धान्तकौमुदी लि. रामदास अनुभूतिस्वरूपाचार्य अनुभूतिस्वरूपाचार्य नरेन्द्रपुरी वरदराज लि. " १२०६७६३ १२१ ६९६८ १२२ ६७५८ ४२०१ १२४ ४२०२ १२५ ७२०८ ४३६८ १२७ / ५६१७ १८वीं श. १८८८ १९०७ १८६९ १८वीं श. १५वीं श. १२३ हेमचन्द्राचार्य १६४५ ३४ लि. पं. सुखनिधानमुनि ५९२० सिद्धहैमशब्दानुशासन , (दुर्गपदव्याख्या) सिद्धहैमशब्दानुशासनलघुवृत्ति (अष्टमोऽध्याय) सिद्धहैमशब्दानुशासनाध्याय चतुष्कावचूरि सिद्धहैमशब्दानुशासनषट्पादावचूरि सिद्धहैमशब्दानुशासनधातुपाठः सिद्धहैमशब्दानुशासनलघुवृत्ति १६वीं श. १२६ | ५६१६ १३० १३१ | ५६७६ १८वीं श. " ११३ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, ६-व्याकरण | लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय कमाइ ग्रन्यात ग्रन्थ नाम १३२ / ५६१४ सिद्धहमशब्दानुशासनलघुवृत्ति हेमचन्द्राचार्य १५वीं श. | तृतीयाध्यायस्यतृतीयपादादारभ्य चतुर्थाध्यायपर्यन्तम् १६वीं श. १३३ - २६१८ १३४ ५६१५ पंचमाध्यायः " " षष्ठसप्तमाध्यायौ सिद्धहमशब्दानुशासनलघुवृत्ति १३६ ५८६८ हेमचन्द्र १५वीं श. तृतीयाध्यायस्यतृतीयपादादारभ्य चतुर्थाध्यायपर्यन्ता ४७ | तृतीयाध्यायद्वितीयपादान्त २५ द्वितीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त | लि. पं. धर्ममंगलगणि देलुलिग्राम १३७ १३६ | सिद्ध हैमशब्दानुशासनसूत्रपाठ १५३३ १६वीं श. १८३४ १८वीं श. ___५ सिद्धान्तकौमुदी भट्टोजीदीक्षित ३१२ ५८६७ १३८ ७१६० ७१६४ १४० ७१६८ १४१ ५४६६ १४२ ७०७४ १४३ । ४३७५ ५५३६ १४५ ४३२१ १४६ / ६७६० १४७ । ६८०८ ४२७६. ६४६२ .१५०. ७१२४ . १८५४ १२३ | द्विरुक्तप्रक्रियान्त ७३ तिड़न्तप्रकरण ३०८ | कृदन्तपर्यन्त ४१ कृत्प्रक्रिया २०६ १२६ तिङन्तकाण्ड ८७ | कृदन्तमात्र ३-६४ १६वीं श.. . . १४८ ,, तत्वबोधिनीव्याख्या ज्ञानेन्द्र सरस्वती १८३० १६वीं श. . व्याख्या भट्टोजीदीक्षित - Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ६-व्याकरण ] कर्ता ग्रादि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १९वीं श. ३१२ / समासाश्रयविक्षिपर्यन्त । १२६ तद्धितप्रक्रिया द्विरुक्तप्रक्रिया . | लि. क. पं. नरसिंह १४५ / लि. क. लक्ष्मीचन्द्र बलदेव ५६ १५१ ४३७४ | सिद्धान्तकौमुदी | भट्टो ज नागेश लघुशब्देन्दुशेखरसहित (त्रिपाठ) ४३७६ सिद्धान्तकौमुदी भट्टोजि नागोजी लघुपरिभाषेन्दुशेखरसहित (त्रिपाठ) ६८६५ सिद्धान्तचन्द्रिका रामचन्द्राश्रम ६८६६ १५५ ७०६२ । ६७६८ ,, चुरादिप्रकरण चन्द्रकीति ,, (कृत्प्रक्रियान्त) रामचन्द्राश्रम १५८ ५८८२ ,, सटिप्पण १५६ ५८८३ १६० ७३५० ,, सटीक ६५२२ ,, सुबोधनाम्नीव्याख्यापूर्वार्द्ध सदानन्दगणि १६२ ६२६५ ५६७१ सिद्धान्तरत्नशब्दानुशासन जिनचन्द्र १६४ ५३८५(५) 'सिद्धोसूत्र' (पंचसंधिपर्यन्त) ५८६६ हैमधातुपारायण १६६ | ५६०८। हैमलिंगानुशाप्तनम् (दुर्गपदप्रबोध) | श्रीवल्लभगणि २५ ११२ १४० लि. लक्ष्मीचन्द्र लि. चक्रपाणि ,, पूर्वार्द्ध १७८० १६२३ १९वीं श. १८वीं श. १६२५ । १८७६ १९वीं श. १८वीं श. १६वीं श. १८८३ १८८३ १६वीं श. १७वीं श. ३०३ अपूर्ण १४२ " हेमचन्द्र १०० ४४ | संवत् १६६१ में जोधपुर में | श्री सूरसिंहके राज्यमें रचित Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १०-कोषग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमांक । ४४८३ अनेकार्थध्वनिमञ्जरी १९वीं श. १७१४ ४४८४ काश्मीरक महाक्षणक ranam کن کن १९वीं श. १९४७ १८७४ ६२२६ । ७००२ अमरसिंह ? | लि. क. कन्हीराम मिश्र | लि. क. नाथूराम त्रवाड़ी पल्लीवाल लि. क. रामनारायण 1 G ६५६६ ४३०५ ४३२२ अभिधानचिन्तामणिनाममाला हेमचन्द्र १८८१ १७वीं श. १५३८ " टीका 0 टी. वल्लभगणि हेमचन्द्र - . ४३२३ ११ ४४८१ १२/ ६११८ १३ ७२१० ५७३४ १७वीं श. १८वीं श. १६२७ १६०२ १८५२ १८वीं श. १७८० प्राद्य पत्र नहीं । तृतीयसे षष्ठकाण्ड तक २१४ | सारोद्धार टीका तृतीय फाण्डान्त १४८ | स्वोपज्ञ टीका २०७ श्री पत्तनमें लिखित ५६ लि. यशोविजय , सटीक , (शेषसंग्रह) , (सशेषसटिप्पण) ,, (बीजकसह) ७२३७ ७० लि. क. रामकृष्ण ज्योतिवित् विष्णुदुर्ग (कृष्णगढ़ ?) १६६ स्वोपज्ञ टोका ४०७ " ७३३५ । अभिधानचिन्तामणिटीका ७४५६ ,, (व्युत्पत्ति रत्नाकर- १६वीं श. टी. देवसागर रविचन्द्रशिष्य | १९वीं श. नाम्नीवृत्ति) Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १०-कोषग्रन्थ 1 [८३ क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय | ४३२४ अमरकोश (अमरचन्द्रिकाटीका) १७८३ ८७ टी. परमानन्द विष्णुपुरी दण्डिपुत्र अमरसिंह ३८ ४४७३ ४४७४ अमरकोश (प्रथमकाण्ड) ,, (द्वितीयकाण्डान्त) , (तीनों काण्ड) ,, सटीक । १८२६ । १९वीं श. १८६३ २६ २३ / ५४४६ टी. क्षीरस्वामी मधुपुरीमध्ये केशवराज्ये कालिन्दीतटे १५२ वा पत्र प्राप्त अमरसिंह १६७ द्वितीयकाण्डान्त ५४६३ ६१२६ ६०२६ ६२६८ ६४५६ सुधाख्याटीका टी. भानुजी दीक्षित १९वीं श. १८वीं श.. १९वीं श. । १८९५ । १९वीं श. २७ , अमरविवेकाख्या ; टी. महेश्वर शर्मा ६४५७ ३० ६४५८ २७७ ११४ ! लि. बलदेव गोस्वामी ४८ प्रथमकाण्ड १४२ द्वितीयकाण्ड १०८ "पुण्यपत्तने पाठशालायां शिलाक्षरयन्त्रे मुद्रितम् १७७३ शाके" ऐसा अन्तमें लिखा है ६६ लि. क. वंशीधर कवीश्वर الله کہ ६५१७ , तृतीयकाण्ड - अमरसिंह الله ہم १८१८ १६वीं श. १७वीं श. الله سه ३३ / ६७४४ : अमरकोषटीका (द्वितीयकाण्डान्त) टी. वृहस्पति ४२१ ५२वां व ६५ वां पत्र अप्राप्त | जीर्ण प्रति ३४ ६८८१ , सटिप्पण , १७वीं श. Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ८४ राजस्थान पुरातत्त्वान्येपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२६ १०-कोषग्रन्थ ] गमा । ग्रन्या ग्रन्थ नाम कर्ता अादि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय अमरसिंह १८वों श. ५३ | पृथ्वीवर्ग से द्वितीयकाण्डान्त ३६ अमरसिंह क्षीरस्वामी क्षपणक ३५ / ६८८६ अमरकोपटीका सटिप्पण (द्वितीयकाण्डान्त) ६८६१ ,, (अव्ययवर्ग, सविवरण) ७००४ ३८. ७००५ ,, (द्वितीयकाण्ड) ३६ | ७१३० अमरकोश ७४६१ अमरकोशोद्घाटन एकाक्षरनामकोश एकाक्षरीकोष ५६४८ धनञ्जयनाममाला ५३८५(३) ६११४ शारदीया नाममाला ६७५४ ७३७० शिलोञ्छनाममाला ५० | ५९१० शेषनाममाला ५६३७ हैमलिङ्गानुशासन सविवरण ५२ ६१७६ हैमलिङ्गानुशासन ५३ / ६९८३. हैमीनाममाला धनंजय १७ १७४२(?) ३३ १९वीं श. ७९से १०६ अपूर्ण १८६४ ११६ १८६३ ११२ ६७ चित्र सं० २ १६वीं श. १५१ १९वीं श. १९वीं श. १-४५ १६१५ १६वीं श. १६६-१७७ १८वीं श. २३ प्रदर्शनीय ; चित्र २ १८६६ २८ लि क. मोतीगरु गांव लाभूडामध्ये १८६४ १६ | लि. क. ज्ञानसागर उदयपुरमध्ये १६४५ लि. क. कुशलगणि वाचनाचार्य १६वीं श. १७वीं श. स्वोपज्ञ १८वीं श. १७६३ लि. मोहणमुनि बाडोलीग्रामे " हर्षकीर्ति हेमचन्द्र - Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] ग्रन्थाङ्क | ग्रन्थ नाम '. कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय । पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय दैवज्ञविलासगत ४५-४६ ५०-५१ १ ४७७१(२) अङ्कनिघण्टु २ ६८३३ (६) अक्षतजोवानाश्लोक ३६२८१ अक्षरचिन्तामणि ४४४५२ (७२) अयादिचतुर्मण्डलफल . ५४४४२ : अद्भुतसागर १८५० १८३० १.वीं श. १७८७ बल्लालसेन १२२ वां १७६ 1 *प्रथम पत्र प्राप्त लि. क. पुरोहित सदाराम लि. स्था. शिवपुरी १८४ दुर्गदेव १०(११) ६ ४६३० अद्भ तसागर प्रथमखंड ७ ४३१४ अयनांशादिकरणविधि ८ ४७६६(१) अर्घकाण्ड (साठसंवत्सरीफल) ५०६६ अर्घकाण्डम् | ५३१५ 'अष्टमलग्नपरिसर ७०६६ प्रणादशयोगाः । ४८५२ अष्टोत्तरीदशाफल ४८७८ ७०६१ 'आकाशपुरुषचित्र ४८६१ - आयप्रश्नग्रन्थ १६ / ५६३८ प्रारम्भसिद्धिवातिक १९वीं १७३३ १७७५ १६४२ १६वीं श. १८वीं श. x x गौरीजातकगत | लि. क. जीवन १९५८ १८६३ १९वीं श. १७वीं श. हर्षसौभाग्य सूर्यसौभाग्यशिष्य विघ्नराज उदयप्रभ वार्तिककारहेमहंसगणि वाचनाचार्य उदयप्रभ x x १७ | ५६२७ आरम्भसिद्धि सावचरि । इष्टशोधनप्रकार १६वीं श. १८ | ५२६२ १९वीं in Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११ - ज्योतिष ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाक ग्रन्थाक १६ ५८.७ २० । ४७५३ २१ ७१०२ २२ ६२८५ २३ ७६११ २४ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ३१ ३२ ३३ ७- १५ ६२३५ ४६६० ४८७३ ४८८४ ५७०५ ६४३५ ६:२४ ५७११ ४८५६ उडुदायप्रदीप ( लघुपाराशरी) उपदशाकोष्ठकानि उपदशाफलम् कर्मप्रकाशिकावृत्ति फर्मविपाक (भर्तहरिर (जेश्वरसंवाद ) कर्मविपाक (सूर्यार्णवगत) कर्मविपाक करणकुतूहल सस्तबक करणकुतूहल " "1 "1 (मूल) करणसारिणी ( ब्रह्मतुल्य ) कल्पवल्लीहोरा किरणावली टी. - लक्ष्मीपति कृष्णानन्दसुत गौरीजातकान्तर्गत समरसिंह वृत्तिकार श्रज्ञात ब्रह्मनारदसंवाद भास्कराचार्य " "" "1 "" विट्ठल सूर्य सिद्धान्तगत लिपि समय १६२१ १६८० १८वीं श. १८६३ १८४४ १८०६ १८३२ १८५० १७७८ १७०२ १६वीं श. १८४४ १८वीं श. १८६४ १९वीं श पत्र संख्या ५५ १० २ १३ ४ ५१ ४१ २१ ११ २२ १६ १० १६ ५ ३६ विशेष उल्लेखनीय श्राद्य दो पत्र प्राप्त लि. क. नरहरि लि. क. केशवदास गढ बदनोरमध्ये लि. क. शिवशङ्करव्यास हरिदुर्गमध्ये [ ८६ लि. क. चतुरविजयगणि पुष्पावती नगरे प्रथमपत्र प्राप्त लि. क. प्रौदुम्बरज्ञातीय विश्वेश्वरात्मज केवल श्रीपाटणनगरे हरजीसुत सुरजी लिखितम् लि. क. अजब सुंदर खेरवामध्ये प्रथमपत्रश्रप्राप्त लि. क. व्रजवासी सिल्लुः, ललिताघट्ट काश्याम् प्रथम ४ पत्र खंडित Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] [ २७ विशेप उल्लेखनीय - लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ३४ ६०९४ कामधेनुपद्धति (कामधेनुजातक) जयराम भट्ट ७६ / लि. क. जगन्नाथ व्यास पत्र ६६,६७ अप्राप्त १६ लि. क. चतुरविजयगणि | पोहकरणमध्ये , ४६६२ कामधेनुसारिणी । १८४४ . १९वीं श. ५२४९ ५५२६ ५७५८ ६३७७ ७०३५ ६५४० ५३१४ कालज्ञान केरलजातकरत्नावली केरलप्रश्न - केरलप्रश्नशास्त्र केशवीयजातकपद्धत्युदाहरण केशवीयपद्धत्युदाहरण केशवीयपद्धतिः नन्दराम विश्वनाथ देवज्ञ · १९२५ । १८वीं श. : १८२४ । १८वीं श. : १७६० : १८२८ । रचनाकाल १५४० लि. क. उदयविजय लि.क. स्वामीवालचन्द्र ग्वालियरमध्ये केशव ७१०० ६०६५ ४८८० ५७६६ केशवीयसूत्राणि (जातकपद्धतिः) कोष्ठक (नरपतिजयचर्यागत) । खेटकर्म (करणकुतूहलान्तर्गत) खेटकुतूहलोदाहृति खेटकौतूहलम् : खेटसिद्धि । ग्रहगोचरफल ग्रहणपद्धति नरपति कवि चन्द्र भास्कराचार्य विश्वनाथ सूरविन दिनकर १८वीं श. १९वीं श. .१७६८ १९वीं श. १८वीं श. १६वीं श. १९वीं श ! १८३२ लि.क. गणि भाग्य सौभाग्य ६६ रचनाकाल १५३४ शाके २ रचनाकाल सं० १६७६ ३० । रचनाकाल संवत् १६३५ ६३८४ ४७३१ ५७१२ | ४१०४ मिश्र नन्दराम ५ * रचनाकाल संवत् १८२० स्थान-काम्यकवन Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्येपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग २; ११-ज्योतिष ] [८८ लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम ग्रथाहा १९वीं श. १८वीं श. " ५१, ४७६१ - ग्रहणपद्धति मिशनन्दराम | ५३२४ ग्रहभावविचार १४८५४ ग्रहलाघवटीका विश्वनाथ ४६७७ । ग्रहलाघवटीकोदाहरण गणेशदेवज्ञ टी. विश्वनाथ ७६६३ ग्रहलाघवसिद्धान्तरहस्योदाहरण | विश्वनाथ ग्रहलाघवविवरण ५५३८ ग्रहलाघवाख्यसिद्धान्तरहस्योवाहृति | विश्वनाथ देवज्ञ १८४२ १९३० १६२४ १८०० ५२१६ ४१ । लि.क. ऋषि भाणजी १४१ । ६२ , पत्र १७वां अशाप्त ३८ । लि.क. कल्हा केसोराय श्री रूपनगरमें लिखित ४८९२ ७६७१ ५१७१ ४३६२ ग्रहसिद्धि ग्रहान्तर्विचारतत्व गणकमण्डन गणितनाममाला महादेव दुर्गाशङ्कर पाठक नन्दिकेश्वर हरिदत्त १८वीं श. १६वीं श. १७६४ १८वीं श. * - - _ लि.क. जीवकीतिगणि लि. स्था:-तलवाड़ा ४७२० गणितकोमुवी १९वीं श. ३७ ४७७१(१) गणितलीलावती आदि ७१११ गणितनाममाला नारायणपंडित (नसिह वैवज्ञसुत) भास्कराचार्य हरिदत्त । ५४१-४५ ६७६४ १८०५ १८वीं श. १९०६ १६वीं श. गर्गनषि ७६१८ . ६६०४ ६८ । ७०७८ गर्गमनोरमा गर्गमनोरमा टीका गुरुवार १४. लि.क. गोपीनाथ ,, भगवानदास विक्रमपुरमध्ये १९८० Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ]. ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क. कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय. . १८वीं श. ७६ (रुद्रसंहितान्तर्गत) .. .. . २०० ५३-५४ २०२ ७८१८ नष्टजातक २०१ ७०८८ | नष्टोद्दिष्टविधिः ४७७१(४) नक्षत्रनिघंटु, ग्रहनिघंटु २०३ ७६५२ न ड समुच्चय २०४ ७६६६ नारचन्द्र २०५६८२१ " प्रथम प्रकरण १८०५ १६वीं श. १८६१ १७५६ नारचन्द्र लि.क. अमृतविजय लि.क. रतना तिलकधीरशिष्या जैतारणमध्ये २०७ ४७४७ ७०१० ४३५२ लि. स्था. कोरंटानगर २०८ २०६ २१० २११ ६७७६ ५३३६ राजस्थानी भाषासहित अपूर्ण १८वों श. द्वतीय प्रकरण १८०६ नारचन्द्रयंत्रकोद्धार सटिप्पण , टी. श्रीसागरचन्द्रसूरि १६५१ नारचन्द्र सटिप्पण (प्रथम प्रकरण) टी. सागरचन्द्रसूरि | १८वीं श. नारचन्द्रसूत्र नारचन्द्र १७६१ । निबन्धचूडामणि मिश्र यशोधर १६वीं श. कंसारिमिश्रात्मज १७५१ प्रश्नकौमुदी (ताजिकमतानुसार) १६२५ प्रश्नग्रन्थ १८वीं श. प्रश्नचूडामणि १९वीं श. प्रश्नचूड़ामणिसार १६४३ २१२ ६२५२ २१३ ६७०३ २१४ ४८६८ ५०६३ २१६ ४६८३ २१५ लि. बुद्धिसागरगणि कच्छदेशमध्ये २१७ ५८११ प्रश्नतत्व चक्रपाणि सत्यधरात्मज | १९वीं श. Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; ११-ज्योतिष ] [६८ ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क | ग्रथाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय प्रश्नतन्त्र दुर्योधन प्रथम पत्र प्राप्त २१८ २१६ २२० प्रश्नप्रकरण १८३८ १६वीं श. १८८८ से पूर्व १६वीं श. , (ज्योतिषकौमुदीगत) | नीलकण्ठ . २२१ आद्य पत्र खंडित " ५५६७ ५२६० ५७६८ ४८६४ ४७१४ ५२६७ ४७५५ ५२६१ ५७२४ प्रश्नप्रदीपक काशीनाथ २२२ २२३ २२४ २२५ २२६ १८वीं श. प्रश्नमनोरमा गर्ग १९वीं " सटीक १८वीं ७५०१ १९वीं श. २२७ २२८ . २२६ ४१८३ लि.क. विद्यार्थी लोकमणि, काश्याम् अपूर्ण * अपूर्ण | रचनाकाल १८२४ टीका रचना १८२७ परमानंद शर्मा अज्ञात नन्दराम कामानिवासी प्रश्नमाणिक्यमाला । प्रश्नमार्ग प्रश्नरत्न (सटिप्पण) (त्रिपाठ) (स्वोपज्ञ) प्रश्नरत्न (केरलीय) . . नंदराम मिश्र २३० ५३३८ २३१ ५२३६ २३२ | ४७१६ नवद्या १८३७ १९वीं श. १९१५ - प्रश्नवैष्णव नारायणदास सिद्ध ब्रह्मदाससुत | द्वितीय पत्र प्राप्त ४७ | लि.क. केवलचन्द्र गोविन्दजी १८वीं श. Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] [६६ कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ग्रन्थोक विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क लिपि समय पत्र संख्या प्रश्नवैष्णव २३६ २३४, ६४३२ २३५। ७०५० ५५३४ २३७ / ४६०० २३८ ४७३६ नारायणदास सिद्ध ब्रह्मदाससुत । १९वीं श. १८वीं श. १९वीं श. १७६७ | भट्टोत्पल १७६४ | अपूर्ण " प्रश्नशत " (प्रश्नज्ञान) यह ग्रन्थ ७० आर्या छन्दों में आबद्ध है। उत्पल भट्ट १८५३ २४१ रुद्रमणि प्राद्य दो पत्र अप्राप्त १७१० १६२४ १९वीं श. १८८१ ६५११ प्रश्नशास्त्र (बादरायण) टीका चिन्तामणिनाम्नी ४७४० प्रश्नशास्त्रटीका ५५०५ प्रश्नशिरोमणि प्रश्नसंग्रह ४८८३ प्रश्नसंग्रहसार, हंसचक्र अवधिविचार २४४ प्रश्नसंग्रह ५५३२ ! प्रश्नसप्तति ७७१५ . प्रश्नसार २४७ : ६४६५ प्रश्नसार (सटीक) २४८ ४६७० प्रश्नसुधाकर २४६ | ५७४३ प्रश्नज्ञान (आर्यासप्तति) २५० ५४६४(२) प्रश्नोत्तरीरत्नमाला २५१ ५७३१ प्रासादमण्डन २४५ २४६ १९वीं श. भट्टोत्पल जीवा गुर्जर याज्ञिक नरहरिसुत । १९०६ गोविन्ददैवज्ञ विष्णुदैवज्ञसुत १८६२ लालमणि (जगद्रामात्मज) १६२७ | भट्टोत्पल १९वीं श. १८७० सूत्रधार मण्डन १६२८ १७ लि.क. पुरुषोत्तम मिश्र ३ लि.क. व्रजवासी सिल्लुः १३ | राजस्थानी भाषा सहित - ५ लि.क. गोपाल Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर --- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११ - ज्योतिष | कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाक्त २५२ ६०६६ २५३ ५५३५ २५४ ५७६३ २५५ ४४५२ ( ३६ ) पञ्चपक्षी प्रश्न २५६ २५७ २५८ २५६ ६५२४ २६० ५७५३ २६१ ५६४० २६२ ५७३० २६३ ५६८३ २६४ ४५२३ ६५२४ ७६७२ २६६ २६७ ५७६६ २६५ ६७५६ पञ्चतत्वविचार पञ्चपक्षी सटीक त्रिपाठ ७७१६ ४७४८ पञ्चपक्षीसटिप्पण पञ्चपक्षीशकुन पञ्चश्लोकीताजिक टीका पवार (पञ्चस्वरा) पञ्चशर निर्णय ( पञ्चस्वर ) पञ्चशरविवृत्ति (पंचस्वरा ) पञ्चस्वरा (द्वितीयाध्याय) पञ्चसिद्धान्तमत ( भास्वत्युदाहरण टीका ) पञ्चाङ्ग सिद्धि पञ्चाङ्गाभिघपत्र ( लग्नसाधनविधि ) पञ्चाशत्प्रश्न पद्धतिप्रकाश रुद्रोक्त टी. कल्याणकर महादेव बालकृष्ण परमसुखोपाध्याय प्रजापतिदास अप्पय दीक्षित "" परमसुखोपाध्याय शतानन्द गंगाधर बाबादैवज्ञ, रामपुत्र, शिवानुज शङ्कराचार्य. दिवाकर लिपि समय १६वीं श. १६२४ १९०८ १८वीं श. १८३१ १६२४ १८६३ १६वीं श. 11 १६७६ शाके १६वीं श. १८६२ १९०७ १६वीं श. १६वीं श. १८६२ पत्र संख्या २ ४ १५ लि.क. पुरुषोत्तम २ ४२-४३ ११ ५. ६ ५ १४ ६ १२ ७ ६ विशेष उल्लेखनीय w [ १०० राजस्थानी भाषा सहित लिक. व्रजवासी, मथुरा * लि.क. पं. प्रीतसौभाग्य स्था. वणहेड़ा ग्राम लि.क. नागेश्वर ५ सुज्ञजागेश्वरप्रीत्यै रचित लि.क. व्रजवासी काश्याम् राजस्थानी सहित प्रथम पत्र अप्राप्त लि.क. व्रजवासी सिल्लुः वाराणस्यां ललिताघट्ट लि.क. व्रजवासी सिल्लुः मण्डीमध्ये लि.क. जोशी आशाराम Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११ - ज्यौतिष ] ग्रन्थ नाम कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क २६८ २६६ २७० २७१ ४८६३ ४६६६ ४६६५ ७६६६ २७२ ६३०६ २७३ ५८१५ २७४ ५७७६ २७५ ७०६१ २७६ ६२८४ २७७ ४७३६ २७८ ४७५२ २७६ ६२५७ २८० ६४३१ २८१ ६६२० २८२ ४६७८ २८३ ६४२८ २८४ ४७३५ पद्धतिप्रकाश पद्धतिप्रकाशोदाहरण ( गणिततत्व चिन्तामणेः ) पद्मकोश पद्मताजिक पवनविजयग्रन्थ पवनविजयस्वरोदय पत्री मार्गदर्शन, योगसंग्रह पाराशरहोरा पाशाकेवली "" " "" "" पैतामहीसारिणी फलकल्पलता (वार्षिक) ब्रह्मतुल्यगणितक्रम दिवाकर गोवर्द्धन कण्डोलक द्विजरामसुत ईवर प्रोक्त शिवप्रोक्त गर्गाचार्य ,, "" " "" मधुसूदन दैवज्ञ श्रीपतिशिष्य करणकुतूहलगत लिपि समय १६वीं श. 33 " १८७२ १६वीं श. १६०५ १६वीं श. १८वीं श १६वीं श १७६१ १६वीं श. 11 "1 १६२७ १६वीं श १७७४ १८८४ पत्र संख्या જે ત १० ह १६ १८ १२ ८४ ३१ १० ६ १६ ६ ११ ३ ** [ १०१ विशेष उल्लेखनीय रचनाकाल १६०१ लि.क. धीरा, रूपनगर प्रपूर्ण / राजस्थानीश्रर्थ सहित / पत्र १-१४ व १६वां. अप्राप्त प्रथम पत्र प्राप्त लि.क. प्रा. नागरेण द्वारा लिखित हरिदत्तजी पठनार्थ लि.क. अमरचन्द्र " गुरुदयाल सौदावादवासी ५. लि.क. पुण्यविजय श्रीमत्पत्तनपत्तने ३५ लि.क. हेमसागर शिष्य गुमानसागर Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ११-ज्योतिष ] [ १०२ लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता प्रादि ज्ञातव्य क्रमा ग्रन्थाङ्ग ग्रन्थ नाम १९वीं श. ५२ २८५ ५६४२ २५६ ५८२६ २८७ ६१७८ २८८ ४८६५ ब्रह्मतुल्योदाहरण (कुलभाष्य) ब्रह्मसिद्धान्त , सटीक बानवोणिनी शाकल्यसंहितागत टी. पद्मनाभ नर्मदात्मज श्रीलान्हिदत्तद्विज १७०० १९वीं श. ४५ पाद्यपत्र प्राप्त । लिपिस्थान काशी ___७८ लि.स्था.मथुरा। लि.क. जटमल गौड़ ७. श्रीपतिपादपद्ममधुप: | श्रीलान्हिदत्तोद्विजः १७. लि.फ. खरतरगच्छीय बालचन्द्र स्थान. पारापुर/प्रथम पत्र प्राप्त लि.क. गंगाविष्णुकान्यकुब्ज स्थान नगर बोली २८६ | ४२७७ बालावबोध मुजादित्य १७६६ २६० ४२५८ बालबोध २६१ ४७२८ २६२ ૪૭૬ २६३ ७०३४ २६४ | ७११२ २६५ | ५६२६ १९वीं श. १८७६ १९वीं श. १८वीं श. | भास्कराचार्य टी. कृपाराममिश्र | १८९४ ४८ बंकपुरमध्ये लिखितम् २१ अपूर्ण .. - हरिकर्ण बीजगणितबालबोधिनीटीका | लि.क. ब्रजवासी प्तिल्लुः काशी रचनाकाल शाके १७१४ १५४ | आद्य १६ पत्र प्राप्त . २६६ / ६२१२ २९७ | ५७४७ २१ बीजवासनाभाष्य | बृहच्चिन्तामणिवासनाभाष्य (संज्ञाध्यायमात्र) बृहज्जातक वजनाथसूनु १७७६ मू. गणेश दैवज्ञ टी. विष्णु दैवज्ञ | १९वीं श. दिवाकरसुत वराहमिहिर १९वीं श. २६८ | ४१८६ ६६ / * पत्र ४३,४४,४५ अप्राप्त लि.क. जोसी जीवणराम २६६ ४६५८ ३०० ।.४६६७ १८६५ १८०१ २१ , सारङ्ग नरपति Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . - - - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] : क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्कः · कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १०३ विशेष उल्लेखनीय स्थ नाम मय पत्र संख्या ३०१४६६७ बहज्जातक वराहमिहि १८३७ ४६ ३०२.४८८६ लि.क. महाराजा प्रतापसिंहज राज्ये श्राद्यन्तपत्र खंडित लि.क. सदासुख लि.क. स्वामीबालचन्द्र स्थान--नरवर १७२३ १८६६ १८३५ O ur : ६२०० " १८६ . .. xx . : . भट्टोत्पल लि.क.स्थान-कृष्णगढ़ | १, २, ३४, ४४ पत्र प्राप्त ०. . (उपसंहाराध्याय) बृहज्जातकटीका बृहज्जातकविवरण - बहज्जातक (सटिप्पण) ०६:७०५५. ३०७ ७०१३ ३०८ ५३२६ ३०९ ६२३६ ३१० । ३११:५८२८ ३१२ । ७६२२ . ३१३ ५५३६ ३१४:५५४० ५६६८ महीधर वराहमिहिर ३४ ४६ अन्तिम पत्र अप्राप्त १७४ बृहत्संहिता बृहन्नारचन्द्रसारोद्धार १८६३ १८४१ १७८५ १९वीं श. १८५१ १९२२ १९वीं श. १९वीं श. १८वीं श. १७वीं श. १९वीं श. १९वीं श. १८६० १६वीं श. १८१० १९वीं श. नारचन्द्र M. M शिवपार्वती संवाद .. बृहस्पतिकाण्ड | भ्रमणसारिणी भावविवृति 1991 ..३१७ |.५६४८ ३१८४७६४ १३८ | लि. शिवदास वाराणसी माधव भावाध्याय ३१६ ४७१८ ताजिकभूषणगत रत्नसारान्तर्गत १६ लि.क. ऋषि नागजी • ३२० ४८५३ . | भावेशफल - Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिर- हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्योतिष ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ ग्रन्थ नाम [ १०४ विशेष उल्लेखनीय | लिपि समय | पत्र संख्या जातककामधेनुगत भावेशफलाध्याय भास्वती भुवनदीपक शतानन्द . . - १२१ । ५७३५ ३२२ ६८६६ ३२३ ४६६३ ३२४ ५७० ३२५ ४७५० ३२६ ४४११ १६०२ १६०२ १७०२ १६वीं श. १८वीं श. पद्मप्रभसूरि " सस्तबक सटीक ,, टी. सिंहतिलक । १९वीं श. लि.क. बजवासीसिल्लुःरीमापुरे १५ , ऋषि लाला लक्ष्मीचन्द्र ४ , मुनि दामाख्य .. ६४ रचनाकाल-शाके पंचरसाधनैः १० राजस्थानी भाषा सहित ५३ / * टीका रचनाकाल-१३२६ ___ स्थान-बीजापुर १२३वां इस चकमें दिशानुसार भैरवीके बोलने पर शुभाशुभ फलका निर्णय किया गया है लि.क. पानंदसिंह ३२७ ४४५२(८१) भैरवीचक्र १८वीं श. . ३२८६३०१ ३२६ ७५१६ ३३० | ५७३२ | मकरन्दकारिका मकरन्दभावविवृति मकरन्दविवरण - कृपाराम नीलकण्ठ दिवाकर सिंहसुत १६२२ २०वीं श. १८६४ له ده लि.क. व्रजवासी सिल्लुः मणि कर्णिकातीरे श्रीपतिभट्ट १६३६ दिवाकर नृसिंहसुत शिवगुरुशिष्य | १९३६ चूड़ामणिचक्रवर्ती , १८६० विश्वनाथ १६वीं श. ३३१ ७५१५ ३३२ ७५१६ ३३३ ६२७५ मकरन्दसाधनप्रक्रिया ३३४ ५७६४ . मकरन्दोदाहरण (सूर्यसिद्धांतमतानुसार) ३३५ | ५८२२ . मकरन्दोदाहरण ३३६ / ५८१०. मकरन्दोदाहति । ... ३३७. । ६८५६ मकरसंक्रान्तिपत्रफ (खरड़ा) २७ / पत्र १.३ ८वां अप्राप्त १८६७ .... १६३६ | १६वीं श. | Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण भन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्योतिष ]. क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम [ १०५ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या २० लि.क. मिश्र भवानीदास, जयनगर १६ / * लि.क. शीरपाणिपुत्रः नारदप्रोक्त १८६८ : १८९७ । १८वीं श. । १९वीं श. मयूरचित्र ,, (मयूरपदपूर्वक) मयूरचित्रक मयूरचित्रकादि महादशाफल महादेवीवृत्तिदीपिका महादेवीसारिणी ३३८ ६६४३ ३३६ ४२८४ ६२२२ ३४१ ५७७२ ३४२ | ४८४६ ३४३ | ७१३६ ४६८० ३४५ ४७४१ ३४६, ४७५६ वराहमिहिर ३४७ ७४७० ३४८६७१५ मानसागरीपद्धति मासभावाध्याय धनराजगणि भुवनराजगणींद्र शिष्य १८वीं श.6 से ३२ १६वीं श. १८१४ १२६ आद्य न्तपृष्ठ सचित्र शोभन १८४६ १५२ रचनाकाल अनुमानतः १२३८ शक लि.क. खरतरगच्छीय शोभा चन्द्रजीशिष्य चन्द्र भाण . स्थान-सुभटपुर नानाग्रन्थोद्धृत १९वीं श. ७७. राजस्थानी भाषा सहित ताजिककल्पललोक्त १७६८ लि.कं. प्राचार्य किशोरदास प्रौदुम्बर मोढासावासी १८वीं श. ताजिकमतानुसार १७८७ लि.क. लब्धिसुन्दर कल्याण सुन्दरशिष्य, फतेपुर १९वीं श. १८वीं श. २ | राजस्थानी भाषार्थ सहित गणपतिदैवज्ञ (रावल हरिशंकर | १८७३ ५१ / २४ वां पत्र अप्राप्त सूरिसून) रचनाकाल १७५० ४२८३ माससारिणी | मासेश-मासभावफल ३५१ ४७२३ ३५२/ ७८२८ ३५३, ४९७३ मुन्थाफल मुष्टिज्ञान मुहूर्तगणपतिसार - Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्येपण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] कर्ता आदि ज्ञातव्य अमा अन्या ग्रन्थ नाम [ १०६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या रामदैवज्ञ | मुहूर्तचिन्तामणि १८०० ३५४४५४३ ४० रचनाकाल-१५२२ शाके लि.फ. रूपनारायण गौड़ ____२६ रचनाफाल-१५२२ शाके लि.क. पं० गुणमूर्ति १७६२ ३५५ , ७०११ ३५६ ४११० , (प्रमिताक्षराटीकोपेता) १८६६ १५३२ ३५७ ६२५८ १५६ लि.क. रामसुख, जयपुर ___ ८२ | पत्र ११ से १६,७५,७६,८१वाँ 'अप्राप्त लि.क. व्यास बालकृष्ण नरवर | मध्ये २१५ | शुभाशुभप्रकरण मात्र ३६ | नक्षत्रप्रकरण मात्र ११ / संक्रान्तिप्रकरण मात्र ८ गोचरप्रकरण मात्र सटीक , (पीयूषधारा सहित) १९०३ १६वीं श. ३५८ | ४६४८ ३५६ ३६० ५६८७ ५६८८ ५६८६ " ३६२ मुहूर्त्तचिन्तामणि सटीक ' (पीयूषधारा टोकोपेत) ५६६० ३६५ - १९२० . ५६६१ ५६९२ ५६६३ ५६९४ संस्कारप्रकरण मात्र । राज्याभिषेकप्रकरण मात्र यात्राप्रकरण २४ गृहारम्भप्रकरण मात्र | गृहप्रवेशप्रकरण लि.क. झण्डाराम प्रश्नोरा १६२१ १६२० (मधुपुर्या).......... Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११ - ज्यौतिष ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क रामदेवज्ञ, टी. चतुरविजयगरिए रामदेवज्ञ केशवदेवज्ञ टी. गणेशदैवज्ञ ३६८ ६२६३ ३६६ ४७११ ३७० ५६६६ ३७१ ४६४७ ३७२ ४८७६ ३७३ ५७७० ३७४ | ५३४८ ३७५ ३७६ ३७७ ४६६४ ४७३२ ४८८७ ३७८ ५२४६ ३७६ ६७६५ ३८० ७०४८ मुहूर्त्तचिन्तामणिः सटबार्थ सस्तबक "1 मुहूर्त्ततत्व दीपिकाटीकोपेत मुहूर्त्तदर्पण मुहूर्त्तदीपक मुहूर्त्तमञ्जरी 11 मुहूर्त्तमार्त्तण्ड मुहूर्त्तमार्त्तण्ड (मूल) " 11 " सटीक "" ज्योतिर्विल्लालमणि जगद्रामसुत गंगाराम पौत्र महादेव कान्हजीबाड़वसुत यदुनन्दन "3 रामकृष्णसुत नारायणदेवज्ञ श्रनन्ताख्य चातुर्मास्य पुत्र नारायण "1 "" " टी. मनसाराम " लिपि समय १८३० १८२७ १७६३ १८२२ १६६२ १६०५ १८५६ १६०० १८३७ १८६० १८५५ १६०३ १८६२ पत्र संख्या १०२ ५० १०८ १० २१ २० २६ २३ 2 x 2 २७ ३५ २७ [ १०७ विशेष उल्लेखनीय रचनाकाल सं० १७५७ पत्र १ से ८ तक प्राप्त लि.क. जीवनविजयगणि श्रोरछाग्राम वास्तव्यश्यामजूलिखितम् लि.क. परमानन्द लि.क. प्रजेन पण्डित रचनाकाल १७०६ (?) १७२६ "" * लि.क. वूचाराम गढ़ भरतपुर मध्ये लि.क. श्रौदीच्यज्ञातीय देराश्री पुरुषोत्तमसुत लीलाधर रचनाकाल १४६३ शाके लि.क. विजयलाल श्रदुम्बरज्ञातीय संक्रान्तिप्रकरणान्त लि.क. मोती लि.क. दयाशङ्कर व्यास मोतीरामसुत 1 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ११-ज्योतिष ] [ १०८ ग़न्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य समास ग्रन्याय विशेष उल्लेखनीय ३८१ ४६७१ मुहूर्तमार्तण्ड सटीफ नारायण १७८९ मुहर्तमार्तण्ड टीका १४वों श. ३८२ ३५३ ४७०६ ४७२६ ६१३० ५५२५ ८२ लि.क. महाजन नरसिंह, जयपुर रचनाकाल सं० १६२६ ___७८ | किंचिदपूर्ण १२१ | रचनाकाल १६२६ १४६३ शाके अपूर्ण ३८४ १८३७ १९वीं श. ३८५ मुहूर्तमार्तण्ड ४७ ३८६ ७३७१ ३५७६३६४ ३८८ ४७१७ ३८६ ४८७४ (वल्लभाख्या टीका सहित) मुहूर्तमुक्तावली (सटबार्थ) " (सटिप्पण) (सस्तवक) " (मुहूर्तप्रदीप) हरिभट्ट १८४६ १६वीं श. १९६७ १७०२ १० | लछमनपठनार्थ करहेड़ा मध्ये ८ राजस्थानी भाषार्थ सहित . | लि.क. ऋषि नानजी ११ | लि.क. मेवपाटज्ञातीय जोशी सुरजीकेन लिखितम् ८ घोड़ेलावग्राम मध्ये लि क. रत्नसागर समेणमध्ये १६/ रचनाकाल १५५७ शाके ३६० ७६५१ १८४७ ३६१ रघुवीर १८वीं श. ५७१४ ३६२ ७१०४ ६३६२ .. ३६४ / ५६४६ : . ३६५ | ५३१७ (प्राचीन राजस्थानी भाषार्थसहित) मुहूर्तसर्वस्व मूलजातकविधान मेघमाला यन्त्रचिन्तामणि सटीक दामोदर जगद्दवज्ञ (?) टी. रामदैवज्ञ १६वीं श. १६१८ १८४५ १६ / लि.क. मनसाराम | प्रथम पत्र प्राप्त १३ लि.फ. व्रजवासी मिश्र, | ललिताघट्ट काश्यां ३६६ ५६१६ यन्त्रचिन्तामणि टीका ..., (यन्त्रदीपिकाख्या) , १८९५ Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११ - ज्योतिष ] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ३६७ ३६८ ३६६ ४०० ४०१ ४०२ ४०३ ६१०८ ६८८५ ४१३२ ५६८२ ६२५४ ७०१२ ४४०६ ४०४ ६५१० ४०५ ७६४२ ४०६ | ६७७५ ४०७ ६८६१ ४०८ ५७४६ ४०६ ४८६३ ४१० ५७३६ ४११ ५७६६ ४१२ ६०४० ४१३ ४८६५ ४१४ ४६५४ यन्त्रचिन्तामणि सटीक " यन्त्रराज युद्धकौशल सटीक "3 यन्त्रराज टीका यवनजातक (जातकाभरण) यानयोगार्णव सटाक योगशतक योगार्णव .11 युद्धजयोत्सव योगचिन्तामणि ( सबालावबोध ) "> योगावली योगिनी दशाकरण योगिनी दशान्तर्दशाफल योगिनोदशाफल चक्रधर वामनात्मज टी. रामदेवज्ञ मधुसूदनात्मज महेन्द्रसूरि " दुण्डिराज शिवोदित श्रीरुद्रः गंगाराम बलभद्र वेंकटेश " " हर्षकीत्तिसूरि बा. नसिंह रतनराज गणिशिष्य राजऋषि टी. मलयेन्द्रसूरि "7 रुद्रयामलोक्त लिपि समय १८५४ १६०३ १८४७ १६३६ १०१ १६१६ १८२५ १९वीं श. 17 १८६६ १७२४ १६वीं श "" १६२१ १६-२०वीं श . | १८११ १८वीं श. " पत्र संख्या २६ ३६ १६ ५० ४७ १०५ २३ ७ १६ १७ ७३ १२ १८ १३ २० १२ ७ ७ [ १०६ विशेष उल्लेखनीय लिं.क. लाला लक्ष्मीचंद लि.क. सर्वेश्वर वृद्धयवनजातक * लि.क. पं. लिखमीराम स्थान नेवय मध्ये ( निवाई ) लि.क. मोतीगरू लि.क. रङ्गविमल कालूग्रामे लिं.कं. व्रजवासी सिल्लुः प्रति की लिपि दो प्रकार की है लि.कं. भैरवदास Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२; ११-ज्योतिष ] क्रमा ग्रन्था ___ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ ११० विशेष उल्लेखनीय | लिपि समय पत्र संख्या | १८०६ रत्नप्रदीप ७६४५ १८६८ महादेव १६ लि.क. हरवल्लभ पारीक | जोसी भूधरजीसुत, ढाण्यां २३ | लि.क. भागीरथ ब्राह्मण रचनाकाल ११८५ शाके ४६,४७,६१,२०८वां पत्र अप्राप्त रत्नमाला | ग्रन्थस्वामी भट्ट हरिदत्त ४२१ ४२४ रत्नमाला (विवरणनाम्नी टीका) | श्रीपति टी. महादेव लूणिय पुत्र | १९वीं श. ५८३१ ४१८ रमलग्रन्थ (रमलेन्दुप्रकाशसम्मत) १८वीं श. ७५७२ ४१६ ७५७५ " (बिन्दुरमलाख्य) १९वीं श. ४२० ४७५९ रमलचिन्तामणि संज्ञातंत्र (प्रथम) | चिन्तामणि पंडित १८वीं श. ४७६० ___ (प्रश्नतन्त्र) द्वितीय | " ४२२ ५१६५ रमलनवरत्न परमसुख उपाध्याय ४२३ ५३०४ रमलनवरत्नम् परमसुखोपाध्याय १८८८ ५६०८ १६वीं श. ४२५ ५७६७ रमलबिन्दु : ४२६ ४४५३ रमलशास्त्र राम १७८० ५३२१ ५४७६ रामदैवज्ञ १९वीं श. ४२६ ६८३३ (२)| १८४८ . ४३० ७५७४ १९वीं श. ४३१ ६८३३ (११) , १८५२ - ४३२ ४७६६ . | रमलसार श्रीपति १८४२ ४३३ / ४६५१ . रमलेन्दुप्रकाश .. रुद्रधर त्रिपाठी १६वीं श. ११ १२ रचनाकाल-१८६७ प्रति के कोण खंडित हैं भुज-गमध्ये लिखितं प्रथम पत्र प्राप्त . ४२७ ४२८ लि.क. लाला अमृतराम १७ ३४ Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ___कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १११. विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या २८ ४३४ ७५७३ ४३५ ५६०७ ४३६ ७५१२ रमलेन्दुप्रकाश राजवल्लभ वास्तुशास्त्र रामविनोद रुद्रधर त्रिपाठी मण्डन सूत्रधार रामभट्ट १८३८ १९०६ १७५५ १३ | लिपिस्थान-नरायणा कूर्मवंशो- . द्भव महाराजाधिराज श्री राम दास की आज्ञा से रचित । २६४ सवाईजयसिंहतुष्टये प्रथम पत्र शोभन | प्रथम पत्र प्रप्राप्त जगन्नाथ सम्राट ४३८ १९२० १८वीं श. १९वीं श. ५५६८ रेखागणित लग्नचंद्रिका ,, (जन्मपत्रीलेखोदाहरण) लग्नवाद लग्नसाधनविधि काशीनाथ . श्री गिरधारी मित्र मैथिल ४३७ ५५६४ ७०६३ ४३६ ७६०५ ४६८२ ६४२६ ४७३० ६४६४ .. २४१ " लग्नोदाहरण लघुकामधेनुसारिणी १८६८ १६वीं श. १८वीं श. केशव ४४५ ४ नागोर मध्ये लिखितम् १० लि.क. धर्मविजयगणि रूपनगर रचनास्थान-काशी १७ लि.क. विप्र रामगोपाल, केकड़ी ७, पं. उदयसुन्दर श्रीवीकानगरे द्वितीय पत्र अप्राप्त लघुजातक ५५२३ ६३८२ वराहमिहिर ४४६ १९१६ १८१२ ४४७ ६८२२ ४४८ ६९०७ १७वीं श. १८४४ लि.क. उदयसुन्दर क्षमासुन्दर शिष्य ४४६, ७०६८ , (अरिष्टाध्यायान्त) १८वीं श. प्रार्यापद्यबद्ध ग्रन्थ है Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११ - ज्यौतिष ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाक ४५० ४५१ ४५२ ४५३ ४५४ ४५५ ४५६ ४५७ ४५८ ૪૫ ४६० ग्रन्थाक ४१८७ ४६६४ ४७४६ ४७५४ ७१०१ ५६८५ ७६४३ ५७४६ ४७५८ ५६१३ ५७४२ ४६१ ५६३४ ४६२ ६३७२ ४६३ ५७२३ ४६४ ५७०४ ४६५ | ४७६७ ४६६ ६३११ लघुजातक सटीक सवृत्तिक सटीक ( त्रिपाट) "1 " "1 " ܕܕ सटिप्पण लघुपाराशरी . (योगाध्यायमात्र ) लघुपाराशरी ( उडुदाय प्रदीपोद्योत ) लघुपाराशरी सटीक ( राजयोगाध्यायान्त) लघु मार्तण्ड, मुहूर्त्तदीपक लघुक्षेत्र समास विवरण लम्पाकशास्त्र सटीक ( त्रिपाठ ) 17 लल्लवाराही लीलावती लीलावती विवरण वर्षगणित पद्धति (दिवाकरीपद्धति) वर्षतन्त्र वराहमिहिर " टी. - मतिसागर उपाध्याय वराहमिहिर, टी. उत्पलभट्ट "7 पाराशर ऋषि भैरवदत्त पं. हरिरामशर्मपुत्र पाराशर ऋषि नारायण दैवज्ञ कौशिक चंद्रशेखर पद्मनाभ " लल्ल भास्कराचार्य , टीका- रामकृष्ण दिवाकर नृसिंहसुत नीलकण्ठ लिपि समय १६५४ १८८५ १७२३ १८४२ १८वीं श. १६३२ १६वीं श १८६४ १०वीं श. १४८८ १८६७ १६०५ १८वीं श. १६वीं श. १८४७ १८३२ पत्र संख्या ५६ ३० १६ १८ २ २ २६ ६ १४ ३२ ご ३४ ३ ४२ ६३ ५ ३० विशेष उल्लेखनीय [ ११२ लि.क. सन्तोषदास वष्णव पत्र १,२,३, श्रप्राप्त लि.क. व्रजवासी सिल्लु : मरण कणिका तीरे श्रमृतपातालदेवालये ** लि. स्था. चित्रकूट दुर्ग लि.क. देवीचन्द्र ग्राम सल्हड़ी काश्याम् लि. व्रजवासी सिल्लुः काश्याम् लि. मनरूप व्यास Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११ - ज्यौतिष | कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ४६७ ६५४५ ४६८ ४७०६ ४६६ ७१४२ ४७० ४३५५ ४७१ ४७२ ४७३ ४७४ ४७५ ४७६ ४७७ ४७८ ४७६ ५६३३ ४८० ४७१२ ४८१ ५५३७ ४८२ ४८३ ६२०८ ६७८८ ७८२६ ५५६३ ६४२१ ५१३२ ४८७७ ४६५६ ४८४ ६३५२ ७६५० ७६५८ वर्षतन्त्र सटीक वर्ष सारिणी ( वर्षफलपद्धतिसार्थ) वसन्तराज शाकुन " "" 77 11 ग्रन्थ नाम वसिष्ठसंहिता वामवेधफल वास्तुशास्त्र विशोत्तरी दशाफल विजयप्रशस्ति विरोधप्रकाश विवाहपटल विवाहपटलटीका विवाहपटलसस्तबक विवाहपटल 55 नीलकण्ठ 11 वसन्तराज भट्ट "3 टी-विश्वनाथ "" "2 वसिष्ठप्रोक्त विश्वकर्माप्रकाशगत स्वच्छन्द शङ्कराचार्य यज्ञेश्वर लिपि समय १८७२ १७५२ १८०२ १७७१ १८२३ १६१२ १८४२ १६१६ १७६६ १६०६ १६५८ १८२४ १८६३ १८५६ १६१२ १०वीं श. १८१८ १७८४ पत्र संख्या ४७ ३१ १६ ३७ ६३ १५७ ८२ १३३ ८ ७२ १० १३ १६ १७ विशेष उल्लेखनीय २० [ ११३ लि.क. रतनविजय २७,२८ २६वां पत्र श्रप्राप्त लि.क. चिरञ्जी सीतर * लि.क. विद्याविलास पाठक लि. स्था. श्री बेनातट नगर * लि.स्था. जयपुर, रचनाकाल सं० १७४२ लि.क. व्रजवासी सिल्लुः ३ राजस्थानी भाषार्थ सहित ६ १२ काशिनाथकृत शीघ्रबोधानुसार लि.क. इन्द्रसुन्दर लि.क. गङ्गाराम लि.क. देवचन्द्र, मण्डोवरमध्ये राजस्थानी भाषार्थ सहित लि.क. नवनिधिविजय राजस्थानी भाषार्थ सहित Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२; ११-ज्योतिष ] . राजस्थान लिपिसमय पर मंग्या कर्ता प्रादि ज्ञातव्य विगंप उल्लेखनीय ग्रन्थाङ्क ग्रन्य नाम क्रमाङ्क ४८५ विवाहमासनिर्णयादि विवाहवृन्दावन केशय १८वींदा. १६वींदा. १७१२ ४८६ १८२१ ४८५७ ४८७ | ६०६६ ४८८ । ६३३६ ४८६ | ७०५१ ४१० । ६८३४ ४६१ ४६५७ ४६२ ६३३० ५४५२ ४६४/७६३७ विवाहवृन्दावन टोका 'गणेशवपन विवाहवृन्दावनभाष्य केदावा माय-पर वेगराजविवेकनिवन्य (कर्मविपाr) शफुनप्रदीपचूडामणि उपेन्द्र शकुनसार । शकुनावली शरत्पद्धति ५.७ पति जो पिरि दो प्रकारको २८... गुमतिर fr... माराम र ४६३ frr. IT Tोशन, यायला शिवालिजित मुहूर्त शियालिखित शिवालिसित मुहूर्तगालि शीघ्रबोध शियोत ..काम ४९५ ५२२२ ४६६ ४६७ ६४३६ ४१५५ ४६६ ४७५६ . ५०० ५०५० ५०१ .. ५०२ ५०३ ५०४ ७६२५ .. . ६३६७ ७१५२ शीघ्रयोप, भड़ली के गोहे मीत्रयोध कानाप. Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष । कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क - ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ५०५ ५०६ ५०७ ४८७१ ४४०६ ५१०६ शकजातक शेषवासना षट्पंचाशिका शुकमुखोक्त कमलाकर भट्टोत्पल १८४२ १७८६ १८१८ ३ लि.क. मुरुजित्सुत दुर्गादत्त .... ४४ , रामकृष्ण कायस्थ , हरिकृष्ण ब्राह्मण, दशपुरग्राममध्ये पथयशाः, टी. उत्पल भट्ट २१ पृथुयशाः . " सटीक १९वीं श. १८वीं श. १८१६ १८२२ १८३६ १० लि.क. जीवनविजय, बालीमध्ये ,, ज्योतिर्विच्छंभुराम राजस्थानी भाषार्थ साहित लि.क. कृष्णचन्द्र विजयराम ,रामनारायण ब्राह्मण , ऊदा उत्पल भट्ट ६५६४ १८८४ ५१४ १६४५ १६ ५०८४६५० षट्पंचाशिका सटीक ५०६ ४६८७ , (सबालाववोध) ५१० ४६६२ ५११ ४८४१ " " ५७१३ षट्पञ्चाशिकावृत्ति ५१३ ६८१६ ५१५ । ७५७८ षट्पञ्चाशिकाटीका ५१६ | ४६७३ सस्तबक ५१७ ४८०० ___ (होराध्यायान्त) ५१८ ७६२७ , सबालावबोध ५१६ ६८३३(१०) षष्टिसंवत्सरफलम् ५२० ४८९६ स्त्रीजातक ५२१ ५७६१ ५२२४७६३ स्त्रीजातकपद्धति ५२३ । ६७४८ स्त्रीजातक (कुण्डलीफल) ५२४ ४५२५ स्वप्नाध्याय मनीराम भट्टोत्पल पृथयशाः ,पुरुषोत्तमसुत लीलाधर देराश्री श्यामल यवनजातकान्तर्गत १६०१ १९वीं श. १८१६ १८५२ १७६७ १८९५ १८५८ १९वीं श. १८वीं श. ,, दानसौभाग्यगणि ५०-५५ १० | लि. व्रजवासी सिल्लु:, काश्याम् १२ , रावल जीवा सुत अंबाराम प्रस्तावरत्नाकरोक्त Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [११६ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; ११-ज्योतिष ] क्रमास ग्रथाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय स्वप्नाध्याय ५२५ ४६५५ ५२६ ५६१४ ५२७ / ५६०६ ५२८ | ४१०५ १८०८ १९१६ १४वीं श. १८३२ स्वप्नातावर्तप्रकरण स्वरपञ्चाशिका अद्भ तसागरगत मिश्र नन्दराम ३ . लि.क. बैजनाथ ७ लि.क. रामगोपाल ११ ३ | रचनाकाल १८२२ स्थान-काम्यकवन लि.क. हरदेवलाल ५३० " लि.क. नरहरिदास १०6 6 - १० लि.क. बखतराम तिवाड़ी. देवाढ ___, विश्वम्भरी mr X४." - Gm ५३६ १-५४ ५२९ ५३१८ १८६५ ५३२२ १७१५ ५३१ ७१२३ स्वरोदय (सटीक) शिवप्रोक्त २०वीं श. ५३२ ४६७६ स्वरोदय शास्त्र १९वीं श. ५३३ ४८६८ १८३३ ५३४ ४८६० जीवनाथ २०वीं श. ५३५ ५५१७ उमामहेश्वरसंवादगत(प्रश्नोत्तरी) १९१६ ५४३३(१) संकेतकौमुदी हरिनाथ ५३७ ५८०२ १९वीं श. ४६६६ संज्ञातन्त्र नीलकण्ठ . ५३६ ५८०४ १८६६ ६६६० १९वीं श. ५१८५ १६१० ५४२ ५५३० १६वीं श. ५४३ ६०४६ संज्ञातन्त्रोदाहरणम् १८२२ ५४४५४७३ संज्ञाधिवेकनिवृतिः (रसालाभिधा) | नीलकण्ठसुत गोविन्द दैवज्ञ | १८६२ " ५४० ५४१ १०१ लि.क. काशीनाथ ... . . Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११-ज्यौतिष ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [११७ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या १६वीं श. " ५४५/५५८२ | संज्ञाविवेकविवृत्ति (पूर्वार्द्ध) नीलकण्ठसुत गोविन्ददैवज्ञ ५४६ ५१८३ (उत्तरार्द्ध) , ५४७६०४६ संज्ञाविवेक टीका ५४८ ५७६४ सन्तानदीपिका भावचिन्तामगिगत ५४६ ४४५२(८८) सप्तनाड़ीचक्र १८वीं श. १८६४ १८वीं श. १४४ १२३ रचनाकाल १५४४ ३६ | लि.क. व्रजवासी सिल्लुः १२८वां | इसमें वर्षा सम्बन्धी योगों का वर्णन किया गया है लि.क. पं. प्रीतसौभाग्य स्थान-बगहेड़ा ग्राम श्री वेंकटेशशिष्य अप्पय (?) ५५० ५७२७ ५५१ ५६७५ ५५२ ५६७६ ५२८८ ५५४ ४१०८ ५५५ ४२७४ सर्वतोभद्रचक्र सर्वार्थचिन्तामणि (पूर्वार्द्ध) (उत्तरार्द्ध) | सर्वार्थचिन्तामणि १८९७ १९वीं श. १९०६ १८वीं श.. १९वीं श. १७६७ समरसार | * लि.क. हरिचयन | सवाई जयपुर १० रामचन्द्राचार्य सोमयाजी रामवाजपेयी १९वीं श. रामचन्द्र ५५६ ४६९८ ५५७४८५६ ५५८ | ५७७४ ५५६६२४१ ५६० ६३०८ ५६१ ४७०३ ५८१६ : • समरसार सटीक रामचन्द्र, टी. भरत १८६२ १८वीं श. १८६१ १८६३ ७ ४ ३२ २३ | लि.क. व्रजवासी सिल्लुः, वां पत्र प्राप्त Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, ११-ज्योतिष ] [ ११८ कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम | लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थाङ्क समरसार सटीक रामचन्द्र, टी. भरत ५६३ | ५३८८ ५६४ ५६५ / ७५०३ १८५७ १८४० १६१३ ३० लि.क. व्रजवासी, आद्य पत्र त्रुटित गुटका ७८२१ ४३६४ साधितग्रह कुण्डली संग्रह सामुद्रिक (पुरुष स्त्री लक्षण) १९वीं श.. १६६४ ५६७ समुद्र ५६८ | ४४०८ १७८६ (१) सामुद्रिक, । (२) नारचन्द्र (३) भावाध्याय १९वीं श. १८०६ १७०८ | लि.क. ऋषि मति कीति, स्थान-नांदसमा ग्राम १७ (१) पृष्ठ क से ७ तक, (२) ७ से १४ (३) १४ से १७ लि.क. वैरागी राजपाल स्थान-पाल्हणपुर ३-१६ ७४-६७ १३ | लि.क. मिश्र रघुनाथ ___, जयकृष्ण १२. , गुमानसागर, र.का. १७१८, स्थान-भुजपत्तन ११८ १४-३६ ७ लि.क. व्रजवासी सिल्लुः ६२ . ५६६५९६८ (२) सामुद्रिक ५७० | ५३७३(३) , सटीक ५७१ ४६५६ ५७२ ७५१४ सारमञ्जरी पद्धति ५७३ ४७३४ | सारसंग्रह M "सार्थ नृपति भूपति । १८वीं श. mm १८८४ महादेव राजगुरु राजगुरु कल्याण वर्मा ५७५ ५७४ ६०१२ ५३१३ ५७६ ५६२२. ५७७/५०४३ सारावली सिद्धान्तज्योतिष स्फुटपत्राणि सिद्धान्ततत्त्व सिद्धान्तरहस्योदाहरण त्रिविक्रमाचार्य विश्वनाथ १८वीं श. १९वीं श. १८९५ १९वीं श. Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखितः ग्रन्थ सूची, भाग-२, ११-ज्योतिष ] '. क्रमाङ्क । ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य । ११६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या सिद्धान्तरहस्योदाहरण विश्वनाथ १८२२ १७वीं श. सिद्धान्तशिरोमणि भास्कराचार्य कुम्भेर क्षेत्रे लिखितम् ५७८ ६२२६ ५७६ ५८०१ ५८० ५२६१ ५८१ ५२६२ ५३३७ ५६६६ ५६२६ १९वीं श. १८७७ १७वीं श. १६वीं श. सिद्धान्तशिरोमणि मरीचि श्री रंगनाथ सिद्धान्तशिरोमणि वार्तिक (पूर्वार्द्ध) | भास्कराचार्य (उत्तरार्द्ध) सिद्धान्तशिरोमणि वासनाभाष्य सिद्धान्तसुन्दर ज्ञानराज ५७८७ ५८७ ४७३३ " १८८२ १८४३ ५० रचनाकाल-शाके १५४३ १७६ लि. स्था० कलकत्ता ३१ लि क. हरिसुख ब्राह्मण प्रथम पाठ पत्र प्राप्त लि.क. रामनारायण २ | प्रारम्भ के १० श्लोक नहीं हैं १२६-१२७ मिटुन शुक्ल ५६२ ५५४६ । सुदर्शनचक्रम् ५७५० सुश्लोकशतक ५६० ४४५२ (८७). सूतिकाज्ञान ५६१ / ५२५६ सूर्यचंद्रग्रहणसारिणी ५६५३ धनसिद्धान्त ५६३ ४४५२ (८) सूर्यपुरुषचक्रादि ५९४ ६३७४ सूर्यसिद्धान्त ५६५ ६८६२ ५६६ ४५२८ ५६७ ५८७६ दुर्गाशंकर अज्ञात मयासुर १९वीं श. १६०३ १८वीं श. १९वीं श. १८६३ १८वीं श. १९२६ १८वीं श. १९वीं श. १८५५ ६०५ लि.क. व्रजवासी सिल्लुः १२वां ४७ | लि.क. डालचन्द ,, देवसुन्दर ., बालचन्द्र स्वामी, ग्वालियर Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मंदिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; ११ - ज्योतिष ] क्रमांक कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ५६८ ४६५२ ५६६ ५५६२ ६०० ४७५७ ६०१ ६५७४ ६०२ ६२१० ६०३ ५७८६ 73 ४१८२ ६०४ हायनरत्न ६०५ ६८३३ (४) हायनसुन्दर ६०६ ६०७ ५७१८ ६०८ ४८८५ ६०६ ४७६५ ५६७४ ६१० ६११ ४६११ ६१२ ४२८५ ६१३ ४२८० ६१४ | ४३५४ ६१५ | ७०३७ ६१६ ४८६० हिल्लाजदीपिका सूर्यसिद्धान्त टीका सूर्यसिद्धान्तोदाहरणव्याख्या ५७५४ ........ सौरवासना हस्तरेखाप्रकरण हस्तसंजीवन होराप्रदीप ( कर्मविपाकोक्त) होरामकरन्द होरारत्न त्रिपताकीचक्रादि त्रिकालज्ञानमनश्चितामणि त्रैलोक्यप्रकाश ( ज्ञानदर्पण ) ( अर्घ्य काण्ड) "" "1 ज्ञानप्रदीप ( प्रश्नादर्श) नृसिंह देवज्ञ विश्वनाथ देवज्ञ कमलाकर बलभद्र नृसिंह "" उमामहेश्वर संवाद गुणाकर बलभद्र जातकार्णवान्तर्गत शिवोक्त हेमप्रभ सूरि "} लिपि समय १८वीं श. १६१२ १५०० १६वीं श १६२३ १६वीं श. १८३१ १६वीं श १६वीं श. १८६५ १६३६ १८२४ १६वीं श १८२८ १६वीं श १७७२ १७१५ १७७५ १६वीं श.. पत्र संख्या ६१ १५० ४६ १७ ३३ १०७ २६-३२ १० १४ ११ २४ ४६८ ५ ५ २३ २६ ३१ १६ लि.क. रामजीवन " [ १२० विशेष उल्लेखनीय राजाचार्य, सवाई जयपुर * लि.क. हरिप्रसाद रचनाकाल - १७१० लि.क. चतुरविजयगणि, पालीनगरे * लि.क. धीरसुन्दर गरिए * श्राद्य दो पत्र श्रप्राप्त लि.क. पं. विजयसोमगणि प्रथम पत्र अप्राप्त लि.क. सुखविजय, शाकम्भरी नगरे Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; ११-ज्योतिष ] [ १२१ कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमा ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ३४ ६१७ / ४७७३ ६१८ ७६२४ ६१९ / ४४६४ ६२०.५६२१ ज्ञानप्रदीप प्रश्नाधिकार ज्ञानप्रदीपिका ज्ञानमंजरी (प्रश्नविषयक) ज्ञानमंजरी | महर्षि ऋषिशर्माचार्य सोमनाथ (रीवां निवासी) १९वीं श. १९०६ १८७८ १६०४ १७ लि.क. बालमुकुन्द २६ लि.क. गोवर्द्धननाथ, जयपुर रीवाभिधाने नगरे चतुर्वर्णसमाकुलं । तत्रावसन् सोमनाथः करोमि ज्ञानमंजरीम् ॥ ३३ / २५,२६,३१वा अप्राप्त १३ लि.क. दुर्गादास यति ३२ क्षेत्रसमासवृत्ति (अपूर्ण) ६२१ / ७१३१ ६२२ ५०५८ ६२३ / ४४२७ १७वीं १७५३ १६वीं " क्षेत्रसमासावचूरि मू. सोमतिलकसूरि, अवचूरि-गुणरत्नसूरि Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १२-छन्दःशास्त्र ] कमा लिपि समय | पत्र संख्या | ग्रन्था ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ६२२५ । छन्दःकौस्तुभ (सभाष्य) २७ / लि.क. बलदेव गोस्वामी १९०६ लि स्था. वृन्दावने श्रानन्दघट्ट राधादामोदरदास भा. विद्याभूषण जगन्नाथ मिश्र गङ्गादास धुरन्धरमल्लारि ३ ५६६० ५५८१ ४४३२ । छन्दःपीयूष छन्दोमञ्जरी वृत्तमुक्तावली १९०६ १९वों श. १५वीं ३० वृत्तरत्नाकर केदार भट्ट ४३०० ४४६४ ६६५६ ४३३६ ४४३३ १८२१ १९वीं श. १९२० १५८२ १८१३ (सटीक) , टी. सोमचन्द्र टो. भास्कर शर्मा लि.क. कालिंग बम्मणभट्टात्मज वराहग्रामस्थ ६ लि.स्था. कर्णपुरग्राम । १५ | लि.क. लक्ष्मण, पहार १० लि.क. गुणाकर विद्यार्थी ३८ प्रति जीणं, दीमक खाई हुई ३६ टीका का रचनाकाल चैःशु.१ सं. १७३१ टी. गुजर भाषा में २० | अपूर्ण, त्रुटक ४०३२ ५१४१ टी. मेरुसुन्दर १५वीं ॥ सबालावबोध ,, सटीक त्रिपाठ ,, सटीक . ,, (सेतु टीका सहित) १२ ६४४७ टी. श्रीकण्ठ १९वीं श. टी. भास्कर शर्मा दायाजिभट्टसुत १६०३ अक्षवहिहयभूमितवर्षे टी. रचना लि.क. फन्हैयाराम ७४८२ १५ । ७५१३ | ४३५६ , सटीक पञ्चपाठ ,, वृत्ति , सटिप्पण वृत्तरत्नाकर सटिप्पण श्रुतबोध टी. सोमचन्द्र १७वीं वृ. समयसुन्दर सकलचन्द्र शिष्य | १७५५ टी. क्षेमहंस . १७वीं . १५वों कालिदास | १७६२ | पत्र जीर्ण एवं कोटपिद्ध .... १७६०४३ २ लि.क. मुरलीधर प्रोदुम्बर,काश्याम Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १२-छन्दःशास्त्र ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क [ १२३ . विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ४४६३ श्रुतबोध कालिदास १५वीं < Gr ५१८० ६६७१ ६०२६ ५२१८ १६११ १६वीं र ,, (ज्योत्स्नाभिघटीकासहित) | टी. माधव दैवज्ञ गोविन्दसुत नीलकण्ठपौत्र गार्ग्यवंशोद्भव | टीका का रचनाकाल-भूतर्कबाणेन्दुमितेशकाब्दे १५६० शाके (१६६५ वि०) २३ / अनन्तराजस्य राज्ये सुवृत्ततिलक क्षेमेन्द्र २०वीं Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १३-संगीतशास्त्र ] कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्कः ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क भाव भट्ट जनादनसूनु ६७४१ २५६ १८वीं जीर्ण प्रति * | अनूपसंगीतरत्नाकर (द्वितीय रागाध्यायः) रागमाला २४१६६ १८६४ वजनाथदीक्षित पञ्चनदीय (गोकुलस्थ) ३ | ५०६४ , १९वीं Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १४-कामशास्त्र ] ग्रन्थाङ्क । कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थ नाम विशेष उल्लेखनीय ४७७४ ५७२० ४४२६ ४७७५ कोकशास्त्र भाषार्थ सहित पञ्चसायक रतिरहस्य कोक कवि शेखर कुक्कोक पण्डित १६वीं १८वीं १६वीं ४ १६८३ - - -- Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग--२; १५--काव्य-नाटक -चम्पू] लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम ग्रन्यास ७०२६ ४३७६ ४५२० ५५८६ ५५८७ ५५५८ ५५८९ ५५६० ५५६१ ४३३१ ११ ६९९८ २० अतरामायण वाल्मीकिमुनि १८६० लि.क. हरिलाल अध्यात्मरामायण (सुन्दरकाण्ड | टी. श्रीराम वर्मा हिम्मतवर्मणः पुत्र १९२७ १७ | लि.क. व्यास घासीराम सटीक) अध्यात्मरामायण सटीक त्रिपाठ १८वीं श. अध्यात्मरामायण (अयोध्याकाण्ड) १६०४ (बालकाण्ड) " , (सुन्दरकाण्ड) " " (किष्किन्धाकाण्ड) ॥ ॥ (अरण्यकाण्ड) " " (युद्धकाण्ड) ५२ अनर्घराघव मुरारि १७वीं श. म. मुरारि, टी. महोपाध्याय | १८वीं श. | ४१से१८६ | टी. खोपालकुलोद्भव रुचिपति वैजोलिया ग्रामवास्तव्य हरिनारायण-पद-समलंकृत महाराजाधिराज श्रीमद्भरसिंहदेव प्रोत्साहित अन्यापदेशशतक मधुसूदन १८वीं श. ६ | लि.क. दवे विश्वेवर गोलवाल जयपुरमध्ये अभिज्ञानशाकुन्तल कालिदास २१ । पञ्चमोकपर्यन्त अमरुशतक सटिप्पण श्रीशङ्कराचार्य (अमरुक) १८६१ ३६ अमरुशतकम् अमरुक १८२७ लिखितं पंडितदेवदत्तेन नाहटा . जसरूपपठनार्थम् " दीका । ६४०२ ७५१७ १४ ४३२५ ५६६५ Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १५- काव्य-नाटक- चम्पू ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम . कर्ता आदि ज्ञातव्य १६ १७ १८ १६ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ६६८१ ५१६८ ४३३० ७४६६ ५१६७ ६१७४ ६६२६ ६६७४ ४२०४ ५१२५ ६००१ ६३१३ ६७६१ ६६८२ ४३६५ अमरुशतक ( भावचिन्तामणि व्याख्यासहित) उद्धवसन्देश ऋतुसंहार कर्णामृत सटीक कादम्बरी (पूर्वभाग ) उत्तरार्द्ध " "3 पूर्व खण्ड किरातार्जुनीयम् 33 33 19 39 "" 11 सटीक "1 " सावचूरि मूल कुमारविहारशतक अमरुक, श्रीरूप गोस्वामी कालिदास 17 टी. मू. लीलाशुक, टी. चैतन्यदास बारण भट्ट वारण भट्ट तनय (पुलिन्द ) बाण भट्ट भारवि "" भारवि चतुर्भुज मिश्र मू. भारवि, टी. मल्लिनाथ टी. श्रज्ञात "" रामचन्द्र लिपि समय १८६० १८वीं १७६८ १८वीं 93 १८१५ १८८० १८वीं १८११ १८२५ १७वीं "1 १८वीं १७७१ १७वीं पत्र संख्या ६२ ५ ८ १८ १८५ ८२ ८२ १५६ ११८ १३४ ४३ १३ ** ६० ५. विशेष उल्लेखनीय लि.क. नैणसागर [ १२७ खण्डित । ६ से ८ तक पत्र कीटविद्ध लिक. मुनि श्री राघव लि. स्था. हिसार १२वां पत्र प्राप्त प्रति सुन्दर है लि.क. लालविहारी माथुर प्रथम पत्र अप्राप्त लि.क. वैष्णव हरिदास जयपुरमध्ये लि.फ. चूड़ामणि सलावद नगरे श्रादितः श्रष्टमसर्गपर्यन्त, प्रथम पत्र श्रप्राप्त पञ्चदशसर्गपर्यन्त श्राद्य ८ पत्र प्राप्त लि.क. 'साकवाटा (सागवाड़ा ? ) ग्रामस्थितेन रणावस्वौरस वसदादसात्मजेन देवकृष्णेनलिखितमिदम्, लवणपुरे' Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] कर्ता प्रादि ज्ञातव्य |लिपि समय | पत्र संख्या । .. ग्रन्थ नाम फ्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क [ १२८ विशेष उल्लेखनीय कुमारसम्भव सटीक म. कालिदास, टी. मल्लिनाथ | १६८४ १७५४ १८३१ ५० लि.क. उदयनिधान मुनि लि.स्था. योधपुर, आदि के २ प्रत्र अप्राप्त, सप्तम सर्गपर्यन्त ६६ / लि.क. राधाकृष्ण, लि.स्था कृष्ण गढ़ १०वा पत्र प्राप्त ५४ सप्तम सर्ग पर्यन्त, लि क. पुरुषोत्तम प्राचार्य ३८ | सप्तमसर्गपर्यन्त, ३७वां पत्र अप्राप्त ७० सप्तसर्गात्मक १८४२ ४१६७(१) " कालिदास मूल १७वीं श. ३४ ६००५ , सवृत्तिक ६८७० ५५१० ४१६३ ,, सटीक " अष्टम सर्ग ,, अष्टमसर्गपर्यन्त म. कालिदास, टी. मल्लिनाथ कालिदास १८वीं श. १७१२ १६१४ १८६१ ४४८५ " सटीक । ७००१ ४० | ५१०७ मू. कालिदास, टी. मल्लिनाथ | १८वीं श. मू. कालिदास, टी. परमहंस १७वीं श. परिव्राजकाचार्य सरस्वतीतीर्थ लि.क. अलवेश्वर नागर ब्राह्मण ४६ लि.क. व्यास रतनेश्वर लि.स्था. जयपुर १३३ षष्टसर्ग के ७४वें श्लोकपर्यन्त ३२ / प्रथम पत्र प्राप्त, प्रथम सर्ग के छठे श्लोक से पञ्चमसर्ग के | २०वें श्लोक तक टीका है ७७६४ ४२ / ५२७१ ४३ | ४३३८ कृष्णगणोद्देशदीपिका खण्डप्रशस्ति हनुमत्कवि १६वीं श. १७५६ १८वीं श. २८ लि.क. धर्मेश्वर अम्बावतीवास्तव्य २० Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १५-काव्य-नाटक-चम्पू] [ १२६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम हनुमत्कवि वृत्तिकार गुणविनय जयदेव ६ जीर्ण और प्राचीन.प्रति २० ४४ ५९६८ खण्डप्रशस्ति ४२७६ खण्डप्रशस्तिवृत्ति ! ५०६० | गीतगोविन्द ४७ ५२०५(१६) ४८ ६०६० , (सटीक त्रिपाठ) ६७३४ ६०६८ सटीक ६७८६ १६वीं श. १८वीं श. १६वीं श. १८वीं श. १९वीं श. १८१८ ६६से८६ ४६ , टी. चैतन्यदास जयदेव मू., टी. चैतन्यदास जयदेव १८७७ १९वीं श. बालबोधिनी टीका,लि.मथुरामध्ये | १२,११,१२,१३,१४.६१,६२ ६३ वा पत्र अप्राप्त | अपूर्ण, प्रथम पत्र शोभन ५२६८५७ ७६२८ ५४ ७७५१ १८वीं श. १६८३ ,, सार्थ, पदसंग्रह गुटके के अंतमें सूरदास, हरदास परमानन्ददास, कृष्णजीवनी, लच्छीराम आदिके पद व परशुराम कविके दोहे तथा तुलसी बीजमंत्रादि लिखे हुए हैं। ५५ ७७५५ १६वीं श. ५६ ५१५७ " सटीक जयदेव, टी. शेष कमलाकर १८३० ६२ साहित्यरत्नमालाख्या टीका लि.क. हरिचंद मथेन (मथेरी) रूप नगरमध्ये ३०५ | टीका नाम व्यङ्ग यार्थसदायन'है ५७ ६९८० गोवर्द्धनसप्तशती सटीक मू. गोवर्द्धन, टी. अनन्तपण्डित | १२१२ Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] क्रमांक - ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १३० विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या | ५८ | ४४८६ घटसर्पर १८०५ कालिदास २ | लि.क. भवानीशङ्करात्मज उदयशङ्कर ६० ..सटीक ५६ ५१६६ ६३०६ | ५६४५ ६६२८ १८वीं श. १८१६ १८वीं श. १६४१ मू. , टी. अज्ञात चौर कवि सीताराम पर्वणीकर चौरपञ्चाशिका | जयवंशमहाकाव्य १३३ | जयपुर के इतिहास से सम्बद्ध काव्य रामाश्रम ७७६३ ४४०१ ६४ १८१४ ५६०२ दुर्जनमुखचपेटिका द्रौपदीवस्त्रदानप्रबन्ध धर्मशाभ्युदय नलोदयकाव्य नलोदयटीका ५८७७ ४०६२ ७४५८ ० mr Me " ,, सटीक त्रिपाठ ४८ १६वीं श. गोवर्द्धन हरिश्चन्द्र (प्रार्द्रदेव कायस्थसुत) १८२३ कालिदास १८५७ चतुर्थाश्वासपर्यन्त मू. , टी. मनोरथ कवि १८वीं श. | विवुधचन्द्रिका टीका मू. , टी. कविशेखर केशव १८३५ | साहित्यदीपिकानाम्नी विदुषा वपतरामेण लिपीकृतम् मू. , केशव नृसिंहाश्रम- १८५५ लिखितं भरतपुरमध्ये कृत टीका सहित | तृतीयोच्छ्वास के अन्त में कर्ता केशव लिखा है विक्रम १७वीं श.. ५ कालिदासकृत मेघदूत काव्य के | श्लोकों के अन्त्यपादपतियुक्त श्रीहर्ष १८वीं श. २२० । अन्त्य पत्र प्राप्त श्रीहर्ष ६६से १६० | पञ्चमसर्ग के १४वें श्लोक से नवमसर्गान्त ७० ५६४५ नेमिद्धतम् (विक्रमकाव्यम्) नैषधीयचरित ५१६२ ७२ । ७०४२ - Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] R [ १३१ विशेष उल्लेखनीय - लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क . ७३ ६२६१ ४३८८ ५१५८ नैषधीयचरित टीका (पञ्चमसर्ग) | टी. विद्यारण्य योगी नृसिंहचम्पू केशव भट्ट । प्रसन्नराघव जयदेव १८वीं श. १९वीं श. १८१५ ७३ लि.क. जोशी रघुनाथ, जयपुर सवाईमाधोसिंहजीराज्य | लि.क. चतुर्भुज मिश्र ३८ | ५३६४ ७२६८ १८५० १८वीं श. हेमचन्द्र १२० परिशिष्टपर्थ (स्थविरावली चरित्र) | पाण्डवचरित्र ७२१९ देवप्रभ सूरि १६४१ २४१ ५६४२ ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिचरित्र हेमचन्द्र १६६६ ३ लि.क. राव श्री दुर्गभाणजी विजयराज्ये, रामपुरामध्ये त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रान्तर्गत । लि.क. पं० विद्याकीतिपुण्यतिलकशिष्य ७७८६ भट्टिकाव्य (तृतीयसर्गपर्यन्त) भामिनीविलास भावशतक ५२४० जगन्नाथ पण्डितराज नागराज टाकवंशीय ३६ अति सुन्दर प्रति ६ प्रथम पत्ररहित " ७१३५ । ७०२२ ६८१० ७४९५ | ७८३२ मधुकेलिवल्ली महाभारत प्रादिपर्व गोवर्द्धन श्रीवेदव्यास १६वीं श. १८११ १८वीं श. १९वीं श. १६वीं श. १८३७ १६वीं श. १७वीं श. १७७३ ३७ पत्र ३ से १० अप्राप्त १७१७ / लि.क. हरिदत्तनागर सावरमध्ये २१५ / अपूर्ण, खाण्डववनदाहपर्यन्त ३७१ / लि.क. हीरानन्द औदीच्यजातीय Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या क्रमा ग्रन्था ग्रन्थ नाम [ १३२ विशेष उल्लेखनीय महाभारत सभापर्व श्रीवेदव्यास १४२ / लि.क. गोवर्धन लि.क. मनोहरदास ६२४४ ६०६७ ६१८५ ६६११ १६९४ १८१० १८वीं श. १६४५ महाभारत सभापर्व १५१ | लि.क. हरिदास व्यास गागात्मज मांडलमध्ये ६२ ७४६४ ६१८६ ५४७५ १६वीं श. १८वीं श. , मौशलपर्व सटीक ,, ऐषिक, पाश्रमवासिक, मौशलपर्व टी. नीलकंठ श्रीवेदव्यास ऐषिक आश्रम ३५ मौशल १२ ७४५८ ६१८८ ९८६१८६ ६६ | ६४७० १००। ७१२० , मौशलपर्व , पाश्रमवासिकपर्व सटीक | टी. नीलकंठ ,, सौप्तिकपर्व सटीक श्रीवेदव्यास १६वीं श. १८वीं श. मूल १९२६ १०१ । ६१८७ , आरण्यक पर्व सटीक मू., टी. नीलकंठ १८वीं श. रायचन्द्र ब्राह्मण को शक्तिसिंहसुत भोपतिसिंह द्वारा प्रवत्त प्रति अन्न में लिखित 'जयश्री चतुर्भुजरायजी', स्थान-सावर .. १०२ | ५४६८ श्रीवेदव्यास टी. नीलकंठ ३४७ - १०३ .... १०४ | ६१६१ - १०५ / ७४५३ मूल , विराटपर्व सटीक ,, उद्योगपर्व , ". " मूल | श्रीवेदव्यास | १५३१ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २ १५- काव्यनाक कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाच १०६ प्रथाक ५४८१ १०७ ६१६२ १०८ ६४७१ १०६ ५४७७ ११० ७४६३ १११ ५५०१ ११२ ५४६२ ११३ ५१६५ ११४ ६१६३ ११५ ६१९४ ११६ ६८६७ ११७ ७१२१ ११८ ६१६६ ११६ ७४५२ १२० ६७०० १२१ ६५८६ महाभारत "1 32 " 11 " ,, द्रोणपर्व ग्रन्थ नाम "" कर्णपर्व "} कर्णपर्व सटीक " भीष्मपर्व विशोकपर्व श्राश्वमेधिकपर्व सटीक शान्तिपर्व राजधर्म सटीक श्रापद्धर्म राजधर्म 27 मल ?? स्त्रीपच मोक्षपर्व सटीक " हरिवंश महारामायण सटीक त्रिपाठ 11 महारामायणान्तर्गत (सीतारामप्रिलक्षणानुवर्णन ) श्रीवेदव्यास टी. नीलकंठ श्रीवेदव्यास 27 ,, 2 " टी. नीलकंठ "1 ܐܐ श्रीवेदव्यास " टी. नीलकंठ श्रीवेदव्यास 1 } निषि सम १८२६ १च्चों १७६३ १खी १५यों ચૌં १८२६ १=यों " 27 १व १८२६ १८वीं (?) १६३० १८वीं १व पत २२५. ११६ ५५२ १२ १२ ?& २४ पत्र प्राप्त १५४ पत्र ५६ से ७१ तक तथा १३२ से १५४ तक सं० १७५८ में लिखित, शेष १५ के है ६ ११० ३५ ८४ [ १३३ ५ विशेष गीय लि.क. विद्याधर गुर्जरो पंचोती तिलायित भोपालसिंह जगतायत, इस पत्र प्राप्त ७०६ १०६ त्रुटित लि.क. साधु निरंजनी उत्तमराम लि.स्वा. सावर Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १५ - फाव्य-नाटक- चम्पू ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क सन्थाङ्क १२२ १२३ ६२३६ १२४ ५१६१ ५६७३ १२५ ४३६१ १२६ ६६०६ १२७ ५०६७ १२८ १२६ १३० १३१ १३२ ५१६३ ५७०६ ६१२३ ६२४८ ६१३७ ७२३५ १३३ १३४ ४३८६ १३५ ४३६०. १३६ ५१५६ महारासोत्सव " मिथ्याज्ञानखण्डन (नाटक) मुद्राराक्षस सटीक त्रिपाठ मूलरामायण मेघदूत "" 11 " "} "" " " ग्रन्थ नाम "} टीका वृत्ति सटीक .. हनुमत्संहितान्तर्गत रविदास मू. विशाखदत्त, टी. ढुंढ़ियज्वा वाल्मीकि कालिदास "" " 17 " 66 टी. धनेश्वर टी. पूर्णानन्द यतीन्द्र लिपि समय १८३६ १८वीं "1 १६वीं १७६७ १६७४ .१६वीं १८६४ १८वीं ܕܕ " १६८३ १८०१ १७६३ १७वीं पत्र संख्या १८ ८० १३ १८ १४ "1 १७ | श्रीद्वारकापतेः प्रसादार्थरचितमिदन्नाटकम् २ से १७ २१ ११ १८ २२ ४१ २७ २६ ६२ [ १३४ विशेष उल्लेखनीय भगवान् श्रीरामचन्द्रजीको रासलीला वर्णनपरक लि. स्था. जोधपुर, व्यास माधवसुत परमानन्द पठनार्थम् प्रथम पत्र रहित, लि.क. हरिकृष्ण लि.क. मुनि विनीतसागर भावसागरशिष्य सूरतमध्ये लिखितं लि.क. मुनिवीरविजय संघविजयगरि शिष्य लि.क. चतुरविजय गणि लि. स्था. श्री कर्णपुर लि.क. श्री दर्याप Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १५ – काव्य - नाटक - चम्पू ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थङ्कि क्रमाङ्क १३७ १३८ १३६ १४० १४१ १४२ १४३ ५६२५ ६०५३ १४६ ६१६६ ६८६६ १५० ५६४१ १४४ ५१८१ १४५ ६६६३ १४६ ५७५६ १४७ ४१६८ ६००३ ७२६६ १४८ | ५१२४ ६२११ ६५६१ मेघदूत सटीक ܐܐ "1 35 ,3 , सावचूरि त्रिपाठ 33 " ग्रन्थ नाम "" "3 33 सावचूरि सटिप्पण 27 मोहमुद्गर रघुनाथार्यारत्नमाला रघुवंश पंचपाठ मू. कालिदास, टी. श्रज्ञात "5 "" 55 अवचूरिकर्त्ता श्री लक्ष्मीनिवास श्री शङ्कराचार्य महामुद्गल भट्ट कालिदास 37 55 लिपि समय १७व १६वीं "" १७५२ १७८६ १६वीं १८०७ १७वीं १७४३ १६१२ १८४६ १८३६ १८४५ १८६८ पत्र संख्या ३० २४ ३६ ३१ ६ २२ १६ ३ ५ १४२ २४ लि.क. फतेविजय गणि रंगविजयशिष्य, बिलाड़ास्थाने लिखितम् ११६ १२२ [ १३५ ८७ विशेष उल्लेखनीय लि.क. मुनि लालचंद पाटलिपुत्र पत्तने विशिष्ट प्रति लि.क. श्रमरहंसगणि कल्याणहंसगणिशिष्य, विशिष्ट प्रति लि.क. राघव शर्मा लि.क. ब्रजवासी अलवरमध्ये लिक. पुरुषोत्तम आचार्य स्था. जयनगर लि.क. लाला मयाराम कृपारामसुत । लि. स्था. हिडिम्बानगर यति सुखानन्दपठनाथ श्रारम्भ के कुछ पत्रों में टिप्पणियां हैं। लि.क. मनीराम पण्डित कश्मीरनगरे Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४६६ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२; १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] [ १३६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क कर्ता यादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क १५१ द्वादशसर्गपर्यन्त | ६७८६ श्री कालिदास रघुवंश १९वीं ५ प्रथम सर्ग मात्र १५२ | ६८४७ ७४ १५३ ६८६६ १५४ | ७०५२ १६३३ पत्र १ से ६ अप्राप्त । लि क. गोपाल व्यास, श्री रङ्गस्यात्मज नरसिंहदास, मान्धातुःपुरमध्ये, श्रीमदकवर पात साहिराज्ये १५५ सटीक टी. सुमतिविजय | १६०१ १६६ से ३४७/ सर्ग १२वें से १६ तक (सुगमान्वयबोधिका टीका) लि.फ. विरधीचंद बीकानेरमध्ये १५६ रघुवंश सटीक टी. महिलनाथ १८वीं २२१ । पत्र ५४ से ५८ अप्राप्त १४२ / चतुर्दशसर्ग के ७२वें श्लोकपर्यन्त १५७ १७वीं ६७६२ १५८ टी. समयसुन्दर १९वीं ६१ / नवम सर्ग पर्यन्त ७३०२ टी. धर्ममेरु गणि १८३५ २०३ । १६० ५४६१ सटिप्पण पाठान्तरसहित ३८ से १८२ ८१वां पत्र अप्राप्त १६१ ६६७४ , सटिप्पण १५४७ १०६ लि.फ. वाचक तिहणकीर्ति चारचंद्र शिष्य श्री मरुस्थलदेश शुद्धदन्ती श्रीश्रीनगरे सातलविजयराज्ये मंत्रीश्वर बरगवीर दूला श्रीचैत्रगच्छे ४३२६ ,, साक्चूरि पंचपाठ १६२६ | ७०८३ ११४ | लि क. वीरहंस. पाद्यपत्र त्रुटित राधाकृष्ण प्रेमसम्पुट काव्य १६४ | ७५८५ राधामाधवलीला | राधागोविंद मिश्र, किशोरीरमण- २०वीं शिष्य नवनन्दशर्मासुत १५६ १८वीं १६३ १८वीं Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] [ १३७ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क रामकृष्ण काव्य १६५ / ५२७६ १६६ : ५६५७ १६वीं श. . १६२३ सटीक सूर्यकवि १६७ ५६८४ १६८५६०६ १६६ ५६०७ रामकृष्णकाव्य सटीक त्रिपाठ सटीक १६१६ १६वीं श. १७वीं श. २ लि.क. घनश्याम व्यास पाराशर सवाईजयपुरमध्ये १८ ____ : अव्ययदीपिकानाम्नी स्वोपज्ञ टोका ७ । लिपिकार ने भूल से सम्भवतः टीका का नाम 'अनूपदीपिका' लिख दिया है १७० २०वीं श. । २४ ६२७३ : रामरास क्रीड़न (सुदर्शनसंहितान्तर्गत) ४४०० रामहनुमन्नाटक ७८३३ रामानुजचरित्र (प्रपन्नामृताभिधान काव्य) १७३७०२० । रामायण ५४७१ , वालकाण्ड १७वीं श. १८३२ लि.क. हर्षहंसमुनि १४६ लि.क. जोशी रघुनाथ सवाईजयपुरमध्ये . वाल्मीकि ८३३ १७६६ १८वीं श. ६० ५५१४ १५ (मूलरामायण मात्र) ४२५० १७६ १७७ ५६६७ १७८ ६२६१ १७६ । ७०२५ श्राद्य पत्र सचित्र आद्यन्त शोभन १२३ १८६० १८वीं श. Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्याङ्क ग्रन्थ नाम [ १३८ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या | रामायण बालकाण्ड वाल्मीकि २०३ तिलकव्याख्यायुक्त १६ वीं " १८१ २२५ १८व रामायण अयोध्याकाण्ड वाल्मीकिमुनि ६४६६ १८० ६१४२ ६५०० १८२ १८३ ७०२६ १८४ १८५ | ५४४७ ६१४४ १८७ ५६७० १८८ ६१४३ १८४ ६५०१ १६० ५०४२ १६वीं १५वीं अपूर्ण ११५ ३३० तिलकव्याख्या सहित अपूर्ण २३१ ३४-+२६ दोनों काण्ड एफ ही जिल्द में हैं १२३ १७८ तिलकव्याख्या सहित १८६ १९वीं ,, अरण्य और किष्किन्धाकाण्ड मू. वाल्मीकि, टी. महेश्वर प्रारण्यकाण्ड वाल्मीकि १९वीं .. किष्किन्धाकाण्ड १७६२ १९१ | ५६६८ १९२६०१८ . १५वीं १८६६ १९वीं ६२६० . १९४ | ६५०२ ७९ पत्र ६, ६६वां अप्राप्त, पत्र २६ से ८० तक प्रायः त्रुटित, प्रति जीर्णशीर्ण, लि.स्था. तुंगानगर __ २७ श्राद्यन्तपत्र शोभन १२२ १२१ प्रति अपूर्ण, अन्त के कुछ पत्र भीगे हुए हैं १५२ तिलकव्याख्या सहित १०० १३७ भीकाजीलक्ष्मणस्येदं पुस्तकम् १२८ पत्र सं० ११६ तक पत्र प्राचीन । हैं और १८वीं श. के प्रतीत. होते हैं, सं० ११७ से १२८ तक नये पत्र हैं . . ... सुन्दरकाण्ड १६५ । ६२०४ १६६ / ६०१७ ...१६७ १७६६ १८वीं Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, १५-काव्य-नाटक-चम्पू ] [ १३६ लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क वाल्मीकि मुनि १८वीं श. रामायण युद्धकाण्ड रामायण युद्धकाण्ड १९८ ५६७१ १६६ ६०१६ २०० ७८०७ २०१/ ५६७२ २०२६०२० २०३ | ४५२१ २०४ । ५३६६ २८८ २८६ १६६ १९६ / अमृतसरे लिखितम् १८६ । लि.क. लक्ष्मण , उत्तरकाण्ड श्रीअग्निवेशमुनि १८६७ १९वीं श. १८वीं श. रामायणसार राक्षसकाव्य सटीक त्रिपाठ १२ " २०५/ ५९६२ २०६ ६००६ २०७ ५३०२ २०८ ५२३० २०६६०६२ ६ विद्वज्जनविनोदिनी टीका | प्रति सुन्दर है २ अपूर्ण ६६ | गोकुलचं गोस्वामिना लिपीकृतम् १०० लि.क. हृदयराम कायस्थ प्रथम पत्र प्राप्त वासवदत्ता विदग्धमाधव विप्रमुखचपेटासस्तबक विश्वगुणादर्शचम्पू २६ ६० वेणीसंहार शतश्लोकी रामायण शत्रुञ्जय माहात्म्य टी. सूरदेव भट्ट गोपीनाथसुत " सुबन्धु १७५३ १७५८ । १९वीं श. वेंकटाचार्ययाजी काञ्चीनगर- १९१८ वास्तव्य नारायण भट्ट १७वीं श. अग्निवेश्यमुनि २०वीं श. धनेश्वर १५११ १६७१ माघकवि १६८३ टी. वल्लभ (आनन्ददेवायनि) १८वीं श. माघ वणिक (?) १५५२ ११ २१० । ४३३७ २११ ६७१७ ५९१२ २१३ ७२५३ २१४ ७०४० २१५ ६००९ २१६ । ७०८७ २१२ शिशुपालवधम् . शिशुपालबध टीका सटिप्पण लि.क. गोपीनाथ १८५ आशापल्ली में लिखित २२५ १३८ आद्य २० पत्र अप्राप्त २४३ | प्रति सुन्दर है १२८ | * विशिष्टतम प्रति Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १५ – काव्य- नाटक - चम्पू ] ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क २१७ २१८ २१६ ५१११ ७८०६ २२० ६५६८ २२१ ६१७६ २२२ ४२६७ २२३ ५३०३ २२४ | ४१२६ २२५ ६०६३ २२६ ४७१५ २२७ ५६५४ २२८ ५१६६ ७६६० २२६ २३० ५५५३ ७५०५ २३१ ६१६७ २३२ ६६६६ २३३ ५६४३ शिशुपालवध टीका सटीक 1, 23 शृङ्गारतिलक शृङ्गारमाला शृङ्गारवैराग्यमुक्तावली संवित्प्रकाश सप्तशती ( श्रार्यावृत्तबद्धा ) सुन्दरमणि सन्दर्भ सूर्यशतक हंस सटीक हनुमन्नाटक सटीक "1 मूल हरिलीला सटीक ( भागवतानुक्रमणिका) हरिवंश टीका हरिविलास प्रथम सर्ग त्रिषष्टिशलाका-पुरुष- चरित्र (परिशिष्ट पर्व ) टी. मल्लिनाथ "" "1 कालिदास सुखलाल सोमप्रभाचार्य लिपि समय १८वीं "" " १६वीं 11 १७वीं १६२२ १८०७ १७७६ १६वीं गोविन्द कवीश्वर गोवर्द्धन मधुराचार्य मयूर कवि रूप गोस्वामी "" टी. मोहनदास मिश्र, कमलापति - १८५६ माथुरचतुर्वेदसुत मू. बोपदेव मधुसूदन टी. नीलकंठ लोलिम्बराज हेमचन्द्राचार्य १८वीं १७६२ १८वीं " १४८६ पत्र संख्या १३१ ३३ १२ २ ७ रचनाकाल १८०१ ६ २५ ५३ ४० ४० ३६ ५३ ४ विशेष उल्लेखनीय ७० [ १४० नवमसर्गान्त, दो लिपियाँ मिल गई हैं १६ २४ १११ लि. फ. पुजारी राघोदास प्रथम सर्ग मात्र प्रथम पत्र प्राप्त लि.क. जोसी परसराम ३वा पत्र प्राप्त ३५वा पत्र प्राप्त भावार्थप्रकाशाभिधान व्याख्यान Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्देषरण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १६ - रसालङ्कारादि ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय ग्रन्थ नाम कमाङ्क ग्रन्था क १ २ ३ ४ ५ ६ ५२७५ ७ ५८७६ ६००७ ८ ६ ६११३ ४३६६ ७७८३ ५६८३ ५६६६ ५६५५ ६२४६ ४७०८ १० ११ १२ । ५१४० १३ ६०७३ १८ १४ ६१६४ १५ ६१२४ १६ ६३०५ १७ ७७८० ७७८१ श्रलङ्कारकौस्तुभ सटीक श्रलङ्कारचन्द्रिका (कुवलयानन्दटीका) वैद्यनाथ "" काव्यकल्पलतावृत्ति ( कवि शिक्षा ) "" " काव्यप्रकाश श्लोकार्थदीपिका कुवलयानन्द 12 कुवलयानन्दकारिका कुवलयानन्द (श्रलंकारचंद्रिका ) चन्द्रालोक सटीक त्रिपाठ ( चन्द्रालोकप्रकाश) काव्यचंद्रिका ( समस्यापूरणोपाय ) न्यायवागीश भट्टाचार्य रसगङ्गावर रसचंद्रिका रसतरङ्गिणी मू. लक्ष्मीधर, टी. विश्वेश्वर 17 रसतरङ्गिणीनौका टीका " अमरचंद्र 33 17 गोविन्द ठक्कुर श्रप्पय्य दीक्षित १८वीं १८११ १६५६ १८६५ १८६७ १८१५ १८वीं मू. जयदेव, टी. प्रद्योत्तम भट्टाचार्य १८६६ "1 जगन्नाथ पण्डितराज विश्वेश्वर लक्ष्मीधरपुत्र भानुदत्त "1 १६वीं जड्युपनामक गङ्गाराम कवि "" १६०२ १६४८ १७वीं १८वीं १८३३ १६३१ १६वीं १६०२ पत्र संख्या १२५ १२३ १५७ १०२ | सेरपुरामध्ये लिखितम् १२० रायनपुरे लिखितम् लि.क. श्रीहर्षसमरि S ११ २५ ४८ ४६ १८ २१ से ५६ ३६ विशेष उल्लेखनीय १०७ लि.क. गोस्वामी नंदात्मजबलदेव लि.क. केशवराम लि.क. लक्ष्मीचंद ब्राह्मण लि.क. सालगराम २७६ किंचिदपूर्ण ३६ ५१ ३६ लि.क. चुन्नीलाल यह पुस्तक गुजरात पाटण वास्तव्य राव कान्हजी उमेदसिंहजी ने अपने पढ़ने के लिये जोधपुर में लिखाई Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १६ - रसालङ्कारादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १६ ४३२७ २० ६२६४ २१ ६३१४ २२ ६४०४ २३ ६६३१ २४ ६४६८ २५ २६ २७ २८ २९ ७५०० ७७८२ ६६६७ ७५०७ ३३ ७७८४ ३० ६२६३ ३१ ६००२ ३२ ६८७२ ७१६१ रसदीर्घिका रसमञ्जरी १८वीं १६०४ १८५३ १७०५ १६वीं "} "1 रसमञ्जरी टीका व्यङ्गार्थकौमुदी मू. भानु कवि, टी. प्रनन्तपण्डित १६०९ ( ? ) | त्र्यम्बक पण्डितात्मज 7 "1 रसमञ्जरी सटीक " रसिकरञ्जिनी टीका मू. भानु कवि, टी. शेषचिंतामणि मू. भानु कवि, टी. गोपाल भट्ट भानु कवि सटिप्परण "1 रसमञ्जरी प्रकाशस्वोपज्ञ टीकासहित | नागेश भट्ट श्रीकालोपनामक विद्याराम भानुदत्त मिश्र रसिकमञ्जरी टीका रसिकरञ्जिनी वाग्भटालंकार टीका वाग्भटालंकार (पञ्चपाठ ) "1 पदभंजिका व्याख्या वाग्भटालंकार सावचूरि " शिव भट्टसुत रसमञ्जरीव्याख्या व्यङ्ग्यार्थ कौमुदी श्रनन्त पण्डित त्र्यम्बकात्मज मू. भानु कवि, टी. गोपाल भट्ट मू० वाग्भट लिपि समय "" १६२१ १६वीं 17 १८३८ १६०२ १वीं १७वीं " १६वीं पत्र संख्या ४८ २४ ३२ ५. १७ ४६ २४ ७२ ४४ ४२ १७४ ३६ १६ २० ५ [ १४२ विशेष उल्लेखनीय र.का. सं. १७०६, लि. स्था. कोटा लिखितं रामचरणेन लि.क. मेघराज ऋषि काशिराज श्रीचंद्रभानुकुतूहलार्थ निर्मित पत्र १-२ अप्राप्त पूर्ण लि. स्था. कृष्णगढ़ व्यास मोतीराम पठनार्थम् लिक. साधु प्रभुदास बारहठ पंच कान्हजी उमेदसिंहजी पाटणवासी वाचनार्थ जोधपुरे लिखितम् Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालो समिनिगमानापार .... सासनमितिवागनकमानमरतिषीपंपरिजननिशरोएनमन्यपियंगविमान मनायामानानिल्यनिनियमतिनाशनानियः दिपुननिर्माननामायानगवामानानिधिचरण EPामनायनाविन्यमंत्तनावपायाचक्षण्णतादादानिधनानामादाना23ापायीकरवालाकानालाकशनपोरनाकपसन्यालाचा कारनानिनितालावलक्ष Fi/5-3-नगासुनलवनितल तलतिलपरसागलपानालवर्दशंभुवनानिधिविहनिनोगावातमदायरावर्णशुनर्मिनानाविध्यामादायमाकत्यादि।२०/SUTRोते. पास्वादाहरणनामावत्यनिशिवदानासतालकेचान यामुझमहापातविधसरांगा नाहयारपियुमोनियायारालदमारा यमनास्यादिमिरणमादायतनिशिदनाव ना जहाजा स न्यासितांकीमिंकीतिततान्यावारणंशुचमिंदस्यनवर सलवांबुधानावतस्वःकीनीयबासोदलायाककलावं याचितारण यमकालवाचावबवायार्डलायानलितानानुसार विसागचिचिचत्तंगायसंमानो॥शकमानमहीपाल्ला (Bra कारागारविडंबनाबादेरिति सपनीकश्रितंबडविडंबनारवयादयादिवितारिणांनाकवलसयमिताना वायनila बालातकामिनीतिश्चवियागिनीतिर्मुहुर्मदापातविसरांगा।२रावयुष्मदयाशाराशिांनाबामनंजडात्मकाजवाजमा डितंवडुलितवरधातसारनासनरत्तसकल्पिताशाजातीला नेदानुवारले पनि कंठयतिमांसक्तिरिडालारववसांग॥२३चंद : चकारसमविचार यारान दमाहान पनि पश्यामिपापतिभिरक्षयकारकायमाल्पतराम: लतपःकचालापानाचारहारबंधविनाप्रचंडबलनिघा - ाि जा निरंतुनानववर्नर नितिगत रायोजिमहिसोबाधनानि मप्रकाशितमहागमासादतवानाधावताला मचा तातवारपखवबंधात्रधात्यशास्त्राण्यत्तिायागामाला नाना। सावधानवाद याम्यारानागादत्यामवश्यायपदपपंचततावदिवासमय .. कवानोमनःपसाताकवितांविदध्यात॥२६इतिथीवागतमदलानना ननिकामनाविमंगाना लासंक जिवन चित्रगत रियलकार नमारय नोइतिताघाचतो यस्यकायतश्समा TALE पादन रातिमासंदरनादायाप चर्गिणांसापांशदशाविषुनिशिता पालनजततुल्यादश्यादिकमानकक्षारत्रपचंशम्यहंतवाद्दाशत्ताविती पनगन मतप्रवीयपनी कविता कारानिद मयकविनियमाप्रमानापियानरुच्यानकिंधितनातिकमितिस्मृताइवांदानिवदमचंदशतिनहाङ्मयं दिक्षायद्यमायतदन्यचगद्यमिपंचनद लाया निधायनानियमनमातापिपनि शामवतकाचसापानपंतायापरिहायानानाादाघांनाानवादापनक्षमादानकऋतिकटरच्याढतानादरणमानुपानाबाना गागनयनान्यावाकपानांममय हतागायतदान विमानसमनवनियमित यतपदनन्नवयुधातावचिदिष्टावविवादितिंगाची घसाकतवप्नात सस६दमतमनादास्य निंपठितीनयानयर मिनागनामदनानिया कायशरारमुपदर्शयनिगंशन मितिकाच्यम्पलक्षमादपचाप्लवंशातताविनापेगाचिकामाराधीमारासनीपालनमायावदेवात्ततिदिवानापाट्य मर्यापाळानपिणालीका मुशाननमारदातनवासी मसम्यगागवानारामनायवरुपतांपाशुशारनामावरपगाहान्छन्गजनमानसालानाननगशासगावपासनादियाद्यानामोरामनीमागण्यानुनहाय न्निनंदशतिनववान मनियारी AHISHAmमिजगारेन्यादिदिश्ययवासिनोवायजाणकरयाराजामचिनादनपरिक्ष विगतमायामानानवजापाप्रयसभावामंजोयोगमावावाचवापि सनसनंत्रचामेमान रहवायपुरपालीदवाण्यासारासन्यादिवायरमियानालक गादियशाची कान्यवधामादागानिवदानिय पायोपोदर वसनम्मानवादानिमहारपदाचीगानारियानाधिोनस दिया ना %AAN P . ग्रन्थसंख्या ७१६१ वाग्भटालङ्कार (सटीक) (पन्द्रहवीं शताब्दीमें लिखित पंचपाठ पुस्तक) Page #148 --------------------------------------------------------------------------  Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२; १६-रसालङ्कार ] [ १४३ लिपि समय पत्र संख्या क्रमा विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम १६वीं २,६,७ और १३ पृष्ठ नहीं हैं वाग्भटालंकारवृत्ति विदग्धमुखमण्डन ३५ ३४ : ४३०६ ६६४५ ६६४६ ३७ ७६८७ धर्मदास १८१२ १८४२ ७६६२ ॥ सटिप्पण १६८२ १५ सूर्याष्टमहीभिर्युते विक्रमे लि.क. राधाकृष्ण गुरजी शिवरामसुत लि.क. गङ्गादास हीरानन्दसूरीश्वर शिष्य पल्लीवरपुरे (पाली-मारवाड़) लि.क. शिवनाथ शिवजीरामसुत ६५१६ ६३१० । ५६०३ " सावचूरि अवचूरिकर्ता प्रज्ञात १८३६ वृत्तिवातिक अप्पय्य दीक्षित १७वीं १८वीं श्रवणभूषण नरहरिभट्ट हरिरल्लालनन्दनः । १६वीं (विदग्धमुखमण्डन टीका) साहित्यरत्नाकर (प्रथम तरङ्ग) | श्रीधर्मसुधी पर्वतनाथसुत. १९वीं पल्लमाम्बागर्भज हारीत गोत्रज | ५३११ वाराणसी में रचित Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १७ - सुभाषितादि ] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय कमाफ १ | ५६६२ २ ३ ४ ५ ६ ७ ५ ह १० ११ १२ पत्वाक १३ १४ ७२७२ ४३४७ ५६४७ ५६५६ ७३६५ ७३६७ ७५४८ ४५३२ ४४५२ (३४) ४५६५ ७३७८ ७४३२ ४४१५ उपदेशशतक ( चारचयस्य) एकषष्टियुतप्रश्नशत कर्पूरक रसावचूरि "1 17 "} 17 नीतिशतक सटीक सस्तबक प्रश्नोत्तरमणिमाला प्रश्नोत्तरमाला दृष्टान्तशतक ( राज. भाषार्थ सह ) तेजसंघ गणि क्षेमेन्द्र प्रश्नोत्तररत्नमालाविवरण प्रश्नोत्तरषष्टिशतक सटीक जिनवल्लभ मू. हरिकवीश्वर टी. जिनसागर सूरि सोमचंद्र रत्नशेखर शिष्य हरिमुनि वज्रसेन शिष्य "1 ,ן लूंकागच्छीय 31 मू. भर्तृहरि, टी. धनसार भर्तृहरि श्रीशङ्कराचार्य विमलसूरि देवेंद्रसूरि जिनवल्लभसूरि १९३६ १७४१ १६वीं १५६७ १५५८ १७६६ १८वीं "" १८२२ १८०७ १८वीं १७५७ १६वीं " पत्र संख्या ६ ७ २५ २८ ५४ १६ १८ C २५ १-१३ ५ १ १३८ २३ विशेष उल्लेखनीय रसाग्न्य न्हायने लिखितं गोपरामेण शुक्र कृष्णेग्निभूतियों रचनाकाल १५०४ लि.क. संघमाणिक्यगणि लि. स्था. चम्पकनेर महानगर श्रण हिलपुरमध्ये लिखित लि.क. सोमचंद्रगणि लि. स्था. पत्तननगर (पाटण गुजरात ) लि.क. कान्हजी मुनि लि.क. गंगाधर लि.क. विनोदसागर लि. स्था. श्रीकृष्णगढ़मध्ये प्रथम पत्र प्राप्त Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ...राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १७-सुभाषितादि ] [ १४५ कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ४५ / त्रुटित २२ अपूर्ण १५/ ५०५४ पद्यावली ५१५६ भर्तृहरिशतक (वैराग्य शृंगार) ४४८२ रत्नकोश J४६०७(२) लघुचाणक्य | ४५७१ विल्वमंगलभावित भर्तृहरि ' वैशम्पायनोक्त चाणक्य १६७६ १९वीं १७४६ १८३७ १८०५ २३-३४ लि.क. सामन्त ऋषि स्था. राजपुर लि.क. बालकदास कबीरपंथी १६वीं भर्तृहरि मू. भर्तृहरि, टी. धनसार " सटीक २०६७५० | वृद्धत्राणक्य २१६७७२ | वैराग्यशतक २२ ४५६१ २३ ४४५२(३६) , मूल २४ / ५४३७ शतकत्रय २५६१२७ १८६० १८०७ २५ से ३६ लि.क. प्रीतसौभाग्य गणि स्था. बोंडा ग्राम भत हरि मू. भर्तृहरि, टी. रूपचंद १८वीं ६२ २६ । ७०८० शृगारशतक भर्तृहरि १७५६ ४४५२ (३५) २८ ६६६४ २६ ४५७२ १८०७ नीतिशतक .१-२० शृ.श.२०-३४ व.श.३६-६३] २० | लि.क. किशोरदास मुरलीदास शिष्य १३ से २५ लि.क. शीतसौभाग्य गणि स्था. बण्डा ग्राम १३वां पत्र प्राप्त लि'क. रामनारायण लि.क. ऋषि धनजी स्था. राजपुर नगर , सभारंजन सुभाषित सभागार १६१४ Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १७-सुभाषितादि ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम [ १४६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या अनन्तपण्डित १८वीं संस्कृतमंजरी लि.क. रामगोपाल, स्था. बूंदी १९१७ १९वीं mr mmmmmmmmmm4 ५२७७ ५२७९ ५५२१ ६५७७ ५६७७ ६२५३ ६४०५ ४५७४ ३८६३८७ " लि.क. पं. सुखानन्द संस्कृतविधि (ज्ञानक्रिया संवाद पत्र) सिंदूरप्रफर सोमप्रभ १७६८ १७वीं लि.क. वीरसुन्दरगणि ७३१६ १५वीं । १८५२ ४४०४ "' सबालावबोध | मू. सोमप्रभ, टी. पाठकवर राजशील मू. सोमप्रभ, टी. हर्षकीर्ति लि.क. क्षमासौभाग्य लि.स्था. श्रीबांतानगर सटीक | १८वीं ४४५६ ६२७६ १८७२ ७३२६ | म. सोमप्रभ, टी. पाठक राजशील १८३० ४३ लि.क. ऋपि नगराज गोपाचल मध्ये लि.फ. दौलतसौभाग्य श्रीबिलाड़ानगरे | लि.क. लक्ष्मीचंद्र जादवनगरे १४ १३वां पत्र प्राप्त लि.फ. पि भावशेखर ... ७२६२ सोमप्रभ ४३६७ १७५६ १७६२ सावचूरि ४६ / ४४१७ ४५७० १७वीं | मू. सोमप्रभ, स्त. वीरसागरगणि १८४७ सस्तबक लि.क. चोखाजी, बांकानेरमध्ये Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; १७ - सुभाषितादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रथाङ्क ४८ ७१४६ ४६ ७४४४ (१६) ५० ५३५२ ५१ ४८११ ५२ ४४५२ (१०१) ५३ ४५६६ ५४ | ७१५३ ५५ ४३४६ ५६ ५७ ७१०३ ४३४८ सिन्दूरप्रकरसूक्तिमुक्तावली 99 "7 सूक्तिरत्नकोश सुभाषित ( प्रास्ताविक ) सुभाषितश्लोकाः 27 19 ग्रन्थ नाम 19 सुभाषितसंग्रह 31 सुभाषितसूक्तावली सुभाषितार्णव ५८ ५६८४ ५६ ६३२२ 39 ६० ७७४१ (६) सुभाषितावली सोमप्रभ 11 17 लिपि समय १८६० १८८६ १६०१ १८३३ १८वीं १६वीं १६वीं १४०८ १८वीं १६८२ १७३६ १८१० १७वीं पत्र संख्या ७ ३१०-३२४ ६ १८ १३६वाँ ५ २५ २ २७ ६१ २२ ४३-७७ [ १४७ विशेष उल्लेखनीय लि.क. प्रमाणविजय स्था. पोहकरण प्रतिलिपि योग्य, जीर्ण खरड़ा लि.क. मुनिदाम शिष्य, राणपुर एक हजार से अधिक सुभाषितों का संग्रह, महत्वपूर्ण, विशिष्ट और प्राचीन प्रति लि.क. विमलहर्ष भीमजी पठनार्थम् लि.क. सांवल पण्डित Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्यान्वेषरण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १७ - सुभाषितादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ६१ ६२ ६३ ४४१४ ६३६० ५१३५ ६४ ७५६० सूक्तावली सूक्तिमुक्तावली (सिंदूरकरबालावबोध) सूक्तिरत्नावलीव्याख्या ज्ञानप्रकाश सस्तबक तेजसघ लिपि समय १५वीं १८वीं १६वीं १८४२ पत्र संख्या ३५ ७६ ११ ४ [ १४८ विशेष उल्लेखनीय ६२ श्लोकों की व्याख्यापयन्त, अपूर्ण लि.क. ऋ. मेघजी Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग--२; १८. कथा, चरित्र, आख्यानादि ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थाङ्क विशेष उल्लेखनीय क्रमांक ग्रन्थ नाम ३१ मुनिरत्नसुरि माणिक्यसुन्दर १.४३३२ २६१३२ ७२५० ७२७० ७३३७ अंबड़चरित्र अजापुत्रकथा अमरसेन वज्रसेनकथा आदिनाथचरित्र आमराजा बप्प-भट्ट-सूरि-धर्मकथा १६४६ १७१४ १७६३ १५वीं WG8 G २१ लि.क. लक्ष्मण, जिहानाबादनगरे ७ लि.क. रंगहर्ष, बाहड़मेर । ३ प्रतिलिपि योग्य, अन्त में राज स्थानी भाषा में स्तवन प्रादि लिखे हैं। (लिपिकर्ता का नाम मिटाया हुआ है) ६ ५६४४ ७४३३५ | उत्तमकुमारचरित्र उत्तराध्ययनकथा (प्राकृत उत्तराध्ययनसूत्रगता) १६६७ १७वीं पद्मसागरगणि रचनाकाल १६५७ ५६६३ ७२८१ १७२३ १८५६ ८४ ८२ पीपाड़ग्रामे,सं. १६५७ मध्ये रचित लि.क. कुशलकल्याणगणि रचनाकाल १६५७ रचनास्थान पीपाड़ग्रामे चित्र सं०७ कालककथा कालकाचार्यकथा नेमिप्रभ १६वीं ७८५२ ५६६३ ७८५३ ७८५४ ७०८१ १७६२ १६वीं चित्र सं०५ १ से १० तक चित्र सं०७ " चतुर्दानशीलादिकथा (मेघनादराज्ञः) १८वीं Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १५ - कथा, चरित्र, श्राख्यानादि ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम लिपि समय ग्रन्थोक क्रमाङ्क १५ १६ १७ १८ १६ ♡ २२ २३ २४ २६ २७ ५३७६ ( ९ ) चन्दनषष्ठिविधानकथा ४३८७ चित्रसेन पद्मावतीकथा ७२६२ ६६२० ज ४३६८ २० ७ १४५ २१ ५३७६ (१०) दुग्धरसकथा ४४३५ ७३६६ ७३६३ २५ ४४३४ ६४०७ "" ६८२० "" " सटिप्पण दीपमालिकाव्याख्यान २८ ५३७६ ( ८ ) निशल्यकथा चरित्रसस्तवक देवकुमारकथा धर्मदत्तकया धर्मबुद्धि पापबुद्धिका धर्मबुद्धिमंत्रिकणा धर्मवत्तकथा धर्म संवाद (महाभारतीययज्ञकथान्तर्गत) बुद्धि विजय राजवल्लभ पाठक " महानिधान शि मू. राजवल्लभ, स्तवककार भक्तिविजय माणिक्यसुन्दरसूरि मेरुतुंग सुरींद्र शिष्य १८वीं १८५३ १८वीं १८४६ १८५३ १६वीं १८वीं १५३४ १६१२ १७०० १६७४ १६३३ १७८६ १८वीं पत्र संख्या १०७-१२० २३ १३ ५० १५४ ६ ११०-१११ ७ १८ १४ ६ १० १७ १०५-१०७ [ १५० विशेष उल्लेखनीय लि.क. रामविजय गणि लि. स्था. श्रीराधनपुरनगर ( गुर्जरप्रांत) लि.क. ऋषिचंद्रभाण, वीदासर मध्ये, रचनाकाल १७२२ विशिष्ट प्रति मलाणाग्रामे लिखित लिखितं नन्दरवारनगरे लि.क. जयविजय गणि स्था. भाहरजा ग्राम प्राय पत्रद्वय श्रप्राप्त लि.क. ऊधोदास, हिंडोलीमध्ये Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १८ - कथा, चरित्र, श्राख्यानादि ] लिपि समय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क २६ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ६१५३ ७२१३ ३७ ३८ ५६३३ ६३१८ ४५६० ६१४६ ७७७६ पापबुद्धिमंत्री कथा पार्श्वनाथचरित्र पार्श्वनाथ चरित्र मणिमंजीराख्यान (वाल्मीकिरामायण बालकाण्डान्तर्गत ) मथुरामाहात्म्य संग्रह (गोपालोत्तरतापित्यादिगत ) मल्लिनाथचरित्र माधवनाटककथा ३६ | ५६६४ मुनिपतिचरित्र ४३३३ युवराजऋषिचरित्र ५३७६ ( ७ ) रत्नत्रयविधानकथा ३६ ४४०२ रूपसेनकथा ५३७६ ( ४ ) | रोहिणीकथा गोतमोक्त ४० ४१ ४४६० वत्सराजकथा ४२ ४४५८ वरदत्तगुणमंजरीकथा भावदेव भावदेवसूरि सकलकति रत्नकीर्ति कनककुशल १६वीं १७५६ १५०४ १६३० १६०८ १८१३ १६१५ १६वीं १६६३ १८वीं श. १७वीं १८वीं १६४० १८वीं पत्र संख्या £ १३६ १४७ २२ ३३ ५२ २६ २२ ७ ६४,६५ १००-१०५ २६ ८०-८७ ११ ३ [ १५१ विशेष उल्लेखनीय लि.क. दाणाऋषि समाणेनगरमध्ये प्राचीन प्रति लिखायित श्रीनथमलजी खण्डेलवाल, विलाला लिक. नानूराम जोशी जोधपुरमध्ये लि.क. भावप्रमोद, जिनरत्नसूरि शिष्य लि.क. पंकवर्धन शिष्य लालवर्धन, लि. स्था. पाडलाग्राम लि. स्था. मेड़ता नगर Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १८-कथा, चरित्र, पाख्यानादि ] [ १५२ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम १८वीं ६७६६ ६१८२ ४३३४ ५६८० वैतालपञ्चविशिका श्रीपालचरित्र शांतिनाथचरित्र सकलकीति अजितप्रभ सूरि १६५१ ६८ | २५वीं कथा अपूर्ण २५ | पत्र ११, २१ और २३वां अप्राप्त ६५ १२ १५३ प्रथम पत्र अप्राप्त १६५४ " " ७२७६ ७३२२ ७२६६ भावचंद्र (?) धर्मकुमार १६३३ १८वीं १६०५ शालिभद्रचरित्र झोटापलीवासी हुम्बड़जातीय शाहादेवसंहेन श्रीगुरूणामुपदेशेन मंत्री चांपाकेत लिखितं कल्पमेरुषु, प्रथमपत्र प्राप्त (विशिष्ट प्रति) १६वीं ७३८८ ४३३६ ७३८३ , सावचूरि सम्यक्त्वकौमुदी १७०५ लि.क. शिवचंद्रगणि, माणिक्यचंद्र सूरिशिष्य प्राचीन प्रति १४६४ १६वीं .. ५३ । ७३५४ . ५४ । ७३४२ ७३४२ ७४३० | ७०८६ ५७ ४३२८ १५वीं ४६ सागरचन्द्रकथादि १८वीं १७वीं २८ अपूर्ण १-१२ | इस प्रति में तीन कथाएं हैं। पृ.१ से ३ तक (१) सागरचन्द्रकथा पृ. ३ से ६ तक (२) मङ्गलकलशकथा पृ. ६ से पृ. १२ तक (३) सुदर्शनअष्ठिकथा Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५३ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १८-कथा, चरित्र, आख्यानादि ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय १४६ ६४०६ ५६ ५३४४ सिंहासनद्वात्रिंशतिका सौभाग्यपंचमीकथा बल्लालसेन १७७५ कनककुशल विजयसेनसूरिशिष्य | १८वों प्रथम पत्र अप्राप्त, जीर्ण प्रति रचनाकाल सं० १६५५ भूतेषुरसेन्दुवत्सरे ७२६३ ३२ हरिश्चन्द्रचरित्र हितोपदेश भावदेवाचार्य विष्णु शर्मा १६वीं १८वीं ६७८७ पत्र १,२, २०, २१, २३, २४ और २७ से ३५ तक अप्राप्त Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १६ - आयुर्वेद ] कर्ता श्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ६०६४ ५२६८ ५८४२ ५८५४ ४१६२ ५८६० ५११५ ८, ५८५० ε ५८५१ १० ५४६० ११ ५६१० १२ ६५१४ १३ १४ १५ १६ १७ .१८ १६ २० ५७५२ ६८६० ५८६८ ४१५० ५८५२ ६८७६ ७५०४ ५८६२ प्रञ्जन निदान श्रग्निवेश निदान ( सटीक ) अनुपानमञ्जरी, ܝܕ सस्तबक " श्रमृतमञ्जरी ( श्रजीर्णमञ्जरी ) अर्कचिकित्सा अकप्रकाश "? श्ररिष्टनिदान ( रागविनिश्चय) ऋतुचर्या कल्पस्थान कालज्ञान "" कालज्ञानवैद्यक ( सस्तबक ) . मूत्रपरीक्षा प्रादि "" कूटमुद्गर ( सटीक ) गणपाठचिकित्साकलिका गोपाल विनोद चमत्कारचिन्तामणि श्रग्निवेश 39 पीताम्बर " काशिनाथ रावण " " "1 त्रिमल्ल वाग्भट शिवप्रोक्त " "" श्रनेक माधवपण्डित गोपालदास लोलिम्बराज लिपि समय १८८८ १८५६ १६०७ १६२८ १६वीं 19 १८वीं १८३६ १६२६ १६वीं १८६५ १७३५ १६४३ १६०४ १८४३ १८५१ १६२५ १८वीं "1 १९३४ पत्र संख्या ६७ २६ ११ ४ ह ६३ ३८ २१ ૫૪ ५. १६ १६ ३६ ४६ १६२ ५. २ ७२ ६ 2. विशेष उल्लेखनीय लि.क. चतुर्भुज स्थान- नेनवा लि.क. लक्ष्मीनारायण लि.क. खीमचन्द रावण मन्दोदरीसंवाद, इसमें गर्भ रक्षण के उपाय बतलाये गये हैं लि.क. लक्ष्मीनारायण लि.क. सिल्लु व्रजवासी लि.क. रामविलास नायलावास्तव्य लिक. लक्ष्मीचन्द्र लि.फ. ब्राह्मण चतुर्भुज लि.फ. परसराम लि.क. भक्तावर प्रथम व सप्तम पत्र श्रप्राप्त लि.क. लक्ष्मीनारायण Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १६-आयुर्वेद ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम [ १५५ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या वंगसेन कायस्थ चामुण्ड प्रथम पत्र प्राप्त ६८६४ ७४९८ ४७८० ४७८२ चिकित्सामहार्णव ज्वरतिमिरभास्कर ज्वरप्रतीकार (ज्वरघटमहिमा) द्रव्यगुणशतश्लोकी १८११ १७४३ १८०५ १८वीं १९५१ १९वीं त्रिमल्ल लि.क. वैष्णव नारायणदास , रामनारायण, कृष्णगढ़ नागार्जुन १८वीं पत्र ८, २०, ३५, ६१ अप्राप्त धातुरत्नमालाव्याख्या | ५२४५ | नागार्जुनवैद्यक ७७२२(११) नाड़ीपरीक्षा | ५४७८ निघण्टु ५८४६ निघण्ट (धन्वन्तरीय) ६८१२ ६८५२ मदनपाल भूपति त्रिमल्ल " मदनपाल १२५ ३३ लि.क. भागीरथराम | लि.क. रामचन्द्र पत्र ४, ५, ६ अप्राप्त १० लि.क. लक्ष्मीनारायण | लि.क. भक्तावर ७०३६ वाचक दीपचन्द्र ५६५८ ५८५७ ७००८ ६९८७ ५६०४ ५८४४ ४०६६ ६८७१ " १९०६ १९वीं १८७० १७२५ १८वीं १९वीं १६२७ १९३७ १८वीं १९१५ १९वीं १९८७ १८वीं पथ्यनिर्णयलंघन पथ्यनिर्णय पथ्यलङ्घननिर्णय पथ्यापथ्यविचार पथ्यापथ्यविनिश्चय | लि.क. लक्ष्मीनारायण पथ्यापथ्यविबोधक केयदेव Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, १६-पायुर्वेद ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १५६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ५८४० बालग्रहचिकित्सा रावण लि.क. लक्ष्मीनारायण | ५८६४ कल्याण ३८ बालतन्त्र ४२०० ५८४१ १९वीं १६२८ १८वीं १६वीं १९२८ १८६४ २३ " ६६५७ १२ | लि.क. लक्ष्मीनारायण ६० लि.क. पोकरमल ब्राह्मण झालरापाटण ३३४ १७९ | लि.क. भागीरथ ३५० भावप्रकाश ५८३४ ६८०५ ६८०६ भावप्रकाश (मध्यमखण्ड) ५७४ ७८०८ ७०२३ ५८३७ | भावप्रकाश उत्तरकाण्ड मदनपालनिघण्टु मदनविनोद (निघण्टु) मदनविनोदनिघण्टु मधुकोश माधवनिदान भावदेव १९वीं भावसिंह १८७२ १६वीं २०वीं मदनपाल १८८२ मदननृपति १६०५ मदनपाल १९वीं वैद्य महामहोपाध्याय जयपारदीक्षित १८५६ माधव कवि १८६० १५६२ १७५३ १७३६ ६८ लि.क.पं.मतिमंदिर, विक्रमपुरनगर ११५ २-८१ प्रथम पत्र प्राप्त ५१-६५ ६८०३ | ६१२० ५५३८ ६७४३ ५८ ७०२४ ५२८९ ६० | ६८१३ ६१ | ६०१३ ३९ | लि.क. महेश सूरि, बीकानेर १२२-१८४ १७० २३७ १च्चों सटीक टी. याचस्पति १८७३ Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2 राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १६ - प्रायुर्वेद ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ६६०३ ५८७५ ७५ ६३१२ ७६ ६८१८ ७७ ६८३२ ७८ ७५६७ ६२ ५६२८ ६३ ६८६८ ४०६८ ६४ ६५ ४७६६ (३) योग चिन्तामणि ६६ ५८४३ ६७ ६४४१ ६८ ६८७३ ६६ ४२६० ७० ६८१७ ७१ ५८५६ ७२ ४७७६ ७३ ७४ ७६ ५६४३ ८० ६०८७ माधवनिदान सटीक 15 ग्रन्थ नाम योगचिन्तामणौवैद्यकसारसंग्रह " 39 योगचिन्तामणि सटीक 21 योगतरंगिणी योगशत योगशतक " , गुर्जरभाषा टीकायुक्त 19 सबालावबोध "" योगसार (योगमालिका) रत्नसागर रस चिन्तामणि रसमञ्जरी रसमंजरी तन्त्र टी. वाचस्पति "" हर्षकीर्ति सूरि हर्षकी " " हर्षकीति " वैद्यनाथ अनंतदेवसूरि शालिनाथ " लिपि समय १६११ १८७४ १६६६ १७७५ १६२० १८व १८३१ १८६६ १६वीं १६२३ १७१२ १८५६ १८४२ १८वीं १६वीं १८८१ १८०३ १६वीं 39 पत्र संख्या २२६ २१६ ४७ १-१६८ ५० ४३ १३७ ४६ ४-२४ ६ १६ S २७ ५. २-६२ ३१८ ५२ ५० विशेष उल्लेखनीय लि.क. भगवान विप्र लि.क. रामवुल मिश्र लि.क. जगजीवन [ १५७ लि.क. लक्ष्मीनारायण ७वां पत्र प्राप्त प्रथम तीन पत्र अप्राप्त लि.क. भक्तावर शर्मा लि.क. चतुर्भुज गोपाल श्रद्य पत्र प्राप्त लि.क. चौधरी खूबकृष्ण प्रथम पत्र अप्राप्त, १५५ व १५६वां पत्र भी प्राप्त लि.क. ब्रह्मजैनसागर, नागपुर Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; १९-आयुर्वेद ] [ १५८ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ३७ नित्यनाथ भोजनरेश १९वीं १९४२ १८वीं लि.क. लक्ष्मीनारायण ८२ राम ८१ ७६४१ ५८५३ ५३ ५५७६ ६८०२ ४१६१ ५८६१ रसरत्नाकर तन्त्र राजमार्तण्ड रामनिदान रोगविनिश्चय व्याधिनिग्रह सस्तबक विश्ववल्लभ विश्वप्रकाश कोश विषरोगपथ्यापथ्यविचार वैद्यकउद्धार वैद्यजीवन १८ १-६६ ४६ ११ विश्राम मिश्र चक्रपाणि श्रीमहेश्वर लि.क. लक्ष्मीनारायण ५५ ३६ लि.क.शिवदास राजमार्तण्ड लोलिम्बराज x०७४ ६२ १८५३ १६२५ १७वीं १९वीं १६३४ १८१६ १७०० १८७४ १५९३ १८४८ १६वीं १६०५ १६२२ १८८६ १७३४ १९वीं १८६८ लि.क. लक्ष्मीनारायण ५३ | लि.क. ठण्डीराम ५४७४ ७३८६ ४७७६ ४८४४ ५२६४ ५८३५ ५८८० ५५५६ ६०८१ ६२८८ ६३२६ ४७७८ ५८५१ ६६०० ९४ ६५ १२ सटीक टी. हरिनाथ गोस्वामी ४१ ५० पन १ से ३ तक अप्राप्त लि.क. मिश्र कल्याण शर्मा ३२वां पत्र नहीं है लि. स्था. बगड़ी वैद्यजीवन टीका वैद्यजीवन सटीक त्रिपाठ , सस्तबक ६८ लोलिम्बराज १०० १०१ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - २; १६ - श्रायुर्वेद ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १०२ १०३ १०४ ५३०८ १०५ ५८३६ १०६ ५८४८ १०७ १०८ १०६ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ५२७३ ७८२६ ११६ ६६०५ ७८१३ ७८१४ ५८५८ ५८४६ ५८५५ ६६०१ ६६३२ ६०८० ११६ ६५८६ ११७ ४३०३ ११८ ५५६३ ५८४७ वैद्यरत्न वैद्यवल्लभ ( सटबार्थ ) वैद्यविनोद 17 " " 11 "1 वैद्यामृत शतश्लोकी (सटिप्पण) " 17 ग "" शतश्लोकी टीका शार्ङ्गधरसंहिता 17 17 " शिवानंद भट्ट हस्तिरुचि शंकर भट्ट 23 19 "" " "" मोरेश्वर त्रिमल्ल भट्ट बोपदेव " त्रिमल्ल, टी. कृष्णदत्त " शार्ङ्गधर 13 " "1 लिपि समय १८वीं १७६८ १८वीं १६वीं १६०४ १६१२ १८५७ १६वीं " १६२६ १६१२ १९२३ १९वीं १८वीं १६०३ १६वीं "} १६०६ १८६१ पत्र संख्या ४४ २१ ६६ ४७ ८० ३८-११५ ७ १० ७ ३८ ७ ६१ ७४ २४ प्रतापसिंहसुत रामसहाज्ञयारचित १० १३१ १७३ १०१ "2 विशेष उल्लेखनीय लि.क. राजविजयगणि विवोरा नगरे श्राद्य दो पत्र प्राप्त लि.क. लक्ष्मीनारायण [ १५६ " " गोपाल महात्मा लि.क. भक्तावर रचनाकाल (१६०३ ) लि.क. लक्ष्मीनारायण लि.क. भक्तावर पत्र १ से ४ व ६, १०, २१, २२, ३१, ३३, ३४ प्रप्राप्त पत्र १ से १६ व १६५ से १६६ तक श्रप्राप्त Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १६-आयुर्वेद ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क | कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १६० विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थ नाम ४७ ... १२० शाङ्गधरसंहिता शाङ्गधर १६७८ १८६४ राजलदेसरे लिखितं लि.क. रूपचन्द्र १७वीं ६०३० १२१ | ६७९५ .. १२२ । ६८६० ५८२४ १२४६०८४ १२५६०८५ १२७ ६६ ४७१ प्रथम पत्र प्रप्राप्त १९१० १६वीं टी. काशीराम ७५ सटीक (प्रथमखंड) , (द्वितीय) , पत्र १, २६, २५, ३६, ३७, १००, १०१ अप्राप्त टी. पाढमल्ल १२० १-७१ १२६ १५वीं १६वीं बोपदेव १२६ ७७६५ , (षष्ठाध्यायपर्यन्ता) १२७ ७०३८ , (अपूर्ण) १२८ ५४१४(२) शारीरनिबन्धसंग्रह ४७८३ शोथनिदानचिकित्सा १३० ६६७२ सन्निपातचिकित्सा सन्निपातप्रकरण ५७४५ सिद्धमन्त्रप्रकाश . . १३३ | ४१३७ , (सटीक) १३४ । ६०८२ हिकमतप्रकाश (द्वितीयखंड) - १३५ ६०८३ (तृतीयखंड) १३६ ६८०१. हितोपदेश १३७ ५६३२ क्षेमफुतूहल ....... १३८ | ७४६२ . १३६ | ६६३८ विशतिका १५वीं १८४५ १६वीं १२ | लि.क. फतेचंद, जयपुर २८ | आद्य पत्र शोभन | लि.क. सेठ प्रादित्यराम | पत्र २१ ते २३ व ३०वां अप्राप्त शिव पण्डित क्षेम शर्मा १८७० १९वों १५वीं १८५६ दास पण्डित. लि.क. देवीदत्त . . . Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; १६ आयुर्वेद ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क १४० ५८४५ १४१ ६६६१ १४२ ६०८६ त्रिशती (सटिप्पण ) त्रिलोकी सटीक शार्ङ्गधर 11 19 लिपि समय १६वीं श. १७७० १६वीं श. पत्र संख्या १३ ५० ११० [ १६१ विशेष उल्लेखनीय लि.क. मनसाराम पत्र ६, १२, १३, ३१, ६६, ७६, मां प्राप्त १६, ८३, २८ से ८५ व Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ] लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य कमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क विशेष उल्लेखनीय १८३७ १३-२६ / * पाटियों के नीचे नीति विषयक १८-२२ " १ / ७७५३ अंकपाटी (१-१५) २ ४६०७(१)/ अंकपाटी ३ / ४६१६(५)/ अंकपाटी ४ ४४५२ (५२) अंगफुरकणविचार ५ | ५८६३ । अञ्जनाचौपई (सचित्र) हीररतन १८७५ १८वीं १९वीं १०८वाँ ४३ | चित्र सं० ४३, प्रारम्भ के १० दूहे पुण्यसागर वाली प्रतियों से मिलते हैं ६.६५२५ अञ्जनाचौपई । १८६८ पुण्पसागर २४ | * सं० १६८७ में रचित । लिपि कर्ता ऋषि नोलचन्द, पीही ग्राम, ऊदावत राज्ये पुण्यसागर अन्तिम पत्र त्रुटित ४८१८ अंजनाचौपई | ४१६४(१)/ अंजनासतीरास | ४०४० अंजनारास ५०९३ अंजनासतीनो रास ४०३६ | अंजनासुन्दरीचौपई १७०२ १९२६ १८४६ १८वीं १६वीं भवनकोति भुवनकीति ७०४३ ४३१६ अंजनासुन्दरीचौपई (सचित्र) अजनासुन्दरीचौपई १४ | ७२१९ अञ्जनासुन्दरीचौपई १५ ६३६२ | अञ्जनासुन्दरीरास १६ । ५२०२(१)| अकबरनामा १८६१ १८वीं १८५० १८६५ अपर नाम पवनंजयप्रिया | अंजनासुंदरी हनुमंत चरित्र ३४ चित्र सं० ४० १४ लि.क. प्रार्या हीरां बीकानेर में लिखित २५ पोरबंदर में लिखित । वाई सफर पठनार्थ पुण्यसागर ४-८७ ( जयपुर में लिखित ... ... १८८५ nia Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रंथ 1 [ १६३ कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १९वीं १४ अकबरनामो | अदीतवारकी कथा ४६-७७ १७ | ४६२० ४२८७ (१०) ५३१२ भाव कवियरण (?) गर्गगोत्रीय | १८वीं अग्रवाल मल्लपुत्र १८८३ अध्यात्मगीता ८५ अपूर्ण, प्रथम ८ पत्र अप्राप्त। पाली में लिखित १-३२ | * बाई सिरेकवरीलिखित, सावर अध्यात्मरामायण भाषा राजसिंघ १७८४ मध्ये २१ / ७५२४ अध्यात्मविचार १८२७ १६ श्रीगारियाधामध्ये लिखित ब्रह्मजिरणदास खेमो २२ ५४१८ (१६) अनन्तचतुर्दशी कथा २३ ४६१४ (१८) अनन्तवतरास २४ | ४०३६ अनाथीसंधि २५ । ५१०८ अब्जदीप्रश्न २६ ५४१८(३६) अवजदीपाशावली २७ ४४५२(१६) अभिसारिकावर्णन गीत प्रादि २८ / ७१४१ अमरदत्त मित्रानन्दचरित्ररास १९वों १८७१ १८वीं २०वीं १२१-१२४ २१२-२१८ ६ / गीत दूहाबद्ध ८ अपूर्ण १-१० जैन विनतिसहित १८वां २८ / १६०६ (?) में रचित । सारण मध्ये ऋषि कचरा झाझरण शिष्यलिखित १६ सं० १६०७ वै. कृ. ६ रवि-रचना काल १८वीं १७०० देवगुप्त चन्द्रसूरीश्वर २९, ४३६१ अमरदत्तमित्रानन्दरास १६१७ ३० ५११७ | अमरसेनवीरसेनचौपाई विजयहर्ष १८४६ Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १६४ कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थ नाम विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थाङ्क सवाई प्रतापसिंह १९वीं " ३१ ६६०२ अमृतसागर ३२६८३१ अमृतसागर ५८३६ अमृतसागर । ४२०६ मतसागर ७१३७ अयवंतीसुकुमाल चौपई | ४०४८ (२) अयवंतीसुकमाल स्वाध्याय ७७४४ (२) अर्जणगीता ४४६१ अर्बुदाचलश्लोक ४०३४ अरहन्नकमुनिचरित्र ७७२४. अवतारचरित ७७२६ अवतारचरित ७७३३ अवतारचरित २२८ पत्र २,३,४,५ अप्राप्त ४६७ ३३८ अपूर्ण २७८ रचनाकाल १७४१ १६-२० । लि.क. धनरूपहंस, सऊपरा ग्राम ३-८ १८७६ | १९वीं शान्तिहर्ष १८६२ रुघनदास १७५८ विनीतविमल १८वों जिनहर्ष सूरि (?) (सुमतहंस) | १९वीं नरहरिदास मारहठ १७८६ १६१८ १६१४ २९७ अवन्तिगजसुकमाल चौपाई अश्वपरीक्षा | जिनहर्ष | ७३८७ ७७४५ ६४६ ४४५ वदनोर में हरिदास कबीरपंथी द्वारा लिखित ६ रचनाकाल १७४१ ३६ लि.फ. वजैसिंह, पहला लख्या सो नाम रामगोपालजी का १६वीं १९४३ उदयरल १८२६ . ४५. | ४७८४ अष्टप्रकारपूजारास .. __ ४६ ५४१८ (१९) अष्टमोकथा ४७ ४६१४(२४)| अष्टाणीवरतनोरास (अठाई) पाणंदभावकसंधि . ४६ ५६०२ श्रात्मप्रकाश चौपाई १८७१ शुभचन्द्र श्रीसार धर्ममन्दिर १८१६ १४०-१४३ २३१-२३२ : १-६ २३ रचनाकाल १७४२ . | १८वीं . mmmmmmmmmune Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ a राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य famanamammeenamummmmmmmmam rendram manONEINDAN.Ammaratoanmoterms लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय बनारसी सूरजी शाह ___ ५० ५४१८ (४) प्रात्मसंबोधरास ५१ ४६१४(२०) प्रादित्यकथावत ५२ ५३७६ (२) आदित्यवारकथा ५१ ५३७६ (१३) आदित्यवारकथा छोटी ५४ / ४४२० आनन्दमन्दिररास ५५ / ७०६४ आनन्दभावक ज्ञानविमल मुनि श्रीसार १८वीं८५-६१ १८७१ २२२-२२६ ३१-४२ १९७-१९६ १८वीं २१३ ढाल दूहाबद्ध । अन्तिमपत्र अप्राप्त १८७० २२ लि.क. साध्वी रतन बावड़ीनगर मध्ये | १७५४ लि.क. प्रार्या रुषमा । १९वीं१७१-१७३ ४१ दोहे १८७६ ४१-४२ लि.क. भागचन्द ५६ ४०४२ आनन्दसंधि (अनाथीसंधि) ५७ ५४१८ (३२) प्रानन्दाके दोहे ५८ | ४६११(२) प्राभूषगहणा चिन्तावरणी ५६ | ४०३५ । आर्द्रकुमारचऊढालिया ६० । ४८२३ (२) पार्द्रकुमाररास ६१ ६०४५ आराधना प्रकरण ६२, ४४५२ (९) आवडीजी आदिके छन्द ६३ । ७३४४ आवश्यक विधिप्रकरण । ४०५१ प्राषाढाभूत चतुष्पदिका । १८१६ १८वीं . . समुद्र मुनि मान कवि ___सोम सूरि : अनेक कवि - जिनवल्लभ गणि भावप्रभ ६ सुलिखित प्रति १८वीं १३ वा. | १५वीं १६वीं ढाळ गीतबद्ध । , ६७-१०७ ५४१८ (७) आषाढाभूति चौपई । ५१२१ आषाढाभूति धमाल ४५७३ इन्द्रियपराजय शतक ७२७३ इन्द्रियपराजय शतक कनकसोम रचनाकाल १६३५ सं. १६२८ १७वीं . ६ Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १६६ विशेष उल्लेखनीय का ग्रादि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ६६ | ४०४३ इलाकुमर चौपाई ज्ञानसागर ६५३० इलाकुमार चोपाई ७१ ४६१४(२८) उणतीसी भावना ७२ | ५६७४ | उत्तमकुमार चोपाई ७३ | ५०६८ उत्तराध्ययन गीत ७४ ४२८७ (१३) उपदेश को रासो तत्त्वहंस रामचन्द्र सेवक चौथमल २५ : १८४३ ५ रचनाकाल १७१६ पासोज सुदि २ बुधवार १८वीं ७ सं.१८७७ २४६-२४७ १७९५ ३१ जोधपुर में लिखित १७२२ १३ प्रथम पत्र प्राप्त १८वीं ६८-११४ स्वयं कवि द्वारा लिखित । रचनाकाल १७२६ १७२२ २१ : १८७६ बील मध्ये लिखितम् १८वीं १८५७ १३६-१३६ १११-११३ | अपूर्ण सं. १७६६ . १० लि.क. सुमति हंस - १६१३ . ५१ / २६ कथाओं का संग्रह १८ २० कथानों का संग्रह : १८७६ ३२४-३२६ . १८८४ ११४ | * . १९वीं २३ / अन्तिम पत्र प्राप्त . .८० ७५ / ६१०६ ऋषभविवाहलो ७६ | ६१६६ ऋषिदत्ता चौपाई ७७ / ७३३३ ऋषिभाषित कुलक | ४६१५(६) एकलगिड दाढाळारी वात ७९ ४४५२ (५५) एकलगर वाराहरी वारता ७२६१ एकविंशति स्थान प्रकरण ८१ ७७४६ एकादशीकथा भाषा (गद्य) ८२ | ४२६३(२) एकादशीकथा संग्रह ८३ | ४०५५ एकांतरा तावरी वात . ८४ ७४४४ (२०) कका सज्झाय ८५ | ५२११ कछवाहोंकी वंशावली ८६ ४०४६ कनकावती चोपई सिद्धसेन सूरि श्रावक चोयो जिनहर्ष Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] क्रमाक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य ८७७७२० (२२) कपड़कुतूहल ४०४७ ८८ ६९३७ (२) कबीरजोकी बाणी कयवन्ना चोपई १ ४०४८ ( १ ) कयवना चौपाई ८६ ६० ६२ ६७३६ ४०४६ कपोतपोतणीरी वारता ६६ ४०२० ६७ ४४५२ (२६) १८ ४४५२ (६५) ६६ ४४५२ (४५) १०० ४४५२ (५४) १०१ ४४५२ (१०३ ) १०२ ४६१५ ( २ ) कयवना रास ६३ ५६७६ कर्मग्रन्थ पंचक बालावबोध ६४ | ४ε१४ (३३) | कर्मविपाक कांड ६५ ४४२५ कलावतीचरित्र कविकल्पलता कवित्तबावनी कवित्त कवित्त सवैया कवित्त कवित्त दहा दि कवित्त गीत श्रादि कबीर गुणसागर जयरंग सुन्दरसूरिचन्द्र ( ? ) मतिचन्द्र गुणकीर्ति विजयचन्द्र श्रीसार उदयराज उदराज गंग, वृन्द अनेक कवि केसरसिंघ श्रादि लिपि समय १८वीं १८५४ १८११ १८१६ १७१६ १८६२ १८वीं १८वीं १८७७ १६७६ १८७८ १८वीं "" १८वीं 12 3, १८८७ पत्र संख्या १२ १०६-१८७ १० २२ ५. ११२ २५१-२५५ ४ ६ २४ से २६ १३१ वाँ ६१ वाँ १०६-११० | १३६-१४१ २०-४१ [ १६७ विशेष उल्लेखनीय लिक. रामदास, टीकोदासशिष्य निराणा ग्राम लि.क. ऋषि भरथ रचनाकाल १७४१ वं. शु. ८ शनिवार श्रार्या हीरा, श्रीमानाजीनी शिष्यरणी द्वारा लिखित चौपाईबद्ध, दूसरा पत्र प्राप्त * रचनाकाल सं. १६८६ ५० कवित्त जगदम्बा आदि के छन्द हैं Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वैपण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या क्रमान ग्रन्थ नाम ग्रथाङ्क विशेष उल्लेखनीय १०३ ४४५२(७३) कवित्त गीत आदि १८वीं १०४ ४४५२ (९६) कष्टावलीचक्र १२२वां दाडिम-फल, मुहम्मद स्तुति आदि १२६वां वार और नक्षत्रों से बने योगों का फल-निरूपण ३४८-४०६ * स्त्री, पुरुष आदि के प्रति पत्र ८ रचनाकाल १७४७ ___८ लि.क. आर्या होरां मानसागर १८८७ १८वीं १७०२ १९वीं लक्ष्मीवल्लभ गणि १८वीं ४६१५(१६) कागदरी नकल १०६ ४०५१ । कानड कठियारा री चौपई १०७ । ४०५०। | कान्हण विवाहलो १०८।७३७७ कालज्ञान भाषा १०६ ४०५२ | कालीनागदमण पवाड़ो ११० | ५४३० काव्यविधान . १११ / ७७२२(७) कुतुबशतरी वात ११२ ७७२१(१०) कुवदीन शाहजादारी वात ११३ | ५९६१ । कुमतिविध्वंसण चौपाई | श्रीकृष्णजीरो व्याहलो ११५ / ७०३० श्रीकृष्णजीरो व्याहलो ११६ / ४८३८ । कृष्णरुक्मिणी वेली सटीक १९वीं १७२० १८२५ ३३-४० मंत्र-साधनों को काव्य कहा गया है ६६-१०४ लि.क. मथेन माघा १६६-१७७ | रचनाकाल १६७७ कनकपुरी मध्ये हीरकलश १७वीं १६वीं ११ पदम कवि | म. पृथ्वीराज १७४५ २४ ७ ४४५२ (४७) कृष्णरुविमणी वेली सटीक १८१७ लि.क. भाग्यविजय, तेजविजय शिष्य, लोमेल नगरे २५-१०० लि.क. प्रीत सौभाग्य गणि बोहला ग्रामे मही उपकंठे २-७ | चित्र--१ लि.क. कल्याण सौभाग्य ११८७७६६ (४) श्रीकृष्णलीला वर्णन ११६ | ४६०४(१) केरडावाली चौथ माताजीरी कथा | १८५६ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] . क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या । [ १६६ विशेष उल्लेखनीय २७ १२० / ७१७२ (१) केवाटराजाकी कथा १२१ ५४१८ (३०) खिचड़ीरासा १२२ | ४०६० खीची अचलदासको वात १२३ | ४६८८ खेटसिद्धि १६३६ १९वीं १६८-१७० १८वीं १८४८ १२४ ४६८९ खेटसिद्धि महिमोदय १८४८ ६ लि.क. चतुरविजय गणि | पोहकर मध्ये ६ लि.क. ज्ञानविजय, | रचनाकाल सं. १७३१ १६ वा १२५ वाँ मान कवेसर कवि देव | १८०८ १८वीं २४-४८ अपूर्ण त्रुस्ति लि.क. सरूपचंद १२५ ४४५२(१३) खेजड़ला माताजीरी नीसाणी १२६ ४४५२ (८४) खेतरपालजीरो छन्द १२७ / ५२७६ ग्रहणविचार टीका १२८ | ६४३७(२) गसिंहकुंवर कथा १२६ । ४०५६ गजसुकुमाल चरित्र १३० ६५४१ गजसुकमाल रास १३१ ४६१४ (१४) गजमुनिवीनती १३२ ४४५२ (६६) गणेशजी छन्द अमृतध्वनि १३३ | ६०४१ । गर्भोत्पत्तिस्तवन १३४ | ४६१५(५) गीत १३५, ४१३६ गीतगोविन्द सटीक १३६ ४६१५ (१५) गीतकवित्त १३७ / ७५५६ गीतसज्झाय १३८ ४४५२ (६०) गीत, सवैया आदि । १८८७ १८७१ १८वीं २०८ वा १२० श्रीसार ३ १३४-१३५ टी. चैतन्यदास अन्त का पत्र प्राप्त १८८७ १८वीं १८८७ १८वीं १८वीं ३६५-३६७ १२८वाँ Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १३९ | ४९०४ ( ३ ) | गीतामाहात्म्य १४० | ५४५८ ( ४ ) गोंदोलीकी वारता १४१ ४०२२ १४२ ४०५३ १४३ ४८२० १४४ ६०२७ १४५ | ६५४२ १४६ १४७ १४८ ४०१३ ५०६४ ४०५५ गुणकरंड गुणावली चौपई गुणकरंड गुणावली चौप गुणकरंड गुणावली रास गुणकरंड गुणावली गुरणकरंड गुणावली चौपाई गुणहरिरस गुणावली रास गुणावलीचरित्र चौपई गुरुचेलारी कथा गुरुपरंपरा ढाळ १४६ ५१०३ १५० ७१८० १५१ | ५४५८ ( ३ ) गोतमरासा १५२ ७५६७ गोतमपृच्छा चौपाई गोतमपृच्छा बालावबोध १५३ ६१२८ १५४ ०५४३६ (७) गोतमलघुस्तवन १५५ | ५०६९ ( २ ) गोतमस्वामीरास १५६ | ५४३६ ( ३ ) | गोतमस्वामीरास जगमाल मालावत ऋषि दीप 11 दीप (?) दीप ऋषि गजकुशल शान्तिहर्ष ज्ञानविमल जिनसूरि समय सुन्दर उदयवन्त लिपि समय १८५६ १८२१ १६वीं १८७४ १८३६ १८३३ १७६६ १६वीं १८७४ १७वीं १६वीं १८३८ १७५६ १८८३ १६०६ पत्र संख्या ६५वाँ १-२७ २२ २७ २० १५ ३६ ७ २६ २१ २ १२ ४ १३ ६८ ३८-४० ३--८ १७-२६ [ १७० विशेष उल्लेखनीय लिक. श्रार्या नाथी रचनाकाल सं. १७५७ "1 लि.क. पं. नवनिधविजय, साणा नगरे रावडियास ग्रामे लिखितम् पत्र २ से 8 और अन्त्य अप्राप्त रचनाकाल सं. १७१४ रचनाकाल सं. १५१३ आश्विन कृ. ३, वडलू ग्रामे लिखितम् त्रुटित लि.क. मुनि गङ्गजी Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १७१ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर---हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] Ram कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम गोरखजी १८वीं १० वा १५७, ४४५२ (५) गोरखपतड़ा १५८ ४१५१ गोराबादलकथा आदि गुटका १५६ | ७७२२ (६) गोराबादल चौपई ४६२४ (२) गोराबादलरी बात १६० हेमरतन जटमल १७८७ १६१ ७४४४ (११) गौतमरासो १६२ ४४५२ (७६) घूधूचक १६३ ४६२४(१०) घोड़ारा बषाण १८८५ १८वीं १७९३ ६० १४ कृत्तियों का संग्रह ५७-६५ सादड़ीमें रचित ६-१५ / लि.क. जयसौभाग्य | सिरियारी मध्ये २०५-२१२ १२३ वाँ उलूकके सम्बन्धमें शकुन-विचार ११-१२ / अन्तमें 'नाहरखान राजसिंघो तरो छंद' है १३० वा १५वीं १९वीं १८वीं १८१८ १८७७ १६४ १४४५२ (६३) घोड़ारा वरणाव. १६५ / ४७२६ घटीज्ञान १६६ / ५१२३ (२) चक्रकेवली. १६७ / ६६१२च समाधान १६८ | ७१५४ चतुर्मुकुटचन्द्रकिरणरी कथा १६६ ५३७६ (२१) चतुर्विंशतिस्थानकसूची १७० ४६१५ (१०) चंदकंवररी वात. १७१ | ५३४१ (२) चंदकंवररी वात तथा स्फुट कवित्त १७२ ७७५३ (११) चंदकंवररी बात १७३ | ५४५८ (१) चंदकंवररी. वारता १८८७ २-११ २३६ र.का. सं. १७८१ ३१ जीर्ण प्रति २४३-२४८ ३४८-३६० रचनाकाल सं. १७४० ५८-६७ ४७-६० ४ चित्र सं. १ लि.क. पं. मनरङ्गासागर ४७-५४ लि.क. पं. हुकमसौभाग्य कलश कवि सकलकीति १६वीं१८३७ १८३८ १७४ | ४६१६ (३) चंदकुमररी वार्ता हैस कवि १८७५. Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०- राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १७२ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम * १७५ ४१४८ । चंदकुंवरको वात १७६ | ४६११ (३) चंदकुंवरको वारता १८ १-६ कवि राय १८१६ १८३० से १८३२ १८वीं १८९५ १७७ ७३७६ १७८ ४०५८ चंदनबालाभगवती गीत चंदनमलयागिरिकी चौपई भक्तिलाभ भद्रसेन मुनि शिष्य (?) १० लि.क. ऋषि उमेदचंद, स्थान-पोरंगाबाद, लसकर मुगजादे मध्ये रचनाकाल सं.१७४७ श्रा.कृ.६ १७६ / ४४२१ - चंदनमलयागिरि चौपई यशोवर्द्धन १७८९ भद्रसेन भद्रसेन १८० ४४५२ (४८)/ चंदनमलयागिरिरी वारता १८१ ६३३६ चंदनमलयागिरि चौपई १८२ ७०७६ चंदनमलयागिरि चौपई १८३ / ५०८४ (२) चंदनमलयागिरिरी वात (सचित्र) १८४ ५४१८ (२४) चन्द्रगुप्तस्वप्न १८५ ४६१४ (३५)| चन्द्रप्रभविवाहलानी ढाळ १८६ ४६१८ (१) चंद्रराजाकुमरको कथा १८७ ७०७२ चंद्रराजाचरित्र १८०६ १०१-१०२ १८३४ १८वीं १८३६ २६-३५ ! ३४वां पन अप्राप्त, बीकानेर कलमके चित्र १९वीं१५०-१५२ १८७७ २५६-२५७ १७६६ ४-२० प्रथम तीन पत्र प्राप्त १९वीं १८५ अपूर्ण, प्रथम व अन्तिम पत्र प्रप्राप्त १८०६ ४१. रचनाकाल सं. १७७७, सिरोही नगरे १८१० ८२ रचनास्थान-राजनगर मोहनविजय चंद्रराजाचौपई विद्यारुचि .१८६ ४०५६ ४०५४ चंद्रराजा रास मोहनविजय Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या । [ १७३ विशेष उल्लेखनीय • मोहनविजय ७०-३५४ / लि.क. हरकचंद पाण्डे ६८ रचनाकाल सं. १७८३ १२३ । लि.क. पृथीराज १६३ मतिकुशल १९०६ । १८४७ १८४६ १७७८ १८०५ १८वीं १९वीं १८वीं रचनाकाल सं. १७२८ २६ २४ ऋषि कर्मचंद मलयकीर्ति १६० ६३४६ (२) चंदराजानो रास १६१ ७२४६ चंदराजानो रास १६२ ७४२० चंदराजानो रास ७४०७ : चंद्रलेखाचौपाई १६४ | ४०६० । चंद्रलेहाचरित्र चौपई १६५ ४७६५ चंद्रलेहारास १६६ ४७८४ चंद्रलेहारास १६७ / ५०६६ चंद्रायण कथा १९८ ५३७६(१८) चंद्रायण कथा १६६ | ४७४६ चंद्रार्की २०० ४६१४ (५७) चरित्ररत्नत्रयगीत २०१ / ६३६३ चातुर्मासिक व्याख्यानपद्धति २०२ | ५१०५ चार जणांरी वात २०३ ७२३१ । चार भावना (गद्य) २०४ | ६२६२ चारिप्रत्येकबुद्धचरित्र | ४४५३ (३) चित्तोड़गढ़की गजल २०६ | ४८०६ | चित्तोड़गजल २०७ | ४८२२ चित्तोड़गजल २०८ ४४५२(१००) चित्रबंधकाक २०६ | ४७९७ चित्रसंभूति चौपई २१० ४२८७ (१४)| चेतनगीत १८वीं १८७७ १६११ १९वीं २११-२१३ ११ ३१२-३१३ लि.क. टेकचंद १७वीं २०५ समयसुन्दर खेतल प्रथम पत्र प्राप्त रचनाकाल सं. १७४८ १६७६ १८वीं १९वीं १७८३ १८वीं २ ५ तीसरा पत्र अप्राप्त १३४-१३५ ज्ञानसागर मनराम ११५-११६ Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १७४ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाक ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क १८वीं २३०-२६८ ११८वां २११७८१० (३)/ चेतनदासको वाणी चेतनदास २१२ ४४५२ (६१) चोवौलीराणीरी कथा जिनहर्ष २१३ ७४४४ (१३)| चौढालियो (दानशील तप संवाद) | समयसुंदर .. २१४ ४०६१। | चौथमाताजीरी कथा २१५ ६०६७ चौयीसचौक अमृत कवि २१६ / ६६१८ . | चौवीस तीर्थंकरोंकी पूजाविधि २१७७४२५ | चौसठमार्गणाविचार २१८५०६१ छत्तीरा अध्यनगान सागरचंद २१६ ४४५२ (७८)| छींकचक्र ... १८८५ १८वीं १८५३ १६वीं २४५-२५३ ३ बोलाड़ामें लिखित ७ लि.क. भानुकीति, जयनगरे १६४२ १५वीं छीतरदासजी १९४३ १९०७ कवि कृपाराम कंकाळी भाटण (?) १८वीं २२० । ४३०८(३)/ छीतरदासजीका सवैया २२१४८४७ । ज्योतिषवारो . २२२ ५५२८ ज्योतिषसार .. २२३ ४४५२(६४) जगदेवगमाररा कवित्त . २२४ ७१७२ (२) जगदेवपरमाररी बात - २२५ ७७५२३(१४) जगदेवगुंगाररी वात ..... २२६ ४६१६(१) जगदेवरी वात . २२७ ४४५२ (७१) जड़ भरथरा कह्या श्लोक प्रादि १३ १५ लि.क. पं. हर्ष, मुलतानमध्ये १२३वा छींकके संबंध में शुभाशुभ फलका परिचय ४४७-४५५ ३५ छंद लि.फ. ऋषि भाणजी ४७ : लि.क. रामकुंवार ११९वाँ १-३५ ७१-८८ अपूर्ण ४४ अन्त में ५ अन्य नाताएं हैं। १२१ वा संवाई करम नरेशा (जयपुर) को पराजय और मारवाड़के बतसिंहकी विजयका वर्णन, बुसिंह हाडाका वर्णन भी है। १६३६ १८३७ १५वीं ....२२८ ४८४८. जन्मपत्रीगणित १६वों Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ 1 । २७५ . लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम २५ १६वीं १७५६ १८८० ५८ ।। प्रथम पत्र प्राप्त २०वीं १६वीं ४३ आणंद जेठूमल पदमचंद मुनि २२६ | ४५२४ । जन्मपत्रीगणितक्रन (ब्रह्मतुल्य) २३० ६४३४ . जन्मपत्रीप्रकार २३१ ७४२७ | जम्बूअज्झयण २३२ ६२६८ जम्बूगुणरत्नमाल २३३ / ४२७३ जम्बूगुणरत्नमाल २३४ ४१५७ चम्बूचरित्र रास २३५ ७०४६ जम्बूचरित्र २३६ | ७५३३ जम्बूचरित्र २३७ | ७६०३ २३८ | ५३७६ (३) जम्बस्वामी कथा २३६ ६७३५ : जम्बूस्वामी कथा २४० ६७८१ जम्बूसरकी कथा २४१ / ४०६३ जम्बूस्वामीचरित्र चौपई प्रथम पत्र अप्राप्त ३३ | लि.क.परताबाई,स्थान-अजमेर ५५ १८७२ १७६६ १८६१ ६० ११३ ४२-८० विहारी विप्रेण लिखित लि.क. ऋषि माणकचंद १८५६ १९वीं १८५६ पद्मचंद | ७३५२ जम्बूस्वामीकथा २४३ | ६८८४ । जयसुखवैद्यक २४४ ५४१८ (१३) जलगालणविधि २४५ ४४५२(३२) जलाल गहाणीरी वात २४६ | ४०६२ जलाल गहाणीरी वारता २४७ | ७७६६ (५) जलाल गहाणीरी वारता २४८ ५८६५ जलालबूबनावारता सचित्र १८६६ १७३३ १६वीं १८०७ १८६० १८५६ १८वीं ३३ / लि.क. जीवनराम ऋषि, स्थान-नागोर २० | चुरू मध्ये लिखित ८ लि.क. मतिविमल ११४-११६ | ३५ से ४० लि.क. पं. प्रीतसौभाग्य गणि २० लि.क. ऋषि टेकचंद सरियारीग्राम २-४२ ३२ / चित्र सं. १२ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान. पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता श्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क २४६ ४०६४ २५० ४८१७ २५१ ७१०७ २५२ ५०७३ २५३ ७४४४ (३) २५४ ४ε१४ (२६) २५५ ४६०५ ( ७-९ ) २५६ जैनबोल संग्रह ५४५६ २५७ ४९१४ (५४) जोगीरास २५८ ५४१८ ( २० ) जोगीरासा २५६ ५४१८ (२५) जोगीरासा २६० | ४२८७ (४) जोगीरासो २६१ ५४१८ (३१) टण्डाणा गीत २६२ ६८४१ ढाल, पट्टु श्रादि २६३ ४०६७ ढालसार २६४ ६७३७ ढालसागर २६५ ६१२२ २६६ | ७२२४ २६७ २६८ जांमवतीचीपई जिणरस ७३७५ ४०३३ जिनेश्वरपूजापद्धति जीवदया सज्झाय जीवविचार जीवसिखामण रास जुबानीरा दूहा आदि "" 39 ढालसागरवन्ध सूरसागर वेणीराम सोमसुन्दर सूरिशिष्य प्रभुचंद्र जिनदास >> भगोतीदास जिणदास चोथमल केशराज गुणसागर लिपि समय १८४७ १८४१ १८वीं "" १८८५ १८७७ १६वीं १८७७ १६व " १७२६ १६वीं ܕܐ "1 १८६७ १८वीं "} १७६८ १७४० पत्र संख्या ७ १७ १६८ १ १२१-१२६ २४२-२४४ ३१-३६ ५३ ३००-३०२ १४३-१४५ १५२ - १५४ १४-१८ १७०-१७१ ६६ १६ ११६ १०१ ७७ ७६ १०४ बीकानेर में लिखित विशेष उल्लेखनीय र. का. सं. १६५१ * सं. १८५८ "1 अर्थ सहित पहेलियाँ भी हैं। [ १७६ लि.क. रामचन्द्र रचनाकाल सं. १८५६ लि.क. ऋषि खुशालचंद देशी रागो में पद रचनाकाल सं. १६७६ हरिवंश गाया दाल १५१ Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ___ कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १७७ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या । .. २६६ ४०६६ ढालसागरप्रबन्ध गुणसागर १७५६ ७० ५०८४(१) ढोलामारू, सचित्र, अपूर्ण, त्रुटित १५३६ २७१ ७७२० (१)/ ढोलामारूचौपई ६४३८ ढोलामारवणीचौपई कुशललाभ वाचक कुशललाभ १७५६ १८वीं २७२ ८६ । लि.क. ऋषि जोधनजी स्थान-मेदपाट श्रीसाहबा नगर १४ / चित्र सं. ३६ बीकानेर में लिखित पत्र सं.४० पर ग्रन्थ का अन्तिम अंश है १-२३ २४ रचनाकाल सं.१६७३ स्थान-जैसलमेर, अमरसी पठनार्थ ६१-११४ | रचनाकाल सं. १५३०, चित्र सं. ३३ ५६ / रचनाकाल सं. १६१७, भंवरजी अजयसिंहजी पठनार्थ जैसलमेर में लिखित । ४७ १-३४ २७३ | ५८९६ | ढोलामारवणीरा दहा, सचित्र २७४ । ७७४७ ढोलामारूनी वात कुशललाभ १९वीं २७५, ६७२० | ढोलामारूरा दहा २७६ ४६२४(१३) ढोलामारूरी चौपई २७७ ७७४८ तर्कप्रबन्ध २७८ ७००७ ताजिकसार २७६ ४८७५ | तुरकशकुनावली (रमलग्रन्थ) २८० ७५३५ तेजसिंहजीरा सवैया २८१ ४६१४ (५०)| तेरहकाठिया २८२ ७६०४ | तंडुलवेयालियंपहन कुशललाभ सरूपदास हरि भट्ट .२६ १७७० १९वीं १८५० १७६१ १७४३ १८७७ १८३३ लि.क. देवेन्द्र सौभाग्य प्रथम पत्र अप्राप्त २७९वाँ पाशचन्द्र लि.क. ऋषि मोतीच Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । १७८ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] - कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क सययसुन्दर रचनाकाल १६६१ ३५-६५ | लि.क. कल्याणसौभाग्य ५ / रचनाकाल सं. १७५६ लि.क राजविजय १८वीं १८६१ १८४६ १८५२ १८वीं १८८५ १४वीं उदयरतन २५३-२६० कनककीति ४१ २८३ ७२६५ यावच्चांचौपई सविवरण २८४ | ४६०४(२) थावरदेवतारी वात २८५४०६८ थूलभद्रनवरसो २८६ / ४८३२ थूलभद्रनवरसो २८७ ६२५५ । थूलभद्रनवरसों २८८ ७४४४ (१४) थूलभद्रनवरसो २८६ | ७४२१ । दण्डक सस्तवक २६० ६५३१ द्रौपदीरास २६१ | ६३५६ द्रौपदीरास चौपई २६२६४१६ द्वादशभावफल २६३ | ७४४४ (५)/ दण्डकप्रकरण सटवार्थ २६४ | ६४४६ (५)/ दत्तलाल को कक्को २६५ ४९१४ (४६) दर्शन बत्तीसी २६६ / ६५४४ दशार्णभद्र चौढाळियो २६७ । ६३६६ दशावली २६८ ६९४८ दादूजीका शब्द २६६ | ६९२६ वावूजीको वाणी आदि गुटका १८वीं १८१५ जैसलमेर में रचित जयपुर में लिखित दत्तलाल १९वीं १८८५ १९वीं १८७७ १९वीं दीप प्रषि १३६-१४३/लि.क. नेमविजय ५-११ २७७-२७८ सं. १८५४ में रचित लि. स्थान-अहिपुर ६ लि.क. उपाध्याय पपउदय गणि ७८ प्रायन्त पत्र शोभन २६८/ गटफे में विविधि कृतियों का दादूजी दादूजी आदि १८०० १७८७ .. ३०० ६६४६ ३०१ । ६९५० . ..:: ३०२ ४३०८ दादूजीको साखी दादूजीकी साखी दावाणी प्रादि १८वीं १८६६ १८वीं .. ६७ / लि क. लक्ष्मणदास ४१० विभिन्न सन्तों के ४४४० पदों. का संग्रह - - Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १७६ विशेष उल्लेखनीय का | लिपि समय | पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्याङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ३०३ ६६३७(१) दादूवाणी प्रादि दादूजी आदि १८११ १०६ / लि.क. रामदास, निराणा ग्रामे ३०४ ६६५४(१)/ दाशब्द १९वीं ६५ दादू, कबीर, सूर, भीरां आदि | के पदों का संग्रह २३ ४४वाँ १८१७ ४६-५६ ४५ ३०५ ४१४६ दाढाळारी वात ३०६ | ५४३६ (९) दानशील तपभावना ३०७ ५४३६ (११) दानशील तपभावना ३०८ / ६८४५ दानशील तपभावनासंवाद ३०६ / ५६६७ । दानादिकसंवाद ३१०५४१८ (१७) दानाधिकार ३११ ७७२० (२४)| दिल्लीपातसाहीरो विवरो ३१२ ४०१७ दिवालीकल्प बालावबोध ३१३ ४४५२(२८) दहा दशार्ण भद्रराज ऋषिकुशलशिष्य समयसुन्दर वाचक (?) समयसुन्दर १६वों १६६२ १६वीं सांगानयर मंझादि १२४-१३४ १२-१८ १८वीं १६वीं जिनसुन्दर कवि ज्ञान २६ २६वा पुरुष-शृगार और स्त्री-शृगार के १६-१६ दूहा २००नां । | हदिरस की प्रशंसा में रचित ३१४ ७७२१ (१३) हो श्रीमहाराज जसवन्तसिंहजीरो म. जसवन्तसिंहजी ३१५ / ६०१५ | देवकीरी चौपाई ३१६ ४४५२ (७६) देवीचक ३१७ / ७३७३ | देशना शतक ३१८ | ४८५५दोषकेवली ३१६ ४६१४ (५) दोहाशतक रूपचंद ३२० ४६१५(१३) धमाळ १६३१ १६वीं १५वीं १७वीं १८वीं १८७१ १८८७ १२३वाँ १६ लि.क. मानसिंह १६२-१६५ ३८४-३८६ Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर --- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रंथ ] कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाक ३२१ ४४५२ (५१) ३२२ ७३६६ ३२३ ५४१८ (१५) ३२४ ७७५३ (१२) ३२५ ४०६६ ३२६ ५२२३ ३२७ ४८०८ ३२८ ५४३६ (१२) ३२६ | ६६५४ ( २ ) ३३० ५२०२ (२) .३३१ ४०७० ३३२ ६६१३ ३३३ ७६६७ ३३४ ६४१२ ३३५ ३३६ ३३७ ७०७३ ३३८ ६३६० ३३६ | ४ε२४ ( ३ ) ३४० ४४५२ (२२) ३४१ ५०६६ ग्रन्थ नाम धनाळ वसन्त धबुद्धि चोपाई धर्मबत्तीसी धर्मवावनी धर्मबुद्धि पापबुद्धि चोपाई धर्मोपदेश धामनो वर्णन नरक से चोढाळियो ५४६१ ४४५२ (४) नागदमण नरसीमाहेरो नरसीजीको माहेरो नलदमयन्तीचौप नवकार मंत्रदर्शन नवकारवालीनी सज्झाय नवपदपूजा नसीहतनामा और देवीदास के कवित्त नागदमणचोपई नागदमण छंद नागदमणकथा नागमंतर नागिला भवदेव रास लालचंद लालचंद गुणसागर वसन्त समयसुन्दर लब्धिविजय साईदास समयसुन्दर लिपि समय १८वीं १७६० १६वीं १८३७ १८२५ १६वीं "" १८८८ १८८५ १८३६ १६वीं "1 २८८५ १वीं १८वीं १८२४ १८वीं १७८७ १८वीं १७४१ पत्र संख्या १०७ वाँ १६ ११६-१२१ ६० - ६६ | अपूर्ण २५ १३ ६ ३ ६५-६६ ८७- ६१ २५ १३५ १ १४ १३८ ७ से ६ 11 ४ १५-१८ २३ व लि. स्था. जैसलमेर विशेष उल्लेखनीय र.का. सं० १७४२ प्रथम पत्र प्राप्त ६८वां पत्र अप्राप्त रचनाकाल सं. १६७३ स्फट [ १८० सर्प विष उतारनेके २० मंत्र ५ लि.क. पं. ईश्वर, अहमदाबावे. Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ३४२ नथियाका सोरठा ४३१२ ३४३ | ६९३७ ( ३ ) | नामदेवजीका सबद ३४४ ४८३१ नामप्रताप ३४५ ७८१६ (३) | नारायणलीला ३४६ ४४५२ (५०) नासिकाविचार ३४७६७४९ (१) नासिकेतपुराणकथा ३४८ ६११० नासिकेतपुराण भाषा नासिकेतमहापुराण भाषा निर्वाणकांड निसाणी ३४६ ४२६३ ३५० ५४१८ (३३) ३५१ ४४५२ (२५) ३५२ ५०७७ (२) ३५३ | ४९१४ (३४) ३५४ ५३३० ३५५ ३५६ ३५७ ३५८ ३५६ ३६० ७३०३ ६३०४ ६५२६ ५२७० ५२७४ ५०६८ नेमराजीमती सज्झाय नेमिनाथनी साखी नेमराजुलका सवैया नेमराजुल बारामास प्रत्येकबुद्धचोपई प्रत्येकबुद्धचौपाई प्रद्य म्नप्रबन्ध / प्रद्य म्नप्रवन्ध प्रदेशी रायचौपाई नाथया ( ? ) नामदेव रामचरण माधवदास वार्तिक नन्ददास नन्ददास स्वामी नन्ददास सूरज यशोदेवसूरिशिष्य कवियण (?) समयसुन्दर 33 कमलबंधु समयसुन्दर लिपि समय १६वीं १८११ १८१६ १६वीं १८३१ १८वीं १६वीं "" १८३७ १६वीं १८वीं १८०२ १८७७ १६वीं "" १८६७ १८२५ १८१३ १७३६ १८६० पत्र संख्या ११ १८७-२०१ १२ १७३-१७५ २४वाँ १ ला | २५५-२५६ २५ १ २४ २८ २८ २० १०७चाँ ८८ ५१ ४४ लि. स्था. लालुवास प्रतापसिंहराज्ये २६ [ १८१ विशेष उल्लेखनीय १४० सोरठे लि.क. रामदास, निरोणा ग्रामे लि.क. कायस्थ भावसिंह र.का. सं. १६७० सूरतबंदर लिखितं जैपुरमध्ये लि.क. परमानन्द शिष्य जैतसी र.का. सं. १७२२ चूड़ामणिने लिखवाया प्रथम पत्र अप्राप्त पाटणमध्ये लिखित Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । १८२ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क ग्रथाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय लिखितं बीकानेरमध्ये १८५८ (419 धर्ममंदिर गणि १९वीं मंगनीराम जिनहर्ष ३८६-३६५ र.फा.सं.१९८६ | आद्य २ पत्र मसीप्लुत १९वीं क्षमाकल्याण मोहनविजय जसराज आदि १९०६ १८६८ ७० | लि.क. हरकचंद पांडे ११६ | लि क. बख्तावर, बीकानेरमध्ये १८वीं वृन्द प्रादि १६वीं ३६१, ६०३३ प्रबोधचितामणिचौपई ३६२ / ५१३७ । प्रश्नोत्तरसार्द्धशतकनो बीजक ३६३ ४६१५ (१४) प्रश्नोत्तरीरत्नमाला ३६४ | ५१०१ पहेली ३६५ ५३२६ । प्रश्नशकुनावली ३६६ ६३४६ (१) प्रश्नोत्तरसार्द्धशतकनो बीजक ३६७ ६८५४ | प्राकृतप्रवन्धसंग्रह . ३६८४७६२ प्रास्ताविक दहा ३६६ | प्रास्ताविक दूहा ३७० ४८०६ प्रास्ताविक दोहरा ३७१, ४८१५ | प्रास्ताविक दोहरा ३७२ / ५३४५ प्रास्ताविक पत्र __३७३ ४४५२ (९९) प्रास्ताविक श्लोकदूहा आदि ३७४ | ४७६३ प्रियमेलकचौपई .. ३७५ | ४८२१ प्रियमेलकचौपई ३७६ ६८७५ प्रियमेलकचौपई ... ३७७ ५४१८ (२८) पंचगतिको वेली ३७८ | ४८५० पंचांगानयनविधि भाषा . ३७६ ४६१४(५८) पंचेन्द्रियकी वेली .. .३८० / ५२९५ पंचेन्द्रियचौपाई ३८१ | ५३४१ (१) पन्नावीरमये बात : " 8 mir mms १८३६ १९वीं १५वीं लिखितं राजपुरमध्ये पत्नी का पति के प्रति आदि १३२-१३४ ७ | अपि भीकमजीपठनार्थ उदैराज आदि समयसुन्दर १७वीं १९वीं मुनि हर्षकीति मेघराज लब्धिविजयशिष्य ठाकुरती ८.लि.फ. लब्धिकोति गणि राणपुरमध्ये १६५-१६७/ र.फा.सं.१६२३ र.का. १७२३ | ३१३-३५ र. सं. १५८५ | उज्जैनमध्ये लिखितं . : .. २ से ५७ लि.क. बोरा वीरानन्द १८७७ . १९७२ १३वों Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १८३ लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क | ग्रन्थ नाम الله शेरसिंह ७६-१३४ ७८वा पत्र खंडित गुटका الله الله हेमरतन हेमरतन सकलकीति स्फुट मुनि माल ३८२ : ४६१५(४), पन्नावीरमदेरा वात ३८३ । ७१६६ (१) पन्नावीरमदेकी वात ३८४ ४८०७ पंमिनीचौपई ३८५ पद्मिनीचौपाई ३८६ ४६१४ (१०) पद ३८७ ४६१४ (३१) पद ३८८ ४०७२ पदमसीपदमावतीचौपाई ३८६ / ७७२१(५) पनरबादशांशकुनावली | ४६१६(६) पनरमी विद्या पंनरमी विद्या स्त्री-चरित्र ३६२/४०७६ | परदेसीप्रबन्ध ३६३ ७४१२ परदेसीप्रबोधचौपई ३६४ ४८२७ । परदेशीराजारी चौपई ३६५ ५४१८ (२९) परमादि (प्रमाद) ३६६ / ४०७३. | पलकदरियावरी बात ३९७ / ४०७४ पांडवचरित्रचौपई ३६८७७२३ पांडवविजय ३६६ ४६१४ (५५) पार्श्वनाथ प्रादित्यवारकथा १८८७ १९७७ १८२७ १६वीं १८७१ १८७७ १८वीं १६२५ १८८१ १६०५ १८४८ १७५५ १८८५ १६वीं ३१ २०७वाँ २४८-२४६ २२ ११८-११६ ८४-६६ १०३से१०७ ३६० लि.क. पं. प्रीतसौभाग्य गणि | ज्ञानचंदै २२ PR गोपालदास लाभवर्द्धन मलूकदास १७८५ १९२६ १८७७ लि.स्था. बड़ली १६७-१६८ | लि.क. प्रखुजी | र.का. १७६७ ३७७ लि.क. जीताराम, फतेहपुर मध्ये ३०२-३११ / सं. १६७० की प्रति से प्रति लिपि की गई लि.क. रूपां साध्वी ५ जोधपुर में लिखित ४०० ६४३३ ४०१ ७६७० पाशाकेवली पाशाकेवली गर्ग ऋषि १९६६ १६वीं Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मंदिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १८४ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य • क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम १२-१६ . ४०३ - ४०२ | ५१२३ (३) पाशाकेवली अबजदी ६२८२ पाशाकेवली अबयद ४०४ ७८२३ पिङ्गलरो समीयो १८वीं १९वीं १८वीं १६ चन्द (?) चित्र सं.७ ग्रं. सं. ५४५७ के साथ संयुक्त। थानलानगरे, मालवदेसे लिखितं मुनि हर्ष हर्षचन्द्र गणि १८७१ १९वीं १८७५ ४०७ र.का. सं. १६६२ सांगानेर में रचित | जीर्ण और त्रुटित प्रति ४०८ ४०६ १८वीं ४०५ ४४५५ पिङ्गलशास्त्र टीका ४०६ ७१४३ पुण्डरीकफुडरीकनी ढाळ | पुण्यसारचरित्र ७५३० पुण्यसारचौपाई ६४३७(१) पुरन्दरकुंवरकथा . ४१० ४८२६ पुरन्तरकुंवरचौपई . ४११ ४६७६ पूणिमाविचार . ५३३२ | पूर्वदेशचैत्यप्रवाड़ी ४१३, ४६०३ | पृथ्वीराजरासो ४ । ७१२८ | पृथ्वीराजरासो पुण्यकीर्ति मालदेव रतनविमल १९वीं . २१ ४१२ जीर्ण और श्रुटित प्रति चन्द कवि १२६ १७४७ से १७५३ १८वीं १९४१ ७१५० | पृथ्वीराजरासो ७१६४ । पृथ्वीराजरासो (पद्मावतीको समो) | ७१६८ पृथ्वीराजरासो आदि . ... ४१८ ७१६६ . पृथ्वीराजरासो आदि ७१६६(२)| पृथ्वीराजरासो (महोवाको समो) ...... ४२० ४८१४ (१९) पोस्तीनोरास ज्ञानभूपण १६२ जोर्ण गुटका लि.क. चिरञ्जी मुफसलाल केकड़ी निवासी ११८ कई रचनाओं का संग्रह २०वों १९७७ | १८७१ . २१८-२२२ Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क पोस्तीरा रासो ४२१ ४०७५ ४२२७७२२ (१२) फुटकर श्रौषध ४२३ ४६२४ (१८) ४२४ | ४ε२४(७) ४२५ ५२७२ ४२६ ५०८१ ४२७ ५५०० ४२८ ४६१४ (३७) ४२६ | ७७४३ (३) ४३० ५८६७ ४३१ | ७७५३ (७) ४३२ |४ε१४(६२) ४३३ ७१३६ ४३४ ४३२० फुटकर कवित्तादि फुटकर ज्योतिष फूलकुंवर फूलकुंवरीरी वात फूलकुंवर फूलकुंवरीरी वात फूलजी फूलमतीरी वात ब्रह्मजिरणदासनी वीनती ब्रह्मनिरूपण बगसीराम प्रोहित होरांकी वात बांमणवाड़ रो स्तवन बाई जतन नै लीलवणनी विगत बाईस परीक्षाको चौपाई बात संग्रह ४३५ ७८१७ बादशाही हाल ४३६ |४ε१४(२७) बारह अनुप्रेक्षा वारह पुनमरो विचार ४३७ ४७२१ ४३८ ४७३७ बारह भवन फळ बखतो ब्रह्म जिणदास राजसिंघ कवि तेण कमलकलश शिष्य (?) ऋषि रामचन्द्र चन्द्रकीर्ति लिपि समय १८८२ १८वीं १८वीं १७६३ १९१२ १८६० १८४६ १८७७ १७८४ १६वीं १८३७ १८७१ १८२२ २०वीं १६वीं १८७७ १६वीं १८४० पत्र संख्या २७-२६ १४-१५ ४ | ११६ - १२५ | बधिरता, वायगांठ प्रादि रोगों की श्रौषध १४ ७२ २६ २५८-२५६ ४६-५३ ६५ ३६-४१ ३२१ वाँ ४ ५२२ ८-५० २४४-२४६ १ ५ [ १८५ विशेष उल्लेखनीय पन्द्रह तिथियों के दोहे श्रादि र. का. सं. १८५२ चित्र सं. ४५; र.का. सं. १८३० अन्त में चौढाळिया आदि २३ लि.क. बाई सिरेकंवरी र.का. सं. १८२२ राजस्थानी भाषा की चौबीस प्रकीर्ण वार्तात्रों का संग्रह, लि.क. सुमतिसागर Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता श्रादि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ४३९ ७४४४ (१५) बारह भावना ४४० बारहमासी संग्रह ७७५४ (१,२,३ ) ४४१ ४२८७ (१५) ४४२७६२१ ग्रन्थ नाम बारहमासो बालचन्द्रवत्तीसी ४४३ ४१४२ ४४४ ७५४२ ४४५ ७७५३ (१०) ४४६ ५८८५ भक्तसार ४४७ ७७२१ (१) भङ्गीपुराण ४५२ ५१२२ ४५३ | ४४५२ (६८) ४५४ ५८०० ४५५ ७६३० ४८३० ४५६ बुद्धिसे चौपाई बोलविवरण भंमरागीत ४४८ ७७४४ (४) भजनसंग्रह ४४६ | ५१२३ (७) भडुली ४५० ४४५२ (१७) ४५१ ६७२८ भडली हापचीसी भडलीपुराण भडलीरा दूहा भडलीवाक्य भडुलीवाक्य भरताधिकार भवानीछन्द जयसीम शिष्य रामचंद्र बालचन्द्र तिलक सरि श्राचार्य केशवजी ( ? ) महमद शालिग्राम हरदास चैना भड्डु कवि "1 भडकवि " " लिपि समय १८८५ १६२२ १८वीं २०वीं १वीं १७वीं १८३७ १६वीं १८२५ १७५८ १८वीं " १८८१ १८२८ १८वीं १६१३ १७९३ १६वीं पत्र संख्या २६०-२७० १५ ११६- १२७ ७ ६६ ६२ ४५-४६ २२ । १- २५ १८-२२ २६-४१ १६ वां १२ ३ १३२ वा १४ ५३ [ १८६ विशेष उल्लेखनीय जैसलमेर में रचित भरतराजाका बारह मासा र.का. सं. १८६० र.का. सं. १८५५ शिव स्तुति, कई स्थानों पर चित्र भी है। लि.क. चैनकुंवरी १५ हा लि.क. व्रजवासी, अलवर. लि.क. श्रीकमनी, वढवाणमध्ये Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क | लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य [ १८७ विशेष उल्लेखनीय ४५७ | ४७६६(२) भाषा लीलावती (पद्यानुवाद) लालचंद १७७५ म. रायसिंह, बीकानेर के अमात्य कोठारी नेणसी पुत्र जैतसी को प्रार्थना से उनके गुरु द्वारा रचित २० । ४५८ | ७४१० भुवनद्वारविचार ४५६ ७७२२ (१०) भैरव आदि की बोली विचार ४६० ६७०२ । भोगलपुराण (उमामहेश्वरसंवाद) | ४८२५ मच्छोदरचौपई ४६२ ४७६८ | मदनवार्ता ४६३ ४४५२ (१) मदनशत (अपूर्ण) ४३१५ मधुमालतीकथा १६वीं १८वों १७७२ १८४८ १८वीं १०७-११४ ३० लि.क. टीकूदास २३ / लि.क. क्षमा सौभाग्य शान्तिहर्ष खुश्यालचंद जालंधरी १० चतुर्भुजदास कायस्थ १८८८ ४६५ । ४६ ४६११ (१) मधुमालतीकथा . ४६६ ५७ मधुमालतीकथा (सचित्र) ४६७ । ५०७८ | मधुमालतीकथा (सचित्र) १८३२ १६वीं १८८१ लि.क. तुलसीराम कनौजिया, सवाई जैनगर १ से ४१ २-८७ / चित्र सं. ८७ २१६ / चित्र सं. २२३ लि.स्था. पालनपुर ८८ चित्र सं.९० ६० लि.क. सेसमल्ल, कापरड़ा नगर १२५ हाड़ोती कलम के २७० चित्र १४१-१९६ लि.क. हररूप, जालोर ११३-११४ २४८ वा चतुर्भुजदास ४६८ । ५०७६ मधुमालतीको वात ४६६ ४०८४ मधुमालतीचौपई ४७० | ५०८० | मधुमालतीरी कथा ४७१ | ४६१५(८)| मधुमालतीरी वात ४७२ ५४१८ (१२) मनभंवरा गीत ४७३ ४६१४ (२६)/ मनोरथमाला १८वीं १९वीं १८वीं १८८७ ११वीं कवि माल १८७७ Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १८८ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क - - १९वीं १८७७ गोपालदास गानाला गङ्गादास पर्वतसुत ४७७ ४५-५२ । ३० पद्य २७२-२७४ ६४-१४८ र.का. १६६६ १६ वां २८८-३०० : २१ ४७४ | ७७२२ (४) मयण भट्ट दहा ४७५ ४६१४ (४४) मरुदेवीनी सुखड़ी ४७६ | ५४२७(५) मलयासुन्दरीचौपई ४४५२ (१८) महादेवजीरो छन्द . ४७८ ४६१४(५३) महापुराणनी वीनती ४७६ / ६८५१ महाबलमलयसुन्दरीरास ४८० | ४७४३ महाराजा दौलतसिंहजीजन्मो दाहरण | ५४३६ (५) महावीरजीरो पारणो ४८२ | ७३५६ महावीर दशोठरण जीमणवार विगत १८वीं १८७७ १९वीं १८वीं १९वीं ३३-३६ ४८१ १७६८ २ ७०५८ महासती सीताचरित्र पुन्ह कवि १८७१ १८वीं ४८" १८०८ ४८४ ४४५२ (१०) माताजीरी चरचा ४४५२ (१२) माताजीरो गीत ४८६ ४४५२ (११) माताजीरो छन्द ४८७ ४४५२ (८५) माताजीरो छन्द ४८८ ७७२१(११) माताजीरो छन्द ४८६ ४६११(४) माधवानल कामकन्दळाचौपई ४६०४६२४ (१६) , ...... ५११८ बीकाजी कवि सारंग चानण खिड़ियो कुशललाभ १८०७ १८वीं १६३१ १९३० १७६२ १८वीं ८८ लि. स्या. अयोध्यापुरी र. का. १७७३ (?) १३ वा १६ वा लि.क. प्रीतसौभाग्य | लि.क. प्रीतसौभाग्य, वणेडा ग्राम १२६ वाँ १७७-१७६ / लि.फ. अमरसिंह खिडियो ६ विजयपुरमध्ये लिखित . ; १-२२ . २१ / प्रणहलपुर पाटण, दुर्गादास राठोड़ राज्ये रचित " मानतुङ्ग मानवतीचौपाई मोहनविजय Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १८६ लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम मोहनविजय १८०६ १८७८ ४४ र.का. सं० १७१० ६५ चित्र सं०८८ ४६२ / ६१३८. मानतुङ्गमानवती रास ४६३ ६१३६ (१) मानतुंग मानवती रास (सचित्र) ६२६७ मानतुंग मानवती रास ४६५। ६३३५ १९१४ ४६४ १८२४ लि.क. पालमचंद मकसूदाबाद, अजीमगंजमध्ये ६५३४ " ४६७ ७३६६ । ७५२८ र.का. सं. १७२० अभयसोम मोहनविजय ११ ८४ मानवतीरास ४६६ १८७६ १८२८ १८९२ १७६७ १८वीं १९वीं १७६६ र.स्था. अणहिलपुर पाटण १२३ वां बोलने के फलाफल का विचार २१ ३१ २०वीं १९३८ ५०० ४४५२ (८०), मासंधिचक्र ५०१ | ६५२६ मुनिपति चरित्र (गद्य) ५०२ / ६३५५ मुनिपति चरित्र बालाववोध ५०३ | ५४३६ (४) मुनिमालिका ५०४ ६२७२ कल्याण ५०५ ५८६१ मृगलेखाचौपाई (सचित्र) मुनि सागरचन्द्र ५०६ ६७४५ मृगाङ्कलेखाचौपाई (सचित्र, अपूर्ण) ५०७ ও ও मृगावतीचरित्र समयसुन्दर ५०८ ४०८६ मृगावतीचरित्र चोपई ५०६ ६५३३ ५१० ६२५० : मृगावतीचौपाई ५११ ६८३८ चौढाळियो आदि १९वीं २६-३३ र.का. सं. १६३६ . ५३ चित्र सं. ४८ . ३९ / चित्र सं. ४२ ३८ र.का. सं. १६२८,प्रथम पत्र प्राप्त | र.का. सं. १६६१ (?) .. १८वीं १८वीं २४ २३ १३ १७३८-४९५३ ५३ | जीर्ण प्रति, १२ कृतियोंका संग्रह Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर---हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] १६० कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क १९वीं . ५१२ / ४२८२ मेघमाला ५१३ ४६१४ (१६) मेरुजयमाला ५१४ ४४५२ (६०) मेषसंक्रांति प्रादि ५१५ / ६६२२ मणरेहा चौपई ५१६ / ५१०२ मोती कपासिया वाद १८७१ १८वीं १६४६ १८वीं ५ लि.क. भगवानदास २०६वां । ११७वाँ ७ लि.क. मुनि केशरीचंद ५ . लि.क. मुनि नित्यसागर खेड़ामध्ये श्रीसार १८२४ ५१७ ७०७७ मौनएकादशीकथा (गौतममहावीर- ; संवाद) ५१८ / ६७६२ । मोहमरदराजाकी कथा (पद्य) ५१६ | ५६०१ मोहविवेक चौपाई धर्ममन्दिर ... ५२० | ६४०० योगदृष्टिस्वाध्याय नयविजय . . ५२१ ५४१८(१८) योगसारके दोहे योगचन्द मुनि ... ५२२ | ५४५० योगासनमाला (सचित्र) १९५३ १७६६ १९वीं १३ . लि.क. गरीबदास ६६ : लि.क. भीमविजय __ ५ दीमक से कटे जीर्ण पत्र १३४-१४० : १०७ दोहा ११० लि.क. स्वामी शोभाराम खातीपुरामध्ये १८४६ १८वीं ५२४ . ५२३ / ६०३८ ४०८७ ५२५ ४८१६ रत्नकुमाररास रत्नचूड़ चौपई रत्नपालरास सहजसुन्दर कनकनिधान १८१४ मोहनविजय, बुधरूपविजयशिष्य | १८६७ . . सूरविजय - ५२६ / ६०५७. .. .. . ५२७ ४६१४(३०) रत्नत्रय . ५२८६५३२. रतनपालरास . १२ र.का. सं, १७३८ ५४ लि.क. हितसौभाग्य क्षमा सौभाग्यशिष्य ७६ २४च्या ३२. र.का. सं. १७३२, छोटी खाटू मध्ये, प्रथम पत्र प्राप्त .... १६०० १९७७ १८२७ सेवक सूर: - - Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ५२६ रतन महेशदासोतरी वचनिका ४८३३ ५३० ४ε१५ ( ३ ) रतनामीररी बात (पद्यबद्ध ) ५३१ ५४१८ (२६) रविकथा " ५३२ ५४१८ (२७)! ५३३ ७४४४ (१६) रागपदबहोत्तरी ५३४ | ४२८७ ( ९ ) रागपदसंग्रह ५३५ ५१०० ५३६ ५४१८ (३४) ५३७ ७७२० (२३) ५३८ | ४९०६ ( २ ) ५३६ ४६१५ (१७) ५४० | ४६१६ ( २ ) ५४३ ४७६६ "" रागरासाष्टक रागानामोपरि विरहसुभाषित राजसभारंजन वात ५४१ | ७७२१ (६) राजा रतनरी वचनिका ५४२ (७७२० (२१) | राजावली ५४४ | ४९१४ (८) ५४५ ५४१८ (३५) राजाचंचरी वातरा दूहा राजाभोज, माघपंडित नै डोकरीरी राणांरी वंशावली राजुलपचीसी बारहमासी राजुलपत्रीसी खडियो जगो कवियण ( ? ) तिहुरा गिरिनिवासी गर्गगोत्रीय म लूकपुत्र ( ? ) भानुकीर्ति आनन्दघन रसिक ( ? ) खिड़ियो जगो राजुल श्रानन्दचंद लिपि समय १७४१ १८८७ १६वीं " १८८५ १८वीं १६वीं " १७६५ १७६८ १८८७ १८७५ १८२५ १८वीं १८७१ १८०६ पत्र संख्या ७ ४२-७५ १५४-१६३ १६४-१६५ २७०-२६४ १७-२८ ३ १७५-१७६ ६-११ १-२५ ४०६-४१० ४५-४६ ११६ - १४१ ७ वाँ १ १६७-१६८ १-६ [ १६१ विशेष उल्लेखनीय लि.क. प्रमोद मुनि, रोहितासपुरे २०० पद्य, लि.क. प्रभुदान लिक. रामसागर लि.क. नेमविजय * र.का. सं. १७५६, ३७० दोहा लि.क. सौभाग्य गणि | सं. १२६७ से १७७० तक के सीसोदिया राणाका वंशपरिचय नागधरानरेश से अमरसिंहपुत्र संग्रामसिंह तक लि.क. दयानिधि Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०- राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १६२ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या | क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ५४७ / ७२० ४ लि.क. सरूपा, आगरामध्ये २ । ३७ लि.क. धर्मसुन्दर,प्रथम पत्र प्राप्त १२६ वाँ १११ राजाओं के नाम १८५८ १९वीं १८०२ १८वीं १६वीं - १४-१६ ८-१७ ११ वाँ ३० र.का. सं. १६७७ ५४६ । ७१४४ राजुलपचीसी लालचंद | ७२४३ | राजुलपचीसी ५४८ | ५१०४ | राठोड़ रतनमहेसदासोतर वचनिका खिड़ियो जगो ५४६ ४४५२ (६१) राठोड़ारी वंशावली - ५५० ४८३४ । राठोड़ नाहरखानरो छन्द गाडण माधोदास . ५५१ | ६४४६ (७) राधाजीको वारहखड़ी - ५५२ / ७७४४ (३)| राधाविलास . - ५५३ ४४५२ (१६) रामकिशनजीरो छन्द ५५४ ५६०३ रामकृष्णचौपाई. लावण्यकीर्ति ५५५ । ६४६७ श्रीरामचन्द सवारी (गद्य) रामनाथ ५५६ ७८१० (२)/ रामचरणदासजीका कृतिसंग्रह रामचरणदास ५५७ । ६८५३ . रामजसरसायन ५५८ | ७७४४ (१)| राममञ्जरी । गोविन्ददास ५५६६३५७ . रामयशोरसायन केशराज | ६७४६ (२)| रामरक्षाभाषा रामानन्द ५६१.७६०६ रामरक्षामंत्र . ५६२ ४६२४ (५)/ रामगणरासो . . माधोदास दधवाडिया .....५६३ । ७७२१(२)/ रामरासो ५६४ | ७७३५ । रामरासो . .. ५६५ / ७१४० | रायप्रश्नश्रेणीमध्ये ईग्यारह प्रश्न - ५६६ | ७७२२ (८) राव सत्रसालरो गीत १७५८ १८वीं १७११ १९वीं १८वीं १८६४ १७५८ १७६४ १९वीं २६-२३० - ७ कृतियों का संग्रह ११४ र.का. सं. १६८७ १-२ - १७८८ १८२५ १८वीं २०वीं ८८-६२ लि.क. केशवदास १-३२ लि.क. जयसौभाग्य गणि २५-१६ १! गुटका, पूर्ण .... १८वीं १०५ वा Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रंथ ] [ १६३ कर्ता आदि ज्ञातव्य । लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क । धर्मसमुद्र ५६७ ४४५२ (७५) रासभचक्र ५६८ ४४५७ रात्रिभोजन चऊपई ५६६ ४६१४ (४३) रात्रिभोजन रास ५७० ४६१४ (४१) रात्रिभोजन सज्झाय ५७१ ४६१४ (४२) रात्रिभोजन सज्झाय ५७२ ४६०५(१,२) रीसालुकुंवररी बात स्फुटदोहा ५७३ ७१२२ रुक्मिणीमंगळ (कृष्णको व्याहलो) ५७४ ६९७५ रुक्मिणीव्याहलो कवियण नर्बदो चारण १८वीं १७२३ १८७७ १८७७ १८७७ १८७५ १९वीं १८६७ - १२३ वा गधे के विषय में शकुन-विचार ७/ लि.क. भक्तिविशाल २६८-२७२ २६६ वाँ २६७-२६८ १-२५ लि.क. अनूपविजय १२-४२ अपूर्ण १३२ गुटका, सं. ४८ से ६४ तक के पत्र अप्राप्त ४३ लि.क. जीवणदास, रेवां ग्राम ५७५ ४०७६. रुक्मिणीवेली (सबालावबोध) मू. पृथ्वीराज, टी. कुशलधीर गणि १८२६ ५७६ ४०७७ . रुक्मिणीवेली (सस्तवक) मू पृथ्वीराज, टी. लब्धिविज्ञान १७८६ | शिवनिधान ५७७ ७१६५ । रुक्मिणीवेली, नागदमण आदि २०वीं ५७८ ४०७८ रुक्मिणीवेली (राजस्थानी अर्थसहित) पृथ्वीराज १८वीं ५७६ ५२२१ रुक्मिणीहरण रास १९वीं ५८० ५८९४ रूपसेनकुमार रास (सचित्र) १८वीं ५८१ ६९३७(४) रैदासके पद रैदास १८११ १८१६ ५८२ ४०२७ रोहिणीतपस्तवन आदि श्रीसार, राज आदि १८वीं ५८३ ६११६ । लीलावती चौपाई लाभवर्द्धन १७४२ ५८४ ६३७८ लीलावतो चौपाई ५८५६०५६ | लीलावती भाषा लालचन्द १७८३ गुटका जीर्ण . २७ पत्र १, १२ अप्राप्त लि.क. साध्वी मेरुश्री, चित्र सं.१६ २०१-२०६ लि.क. रामदास, निराणाग्राम २२ १४ १९वीं | पत्र १ से ३ अप्राप्त ३६ २० र.का. सं. १७३६ Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम लीलावती रास लीलावती रास ५८६ ४८३६ ५२८६ ५८७ "} ५८८ ४६१४ (२५) लूंकामतनिराकरण प्रतिमास्थापन रास सुमतिकीर्ति ५८६ जिनोदय वच्छराजहंस चौपाई ४०८८ ५६० ४७८१ बंध्याकल्प सूर्य्य मल्ल ५६१ वंशभास्कर ७७२६ ५६२ ७७२७ वंशभास्कर ३९३ | ७७२१ (३) वमेकवारतारी नीसाणी ५६४ ७१५१ वर्षाऋतुका फवित्त आदि वर्षोत्पत्ति ५६८ ६४१४ ५६६ ६६१५ ६०० ७०१४ -६०१ ६४१५ ६०२ ७६२० ६०३ ६१११ ६०४ ४०६६ ५६५ ४७१६ ५६६ ५३७६ ( २० ) वारसेनमुनिकथा ५६७ ६७३८ विक्रमखापरा चौपई उदयरतन विक्रमचरित्र ( वैतालपचीसी) विक्रमचरित्र ( चौबोलोसती चौपई) " श्रभयसोम हेमानन्द उभयसोम विक्रमादित्यभूपालपञ्चदण्डकचरित्र लक्ष्मीवल्लभ गणि विक्रमादित्य लावणी धर्मदेव ( ? ) विजयसेठ विजया सेठाणी लावणी लालचंद विद्याविलास चौपाई. जिनहर्ष विनयभट्ट श्रेष्ठपुत्रकथा ऋषभसागर लिपि समय १८०७ १६वीं १८७७ १८६१ १८१४ १६४३ १६४० १८२५ १८७६ १६वीं १६वीं "" १८६५ १७६२ १६७७ २०वीं १८२६ १६वीं पत्र संख्या १६ १२ | २३४ से २४२ ३३ ४ १८४ १८४ ६६-११० ७५ २ २२६-२४२ ५५ ६ १८ ७० विशेष उल्लेखनीय लि.क. मुनि जेठा र.का. सं. १७६७ लि.क. रूपविजयजी, बातानगर १६ खण्डित २७ ११ [ १९४ लि.क. वारहठ बालाबक्सजी, ग्राम हणूत्या, काशी ना. प्र. सभा में ग्रन्थमाला के संस्थापक लि.क. श्वेताम्बर पञ्चायण लि.क. भैरूंदास, जोधपुरमध्ये र.का. सं. १७२४ र.का. सं. १७२८ लि. स्था. देवगढ़ र.का. सं. १८६१ र.का. सं. १८१० Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाक ग्रन्थाङ्क ६०५ | ४ε२४ (६) ६०६ ४४५२ (४१) ६०७ ४१४५ ६०८ ४४५२ (५३) ) ६०९ ४६ १४ ( ४ ६१० ६३३४ ६११ ७७२२ (१४) ६१२ ७७६९ ( १ ) ६१३ वभेक (विवेक) वाररी नीसाणी विमलशाहजीरो सिलोको विमलसाहाको सिलोको ६१६ ५३६८ ६१७ ६४४३ ६१८ ७०४४ ६१९ ७७२२ (२) ६२० ७४४४ ( ८ ) ६२१ विषहरा विचार विषापहार स्तोत्र विषापहार स्तोत्र वीरन देईडरिया आदिके कवित्त वीरमदे पनीरी वार्ता (सचित्र) वीरसेन राजकथा श्रादि ४१३६ ६१४ ४४५२ (६२) वृद्धजुवानको झगड़ो ६१५ ७७४३ वेदस्तुति भाषा वैताल पच्चीसी वैताल पच्चीसी वैतालपचीसी वैतालपचीसीरा कवित्त श्रावक अतिचार श्रावक कथाकोश भाषा (अपूर्ण) ७१२२ ६२२ ७७५३ ( ८ ) श्रावकरी सज्झाय ६२३ | ७८१६ ( १ ) | श्रीधरलीला ६२४. ६०२४ श्रीपालकथा केशवदास शांतिविमल पंडित विमल श्रचलकीर्ति राजसिंघ: म. अनूपसिंह शिवराम जिनहर्ष रत्नशेखर लिपि समय १७६३ १८वीं १६वीं १८वीं १८७१ २०वों १८वीं १८५६ १६२४. १८वीं १७८४ १६वीं १८६१ १७२६ १६वीं १८८५ १६वीं १८३७ १८३१ १८३३ १७२७ पत्र संख्या १-१४ ४५-४८ १४ १०६वाँ १६०-१६१ १३ १५२-१५६ १-३७ ५ ४० ४४ ५२ ३७-४५ १८०-१६० २१ ४२-४४ ४८ [ १६५ २६ विशेष उल्लेखनीय ११८वाँ ३३-४६ । * लि:क. बाई सिरेकंवरी, सायरगढमध्य लि.क. जयसौभाग्य, प्राठपहररा हा आदि भी हैं । * लि.क. श्राणंदराम चित्र सं० १८ लि.क. पं० जीवो लि.क. पं० प्रीतसौभाग्य लि. स्था. - जोधपुर लि.क. पुरुषोत्तम व्यास ६१ कवित्त लि.क. शान्तिलाभ, जेतारणमध्ये Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [१९६ कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रथाङ्क ६२५ परमल्ल जिनहर्ष सुजसविजय १०० लि.क.बाह्मणगुलाब, भगवंतगढ़मध्ये २५ ७८ | लि.क. मंगमल,प्रथमपत्र प्राप्त १०२ र.का. सं०१७२६ ग्यानसागर ३४ जिनहर्ष श्रीपालचरित्र चौपाई ६२६ ४००२ श्रीपाल चौपाई ६२७ ६९१६ श्रीपालचरित्र ६२८ ६३५१ श्रीपालचरित्र भाषा .६२६ ६५२७ श्रीपाल चौपाई ६३० ४१३८ ६३१ ७२४८ श्रीपाल नरेन्द्रकथा ७०८६ ६३३ ४४६३ श्रीपाल रास . ६३४ ६५२८ ६३५ ६३६ | ५३७३ (५)/ श्रीपाल रास (अपूर्ण) ६३७ ४४५२ (७७) श्वानचक १८५८ १८२३ १६२८ १६१७ १७६१ १८६४ १६वीं १८२३ १७३२ १८५७ १८७७ १८०६ १८वीं ६३२ हेमचन्द्र, रत्नशेखरशिष्य ज्ञानसागर विनयविजय १३ " ३१ १३७ लि.क. गोडीचन्द्र र.का. सं० १७२६ ५५ । र.का. १७३८ गुटका र.का. १७३८ १०६-११८ १२३ चौ फुत्तेके कान फड़फड़ानेके विषय में फलाफल-विचार .६७४६ १९वीं १८वीं १२० वा - ६३८ ६८६३ शकुनदीपिका चौपई ६३९ ४४५२ (६२) शकुन रा कवित्त तथा जैसिंह सवाई.. ३४० ४४५२ (३०) बखतेसयुद्ध शकुनरी चौपाई (अपूर्ण). ४४५२ (७) शकुनविचार | ४१६० शकुनावली . .. ५१२३(४) १८वीं ३१-३२ ११ वां . २ १६-२७ १७वीं १८वीं ४ यंत्रों का फल Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ६४४ ४६८६ ૬૪૧ ४७२५ ६४६ ४४५२ (६५) ६४७ ४१६६ ६५४ ५८६० ६५५ | ७७२० (७) ६५६ ४०२४ ६५७ ४८०४ ६५८ ६५६ ६६० ६६१ ६६२ शतसंवत्सरी ५०६५ ६१३१ ६१४० ६५४३ ६८४६ 29 शनीसररो गुणछन्द शनैश्चरकथा (स्नेहलीला ) श्रादि ६४८ ४७८८ ६४६ ४८२४ "" ६५० ६३०७ शनैश्चर छन्द ६५१ ६३८६ शत्रुञ्जयउद्धार ६५२ | ५४३६ ( २ ) शत्रुञ्जय रास ६५३ ६५३८ शत्रुञ्जयोद्वाररास शनैश्चर कथा शान्तिनाथ रास शारदाष्टक शालिभद्र चरित्र शालिभद्र चौपई शालिभद्र चौपाई "" 33 39 हेम कवि भानुमेरु नयसुन्दर मतिसार 12 "" लिपि समय १६वीं १६वीं १८वीं १८४० १६वीं १८३६ १६वीं १६६७ "1 १८वीं १८५४ १८वीं १८वीं १८वाँ १८४३ १७७५ १८१८ १८५१ १८२८ पत्र संख्या ६ ४६ ११६ वां २१ २ ६. ५-१७ ६ २२० ४५ वाँ १२ १२ १८ २५ ४८ २३ १७ विशेष उल्लेखनीय लि.क. प्रीतसौभाग्य लि. क. गोपाल मिश्र, पीरागपुरा वाला श्रासोपनगरे लिखितम् [ १६७ * र.का. सं० १६३८ लि.क. दानविजय, श्राविका लाडमरेपठनार्थम् १०४, १०५ पत्र अप्राप्त र.का. सं० १६७८ लिखितं सवाईजयपुर मध्ये लिखितं ग्वालियरमध्ये लि.क. शिवदत्तसागर लि.क. खुश्यालचंद Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ६६३ ७५६३ ६६४ | ७५६४ ६६५ | ५४५८ ( ५ ) ६६६ ४७७७ ६६७ ६८२६ ६६८ ७७३० ७७६७ ६६६ ६७० ७८३७ ६७१ ७७२२ (१३) ६७२ ५२६६ ६७३ ४०७१ ६७४ ५४१८ (२३) ६७५ | ४०१० ६७६ ४४१६ शालिभद्र चौपाई " शालिभद्र श्लोक शालिहोत्र "" शालिहोत्र ग्रंथ (गुटका ) शालिहोत्र ( सचित्र गुटका ) शालिहोत्र (सचित्र) शिवरात्रि कथा शीयलबावनी शीलरांस (नेमिनाथ रास) शीलरासा शकबहोत्तरी 71 षट्पञ्चाशिका भाषा षोडश कारण कथा ६७७ ७०१८ ६७८ ५३७६ ( ६ ) ६७९ ५३७६ (१७) | ६८० ५३७६ (१६) | षोडश कारण रासा ६८१ ६९३७ (६) सर्नंगी ६८२ ६५३६ 31 साम्बप्रद्य ुम्न चौपाई मतिसार 11 महाराज नकुल पंडित विजयदेव सूरि कवि जैत देवीदान देवदत्त मूल पृथुशा, टी. उत्पल भट्ट शुद्धकीति सकलकीति दादूजी समय सुन्दर लिपि समय १७७२ १८०६ १८५६ २०वीं १६१५ १६४३ १६वीं "" १७२७ १६वीं १७६२ १वीं १८६६ १७६० १७६६ " 22 "" १८२६ १७२४ पत्र संख्या १३ २६ १-१० ६० १०५ ३४ १३६ ६-७२ १२५-१५२ २ ७ १४-१५० -४७ ५० १५ ६०-६४ २०६-२११ २०३-२०६ | २६३-४३० १६ विशेष उल्लेखनीय [ १६८ लि.क. ऋषि चांपो लि.क. खुशाल, बेगमपुरमध्ये पत्र १ से ३ ग्रप्राप्त लि.क. राव जर्यासह दनोर, फतह बुर्जमध्ये चित्र सं० १९८ चित्र सं० ४८ लि.क. कासटीहा ५८ दोहे लि.फ. लब्धिसागर लि.क. विजयसमुद्र, जेसलमेर प्रथम पत्र प्राप्त लि.क. सति सुन्दरसौभाग्य कृष्णदुर्गमध्ये Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ १६६ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम समयसुन्दर ६८३ । ७४०१ । साम्बप्रद्युम्न चौपाई ६८४ | ४६१८(२)| सालिंगा सदैवच्छकी बात १६७३ १७६६ ७१७३ सालिंगारी वात ७७२२ (५) सालिंगासूरेरी वात ५४५८ (२) सदैवच्छसालिंगारी वात (सचित्र) ६८८ ४६२४ (१)| सदैवच्छ सालिंगारी वात ६८९ ४६१६(४) ४१४७ ६९८६ ६६२ ७७२० (२०) | ७७६८ | सदैवच्छ सालिंगारी वात (सचित्र १९७६ १६वीं १८३८ १७८७ १८७५ १८१६ १८५६ १८वीं १८५४ ३१ | लिखितं प्रार्या मरूपठनार्थम् २१-५२ / लि.क. प्रोहित जोधा, मनोहरपुर का २७ लि.क. मथुरालाल ५३-५६ / ६८ पद्योंमें रचित १-५४ | चित्र सं० ७ १-८ | जीर्ण प्रति ५४-७२ लि.क. सौभाग्य गणि ६६० १९-१०८ | लि.क. राधाकृष्ण ब्राह्मण १-७१६-२५ ७५ | चित्र सं० ७७ ६६३ | गुटका) ६६४ ७८४५ ___. .. १८४० ७-८४ | चित्र सं० १४ ६९५ | ५२०२(७) सदैवच्छ सालिगारी वात (अपूर्ण) ६६६ ४६१५(११)| साहजादा कुतुबुदीनरी वात ६९७ ४४५२(१६) सिखामण | ६९८ | ७२४७ स्थूलभद्र स्वाध्याय सिद्धिविजय ६६६ ४६२४(१४)| स्थूलभद्र सज्झाय ७०० ७४४४ (१२)/ स्नात्रविधि देवचन्द्र १२३-१४१ ३६१-३७६ १३१ वाँ ७३ शिक्षाके वाक्य १८८५ १८८७ १८वीं १९वीं १८वीं १८८५ " ३५-३६ २१२-२४५ Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ७०१ ४४५२ (७४) स्यालचक्र ७०२ | ५१२३ (८) | स्फुटज्योतिषचक्रादि ७०३ ७७५३ (१५) स्फुटपद्य ग्रन्थ नाम ७०४ ४४५२ (८२) संक्रान्तिफलचक ७०५ ४६७५ ७०६ .४६८५ ७०७ ७३३२ ७०८ ४६१५ (१२) सज्जनप्रेमवहा ७०९ ७४४४ ( १ ) सज्झायसंग्रह ७१० ७५३८ ७११ ६२८६ ७१२ ७४५० ७१३ ४०५.४ ७१४ | ७८१० (१) ७१५ ६७४७ संक्रान्तिविचारश्रादि "" संस्तारकप्रकीर्णकसबालाबोध "" सत्तरभेदी पूजासत्तरीशयठाणप्रकरण सतीगुणावलीचोपई सन्तदासकी वाणीश्रादि सन्तवाणी गुटका सन्ध्याप्रतिक्रमणविधि ७१६ ७०६० .७१७ | ४४५२ (६) सन्यासीरादशनाम ७१८ ५११६ सनत्कुमारप्रबन्धचीपई ७१९ ४६१४ (५१) सम्बोधसन्तान हा साधुकीर्ति गजकुशल सन्तदास वीरचन्द लक्ष्मीचन्द शिष्य लिपि समय १८८५ १८८५ १८३७ १८वीं १६वीं १८वीं १७वीं १८८७ १८८६ १८वीं १८५३ १६२३ "1 "3 १८६४ १६वीं १८वीं १८४० १८७७ पत्र संख्या १२४वाँ ५. ५ १६ १२३वां सियार के बोलने का शुभाशुभ विचार ४१-४६ | गोरखचक्र, धातुचक्र श्रादि ८-१०६ | सोरठ, राजुल प्रादिके दूहा, पद आदि ३३७-३८४ ३२७-३७३ ४ १४ ४० १२ ४-२६ ६६७ १४ १०व २० २७६-२८३ विशेष उल्लेखनीय [ २०० ११० कहा है लि.क. ऋषि रामाजी र.का. सं० १७१४ श्राद्य ३ पत्र प्राप्त जीणं प्रति प्रथम पत्र प्राप्त Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A ar... राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] ... क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या [ २०१ विशेष उल्लेखनीय ७२० | ४७२४ । समयरे राजारो फळ (वर्षपतिफल) ७२१ ५३७६ (१५)/ समाधि रास ७२२ / ४६१४(३)/ सम्मेद शिखर निर्वाणकांड ७२३ | ४८०२ । सरस्वती छन्द ७२४ ४२८७(१६) सवाई जैसिंघजीकोजोधपुर चढ़ाई ७२५ ४४५२(८३) सवैयासंग्रह ७२६ ७७५३ (१३) सवैया । ७२७ | ४२८७(३) सवैया इकतीसा १६वीं १७६१ १८७१ १९वीं १८वीं २०२-२०३ १५८-१६० श्याम, काशीराम आदि १८३७ १७२६ १२७-१३० १२४ वाँ ७० वा १२-१३ | स्वयं बनारसीदास के अक्षरों में लिखित ५ पद्य बनारसीदास १६वीं ७२६ ७२८ | ४०८१ | सवैयाबावनी | ४६०६(४) , ७३० ४४५२(१४) सवैयासंग्रह ७३१ ४४५२ (२०) सवैया, सपखरो प्रादि ७३२ ५५२४ सत्रह भेद पूजा राजसी राज कवि प्रताप, ब्रह्मगुलाल आदि १७६८ १८वीं साधुकीर्ति १८६४ ७३३ | ५४१० साठी संवच्छरी प्रादि १८वीं २५-३४ | लि.क. केवलसौभाग्य १७ वाँ लि.क. प्रीतसौभाग्य २० वा ९ र.का. १६१८, लालमण ढोलीरी पोशाळमध्ये ८३ | प्रश्नावली और मुहर्रम के चांद आदि का फल १३-१४ | लि.क. जयसौभाग्य गणि १२-१३ १३० वाँ ४७ ७३४ ४६२४(१२) सात वारांरा बिघड़िया ७३५ ४६२४(११) सात सखीरो संवाद ७३६ ४४५२ (६४) सात सखीरो संवाद (पहेली) ७३७ / ७३०५ | सिद्धान्तबोल १७१० १७६३ १८वीं १६१० Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -11 - . . . . . . . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २०- राजस्थानी ग्रन्थ ] [ २०२ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमात ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ५६ | अन्तिम तीन पत्र त्रुटित सा. चन्द्रावलि पठनार्थ ६ लि.क. कुशलहर्ष लावण्यसमय ७४० समयसुन्दर " ७३८ ७५४६ | सिद्धांतसारोद्धार ६३८३ | तिरी सांतणी भास ४००६ | सिंहलसुत चौपई ७४१ ४८२८ सिंहलसुत चौपई ७४२ ६५३६ सीताराम चौपाई ७४३ ७७५३(२) सीतासज्झाय ७४४ ५३७६ (१) सुदर्शनसेठको कथा | ७४५ | ४००७ सुनसेरा कवित्त ७४६ ४०८४ सुदर्शनसेरा कवित्त ७४७ ६२७४ सुबाहुचरित्र अादि ७४८ ६३८. | सुबाहुचरित्र ७४६ ४००८ सुभद्राततोरो चौढाळियो जिन हर्ष नन्द (?) दीयो कवि १७७६ १५वीं १७६४ १७वीं १८वीं १८३७ १७६१ १८८० १८८४ १९वीं १८वीं १८७६ ३०-३१ १-३१ र.का. सं० १६६३ | लि.क. ऋषि इन्द्रमाण २० लि.क. बाई चंपा जिनमाणिक्य सूरि ६ र.का.सं. १६००, जैसलमेरमध्ये ५ लि.क. स्थाविरजी श्रीवन रामजी मानसागर ७५० १९वीं ७५१ बनवारीदास धर्मवर्धनदास १९वीं ४६१२ । सुभापित ५४१८ (३) सुरतपंचमी कथा ५६३० सुरसुन्दरी चौपई ५६७५ सुरसुन्दरी चौपाई १-८७ ७५२ २८ ७५४ ४००६ पत्र सं०२० से २३ अप्राप्त लि.फ. नेमचन्द ४४ १८४२ १७८२ । १९वीं १८४८ १६८८ १९वीं ७२४४ ४८०१ ७३७४ মামীল धर्मवर्धन नयसुन्दर केशरविमल गणि ७५६ ७५७ सुरसुन्दरी रास | सूक्तिमुक्तावली लि.फ. राघवकेशव, राजकोटमध्ये लि.क. इष्टहंस Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] [ २०३ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या । कमाङ्क ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम ७५८ | ६४१८ ७५६ ७७२५ सूरजजीरो सलोको सूरजप्रकाश करणीदानजी १८४१ ३०० ' र का.सं. १७८७ । लिपिस्थान-बदनोर ७६० ६७५२ सेऊसमनकी परची गोविन्दराम (?) | ४०११ सोमवती अमावसरी वार्ता ७६२ । ७७२२ (३) सोरठरा दहा ७६३ ५४१८ (२२) सोलह कारण का रासा ७६४ ४६१४ (४५) सोलह स्वप्न वीनती । ६३५८ सौभाग्यपंचमी चौपई जिनरंग | ५८६२ हंसराज वच्छराज चौपई (सचित्र) | जिनोदय सरि १९२६ १८४३ १८वीं १९वीं १८७७ १८वीं १८३५ ३ लि.क. जीवणराम ४६-४८ ४३ दूहा १४७-१४६ २७४ वां २५ र.का. सं० १६८०, चित्र सं. १०३ ६४ से | १४३ पद्य ३४ | लि.क. ऋषि वृद्धिचन्द १६१० जिनोदय सूरि ० ४६ ७६७ ५४३१(२) हंसराज वच्छराज चौपई (अपूर्ण) ७६८ ७४०२ हंसराज वच्छराज चौपई ७६६ ६५३५ ७२२७ हंसराज वत्सराज रास ७७१ | ५२०६ । हसवत्स चौपई (सचित्र) ७७२ | ५४३१(१) हंसावली (अपूर्ण) ७७३ ४४५२ (७०) हणमंतरो छन्द ७७४ ७७२१(१४) हनुमान छन्द ७७५ / ४६०२ हम्मीर रासो ७७६ ५ १६वीं १८८३ १८वीं १६१० | र.का. सं. १६८० ६२ / चित्र सं. ६५ १५-६४ १२० वा २०१-२०२ ५६ लि क. पांडे नाथूराम गौड़ १-७० लि.क. मनसाराम ब्राह्मण नरहरदास कवि महेश १६३१ १७८७ १९४४ Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २० - राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ७७७ ७७८ ७७६ ७१६७ ६४४६ (४)| हरजस ४०१२ हमीरहरु वार्ता ७८० ४८२६ " ७८१ ७७२१ ( ६ ) हरिजस नाममाळा ७८२ ७८८ ४४५२ (६२) ७८६ | ४६२४ ( ६ ) ७६० ४४५२ (२४) ७६१ ७४१७ ७६२ ४१६८ ७६३ ४८३६ ७६४ ४६०५ हरियालीरा दूहा आदि (१०,११,१२) ७८३ ४१२४ ( ८ ) हरिरस हरिचंद रास ७८४७७२१(१२) ६८५ ७७५० ( १ ) ७८६ ५३४३ आदि ७८७ ४६१४ ( २ ) हरिवंशपुराणनो रास ७३६७ ग्रन्थ नाम 15 " " हाथियांरा बखाण हाथीरा बणाव हिंगुलाष्टक हिंडोलण श्रादि हीर रांझ्या को तमासो क्षेत्रसमास "1 जिनहर्ष कनकसन्दर रतनुंहमीर ईसरदास " ܙ "} ग्रहाजिणदास नाहरखांन राजसिंहोत रामसरण (?) रत्नशेखर सूरि लिपि समय १८६७ १६वीं १८८२ १८८५ १८२५ १६वीं १७६३ १९३१ १८६० १८वीं १८७१ १८वीं १७६३ १८वीं १७व १६५४ १७८२ १७वीं पत्र संख्या ६६ १-४ २५ १७ १४४-१६५| ३६-३८ १-१० | १८० - १६६ १-२१ ५. ७-५७ १७१ - २०१ | १३० व ११ व २४ व १ ३२ ७१ १५ विशेष उल्लेखनीय गुटका [ २०४ लि.क. पं. क्षेमाधि र.का. सं. १६६७ अंतिम पत्र पर सोलह शृंगारों की सूची लि.क. फूलगिरि लि.स्था. वीरवार लि.क. चंद्रकीर्ति, एहमदाबाद नगरे रोमकंद छन्दों में वर्णन लि.क. पं. खेतसी लि.क. नाथूनारायण शर्मा पत्र सं. १,२ प्राप्त, जैसलमेरनगरे लिखितं Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २०५ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २०-राजस्थानी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क लिपि समय | पत्र संख्या | विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क | क्षेत्रसमास ७६५ / ७४०३ ७६६ ७५२३ ७९७ ४४२४ ७९८४०२१ , गणित ॥चौपाई १८५१ १८३६ १६८२ १८२१ ६ र.का. सं. १५३६ १२ | तालिब ग्रामे लिखितं १४ | र.का. सं. १५६४ २० र.का. सं. १६८६ (?) उदयपर नगरे मतिसागर रत्नशेखराचार्य ,, प्रकरण सबालावबोध RamronmeDramasexroundsonParoneamrue TOPHTOT Dase Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग- २१ २१ - हिन्दी ग्रन्थ ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क १ ४४५२ (१०२) अकडमचक्र २ ४०३८ .३ ७७२० (६) ४ ४९१४ ( ६ ) ५७७२० (५) ६ ५३६२ ५३६३ ७ ५ ६ १० ११ १२ ५३६४ ५३६५ ५३६६ ५३६७ ५३६८ अंगद वसीठी सवैया श्रध्यात्मछत्तीसी अध्यात्मबत्तीसी श्रध्यात्मरामायण भाषा ( अयोध्याकांड ) अध्यात्मरामायण भाषा ( वनकांड ) श्रध्यात्मरामायण भाषा (किष्किंधाकाण्ड ) श्रध्यात्मरामायण भाषा ( सुन्दरकांड ) अध्यात्मरामायण भाषा ( युद्धकाण्ड) श्रध्यात्मरामायण भाषा (उत्तरकाण्ड) हीर कवि भान बनारसीदास "" अध्यात्मरामायण भाषा ( बालकांड) भगवान अर्जुन नागा शिष्य ( निरंजनी) १३ | ४२१६ (३) श्रनेकार्थी " 55 "" " "" "} "1 "1 नन्दवास १८वीं १६वीं १८वीं १८७१ १८वीं १८वीं 17 " 34 ५ ܝܪ 33 १७८३ १८५६ पत्र संख्या १३६वाँ ३ ४३-४५ १६६-१६७, ४२-४३ ३२ ४८ ३७ ३१ २१ ६५. ३६ १६२-१६६ विशेष उल्लेखनीय अंगद रावण संवाद का वर्णन है। रचनाकोल सं० १७४१ * रचनाकाल सं० १७२८ लि.क. मेघा, नागपुरमध्ये Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] कमाङ्क ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम [ २०७ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या भगवानदास निरंजनी ५६ १८२२ अमृतधारा १६वीं अपूर्ण ६७५३ ४८०३ ७४६१ ४०३७ अलङ्कारदीगक | अलङ्कारमाला शंभूनाथ मिश्र (सुखदेव शिष्य) सूरत मिश्र १८वीं १४ । | ४२७० अलङ्काररत्नाकर अष्टावक्र प्रकरण भाषा अक्षरबत्तीसी २१ ४२८७ (१२) अक्षरबावनी | ५६८० आत्मप्रकाश । ६२४० आत्मानुशासन भाषा दलपतिराय १९वीं १८६४ १७२६ सुन्दरदास १७२८ आत्माराम (दौलतरामजी शिष्य) १९वीं गुरगभद्र १८५८ र.का. सं० १७६६ श्रागरा में रचित ६० वंशीधर कवि की व्याख्या सहित लि.क. बुधराम दादूपंथी लि.क. रामचन्द्र ९३-९८ ३६२ १३८ । लि.क. ताराचंद ब्राह्मण डांगरवाड़ा का, नगर महुवा मध्ये ५१ वां १०५-१०४ ११ २४ ७७२० (१७) आत्माराम गीत २५ | ५४१८ (8) आदीश्वर के रेखते २६ | ४६१७ । आनन्द विलास ६७२१ - इतिहाससमुच्चय भाषा २८ | ४२६३ (३) इश्क दरियाव महाराजा यशवन्तसिंह लालदास रसराशि १८वीं १६वीं १७४३ १८१२ १८८२ ८६ कवि जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह का प्राश्रित था १७-१६ २२-२७ | लि.क. जयसौभाग्य गणि २६ । | ४२६३ (४) इस्कफंद ३० ४६२४ (१७) उपदेशछत्तीसी " जिनहर्ष १८वीं Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २०८ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कृष्णदास ३१ / ६३२३. | उपदेश बावनी ५१६६ उपाख्यान सहित दश लीला १६वीं | १९२१ लाला सुन्दरलाल १८६७ १६०७ १७५८ १९वीं १८वीं | ४३१३ ऐन पचीसी | ५४०१ . कर्मविपाक करुणाभरण नाटक ३६ १७५६ (२) कालको अंग । ३७ ४४५२ (२७) कवित्त कुण्डलिया ३८ ४४५२ (२१) कवित्त बावनी ३६ ५३७४ कवित्त संग्रह ४०५३८२ कविप्रिया | ५३८० (१) ७०६४ काव्य सिद्धांत कृष्णजीवन लच्छीराम सुन्दरदास केशव, गङ्ग खेमचंद आदि प्रानंदघन जगदीश कवि केशवदास १० र.का. सं० १७७२ ३-२६ . लि.क. ब्राह्मण बालमुकुन्द, मथुरा मध्ये ८ : जयपुर में रचित २५ लि.क. हरिदास २३-५१ लि.क. चैनकुंवरी २२-३१ २६वाँ २१-२२ ५६ : ५३२ कवित्त है १६३ . * १००० कवित्तों का संग्रह ११२ । पत्र सं०७६ से २४ अप्राप्त १८४६ १८६३ १८वीं १८४६ २०वीं १८६० सूरति मिश्र ४१४० शिव कवि ४२६४ किशोर कल्पद्रुम | ५२०१ किस्सा गुलबकावली ७७४४ (७) कृष्णजीको रसोई ४६ ६८२८ कृष्णसागर ५० | ५४१७ कृष्णायन कथा चौपई १मपी १९वीं १७५८ १६वीं ७४-५८ ३१ लि.फ मपि देवराज १६६ प्रथम पत्र प्राप्त ३-७६ ५७-६२ २०० १७५ १८४६ पच । र.का. सं० १८३६. स्थान-श्रागरा Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २०६ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २१-हिन्दी ग्रन्थ ] __ कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय । १८वीं १६१२ १८१३ ५३ १-२४ १०७-१११ / लि.क. इन्द्र मिश्र | लि.क. विजय गणि लि. स्था. रतलाम २७-३१ | लि.क. प्रीतिसौभाग्य गणि ४८ ५८ । ५१ / ५३७१ (५) केनोपनिषद् भाषा । श्रीकृष्ण भट्ट ५२ | ५४२० (७) कोकमंजरी | ७७५२ कवि आनन्द | ४१५८ | कोकसार प्रानन्द कवि ४४५२ (२६) ५६ | ४६२२ | खिल प्रकरण (योगवासिष्ठान्तर्गत) | ५७ / ५११० खालिकबारी । ५३७० गङ्गा आगमन कथा रस पानन्द ५६ । | ६३४३ (२) गङ्गालहरी पद्माकर ५४०२ गणितसार हेमराज ५८७४ गणेशपुराण भाषा मोतीलाल ६२ ५४०६ | गीतगोविन्द टीका चिन्तामणि ४२८८(४) गीता भाषा (पद्यानुवाद) हरिवल्लभ ६४ | ७१७१ । गीतामृत सार मकरन्द | ४६०५ गुरुदेव को अंग सुखसागर ६४४६(३) गुरुस्तुति | ५८६६(३) गुलजार इश्क अनवर इकबाल का किस्सा ५२०४ | गुसाईंजी की वन-यात्रा ६६ । ४६०६ (५) गूढार्थ दोहरा वृन्द आदि ७७४४(८) गोपाल लीला तुलछीदास : १८०४ १८५३ २०वीं १८६३ १८८६ १७९४ १६वीं स्वयं कवि द्वारा भरतपुर में लिखित १२-२७ कोटा में लिखित, त्रुटित १८८६ २०वीं १९वीं ४० | चन्द्र कुलसंभूत पहाड़सिंहप्रीतये ११३ १७३ श्राद्य २ पत्र प्राप्त २५-३१ ४१-४२ १२-८२ ४१ ३४-४५ ६२-६६ ७० १७५८ Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २१ - हिन्दी ग्रन्थ ] ग्रन्थ नाम कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाङ्क ७१ ६६८८ ७२ ७७२० (१६) ७३ ७७३४ ७४ ५३६७ ७५ ७६ ७७ ५३८१ ७८ ६३४६ ७६ ५४३८ ( ५ ८० ४६१३ ८१७७२० (१८) ७११५ ८२ ८५ ५३८३ ५३४७ (१) ८६ गोपीजनवल्लभोत्सव प्रकाशिका गोरखवच निका गोवर्द्धननाथजी की प्राकट्य वार्ता गोविन्दविलास ६७६३ गोविन्दानन्दघन चकत्ता पातशाही की परंपरा चन्द्र मुकुट चन्द्रकिरण रानीकी बात चरनाई की पाटी श्रादि ८३ ५३८२ ( २ ) छक पचीसी ८४ ५३७७ छद्मषोडशी छन्दरत्नावली ) चिन्तामणि माला चितावणी संग्रह चेतन सुमति गीत चौरासी वैष्णवों की वार्ता ५८१६. छन्दलता कृष्ण कवि गोविन्द नाटाणी नन्ददास रामेश्वरदास श्रादि बनारसीदास जगदीश कवि वृन्दावनहित हरिराम चिन्तामणि लिपि समय १६वीं १८वीं १६२३ १८६७ १६वीं " १८३७ १८८७ १८६० १६वीं १८वीं १६वीं १८६३ १८६० १९२० १६०६ पत्र संख्या ४२ ५१ वाँ ४८ ११६ ३० १४१ १-३० ८५ ६२-६६ ५१-५२ २७० १८६-१६३ ७१ १० ३१ [ २१० विशेष उल्लेखनीय जयपुर के गोपीजनवल्लभ मंदिर की निम्बार्कीय पूजा प्रणाली बदनोरमध्ये लिखित र.का. सं० १८६३, कवि गोपालसुत, ग्वालियर वासी कवि जयपुर वासी र.का. सं० १८५८ लि.क. लाला तुलसीराम सेनवंशी र.का. सं० १५०८ रूपनगर में उम्मेवकुंवर वांकावती ने लिखवाई लि.क. भट्ट श्यामसुन्दर राधाकृष्ण लीला वर्णन, वृन्दावनमें लिखित र.का. सं० १८२५, पुरनगर में लिखित .लि.क. व्रजवासी, वृन्दावन मध्ये Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी-ग्रन्थ] [ २११ लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम सुखदेव मिश्र १८७६ २५ लि.क. संगम कवीश्र १८वीं २४८-२५३ ८७ ४२१३ छन्द विचार ८८ ५३७६ (२२) ज्येष्ठजिनवर कथा ८९ ६३०३ जिनदत्त चरित्र चौपई ६० ७७४६ (१) जोग लीला ६१ ४२८७ (७) तकं चितावनी ६२/५३७१(२) तैत्तिरीयोपनिषत् भाषा ६३ ७७२०(१०) दसदान ९४ ५४०७ दक्षनविलास विश्वभूषण उदय (?) सुन्दरदास श्रीकृष्ण भट्ट १७६६ २०वीं १७२८ २६-३३ | लि.क. आनंदराम १८वीं १८६४ ९५ / ४३१६ दानलीला ६६ / ५४३८(४), दक्षन कवि (अहमदउल्लाह, बहरियावाद के) कृष्णदास परमानंददास म प्रतापसिंहजी दुखहरण वेलि ४६ वा ___३७ र.का. सं० १७२२, राधाकृष्ण के शृंगार का वर्णन १४३-१५२ ५६-६२ ३४, ३५ १६, २० ५६, ६० १०३ | संग्रह समय-१७२०, भरतपुर में लिखित, प्रथम पत्र अप्राप्त १६ १९२८ १८६० १८वीं १९वीं १९१४ १८८४ ६८ ४३०६(१०) ७४४१(११) १०० ५३६१ । दोहासार अग्रदास १९वीं १०१, ५४५५(१) ध्यानमञ्जरी १०२ ६०८८ १०३ / ६३६४ १०४ ४२८८(२) ध्रुवचरित्र १०५ | ५४१२(२) गोपाल शशिनाथ माथुर (सोमनाथ) १८८६ | १८५७ १७-४५ १-२० र.का. सं० १८१२, | कवि भरतपुर वासी Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २१२ कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ७१५८ १०६ १०७ १०८ ६३१६ ध्रुवचरित्रादि धर्मपरीक्षा धर्मसार चौपाई नयचक भाषा मनोहरदास सोनी पं० शिरोमणिदास विलास १८०५ १८६० १९वीं १९०७ आद्य पत्र अप्राप्त र.का. सं० १८११ र.का. सं० १७३२ ४७ | र.का. सं० १८६७ करौलीमध्ये लिखितं ६१४५ | नयनसुख केशवपुन १-४४ चित्र सं० २ १-४६ ४५ वा १४१-१४२ बनारसीदास ११० | ७३५१ . नयतत्त्वविचार सार्थ १११ / ७७६६ (२) नयनसुख (वैद्यमनोत्सब) ११२७००६ नयनसुख .. ११३ ६८३५(१०) नवकारमंत्र . ११४ | ७४४२(१) नवतत्त्वभेद ११५ ७७२० (८) नवदुर्गाविधान ११६ , ७७२१ (७) नवरत्नकवित्त ११७ | ६८३५(५) नागोरीगच्छपट्टावली ... ११८७७२०(8)/ नामनिर्णयनिधान . ११६६३४३(४)/ नाममंजरी (मानमंजरी) .. १२० ७७६७ १२१ ६८३३(१) नायिकाभेद - . . . १२२ | ५४१६. नासिकेतकथा भाषा १२३ | ४५५७(१) नीतिमंजरी १२४ | ७४४१(१) नीतिमञ्जरी १६वीं १८५६ १८८४ १८६६ १७६४ १८वीं १८२५ १८६६ १८वीं १८८४ १८१३ १८४८ १८८५ १९वीं १६१४ नन्ददास नन्ददास म. प्रतापसिंह ४५-४६ ४२-६६ १८ लि.क. उदयराम ब्राह्मण २-५ अपूर्ण, प्रथम पत्र प्राप्त ४७ लिखितं जिगनीमध्ये १-१३ / लि.क. महात्मा ज्ञानीराम लि. स्था, उदयपुर, . | सेठ गंभीरमल पठनार्थ १-१३ .... १२५ । .७७४६ (१) , २०वीं Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] ___कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम [ २१३ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या १२६ । ५३७२ नेहनिदान रसग्रानन्द १८६६ वृन्द कवि १२७ १४४५२ (४०) नैनबत्तीसी १२८ ७७२१(८) प्रकीर्ण कवित्त १२६ ७७२० (१६)/ प्रकीर्ण पद १२० | ५४०८ प्रतापविलास स्वयं कवि द्वारा भरतपुर में लिखित ४४-४५ | र.का. सं० १७४३ १४३-१४४ ५२ वा काव्यप्रकाश पर आधारित रसग्रन्थ १८वीं १८२५ १८वीं १९वीं बनारसीविलासान्तर्गत वृन्द कवि १६ प्रबोधपंचाशिका १३१६२६२ । १३२ ४८०५ पद्माकर भट्ट सुन्दर कवि २० प्रबोधपचीसी १८६३ १९वीं गोपाल श्रीकृष्ण भट्ट १८८६ १८वीं १८वीं २ | कवि खरतरगच्छीयशांतिदास का शिष्य है ४२-८८ ३५-६४ ४७-४८ ५१ सवैया हैं २३-२७ ७५-८० १९वीं १३३ | ४२८८(३) प्रल्हादचरित्र १३४ | ५३७१(३) प्रश्नोपनिषत् भाषा १३५ ७७२०(१२) प्रास्ताविक सवैया १३६ | ५२२४. प्रास्ताविक सवैया (प्रश्नोत्तर) १३७ ४३०६ (१२)/ प्रीतिपचीसी १३८ ७४४१(१६) १३९ | ७७४६ (६) १४० ४२६३ (११)/ प्रीतिलता १४१, ४३०६ (६) १४२ | ७४४१(८) १४३ / ४२६३ (८) प्रेमतरङ्गिणी म. प्रतापसिंहजी रसराशि म. प्रतापसिंहजी १६१४ २०वीं १८वीं १९वीं १९१४ १०-१६ १०-१३ ४६-५२ १-२३ | कवि म. प्रतापसिंहका प्राश्रित था मुरलीधर भट्ट १८वीं Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २१४ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय म. प्रतापसिंह १४४ ४२६३ (१२)/ प्रेमप्रकाश १४५ / ४३०६ (४) १४६ ७४४१(१३) १४७ | ५३४७ (२) प्रेमरत्नाकर १८वीं १६वीं १९१४ १८३७ १७-२० ६-८ ६३-६६ ३०-४० देवीदास र.का. सं० १७४२, म. कु. रतन. पाल, करौली प्रशस्ति परक - १८वीं १८८५ १८४३ १५० १४८ | ४७६४ पंचाध्यायी १४६ । ५२०२(६), पंचाध्यायी (भाषानुवाद) ४२६५ (१)/ पंचाध्यायी १५१ ७७५६(१)/ पञ्चेन्द्रियोपदेश ... १५२ ४२६२ पदमुक्तावली १५३ ५३७८ पदसंग्रह नन्ददास वंशीअली नन्ददास सुन्दरदास श्रीनागरीदासजी किशोरीली गोस्वामी १६वीं ११४-१२३ १०-२६ प्रथम ३ पत्र प्राप्त ६२ त्रुटित २१२ जलविहार भ्रमर गीत, सांझी प्रादि से सम्बन्धित पद ६६ निम्बार्क संप्रदाय सम्बन्धी पद हैं ११० जैन धर्म सम्बन्धी पद १२८ | वल्लभ संप्रदाय के पद ३०८ पद १५४ ५४४० " ६८४२ १५६ । ७८१५ १५७ ७८३६ ५१७७ १५६ । ७७३८ । रसनायक १५८ १८८६ १९वीं १८वीं १९२३ नन्ददास श्रादि पाण्डव पाण्डवयशेन्दुचन्द्रिका स्वरूपदास १३६ | लि.क. पठान उमेदखां, बदनोर राज्ये ११२ लि.क. वैष्णव हरिदास ... १६० / ७७४२ १६१४ Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २१ - हिन्दी ग्रन्थ | कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क १६१ ७७३६ १६२ ६३३१ १६३ ६१७७ १६४ १६५. १६६ ६६२१ ७१०८ ५६६६ १६७ | ६३४३ (३) १६८५२०५ (१८) १६६ ७७४४ (१०) १७० ४३०९ (१३) १७१ ७४४१ (४) १७२ ५१२३ (६) १७७ पाण्डवन्दु चन्द्रिका पातसाहनामापरि रमल पार्श्वनाथपुराण भाषा "} ग्रन्थ नाम 17 पारासोमल की क्रिया पिंगलसार पूजाविधि पूरणमासी कथा फागरंग ग्रन्थ फाग रंग १७३ | ४२६४ १७४ | ४३०९ (१५) | व्रर्जासंगार १७५ ४२६३ (१०) व्रजशृंगार १७६ | ७४६० ब्रह्म विलास फालनाम फारसी फुटकर कवित्तसंग्रह ५३७१ (१) ब्रह्मसूत्र भाषा स्वरूपदास भधर भूधर बुध मोहन श्रीवल्लभाचार्य म. प्रतापसिंह " अनेक कवि म. प्रतापसिंह 11 भगवतीदास श्रीकृष्ण भट्ट लिपि समय १६४१ १६१२ १८०१ १६वीं १७२५ १६वीं "1 १६वीं १८वा १८४६ पत्र संख्या १८वीं ३६६ ३ ६५ १८८६ १८वीं १७५८ ७२-११५ १८६६ २८-३१ १६१४ ३५-४० १८वीं २८-२६ ११८ ४५-५० १-६ १२४ ६४ ८६ S २७-३८ ८८-६१ १-२७ विशेष उल्लेखनीय [ २१५ लि.क. वैष्णव सीतारामदास र.का. सं० १७८६, आगरा में रचित पत्र सं० ४०, १५ श्रप्राप्त र.का. सं० १७८२ रजत श्रादि धातुत्रों की निर्माण विधि ४२५ कवित्त हैं। र.का. सं० १७५५, कर्ता श्रागरानिवासी लालजी कटारिया का पुत्र लि. क. महात्मा श्योजी (शिवजी ) Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; २० - हिन्दी ग्रन्थ ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाच ग्रंथाङ्क बनारसीविलास १७६ | ७४४२ (२) बनारसीविलास भाषा १८० ५४२८ बल्लभाख्यान १७८ ४७८५ १८१ ५३८७ बहत्तरी १८२ ५२०२ ( ५ ) बारहखड़ी १८३ | ५४२० (४) १८४ | ५४२६ ( १ ) | १८५ | ५४२६ ( ३ ) | १८६ | ५४२६ ( ९ ) १८७ ५४२६ (११) १८८ | ५४२६ ( ४ ) | १८६ | ५४२६ (५) १६० ५४२० ( ६ ) १९१ | ५४२० (५) | १६२ ५४०३ १९३ | ५४२६ ( ६ ) १९४ : ५४२६ (७) १६५ | ५४२६ (८). १६६ ४७६० "} "1 " " " " "7 "1 11 "" प्रह्लादजी की परमेश्वरजी की बारहखड़ी) बारहखड़ी सूरत की वारहमासी ܐܙ रामायण की विरह की (ब्रह्मस्नेह बावनी सवैया बनारसी गर्ग, अग्रवाल गोपालदास मोहनदास दत्तलाल 21 विष्णुदास ठण्डीराम शिष्य दत्तलाल भवानी कुशला रामरत्न सूरत, देवधर शिष्य मुरलीदास भवानी (अवधपुर वासी ) सूरदास जसराज लिपि समय १८वीं १७६४ २०वीं १७६९७ १८८५ १६वीं "" "" "" "" "1 "7 "9 "1 "" == पत्र संख्या ११५ १-११६ ५३ ८ १०६-११४ ६७-१०३ १-१२ २६-३५ ४६-५३ १-५ ३५-३८ ३८-४२ | १०३-१०७ १०३ ५ ४२-४७ ४७-४६ ४६ पाँ ४ [ २१६ विशेष उल्लेखनीय र.का. सं० १७७१, पत्र ८६ से ६६ श्रप्राप्त लि.क. नरसिंह अग्रवाल भाषा पर पंजाबी प्रभाव है Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क 'ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता प्रादि ज्ञातव्य [ २१७ विशेष उल्लेखनीय । लिपि समय | पत्र संख्या १९७ | ४३०७(१) बिहारीसतसई बिहारी १७८७ १९८४४१२ १८१२ लि.क. यति कुसला मालपुरामध्ये ५०-६१ लि.क.प्रीतसौभाग्य गणि, खारिया नामे ३५-१३५ । अंत में होराचक्र और स्फुट कवित्त हैं १६६४६०७ (३) १८३७ २०० टी. कृष्ण कवि ६३४२ (४) २०१ | ४१४४ बिहारीसतसई सटीक २०२ ४२१६(२) बिहारीसतसई टीका २०३ ६३१५ २०४ ४४१२ बिहारीसतसया २०५ | ४२६१ | बुद्धिसागर १९वों १८०२ १८५६ १९वीं १७६६ १८६८ १३२ ७२-१६० ५६ अपूर्ण बिहारी कवि जान मुकुन्ददास २०६ / ५४२६ (२) भ्रमरगीत टीका, प्रेमरसपुञ्जनी २०७ ६७२६ भवरगीत २०८ ७७४६ (५)/ भंवरगीत २०६ ७७४४ (६) , २१० ५४०० भक्तमाल टीका २११ ५४७६ भक्तमाल टीका रसबोधिनी नन्ददास रसिकराय मू. नाभादास, टी. प्रियादास १९वीं २०वीं १७५८ १९वीं १६०० १५ लि.क. मुनि मनोहर २०० | लि.क. झूझणू वासी बिरामण .. रामधन १२-२६ १७ प्रथम पत्र खण्डित १-६ ५१-५७ १६५ ३०६ र.का. सं० १७६५, बून्दी में लिखित १४१ / लिखायितं माजी जोधपुरीजी २१२ / ५४०६ भक्तमाल टीका १७६९ Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २१८ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या | विशेष उल्लेखनीय २१३ | ६७५५ | भक्तमाल टीका लालदास १८९३ ६६३६ लालदास १८७० प्रियादास नारायणदास शिष्य ६५७१ १८६४ १०४ | लि.क. हेमदास, कबीरशाह को साधक लि.क. गोपालदास अवन्तीमध्ये शेषशायीमन्दिरे ११६ र.का. सं० १७६६ लि.क. रामकृष्ण महाजन २०५ २७६ १६५ र.का. १७६६ लि. स्था०बदनौर १३२ | लि.फ. शिवरामदास, गङ्गापोल, जयपुर १८वों २१६ २१७ ६०५४ ६४४८ ७७३२ भक्तमाल टीका रसबोधिनी भक्तमाल सटीक प्रियावास २१६ ७८३१ लालदास २२० कृष्णदास चरणदास ६५७६ | भक्तमालमाहात्म्य २२१ ५४२४ । भक्तितरङ्गिणी | ६८२६ (१) भक्तिपदार्थ ५४१३ | भगवद्गीता भाषा पद्य ७५०८ भगवद्गीता भाषा पद्यानुवाद भद्रबाहुचरित्र चौपाई १९वीं १९४१ १६०२ १६०० १७७४ | ६१४८ ४० लि.फ, इन्द्र मिश्र, स्थान नगर १-१४४ अन्त में भजन हैं ८६ लि.फ. हरिदास ब्राह्मण, वैराठ ८८ लि.क. डालचंद ब्राह्मण, शाहगंज दिल्ली र.का. सं० १७७०, कई स्थानों पर प्राचीन पत्रों के स्थान पर नये पन लिखे हुए हैं लिखितं अलवरसहरमध्ये किशनसिंह सांगानेर के १८२७ ६१५१ | भद्रबाहु चरित्र भाषा किशनसिंह सिंघवी | किशनसिंह १९०६ १६०६ Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२, २१- हिन्दी ग्रन्थ ] [ २१६ लिपि समय कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय पत्र संख्या ग्रन्थाङ्क । ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ६५-६७ ४५६-४६७ १०५ छन्द हैं २२८ | ५४२० (३)| भतृहरिशतकत्रय भाषा पद्यानुवाद | म. प्रतापसिंह १९वीं २२६ | ४३०८ (४) भरथचरित्र जनगोपाल (?) १८वीं २३० ६०१० भविष्यदत्त चौपाई ब्रह्म रायमल १९वीं २३१ | ६६३७ (५) भागवत, एकादशस्कन्धानुवाद चत्रदास १८११ २३२ | ४२५६ | भागवतचरित्र नारायण लीला माधवदास १८वीं २३३ । ७१७० भागवत दशमस्कन्ध की भाषा हरिवल्लभ १९८० २३४ । ६८३० भागवत भाषा कविराय मोतीराम आणं दसुत । १९वीं २३५ ६०६८ हरिवल्लभ १७८९ ६०६० भागवतभाषानुवाद (द्वितीय स्कन्ध) | नागरीदास २३७ ४२६५(२)| भावपञ्चाशिका वृन्द कवि २३८ । ४८१३ | ४६०६ १९वीं १७६३ १८३६ १७६८ २१०-२६३ | लि.क. रामदास, निराणा ग्राम ३६ लि.क. जती जीवणसागर ६१ | गुटकाकार १०३ | जीर्ण प्रति ६५ लिखित रूपावास मध्ये, ब्राह्मण केशवरायजी ३३ | पत्र सं० ५, ६, १७ अप्राप्त ४-१४ लि.क. डालूराम ६ लि. स्था०-लींबड़ी १३ र.का. सं० १७४३ लि.क. केवलसौभाग्य . २५ | लि.क. गोपाल ब्राह्मण १-७३ २५-२६ १६वीं २६ २४२ ५४३२ भाषाभरण २४१ ५०४८ भाषाभूषण ६९७६ (१)/ भाषाभूषण टीका २४३ ४२६३ (६) भाषासरोदय २४४ ५३०६ भास्करवंशप्रदीपिका २४५ | ४०८२ । भीषमबावनी २४६ / ४१७६ | भोगलपुराण सरस्वती (वैरीसाल) म. जसवन्तसिंह नन्ददास रसराशि १८६० १८८२ १८वीं तेजसिंह भीषम १० १९वीं Swami- Eneratnanver ६१-६६ Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २२० विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय | पत्र संख्या क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ४ | मोहर्रम और वारों का विचार मनीराम १९वीं १६०२ १९६६ २५० ६. १६१४ १९वीं. १-२० नन्ददास श्रीकृष्ण भट्ट सार कवि नन्दराम अन्तिम पत्र त्रुटित १८वीं १८५६ १८८७ १८८२ ३६०-३७० २-१९ प्रथम पत्र प्राप्त रसराशि २४८ | ४७२२ । मतिचन्द्रिका - २४६ ४३०६ (१) मनीरामपचीसी ६८३५ (७) महावीरस्तवन .. २५१ ६८३५(११). २५२ ७१५६ माखन लीला २५३ ५३७१(४) माण्डूक्योपनिषद् भाषा २५४ | ७६४८ मातृकाक्षरबावनी कवित्त-संग्रह २५५ ४२१६ (९)| मानमञ्जरी नाममाला २५६ ४६१५(१) , २५७ ४२६३(२) मानमञ्जरी नौका २५८ ४२६३ (५) मालिकमुकाम २५६ ७७२०(११) मिथ्यात्ववानी २६० ४३०९(५) मुरलीविहार २६१ ७४४१(१०) २६२ ४४५२(१५) मुहूर्तचक्र । २६३ | ५४१६ यदुराज विलास २६४ । ७५६४ याज्ञव याज्ञवल्क्यस्मृति भापा .. २६५ | ४३७१ | योगवाशिष्ठसार भाषा पद्य - २६६ ४३०६ (१६)/ रंग चौपाई २६७७४४१(१४) , ... २६८६७७६ - रत्नपरीक्षा २०-२४ ४६-४७ | म. प्रतापसिंहजी १८वीं १९६६ १६१४ " १५वीं २०वीं रघुनाथ द्विज गुरुप्रसाद । कवीन्द्राचार्य सरस्वती म. प्रतापसिंहजी ५७-५८ १८वा लि.क. प्रीतसौभाग्य २२५ र.का. सं० १९३३ २१ / लि.क. गोपीनाथ शर्मा २० ५०-५६ ६६-६८ . २१ / र.फा, सं०-१७५५ १९वीं १६१४ १६वीं . रत्नसागर . Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .......: राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २२१ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क क्रमाङ्क म. प्रतापसिंहजी १९वीं १५-१६ ४२-४३ १६१४ १९वीं २६६ | ४३०६ (८) रमकझमक बत्तीसी २७० । ७४४१(६) , २७१ / ४६६६ रमलज्ञानशकुनावली २७२ | ५४३४ रसकवित्त संग्रह २७३ | ५४२२ रसपीयूषनिधि २७४ | ४६२३(२) रसमंजरी ६३३७ रसरतन काव्य २०वीं १५४ १३३ र.का. सं १७६४ शेख आलम सोमनाथ प्राचार्य नन्ददास प्रधान पुहकर १८५५ १७२८ १८५० १८-२४ २७६ ४२१६ (६) रसराज मतिराम २७७ ६३४२ (२) रसराशिपच्चीसी रसराशि २७८ ७०६२ रससमुद्र चैनराम, (भोलानाथपौत्र) २७१ ४४५२ (२) रसिकप्रिया केशवदास २८० ४०१४ रसिकप्रिया २८१ ५३८० (२) रसिकप्रिया २८२ | ७७२० (३) रसिकप्रिया २८३ | ४६२५(१) रसिकप्रिया, राजस्थानी भाषा में अर्थ सहित २८४ | ७०६३ | रसिकप्रिया टीका जोरावरप्रकाश | जोरावरसिंह २८५ / ४२१६ (५) रसिकप्रिया टीका २८६ | ४२१७ (१) रसिकप्रिया केशवदास २८७ | ४२६३ (१) रसिकपच्चीसी रसराशि १८५६ १९वीं १८६१ १९वीं १७६६ १८४६ १७५६ १८२६ २३२ श्राद्य पत्र अप्राप्त, सं० १७२३ में रचित २६४-३१८ १०-१६ १३६ र.का. सं. १८६१, मूल प्रति ३-५ द्वितीय प्रभाव तक, अपूर्ण ९८ र.का. सं. १६४८ १-६६ १-४० लि.क. लखमीचंद, गढ़ होरमध्ये १-१७५ १५४ | लि.क. कवि मन्नालाल १६२१ १८५६ १८वीं १६२-२६४ ११२ | पृ. ७६ ले ८४ तक अप्राप्त . १८८२ Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २२२ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय | पत्र संख्या क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कल्याण मिश्र २८८ ५०६५ रागमाला रागरत्नाकर २८६ / ६९४१ राधाकृष्ण .... / १८वीं . २६०४२७२ | रागरत्नाकर (अपूर्ण) २६१ / ४२६३(8)/ रागावली २६२ ४२१६ (७) राजनीतिकवित्त २९३ / ६७७४ राजाहरिश्चन्द्र कथा २६४ ६४४६ (८) राधामाधवविलास (सचित्र) मुरलीधर भट्ट देवीदास १७६६ लि.क. उदयचन्द्र १८६६ हर.का. सं. १८५३, उणियारा रावराजा भीमसिंहजी की श्राज्ञा से रचित १८७१ २४ प्रादि के ४ पत्र प्राप्त २३-३१ १८५६ ३२०-३३२ १८४० २३ १९वीं १-८२ | चित्र सं. ७१, पत्र संख्या २ से १०,१२ से १४,४१ से ४७,५५ से ६०,६२ से ६५,६८ और ७१ प्राप्त ४१-४८ १८३५ १६२४ १८०२ १२५ लि.क. लालचन्द्र पांडे, केर ग्राम १८४४-४५ ६६७ १९६७(१) ३४१ लि.फ. तुलसी गोसाई (?) १७६२ १६वीं १६४ १८३० लि.क. उदयराम, शिवपुरी . र९७ २६५ / ५४२० (१)| राधिकाप्रतीतिपरीक्षा (अपूर्ण) २६६ / ७६२६ . रामचन्द्र वारहमासा ५३३३ रामचन्द्र बारहमासी ५३८६ रामचन्द्रोदय (बालकांड) २६६ ५५०७ रामचरितमानस . ३०० ६६६६ रामचरितमानस ७४६७ रामचरितमानस ३०२ ६२१३ रामचरितमानस (बालकांड) ३०३ ४१८७ बालकृष्ण यशोदानंदन गुसांई भवानी श्रीकृष्ण कवि तुलसीदास २९८ ३०१ २८ । जयपुरमध्ये | जयपुरम .-- ------ meroine Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २.१-हिन्दी ग्रन्थ 1 [ २२३ क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या ३०४ रामचरितमानस (बालकांड) तुलसीदास ४२२२ ३०५ ६६२२ ३०६ : ७७६६ ३०७ ६२१४ १८४० १८०३ १९वीं १८६५ (द्वितीय सोपान) (अयोध्याकांड) १२५ लि.क. वैष्णव भगवानदास ११३ | लि.क. काशीराम, जयपुरमध्ये १३१ १३५ | लि.क. ब्राह्मण तुलसीराम, वरीमध्ये १७८ | लि.क. नरेन्द्र सौभाग्य | वृन्दावन में लिखित १०३ लि.क. काशीराम, जयपुरमध्ये ८१ लि.क. मिश्र मोहनलाल ३६ १८२८ ३०८ । ४२२३ ५१८८ ३१० ६६२१ ३११ ७८०० ३१२ ६२१५ ३१३ ६२३४ ३१४ ६२६७ ३०६ (तृतीय सोपान) १८०३ १८४४ १८६५ १९वीं १८४६ २७ लि.क. सहजराम मिश्र, कुम्हेरमध्ये लि.क.महात्मा बकसीराम,जयपुर ६३ ३१६ (अ.कां. से सु.का.) (सु.कां.) (अ.कां. और सु.कां.) (अ.कां.) ३१५ | ५४६४(१) | ६२१६ ३१७ ६६२३ ४२२४ ३१६ | ५१८६ ४१५६ ३२१ लि.क. काशीराम, जयपुर ३१८ १८७० १८९५ १८०३ १८११ १८३८ १८८१ १८०० ३२० ५२८० प्रथम पत्र त्रुटित ५० लि.क. गोविन्ददास, भरतपुर का विरक्त अखाड़ा ३२२ । ७८०१ १८४४ - २५ । Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--- हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [२२४ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमात ग्रन्थाङ्क रामचरितमानस (कि.का) तुलसीदास लि.क. परमानन्द कायस्थ mmm (सु.कां) लि.क. नरेन्द्र सौभाग्य १८६६ १८३८ १८३२ १९१० १९वीं ३२३ | ४१२७ ३२४ / ५१६० ३२५ | ४२२५ ३२६ | ६२०० ३२७ ३२८ ७८०२ ६०७२ ३३० । ६३२१ ३३१ / ६६२४ ६७३१ १८५५ द له लं.कां.) १९वीं १७८० १८०३ लि.क. हरदयाल २४ मिश्र मोहनलाल दो प्रकार की लिखावट है। लि.क. सरदारसिंह विद्यार्थी ३६ लि.फ. काशीराम व्यास, भीखा की पोथी सू लि.फ. मिश्र मोहनलाल الله الله ". ३३२ । ७८०३ ३३३ ६२१७ ३३४ ४२२६ (यु.कां.) १५४४ १८६५ १८२१ लि.क. कृपाराम पुरोहित जयनगरे (उ.कां.) ३३५ १८६५ १६११ १८२७ लि.फ. वैष्णव भगवानदास ६२१८ ३३६ ६२४५ ३३७ ४२२७ ३३८ | ४२२८ ३३९ | ६६२५ ३४० ६६६६ ३४१ / ७६२३ (उ.कां.) चातकसोलसी (उ.का.) १९वीं १८०३ १८८३ १८७६ लि.क. काशीराम प्रतिमपनबुटित लि.क. बलदेव १२५ man Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २२५ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ३४२ / ७८०४ | रामचरितमानस (उ.कां.) तुलसीदास १८४८ ४० लि.क. मित्र मोहनलाल, यह प्रति ग्रन्थाङ्क ७७६८ की, बलभद्र उपाध्याय द्वारा लिखित, सं० १७३७ की प्रतिलिपि है ३७ * लि.क. बलभद्र उपाध्याय लि.क. मिश अानन्दनारायण | ७७६८ ३४४ ७५७१ १७३७ १८८६ १८वीं वैराग्यसंदापन नाम द्वितीयसर्ग राम चरित्र रामनखशिखवर्णन रामनीरत्नसार संग्रह रामविनोद ३४५ ४२५७ ३४६ ४२३५ ३४७६०७१ ४८४५ - सुन्दरदास माधोदास रामचरण रामचंद्र मुनि १९वीं १७६३ xxnx सम्बन्धित ग्रन्थों से संग्रहीत र.का. सं. १७५०, आद्य पत्र ११ खण्डित १८३२ १४व कृति के अंत में 'हनुमान छंद" है | र.का. सं. १९०१ ६१३६ ३५० ४२७१ ३५१ | ५४११ | ४२४३ ३५३ ४२४२ ३५४ / ५३६२ . ३५५ ५३८६ कालिदास रामप्रसाद सीतापतिशरण तुलसीदास गोस्वामी २० रामविनोद वैद्यक रामविलास काव्य रामस्तवराज भा.टी. रामस्तुति गीत रामस्तुति पद रामायण (यु.कां.) रामायण (यु.कां.) १८वीं मनोहर, कविकलानिधि १८२० १८३७ २६३ | लि.क. युगलकर्ण मिश्र ३४१ / * प्रतापसिंहाज्ञया निर्मित लि.क. रामसेवक, पत्र १-७६, २१०-२३१ अप्राप्त १३८ । ५० पत्र रिपुपुरदाह और ८८ | पत्र युद्ध कांड सम्बन्धी हैं ३५६ / ७११३ | रामायण (यु.का.)सीताराम रामायण कश्चित्, शंभसिंह निर्देशित १९वीं Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर -- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; २१ - हिन्दी ग्रन्थ ] कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रंथाङ्क ३५७ ६३७३ ३५८ ७७४९ ( ७ ) | ३५६ ६८२८ ( २ ) ३६० ४२६३ (१७) | ३६१ | ४३०६ ( ९ ) | ३६२ ७४४१ (१२) ३६३ ३६४ ५३६६ "1 ३६५ | ४ε२३ (१) रूपमञ्जरी रामाज्ञा ३७० ३७१ | ७७४४ (९) ३७२ ६६७८ ३७३ ३७४ "7 ५२०२ (६) रासपञ्चाध्यायी 12 राव हमीरकी वारता रासको रेखता ३६६ | ५२०२ (४) रेखता ३६७ ५४२६ (१०) रेखता लैलामजनूका ३६८ ६८३५ ( २ ) लघुचाणक्य ३६६ ७७२८ ७४४१ (१५) ६०१६ "" ३७५ | ४१४३ ५८६६ (२) लैला मजनुका किस्सा लीलाललितविनोद बजनागरी व्रजविलास (सचित्र) व्रजशृङ्गार व्रतकथाकोश भाषा वृन्दसतसइया तुलसीदास "" म. प्रतापसिंहज >> 19 वंशीश्रली नन्ददास " वृन्द डेडराज (जनराज ) कवि खेतसी व्रजवासीदास म. प्रतापसिंहजी श्रुतसागर लिपि समय १८वीं २०वीं १९वीं १८वीं १८६६ १६१४ १८८५ १६४३ १७२८ १८८५ १८६६ १९०४ १६वीं १७५८ १९१४ १६२३ १८८१ पत्र संख्या ३६ १-२१ ७ ४०-४२ १७-१८ ६१-६३ ११४- १२३ १२ १ - १८ १०८ - १०६ ५३-५६ २ २७७ १-११ ६६-७२ १६३ ६८-७५ ६२ ४६ [ २२६ विशेष उल्लेखनीय * लि.क. मुरलीधर मिश्र ३०० पद्य हैं भाषा पञ्जाबी प्रभावित है। * लि.क. ऊंकारनाथ व्यास, रामद्वारा उदेपुरमध्ये चित्र सं. १७ * भाषाकार सुन्दर फे पुत्र खुशालचंद्र, लक्ष्मीदासका शिष्य है। लि.क. मनसुख कंदोई, बीकानेर Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर–हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २२७ विशेष उल्लेखनीय का प्रा ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क क्रमान वृन्द १६७-१६१ ३७६ | ४२१६(४) वृन्दसतसई १८५६ ३७७ ४६१६ वनपर्वको कथा १८६६ ६२३२ वरांगनृपतिचरित्र भाषा नथमल, शोभाचंद का पुत्र १८२७ ५२०५(१)| वल्लभाचार्य विज्ञप्ति और स्तोत्र १८वीं नामावली. ३८० ६०७८ विक्रमविलास गंगेश मिश्र १८६६ ३८१ ५४१५ | विक्रमादित्यचरित्र (पंचदंडकथा) | वैद्यनाथ, कवि सोमनाथका वंशज २०वीं ७४ २-३२ ३७६ ३८२ ६६५२ ३५३ ६१५७ विचारमाला विजयमुक्तावली (महाभारतअनुवाद) छत्रसिंह श्रीवास्तव १८६३ १८९५ १०२ *र.का. सं. १७३९ ५-३३ | र.का. सं. १८८४ । प्राद्य ४ पत्र अप्राप्त ५ | र.का. सं. १७२६ २३१ | अटेरपुर (भदावर) के राजा कल्याणसिंह के राजमें सं. १७५७ में रचित १४१ | कर्णपर्व से आगे पद्यानुवाद है व्रजेन्द्र बलवन्तसिंह के लिए रचित ६४ | सं. १७६८ में राजा आयामल्ल की आज्ञा से रचित, म.भा. उद्योग पर्व का अनुवाद ३८४ | ५३७५ | विजयसुधानिधि कविवर रामलाल १६०३ ३८५ / ६३४१ | विदुरप्रजागर कृष्ण कवि १८६५ ३८६ ७७४० (१) विदुरप्रजागर भाषा ३८७ | ७५६२ । विनयपत्रिका १९३७ गणपति मिश्र गो. तुलसीदास ८२ | लि.क. हरिदास कबीरपन्थी, बदनोरमध्ये ३८८६०५९ १९वीं ८१ Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २२८ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] क्रमाङ्ग ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय विनयपत्रिका गो. तुलसीदास ३८६ ६२१६ ३६० ६२३३ १८९० १८६४ ५८ १०६ लि.क. वैष्णव गोविन्ददास लस्करी, स्थान विरक्त अखाड़ा, भरतपुर. १९वीं ! ४२ ३६१ ५२०३ विरहगलजार इश्क अन्नवर कथा अपूर्ण ३६२ ७४४१ (१७) विरहपदको टीका ३६३ / ४२६३ विरहसलिता ३९४ ४३०६ (११) ३६५/६६७३ विविधसंग्रह . म. प्रतापसिंहजी १६१४ १५वों १९वीं . ३६६ ४२८७(८) विवेकचितावनी ३६७, ४६२५ (२) वृन्दविनोद (वृन्दसतसई) ३९८ ७४४१(१८) वृन्दसतसई ३९६ | ४२८८(१) वृन्दावनशत ४०० | ५२०२(३) , ४०१ / ५२०६ ... वैद्यकसार ४०२ ५४२३ वैद्यमनोत्सव ४०३ ६६३७ ४०४ ६०२२ वैद्यरत्न ८०-६६ ३६-६३ २१, २२ रामचरित चौपाई, गुरुमहिमा, । सुदामावारहखड़ी, नारद गीता श्रादि ३३-३८ लि.क. प्रानन्दराम १७५-२०७ ६९४ दोहे हैं. ६७-१३४ १७. ६१-१०८ र.का. स. १७०७ ६१-१५१ सुन्दरदास १७२८ | वृन्द (वरदराज) १९२६ १६१४ १८५६ माधो (भगवन्त हरिदासशिष्य) १८८५ १८वीं नयनसुख, केशव मिश्रसुत १९वीं " जनार्दन गोस्वामी Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंन्दिरं - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २१ - हिन्दी ग्रन्थ ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम ४०५४३६६ वैद्यविनोद, (शार्ङ्गधर भाषा ) ४०६ ७७२०(१३)| वेदनिर्णयपञ्चाशिका ४०७ ६६४३ वेदान्तपरिभाषा ४०८ ६७७० वेदान्तमहावाक्य भाषा ४०६ ४५५७ (३) वैराग्यमञ्जरी ४१० ७४४१ (३) ४११७७४ε(३) ४१२ १०७ ४१३ ६७२५ ४१४७८३८ ४१५ ६७६८ ४१६ ४१७ ४१८ 13 "" वैराग्यशतक भाषानुवाद शतकत्रयभाषानुवाद शतकत्रयमञ्जरी (सचित्र) शतप्रश्नोत्तरी भाषा ४१६४ ( २ ) शनिकथा ५४२५ -५३६६ शब्दावली (अपूर्ण) शिखनखवर्णन ४१६ ४५४७ (२) शृङ्गारमञ्जरी ४२७७४४१ (२) | ४२१ ७७४ε(२)| " ४२२ ६४६१ षट्ाश्ननिर्णय ४२३ ६७६६ """ " रामचन्द्र बनारसीदास मनोहरदास निरञ्जनी "" म. प्रतापसिंहजी 17 23 हरदयाल म. प्रतापसहजी 13 मनोहरदास निरञ्जनी ( ? ) मुंता रामदान रसानंद म. प्रतापसिंहजी 35 "" मनोहरदास निरञ्जनी "" लिपि समय १८११ १८वीं 55 १८५२ १६वीं १९१४ २०वीं १६५४ १८६५ १६वीं १८५२ १६२६ १.८.७१ १८६३ १६वीं १६१४ १६वीं १८२६ १८५२ पत्र संख्या EE ४८-५० २० २० २४-३८ २२-३५ १३ ६० १२० ६.५ २४ १०- १३ ६-४५ २४ १३-२४ १२-२२ १३-२४ ३३ ७५ विशेष उल्लेखनीय र.का. सं. १७३६ र. स्था० - मरोटकोट [ २२६ र.का. सं. १७१७ र.का. सं. १७१७ लि.क. प्रोहित दीनानाथ लि.क. मङ्गाविष्णु चित्र सं. १ पद्यबद्ध कथा है सन्त-शब्द- वाणियों का संग्रह * र.का. सं. १८६३, स्वयं कवि के हस्ताक्षरों में लिखित लि. क. सेस राम, कुम्हेरमध्ये लि.क. महात्मा जयदेव जोबनेरवासी Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २३० विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क | २०वीं २४ बलभद्र वृन्दावनदास म. प्रतापसिंहजी १९वीं १-२५ १६१४ लि क. बद्रीनाथ व्यास कवि गिरिधरराय विष्णुदास ४२४ / ५४३६ सिखनखवर्णन ४२५ ५४२१ (१)/ सिद्धान्तके पद ४२६ । ७४४१(७) स्नेहबहार ४२७ ४४५२ (३१)/ स्नेहलीला ४२८ | ५२३४(१) ४ ६ ५४३८ (३) ६७४६ (३) ४३१ / ७४४१ (६) स्नेहसंग्राम ४३२ / ४६२३(३) स्फुट कवित्त प्रादि ४३३ | ४२२६ | स्फुट फवित्त, रेखता आदि ४३४ | ६३४२ (१) स्फुट कवित्त ६३४३ (१) स्फुटोक्ति ४३६ | ६६६२ स्फुट पदसंग्रह १८वीं १६११ १८६० १९वीं १९१४ ४३-४६ ३३,३४ १-१० ४०-५६ ६२-१०५ ५२-५७ १-१४ ४३० म. प्रतापसिंहजी १९वीं ३३ - ४३५ सूर आदि . . १८८६ १७४२१७४४ १८५२ १८३७ १५वीं १९वीं १८वीं १९वीं . ४३७ / ६८३३(६) स्फुट राग पद ४३८ | ७७५३ (६) स्फुट सर्वया ४३६ ४२६३ (१३) स्नेहसंग्राम ४४० ४३०६(२) , ४४१ ४२६३ (१४)/ स्नेहबहार · ४४२ | ४३०६ (३) , ४४३ । ६३२८. स्मरणदर्पण म. प्रतापसिंहजी ३५-३७ ३५-३६ २७-३० १-३ ३१-३३ ... ४,५ - रामचन्द्रदास Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २१-हिन्दी ग्रन्थ ] ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य [ २३१ विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या गोरक्षोक्त ७१३३ ५७१७ ५६५७ ५७८५ स्वरोदय स्वरोदय भाषा स्वरोदय टीका । संग्रामदर्पण १९४६ १८वीं १९वीं ११ | लि.क. प्रभु पुरोहित नागोर का १४ लालचंद्र सोमनाथ, नीलकण्ठात्मज ७७३६ | संग्रामसार, द्रोणपर्वका अनुवाद | कुलपति मिश्र ३४ | र.का. सं. १७८६, ग्रन्थान्त में. कविकुल-वर्णन है १६५ / म. रामसिंह की आज्ञा से निर्मित लि.का. कृष्णचंद्र, बूंदी १५२ ३-७६ आद्य २ पत्र प्राप्त " ७७३७ ७८१६ संगीतदर्पण भाषा ४००५ | संयोगद्वात्रिशिका ६४१७ संयोगबत्तीसी ७७२१ (४) ५३४६ सत्यनारायणव्रत कथा हरिवल्लभ मानकवि १६वीं १८३१ १८४८ १९वीं १८२५ १८२५ ४५३ ४५४ " हरिदास १११-११८ २४ र.का. सं० १६२२, लि.क. प्रताप मिश्र, १४ १९वीं १८३१ १८४१ से पूर्व ' ५. ५२४२ । सत्यनारायणकथाका अर्थ ७८१६ (२) सर्पमन्त्रादि . ४५७ ६९८६ | सदाशिव भट्ट प्रशस्तिपरक पद्य ५३८४ (२) सनेहलीला ७६०७ सनकादिबीजमंत्र ४६०४९०८ सभासार आदि ४६१ ४००३ सभासार नाटक मनोहरदास १९०४ : १९वीं १८५२ रघुराम कवि रघुराम कवि ७ फतहचंद्र, गणपति, भोलानाथ । | श्रादि द्वारा रचित पद्य ७०-८२ | लि.क. केशवदास ११४ लि.क. मगनीराम ब्राह्मरण, मांडळगढमध्ये २० । रा.का.सं. १७५७ स्था. सारंगपुर, अहमदाबाद १८४५ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २१ - हिन्दी ग्रन्थ ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ४६२ ४०२८ ४६३ | ५४२१ ( २ ) समयप्रबन्ध ४६४ ४४५२ ४६५ ४७६१ ४६६ ४८१६ ४६७ ४८१२ ४६८ ६४४२ ४६६ | ७७२० (२) सभासार नाटक ४७५ ४७६ ४७७ समयसार नाटक "3 35 " 17 11 ग्रन्थ नाम ४७० ६३५३ समयसार नाटक भाषा ४७१ ६८४४ समयसार भाषा नाटक ४७२ | ५३७३ ( २ ) समयसार नाटक, सिद्धान्त भाषा ४७३ | ५३७६ (१२) | ४७४ | ७४४२ (३) समयसार भाषा " ७४४३ ५३८० ( २ ) समर विजय ६७६६ ४७८ ६८३५ (३) ४७६ ४४५२ (२३) समयसार नाटक भाषा सरसरस सवा सौ सीख सवैया " रघुराम कवि वृन्दावनदास बनारसीदास बनारसीदास बनारसीदास 31 "1 बनारसीदास, प्रागरानिवासी 37 बनारसीदास बनारसीदास "" राय शिवदास बालपुरी लिपि समय १८४२ १६वीं १८१२ १८वीं १८०२ १८६० १८२४ १७२५ १६ १७५३ १७६४ १६१३ १८४६ १६वीं १५वीं पत्र संख्या १६ १-३११ ६२-८४ ६६ १३६ १२५ ६० १-५४ विशेष उल्लेखनीय * लि.क. ऋषि किशोर, सोझत प्रथम पत्र श्रप्राप्त लि.क. प्रीत सौभाग्य र.का. सं. १६९३ [ २३२ लि.क. मोहन, रचना स्था० श्रागरा । लि. फ. मतिवर्द्धन, हमीरगढ़ मध्ये दोस श्री थावा पठनार्थम् ८६ ११७ ४-७३ ११२-१६७ १-७१ १३२ | लि.क. दवे श्रमरचंद १६ १५ ४ २३ व र.का. सं० १६९३ प्रल्हादास वैष्णव पठनार्थ Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम [ २३३ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या चंद कवि प्रादि १९वीं ४० वा ११८ वा लि.क. प्रीत सौभाग्य ४८२ तुलसीदास . ४८५ कृष्णदास चन्द कवि कवि बालक (चन्द ?) अग्रदास १८६६ :१९वीं १७४७ १८९८ १८६४ १९वीं ६३ | लि.क. काशीराम पंचोली १०२ १२३ जीर्ण प्रति १०० र.का.सं. १७१३ १-२३ १५६ गोगावत कुलावतंस, शंभूसिंहा ज्ञया प्रणीत ४८० ४४५२ (३३) सवैया ४८१ ४४५२(६३) , ६२२७ सियरघुवीरविवाह ४८३ ५०३५ सिंहासनवत्तीसी (अपूर्ण) ४८४ ५८६५ सीताचरित्र चौपाई ४८६ ६१४६ सीताचरित्र चौपाई ४८७ ७७५६ (१) सीताराम ध्यानमञ्जरी ४८८ ६६३१ सीताराम रामायण 1. (अयो. कांड, वनवास कांड) ४८६६६३२ सीताराम रामायण (प्रार. कांड, सीतापहरण कांड) ४६०६९३३ सीताराम रामायण (कि. कां. कपिभित्र कां.) ४६१ ६६३४ सीताराम रामायण (सु.कां. रिपुपुरदाह कां.) ७१५५ सुखदेव लोला ६४४६(६) सुदामाकी वारहखड़ी ५४१२(१) सुदामाचरित्र ४६५ ५८८७ सुदामाचरित्र (कक्का प्रणाली) ४६६ ६६४६ सुन्दरदासको साखी ----- - - ... ---- ...... - -- --- | मुरलीदास ४७ प्रथम पन प्राप्त १२-१४ १-१३ नरोत्तमदास खुशाल शांडिल्य विप्र सुन्दरदास १८६३ १८वीं १२ १८८६ ५६ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २१ - हिन्दी ग्रन्थ ] कर्ता श्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाक ग्रन्थाङ्क ४६७ ६६४७ ४६८ | ४३१३ (२) ४६६ | ४२१६ ( ८ ) ५०० | ४३०७ (२) ५०१ ४८१४ ५०२ ४५३५ ५०३ ४०२६ ५०४ ६३१७ ५०५ ६६४४ ५०६ ६६४५ ५०७७७२० ( १२ ) ५०८ | ४३०६ ( ७ ) ५०६ | ७४४१ (५) ५१० ५४३५ सुन्दरदासजी के शब्द सुन्दर भक्तिविलास सुन्दरशृंगार 11 " " "1 "" सुन्दर सवैया संग्रह "1 सुमति कुमतिसंवाद ( कहरामामाकी चाली) | सुहागरैन व द्वादशमास वर्णन "1 सूरजपुराण ५११ | ६३४२ ( ३ ) | सूरसागर पद ५१२ ७७२२ (१) सुरसारङ्ग (अपूर्ण) ५१३ ५८६६ ( २ ) ५१४ ६२०२ ५१५ ७७३१ सौदागर बच्चेका किस्सा हनुमानबाहुक गुणप्रकाश प्रश्नोत्तर सुन्दरदास लाला सुन्दरलाल सुन्दरदास 39 सुन्दरदास 13 "" कवि सुन्दर सुन्दरदास "1 म. प्रतापसिंहजी 19 "} सूरदास तुलसीदास लक्ष्मणदान वारंट लिपि समय १८८६ १८६७ १८५६ १८३७ १८१३ १७८६ १७४२ १६वीं १८८६ १८०४ १८वीं १वीं १९१४ १८६२ १हवीं १८वीं १९वीं १६२७ २०वीं पत्र संख्या ४५ ६-७१ ३३३-३५६ ८७ २३ २१ २२ ४० ७६ ४४ ५० वां १४, १५ ४०-४२ १६-२४ १-३६ १-१० १४ ५२ विशेष उल्लेखनीय लि. स्था. फतेहपुर लि. स्था. जयपुर [ २३४ लि.क. वेणीराम लि.क. त्रीकमजी शिष्य बाह्याजी लि.क. मुनीलाल सूरत चन्दरे र.का.सं. १६८८ २२ | पुराणोक्त र.का. सं. १६८० लि. स्था. फतेहपुर लि.क. प्रेमदासशिष्य भिखारी दास लि.क. मनसाराम कायस्थ १७२ पद है Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [२३५ कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम १८वीं सुन्दरदास रस राशि १५-१६ ३०-४४ ५१६ | ७८११(५) हरबोलाचतावणी ५१७ | ४२६३ (७) हरिकीर्तनमाला ५१८ | ४४६५ हरिनाममाला ५१६ | ४२८७(६) हरिबोलचितावनी ५२० ६३४० हरिवंश भाषा ५३६० हरिवंशपुराण भाषा सुन्दरदास १८८२ १६वीं : १७२८ १९वीं ' १७१६ २३-२५ ५२१ लालचंद लि.क. आनंदराम आदि के १५३ पद्य त्रुटित लि. स्था. अंबावती, पत्र १ से ७ अप्राप्त पत्र ४ से ६,७,१६,१७,३०,३४ ४२ से ४६ नहीं हैं ६१५८ सालवाहण । १७८४ ५२३ । ६१७५ ७१३४ ५२४ १८४२ १८३७ खुशालचन्द व्यास हरिलाल हितहरिवंश जन्मोत्सव लि.क. स्वयं रचयिता, वृन्दावन मध्ये व्रजेन्द्र बलवन्त सिंहाज्ञया रचित ५२५ राम कवि १९वीं ५२६ विष्णु शर्मा ५२८ ५३७६ . हितामृतलतिका ४२१६ (१) हितोपदेश टीका ५२७ ४०१५ ।हितोपदेश पंचाख्यान ४३१६(१) हितोपदेश भाषानुवाद ४६१५(६) हितोपदेश भाषा ५३० ५०८२ . हितोपदेश (सचित्र) ५३१ ६३४४ । हितोपदेश (पद्यानुवाद) ५३२ ४२६५(३) हितोपदेश (चतुर्थ तंत्र तक) १८५६ १८५६ १८६४ १८८७ १८वीं १८८८ ५२९ ७२ लि.क ऋषि टेकचंद्र १५८ २००-३४७ लि.क. मुंशी पन्नालाल, जोधपुर १७६ | * चित्र संख्या ४७, कोटा कलम बुन्देलखंड के महाराजा पृथ्वी सिंह की आज्ञा से रचित १५-१६७ / लि.क. डालूराम कोविद मिश्र विष्णु शर्मा १८०१ Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २१-हिन्दी ग्रन्थ ] [ २३६ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्था ग्रन्थ नाम ५३३ ७७४० (२) हितोपदेश भाषा पद्यानुवाद ५३४ । ६२५६ हिम्मतिप्रकाश श्रीपति भट्ट सवाई प्रतापसिंह व्रजजीवन ५३५ ४३०६ (१६) होरीबहार पद टीका ६३४५ हृदयाभरण कवित्त ५३७ ६९५१(२) ज्ञानचरणवाचिका ५३८ ६२०६ ज्ञानप्रकाश ५३६ ४६१४ (७) ज्ञानपचीसी ५४० ७७२०(४) , ५४१ ६६५१ (१) ज्ञानमञ्जरी कृष्णदास बनारसीदास १९३७ । ४६-१२५ लि.स्था. लोचनपुर (बूंदी) १६०८ ४५ | र.का.सं. १७३०, प्रथम पत्र अप्राप्त १९वीं ३२-४४ १८६१-६२ १८२ १८६१ २० १८८० | गोपालदासजी पठनार्थम् १८७१ १६७-१६८ १८वीं ४१-४२ २० लि क. दूल्हेराम मिश्र, हस्तेड़ा मध्ये १९वीं २६ | र.का.सं. १७१६ १८५५ १८ लि.क. सहजराम दादूपंथी १८५२ २२ १८५० २२ र.का.सं. १७२२ मुलताणमध्ये १९०७ | लि.क, बलदेव ब्राह्मण १८वीं. ४१०-४४६ / ६०० छन्द हैं ६१ । र.का.सं. १७१० मनोहरदास निरञ्जनी ५४२ . ६७६७ ज्ञानमञ्जरी भाषा ५४३, ४०६५ | ज्ञानवचनचूर्णिका ६७७१ .५४५ ४०५७ ज्ञानशृङ्गार ५४६ ६६०८ ज्ञानस्वरोदय ५४७ ४३०८(२), ज्ञानसमुद्र ५४८ ६८३७ सुमति रंग चरणदास सुन्दरदास Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २२-जैन स्तोत्र ] क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थाङ्क ३ लि.क. हर्षविजय KG 20 २६२-२६४ १८ ४४-४५ १ ४६०६ अंतरिक्षपार्श्वना छन्द भाव विजय २ ५०७० ३ . ४१४६ स्तव ४ . ४३४६ अजितशांतिस्तव सबालावबोध ५ ४६१४ (३६) आराधना सकलकीति ६ ' ५६६० , चौपई ७ । ७७५३ (६) इलापुत्रस्तवन लब्धिविजय ८ : ४३६२ एकादशगणधर स्तवन ऋषभजिनस्तवन भावकवि १० ४६१४(२३) ऋषभनाथजीनो छन्द ११ ४६१४(६०) मूला मयारामसुत १२ : ७३७२ ऋषभदेवजीरो छन्द धर्मसी १३ ४६१४ (१७) ऋषिमंडलस्तोत्र १४ ७५५० · कल्याणमन्दिरस्तोत्र (राजस्थानीटबार्थसहित) १५ ५३७३ (१) १६ ५९८२ ,, (सटीक, त्रिपाठ) | कुमुदचंद्र १७ ६२५६ हर्षकीति १८४५ १८११ १९वीं १७वीं १८७७ १५६२ १८३७ १७वीं १८वीं १८७१ १८७७ १६वीं १८७१ १७५७ ५ १२० वाँ २३०से२३१ ३१७से ३२० २१०से२१२ १२ लि.क. घनजी मूल १८वों १७वीं १८४८ १२ २५ प्रथम पत्र प्राप्त लि.क. हेतराम यती अमीचंद की पोथी सू राजराजा रणजीतस्यंघजी ने लिखी १८ ७३६८ ,, (राजस्थानीभाषार्थसहित) १८वीं Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर --- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २२ - जैन स्तोत्र ] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाक १६ ६६१४ २० ४०३० २१ | ५०६९ ( ७ ) २२ ५०६६ ( १ ) गौडीयपार्श्वनाथ चौढ़ालियं २३ | ५०६९ (४) २४ ५०७७ (१) २५. ४३६३ २६ ४३६६ ३३ ३४ ३५ ३६ कल्याण मंदिर स्तोत्र राजस्थानी भाषार्थ सह कार्यस्थिति स्तोत्र ( सवालावबोध) साधुकीर्तिगणि गौडीय पार्श्वस्तुति ५४४१ ७४४८ ५०७२ ७५६६ २७ ६३२६ २८ ७२७५ "} २३ ४२८७ ( ५ ) चतुर्विंशतिस्वयंभू स्तोत्र ३० ४९१४ (३२) चैत्यवंदन चौपाई ३१ | ४ε२४ ( ४ ) ३२ | ५४३६ ( १ ) 11 गोडीपार्श्व स्तवन गीतमदीपाली का स्तवन चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र संक्षेपवृत्ति "" छन्द 11 "" स्तुति (सावचूरि, पंचपाठ) चैत्यवंदनादि जिनस्तवनसंग्रह चौबीस जिनस्तवन भाषा लावण्यविजय कुशललाभ कीर्तिविलास सकलचंद्रसूरि सोमप्रभाचार्य बप्पभट्टिसूरि चीरचंद्रमुनि लावण्य समयमुनि गुणविजय महानन्द मुनि लिपि समय १७८२ १७वीं १९०६ १९०६ १६०६ १८०२ १६८५ १५२४ १७८२ १६वीं १७२६ १८७७ १७८७ १८५३ २०वीं १६१५ १८वीं १६वीं पत्र संख्या १८ ३ १३ वॉ १६३ १० से १२ १ ला ५ ४ [ २३८ २४२ १२६ विशेष उल्लेखनीय लि.क. समय कीर्तिमुनि पत्र का कोण कटा हुआ है लि.क. धीरमूर्ति गणि शिष्य लि. स्था. श्री भृगुपुर महानगर लि. स्था. मसूदा १६-२२ | २४६ से २५१ १ १ से ३ | लि.क. दौलतराम मुनि लि. स्था. मारोट लि.क. अमरचंद ? स्तवविषयक ३१ कृतियों का संग्रह Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २२-जैन स्तोत्र ] [ २३६ विशेष उल्लेखनीय . लिपि समय | पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क आनन्दघन ज्ञानभूषण हर्षकीर्ति अभयदेव १८८५ १८७७ १८७७ १८८२ १-५३ इस गुटके में १६ कृतियों का संग्रह है २५९से२६२ : ३१५से३१७ ५ लि. स्था. जैसलमेर ६ लि.क. भुवनसुन्दर : ३ दो स्तवन हैं १९वीं १८वीं जिनकीतिसरि जिनसेनाचार्य भूधर . ७से६२ २६५-२६६ ३७ ७४४४ (१) चौबीसी ३८ ४६१४ (३८) चौरासी लाख जीवयोनिवीनती ३६ ४६१४ (५६) , ४०। ७३६६ जयतिहुयण (सावचूरि) ४१ ७४०६ , (सबालावबोध) ४२ ५४३६ (१८) जिणकुशलसूरिवृद्धिस्तवन ४३ ५४३६ (१९) जिणकुशलसूरिलघुस्तवन ४४ ६३८५ जिननमस्कार ४५ ४२८७(११) जिनाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्र ४६ ४६१४ (४०) जीवदया छन्द ४७ ६१८० जैनचैत्यस्तव (सरस्वतीस्तोत्र) ४८ : ५३७३ (४) जैनशतक ४६ ५४१८ (८) तिरेपन क्रिया ५० ५४१८ (१४) ५१ ४६१४ (५६) तिरेपन क्रिया वीनती ५२ . ५४३६ (६) तीर्थावलीस्तवन ५३ ७०८४ . दण्डकविचारषट्त्रिंशिकासूत्र सटिप्पण ५४ ५४३६ (१७) दादेजीरा स्तवन ५५ ५४३६ (८) नवकारमंत्रमहिमालघुस्तवन ५६ ७२६० नवकारमहामंत्रस्तवन १८७७ १९वीं १८वीं १९वीं रचना सं० १७८१ भूधरदास ब्रह्मगुलाल ६७से१०६ १०१से१०५ ११६से ११६ ३११-३१२ . ३६-३८ प्रभाचंद्र १८७७ १९वीं गजसारसाधु धवलचंद्र महोपा- । १८वीं ध्यायशिष्य, टि.क. यशःसोम . १६वीं जयवल्लभसूरि १७वीं ४०-४३ ५ Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर --- हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २२- जैन स्त्रोत ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमा ५७. ५४३६ ( १४) ५८ ५४२७ (१) ५६ (४६१४ ( २१ ) ग्रन्थाक 6 नवकार महिमास्तवन नवस्मरणस्तवन नीगोदनी वीनती नेमनाथ सिलोको ६० ६१ ६२ ७२५७ प्राचीनकर्मस्तवटीका ६३ ५४३६ (१३) पंचकल्याणस्तवन ६४ ४६१४ ( १ ) | पंचकल्याणीक ६५ ४२६८ ४८३७ ४६१४ (१२) प्रभाती ७५ ग्रन्थ नाम 1 ६६ ६२६६ पंचमंगलस्तवन पंचमेरु- प्रष्टक ६७ ४९१४ ( १५ ) ६८ (५४३६ ( १५ ) पंचसंवरस्तव ६६ ५०६६ ( ५ ) पद्मावतीछन्द ७० ४६१४ (४६) पद्मावतीवीनती ( १ ) ७१ | ४६१४ (४७) | (२) 31 ७२ | ४६१४ (४८) पद्मावतीस्तोत्र ( अष्टक) ७३ ५.१३१ पद्मावतीस्तोत्र पंचपरमेष्ठिनमस्कारार्थ ७४ ७४४४ (१७) पनरे तिथिरी थुई ७४४४ (६) पाँच तिथि स उदयरतन सकलकीर्ति गोविंदगण रूपचंद समयराज मुनि रूपचंद सुदर्शन विजय हर्षसागर पुंजराज "" जिनसागर देवेंद्र कीर्तिशिष्य लिपि समय १६वीं १८७१ १८७१ १८७१ १७वों १८७१ १६३५ २०वीं १८७१ १६०६ १८७७ "? "" १६वीं १८८५ पत्र संख्या ३ १-३१ २२६-२३० 15 [ २४० २०८-२०६ विशेष उल्लेखनीय ४ २०८ चाँ १७ २ १-७ ४ श्रीपार्श्वनाथसमसंस्कृतस्तव भी साथ में हैं, लि.क. नयनकमलगणि लि.क. फतेचंद्र लावड़ामध्ये २ १२-१३ २७५ व २७५-२७६ २७६-२७७ २ २६४-३०२ लि.क. नेमविजय मान विजय शिष्य गोबूंदा नगर में लिखित Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २४१ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २२-जैन स्तोत्र ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क | ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय १७वीं ४४-४६ १८७७२८३से२८८ १८०५ ११६ वा लि.क. प्रीति सौभाग्य, लि. स्था. नींबेड़ा र.का. वि० १५३५ ७६ | ७२६४ । पार्व जिन यमकमयस्तुति ७७ ५४३६ (१०) पार्श्वनाथ जिनलघुस्तवन ७८ ४६१४ (५२) पार्श्वनाथजीनो छन्द भुवनकीति ७६ ४४५२(६६) पार्श्वनाथजी पाढगत छन्द | अभयसोम | ७४०४ पार्श्वनाथ तथा साधारण जिनस्तवन | प्रेमविमल | ६९८४ पार्श्वनाथस्तवन | ७७५३(५) पार्श्वनाथस्तवन कीतिप्रभ ८३ | ७५६५ पुद्गलपरावर्त स्तवन सबालावबोध ८४ ५४३६ (१६) बीसबहिर्मानस्तवन ८५ | ७१३८बीससंस्थानकस्तुति | ५२६८ | भक्तामर बालबोध टीका हरिदास ८७ ५४१८ (२) भक्तामर भाषा | मानतुंग (हेमराज) । ७१०६ भक्तामर भाषा कालभैरवाष्टकादि ३७-३८ १९वीं १८वीं १८३७ १७वीं १९वीं २०वीं १८वीं १८वीं | कमलमपुरमध्ये रचित ४६ पद्य इस गुटके में आबूस्तवन, स्थूलभद्र सज्झाय, साधुवन्दना मंगलाष्टक,चतुर्विंशतितीर्थकर स्तव सरस्वती अष्टक आदि विविध रचनाओं का संग्रह है २६३ र. का. सं० १७४७ ३१से४५ २२ / प्रथम पत्र अप्राप्त । लि.क. शिव दास वसतारणी, स्था. देशलहरान, श्रीफतेपुरमध्ये ८६ / ६३४७ भक्तामर महाचरित्र भाषा विनोदीलाल ६० | ५४२७ (२) भक्तामरस्तोत्र ६१ ४०२५ प्राकृत वार्तिक सहित | मानतुंग सूरि १८२८ १९वीं १६८९ ६२ ४३६० सबालावबोध १७वीं Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २२-जैन स्तोत्र ] [ २४२ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या माङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य १४ ७२७१ - भक्तामरस्तोत्र मानतुंग सूरि, बाला. मेरुसुंदर १७०० ७४०८ मू. मानतुंग १६२६ ५६०५ । भक्तामर टीका गुणाकर १६वीं भक्तामरस्तोत्र : मानतुंग १७२६ ६००० भक्तामरस्तोत्र पंचपाठ अमरप्रभ सूरि ६०३६ भा. विनयसुन्दर ६२७१ , भाषा टोकाम . मानतुंग, भा. अखेराज श्रीमाल १७८४ ६२७७ __, भाषा हेमराज १९४१ ७४५० | भक्तामर भाषा आदि विविध कृतियाँ १६ : लि.क. रूपचंद ३२ ५-११ : लि.क. रामचंद्र ७ लिपि सुन्दर है १७वीं १८वीं " सार्थ २४ लि. स्था. तुंगा १६ . लि. स्था. अमदा नगर २३२ * कृतियों के नाम परिशिष्ट में देखिये २०वीं सटीक . ६२८६ ६३६१ .७१८४ १०५ | ७३५१ २४ लि. स्था. विराट नगर भक्तामर सटीक त्रिपाठ (सुखबोधिका) , वृत्ति (सुबोधिका) मानतुंगाचार्य टी. कनककुशल टी. अमरप्रभा वृ.का. समयसुन्दर १८वीं १६२८ १७वीं १८२१ ७० रचनाकाल-सप्तवसु शृंगावतंति १३८७ (?) पत्तने नगरे - १७वीं २०७-२०८ १०६ / ७७६४ ।। भवारिवारणस्तोत्र सटीक पंचपाठ | जिनवल्लभ सूरि १०७४६१४(११) मंदिरस्वामीनी बीनती सफलकोति गरोटकोटमंडण, वादेजी श्रीजिन कुशल सरिजीरी नीशाणी १०६ ५०७१ । राणपुर मंडन वीरजिनस्तवन लघुशांतिस्तव सटीक मानदेव प्राचार्य १८५३ १८वीं २ लि.क. दौलतराम मुनि - १६ र.का. १६११ १० ७८२७ " Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला लिखतमति मदतुलसीरासापायोपरमविश्रामरामसमानभुनाहाकाहरोहरा मोसमाननानाहितत्तुमसमानरवायसविचारिरघुवसमनिसरीवधर्म भवनीयाराहमिहिनरिघियारिजिमिलोनिहिचियनिमितमतिमिरधनाया तिरतरिधिसला गोमुहिरामार२०॥ इतिश्रीरामचरितमानसेसकलबालिका पति कोसिन विरलभक्तिसवाइनीनामससमोसावानाभमस्ती रिति श्रीउतरकाराइसमाना यस पुस्तकस्वातसलिषितसयादि शुभयानमहोशोनीयतेत्रिय भसबससमोमार्गशिरमान से भयोचल्यासामवासनहस्तातरउपयोवलिभइत्यविचाराधीन C -- "-." 1: .. . 3.:.: : .. :-.. ग्रन्थसंख्या ७७६८ रामचरितमानस (उत्तरकाण्ड) (संवत् १७३७ में लिखित) Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिरहस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २२-जेन स्तोत्र . क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क . .. ग्रन्थं नाम । - कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय - १५वीं 8 १६५७ ११२ लि.क. साह हरष (ख), ग्राम-हालीवाड़ा " १६वीं १७वीं १६वीं ur | सहजातिशयनामक द्वितीयस्तव | प्राशीस्तवे विंशतिप्रकाशः १२-११३ १९वीं १८५८ ४०-४१ १११ / ७४३७ ललितविस्तरा पञ्जिका मुनिचंद्रसूरि (चैत्यवन्दना वृत्ति) ७३५५ वर्धमानस्तुति कनककुशलगणि विजयसेन सूरिशिष्य ५०७६ वासुपूज्यस्तवन प्रेमविजय ११४ ४३४४ वीतरागस्तोत्र हेमचन्द्रसूरि ११५५६३५ वीतरागस्तोत्र सावचूरि पंचपाठ । हेमचंद्र सूरि ११६ | ५६३६ ११७ ५४१८ (११)/ वीरजिणन्द ११८ ५०७४ | वीरस्तवन सस्तबक बीरविजय शुभविजयशिष्य ११६ ६४४६ (२) वीरस्तुति १२० ७३७६ | वीस विहरमान गीत, जिनसागर सहजसागर पुत्र स्वाध्याय १२१ । ५०६६ (३) वद्धचैत्यवन्दन मूला वाचक १२२ | ४३४५ | श्रीऋषिमंडलस्तवन धर्मघोष सूरि १२३ | ४१५६ श्रीदेवीछंद शनैश्चरस्तुति १२४ / ५०७५ शंखेश्वरपार्श्वछंद हर्षरुचि १२५ / ७७५३ (४) शांतिनाथस्तवन गुणसार १२६ ७७२० (१५)/ शांतिनाथ त्रिभङ्गी छन्द बनारसीदास १२७ ५३८५ (७) शीतलनाथस्तोत्र सिंहनन्दि १२८४५११ शोभनस्तुति १२६, ७४७२ , पंचपाठ धनपाल पंडितबान्धव । १८वीं लि.क, खेमधर्म, लि. स्था. पीपाड़नगरे ८-१० | १९०६ १७वीं १९वीं । १८३७ १८वीं १६वीं १७वीं १६३४ ३४-३६ ५०-५१ १८९याँ १० लि.क. पूरणमल माथुर कायस्थ लि. स्था. गढ़ रणथम्भोर - Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २४४ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २२-जैन स्तोत्र ] कर्ता प्रादि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या | विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क १३० ७२७८ ४८४० शोभन कुशललाभ कवियण हरिविजय शिष्य १६वीं १८२८ ३ शोभनस्तुति सटीक स्तंभनपार्श्वनाथस्तवन जम्बूकुमार स्वाध्याय | स्तंभन पार्श्वनाथस्तुति आदि १३१ १३२ / ६८३६ १९वीं . ७२ . लि. स्था. सांगानेर, इस गुटके की अन्य कृतियों का विवरण परिशिष्ट में देखें २०८ वाँ १६ । इस प्रति में २४ स्तोत्र हैं सकलकीति समंतभद्र स्वामी १८७१ १८वीं ४९१४ (१३) स्तवन (मुजरा) | ६१६० । स्तवन (स्वयंभूस्तोत्र) | ७५६८ | स्तवन (शांतिजिन) स्तवनसज्झाय पदसंग्रह १३५ १३६ ७४४७ आदि १३७ | ७४४६ , १३८ ७४४४ (१०) स्तुतिस्तवन १९१६ १७० लि.रु. अमरचंद्र, सेठ गंभीरमल पठनार्थम् १६११ २०० * १८८५ १९४-२०५ इसमें पजूसणरी थुई, सेजाजीरी थुई, पांचमरो तवन, प्राठमरो तवन, इग्यारसरो तवन हैं १९वीं ४ . इसमें ५ स्तोत्र हैं, नाम परि शिष्ट में देखिये १८८५ १४४-१६८ ४५-४६ १८८७ २५७-२५८ । १७५८५ ! . १३६ | ६८२५ स्तोत्रसंग्रह .. १४१ १४० ७४४४ (६) सप्तस्मरण ५४२७ (३) , १४२ ४६१४(३६) सात वसणनी वीनती . १४३ / ७३६४ साधारणजिनस्तोत्र (सावरि) नानू ऋषि ब्रह्म हंस जयानन्द, व. वानर ऋपि Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २२-जैन स्तोत्र ]. . . . [२४५ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या ग्रन्थ नाम .:' क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क मोहनविजय रूपविजयशिष्य बनारसीदास १८०२ १९वीं १ला १४५-१४७ १८वीं १४४ ५०७७(३)/ साधारण स्तवन १४५ ५४१८ (२१) साधुवन्दना १४६ / ५११४ । सीमंधरवीनती १४७ ४६१४(२२) सीमंधरस्तवन १४८ ७७५३ (३) १४६/६८४० आदि (विंशतिविहार स्तवनादि) २१ २३० वाँ भक्तिलाभ १८७१ १८३७ १९वीं ३२-३४ २२६ फुटकर ढाल, भक्तामर, तथा : घंटाकर्ण स्तुति आदि कृतियां हैं Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषरण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २३-जैनागम] कर्ता प्रादि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाक विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम १७वीं ११. संस्कृत-प्राकृत १ ७२५८ २ ७६४० ३ १७६६ ७५३४ ४ ७२५४ १६३६ प्रान्तकृद्दशाविवरण तथा अनुत्तरो पपातिकविवरण । सन्तकृद्दशाङ्गसूत्र अन्तकृद्दशाङ्गसूत्र (प्रा० राजस्थानी भाषार्थसहित) अन्तगडदशा (राजस्थानीभाषार्थ ___ सहित अनुत्तरोपपातिकसूत्र अनुत्तरोपपातिकसूत्र (राजस्थानी भाषार्थसहित अनुत्तरोववाइसूत्र अनुयोगद्वारवृत्ति । श्रीहेमन्चद्रसूरि मलधारी १२प्राकृत ६२ प्रा. रा. लि.क. ऋषि त्रीक्रम, रागङ्गपुरे ३८ - अ. प्रा., लि. की-जियां . अमरांजीशिव्या १० प्राकृत., लि.क. ऋषि हरजी १६ प्रा. रा., लि.क. ऋषि धनजी । ७४६४ ७६३८ १८वीं । १७७३ | १६वीं । १६६६ ७२०२ १०४ संस्कृत, लि.क. गुणनन्दन मनि विशालफीति, लि. स्था. पुष्क रिणीनगरी (पोहकरण) १०१ प्रा. रा. ६ ७४११ १७वीं प्राचाराङ्ग (प्रथमश्रुतस्कन्ध, राज स्थानीभाषार्थसहित) १९वीं ७४१५ ११. ७५५१ १७२७ १५८६ १२ ५६३२ प्राचाराङ्ग (प्रथमश्रुतस्कन्ध बाला- वा. पासचन्द साधुरत्नशिष्य बयोध) .... १३ /- ५९३१... आचाराङ्ग (द्वितीयश्रुतस्कन्ध बालायबोध) ५६ , लि.क. मुनि मनोहर लि. स्था. वीरमग्राम १४२ : पा. रा., लि.क. रतनभट्ट गुजर गौड़ लि. स्था. सोमलपुर, प्राय पत्र प्राप्त १. प्रा. १७६६ Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; २३-जैनागम ] क्रमाङ्क | ग्रंथाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य ... [२४७ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या १६२३ ___६५ | प्रा. रा., लि.क. गोडा अमरदत्त ७३५८ १७चों ७५४० ७२४० ७२२२ | आचाराङ्ग (द्वितीयश्रुतस्कन्ध राज स्थानीभाषार्थसहित) आचारागनियुक्ति प्राचाराङ्गप्रदीपिका प्राचाराङ्गवृत्ति आचाराङ्गसूत्र आवश्यकनियंक्ति प्राकृत स. प्रा. १६ श्रीजिनहंससूरि शीलाङ्क १६वीं ७२७४ १७वीं २१६ २८१ ११५ ६१ ४७ १६वीं ७४२६ ७४३६ ७४४० ७७६६ ५६४६ प्राकृत , प्रथम पत्र प्राप्त प्राकृत , लि.क. ऋषि बाथा प्राकृत , लि. स्था. अणहिल्लपुर १६२२ " १६वीं १५४६ आवश्यकनिर्युक्तिसूत्रम् १२७ पत्तन ७२०४ | आवश्यकबृहदृत्ति श्रीहरिभद्रसूरि (?) १६३१ ७४०० १७वीं ७३३४ हरिभद्रसूरि ४३५८ आवश्यकसूत्र (सटीक, बृहद्वृत्ति) श्रावश्यकसूत्र (सबालावबोध) आवश्यकसूत्र आवश्यकसूत्रनियुक्ति (सचित्र) ४०५ / संस्कृत, लि.क. लक्ष्मणमुनि लि. स्था. जैसलमेर ५४६ | संस्कृत, प्रति में ५४७, ४८, ४६वें पत्र खण्डित हैं २०१ | संस्कृत * प्रा. रा. प्राकृत, लि.क. पं० धर्मकीर्तिमुनि ६८ | प्रा., चित्र संख्या २, लि.क. जिन | दास, लि. स्था. माण्डली नगर ३५ | प्राकृत, अद्येह श्रीघोघावेला कूले माणिक्येन लिखितम् ७५५४ ७१८८ १५०१ ७११६ | उत्तराध्ययनसूत्र १५४९ Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २३-जैनागम ] __ क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ २४८ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या उत्तराध्ययनसूत्र प्राकृत, लि.क. पं. उदयतिलक प्राकृत ____३१ / ७३१४ ७३६१ ७४८७ ३४ | ७७६५ ३५ / ७२८० १६४७ १९वीं १७वीं १७६ १३६ ७५ १८१८ १६८ उत्तराध्ययनसूत्र (राजस्थानी भाषार्थ सहित) संस्कृत प्रा.रा., लि.क. लोकवल्लभ वाचक,उदरामसर(बीकानेर)मध्ये . . ३६ / ७३१३ १८३२ ... ३७ ७३४१ १८३५ १६१ / प्रा.रा., लि.क. हस्तिसागर एवं विमलसागर, प्रति का अर्द्धभाग संवत् १८३२ से भी प्राचीन है २३१ प्रा.रा., लि.क. बोलतसोभाग्य, श्रीबीलाडा नगरे २६० | प्रा.रा., लि.फ. कुरायगतसागर, तातोटी नगरे, ठाकुर गुलाबसिंहजी कवर सवाईसिंहराज्ये प्रा.रा. . ३८ ७३६२ १८५२ - ११९ ७४२८ ৩৪৩০ ७६५५ ४४१८ १७२७ . १८वीं १९वीं १६३७ GmW | उत्तराध्ययनसूत्र (सवालावबोध) उत्तराध्ययनसूत्र (सस्तवक) १५७/प्रा.रा., अपूर्ण ३८३ / प्रा.रा.सं., १९५, १६८, १६६ तया २१७ - पत्र प्राप्त २२८ प्रा.रा., प्रति जीर्ण-शोणं तया .. ४३ ६६१६: १७वीं .. - - Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२, २३ जैनागम 1 [ २४६ विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय | पत्र संख्या ७७६२ | उत्तराध्ययनसूत्र (सस्तबक) १७६२ २४३ प्रा.रा., प्रति के प्राद्यन्त पत्र शोभन हैं, लि.क. धनजी, .. राजपुरग्रामे ३१७ | प्राकृत-अपभ्रंश ४५ / ७३१२ १७वीं | उत्तराध्ययनसूत्र (सबालावबोध, पञ्चपाठ) | उत्तराध्ययनसूत्र (सबालावबोध, ४६ । ५६०६ १६वीं त्रिपाठ) ४७ । ७२८२ । | उत्तराध्ययनसूत्र (सटीक) टी. कमलसंयम, जिनभद्रसूरिशिष्य १६५६ ६८४६ | उत्तराध्ययनसूत्र-परीसहाध्ययन १८वीं ५६ कथा १४६ / प्रा. सं., प्रति अति सुन्दर लिखित है, इसके स्वामी का नाम ऋषि तेजपाल, गोवर्धन, प्राशकरण है ३०२ | प्रा. सं., लि.क. पं. तेजपाल, देवराजपुर प्राचीन राजस्थानी, प्राद्य तीन पत्र चिपके हुए हैं तथा प्रति जीर्ण-शीर्ण है २६३ | प्रा. संस्कृत ४७ * संस्कृत, लि.स्था. चित्रकूट ६४ | संस्कृत-प्राकृत, र.का. १४८५ (रत्नगजमदमितेऽब्दे) लि.क. गोपी, प्राचार्यवेणसुत, सारङ्गपुर, मध्ये प्रा. सं. ___३० | प्राकृत उत्तराध्ययनसूत्रसुवोधावृत्ति उत्तराध्ययनावचूरि ७३४० ५० | ४३५७ ५१ / ७३९३ १६६७से पूर्व १४६७ १६१२ । ५२ | ७४३४ ५३ । ७४३८ उपासकदशाङ्ग (सटीक) १७वीं १६१२ Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २३ जैनागम ] [ २५० क्रमात लिपि समय पत्र संख्या | ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय .. ५४ / ७२५६ - उपासकदशाङ्गविवरण १६४७ ५५ ५२२६ | उपासकदशाङ्गसंग्रह शिवचन्द (कल्याणसूरिशिष्य) | १७१३ २० संस्कृत, लि.क. मुनि लषमन, जिनचन्द्रसूरिविजयराज्ये ४७, रा.प्रा., लि.फ. छीतर (शिव चन्दशिष्य वैराठदुर्गे, आसन्दी ग्रामे, पांचवां पत्र अप्राप्त ५३ प्रा.रा., लि.फ. लालसागर . उपासकदशाङ्गसूत्र (राजस्थानी १७५२ भाषार्थ सहित) ५७. | ७६३४ १६८० .७२२८ . उववाइसूत्र (राजस्थानी भाषार्थ १८६६ सहित) ७४१६ . उवाइसूत्र १६८४ । ७४८५ प्रोपनियुक्ति प्रोपपातिकोपाङ्गसूत्र (सस्तवक) स्त. पार्वचन्द्र (सीधुरत्नशिष्य) | १७वीं ६८५२ कल्पवार्ता १६वीं १६वों ६६ प्रा.रा. प्रा.रा., लि.क. ऋपि हुकमचंद, राणावासनयरमध्ये ६५ प्राकृत, प्रथम पत्र प्राप्त २३ । प्राकृत ११५ प्रा.रा. १५२ रा., अपूर्ण, पर १०, ३८, ३६ तथा ११४ से ११८ तफ अप्राप्त १३१ : प्राकृत, चिन सं. ३४ ८५ सं.डा., राजस्थानी फलम के चित्र ___७२ ., चित्र सं. १६ ५३ : प्रा.. चि. सं. १४ ६१ : प्रा., चि. सं. ४० १३३ : प्रा., नि. सं. ३६ ४३१८ . फल कल्पसूत्र (सचित्र) ५३५६ ५३५७ १६वीं १५वीं ५३५८ ५३५६ ७८४१ १५०२ १४चों Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ . . राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला लाजपत्यागधनयासमाश्वा नावेतनवा मारिन डिवीजन मवसरणानमारमध्यगतएवन नारकोविंयाम्यवाक्क नातिकतावागायत वनावश्या ICE पानी शशाव तिसबखरकाणमतकरतिालामारणासवानमामि समयनास्थय जतिबुझतिम्रतिपरिनिवातिसादुकोणतकविशाला नामविनयलमा श्याताबणासवगदाणणसिप्रतिनायशराजलवा मातामानयमित दणाणनाश्वमंतिनातिणकालगातका मासमा नयाक गलगवमहावीररायगिदिनयोरगुणसिलए विश RELATEबणंसमणारंगाबवणंसमगागरिन्हो साई का नया वयाणाबरणमावियागीबझणोदवाणाबही पाद नयमनोविका वाणीमायाववएवमाइस्कशपदनासशपयन वेशपयोस Aणधारपदावा कणाकणेतामयमणासमहासदेनेयासकारणाससीसताना लागनेननयममा निलयासवागरणावयोवयोमरदसतिमिाजामध्यममा मयकादरमपाधासवणाकाप्यासम्मानाबायघसरकाशमा संध्यमनिदिनामिनि बादशाक्रनम्बरमाध्ययनाववरित सादरविवाघधीताला मन्त्रीकुलम निरितिक्षरिताबाागासवतायधावणवदिपधेलिवितश्रीसतनीहरिदासमान FAIसंरचयधामलेवरवा लिआ लाहानशीकलालेविरती यी सामना ग्रन्थसंख्या ७८४६ कल्पसूत्र (सुप्रसिद्ध तपोगच्छाचार्य श्रीसोमसुन्दरसूरिके उपदेशसे सं० १४८५ में सुलेखित सचित्र प्रति) । । Page #260 --------------------------------------------------------------------------  Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २३ - जैनागम ] कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ६६ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ ७८४२ ७८४६ ७८४७ ७८४६ ७८५० ७८५१ ७३८६ ७३६० ७४१३ ७८ ७४२६ कल्पसूत्र (सचित्र) "1 "" 13 37 "" कल्पसूत्र 17 33 " "" "" "" कल्पसूत्र ( राजस्थानी भाषार्थ सहित) | "" 33 भा. गुणविजय लिपि समय १४वीं | १५५० से पूर्व १५३१ १४८५ १४६० १४६० के मध्यवर्ती १५५० के लगभग १८६५ १८३३ १८वीं १८४५ पत्र संख्या १०३ ५० १० ε ३६ ४ ५४ १७२ १३१ १७५ [ २५१ विशेष उल्लेखनीय प्रा., चि. सं. ८ प्रा., चि. सं. २८ प्रा., स्फुट पत्र, चित्र सं. १०: प्रा., त्रुटित, चि. सं. ३, सुप्रसिद्ध तपोगच्छाचार्य सोमसुन्दरसूरिके श्रादेश से प्रालेखित प्रा., त्रुटित, चि. सं. ७ प्रा. प्रति में पत्र ८, १७, २३ व ८वें ही प्राप्त हैं। प्रा. लि.क. सन्तोषचन्द्र मुनि, नागोरमध्ये 6. प्रा. रा. १ से १० पत्र श्रप्राप्त, लि.क. ऋषभविजय, बृहत्सप्तच्छदी ( बड़ी सादड़ी, मेदपाटदेशे ?) नगरे प्रा.रा., प्रति के अन्त में जिनधर्मप्रवत्तंक विद्वानों की जन्मतिथि, विभिन्नगच्छों की स्थापना, नामकरण का समय एवं विविध श्राचार्यों की कृतियों का परिचय लिखित है, अन्तिम पत्र प्राप्त प्रा. रा., प्रथम पत्र प्राप्त Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २३-जैनागम ] [ २५२ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम लिपि समय पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क कल्पसूत्र (राजस्थानीभाषार्थसहित) ७६ । ७३६१ ८० ७५५५ १८३६ १७२६ " ४४१३ ७५२६ कल्पसूत्र (सस्तवक) स्त. सोमविमल १६७२ १७२६ ८३ । ७०७५ " (सटिप्पण) १८वीं १३६ / प्रा.रा., लि.स्था. फलौधी ८८ प्रा.रा., लि.फ. मुनि मनोहर, वलूदा ग्रामे १०६ | प्रा.रा. ६१ | प्रा.रा., लि.क. मनोहरप्रापि, अहमदपुरमध्ये ६६ | प्रा.अ., अपूर्ण प्रति किन्तु प्रदर्शनीय १३६ प्रा.सं., चि. सं. ३६, भिन्नमाल में लिखित १०५ | प्रा., चि. सं. २४, धनेश्वरसूरि द्वारा लिखापित, इस प्रति को सं. १५२३ में प्राचार्य को भेंट फरने का उल्लेख है १११ प्राकृत-संस्कृत ८४ | ५३५४ ,, (सावचूरि, सचित्र) १५६३ ८५ ७८४० १५२३से पूर्व (सावरि) १४१६ ७४८६ ७८४४ ५३५५ १७३४ (सटीक, सचित्र) कल्पसूत्रकिरणावलीटीका . | टी. सुमतिहंससूरि टी. धर्मसागरगणी ८६ ७२४१ । १६७६ ११५ | प्रा.सं., चि. .८६, सोजत में लिखित ३२२ सं.प्रा., प्रथम पत्र प्राप्त लि.क. कमलसी, महंतवसीसुत, ईवलपुरा (अहमदाबार) स्थाने ११८ / संस्कृत . . . ६० ७२२६ । कल्पसूत्रटीफा १६यी Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २३ - जैनागम .. कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ६१ ६२ ६३ Ex ६५ ६६ ७५५६ ६०३२ ७५५८ ६६१७ ६८४८ ७३१० ६७ ७२६० ६८ ७४६६ εε ४३०४ १०० ७२०१ १०१ ७२१४ १०२ ७२२६ ग्रन्थ नाम कल्पसूत्रटीका कल्पसूत्रबालावबोध "1 32 कल्पसूत्रभाषा कल्पान्तर्वाच्य कल्पसूत्र सिद्धान्तवाचना (सप्तमवाचना ) कल्पान्तरवाच्यटीका' चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र चित्तसंभूति ( ऋषीश्वराध्ययना नन्तरम् ) जीवाभिगमवृत्ति ठाणाङ्गसूत्र ठाणाङ्ग (स्थानाङ्ग) सूत्रवृत्ति लक्ष्मीवल्लभ ( लक्ष्मीनिधि) शिवनिधान वृ. श्रीमलयगिरि लिपि समय १६वीं १७६४ १७१२ १९३३ १६५७ १६६२ १७वीं "1 १५वीं (?) १६वीं " १६०८ पत्र संख्या २२ १११ सं. प्रा. रा. १२८ | राजस्थानी, लि.क. पं. हरराज, श्रीशोमनगरे प्रा. रा. लि.क. मानविजय, १२७ मालपुरामध्ये राजस्थानी, लि.क. ऋषिकेशचन्द्र, विक्रमपुरमध्ये १६६ राजस्थानी, १-२ पत्र कीट विशेष उल्लेखनीय ५० ३६ [ २५३ विद्ध, लि.क. ऋषि लक्ष्मीचन्द सरूपचन्द, रेवासी ( पालणपुर, गुजरात) मध्ये ५४ प्रा.सं., लि. क. सौभाग्यविमल, श्री सिरोही नगरे, रचनाकाल १५७० (?) प्रा.सं. प्राकृत ७ प्रा.रा. २६२ ७७ १८२ प्रा.सं. प्राकृत प्रा. रा. Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २३-जैनागम ] [ २५४ क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या दशवकालिकसूत्र १७वीं ... १०३ ७२३२ १०४ ७४२४ १०५ ७४८८ १८७८ १६६६ २७ प्राकृत २० . लि.क. अखु २६ , लि.क. हरजी (ललित प्रभशिष्य) २५ । प्राकृत, लि.फ. ऋषि धनजी, कालावडनगरे ५८ प्रा.रा. ७६३६ । १७७७ १०७ ७३१७ १७वीं १०८ ७५५२ ४४५६ दशवकालिकसूत्र ( राजस्थानी भाषार्थ सहित ) दशवकालिकसूत्र (सावचूरि) , (सटबार्थ) दशवकालिकसूत्रटीका १६२३ १८वीं १७वीं . . ११० / ७३२३ टी. सुमतिसूरि (बोधकशिष्य) हरिभद्रसरि १६ १११ / ७४७४ । दशवकालिकसूत्रटीका ( शिष्य बोधिनीनाम्नी) ११२ | ७२८७ | दशवकालिकसूत्रावचूरि दशाश्रुतस्फन्ध ३७ , प्रा.सं. ५४ प्रा.रा., ३६वा पा प्राप्त ५४ - संस्कृत, टीकाकार ने अपनी पुष्पिफा में हरिभद्राचार्य को एक टीका का भी उल्लेख किया है १२४ संस्कृत, लि.फ. जिनचन्द्रसूरि मुनिराज, प्रणहिलपुरपत्तने १६ संस्कृत २६ प्रा., लि.क. मुनि महायजी, खोरपुरनगरे १६ प्राकत. ६२ प्रा. रा., लि.क. मूल सुमतिहंस, भाषा उमदहंस. फोसाणामध्ये १५वीं ३ । ७६५४ १६७० ११४.७४८४ .. ११५ / ७२५६ मन्दीसूत्र निरयावलिका (राजस्थानी भाषार्थ सहित) १७वीं १८९७ Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २३-जैनागम ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [ २५५ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या . १८३२ ७७ १७वीं ११६ ७३०७ निरयावलिकासूत्र ११७, ७३६५. | निशीथसूत्र ( लघु ) ( राजस्थानी भाषार्थ सहित ) ११८ | ७४८१ | निशीथसूत्र ११६, ७५४१ १२० ७०८५ प्रतिक्रमणसूत्र १२१ ७४४४ (७) १२२ / ७४४५ १९वीं १८८५ १८८७ " आदि न २६ | प्रा., लि.क. वच्छा ... प्रा.रा., लि.क. कपूरविजय, हरचन्द, पीपाड़नगरे । १६ | प्राकृत २३ |, प्रथम पत्र अप्राप्त २३ / प्रा., अपूर्ण, १६वाँ पत्र अप्राप्त १६८-१८० प्राकृत ४६१ | * विविध भाषा, जरी के कपड़े के जिल्दबन्ध गुटके में पाठ कृतियों का संग्रह है * वि.भा., सुन्दर जिल्दबन्ध गुटके में १० कृतियोंका संग्रह है ६१ प्राचीन राजस्थानी | प्रा., द्वितीय पत्र प्राप्त २६ प्राकृत ८३ संस्कृत १२३ । ७४४६ १९२२ ५६७३ प्रतिक्रमणसूत्रबालावबोध सहजकीति प्रश्नव्याकरण १८८९ १५९८ १७वीं १६०२ १५वीं १२७ प्रश्नव्याकरणाङ्गटीका अभयदेवसूरि ७२५६ ७२११ ७३४५ ७५४७ ७३१५ १२८ * संस्कृत १२९ १७वीं 930 १६५४ १५ ११२ प्रा.रा. प्रा अपभ्रंश प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्र (सबालावबोध) प्रश्नव्याकरणोपाङ्गसूत्र (सबालावबोध, पंचपाठ) प्रश्नव्याकरणोपाङ्गसूत्र (प्राचीन राजस्थानी भाषार्थसहित) १३१ । ७३४६ १७५६ ७३ प्रा.रा., लि.क. ललितहंस तत्वहंस शिष्य, सप्तसदी नगर मध्ये Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २३- जैनागम ] [ २५६ विशेष उल्लेखनीय - - | लिपि समय पत्र संख्या . क्रमाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम प्रज्ञापनासूत्र १७वीं १३२ ७१८१ १३३ । ७५४५ ७१६७ १६५६ १७वीं ३२० | प्राकृत २२७ , १-२ पत्र प्राप्त ४२६ | प्रा. संस्कृत १३४ प्रज्ञापनोपाङ्ग (सटीक, पञ्चपाठ) | मू. श्रीश्यामाचार्य ? टी. श्रीमलयगिरि प्रज्ञापनोपांगसूत्र पाक्षिकसूत्र पिण्डनियुक्ति भगवतीसूत्र १३५ ७२८३ ७६६८ १३७. ७४८३ . १३८ | ७२३३ १६वीं १७वीं १६२५ .. | भगवतीसूत्र १३६ - ७२८९ ७२०३ । १६०२ । १७३० टीका अभयदेवसूरि १७१ | प्राकृत, १-२ पत्र प्राप्त १४ प्राकृत ३२ ४५७ प्राकृत, संवत् १६ श्रापाडादि २५ वर्षे फाल्गुन वदि द्वादशायां तिथी भगवतीसूत्र लिखितम् ३०४ प्राकृत, लि.स्था. अणहलपुर ३४२ संस्कृत, लि. स्था. जैसलमेर राउल श्रीअमरसिंहजीराज्ये ४१० संस्कृत. लि. क. माहाण जीवा ८३ प्राकृत, लि. क. मोढज्ञातीय जोशी कुलसी प्रा. रा. प्रा. सं, प्रदर्शनीय प्रति ७२२० ७५६६ , वृत्ति राजप्रश्नीयसूत्र . । १६७० १७वीं १४१५ १४५ १४३ ७६३५ , (राजस्थानी भाषार्थसहित) भा० मेघराजयाचक १४४ ७३०० राजाश्नीयोपाङ्गसूत्र ( सटीक, पञ्चपाठ) १४५ / ७२८४ । राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र (सवालाव , बोध, पञ्चपाठ) राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र (राजस्थानी-| भापार्थसहित) १७०२ प्रा. रा., लि. क. मुनि मानसिंह ४६ १७ची १३६ प्रा. रा. - RIBRananews mplimes Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २३-जैनागम ] [ २५७ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क १७५६ राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र (राजस्थानी भाषार्थसहित) ६२ / लि.क. मुनि मनोहर, बोटाद | ग्रामे ११८ /प्रा. रा., ऋषि रूपचन्द, पीहीमध्ये - ওও संस्कृत प्राकृत भा० मेघराज वाचक वृ. मलयगिरि " राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्रवृत्ति व्यवहारसूत्र .. , १४८ ७२२५ १४६ ७३१६ १५० - ७१८५ १५१ : ७४६६ १५२ . ७१८७ १५३ । ७७६३ १५४ ७३८४ १९१२ १७वों १७वीं १७वीं १५१३ १५६१ म २४ विपाकसूत्र (सटिप्पण) विपाकाङ्गसूत्रटीका श्रमणसूत्र (सबालावबोध) टो.अभयदेवाचार्य । १८वीं श्रीरत्नशेखरगणि बा. हेमहंस १६५५ १८वीं १५५ : ७२३८ १५६ ६१३५ १५७ , ७४२३ १५८ ७२६६ १५६ : ५६७८ , लि. क. वाछाक १६ प्रा. सं. ___८ | प्रा. अ., लि. क. मुनि मिरक मांझणजीशिष्य १८५ प्रा.सं., संशोधनकर्ता श्रीलक्ष्मीभद्र १२१ | अ. सं. प्राकृत ७७ , लि. स्था. शुजाउलपुर २०६ | प्रा. रा. लि. स्था. बीकानेर - १६८८ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति षडावश्यकबालावबोध षडावश्यकसूत्र स्थानाङ्गसूत्र स्थानाङ्गसूत्र (सबालावबोध, त्रिपाठ) | समवायाङ्गवृत्ति | समवायाङ्गसूत्र १३ १६७२ १७८७ . १६० ७२२३ १६१ ७१८३ अभयदेवसूरि १६१८ ८४ * सं. प्रा., रचनाकाल ११२० वि. ५० | प्रा. पातशाहअकबरराज्यो . लिपीकृतम् प्राकृत १६२ ७२१५ १६३ । ७४६५ १६६७ ' १६वीं Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर --हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २३-जैनागम] क्रमाङ्क _____ कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम [ २५८ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या ६८ समवायाङ्गसूत्र १६४ / ७४६७ १६५ / ७५६१ १६६२ १८१४ १८वीं १६६६४४५ १६७ । ७१७८ सूत्रकृताङ्ग (सटीक) | सूत्रकृताङ्गसूत्र १६वीं प्राकृत १६५ | प्रा. रा., लि.क. हीराचन्द भावचारी, लीबडीमध्ये प्रा. सं., अपूर्ण ५७ | प्रा., लि.क. माणिक्यचन्द्र, नागेन्द्रगच्छे ४८ प्रा. रा., लि.क. लूणिया पोमसी पुत्रेसासूरताण, जैसलमेर मध्ये २४५ प्राकृत प्रा. रा. १६८ ७२०७ १६५० , (द्वितीय स्कन्ध, | सस्तबक, पञ्चपाठ) स्त. पाशचन्द्र (श्रीसाधुरत्नशिष्य) - . प्रा. सं. | शीलाचार्य (वाहरिगणसहायेन) | १६वीं १६६ । ७२०६ ७४३६ १७वों ३५ १६०१(?) सूत्रकृदङ्गटीका सूत्रकृदङ्गप्रथमश्रुतस्कन्ध सूत्रकदङ्गप्रथमश्रुतस्कन्ध, (सबालावबोध) । , (पञ्चपाठ) सूत्रक्रदङ्गप्रथमश्रुतस्कन्ध (राज स्थानी भाषार्थसहित ७४३३ १७३ । ७५३१ १७वों १६५३१६६७ १६६८ १६७५ ७५३२ ७३०१ ज्ञाताधर्मकथाङ्ग ७३ , , मू. १६५३, भाषा १६६७, लि.क. ऋषिभारण . प्रा. रा. १५६ | प्रा. लि.क. ऋषिवणायग पुंजा, . फेसीयामध्ये २२७/ प्रा. रा., लि.क. जीवन राम, . | नागोरमध्ये .. २६८ प्रा. रा... ... १७६ ७३५६ , , (राजस्थानीभाषार्थ- भा. प्रेमजीगणि १८४८ सहित) ...... १७७ | ७३९८ १८६६ . " - - - ww - . . Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२; २३-जैनागम ] कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क . [ २५६ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या -ग्रन्थ नाम - वृ. अभयदेवसूरि ५०. प्रा. सं., प्रथमपत्र अप्राप्त प्राकृत .. १७८ ७४३५ १७६ ७१६२ ७२३४ १८१ / ७४७८ ज्ञाताधर्मकथाङ्गवृत्ति ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र " " १६३८ १६वीं १७वीं १४८३ " १५० ६४ Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २४-जैनप्रकरण] ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्ग ६१२५ २७५६१ ७२९७ १८वीं १९०६ १६४८ अङ्गचूलिया अन्तसमाधि अष्टप्रकारप्रकारपूजाकया (स्नात्र- | माणिक्यसुन्दरसूरि पंचाशिकावृत्ति) अष्टान्हिकव्याख्यान (पर्वृषणादि) आगमवाणी आदि आगमसारोद्धारगत प्रागमसार देवचन्द्र (खरतरगच्छीय) १८८८ x ७५२५ ७५३७ ६१६२ x १८वीं w १९वीं | ७०१६ आगमसारोद्धारभाषा देवचन्द्र | १८६० - २१ अपभ्रंश ७ राजस्थानी ४० संस्कृत, रचनाकाल १४८४, लि.स्था. अणहल्लपुरपत्तन १० संस्कृत १४ - राजस्थानी ५६ , हिन्दी-रा., र.का. १७८३ लि.क. मुनि दुर्गदास, जालोरमध्ये, पत्र ५६-७६ तक भिन्नलिपि है ७६ हि.रा., र.का. १७७६ . लि.क मथेन जसकरण, । कृष्णगढ़नगरमध्ये २८ : हि.रा., लि.स्था. पुष्पावतीनगरे : १२-१६ । प्राकृत २०४ । संस्कृत, अन्तिम पत्रा अप्राप्त ६ प्रा.रा., प्रथम पा अप्राप्त, अन्त्य पत्र शोभन ७६ सं. प्रा. २३ प्राकृत-संस्कृत २१८ प्रा.सं.रा., लि.क. विजयचन्द्र स्थविर, पाल्लीदुर्गे .... प्राकृत, लि.क. मुनि कल्याण। सुन्दर, लिपि सुन्दर व प्रदर्शनीय .. ,, मुनि . ७३३१ आगमसारोद्धाररास ६ ७२७३ (३) आदिनाथदेशनोद्धार आदिपुराण ७११० . आराधनासूत्र (सार्थ) १८३२ .. १७वीं १८वीं १७३६ ४७६६ सफलकोतिभट्टारक. १७वीं १३ | ७३०८ १४ | ४०१८. . .. उपदेशबालावबोध सोमसुन्दर उपदेशमाला (सावणि) श्रीरत्नशेखर उपदेशमालाप्रकरणकथा (सबा- | धर्मदासगणि (वृद्धिविजय ?) | १८५६ लावबोध) उपदेशमालासूत्र (सटिप्पण) ...... १५. ५६६० १६६३. .३६ प्रा Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २ २४ - जैन प्रकरण ] क्रमाङ्क, ग्रंथाङ्क कर्त्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम १६ १७ १८ १६ २० २१ २२ २३ xxx ww ४३०२ ७४६३ ७२६८ २५ ७२४२ ७३०६ ७२८८ ७२३६ ऋषभपंचाशिका ऋषिमण्डलप्रकरण ७२६७ कर्म प्रकृति २४ ५४१८ (१०) कम्र्मपचीसी ५०६० २६ ६८८० २७ ७८५५ २८ ५३६१ २६ ७८४८ ३० ५३६० "7 " ( सावचूर्णि ऋषिमण्डलवृत्ति कर्म्मग्रन्थपञ्चकावचूरि कर्मग्रन्थषक (स्वोपज्ञटीकोपेत) कर्म्मग्रन्थषट्कसूत्रवृत्ति ( स्वोपज्ञ, रुटीक, त्रिपाठ ) 17 पञ्चपाठ) कर्म्मविपाक (सटिप्पण, सप्ततिका पर्यन्त ) कम्र्मविपाकग्रन्यव्याख्या कालकसूरिकाणयं (सचित्र) कालकाचार्यकथा (सचित्र) "" 23 कालकाचार्यकथानक (सचित्र) देवेन्द्रसूरि ( ? ), मलयगिरि देवेन्द्रसूरि, मलयगिरि नेमिचन्द्र सैद्धान्तिक लिपि समय सचिन्द्र ( गुणचन्द्र शिष्य ) शुभवर्द्धनगणी, (श्री साधुविजय- १८वीं गरि शिष्य ) १७वीं } 39 93 १६वीं १७वीं १६४६ १६०२ १६वीं १८वीं १६वीं १६वीं १५वीं १५३१ १५वीं पत्र संख्या ७ १२ १६ ३५३ ४३ २६२ २२५ ५६ M १२ ** प्राकृत प्राकृत प्रा. सं. " ६ २५ सं. प्रा. १२ १०६ - ११२ हिन्दी विशेष उल्लेखनीय ४७ । अप्रभ्रंश १ से ५ तक स्वोपज्ञटीका तथा "" ६ठे की मलयगिरिकृत टीका है। लि. स्था. रामगढ़ "1 17 प्रा. लि.क. लक्ष्मीरत्त " सं. प्रा. रा. प्राकृत, चि. सं. ६ [ २६१ "" "1 39 " ५ ३, त्रुटित, पूर्ण :9 १२, पत्र ७६-१०३ तक Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Inteemiuan ता , नितिनमन : माया १६प्रा . रा. १४ सारा रस्त रमूरि १४८-१४६ २८ ETRIEमनि प्राकत संस्पात, रचनाकाल १९३० हिन्दी, गुटका fr १६वीं १८७२ १८वीं १७वीं १७५७ ३.६ १२ j alfast १?iry गौता १८३४६इत्ति ३८-४१ मतिपरोन m १८वीं १७वीं ० | rj {াণাধীন नारणोजक ur ३१ | प्रा. संस्कृत, र.फा. सिद्धौरामे मुनौचन्ने ( १७३८ ) लि.क. शापि रस्ना प्रा. सं. | प्रा. प्र. प्रा., मोढ़जातोय जोशी माहय (माधव) लिखितम् १६ | अ., लि.क. निहालचन्द्र, पाडली पुरे, पत्र १५-१८ तक अप्राप्त . ५ | प्रा.प्र., लि.क. सौभाग्यगणि शिष्य, भट्टनेरकोटमध्ये सं.प्रा., लि.क. हमीरविजय, कृष्णगढ़मध्य ११ प्राकृत . .. . गारमान कमिनार १७७५ ५०१५ मिलिगम् (समालाय. गजसागरगणी (धवलचन्द्रशिष्य) १६६८ . बोधम्) सामासिकरपात्यानपवति ५६. १६०४ ४५, ७४६८ करोतिःकरण्यासूत्र , . . ... १७वीं Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २४-जैनप्रकरण ] . { २६३ - लिपि समय पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय कर्ता प्रादि ज्ञातव्य .. क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम . - ४६ / ६१०४ | ५३२७ १६८७ १६३६ १६ अपभ्रंश, प्रथम पना अप्राप्त २ संस्कृत ५१३६ | जम्बूअध्ययन (जम्बूचरित्र) जिनदर्शन (जिनरक्षितजिनपालको चौढालियो) जिनप्रतिमापूजापद्धति जीतकल्पवृत्ति जीवविचार (सस्तवक) जीवविचार (सटीक) तिलकाचार्य ७१८६ ७१८६ ७२३० ६८४३ । जैनपूजाविधि, स्तुति आदि १६वीं १७वीं २६ / सं.प्रा., अपूर्ण १६वीं संस्कृत १७५८ १० प्रा.अ., लि.क. मोहनविमल १५८१ २ प्रा.सं., लि. स्था. शमीग्राम, सौभाग्यनन्दिसूरिविजयराज्ये . २३७ विविध भाषाके इस गुटकेमें तीर्थङ्करोंकी पूजाविधि, भारती, स्तुति, क्षेत्रपालपूजादि संगहीत हैं . १६०१ २५ / सं., लि.क. देवचन्द्र १८वीं ७ | " , विमलदास १८७१ २०१-२०७ / सं. रा. १६३१(?); ४४४ | संस्कृत १६३१ ६ ६ . , .लि.क, पं. नाइया, श्री अचलगच्छेश्वर श्रीधर्ममत्ति सूरीश्वर विशदोपदेशात १८वीं . १०४ | सं.रा., ऊपरके पत्र पर 'सुत्राजीकी टीका' लिखा है ६१ .. " , (सटिप्पण) उमास्वामि |५३३४ | तत्त्वार्थाधिगमसूत्र ६३०२ ५५ ४६१४ (९) , ,, (सार्थ) । ७७६१ तत्त्वार्थाधिगमसूत्रटीका ५७, ७७६० तत्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य सिद्धसेन उमास्वाति (मि) ६२६६ तत्वार्थाधिगमसूत्रभाषाटीका ५६ । ६०३५ द्रव्यसङ ग्रहवृत्ति म. नेमिचन्द्र , वृ. ब्रह्मदेव Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ nummanumane २२ , पति शोषमता air ५८. मानिनुलरमूर्ति शोमगुन्ब रसूरि १८गों सिध्य) . १९वीं मफलकोतिहारक १६१३ __ महायोर भगवदुक्त ग्र. भीमविजय १८४६ जगपुरोगा २० नं.रा, र.का. शरया falim शशित (१६४५) लिक. पाजी प्रांड पदामध्ये १५ सं , लि.क.मविजय 'संवत्सरे. अग्निदिपविश्वसंमिते' है अपभ्रंश ४६-६४ सं.रा प., प्रतिमापूजन एवं स्तवन भी लिखित है ७४ सं. इसमें १११६ प्रश्न है तथा ७२वें पत्र की लिपि नूतन है। ८० प्रा.र., पावलिप्तनगरे शनुञ्जय तीर्थ लिपीकृतम् ६ संस्कृत २१८-२२६ संस्कृत ४ ' प्रा.रा., लि. स्था, जैसलमेर ६१ हि , इस गुटके में जिनदर्शन, श्रीपालदर्शन, पार्श्वनाथस्तोत्र, वारहभावना जनशतक' भवता- मरवालावबोध (हेमराजकृत) .. .. भी लिखित है। १२६-१३६ . प्रा.रा.. लि.क. नेमविजय .. १६वीं १६ 223815) म (स्मा ) . .. १. नरयोग : १८२१ । १९वीं :४४४ (४) मा (गटार्ष) . . . . १८८५ move Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२६५ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूती, भाग-२, २४ जैनप्रकरण ] : . क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क - ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य .. | लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय ___७२... ४०१६ नवतत्त्व (सबालावबोध) ४०६१ पद्मचन्द्रशिष्यःकश्चित् (खरतर- १८०३ गच्छीयः) मेरुतुङ्गसरि (श्रीगच्छेश)- १६५२ शिष्यः कश्चित् १७वीं बा. पावचन्द्र १८७७ ७४ ५२ | सं.प्रा.रा., र.का. १७६६, लि.क. - | ऋषिदेवचन्द्रादि,लि.स्था आगरा ७१ | प्रा.रा, लि.क. केशराज, श्रीरामपुर . . . . . १० | प्रा.रा., लि.क. हंसविजयगणि . प्रा.रा. सं.प्रा., लि.क. नेमचन्द्र, | फलौधीग्राममध्ये १३ | प्रा.सं., लि.क. विजयगणि, रामसेणनगरे ४४६२ ७६५६ ७५२१ ७५ ७६ नवतत्त्वटीका ७५३६ नवतत्त्वप्रकरण (सवालावबोध) १८०७ ခုခု प्रा.रा. ८० ६२३० ७४७६ ७४७६ १६वीं | प्रा.सं. २१२ | सं., लि.क. हेतराम २३ १६ | प्रा.सं. ७५४४ ८३ नवतत्त्वविचार (सबालावबोध) १६वीं नेमिपुराण १८८६ प्रत्याख्यानभाष्यत्रयावचूरि | सोमसुन्दरसूरि प्रत्याख्यानसूत्रभाष्यत्रय (सावचूरि, | मू. देवेन्द्रसूरि, अ. सोमसुन्दरसूरि १६५७ त्रिपाठ) प्रत्येकबुद्धचरित्र १७वीं प्रतिष्ठाकल्प १८वीं प्रबोधचिन्तामणि जयशेखरसूरि प्रवचनसारोद्धार १७वीं " , (सटीक) सिद्धसेन १६५० पञ्चनिर्ग्रन्थिप्रकरण (सावचूरि, १७वीं पञ्चपाठ) पञ्चनिर्ग्रन्थिसूत्र (सावचूरि) मू. अभयदेवसूरि १७८० ५ ८४ ७८२४ ७२०० ७३२१ ७३४७ ७२७६ लि.क. धर्मकीति सं.प्रा. ७२ *संस्कृत, र.का.-१४६२ प्राकृत ३७६ | *प्रा.स. ८५ ८६ ८७ ७३०६ ७ , लि.क. पं. कल्याणचन्द्र Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वाभाव इतक्या वेग २४ । मां वारिण f ₹ 5 *६१० ただ 48 Co ६८ ७१६३ हैं.२०६ 40°C ****{2). ****R33 १९५६ ७११५ ७५.२२ पचपरमेष्ठिपुत्रककार बोवाई ८३०१ प्रधावतोय पार्श्वगायनाच नाभिकामत याद | पाठ) मू. जिनवल्लभ, . श्रीचंद्रसूरि विषिकि नाव (जनपूजाविधि) पोपविविध टिकाप्रादि सोमसूरि उदारापना समय સ્થÎ १८५३ १७ १७४० १७प १ १७वीं १६वीं १६वीं १८७५ १६०१ १५६० पत्र संख्या २६ ३ २ ७ १२-३८ १२१ १२ ४ ११३ [ २६६ faire un संस्कृत, प्रगुणं हि. का. १७९१ संस्कृत, त्रुटित एवं प्राय पत्र त प्रा.सं., वि.क. ऋषि तर विराटनगरे, पातसाहिश्रीरंगविजयराज्ये प्राकृत सं.हि.रा., अभिषेकनामक कृति प्रभयनन्दि द्वारा रचित, र.का. १५९७, इस गुटके तत्वार्यापिगमसूर, भवतामरस्तोत्रादि प्रनेक कृतियां भी लिखित है । प्रा.सं. प्रा. प्रति के कोण भग्न है। विविधभाषा के इस गुटके में चौबीस एवं बीस तीर्थकुरोंकी पूजाविधि तथा दशवेकालिक, तत्वार्थाधिगमसूत्र एवं विविध स्तोत्रादि संगृहीत हैं। & प्राकृत, लि.क. कवीन्द्रसागर २७ संस्कृत, इसमें लघुशान्तिटीका, दण्डकवृत्ति, नवग्रहस्तोत्रवृत्ति एवं विद्याविलासकथा लिखित है | १३. प्रा.रा. लि. स्था. श्रीनारवपुरी, लि.क. गुणलाभगणि Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २४- जैनप्रकरण ] - क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य [२६७ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय | पत्र संख्या १८ १०१ ५२८७ १०२ । ७३३६ ६०५० ७१६६ ७१६६ भक्तामरपूजापद्धति भगवत्यङ्गबीजक भद्रबाहुसंहिता भंवभावना (मूल) १९वीं १७वीं १९वीं १५९८ १७वीं संस्कृत प्राकृत संस्कृत प्राकृत श्रीहेमचंद्रसूरि हेमचन्द्रसूरि मलधारी ७२८५ ७३२० भवभावना (मूल) भवभावनामूलप्रकरण १८६७ २५ " प्राकृत ,, अन्तिम पत्र अपेक्षाकृत नवीन है, उसी पर उक्त संवत् लिखा है, किन्तु मूल प्रति इससे पूर्वको प्रतीत होती है प्राकृत १७वीं " १०८ | ७२५२ । भवभावनासूत्रप्रकरण ७२७३ (२) भववैराग्यशतक ११० | ५४१८ (६)| भवसिन्धुचतुर्दशी १११ | ४०८५ | मङ्गलकलशचोपाई " रूपचन्द्र लक्ष्मीहर्ष १९वीं १८१६ ११२ | ५१२० | मङ्गलकलश तथा द्वितीयवाचना | मं. कनकसोम १७वीं ६६-६७ हिन्दी २७ | * अ.प्रा., लि. स्था. खींवसर ग्राम, रचनाकाल १७१६, स्था.-काकंदीनगर १० . द्वितीयवाचना पत्र १-५ तक में लिखित है, मङ्गलकलशका र.का. १६४६ है, उक्त दोनों ही प्रतियां अपूर्ण हैं १३८-१८१, | संस्कृत, अपूर्ण १८४-२५८ ११३ | ५३०१ | महापुराणसंग्रह . गुणभद्राचार्य १९वीं Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २४-जैनप्रकरण ] [ २६८ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य | लिपि समय पत्र संख्या | क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क ७१०५ ७२६३ सं. प्रा. संस्कृत, लि.क. पं० सोमनन्दन ११५ मौनएकादशी | मौनएकादशीकथा लोकनालाख्यबालावबोध वन्दास्वृत्ति नयविलास (जिनचंद्रसूरिशिष्य) १८वीं १७वीं १८वीं १५५६ ५०८७ ११७ | ७२६४ ११८ ७३४३ ६०३४ "चाप) वनस्पतिसित्तरीअवचूरि वर्द्धमानदेशना (गद्यवन्ध) वर्द्धमानपुराण | विंशतिस्थानकविचारामृतसंग्रह १४६ १२० ६२२० १२१ ४२६६ प्रज्ञापनोपान-सूत्रगत | १६वीं । कोतिगणि १८९० सकलकीर्ति १७६८ जिनहर्षगणि (श्रीजयचन्द्रसूरि- | १७वीं शिष्य) कुलमण्डनसूरि १५वीं जिनदत्तरि जिनभद्राचार्यगरिण क्षमाश्रमण । १८वीं १५५८ देवेन्द्रसूरि १८वीं १२२ १२३ ७४७७ ७१७४ ७०७९ ६१८३ ५६७० १२४ । ,, अन्तिम पत्र के अक्षर उड़ गये हैं ३६ प्राकृत संस्कृत | , लि.क. गुणविजय ६६ * प्रा.सं., प्रथम पत्र अप्राप्त, र.स्था. वीरग्राम, र.का. १५०२ ३१ / * सं.प्रा., र.का. १४४३ संस्कृत प्राकृत अपभ्रंश ,, लि. क. ऋषि विश्राम परगरायपुरे * प्रा. रा., लि.क. गुणपति सागर १६५ प्राकृत ११० संस्कृत विचारामृतसंग्रह विवेकविलास विशेषणवती श्रावकातिचार शतकर्मग्रन्थबालावबोध १२५ १२६ १२७ ४०२६ शीलोपदेशमालाबालावबोध मू. जयकात्ति, बा. मेरुसुन्दर १५० १२८ . ४०३३ १२६, ७३३० १६५४ षडशीतिकशतककर्मग्रन्थ (स्वोपज्ञ-| टोकोपेत) षष्टिशतक -. . १३० / ७४१६ १६वीं प्राकृत Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [२६६ ... - .. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२, २४-जैनप्रकरण ] : क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय | पत्र संख्या विशेष उल्लेखनीय | ५६८६ १५ १८वीं . १३२ ४१ षष्टिशतकबालावबोध . स्थविरावली स्वर्णाचलमाहात्म्य सङ ग्रहण्यवचूरि ७३५३ ६३२७ ७२२१ ७३२५ ६१३३ १३३ | प्राकृत | प्रा. सं. सं., लि.स्था. भरथपुर २० / संस्कृत १६वीं देवदत्त दीक्षित (हर्षसागरात्मज) १८४७ देवभद्रसूरि १४६६ श्रीचन्द्र मुनि (हर्षपुरीय) १६२४ १६वीं १३५ १३६ सङग्रहणी १३७ । ७४०५ | , (मूल) १३८ | ७५४६ १७२२ १३९ । ७४७५ । " (सटीक, त्रिपाठ) | श्रीचन्द्र सूरि, श्रीदेवचन्द्रसूरि १६६० १७ | प्रा., लि.स्था. अलवर, प्रथम ३ पत्र अप्राप्त प्राकृत, लि.क. ऋषि वृद्धिचन्द्र, | चूरूनगरमध्ये ८ प्रा., इसमें दण्डक भी लिखित हैं। लि.क. यशःसागरमुनि, सादडीमध्ये प्रा.सं., लि.क. नयनगणि जीव कलशगणिशिष्य ३१ | प्रा. रा. " रचनाकाल प्रष्टचतुर शीतिके आगराख्ये महानगरे ८५ | * प्रा. रा., लि.क. ऋषि श्रानन्दचन्द्र, श्री बेनातटपुर ६२ | प्रा. रा., लि.क. शिवराज, श्रीबलभा (भी) पुर १०१ । संस्कृत, ३४ वां पत्र प्राप्त १४० ७५६२ ७६३३ सङ ग्रहणीप्रकरण (सस्तबक) सङग्रहणीप्रकरण स्त. वच्छराज उत्तमऋषि १७१० १८वीं P | १४२ ४३५६ सङ ग्रहणीबालावबोध शिवनिधानगणि १८३७ १४३ | ५९७२ १८३६ १४४ | ७३२६ सङ् ग्रहणीवृत्ति | देवभद्रसूरि (श्रीचन्द्र सूरिशिष्य) १८७७ Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २७० राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २४-जैनप्रकरण ] कर्ता आदि ज्ञातव्य . कमाङ्क ग्रन्थाः विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थ नाम है .. १८४५ . सङ ग्रहणीसूत्र (संघेणनो रासछन्द) | मतिसार १४५ ४००४ । सङ ग्रहणीसूत्र (सस्तबक) . १४६ ४०३१ १६६२ लेख(श) सूरि (सचित्र) १४७ १४८ १४४ ५३५३ ६१४१ ७१७५ ७८४३ ७२७७ ७३२४ १८वीं १८३० १८२१ १६७५ १७वीं १८६० २५ /* राजस्थानी, प्रथम पत्र अप्राप्त लि.क. प्रमोदतिलक, राजनगरे २७ / प्रा.अ., लि. कर्ची-पार्याश्री ५ सज्जनजीरी शिष्यना आर्यसू वट, वीलाड़ाग्राम ६७ प्रा.रा., चि. सं. ३२ ४७ हि.रा.प्र., लि.स्था. डीडवाना ६४ | प्रा. अ., चि. सं. ३५ २४ | प्रा., चि. सं. ५ २० प्राकृत २२ , लि.क. सुन्दरहंस, राणा वासमध्ये ३१ प्रा. अ. १५० सङ् ग्रहणीसूत्र १५२ १५३ ७३२७ | १६७८ (सवालावबोध, पञ्च- | देवभद्रसूरि पाठ) (सटवार्थ) . . १५४ ७४४४ (२) ___ १८८५ | ४१४३ सप्ततिशास्त्रबालाववोधविवृति १७वीं मतिचन्द्रमुनि भारामलसंघी (परसरामसुत) ५४-१२० , लि.क. नेमविजय, गोधु न्दाग्राममें लिखित, टिप्पणीका नाम रूपाली है ६२-१८३ / सं.अ.रा., प्रति सुन्दर किन्तु अपूर्ण है . ६२ | हिन्दी, लिखितं महाचन्द्र | श्रीमालवासी पापडदाका पटवारी - ३६ प्रा. रा., लि.क. रूपसोम १५६ ६२०७ सप्तव्यसनकथासमुच्चयं १८७८ .. . १५७ ७५४३ सप्तस्मरणसूत्र (राजस्थानीभाषार्थ . सहित) १८४३ - Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर–हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२; २४-जैनप्रकरण ] क्रमाङ्क । ग्रन्थाङ्क कर्ता आदि ज्ञातव्य [ २७१ विशेष उल्लेखनीय | लिपि समय पत्र संख्या .. ग्रन्थ नाम १५८ | ७०१५ सप्तमन्याख्यान १८वीं | १९वीं देवदत्त दीक्षित ७६६६ १६० ६२०३ १६१ ७११८ १६२ | ७२१७ १६३ / ७१६३ सम्बोधसत्तरीप्रकरण सम्मेदशिखरमाहात्म्य समवस्तुतिपूजा समाधिशतकटीका साधुसमाचारी प्रभाचन्द्र १६६५ १८वीं १७ | सं.अ., इसमें ऋषभदेव, आदि नाथ प्रादिके चरित्रका व्याख्यान है, प्रतिके पन्ने चिपके हुए हैं | प्राकृत ८१ * संस्कृत ____॥ अपूर्ण २५* , लि.क.पं. केशव प्रा.अ., लि.क. कमलविजय साध्वी श्रीसौभाग्यश्रीपठनकृते, प्रति सुन्दर व चित्रित है ७० सं.अ., प्राद्य ४ पत्र प्राप्त, प्रतिके कोरण खण्डित प्रा.अ. प्रा.स.रा., लि.क. लालसागरगणि सं., लि.क. पं. मयारुचि, जयसिंहपुरामध्ये (माधवसिंहराज्य) प्रा. १६४ ७२१८ | सार्द्धशतकवृत्ति धनेश्वरसूरि १६वीं १६५ / ५१३४ ७३८२ ६१४७ | सारोद्धार (पंचखाणा, सटिप्पण) सिद्धान्तसार सिद्धान्तसारप्रदीपक १७वीं १७६३ १८११ सकलकोति १६८ ७२६६ १६६ | ७५३६ १७० | ६१०६ १६वीं १७वीं सिद्धिदण्डिका सूर्यप्रज्ञप्ति संस्तारकप्रकरण (सबालावबोध, पञ्चपाठ) हरिवंशपुराण अपभ्रंश १७१ / ५६११ जिनसेनसूरि १६वीं २६६* संस्कृत - Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग--२, २५--प्रकीर्णनन्थ] - - - कर्ता आदि ज्ञातव्य विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या ग्रन्थ नाम क्रमा १७वीं . १ ७७४१(१) अपभ्रंशस्फुटपद्य २ ७७४१(५)। " ३६०२५ | इग्यारसितपसुव्रतकथा ४ / ५२०७ प्रौदुम्बरवंशपरिचय १८वीं १६०८ ५ ६८२७ औषधसंग्रह आदि १९वीं । ६ ७७२२ (६) १८वीं १०-१२ ४२-४३ अपभ्रंशमें १ यह एक प्रकारका पञ्चनामा है जिसमें जयपुरके महापण्डितों एवं राजगुरुओंकी मूल सम्मतियां अंकित हैं। इस गुटकेमें औषधिके नुस्खे, यंत्रमंत्र, शकुन आदिका संग्रह है इसमें अदृष्टवणको औषधि द्रष्टव्य है १/ प्राचीनसंस्कृतमिश्रित हिन्दी ४६ वां ५० वा २३ दोहे, २ कवित्त राजस्थानी एवं व्रजभाषा नवग्रहोंके सुन्दर चित्र अंकित हैं प्रकीर्ण पत्र कामदारी लिपिमें इतिहास ... .. १०६ इस ७. ५१२३ (१) गंगास्तोत्र ८४४५२ (४२) चण्डिकादेवीचित्र ..१४४५२(४३) १० ४४५४ । चन्द्रायणा, कवित्त . ११ / ७१७७ |६६६० | जन्मपत्र (सचित्र गोलक) जयपुरराज्य एवं सदाशिवभट्टसे सम्बद्ध टिप्पणियां आदि ढाईद्वीपका पटचित्र ७०६० १४७०५६. Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-२२५ प्रकीर्ण ग्रन्थ ] [ २७३ विशेष उल्लेखनीय कर्ता आदि ज्ञातव्य लिपि समय पत्र संख्या । क्रमाङ्क ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ्क १९वीं ७८०६ | ४८१० | तांत्रिकयन्त्र (भूगोलपटचित्र) | तारतम्य (गद्य) द्वात्रिंशदपराधाः, दशमहापराधाः, माघमासोत्सवादि " शुद्धकोति १८वीं १७वीं ५३७६ (५) दशलाक्षणिककथा ७७४१ (७) प्रकीर्णपद्यानि ७००० थाकोशटीका ७३३८ पुष्पमालाप्रकरण ४४८१ बृहत्क्षेत्रसमास मू. शालिवाहन टा. गङ्गाधरभट्ट | १९वीं सोमतिलकसूरि १५वीं १७८५ | श्रीकृष्ण विषयक व्रजभाषागद्यमें संस्कृत, राजस्थानी इसमें वसन्त पञ्चमी के दिन भगवत्प्रतिमा के शृङ्गार की विधिद्रष्टव्य है ८७-६० प्राकृत संस्कृत अपभ्रंश | प्राकृत संस्कृत अपूर्ण प्राकृत १६ विषय ज्योतिष, लि क. दौलत सागरगणि तन्त्रोक्त प्रकीर्ण पत्र एकादशस्कंध पर्यन्त ३ | प्राचीन हिन्दीगद्य, जिनसुखसूरि प्रशस्ति, लि क. पं. गोडिदत्त स्थान पालीग्राम पंजाबी में ५६४ | र.का. शक सं. १७१७, मराठी भाषा में, लि.क. बालाजी भीखाजी, रेवातटे राजराजेश्वर सन्निधौ १८ | प्रारंभसे लेकर दशम अध्याय तक ६३६८ ६८५५ | ४०८३ वलिदानपद्धतिः | भागवत (मराठी अनुवाद) मजलस १६वीं १८५२ २६ १४५४८ (१) मोक्षखेड़ा २७ | ५४८४ : रामविजयमहाकाव्य बनारसीदास श्रीधर १९वीं १८५२ - २८, ५५५० १८वीं Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, २५ प्रकीर्ण ग्रन्थ ] - [ २७४ विशेष उल्लेखनीय लिपि समय पत्र संख्या कर्ता आदि ज्ञातव्य -दमाऊ ग्रन्थ नाम ग्रन्थाङ, . १८६१ २६७११६ ३६७ । र.का. १६२५ शाके (१७६० वि.) अध्याय ११ से ४० तक सं. ५५५० और ७११६ की प्रतियोंको मिलाकर ग्रंथ पूर्ण हो जाता है १११-११२ । लि.क. डालचन्द नथमलसुत लि.स्था. दरियाबाद १७६२ ३० ५३७६ (११), रोसहकीजयमाला ३१ ६०६२ . . | विष्णुमहोत्सवमाला ३१ | ५२३७ वैराग्यशतक . ३३ | ६९७७ षट्चक्रनिरूपणखरड़ा . ३४ / ५२३६ त्रैलोक्यसाधना ... केसरीकवि बालकृष्णभट्टसुत । १८६५ १७४५ - प्रा. रा. गु., लि. क. मनोहर इन्द्रजीत शिष्य O १६०० १६७६ १२ लि.कं. धर्मकीति उपाध्याय मांगलोर मध्ये | ७१७६ ज्ञानबाजीकापटचित्र ... | १६वीं Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८. ४२३४१ ४८. तारा [] मविहिंसकोऽपि सततं भोगेकवीधा (बुद्धा) तुरः नित्यं· स्तोत्रमिदं जपन् द्युपतितं भक्त्या हृदिस्थं स्मरन्, ध्यायेन्मुक्तिमुपैति किं पुनरसौ त्वाचारयुक्तो नरः ॥ २८ इति श्रीग्रध्यात्मरामायणे उमामहेश्वरसंवादे बालकाण्डे ग्रहल्यास्तोत्रम् सम्पूर्णम् । ६. ४२५४ परिशिष्ट १ [ कतिपय ग्रन्थों का विशेष परिचय ] १ - स्तुतिस्तोत्रादि हत्यास्तोत्र प्रादि- ॐ ततो दृष्ट्वा रघुश्रेष्ठं पीतकौशेयवाससम्, धनुर्बाणधरं रामं लक्ष्मणेन समन्वितम् । ग्रन्त - ब्रह्मघ्नो गुरुतल्पगोऽपि पुरुषः स्तेयी सुरापोऽपि च १ श्रज्ञानविमोचनस्तोत्र च कृष्णे सर्ववर्णे विवर्णे | प्राणापाने ग्रादि - ॐकारे श्रादिरूपे सुकृतबहुविधे श्वेतपीते नीले रक्ते कपोते तदुपरि रहिते समाने विपरितकरणे व्यान उद्यानपीठे एको व्यापी शिवोऽयं इति वदति हरिर्नास्ति देवो द्वितीयः । अन्त- ध्याता ध्याने विज्ञाने जयविजयकरे भावभावे विभावे रामारामेति रामे अमृतविषमये लुब्धचन्द्र प्रलुब्धे स्वर्गे नर्के अनके अखिलखिलमये चेतिचेते श्रचेते एको व्यापी शिवोऽयं इति वदति हरिर्नास्ति देवो द्वितीयः ॥ १० इति श्रीनन्दीपुराणे नारायणकृत अज्ञानविमोचनस्तोत्र संपूर्ण । गुरुस्मरणाष्टक (स्तोत्र संग्रह ) पत्र - १, १४, १६, १८, १९ वां ग्रप्राप्त ७१४८ (१) प्रोतस्तव ( २ ) गोपालमंत्र ध्यान ( ३ ) राधिकाशतनाम (४) कृष्णशरणागतिस्तोत्र ( ५ ) दशश्लोकी (६) राधाष्टक (७) चतुःश्लोकी ( ८ ) ग्रादित्यस्तोत्र ( 8 ) निवे - दनाष्टक (१०) नारदशरणचतुष्क ( ११ ) निम्बार्कशरणागतिचतुष्क (१२) श्राचार्य पंचकस्तोत्र (१३) पंचश्लोकी (१४) राधास्तव (१५) आदित्य प्रस्तव (१६) निवादित्यलघुस्तव (१७) युग्मषोडशनामस्तव ( १८ ) यमुनाष्टक (१६) गोपालस्तवराज ( २० ) हरिव्यासाचार्याष्टक (२१) गुरुस्मरणाष्टक (हिन्दी) । प्रथम संख्या क्रमाङ्क और द्वितीय संख्या ग्रन्थाङ्क - सूचक है । Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ --- --- -- २७६ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर . . १३६. ६७०१ यमुनाष्टकादिस्तोत्र, ४८ कृतियां । श्री वल्लभाचार्य रचित-१ यमुनाष्टक. २ बालबोध. ३ सिद्धांतमुक्तावली. ४ सिद्धांतरहस्य. ५ नवरत्नस्तोत्र. ६ अन्तःकरणप्रवोध. ७ विवेकधौर्याश्रय.. ८ कृष्णाश्रय ६ चतुःश्लोकी. १० पुष्टिप्रवाहमर्यादा. ११ भक्तिद्धिनी. १२ जलभेद १३ स्वतन्त्रपद्यानि. १४ सन्यासनिर्णय. १५ निरोधलक्षण. १६ सेवाफल. १७ पंचश्लोकी । (विट्ठलेशरचित). १८. यमुनाष्टपदी १६ गोपीजनवल्लभाष्टक. २० गोकुलाष्टक २१ मधुराष्टक. (वल्लभा-: चार्य) २२. भागवत्तसारसमुच्चयेनामसहस्रम् २३. नामावलीविविधलीला ' २४. सेवाफलविचार. २५ पूतनामोक्ष. २६ गोपालाण्टक. २७ नवनीतप्रियाप्टक. २८ शरणाष्टक २६ दैन्याष्टक. ३० वलदेवाष्टक ३१ गिरिधार्यष्टक. ३२ गोकुलेशाष्टक. ३३ जन्मवैकल्यनिरूपणाष्टक ३४ वल्लभभावाष्टक. ३५ स्वामियुगलाष्टक. ३६ पंचाक्षरगभितस्तोत्र. .. . ३७ वल्लभशरणाष्टक. १८ सप्तश्लोकी भागवत. ३६ स्वामिन्यष्टक. ४० स्वस्वामिनी- . स्तोत्र ४१. आर्या (वल्लभ) ४२ आर्या (विठ्ठलेश) ४३. आर्या (रघुनाथ) ४४. शिक्षाश्लोकी ४५. दैन्याप्टक ४६. भुजंगप्रयाताष्टक ४७. अष्टाक्षरमन्त्रार्थ ४८ स्फुट पद्य ।। - २६. - ३-कर्मकाण्ड .. ५७३६ कुण्डकल्पद्रुम आदि- ॐ मित्यक्षरमद्वितीयमनघं तत्सद्हृदन्तःस्थितं, नत्वा सौति विति विश्वमखिलं यस्मिन् पुनीयते ।। शास्त्रं वीक्ष्य समुद्धराम्यथ सतां श्रीमाधवोऽहं सुधी-- . निर्मथ्याङ्कसमुद्रमिष्टफलंदं श्रीकुण्डकल्पद्रुमम् ।। १ अन्त - आसीत काश्यपवंशजः क्षितितले श्रीमानुदीच्याग्रणी र्गोविन्दःश्रुतिवित्तदात्मज इहाभूत...""नारायणः । ... तत्सूनुनिगमक्रियासु . निपुणः फूकाभिधस्तत्सुतः शुक्लो माधवसंज्ञको रचितवान् श्रीकुण्डकल्पद्रुमम् ।। भ्रान्ता भद्रा ये गणिताटवीषु फलाशयादौ विकलाश्च तेषाम् । कृते सुखेनेष्टफलः शिवाने 'तापीपुरे'ऽरोपि सुकल्पवृक्षः ॥ संवद्धितो यः कृपया शिवेन फलप्रदोऽसाविति वालकानाम् । . शिवः प्रसन्नो भवतीह येषां तेषां फलाप्तिर्नहि संशयोऽत्र ।। पद्यं सवाधं यदि मत्कृतो चेद् ग्राह्यं च तत् साधुजनैविशोन्य। स्वर्वाहिनीसङ्गमतः कुवीथ्याः कुनिम्नगायाश्च यथैव तोयम् ।। रविघनमितव विक्रमार्के प्रयाते (१७१२) . .. नगनगतिथितुल्ये (१५७७) शाककाले प्रवृत्ते। ... शरदि मनुजमाने मन्मथे चैपशुक्ले ॥ .. परिणतिथियुतचन्द्र कुण्डकल्पद्रुमोऽभूत् । . . .. Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . राजस्थान हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २-परिशिष्ट १ ] . [ २७७ २७. ४६६० . . . . कुंण्डतत्त्वप्रदीपः .. आदि- नत्वाऽच्युतब्रह्ममहेशमूर्तीरिप्टेषु पूर्तेषु यदङ्गमाद्यम् । सांगं समं कुण्डमनेकभेदं ब्रूतेऽखिलं तद्बलभद्रसूरिः ।। १ अन्त- कल्पे श्वेतवराहनाम्नि विदिते वैवस्वते सप्तमे सन्मन्वन्तरकेऽष्टविंशतितमे प्राप्ते कलौ सम्प्रति । अन्हि स्वे प्रथमेऽखिलक्षितिपतिश्रीविक्रमार्कप्रभोवर्षाशीतिसहैव षोडशशतातीते च काले त्विह ।। श्रीमदभूपतिशालिवाहनशकात् पञ्चाब्धितिथ्यन्विते श्रीसूर्ये गतसौम्यदिश्यथ वसन्तौ च चैत्रे शुभे । शुक्ले (गच्छति) पूर्णमासि हिमगौ सावित्र्यधिष्ण्ये धृती कन्यास्थे हिमगावथावनियुते मेषे बुधे मीनगे ॥ सिंहे देवगुरौ सिते मकरगे कर्के शनौ संस्थिते कन्यायां तमसि प्रकेत्तुषु झषं संस्थे च पुण्येऽहनि । सुव्यष्ट्यां करणे च सन् मिथुनके लग्नेऽभिजित्के मुहूतेसत्कुण्डविचारणार्थमुदितो दीपः प्रकाशं प्रयात् ।। 'श्रीमत्स्तम्भसुपत्तने (स्थित) महेन्द्राम्भोधियोगे वसन् । नानाशास्त्रविचारणे पटुमतिः श्रीगौड़रत्नाकरात् ।। जातो वत्सकुलाब्धिशीतकिरणः सत्कुण्डतत्वं स्फुट शुक्लस्थावरसूनुरत्नबलभद्राख्यः प्रवक्ति स्वयम् ।। यः पूर्व सुहिरण्यगर्भमतुलं रूपं दधन् वाग्विदाम् मध्ये भट्टसमाख्ययाऽभवदसौ वेदान्वितत्त्वं स्वराट् । ‘भूयः श्रीजयदेवदीक्षितमरिणः सम्राट् सुविस्तारितुं साङ्ग कर्मपथं चरन् विजयते श्रीमन्नृसिंहात्मभूः ।। येन श्रीभगवान् मखैर्वहुविधैः सन्तर्पितः शाश्वतो . येन द्वादशसौत्यकाग्निचयनैः सद्वाजपेयादिभिः । इष्टं तेन सुशास्त्रवेदविदुषां तत्वोपदेशाय चा . ज्ञप्तेनायमगाधसागरजलात् पूर्णेन्दुवत्काशितः ।। २८. ४६७८ कुण्डप्रकरण (श्लोकंप्रकाशिका) रचना- 'रसगगनतिथिप्रमाणवर्षे गतवति विक्रमभूमिका [पा] लात्' लि.क. सदाशंकर, अम्बिकेश्वरसुत महाशंकरपौत्र, जागेश्वरपठनार्थम् । टोडा निवासी। ३३. ४१२८ कुण्डार्क (मरीचिमालाटीकोपेत) ग्रादि- कृष्णात्रिगोत्रोद्भवबूवसिन्धोः समुद्गतः विठ्ठलपूर्णचन्द्रः । - तस्यात्मजः श्रीरघुवीरविज्ञः करोति कुण्डार्कमरीचिमालाम् ॥१ Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. २७८ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर अन्ते- शाखाः सप्तभिरावेष्टय वेदी पंचभिरेव च । कलशं तु त्रिरावेष्टय स्थापायेद्देवताक्रमात् ।। इति श्री० ४१८५ ___ ग्रहशान्तिपद्धति अन्त- त्रिशरगजकुसंख्ये (१८५३) विक्रमातीतकाले रवितिथिबुधवारे माधवे कृष्णपक्षे । रचितमिदमनूपं खेटशान्तिप्रकारं सुमतिभिरवलोक्यं योद्धराजाह्वयेन ।। १ ।। इति श्रीग्रहशान्तिप्रकारः समाप्तिमगात् । लिपिकर्ता-पं० नाथूरामपुरी वचूणी'मध्ये । १००. ४६४६ मूर्तिप्रतिष्ठाविधि. अन्त- व्योमाचलावसुनिशाकरनाम्नि' वर्षे . पक्ष सिते . तपसि रमाधवान्हिवारे।। विधौ जयपुरे च गुरोनिदेशात् प्रालेखि पुस्तकमिदं . गिरधारिशर्मा ॥ १ ॥ ११३. ४९६४ रुद्रपद्धति (रुद्रार्चनमञ्जरी) अन्त- संवद्विक्रमभूपस्य तर्कचन्द्रशते · गते । (१६५७) : पञ्चरागोत्तरे वर्षे कार्तिक्यां च । प्रकाशके ॥ औदीच्यज्ञातिविप्रेण श्रीत्यगलाख्यसूनुना। .. मालजिना. . कृता: चेयं महारुद्रस्य पद्धतिः ॥ :४-तन्त्रमन्त्रादि १७. ४३२६ .. . कृष्णचरित आदि-देव्युवाच-भगवन् सर्व भूतेश सर्वात्मन् सर्वसंभव । देवदेव महादेव सर्वज्ञ करुणाकर ॥१॥ त्वयानुकम्पितेवाहं भूयोप्यद्यानुकंपय । त्रैलोक्यमोहनोमंत्रस्त्वया में कथितः प्रभो ॥ २ ॥ १ यह ग्राम विचूण ज्ञात होता है जो जयपुर से पश्चिम उत्तरमें १६ कोस पर है। Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २-परिशिष्ट १ ] [ २७६ अन्त- अथ वक्ष्यामि भग्ख्यं मुनेश्वरि तमद्भ तम् ।। भुज्य नाम्नो मुनेः सोऽभूत् पुत्रः कनकसप्रभः ॥ तस्यास्यादचला भक्तिहरौ गोपालरूपिणि ।।२५२।। इति संमोहि (ह) नी (न) तंत्रो श्रीकृष्णचरितं समाप्तं । २४. ६२४७ गंधोत्तमानिर्णय . अन्त- सन्दिग्धसन्देहविनाशमुद्गरं चक्र स ग्रंथं गुरुसेवको मुदे । एनं सुधीश्रीगुरुजकुलधरे नाकश्वरः कौलवतां प्रपद्य हि ॥ १ ॥ सिंहस्थे धुमणौ गुरौ घटगते मासै नभस्याभिधे । मंदे ब्रह्मतिथौ विधौ तिमिगते पक्षे शुभे मेचके ।। शाके विक्रमभूपते परिमिते व्याभ्राद्रिजवातृक(१७०२) विप्रप्रार्थनयासमाप्तिमगमद् गन्धोत्तमानिर्णयः ॥ इति श्री कालेत्युपनामकगुरुसेवक कृतं गंधोत्तमा निर्णयः । गुर्जरचुन्नीलालेन कुभावत्यां लिपीकृतम् ।। वहुशास्त्रान्वितो ग्रंथो कौलग्रन्थविनिर्णयम् । ....३२. ४८६७ तंत्रलीलावती आदि- कुंजे मञ्जुलमंजरीपुलकिते भृगांगनासंगते । माद्यत्कोकिलकाकलीविलपिते मन्दान (नि) लान्दोलिते ।। सानन्दन [व] जसुन्दरीभिरभितो निःशेषमालिंगिते । वन्दे सान्द्रपयोदसुन्दररुचिं शृंगारिणं माधवम् ॥१॥ ..... श्रीमत्सूरतनूद्भवो गुणनिधिः सत्कीर्तिचंद्राकरः ख्यातो विक्रमकेसरी जगति यो दारिद्र्यनागांतकः । नानाशास्त्रविचारकेलिचतुरश्रीकर्णभूमि पतिर्बीरः संतनुते मितेन वचसा श्रीतंत्रलीलावली ।।६।। ... आलोक्य तंत्राणि विचार्य सारं निष्कृष्य यत्नादिह साधकानाम् विनोदहेतोगुरुवक्त्रगम्यं सिद्धनिदानं प्रकटीकरोति ।।७।। अन्त- होमादावप्यशक्तश्चेगुद्विणं जपमाचरेत् ॥ इदं तु पञ्चाङ्गपुरश्चरणविषयम् । __ अन्यत्र होमादीनामनुक्तत्त्वात् । इति श्रीतंत्रलीलावत्यां तृतीयः पटलः समाप्तः । ३. ७७११ तन्त्रस्थहृदय : आदि- श्रुतीनां तंत्राणां बहुलकथनात्पन्नगपुरे समायाते मोहे द्विजवरगणानां च विदुषाम् । अतस्तैः सम्पृष्टे हरिहरविरिंच्यादि चरणे । स्तुवन् काशीनाथो रचयति हि तंत्रस्थहृदयम् ॥ ४॥ Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८० ] ४४. ७३. ८३. अन्त ७७०८ ग्रन्त- इति श्रीदुप्टक्षत्रियकुलकालान्तकरेणु कागर्भसम्भूतमहा देवप्रधान शिष्य श्रीमन्नारायणावतारमहामहोपाध्यायश्री परशुरामविरचितं कल्पसूत्रं समाप्तम् । ४२६६ महाविद्यादशश्लोकी विवरण आदि - अपक्षसाव्यवद्वृत्ति विपक्षान्वयि यत्र तु ॥ ३. - ४. [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर सुखजनकं साधूनां वालमुकुन्ददीक्षितः स्वार्थम् । व्यलिखत् परार्थमेतत् हृदयं यत् सर्वतंत्राणाम् ॥ १ शिष्यकल्पतरुकल्पितकल्पं वेदवोचित विधिप्रभुमत्पम् । शुद्धमार्गपरमं व्यलिखित् श्रीकृष्णदीक्षितसुतः स्वपरार्थम् ॥ २ अन्त- तदर्थमाकाशान्येति । तथापि द्रव्यत्त्वेन व्याघातस्तदवस्य एव तदर्थमनित्यनित्यावृत्तीति तथापि न विवक्षित सिद्धिरिति । ७६. ४११८ रामपद्धति आदि- श्रीगणेशाय नमः । ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ १ ॥ अन्त- सर्प दृष्ट्वा यथा लोके दुर्दुरा भयकंपिताः । परशुरामकल्पसूत्र साध्यवद्वृत्तितायुक्तं साद्र्यते साद्धयवर्जिते ॥ १ ॥ ऊर्ध्वपुण्ड्र ं कृतं तद्वत्कम्पन्ते यमकिकराः ॥ ५६ ॥ इति श्रीरामानुजकृता श्रीरामपद्धतिर्वेदोक्ता सम्पूर्णा । लिपिकर्ता - विप्रजयराम । ६७४२. रचना काल - - 'इन्दुवाणरसोर्वीभिर्वत्सरे याति वैक्रमे ।। ( १६५१ ) कार्तिकमासिशुक्लायां द्वादश्यां भोमवासरे । काश्यां कृताऽनवद्येयं रामोपाध्यायसूरिणा || राम एवापिता रामपूजापद्धतिरीदृशी ।। १. ॥ ५२३६ वसुधारा प्रादि- संसारद्वयदन्यस्य प्रतिहंत्रिदिवावहे । वसुधारे सुधाधारे नमस्तुभ्यं कृपामए [य] ॥ - वसुधारानाम धारणीकल्प रामपूजापद्धति ५२२५ - आदि- संसारद्वयदैन [न्य ] स्य प्रतिहंत्रिदिन वहे । वसुधारे सुवाधारे नमः तुभ्यां कृपामए ( यि ) ॥१॥ अन्त- वसुधारा नामधारणी कल्पमित्यपि धारयं इदमेवोचद्भगवान्नातमनाः श्रायुष्मान् नन्दस्ते उभिक्षवस्ते च वोधिसत्त्वा सालसवति परिषत् सदेवमानुपासुरगंधर्वाश्च लोको भगवतो भापितमस्यनदन्निति ॥ इति श्रीवसुधारानामधारणीसमाप्ता । Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २-परिशिष्ट १ ] . [ २८१ ११३. ४४६६ . शिवपंचाक्षरी न्यासविधि आदि- ऋषय ऊचु:-कथं पंचाक्षरी विद्यां प्रभावो वा कथं वद । कथं क्रमो महाभाग. श्रोतुं कौतूहलं हि तः (नः) । सूत०॥ पुरा देवेन रुद्रेण शिवेन परमेष्ठिना। पार्वत्याः कथितं पूर्व प्रवदामि समासतः ॥ अन्त- गृहे जपं समं विद्याद् गोष्ठे शतगुणं भवेत् । ___ नद्यां सहस्रगुणितं अनन्तं शिवसन्निधौ ॥ इति शिवपंचाक्षरन्यास विधिः समाप्तः । . ११६. ४२०५ . सिंहसिद्धान्तसिंधु आदि- यस्यांघ्रिद्वयपूजनेन निखिलाः सिद्धीर्लभन्ते नरा वृद्धी: प्राप्य वसंति वेश्मसु परास्तेषां समाः संपदः । भक्तस्वान्तनितांतमोहदलने दक्षं विपक्षं वरं विघ्नानां प्रणमाम्यनारतमहं तं श्रीगणाधीश्वरम् ॥ १ ___ इति गोस्वामिश्रीजगन्निवासात्मजगोस्वामिश्रीशिवानन्दभट्ट- विरचिते सिंहसिद्धान्तसिंधौ द्विनवतितमस्तरङ्गः । अन्त- चंद्रवन्हितुरगैकसंमिते वत्सरे सहसि शुक्लपक्षतौ ।। शीतरश्मिसितवासरे शुभे ग्रंथ एष परिपूर्णतामगात् ।। २ संवत् १८२५ वर्षे राजाधिराजश्रीमज्जयसिंहतनूजश्रीमन्माधवसिंहोपण्हरेण स्वात्मावलोकनार्थ लिखापितं पुस्तकमिदं श्रीमज्जयसिंहनिर्मिते जयनगराख्ये शुभपत्तने लेखोयं लेखकत्रयाणाम् श्रीः श्रीः ।। . ५-धर्मशास्त्र ४११३ प्राशौचदशक सभाष्य आदि- मातुर्गर्भविपत्स्वयं त्रिदिवसं मासत्रयेतो यथा मासाहं त्रिषु सूतिकावधिरतः स्नानं पितुः सर्वदा । ज्ञातीनां पतनादिजातमरणे पित्रोदशाहं सदा । . नाम्नः प्राक् तदंपति सूतकवशाभ्रातुर्दशाहं परम् ।। १ . भाष्यादी- विज्ञानेश्वरविरचितमुनिजनवाक्यमिताक्षरामव्यात् । आशौचदशकवृत्ति वदति हरिहरिहरी नत्त्वा ।। २ अन्त- "शद्रो धन्यः कलिर्धन्य इति व्यासवाक्यात् । शूद्रधर्मसंस्काराणामाहतः । धन्यः शब्दो मंगलवाचक इति । इत्याशौचदशकभाष्यं हरिहरविरचितं सम्पूर्णम् ।" । Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. २८२ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर २४. ४३५१ कालनिर्णयसिद्धांत सटीक __ आदि- प्रणम्यकरदं देवं, शारदां. गुरुमेव च । कालनिर्णयसिद्धान्तं व्याकुर्वे विशदोक्तितः ॥ १. . . अन्त- एतादृशे समये भुजनगरे द्विवेदिअग्निहोत्रिश्रीजयरामजेन रघुरामेण ग्रन्थस्येयं व्याख्या वुद्ध्या मनीषया कृतेति । इति द्विवेद्यग्निहोत्रिश्रीजयरामसुतरघुरामविरचितो निर्णय सिद्धांतः सटीक: समाप्तिमगमत् ।. २५. ६२४६ __कृत्यरत्नावलि - रचनाकाल- भूतशून्य ऋषिचन्द्र मिते (१७०५ वि०) माघकृष्ण गहरी रविवारे । ग्रन्यपूर्तिमकरोत् किल रामः श्रीरमापतिसमर्पणबुद्ध्या ॥ .. प्रति पर पुस्तकके स्वामीका पश्चाल्लेख इस प्रकार है "श्रीवीसलनगरवास्तव्यनागरज्ञातीयत्रिपाठीकालात्मजग्रहलासनुहरनाथतदात्मज भा. प्रा. तत्सूनुत्रि० त्रिविक्रम तदात्मज त्रि० मोहनसूनु त्रि० प्राणनाथात्मजबालकृष्णस्येदं पुस्तकम् । श्रावण शुक्लकादश्याम् गुरौ संवत् १७५६ ।" ३२. ४१२६ ____ आदि- सा द्विविधा शुक्ला कृष्णा च । तत्र एकैककलावृद्धयवच्छिन्नः कालः शुक्लतिथि: तत्क्षयावच्छिन्नः कालः कृष्ण तिथिः ।। अन्त- योऽनन्तदेवकृतमंथनसन्निवन्ध क्षीराधिजोथ कमलापतिना धृतो यः ॥ नित्ये निजे हृदि सतां प्रमुदे तु तस्य तिथ्याख्यदीधितिरियं स्मृतिकौस्तुभस्य ॥ इति तिथिनिर्णयः समाप्तः । ४०. ४६८४ दानवाक्यसमुच्चय आदि- पुराणश्रुतिवाक्यानि परामृश्य बुधैः सह । . पुरुषोत्तमेन क्रियते दानवाक्यसमुच्चयः ।। ४३. ४६०५ ': धानतपद्धति अादि- धानत इति भविष्योक्तेः । जातः कंसब(व)घार्थायेत्यस्य परभागोऽत्र न संगृहीतः । _ अन्त- ऋक्षादिभिर्भाव्यमिति तच्चेणादिकमनुकर्तव्यमित्यर्थः ।। ४३ ।। इति समाप्तम । ४६. ४१८४ .. प्रायश्चित्तमयूख . श्रादि- नमामि भास्वत्पदपंकजंतच्छीनीलकंठोऽहमथ प्रकुर्वे । .. .. स्मृत्योपदेशान् गुरुशंकरस्य विनिर्णयं पापविशुद्धिहेतुम् ॥ १ तिथिनिर्णय Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २-परिशिष्ट १ ] [ २८३ अन्त- निशायां वा दिवा वापि यदज्ञानकृतं भवेत् । . त्रिकालसंध्याकरणात्तत्सर्वं प्रविणश्यति ।। ४४४६ मदनपारिजात आदि- प्रवालादिप्रस्थद्युतिनिचयपर्यायवपुषे नमो विघ्नश्रेणीविघटनवरिष्ठाय महसे । जगत्प्रादुर्भावस्थितिलयनिरायासरचनाविनोदासक्ताय प्रणतिफलसिद्धिप्रतिभुवे ॥ १ सोऽयं कौशिकवंशभूषणमणिश्रीभट्टविश्वेश्वरो । वेदस्मार्तमते नयेच सय (प) दे वाक्ये कृती वद्धते ।। २ अन्त- “मतिर्येषां शास्त्रे प्रकृतिरमणीया व्यवहृतिः परा शीलं श्लाघ्यं जगति ऋजवस्ते कतिपये । चिरं चित्ते तेषां मुकुरतलभूते स्थितिमिया दियं व्यासारण्यप्रवरमुनिशिष्यस्य भक्ति रिति ॥" इति पण्डितपारिजातकहरिमल्लेत्यादिविरुदराजीविराजमानस्य श्रीमदनपालस्य निवन्धे मदनपारिजताभिधाने नवमः स्तवक: समाप्तः । . : ५९. ४४४४ महावतभाष्य आदि- मधुसूदनं गुरुं वन्दे देवमातं त्रयीविदम् । कृष्णं विनायकं रामं हरिरामं हलायुधम् ॥ १ सप्त चैतान्गुरून्नत्वा तेषां वै पादपांसवः ।। भाष्यं महाव्रतस्याहं कुर्वे गोविंदसंज्ञकः ।। २ अन्त- चातुर्विंशकान् पुच्छानीत्पुच्छसंस्थे चातुर्विंशकानीत्यादिद्विरभ्यास्तेध्यायपरि समाप्त्यर्थः ।। इति शांखायनसूत्रभाष्येऽष्टादशोऽध्यायः ।। . ६२. ४५१६ . मानवधर्मशास्त्रसंहिता आदि- स्वयम्भुवे नमस्कृत्य ब्रह्मणेऽमिततेजसे । मनुप्रणीतान् विविधान् धर्मान् वक्ष्यामि शाश्वतान् ।। १ । अन्त- इत्येतन्मानवं शास्त्रं भृगुप्रोक्त पठन् द्विजः । भवस्याचारवान्नित्यं यथेष्टां प्राप्नुयाद्गतिम् ।। १२६ . . इति श्रीमानवे धर्मशास्त्र भृगुप्रोक्तायां संहितायां द्वादशोऽध्यायः । ४३५० रत्नसंग्रह आदि- नत्वा रामं घनश्यामं शारदां च महेश्वरम् । बालबोधाय गोविंदः कुरुते रत्नसंग्रहम् ॥ १ Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर अन्त- धर्माधिकारिरामस्य निर्ममे तनुजः कृती। . निबंधान् वीक्ष्य निर्व[रबध्नाद् गोविंदो रत्नसंग्रहम् ।। इति श्रीधर्माधिकारिपण्डितरामसुतश्रीमद्गोविंदपंडितकृती ज्यौतिषरत्नसंग्रहः समाप्तः । : ८८. ४५३३ शांखशास्त्र . आदि- स्वयम्भुवे नमस्कृत्य सृष्टिसंहारकारिणे । चातुर्वर्ण्यहितार्थाय शंखः शास्त्रमकल्पयत् ।। १ अन्त- शंखप्रोक्तमिदं शास्त्र योऽधीते द्विजपुङ्गवः । सर्वपापविनिर्मुक्तः स्वर्गलोके महीयते ।। इति शांखे धर्मशास्त्रेऽष्टादशोऽध्यायः । ८६. ४४४७ शांखायनसूत्र भाष्य ____ आदि- ॐ श्रीऋग्वेदमूर्तये नमः । ओम् । पुरुषस्य बुद्धिपूर्वकारिणोऽभ्युदयनिःश्रेयस-, मुपादित्सितं तच्च विशिष्टक्रियासाध्यं, सा च वैदिकी क्रिया नान्या, या काचित् कुत एतत् इत्यादि। अन्त- शांखायनकसूत्रस्य समं शिष्यहितेच्छया । वरदत्तसुतो भाष्यमानत्तीयोऽकरोन्नवम् ।। इति शांखायनसूत्रभाष्येऽष्टमोध्यायः समाप्तः। .. ६-पुराणकथामाहात्म्यादि से ३८ तक। ७७. ४२३० ' .. . भागवत १. भागवत द्वादशस्कन्ध के १२ व १३वें अध्याय पर २. नारायणकवच पृ० ३६ से ५६ तक ३. सप्तश्लोकी गीता पृ० ५७ से ६० तक ४. चतुश्श्लोकी गीता पृ० ६१ से ६३ , ५. एकश्लोकीरामायण पृ० ६४ से ६५ ,, ६. भारतसावित्री . पृ० ६५ से ६७ ,, . . ७. रामरक्षाकवच पृ० ६८ से ८१ . ८. रामाष्टोत्तरनामस्तोत्र पृ० ८२ से ६६ , . (पद्मपुराणांतर्ग) ६. नारदगीता पृ० १०० से १०१ तक, और १०. इन्द्राक्षीस्तोत्र पृ० १०२ से ११३ तक हैं । , ... Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २- परिशिष्ट १ ] ६७. ६४८५ भागवत कम सन्दर्भटीका अन्त- इति कलियुगपावनस्वभजन विभजन प्रयोजनावतारश्रीश्रीभगवच्चैतन्यदेवचररणानुचरणाचार- विश्ववैष्णवराजसभाजनभजन रूपसनातनानुशासनभारती गर्भे क्रमसंदर्भी नाम सप्तमः सन्दर्भः, समाप्तश्चायं भागवतसन्दर्भः । १३३. ६४८८ २. २३. भागवतसन्दर्भे तत्त्व सन्दर्भः प्रथमः आदि- जयतां मथुराभूमौ श्रीलरूपसनातनी । यी विलेखयतस्तत्वं ज्ञापिको पुस्तकामिमाम् || ३ कोऽपि तद्बान्धव भट्टो दक्षिणद्विजवंशजः । विविच्प्राप्य लिखद्ग्रन्थं लिखितावृद्धवैष्णवः ॥ ४ तस्याद्यं ग्रन्थमालेख्यं क्रान्तव्युत्क्रान्तखण्डितम् । पर्यालोच्या पर्य्यायं कृत्वा लिखति जीवकः ।। ५ आदि- शतानीक उवाच -- ७- वेदान्त ४५६४ श्रन्तःकरणबोध सविवृतिक श्रन्त- पितृपादाब्जपरागधनिना मया श्रीवल्लभेन रचिता वि (वि) वृति: पूर्णतामगात् । ४२४४ अनुस्मृति ॐ महातेजो महाप्राज्ञ सर्वशास्त्रविशारद । अक्षीणकर्मबंधस्तु पुरुषो द्विजसत्तम ॥ १ अन्त- ननु घ्यायति यो देही कथयामि च तत्सुखम् । सर्वबन्धविनिर्मुक्तः परं पदमवाप्नुयात् ॥ ७३ इति श्रीमहाभारते विष्णुधर्मोत्तरे अनुस्मृतिः सम्पूर्णा । श्रात्मवोध सटीक [ २८५ . ४१४१ श्रादि - टीका - शतमखपूजितपादं शतपथमनसाप्यगोचराकारम् । विकसज्जलरुहनेत्र (त्रं) उमाछायाङ्कमाश्रयं शम्भुम् ॥ १ मूल- तपोभि[:] क्षीण [य] माना [णा ] नां शान्तानां वीतरागिरणाम् । मुमुक्षूणामपेक्षोयमात्मवोधो विधीयते ॥ १ अन्त- दिग्देशकालाद्यनपेक्षसर्वगं शीतादिहन्नित्यसुखं निरञ्जनम् ॥ श्रीभागवत संदर्भे यः स्वात्मतीर्थं भजते विनिः क्रियः यः सर्ववित् सर्वगतोऽमृतो भवेत् ॥ ६७ 1 Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६ ] .. [ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर, जोधपुर . ... ____टीका- शीतादिद्वन्द्वदुःखानि हरतीति शीतादिहत् नित्यसुखं मोक्षानन्दप्रापकत्वाद । इतरतीर्थेसु तद्विपरीतं (द्र) टव्यम् तस्मादात्मतीर्थे स्नातस्य न किनिदवशिप्यत इति भावः ।. . इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यगोविन्दभगवत्पूज्यपादश्रीमच्छंकराचार्य विरचितात्मबोधप्रकरणं समाप्तम्। ' ५८. ६०६१ नाटकद्वीपास्यान्याख्या .. श्रीगणेशाय नमः ॥ नत्वा श्रीभारतीतीर्थविद्यारण्यमुनीश्वरी । अर्यो नाटकद्वीपस्य मया संक्षिप्य वश्यते ॥ १ . चिकीर्षितस्य ग्रन्थस्य निःप्रयूहपरिपूर्णायाभिमतदेवतातत्त्वानुस्मरणलक्षणं मङ्गलमाचरन् . मन्दाधिकारिणामनायासेन निःप्रपञ्चब्रह्मात्मतत्त्वप्रतिपत्तयेऽध्यारोपापवादाभ्यां निःप्रपञ्चं प्रपञ्च्यते शिष्याणां वोघसिद्ध्यर्थ तत्वजककल्पितः क्रम: इति न्यायमनुसृत्यात्मन्यध्यारोपं तावदाह परमात्मेति परमात्माद्वयानन्दपूर्णः पूर्न स्वमायया। . . . स्वयमेव जगद्भूत्वा प्राविशज्जीवरूपतः ॥ १. देवाद्युत्तमदेहेषु प्रविष्टो देवताऽभवत् । माद्यधमदेहेषु स्थितो, भजति देवताम् ॥ २ अन्त- न तत्र मानापेक्षास्ति स्वप्रकाशस्वरूपतः । . तादृग्व्युत्पत्यपेक्षाचेच्छ ति पठ गुरोर्मुखात् ।। २५ .. यदि सर्वग्रहत्यागो शक्यस्तहि धियं व्रज । . . . . शरणं तदधीनोन्तर्वहिवैपोनुभूयताम् ।। २६. इति श्रीनाटकद्वीपाख्या नाम दशमः ।। १० यद्यप्युक्तन्यायेन स्वात्मा परिशिष्यते तथापि तदापरोक्ष्या (य.) यत्किञ्चित प्रमाणम- . . पेक्षितमित्यत आह न तत्रेति तत्र हेतुमाह स्वप्रकाशेति नन्वात्मा प्रकाशतया स्वस्फतौं मानं नापेक्ष्यत इति व्युत्पत्तिसिद्धये .मानमपेक्षितमित्याशङ्कय श्रुतिरेवान प्रमाणमित्याह ताह- ." गिति ॥२५।। एवमुत्तमाधिकारिणः प्रात्मानुभवोपायमभिधाय मन्दाधिकारिणस्तं दर्शयति ..... यदि सर्वेति बुद्धिशरणत्वे कि फलमित्यत आह तदधीन इति वुद्ध्या यद्यत्परिकल्पयते वाह्यम- भ्यन्तरं वा तस्य तस्य साक्षित्वेन तदाधीनपरमात्मा तथैवानुभूयतामित्यर्थः ॥२६॥ इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यश्रीभारतीतीर्थविद्यारण्यमुनिवयंकिङ्करेण श्रीराम: ... कृष्णाख्यविदुषा विरचिता नाटकद्वीपाख्या नाम दशमः ॥१०॥ . ... . .. Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २-परिशिष्ट १ } . [ २८७ ११-ज्यौतिष . ५. ४४४२ अद्भुतसागर इति श्रीपाकसमयाद्भुतावर्तः ॥ इति श्रीमहाराजाधिराजनिश्शंकशंकरश्रीमद्वल्लाल. . सेनदेवविरचित अद्भुतसागरः समाप्तः । पुस्तकके अन्तमें इक्ष्वाकुवंशोत्पन्न मानसिंहादि राजाओंका वंशवर्णन है। लिपिकर्ता-पुरोहित सदाराम, ठाकुर भैरू सिंघजीपठनार्थम् । लिपिस्थान-शिवपुरी ग्राम । संवत् १७८७ माघ शुक्ला १ बुधवार । ६. ४६३० अद्भुतसागरी प्रथम खण्ड पूर्ण ग्रंथकी पत्र संख्या ऊपर ३६० लिखी है किन्तु यह प्रति अपूर्ण है। प्रतिमें ऊपर "पुस्तकमिदं शुक्लसदासुखजीकस्य" ऐसा लेख है। . ७. ४३१४ ( अयनांशादिकरणविधि ) ____ इस गुटके में उपर्युक्त ग्रन्थके अतिरिक्त शीघ्रबोध करणकुतूहल, शनिचारफल, वंध्याभेद, सन्तानार्थ औषधविधिके दोहे व यन्त्र बीच बीचमें दिये हुए हैं। दोहे उपयोगी हैं। २४ पृष्ठ तक अयनांशादिकरणविधि है । फिर १ पृष्ठ से ७५ पृष्ठ तक शीघ्रबोध है। इसके बाद प्रकीर्ण है। १४. ७०६१ आकाशपुरुषचित्र : यह सुषुम्णारचक्र है, जिसमें पुरुषाकारमें सुषुम्णा नाड़ीमें नक्षत्रमालाकी स्थापना ___ करके बताया गया है । चित्र अध्येतव्य है । ५०. ४१०४ ग्रहणपद्धति आदि- श्रीमग्दोवर्द्धनधरं नत्वा सौरमतानुगाम् । __ स्वल्पानल्पार्थयुतां कुर्वे ग्रहणपद्धतिम् ॥ १ अन्त- नखधृतिविक्रमवर्षे काम्यकवनवासिनन्दरामेण । रचितोपरागपद्धतिरियमतिहृद्या ग्रहज्ञानाम् ।। २४ इति श्रीमिश्रनन्दरामविरचिता ग्रहणपद्धतिः समाप्ता । रचनाकाल--१९२० संवत् । स्थान-काम्यकवन । ६१: ४३६२ गणितनाममाला श्रादि- गणितस्य नाममालायां वक्ष्य गुरुप्रसादतः। . बालानां सुखवोधाय हरिदत्तो द्विजाग्रणीः ।। १ अन्त- कुण्डलज्ञानविप्रेण हरिदत्तेन धीमता । नाममाला कृता श्रेष्ठा देवगुर्वोः प्रसादतः ।। ३० Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर .. श्रीश्रीपतिसुतेनपा बालानां बुद्धिवृद्धये । गणितस्य नाममाला या रचिता शास्त्रसंग्रहे ॥ ३१ ___ इति श्रीज्योतिपनाममालेयं संपूर्णा । ६३. ४८७१ (१) गणितलोलावती प्रादि लिपिस्थान-१६७० शाके विभवनासंवत्सरे वसन्तती वैशाखमागे शुक्लपक्ष नवम्यामिन्दुवासरे सप्तपिक्षेत्रमध्ये लिखितम् ।। ग्रंथके प्रारम्भमें मराठी भापामें गजेन्द्रमोक्ष आदि स्तोत्र हैं। ७८. ४६७२ चमत्कारचिन्तामणि .. अन्त- दधीचे पुरे लाटहासे पुराणां गणांच्छीहरेः स्थापितः स्थानपालः द्विजोञ्चीकरात्सुन्द- ... रालं द्विजन्मा नृपाणामपि नाम चिन्तामरणीयः । ___ लिखितं देराश्री लीलाधर पुरुषोत्तमसुत कंकनपुरमध्ये । ६६. ४२८६ ___ ज्योतिपरत्नमाला आदि- प्रभवविरतिमध्यज्ञानवन्द्या नितान्तं विदितपरमतत्वा यत्र ते योगिनोऽपि । तमहमिहनिमित्तं विश्वजन्मात्ययानामनुमितमभिवन्दे भग्रहःकालमीशम् ।। १ विलोक्यगर्गादिमुनिप्रणीतं . वराहलल्लादिप्रपंचशास्त्रम् । ... दैवज्ञकण्ठाभरणार्थमेपा विरच्यते ज्योतिपरत्नमाला ॥ २ अन्त- सुवृत्तया श्रीपतिदृब्धयानया " कंठस्थितज्योतिषरत्नमालया। अलक्षणोप्यर्थपरिच्युतोप्यलं __ सभासु भूम्नां गणको विराजते ॥ १३ इति श्रीश्रीपतिविरचितायां ज्योतिपरत्नमालायां प्रतिष्ठाप्रकरणं विंशतितमम् । १७.४४०५ . .. ज्योतिषरत्नमाला .. अन्त- आमदपंडे चन्द्रा उत्तरउ श्रीदुर्गाजीराज्ये रामपुरानगरे श्रीकाशद्रावालगच्छे भट्टारक श्रीगोइंदपत्पट्टे प्राचार्य श्रीकान्हाउपाध्यायशिवदासलिखितं स्वशिप्यपरंपरावाचनार्थ तथा स्वकार्यार्थं तथा च परोपकारार्थं उच्छकेन लिखिता। १०८. : ४४०७ . . ज्योतिषसार संग्रह ... . आदि- लग्नं लग्नपतिर्वलान्वितवपुः केन्द्र त्रिकोणे शिवे पृच्छाजन्मविवाहयानतिलके कुर्यान्नृपतिः ध्रुवम् । . . एशिवे .. .. Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २-परिशिष्ट १ ] [२८९ सच्छीलं विभवान्वितं गतरुजं मुक्तातपत्रान्वितम् ........... जातो निम्नकुले विभूतिपुरुषं शंसन्ति गर्गादयः ।। अन्त- सत्वेन जायते सिद्धि रजसिद्धिगुणं फलम् । तामसे फलता नास्ति शिवस्य वन्दनं तथा ।। १०६. ४४१० ___ ज्योतिषसारसंग्रह आदि- यदा मेषे गुरुरुदयं करोति तदा दुर्भिक्षमनावृष्टिः । अन्त- देशा मार्गे पुरै ग्रामे मंत्र औषध देवता। स्वामिनो भूमिकार्येषु नवस्थाने निरीक्षयेत् ॥ ११८. ६३६६ जन्मपत्रीप्रकार: ___यह ग्रंथ मारवाड़में रचित है क्योंकि चरखंडे जोधपुर, जालोर, सोजत आदि स्थानों के दिये गये हैं। . १२०. ५२१५ . जन्मपत्रीपद्धति ... यह प्रति राजस्थानमें ही लिखी गई है। कारण यह है कि राजस्थानके प्रायः सभी नगरोंके अक्षांश इसमें विद्यमान हैं। १७४. ६४२० ताजिकसारवृत्ति वर्षे शैलहयाङ्गभूपरिमिते मासे तथा फाल्गुने पक्षे शुभ्रतरे तिथौ दशमिते श्रीखेरवातत्पुरे श्रीमति विष्णुदासनृपतौ वैरीभवृन्दे हरी वृत्ति:त्तिः] श्रीगुरुहर्षरत्नकृपया सामन्तनामाऽकरोत् । १६१. ५६३० नरपतिजयचर्या पूर्णामित्रर्भभौमे दिनपतिवृषभे माधव शुक्लपक्षे नन्दानन्दाष्टचन्द्र गमयति तदा सोमवंशावतंसः । देशेऽलर्काक्षमध्ये विदितखरपुटीराममिश्रो लिलेख पाठार्थ पाठयोग्यं कलयति तदा श्रीजयपालसिंहः । १६६. ४८५१ - नवरोजप्रकाश प्रादि- हैय्यतजीजमिजस्तिरोमकयवनादिगदितशास्त्राणाम् । मतमवलोक्याशेषं वक्ष्ये किंचित्फलं रम्यम् ।। अन्त- श्रीगौरोपतिनगरे यवनेशोत्साहमानदं सुफलम् । शिवलालपाठकेन प्रकाशितं शिष्यजनतुष्ट्य ।। अझैदयेन्दे भूतायां माघशुक्लै निवासरे। सम्पत्तिरामतोषाय मणीरामः समालिखत् ।। २०१. ७०८८ नष्टोद्दिष्टविधि अन्त- विसमजसकिरणधवलिय महियल सुरनिवहममिपय पयजुअत्मं तिहुअणसिरिवर कुलहर मणहर गुणनिलय जिणजयहि । Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० ] २०६. ७०१० लिपिस्थान—सारसामध्ये नहेतवे । २०७. ४३५२ नारचंद्र यंत्रकोद्धार सटिप्पण आदि- तं जिनं श्रीनं नत्वा नारचन्द्र रेण धीमता । सारमुद्वियते किचित् ज्योतिपक्षीरनीरयेः ॥ १ अन्त- इति नारचन्द्रटिप्पन के श्रीसागरचन्द्रसूरिकृते द्वितीयं प्रकीर्णकं समाप्तम् । इति श्रीनारचन्द्रस्योभयप्रकीर्णके शतकसार्द्धशत १५० यंत्रकारिण समाप्तानि । २२८. ४१८३ २५५. [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर २६८. नारचन्द्र ( द्वितीयप्रकरण ). महोपाध्याय गुणसुन्दर शिष्यकमंत्रन्द्रशिष्य चिरं० २८२. प्रश्नमार्ग । आदि- श्री गुरुभ्यो नमः । मध्याटव्यधिपं दुग्धसिन्धुकन्याधनं धिया । व्यायामि साध्वहं वुद्धेः शुद्धय वृद्धयै च सिद्धये ॥ १ ग्रन्त- कुम्भपूतितिथिभानुचन्द्रमोवृद्धिरिप्फरिपुचन्द्रमंददृक् धान्यवृद्धिशुभदत्रवृत्तिका शक्रनक्रत्र शिकायराशयः ॥ ३६ विदुसंल्लिपिविसर्गवीचिका गवंद्विपदहीनदूषणं । हस्तवेगजमवुद्धिपूर्वकं क्षन्तुमर्हति समीक्ष्य सज्जनः ॥ श्रीसांवशिवार्पणमस्तु । इति प्रश्नमार्गस्समाप्तिमगमत् । पञ्चपक्षी प्रश्न अन्त- भोज्ये च मासे गमने च पक्षे राज्य दिनानित्ययनंच स्वप्ने । मृत्येषु वर्ष सुखता विचार्या कालप्रमाणे मुनयो वदन्ति || ग्रन्थाङ्क ५५५६ 'पञ्चपक्षी' में यह श्लोक निम्नप्रकार है मुक्ते तु मासं गमने तु पक्षं राज्ये क्षरणानीत्ययनंच स्वप्ने । मृतेषु वर्ष शकुनाख्यया च कालप्रमारणं मुनयो वदन्ति ॥ पद्धति प्रकाश ४४५२ आदि - अभिवंद्य महादेवं सर्वशास्त्रविशारदम् । 'भविष्यदर्थबोधाय पप्रच्छुर्मुनयो मुदा ।। १ ४८६३ आदि- नन्देन्दुवर्षेण मया कृतोऽयं ग्रन्थो रवेः पादयुगप्रभावात् ।... दोला शाके नगाम्भोधिशरेन्दु (१५४७) तुल्ये प्राचां प्रवधान्यभिभाष्य सम्यक् ॥ १०४ ४६७८ पतामही सारिणी अन्त - श्रासीत्पार्थ पुरे वरे द्विजन (व) र: श्रीगोपिराजाभिधः । सिद्धान्ताभिनवोद्यमैककुशलो दैवज्ञचूड़ामणिः ॥ तज्जः श्रीपतिरग्रणीः कृतिविधौ सिद्धान्तपारंगमः । तत्सूनुर्मधुसूदनाख्यगणकः पैतामहीं निर्ममे ॥ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ परिशिष्ट १ ] २८६. ४२७७ . बालावबोध - अन्त- अर्द्धप्रहरकः त्याज्य: चतुर्थः सप्तमस्तथा द्वितीयः पंचमो घष्टः षष्ठो रविपूर्वकः ।। आदि- उदयाचलपर्यन्तामस्ताचलमहीमिमां । विख्यातो बालबोधोऽयं मुजादित्यो ।। पूर्वसागरपर्यन्ता पश्चिमोदधिसंयुता वालमाक्रमते नित्यं समां तु दिनेश्वरः ।। इति श्री मुंजादित्यविरचितं ज्योतिश्शास्त्रे वालाववोधाख्यम् । २६४. ७११२ बालबोध ___ अन्त- इति श्रीगोविन्दपदारविन्दमकरन्दवेदाङ्गपाठदक्षिणहिसारनगराधिवासश्रीसुन्दरशर्महृदयानन्द-श्रीहरिकर्णकृते वालबोधमकरन्दपद्धतिमणी ग्रहाणामुदयाधिकारः पंचमः । २६६. ६२१२ बीजवासनाभाष्य अन्त- इति श्रीमन्मार्तण्डात्मजप्रकटस्थगोकुलनामनिवासी श्रीमत्प्रचण्डपाण्डित्यमण्डितोद्दण्डपण्डितमण्डलीमण्डनवलभद्र भट्टात्मजमाधवभट्टसुतव्रजनाथभट्टसूनुना गणकमण्डलीमण्डनेन ज्योतिर्विनितांततोषहेतवे विरचितं बीजवासनाभाष्यं सफ(क)लसन्देहापनोदनवसं श्रीमत्प्रचण्डप्रतापसार्वभौमरामसिंहराज्येऽम्बावत्यां अम्बिकेश्वरपुर्यामंकाभ्रनृप १६०६ मिते शके चैत्रशुक्लपक्षे गुरौ सप्तम्यां समाप्तिमगमत् । संवत् १७७६ शाके १६४१ प्रथम आश्विनकृष्णा १२ सोमे लि० इन्द्रमणिना। '२६८. ४१८६ आदि- मूतित्वे परिकल्पितः शशभृतो वा पुनर्जन्मना मात्मेत्यात्मविदां क्रतुश्च यजनां (तां) भर्ती महः ज्योतिषाम् । लोकानां प्रलयोद्भवस्थितिविभुश्चानेकधा यः श्रुतौ । वाचं नः त्वनेककिरणास्त्रैलोक्यदीपो रविः ।। १ अन्त- दिनकरमुनिगुरुचरणप्रणिपातकृतप्रसादमतिनेदं । __ शास्त्रमुपसंग्रहां नमोऽस्तु पूर्वप्रणेतृभ्यः ॥ १० - इति वराहमिहिरकृती बृहज्जातके उपसंहाराख्यः षड्विंशोध्यायः । ३३६. . ४२८४ . आदि- अथ मयूरचित्र लिख्यते । यस्योदयास्तसमये सुरमुकुटनिघृष्टचरणकमलोपिः। . कुरुतेऽञ्जलि त्रिनेत्रः स जयति धाम्नां निधिः सूर्यः ।। . ४२८३ माससारिणी . आदि- सूर्ये स्पष्टअवधि ५२ । बृहज्जातक __ मयूरचित्र Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 २६२ ] शालिवाहन ४८८ १ अन्त- वेदाष्टगजभूराज्याद्गता विक्रमवत्सरा | मार्गशीर्षे सिते पक्षे नष्ट न्दुचन्द्रवासरे। मासानां सारिणीश्रेष्ठं बालानां शीघ्रवृद्धिदम् ॥ २ रमलनवरत्न नगरसवसुचन्द्रे (१८६७) वत्सरे विक्रमार्के । शिववाटिकायां अवन्त्यां सीतारामपुत्रेण ग्रनूपदेव्याः सुतेन परमसुखसनाढ्येन रचितमिदम् । ३३२. ४७६६ ४२२. ५१६५ [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर ४७०. ६२३. (लक्ष्मीनृसिंहभट्टसुतगोकुलवास्तव्यश्रीपतिविरचित । ) आदि-य: सिनदपुर्या स मे हरेत्युपनामकः रमलसार गुलाबराय धर्मात्मा यशस्वी तत्तनूद्भवः ॥ ३ गुरोर्गोविन्दरायस्य क्षात्रवंश शिरोमणेः प्रसादात् कुरुते रम्लसारः श्रीपतिना मया ॥ ४ वसन्तराजशाकुन ४३५५ आदि - विरंचिनारायणशंकरेभ्यः शचीपतिस्कंदविनायकेभ्यः । लक्ष्मीभवानीपतिदेवताभ्यः सदा नवभ्योऽपि नमो ग्रहेभ्यः ॥ १ अन्त- इति श्रीवसन्तराजशाकुने सदागमार्थशोभने । समस्तसत्यकौतुके कृतं प्रभावकीर्तनम् ॥ विंशतितमो नयः ॥ २० इति भट्टवसन्त राजविरचितं दारिद्र्यविद्रावणं नाम सर्वशाकुनं समाप्तम् । .४४२७ क्षेत्रसमासावचूरि श्रादि- श्रीवीरजिनेन्द्र सर्वेकांततमोरविम् । नत्त्वा नव्यो लघुक्षेत्रसमासोहयवचूर्ण्यते ॥ ऐदं युगीनान् संक्षिप्त रुचीनपेक्ष्य भगवद्भः श्रीसोम तिलकसूरीश्व रैविदधेयमति महार्थः ॥ २ अन्त- एवं सर्वद्वीपसमुद्रादिसंख्या ग्रानेयाः तथात्र मनुष्यक्षेत्रे सर्वाने सर्वेऽपि शशिनोरवयश्च पृथक् प्रत्येकं द्वात्रिंशच्छतं तथा वहिर्मनुष्यक्षेत्रात् शशिनोरवयश्च स्थिरा अर्द्धप्रमाणाश्च ज्ञेयाः ॥ ८७ ॥८८॥ इति नरक्षेत्रविचार इति श्रीसोमतिलकसूरिविरचितायां नव्यक्षेत्रसमासस्यावचूरिंगः श्रीगुणरत्नसूरिविरचिता । Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग २-परिशिष्ट १ ] . . २६३ - १२-छन्दः शास्त्र ४४३२ वृत्तमुक्तावली आदि- सकललघुमपूर्ण तत्कृतीनां कवीना म्प्रभवति सुखहेतुः संश्रितायेन......। ... 'शुभगणाद्या व्याललोकावसान कलयति भवतीयं छन्दसां मालिनीव ॥ १ .. अन्त- अतो मेरोरल्लिगविषयणीजातिषुलादिकासुक्रमा देकद्वयादिप्रमितिरचिराद्वात्ति रः को युतः स्यात् । तदङ्क: स्यात्संख्या भवति यदि वा मिश्रित रेकयुक्त: ' समुद्दिष्टाङ्क: स्याद्विगुणवपुषा संख्ययकोनयाध्वा ॥ इति श्रीमत्कविधुरन्धरमल्लारिविरचितायां वृत्तमुक्तावली (ल्यां) प्रस्तरादिनिरूणं नामाटमो गुच्छः ॥ लिपिकर्ता-वराहग्रामस्थ वम्मणभट्टात्मज कालिङ्ग । १५. ७५१३ वृत्तरत्नाकरवृत्ति अन्त- शरवाणपर्वतकेन्दे चैत्रके विशदे बुधे । एकादश्यां तिथी रात्रौ व्यलेखि विक्रमे पुरे ।। १ भूतनाथप्रसादेन शर्मेशेन लिपीकृतम् । कल्याणमस्तु श्रेयोऽस्तु विजयोऽस्तु शमस्तु च ॥ २ पुस्तिकेयं वदत्येवाविघ्नमस्तु प्रजासु च ।। १३-संगीत . १. ..६७४१ अनूप संगीतरत्नाकर आदि- श्रीगुरुगणाधिपवटुकशारदाभ्यो नमः । श्रीमज्जनार्दनंनत्त्वा संगीतार्थफलप्रदं । तन्यते भावभट्टन रागालापनमंजरी ।। १ त्रिंशत्तुग्रामरागास्यु नवोपरागका.स्मृताः । . रागाणां विंशति प्रोक्ता भाषा षण्णवतिः स्मृता ॥ २ अन्त- इति श्रीमद्राठोडकुलदिनकरमाहाराजाधिराजश्री........"हात्मजजयश्रीविराज___मानचतुःसमुद्रमुद्रावच्छिन्नमेदिनीप्रतिपालनचतुरवदान्यताग्रेश (सर). निजितचिंतामणिरिख Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर प्रतापतापितारिवर्गधर्मावतारश्री ५ माहाराजाधिराजश्रीमदनूपसिंहप्रमोदितश्रीमहीमहेंद्रमौलि- ....... मुकुटरत्नकिरणनीराजितचरणकमलश्रीसाहिजहाँ सभामंडणसंगीतराजजनाईनभट्टांगजानुष्टुपचक्रवतिसंगीतराजभावभट्टविरचिते श्रीअनूपसंगीतरत्नाकरे रागाध्यायो द्वितीयः समाप्तः ।। २ छ।। छ।। ।। छ।। छ।। २. ४१६६ रागमाला आदि- नत्वा शम्भुपदाम्बुजं तदनु च श्रीशैलकन्यापद द्वंन्द्व विघ्ननिवारकं च सततं तं वारणास्यं स्मरन् । रागाणां किलभैरवादिसुमनोमोदप्रदानां ब्रुवे । षण्णां लक्षणरूपगानसमयान् संगीतवित्तुष्टये ॥ १ . अन्त- रागाणां भैरवादीनां षण्णां रूपनिरूपणम् । हरिदत्तबुधप्रीत्यै व्रजनाथेन सूचितम् ॥ २ श्री पञ्चनदान्वयसम्भूतगोकुलस्थद्रजनाथदीक्षितविरचिता हरिदत्तभट्टप्रीत्यै रागमाला समाप्ता। लिपिकर्ता-पुरुषोत्तम प्राचार्य । १४-कामशास्त्र ३. ४४२६ - रतिरहस्य . . ___ आदि- येनाकारिप्रसभमचिरादर्द्धनारीश्वरवं दग्धेनापि त्रिपुरजयिनो ज्योतिषा चाक्षुषेण ॥ इन्दोमिनं सजयति मुदां धाम वामप्रचारो देवः श्रीमान् भवरसभुजां दैवतं चित्तजन्मा ।। १ अन्त- सुरतरुतगरवचागरुमृगमदमलयजगन्धरसधूपः ।। वेश्मनि विहितस्तेषां परस्परं प्रीतिमातनुते ॥७॥ इति सिद्धपटीय पण्डितश्रीकोककृती रतिरहस्ये योगाधिकारो दशमः परिच्छेदः ।। . ४७७५ रतिरहस्य अन्त- शाके वेदनगेषचन्द्रमितिगे संवत्सरे नन्दने माघे मास्यथ धर्मदेवततिथौ सौरस्यवारे पुनः ।। तापीतीरनिवसिना द्विजवरेणालेखि वै पुस्तकं । शिष्याणां पठनाय वामलधियां सौख्याय शैवेन यत् ।। ४. Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २६५ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २-परिशिष्ट १ ]. - १५-काव्य नाटक चम्पू (१) .. २.. ४३७६ अध्यात्मरामायण सुन्दरकाण्ड सटीक ... आदि- श्रीमहादेव उवाच- शतयोजनविस्तीर्ण समुद्र मकरालयम् । लिलंघयिषुरानन्दसन्दाहो मारुतात्मजः ॥ १ अन्त- यत्पादपद्मयुगलं तुलसीदलाये स्संपूज्य विष्णुपदवीमतुलां प्रयान्ति ।। तेनैव किं पुनरसौ परिरब्धमूर्ती — रामेण वायुतनयः कृतपुण्यपुजः ॥ ६४ . इति श्रीमदध्यात्मरामायणे उमामहेश्वरसंवादे सुन्दरकाण्डे पंचमः सर्ग ।। . ३. ४५२० अध्यात्मरामायणसेतु . अन्त- इति श्रीमत्सकलराजविपदुद्धारणसमर्थेत्यादिविरुदावलीविराजमानस्य हिम्मति... वर्मणः पुत्रस्य श्रीरामवर्मणः कृतावध्यात्मरामायणसेतावुत्तरकाण्डे नवमः सर्गः ॥समाप्तः।। -- १०. ४३३१ अनर्घराघव . - आदि- ह्रीं पंचपरमेष्ठिभ्यो नमः ।। निष्प्रत्यूहमुपास्महे भगवतः कौमोदकीलक्ष्मणः। . कोकप्रीतिचकोरपारणपटुर्योतिष्मती लोचने । । . याम्यामर्धविवोधमुग्धमधुरश्रीरघनिद्रायतो। नाभीपल्लवपुण्डरीकमुकुलः कंब्बा: सपत्नीकृतः ॥१ अन्त- दृष्ट्वा तुष्यत्पुलत्यो जगति विजयते जानकीजानिरेकः । इति निष्क्रांताः सर्वे । इति दशग्रीवनिग्रहो नाम षष्ठाङ्कः समाप्तः । ..... १२. . ६४०२ . . . . अन्यापदेश शतक लिपिकर्ता-अभयराम दादूपंथी नागपुर लेभेऽयं शुभदो तपोभिरमलैः श्रीपद्मनाभात्सुतं । . . यद्दशो मिथिलाखिलावनितलालंकारचूड़ामणिः ॥ . तेनेदं मधुसूदनेन कविना विद्यावता निर्मितं, श्लोकानां शतकं मुदे सुकृतिनामन्यांपदेशाव्हयम् ।। १५ ४३२५ अमरुशतक सटिप्पण अन्त- प्रासादे सा दिशिदिशि च सा पृष्ठतः सा पुरः सा। ..' पर्यके सा पथि पथि च सा तद्वियोगातुरस्य ।।.. Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर हंहो चेतः प्रकृतिरपरा नास्ति मे कापि सा सा। ___सा सा सा सा जगति सकले कोऽयमद्वैतवादः ॥ १०२ इति श्रीशङ्कराचार्यविरचितममरुशतकं समाप्तिमगमत् । १८, ४३३० ऋतुसंहार आदि- प्रचण्डसूर्यः स्पृहणीयचन्द्रमाः । सदावगाहक्षतवारिसंचयः ।। दिनांतरम्योऽयुपशांतमन्मथो। निदाघकालः समुपागतः प्रिये ।। १ अन्त- प्रालब्धचन्दनरसा: स्तनशक्तहाराः। कंदर्पदर्पशिथिलीकृतगात्रयष्ट्याः ।। मासे मधी मधुरकोमलभृगनादै र्नार्यो हरन्ति हृदयं प्रसभं नराणाम् ।। २४ इति श्रीविशेपकाव्ये श्रीकालिदासकृतौ ऋतुसंहारे वसन्तवर्णनो नाम षष्ठः सर्गः समाप्तः तत्समासो समाप्तोऽयं ग्रन्थः ।। । कुमारविहारशतक आदि- तेजः पुष्णातु पार्यो दुरितविजयि वः शाश्वतानन्दवीजं ।। संक्रान्तः सप्तरत्न्यां भुजगपतिफणाचक्रपर्यंकभाजि ।। कमांण्यष्टौ समन्तात्रिभुवन भवनोत्संगतानां जनानां । यश्चेत्तुं तुल्यकालं वहति निजतनुक्लृप्तसामान्यरूपाम् ॥ १ अन्त- पास्तां तावन्मनुष्यः प्रकृतिमलिनधीः शाश्वतालोकत्रा वक्त वकौश्चतुभिविधिरपि किमलं तस्य सौन्दर्यलक्ष्मीम् । स्त्रीणां शेषाभिलापः परमलयमयं स्थानमाप्तोऽपि यस्मिनास्थां श्रीपार्श्वनाथस्त्रिभुवनकुमुदारामचन्द्रश्चकार ॥ ११६ इति विहारशतकं समाप्तम् ॥छ।।छ।। कृष्णगणोद्देशदीपिका अन्त- शाके दृशश्चशके नभसि नभोमरिणदिने पष्च्याम् ।। ब्रजपतिसमनि राधाकृष्णगणोशदीपिकाऽदीपि ॥ ५६०२ ___धर्मशाभ्युदयम् - श्रादि- धीना नखेन्दवः कौमुदमेवयन्तु !! यत्रानमन्नाकिनरेन्द्रचक्रचूडारमगर्भप्रतिबिम्बमेणः ।। १ - ४१. ७७६४ ६५. Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] . [ २९७ अन्त- अमजदथ विचिौक्यसूनोपचारैः प्रभुरिहहरिचन्द्राराधितो मोक्षलक्ष्मीम् ।। तदनु तदनुयायी प्राप पर्यन्तपूजो- . sपचितसुकृत राशिः स्वंपदं नाकिलोकः ।। १८५ इति महाकविश्रीहरिश्चंद्रविरचिते श्रीधर्मशाभ्युदये महाकाव्ये श्रीधर्मनाथनिर्वाणगमनो नाम एकविंशतितमः सर्गः पूर्णः । कविवंशवर्णनं तत्रैव मुक्ताफलस्थितिरलंकृतिषुप्रसिद्धस्तत्रादेव इति निर्मलमूर्तिरासीत् ॥ कायस्थ एव निरवद्यगुणग्रहस्स कोऽपियः कुलमशेषमलं चकार ॥ २ लावण्याम्बुनिधिः कलाकुलगृहं सौभाग्यसद्भाग्ययोः । क्रीडावेश्मविलासवासवलभीभूषास्पदं सम्पदाम् ॥ शौचाचारविवेकविस्मयमहीप्राणप्रिया शूलिनःशर्वाणीव पतिव्रता प्रणयिनी रथ्येति तस्याभवत् ॥ ३ अर्हत्पदाम्भोरुहचंचरीकस्तयोः सुतः श्रीहरिचंद्र पासीत् ।। गुरुप्रसादादमला बभूवुः सारस्वते स्रोतसि यस्य वाचः ॥ ४ स कर्णपीयूषरसप्रवाहः रसध्वनरध्वनि सार्थवाहः ॥ श्रीधर्मशर्माभ्युदयाभिधानं महाकविः काव्यमिदं व्यधत्त ।। ७ .... ६६. ४०६२ नलोदय टीका प्रादि- नत्त्वा हरिकमलशंखगदासिपाणि । लक्ष्मीनखांकविलसद्हृदयं दयाब्धिम् ।। वागीश्वरीमथ गुरूंश्च परापरेषां । टीका मनोरथकविः स्वधिया विधत्ते ।। १ नलोदयपदावोधाबुधाः खेदं विमुञ्चत । मनोरथकृतां टीकां शुद्धां सम्प्रति पश्यंत ।। २ अन्त- नलोदयमहाकाव्यटीका विबुधचंद्रिका । आचन्द्रतारकं यावद्भूयादानन्दवद्धिनी ।। ३ एकेन यमकालापो निस्तरीतुं सुदुःशकः। . तस्मात्सन्तो दयावन्तः स्निह्यन्तु मयि निर्भराः ।। ३ ' इति श्रीमन्मनोरथविरचितायां विबुधचन्द्रिकायां नलोदयमहाकाव्यटीकायां चतुर्थ प्राश्वासः ।। ४ ।। समाप्तः ।। Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९८ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर ७४. ४३८८ नृसिंहचम्पू आदि- कनकरुचिदुकूल: कुण्डलोल्लासिगल्लः शमितभुवनभारः कोऽपि लीलावतारः ।। त्रिभुवनसुखकारी शेषधारी नृसिंहः परिकलितरमांगो मंगलं नस्तनोतु ।। १ अन्त- इति श्रीमन्महाराजधिराजस्पृहणीयशौर्योदार्याद्यनेकानवद्यपद्यगुणगणविराजमानश्रीमदुमापतिराज्योद्योतितभट्टकेशवविरचिते नृसिंहचम्पूकाव्ये पञ्चमः स्तबकः ॥ ५ ॥ ८६. ६२४४ महाभारत सभापर्व लिपिकर्तुर्गोवर्धनस्य ग्रन्थान्ते वंशवर्णनं यथा गोविन्दात्मजजीवनाथनिपुणः शास्त्रप्रवाहागमे । तेषामात्मजरुद्रभक्तिनिपुणः ख्यातो हि शैवागमे ।। सोऽयं लेखितग्रन्थमेव सुधियो गोवर्धनख्यातिवान् । पाठे चात्मपरार्थमेव सकलं तस्माच्छिवप्रीतये ॥ २ अस्मत्पितामातुलपुण्यमूर्तेविख्यातनाम्ना हरजीति संज्ञे ।। गोवर्धनोऽहं इदमाललेख प्रसाद तेषां गुरुमातुलस्य ।। ३ वर्षातीते वेदगोभूपचेति । मासेऽषाढ़े पूणिमाभूमिजेति ।। ग्रन्थेऽलेखी विप्रगोवर्धनेति । तीर्थेपुण्ये क्षेत्र भूतेश्वरेति ॥ ४ सं० १६६४ वर्षे आपाढ़मासे शुक्लपक्षे पौर्णमास्यां भौमवासरे च ठाकुरगोविंदसुतठाकुरजीवनाथात्मजगोवर्धनेन लिखितं इदं पुस्तकं मथुरामध्ये श्रीमहान्हरजीपितामातुलप्रसादेन । १०८. ६४७१ महाभारत कर्णपर्व अन्त- हुताशनांगाद्रिकुभिर्मिते शके । श्रीविक्रमार्कस्य च कार्तिके सिते ।। त्रयोदशी भौमदिने समाप्त- . मिदं तु शास्त्रं हरिलालमिश्रात् ।। लिखनत इति शेपः । दाँता मध्ये । ११८. ६१६६ महाभारत मोक्षपर्व अन्त- मनरामेणालेखि नभोंत्यशरारे धृत्यब्दशके भारत्यां सेश जगति शमस्त्तु । १२५. ४३६१ मुद्राराक्षस सटीक आदि- सिंदूरारुणगण्डमण्डलमंदामोदभ्रमम॒गिका। ... ___झंकारेण कलेन कर्णमुरजध्वानेन मंद्रेण च ।। Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२६६ हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग-२, परिशिष्ट १ ] तत्तौर्यत्रिकरीतिमेति शिरसश्शश्वन्मदान्दोलनं । यस्य श्रीगणनायकः स दिशतु श्रेयांसि भूयांसि वः ॥ १ अन्त- वाणान्यर्तुमहीसंख्यामितेव्दे जयनामके । कुंढ़िना व्याकृतं जीयान्मुद्राराक्षसनाटकम् ।। रचनाकाल-शाके १६३५ फाल्गुने । रूपजित्तनयहरदत्तस्येदं पुस्तकम् । १३५. ४३६० मेघदूत सटीक अन्त- प्रासीनिर्मलवंश्यतरणिस्वाचारचिंतामणि: सद्विद्यासरगिर्भवाब्धितरणिः श्रीसोमनाथो द्विजः ॥ सूनुस्तस्य धनेश्वरो व्यरचयट्टीकृां शिशूब्दोधिनीं। काव्येऽस्मिन् सरसप्रवंधविषमे श्रीमेघदूतामिधे ॥ १ . १३६. ५१५६ मेघदूत सटीक अन्त- श्रीवैकुण्ठाभिधगुरुवचोलब्धतत्त्वावबोधो । वाराणस्यां विबुधनिकरालंकृतायां यतीन्द्रः ॥ पूर्णानन्दश्चतुररचनां मेघदूतस्य टीकां ।। काव्यच्छन्दोनिगमनिपुणो बालबुद्ध्य व्यतानीत् ।। १ १५६. ७३०२ रघुवंशटीका अन्त- चन्द्रवसुसम्वतसमै वन्हिवाण परमानिये । आसोज सुदि एकादशी भृगुवार इह जानिये ।। लि.क. खुशालसागरगणि मेदपाटदेशे वैराटमंडले संग्रामगढ़नगरे तथा टुकरवाडग्रामे । १६३. ७०८३ राधाकृष्णप्रेमसम्पुटकाव्य अन्त- षट्शून्यववनिभिर्गुणिते तपस्ये । श्रीरूपवाङ मधुरिमामृतपानपुष्टः ।। राधागिरीन्द्रधरयोः सरसोस्तटान्ते । तत्प्रेमसम्पुटमविन्दत कोऽपि काव्यम् ।। १७१. ४४०० रामहनुमन्नाटक .. आदि- श्रीरामे दशरथेन कैकेयी वाक्पात्रा वनं प्रति प्रेष्यमाणे लक्ष्मणस्य भावः । निर्यातमाकर्ण्य बनाय रामं । सौमित्रिरुत्तंभित कोपकम्प: ।। . विश्रान्तदृष्टिः किल चापयी। दध्यौ स वै लक्ष्यमिदं हृदन्तः ॥ १ ___ अन्त- रकारादीनि नामानि श्रृण्वतो मम पार्वति । मनः प्रसन्नतामेति रामनामाभिशंकया । इति रामहनूमतं नाटकम् । Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०० ] [ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर, जोधपुर २०२. ६०२० रामायण उत्तरकाण्ड अन्त- वाल्मीकिना विरचितं श्रीरामायणपुस्तकम् । लिखितं लक्ष्मणाल्येन समाप्तं भक्ततुष्टिदम् ।। २१६. ७०८७ शिशुपाल व(व)घ अन्त- इति श्रीमाधवरिणग्विरचिते महाकाव्ये श्रय के शिशुपालवधो नामविंशति (त) मः सर्गः ॥ सम्पूर्ण माघकाव्यम् ॥ सं० १५५२ वर्षे चैत्रसुदिद्वादशीदिने सोमवासरे ब्रह्मश्री (षि) रतन पठनार्थे श्री माघकाव्ये लिखितं ज्योतिरणमल शुभं भवतु । २२१. ६१७६ शृङ्गारमाला अन्त- श्री गरदेवः । संसारसर्पमुखमर्दनताद्यरूपाः विज्ञानभापटलपाटितमोहकूपाः ।। येषां कटाक्षकलिताः फलिताः लसन्ति गङ्ग शमिश्रगुरवः सततं जयन्ति ।। १ कविवंशवर्णनम् । पानीयप्रस्थात् परतस्तु मार्गो पटकोशमध्ये हि घटोत्कचस्य ॥ ग्रामो 'घरोडेति प्रसिद्धनामा पूर्वेस्थितास्तत्र पुरा मदीयाः।। १० श्रीविष्णुदत्तस्स्वकुलाब्जभानु- .. रायणस्त्तत्तनुजो बभूव ।। . कौशल्यगोत्रो यजुषामधीता माध्यन्दिनीयो द्विजगौड़जोसी ।। ११ तस्यात्मजो स्यादगमत्तु काश्यां । षड्दशिनीवरमपुत्रमंत्री ॥ दामोदरो वैद्यकग्रंथकर्ताः . .. श्रीरामकृष्णस्तदपत्यमासीत् ।। १२. तुलसीमाधवगंगारामाख्यास्तत्तनूद्भवाश्चासन् । माधवरामसुपुत्रो हृदयराम इति सुगीयते मनुजः ॥ १३ साहित्ये रसग्रंथकृबुधवरस्तस्याङ्गजातः कविविराय इति प्रसिद्धिमगमद्वासीपुरे चार्गले ॥ तत्पुत्रेण कृता मया रसमयी माला रसोपासकाssज(ज्ञ)प्ता प्रापयितुं गुणैरपि युता कल्पारसब्रह्मणि ।। १४ सुखलालेन सुकविना रचिता शृंगारमणिमयीमाला । सा रसिकानां सगुणसुवर्णा विलासमातनुताम् ॥ १५. ... .. सुधांशुव्योमवस्विन्दी वर्षे ज्येष्ठसिते रसे। . " शुभा शृगारमालेयं रविपुष्ये सुगुम्फिता ।। १६ Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३०१ हस्तलिखित ग्रन्य-सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] . इति श्रीमत्साहित्यशास्त्रानुभावरसिकगौड़विप्रवरवादूरायमिश्रसूनुसुखलालमिश्रेण विरचितायां शृंगारमालायां संकीर्णवर्णनं नाम तृतीयं विरचनम् ॥ श्रीरस्तु ।। प्रथम विरचनम्-नायिकाभेदविवरणम् ।। द्वितीय , -शिखनखवर्णनम् । तृतीय ॥ -पऋतुवर्णनम् (संकीर्ण-विरचनम्) । २२३. ५३०३ संवित्प्रकाश ____ अन्त- श्रीगोविन्दकवीशमीशभजनप्राप्तं कवीशाग्रणीः । श्रीमत्कान्हकविः सुतं प्रसुषुवे श्रीकर्मदेवी च यं ॥ वेदान्ताम्बुजभास्वतार्थबहुलं संवित्प्रकाशाभिधं ।। काव्यं तेन कृतं समाप्तिमगमद्विद्वज्जनानन्दनम् ।। २२४. ४१२६ सप्तशती आर्यावृत्तवद्धा आदि- पाणिग्रहे पुलकितं वपुरैशं भूतिभूषितं जयति । अंकुरित इव मनोभूर्यद्भस्मावशेषेऽपि ॥ १ अन्त- हरिचरणलीलाकविवरवचनवामनशीला वामन इव कविपदं निष्ठ्यः । ___ अकृताचार्यः सप्तशतीमेकां गोवर्धनाचार्यः ॥ ७५० इति गोवर्द्धनाचार्यकृता सप्तशतीयं समाप्तम् । संवत् १८०७ मिती माघ शुक्ल २ गुरुवासरे सम्पूर्णम् । लीखतं जोसी परसरामेण । पर्वणीकरोपनामरघुनाथस्येदम् पुस्तकम् । लेखकपाठकयो शुभमस्तु ।। ॥ शुभं भवतु कल्याणम् भव ॥ २२५. ६०६३ सुन्दरमणिसन्दर्भ अन्त- मधुराचार्यनाम्नेष गालवाश्रमवासिना । सुन्दराभिधसन्दर्भो भावशोधाय निर्मितः ।। १६-रसालङ्कार ..... .२. ४३६६ अलंकारचन्द्रिका (कुवलयानन्दटीका) प्रादि- अनुचित्य महालक्ष्मी हरिलोचनचन्द्रिकाम् । कुर्वे कुवलयानन्दसदलकारचन्द्रिकाम् ।। अन्त-- असो कुवलयानन्दश्चन्द्रालोकोत्थितोऽपि सन् । प्रतिष्ठां लभते नैव विनाऽलङ्कारचन्द्रिकाम् ।। इति श्रीमत्पदवाक्यप्रमाणज्ञतत्सद्रामभट्टात्मजवैद्यनाथकृतालङ्ककारचन्द्रिकाख्या कुवलया'नन्दटीका। Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर ४. ५९८३ ___ काव्यकल्पलतावृत्ति (कविशिक्षा) आदि- विमृश्य वाङ्मयं ज्योतिरमरेण यतीन्दुना। काव्यकल्पलताख्येयं कविशिक्षा प्रतन्यते ।। अन्त- इति श्रीजिनदत्तसूरिशिष्यमहाकविचक्रचूड़ामणिश्रीमदमरसिंहविरचितायां .. काव्यकल्पलताकविशिष्या(क्षा)वृत्तौ अर्थसिद्धिप्रताने तुर्ये(तुरीये) समस्यास्तवकः सप्तमः. समाप्तः। १३. ६०७३ चन्द्रालोक सटीक त्रिपाठ (चन्द्रालोकप्रकाश) अन्त- इति श्रीरामचन्द्रदेवात्मजयुवराजश्रीवीरभद्रदेवादिष्टमिश्रवलभद्रात्मजसकलशास्त्रा- ... रविन्दप्रद्योत्तमभट्टाचार्यविरचिते चन्द्रालोकप्रकाशे शरदागमे दशमो मयूखः समाप्तः । २४. ६४६८ रसमञ्जरीटीका व्यङ्ग चार्थकौमुदी वर्षाभ्रांकसुधांशुभिश्च मिलिते संवत्सरे भाद्रके । पक्षे मेचकसंज्ञके कुजदिने व्यङ्ग चार्थविद्योतिकाम् ।। व्यालेखीद्रसमञ्जरीतिलकिका गोविन्दशर्मा द्विजो। राज्ये भारतपत्तने च बलवत्सिहस्यपुण्यात्मनः ॥ प्रति के आदि २३ पत्रों में काशिराज श्रीचंद्रभानु के वंश का विस्तार से वर्णन है । (सं०). ३४. ४३०६ वाग्भटालंकारवृत्ति प्रादि- श्रियं दिशतु वो देवः श्रीनाभेयजिनः सदा। मोक्षमार्ग सदा व ते यदागमपदावली ।। १ व्याख्या-श्रीनाभेयजिनो वो युष्मभ्यं श्रियं दिशतु ददातु किंविशिष्टः श्रीनाभेयजिनः देवः दीव्यति क्रीड़ते परमानन्दपदे इति देवः यस्य भगवतः आगमपदावली सिद्धान्तपदपरम्परा सता . सत्पुरुषाणां मोक्षमार्ग ब्रूते सिद्धेः पंथानं वदति । अन्यापि पदावली मार्ग ब्रूते ॥ १ अन्त- अनुमानमाह प्रत्यक्षाल्लिगतो यत्र कालत्रितयवर्तिनः। लिंगिनो भवति ज्ञानमनुमानं तदुच्यते ।। ३८ व्याख्या-लिंगतोहेतोरतीतानागतवर्तमानकालत्रितयवर्तिनः सलक्षणस्य लिगिनो ज्ञानं .. भवति तदनुमानम् ॥ ३८ ॥ इत्यादि । ४२. ५६०३ श्रवणभूषण (विदग्धमुखमण्डनटीका) आदि- अहं ॥ ॐ ॥ नमो वीतराग। हेरम्ब क्व किमम्ब किं त(व)करे तातस्य चांद्रीकला कृत्यं किं शरजन्मनोक्तमनया दन्तान्तरं स्यादिति । तातः कुप्यति गृह्यतामिति विहायाहर्तुमन्यां कलामाकाशं जयति प्रसारितकरस्स्तम्बरमग्रामणीः ।।. यः साहित्यसुधेन्दुर्नरहरिरल्लालनन्दनः । . ...... कुरुते स प्रवणभूषणाख्यां विदग्धमुखमण्डनव्याख्याम् ।। Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] [ ३०३ अन्त- इति श्रीनरहरिभट्टविरचितायां श्रवणभूषणे चतुर्थः परिच्छेदः । मंगलं जैन्यधर्मो उदेवसंवेगमंगलं । मंगलं गच्छसंधेन लेखके मंगलं भव ॥ श्रीश्रमणसंघाय ।। श्रीविदग्धमुखमण्डनवृत्ति ॥ १७-सुभाषितादि ७२७२ एकषष्टियुतप्रश्नशत अन्त- अचलावेदवार्डीन्दुवत्सरे श्रीरिणीपुरे । विद्याविलासगणिना लेखीदं कृति हार्दकृत् ।। ३. ४३४७ कर्पूरप्रकर सावचूरि आदि- कर्पूरप्रकरः शमामृतरसे वक्त्रंदुचंद्रातपः शुक्लध्यानतरुप्रसूननिचयः पुण्याब्धिफेनोदयः । मुक्तिश्रीकरपीड़नेच्छसि च यो वाक्कामधेनोः पयो व्याख्या लक्ष्यजिनेशपेशलरदज्योतिश्चयः पातु वः ॥ १ अन्त- श्रीवज्रसेनस्य गुरोस्त्रिषष्टि सारप्रबंधस्फुटसद्गुणस्य । शिष्येण चक्र हरिणयमिष्टा सूक्तावली नेमिचरित्रक; ॥ ७८ ___ इति श्रीजिनवर्धनसूरिपट्ट श्रीजिनचंद्रसूरिपट्टालंकारभाग्यसौभाग्यसारश्रीजिनसागरसूरिवरेणकर्पूरप्रकराभिधसुभाषितकोशस्यावणिः समासतः कृता ॥ १४०० १०. ४४५२ (३४) नीतिशतक आदि- यां चिंतयामि० इति ॥ १ अन्त- भर्तृहरिभूपतिना रचितमिदं नीतिरीतिविज्ञेन । ज्ञाते यत्र न मुह्यति धीरोऽधीरः प्रमाणं स्यात् ।। इति श्रीभर्तृहरिकृतं नीतिशतकं सम्पूर्णम् ।। १४. ४४१५ प्रश्नोत्तरषष्टिशतक आदि- द्विरसि यस्य चकासति दीपिका इव फणामणिसप्तकदीप्तयः ॥ निखिलभीतितमःशमनाय किं सपदि पार्श्वजिनं विनवीमितम् ।। १ अन्त- किमपि यदिहाश्लिष्ट क्लिष्ट तथा चिरसत्कवि प्रकटितपथानिष्ट शिष्ट मया मतिदोषतः॥ रिणीपुर को तारानगर कहते हैं जो कि बीकानेर डिवीजन के चूरू जिले (राजस्थान) में है । (सं०) Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०४ ] १७. [ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर तदमलविया वोव्यं शोध्यं सुबुद्धिधनै मन:प्रणयविशदं कृत्वा धृत्त्वा प्रसादलवं मयि ॥ ६१ इति श्रलङ्कारविदग्धप्रश्नोत्तरषष्टिशतककाव्यं समाप्तम् । रत्नकोश ४४८२ आदि- वैशंपायन उवाच रत्नकोशं प्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया । पृथिव्यां यानि रत्नानि तेषामुद्धरणं प्रभो ॥। १ कथयिष्ये महाराज शृणु त्वं पांडुनन्दन । सर्वशास्त्रमयं दिव्यं सर्वज्ञानप्रकाशकम् ॥ २ अल्पग्रंथ सुवोधार्थं रत्कोशं समभ्यसेत् ॥ ३ अन्त - पंचविधा गतिः नरकगतिः । तिर्यक् । मनुष्य । देव । मोलगतिः । इति श्रीरत्नकोशरत्नाकरं सम्पूर्णम् । लिपिकर्ता कान्ही राम । २५. ६१२७ शतकत्रय अन्त- पुष्पिका - इति श्रीवोधमते गोतम रिपीशिष्यत्र मरसिंहतच्छिष्यरूपचंद विरचिते मानुष्यवोधे त्यन्नबोधमतसम्पूर्णं । संमत १४३४ वर्षे आषाढ़ शुक्ल १५ काशीनगरमध्ये लिपतं त्रीवाड़ीगुजरातीवंशे हरीशर्माभट्टतत्पुत्र विष्णुभट्टशर्मा लिपीचक्रे लिपायतं महाराष्ट्रभटरांमकिसनजीवाचनार्थं सर्वसमुच्चयटीका सूत्रग्रंथ ५१७५ सर्वः । ४१. ४४५६ ५८. सिंदूर प्रकरसटीक श्रादि- श्रीमत्पार्श्वजिनं नत्वा स्वोवशीय कारकम् । सद्यः संस्मृतिमात्रेण प्रत्यूहव्यूहकारकम् ।। १ श्रीचंद्रकीर्तिसूरीणां सद्गुरूणां प्रसादतः । सिंदूरकरव्याख्या क्रियते हर्षकीर्तिना ।। २ अन्त-सिंदूरप्रकरस्यव्याख्यायां हर्षकीर्तिभिः सूरिभिः विहितायांतु सामान्यप्रक्रमोऽजनि ॥ १ तपागणे नागपुरीयपूर्वे । श्रीचंद्र कोर्त्याह्वयसुरिराजा । तेषां विनयह कीर्तिसूरिश्वरो वृत्तिमिमामकार्षीत् ॥ इति श्रीसिंदूर प्रकरस्यटीका समाप्ता । ५७. ४३४८ सुभाषितसूक्तावली आदि- दानं सुपात्रे विशुद्धं च शीलं । तपो विचित्रं शुभभावना च ॥ भवार्णवो त्यर्णवयानयात्रा | धर्मं चतुर्घा मुनयो वदन्ति ॥ सुभाषितार्णव आदि- चंद्रनाथं जिनं नत्त्वा जिनयातिचतुष्टयम् । सुभाषितार्णवं वक्ष्ये ज्ञानविज्ञानकारणम् ॥ १ ५६८४ Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ : ] ६१. ४४१४ सूक्ताली आदि- वीरं विश्वगुरु नत्वा कृत्वा यत्नेन संग्रहम् । सदोपकारसूक्ताली स्वान्यपाठाय लिख्यते ।। १ ५५. अन्त- आराधयेद्धर्ममनन्यकर्मा प्रायः प्रसादावधिरेव सर्वः । आराद्धुमेनं तत्कृतप्रसादं कस्यापि विस्फूर्ति नियति चेतः । लि.क. शुभसुन्दरगरि 1 लिपिस्थान - वृद्धग्राम 1 १. ४३४६ सुभाषितसंग्रह पत्र २३वें में पुष्पिका इस प्रकार दी हुई है इति श्रीमदाचार्यजी श्री ६ केशवजीकृतानि काव्यानि समाप्तानि । लिपिकृतं पूज्यऋषिश्री ५ सामजी तच्छिष्य पू०ऋषि श्री ५ महिराजी तत्सिष्य पू० ऋषिश्री ५ टोडरजीतत्सिय पू०पवित्रात्मा श्री ५ भीमजी तच्छिष्येण मुनीदामाख्येणा लेखि शुभं श्रेयः संवद्वसुगगनसमुद्रचंद्रवर्षे कार्तिकमासे शुक्लपक्षे त्रयोदशीगुरुवासरे रागपुरे लिपिकृता प्रतिरियं शुभं श्रेयः । ४३३२ १८ - कथा - चरित्र - प्राख्यानादि आदि- ॐ नमः सिद्धेभ्यः । बड़चरित्र धर्मात्सम्पद्यते लक्ष्मीर्धर्माद्र् पमनिन्दितम् । धर्मात्सौभाग्यदीर्घायू धर्मात्सर्वसमीहितम् ॥ १ अन्त- इत्थं गोरखयोगिनो वचनतः सिद्धोम्बड़: क्षत्रियः सप्तादेशवराः सकौतुकभरा भूता न चाभाविनः । द्वात्रिंशन्मितपुत्रिकादिचरितं यद्गद्यपद्येन त चक्रे श्रीमुनिरत्नसूरिविजयी तद्वाच्यमानं बुधैः ॥ [ ३०५ १८३४ उत्तराध्ययनकथा इति श्रीमुनि रत्नसूरिविरचिते गोरखयोगिना दत्तसप्तादेशक रबड़ कथानकं सम्पूर्णमिह । लिपिकर्ता -- ज्ञानसुन्दर । स्थान -सवाला । ४३३५ आदि- प्रणम्य श्रीमहावीरं नम्राखण्डलमण्डलम् । श्रारभ्यते कथाः कर्त्तुमुत्तराध्ययनस्थिताः || : श्रन्त- गङ्गामुत्तीर्य साधुसमीपे प्रव्रजितः अग्रगः सम्बन्धः सूत्र एव प्रोक्ताः । इति पंचविशा ध्ययनकथाः समाप्ताः । Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. Rign : ji Faran भाषि-- frientari भीमा कारमंगामा ? अना- योगी मानिधान: अधिकार स्थानम् ॥ पदमागीश्रीलमुगारम मन सामागारो पारगमपन्य मा १४ श्रीनयोधिपशिष्य मशिनासि । चरित्र निनाना गा गा गिनितम् ॥ १९१५. इति श्रीशील विषय विपद्मावती महागातीमारितम् । लिपिकर्ता-रामविजयगणि। लिपिस्वानरायनपुरनगर २२. ४४३५ देवकुमारमाया प्रादि- ॐ नमः गितम्। पुरा अभूत्युसमपुरे नूरनामा गरेपयरः । विरोधिध्वंसकरप्रसरसुन्दरः ।। १ मन्त- चिरमंत्रिपदं भुक्त्वा प्राप्यान्ते प्रतमुत्तमम् । प्रपाल्य स्वयंयौ मोक्ष गन्ता गतिभिर्भयः ॥ ३६२ पुत्रात्सुखं न भवति जनस्य जनकात्य । रात्माश्चर्यमयी चोर्यव्रतपोषकरीमापा ।। ३६३ इति श्रीदेवकुमारपाचातृतीयवतमाहात्म्यम् । लिपिकर्ता-श्रीजिनसुन्दरसुगुरोशिशष्याणुविजयसुन्दरो विनयी। ... देवयुमारकथानकमलिखच्च परोपकाराय ॥ १ Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] [ ३०७ २५. ४४३४ धर्मबुद्धिमंत्रिकया श्रादि- उद्वाहे प्रथमो वरः किल कलाश (शिल्पादिके यो गुरु भूपश्च प्रथमो यतिः प्रथमकस्तीर्येश्वरश्चादिमः । दाताद्यःवरपात्रमाद्यमपरः सिद्धो पदं वादिमः सच्चकी प्रथमश्च यस्य तनयः सोऽस्त्वादिनाथः श्रिये ॥१ धर्मतः सकल मंगलावली धर्मतः सकलसौख्यसम्पदः ॥ धर्मतः स्फुरति निर्मलं यशो धर्म एव तदहो विधीयताम् ।। २ अन्त- पारोग्यं सौभाग्यं धनाढ्यता नायकत्वमानन्दः ।। कृतपुण्यस्य स्यादिह सदा जयो वांछितावाप्तिः ।। १ धनदो धनमिच्छू नां कामदः काममिच्छताम् । धर्म एवापवर्गस्य पारंपर्येण साधकः ।। २ इति पापवुद्धिनृपधर्मवुद्धिमंत्रिकथानकं सम्पूर्णम् । ३७. ४३३३ युवराजऋषि-चरितं प्रादि- विशालास्तिपुरीजनप्रासादरतिसुन्दरा । जयन्ति(न्ती)स्वः पुरीमात्मधनधान्यसमृद्धिभिः ॥ १ अन्त- एवं निशम्य युवराजऋषेश्चरित्रं । कर्पूरदीप्तिभिरचौरगुणैः पवित्रम् ।। संसारवारिधितरीतुलिते प्रयत्नं । स्वाध्यायकर्मणि गुणिन् कुरु निःस्वपन्नम् ॥ १३ इति श्रीजुवराजकथासमाप्तमिति । लि. स्था.-हर्षपुर । ३९. ४४०२ रूपसेनकथा ___प्रादि- देवाः स्युर्वशगा नवापि निधयश्चाष्टौ महासिद्धयः गेहस्थाः सुरधेनुशाखिमणयो यस्य प्रभावान्नृणाम् । शष्टाभीष्टफलप्रदाननिपुणः श्रीवीतरागादितो लोभव्याभवपारदप्रतिदिनं धर्मः समाराध्यताम् ।। अन्त- यशो धर्मो गुणाः सौख्यं लक्ष्मीरायुः सुमंगलम् । सफलान्येतानि दत्ते च धर्मकल्पद्रु मोह्ययम् ।। १०१४ श्रीवीरदेशनायां धर्मकल्पद्रुमे शिखरोपमरूपसेननृपाख्यानवर्णनोनाम नवमः यत्नः समाप्तः ॥ इति श्रीरूपसेनकथा सम्पूर्णा । ४२. ४४५८ वरदत्तगुणमंजरीकथा ___ आदि- श्रीमत्पार्श्वजिनाधीशं फलवद्धिपुरसंस्थितम् । प्रणम्य परया भक्तया सर्वाभीपार्थसाधकम् ।। १ Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०८ ] [ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर, जोधपुर __ अन्त- श्रीमत्तपगणगगनांगणदिनमणिविजयसेनसूरीणाम् । शिष्याणुना कथेयं विनिम्मिता कनककुशलेन ।। ५० बुधपद्मविजयगणिभिःप्रवर भीमादिविजयगणिभिश्च संशोधिता कथेयं भूतेषुरसेंदुमिते वर्षे ।। ५१ गणिविजयसुन्दराणामभ्यर्थनया कृता कथा मयका । प्रथमादर्श लिखिता तैरेव च मेड़तानगरे ॥ ५३ इति कातिके सौभाग्यवंचमीमाहात्म्यविषये वरदत्तगुणमंजरीकथानकं सम्पूर्णम् । ४५. ४३३४ शांतिनाथचरित्र श्रादि- श्रेयो रत्नाकरोद्भतामहल्लक्ष्मीमुपास्महे । स्पृहयंति न के याम्ये शेप श्रीविरताशयाः।। १ अन्त- यस्योपसर्गाः स्मरणे प्रयांति विश्वे यदीयाश्व गुणा न मांति ॥ यस्यांगलक्ष्मी: कनकस्य कांतिः संघस्य शांति स करोतु शांतिः । ६२६ इत्याचार्य श्रीप्रजितप्रभसूरिविरचिते श्रीशांतिनाथचरिते द्वादशभाववर्णनो नाम षष्ठः. प्रस्तावः । इति श्रीशांतिनाथचरित्रं सम्पूर्णम् । श्रीजीवविजयगणिनी परत । ५१. ४३३६ शालिभद्रचरित्र ___ यादि- श्रीदानधर्मकल्पद्रुर्जीयात्सौभाग्यभाग्यभूः । पूर्वापश्चिमतीर्थेशलक्ष्मीभोगमहाफलः ।। १ अन्त- श्रीशालिचरिते धर्मकुमारसुधिया कृते ।। श्रीप्रद्युम्नधिया शुद्ध सप्तमः प्रक्रमोऽभवत् ।। ५६ श्रीशालिभद्रचरिते सर्वार्थसिद्धिप्राप्तिवर्णनो नाम सप्तमः प्रस्तावः समाप्तः । जिनातिशयपक्षास्यवत्सरे विहिता कथा । ग्रन्येन द्वादशशत .. २०-राजस्थानी १. ७७५३ (१-१७) अंकपाटो प्रादि गुटका प्रारंभिक दो पत्रोंमें लघु चाणदयनीतिके दूसरे अध्यायका अंतिम श्लोक तथा तृतीय अध्याय लिखित हैं। आगे १७ पत्रोंमें अंकपाटीका लेखन हुआ है, पत्रमें ऊपर अंक संख्या और नीचे सुभापित (नीतिपरक) दोहे, श्लोक आदि हैं। उदाहरणार्थ Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] [३०९ __'दानं दया दमोंद्रिणं दर्शनं देवपूजितं । दकारा पंचवर्तते दूर्गतं नैव गछति ॥ १ (पत्र १) . दूहा ।। सरतर अक्षर सीष पीव, जो रपै अप्यांग ।। सर वैरीतर सायरां, अक्षर राज दुवांण ।। १ (पत्र २) अन्तके १६-१७वें पत्रमें-- दूहा ।। काली तू कोयल भली, जस मनषरो विवेक । अंब विहूणी अवरसु, बोल न बोल एक ॥ १ (पत्र १६वां) गांम गोरमें होत है, जोय दूर मत जाय । वनी वणाइ पारसी, अरथ कह्यो इण माय ।। १ (पत्र १७वाँ) ॥ लीषतं । पीडत श्री ५ श्रीवालचंदजी लीषी छ । सं० १८३५ मीगसर सुद ५ वार मंगलवार अषसुरै जै सरूप गोठीरा छ । ६५२५ अंजनाचोपाई प्रादि- ०॥ श्रीगणेशायनमः ।। दूहा ॥ श्रीगणधर गौतम प्रमुष, एकादस अभिराम । मन वंछित सुष संपज, नित समरंता नाम ॥ १ प्रथम उद्यम मै माडियो, मति दीसै अति मंद । तिण कारण पहिला नमुं, श्रीगणधर सुषकंद ।। २ सेवकनै सानिध करै, देख्यो अविरल वांरिण। जिम वेगो सिद्ध चढे, कांइम राषिस कांणि ।। ४ अन्त-तिरिण गछ पीपल थापीयो, आठ साषा विस्तार । संवत रुद्रबाबीसमै, बीसमै हूई सुषकार ॥ १२ ते गछ दीसै दीपतो, साचौर नगर मझारि । वीर जिणेसर दीपती, जिहां तीरथ प्रगट उदार ।। १३ तास पाट अनुक्रम हूवा, श्रीलीषमीसागरसूरि । विनय करी कर्मसागर, वाचक देय सनूर ॥ १४ सास सीस पुण्यसागर, वाचक पभरण एम । अंजनासुंदरी चौपई, पूरण कीधी ते प्रेम ।। १५ संबत सोलसत्यासीई, श्रावण मास रसाल । सुदि तिथि पंचमी निरमल, रिद्धि वृद्धि मंगल माल ॥ १६ सर्व गाथा ॥ इति श्रीअंजनासंदरीचौपई संपूर्णः । संवत १८६८ मीगसर कृष्ण पक्षे "तिथि १ भौमवासरे द्वीतीय प्रहरे लिपतं ऋषी नोलचंद पीही ग्रांमे उदावत राज्येः वाचनार्थ चीरं नद्यः श्रीरस्तुः ।। श्रीः ।। Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . ३१० ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर ३० ७७४३ अध्यात्मरामायण भाषा प्रादि- श्री गुणेसाये नीम | सुरसती नीमो।। श्री सीतारामजी सत छ जी ।। श्री रामाये नमा ।। कयेतं अधातम रामायने भाषा लीपतं रामहृदयं ॥ राज श्रीराजसंघजी सभापीत । चौपई- जवै भुव भार भयों दुष्टनते । तव ही देव गये जाचन प्रभु ॥ . . चिदानंद सुंनी बदस वानी । परजापते असतुते ही ठानी ।। २ तीन सुप्त सन भेये भगवाना। चीदानंद यनकी सब जाना ।। मेव गिरा वानी जु वुचारी । सुनीक व्रमा सते वीचारी ॥ २ अन्त- दुहा ॥ राम हीरदैको राजैदानीते प्रीते करते वुचार। . सीय्याराम हीरदै बसैय्या समे नाहे वीचारै ॥ ६५ राम हीरद भाषा अरथै कीनी मते वुनमानै । सुनी कह रीज न धारी है करीये मते अपमान ।। ६६ ईती श्री अधातैम रामाणे राम हीरदये भाषा-अरथ सपुरन ॥ कथेते म्हाराजे श्रीराजसीधजी ॥ सुभ समुरथ। ८५. ५२११ कछवाहोंको वंशावली आदि- ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ अथ कुछावांकी वंशावली लिप्यते ।। श्रीआदिनारायणतं कवलमै ब्रह्माजी ॥१॥ मारीच ॥२॥ कस्यप ॥३॥ सूर्य ॥४॥ ववस्वान ।।५। मनु ॥६।। इष्वाक ॥७॥ विकुपि ॥८॥ पुरंजय ॥६॥ अन्त- महाराजाधिराज जन्म नांव मोहोनसिंघ नरवलका राजाको वेटो सो राज. पायो । जदि मानसिंघजी नाव पड़यो। मीती पोस बदि ६ सं० १८७५ का । राज कीयो महीना ४ दिन ६!! माहाराजाधिराज श्रीसवाई जयसिंघजी संवत १८७० कै साल श्रीजमवायजी . पधारया जाति देवा । सब माज्यां साथ पधारी मीती असाढ सुदि ८ संवत १८८४ क साल । . ७७२० (२२) कपडकुतूहल आद्य अंश खण्डित है । उपलब्ध रचनाका प्रारंभ इस प्रकार है ..."ढि पिलंग पर सुंदर ढोलिय वाय ॥ १३ मसी जर सु मो मन भयो, प्रीउ ढोलिए वोलाय। माल मुहंगीधे लीजिये, सो माहरइ भावी दाय।। १४ तन सपुकी साडी चरणी, कंचु वण्यो सुचंग । रतन जडीत नीरपीः, सोनी सुंदर अंग ॥ १५ अन्त- कचीयो पेम पछेवडो, कोधो सेज तीपार ।। तिण वेलां मंदिर गई, प्रीउ मारण्इ तिणि वार ।। ३१ प्रीयांग गंगदास सूत, नगर उदैपुर वास । कपडकुतूहल कीधा, वणी देहिं दुवात ।। ३२ इति कपडकतुहल संपूर्णः ।। . Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ परिशिष्ट - १ ] ६६. ४०२० कविकल्पलता अथ श्रीसारकृत बावन्नी लिप्यते । आदि - || र्द० ॥ ॐकार पार पार तसू कोइ न लभ्यै । सबर कर सिरताज मंत्र धुरि कवियणभ्यै || अरधचंद आकार उवरे मीडो जसु सोहै । जै ध्यावै चित लायतिकै तिहुयरण मन मोहे || साधक सिध जोगी जती जासु ध्यांन ग्रहनिस करै । कवि सार कहै ॐकार जप कांइ सैरण भुलो फिरें ॥ १ अन्त - क्षिते मंडल क्षिति तिलक सहर पाली पुर सोहै । गढ मरु मंदिर महिल बाग वाडी सनमोहै ॥ राज करें जगनाथ सुर सामंत र सवायौ । सोनगरे सुसमथ सुजस वसुधा वर तायो || संमत सोलै निव्यासियै श्रासु सुदी दसमी दिने । श्रीसार कवित बावन कह्या सांभलिज्यो साचै मनै ॥ ५५ [ ३११ इति श्रीकविकल्पलता श्रीसारकृते संपुर्ण । सुभं भूयात् ॥ श्री संवत १८७८ रा मती फागुण सुदी १० स श्री श्रीगुरांजी श्रीवेनरामजी । लीषतां कु. इन्द्रभाग वाचनारथम् अरणदपुरमध्ये । १०५. ४४१५ (१६) कागदरी तकल इस गुटके में पत्र सं० ३९८ से पत्र सं० ४०६ तक चार कागज़ों प्रेम ( पत्रों) की नकलें दी हुई हैं, जो इस प्रकार हैं— पहली नकल । श्रादि- कागदरी नकल । छंद नराच— मते हत सांभर नगरं सुधरं । प्यारी निज हाथ दियो पतरं । सूभवांन कथानक सुंदरियं । छिव गात अनंत चित हरियं ॥ १ सलिता सर निसर नीर वहै । नलनि सूंभ वास धरै र लहै । वहुवास निवास न कुप वने । वनिता गनि तीर सूनीर थनै ॥ २ अन्त- दिन जात वृथा तुम संग विना । कबहु सुष होत न आप विना । कहता ज रजौ समचार सवै । सु मिथ्या तन मांनहु भांग कवै ॥ १७ न लिषे तुम पत्र सनेह घनी । पय जावनकी तुम रीत गनौ । जुग रांम वसु ससि संवत यं । सुभ मास तथी सरस चरयं । १८ इति ॥ [ संवत् १८३४ ] दूसरी नकल आदि - कागदरी नकल लीषते । स्वस्त श्री मुकानगर सुधाने सुकल सुभ श्रोपमा केलास क्यारी, प्रेमरसप्यारी, चंदवदनी, मृगलोचनी, लगनरी लडी, जीवरी जडी, हीयारी हार, सेजरी सिणगार, प्रीतमरी पीलार, चितरी ऊदार, हसतमुपी, सदा सुषी... 1 Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर . अन्त- सव सरषी नारी नहीं, सव सरपी नहीं वारण । सव गुण एकगामें नहीं, दापु चतुर सुजाण ।। ६२ इती अोपमा लिषगरी, जथाजोग मत जांग । कहत दुलैमल चुप सु, रुप चुप परवांगा ।। ६३ ।। संपुर्ण । तीसरी नकल आदि- सिध श्री प्यारी दिसे, जैपुर नगर जठेह । प्रीतम लिषत वरणायक, नित २ नवल नेह ॥ १ चंदवदनि मृगलोचनी, चिता लंक सुचंग । गजगमणि रस जोग है, अतहि जांण सुचंग ।। २ अन्त- वाहू उतर देजो सदा, कागद अधिक उजास । हित कर लिषजो हेतसुं, दसकत अपणा पास ।। २० संपुरण ।। चौथी नकल आदि- सिध श्री सरवोपमा विराजमान अनेक प्रोपमालायक गुणनिधान वहोतर कलासुजाण, चवदै विध्यानिधानं, सूरज जेहा तेज, चकवा चकवि जिहा हेज, चंद्रमा जेहा सितल, रूपा जेहा ऊजला...... । अन्त- मत किणहिसु लागजो, नैणाहंदो नेह ।। धुके न धुवो नीसर, जलै सुरंगी देह ॥ १८ सजन फलजो फूलजो, वड जूं विसतरजो। नालेरां जु लूंबजो, प्रांवां जु फलजो ॥ १६ ____ इति श्रीपत्री संपुर्ण । २५७ ४६१४ (५४) जोगी रासा आदि- अथ जोगी रास लीपीते ।। ॐ नमः सीध्ये भयो नमः ।। प्रादिपुरिप जो आदिजगोत्तमु, आदिनाथो । आदिजुगोत्तमो जोग पयसो, जय जय जय जगनाथो ॥१ तास परंपर मुनिवर हुअा, दीगांबर सहिनाणी। कुदकुदाचरज' गुरु मेरै, पाहुजी कहिय कहाणी ।। अन्त- जोगीह रासो सीपहु श्रावक, दुष न कवहु लहिसी। जौ जिणदासह त्रिविधि हि, सिबहु समरण कीजहू ।। ४२ ईती जोगीरासो संपुरणमस्तु । २६१. ५४१८ (५४) टंडाणा गीत आदि- टंडारणा टंडारणा वे, जियड़े टंडारणा टंडारणा ॥ इत संसारै दुश भंडार, क्या गुण देपि लुभारणा छ ।। जिन ठग गिया नादइ काल, फिर तस जोग पत्याणा छ । १. कुन्दकुन्दाचार्य । - ... Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३१३ हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ]. अन्त- करि उदिम अापन वल मंडौ, भोगी अमर बिमाणा छ । समिकि तपोहण दस विधि पूरा, निरमल धरम कराणा छ । सुध सरीरु सहज लव लावहु, भावहु अंतर झा(णा) छ । जंपै बूचा तम सुष पावहु वंछै पद निरबारणा छ । इति टंडारणा समाप्तम् । ३३६. ४६२४ (३) नागदमण कथा (अपूर्ण) आदि-॥०॥ श्रीसारदाय नमः ।। अथ नागदमणि लिप्यते ।। दूहा ।। वलतो सारद विनवं, गुणपति करो पसाऊ । पवाडा पनगां सरस, जदुपति कीधो जाऊ ॥ १ प्रभू अनेके पाडीया, देत वडाचा दंन । के पालण पोढीया, के पय पान करंन ।। २ . कोइ न दीधो कानवा, सुण्यो न लीला बंध । आप बंधावण उषला, बीजा छोडण बंध ॥ ३ अन्त- कलश ॥ सुणे गुणें सम वास, नंदनंदन अहिनारी। समुद्र पार संसार, दोई गोपद अरणहारी। अनंतर पाणंद सवे वषताप सुणावै । भगति मुगति भंडार, क्रशन मुगताह करावै ।। रमीयो चरित राधारमणि'...॥ ५३८. ४६०६ (२) राजसभारंजन __आदि- ॥०॥ अथ राजसभारंजन लिष्यते ॥ गंगाधर सेवहु सदा, गाहक रसिक प्रवीन । राजसभारंजन कहों, मन हुलास रस लीन ॥ १ दंपतिरति नीरोग तन, विद्या सुधन सुगेह । जो दिन जाय आनंदमैं, जीतवको फल एह ॥ २ बीचसे कुछ उदाहरण साथ सहेट चल्यो चहै, मुग्धा तिय पिय छल । पीसेमें कोडी न्हीं, चले बागकी सैल ।। ६७ सहज रीति कुल तजि लगै, कांम कलाकै साज । बाप न मारी मींडकी, वेटा तीरंदाज ।। ७० अन्त- छंद तीनस साठ सब, व्यवहारै सुष देत । राज-सभा-रंजन सरस, कियो रसिकजन हेत ॥ ६७ अंक बांन मुनि ससि (१७५६) समा, विक्रम सक नभ मास । उजल नवमी भृगु दिवस, पूरन रस-प्रकास ॥ ६८ . Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४ ] ५५०. सुपद भूमि संग्रामपुर, श्रीनृपवर जयसाहि । हि कवि मन सुप्रसन्न प्रति, मति रतिसों ग्रवगाह ॥ ६६ लों सुप सज्जन कला, मेरु धरावर धांम । जब तव लों चिर जीवहु रसिक, पढत गुरगत गुंन नाम || ७० इति श्रीराजसभा - रंजन दोहा समाप्तं । संवत् १७६८ वर्षे मिति पोस वदि १४ शुक्रे लिपिकृतं श्रीरस्तु कल्याणमस्तु । राठोड नाहषांनरो छंद ४८३४ आदि - छंद राठोड नाहरपांनरी गाडरण माधोदासरो को || ग्रारज्या ॥ उप्पन्ना पुरसांगी उडा । पांणी पंछा पापर होडा । राकीया रद्दीस जोडा । नाहरपांन समप्प घोडा ॥ १ भाडंजी केवी मुगलांणी । पासा पेंग जिके पुरसाणी । वड पातां सुरण अवरल वाणी । रेवंत रोझ दीयै राजाणी || २ अन्त- कलस || बहस तेज बहु सफल बहुत मोला बहु भोयरण । धीरज तेज अनंत लोय दीप क्वहलोयरण || धड विसाल पैं करह गात उतंगह मैंगल | पवंग वेग विसराल वाजि वीया वेगागल || वरहास वडा वड कवीयरगां त्यागी द्यणं हरते रवै । समपीया पांन राजांनकै कुंप करन्नह अभिनवें ॥ इतिनाहरषांन घोडांरा दाताररौ छंदः संपूरणं ॥ ६४१४ [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर ६०३ विक्रमचरित्र ( हेमाणन्द रचित ) श्रादि - ||६० ॥ श्रीसरस्वत्यै नमः ॥ प्रणम्य देवदेवं च वीतरागसुरचितं ॥ लोकानां हि विनोदाय करिष्येहं कथामिमां ॥ १ नत्त्वा सरस्वती देवी स्वेताभरणभूषिता । पद्मपत्रविशालाक्षी नित्यं पद्मासने स्थिता ॥ २ अन्त - श्री विक्रमनें वेताल कथा कही चउवीस उदार । सोल छियाल भाद्रव मांस । हेमारांद कहे उल्हास || ३६ इति श्रीवेतालपचीसी २४ कथा | दोहा - वलि विक्रम सीसम गयो, पाछो तिरण ही डाल । मडबंधी कांवइ कीयो, तव बोलै भूपाल ॥ १ विशेष- आागेका अंश पूर्ण है । ६१११ आदि - ||र्द० ॥ श्री सरस्वत्यै नमः ॥ विद्याविलास चोपाई दूहा - सरसति नित ग्रापो सुमति, चित्त हित घरि प्रणमेव । जित तित थित थानक अचल, सोभित दह दिसि देवि ॥ १ Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग-२, परिशिष्ट १ ] [ ३१५ कवियण नरसां निधि करण, दूर हरण अग्न्यांन । चरण सरण उपम धरण, उपावण गुण ग्यांन ॥ २ . । अन्त- वाचक गुणवर्धन सुषदाया, श्रीसोमगणि सुपसाया जी ।। इम जिनहरष पुण्य गुण गाया, तीस ढाल सुष पाया जी ॥ १४ हिव राजानि सुण गुरवाणी ॥ इति श्रीपुण्यविषये विद्याविलासचोपई संपूर्ण ॥ सं० १८२६ वर्षे मितिः आसाढ सुदि ७ दिने । ६११. ७७२२ (१४) वीरमदे ईडरिया आदिके कवित्त आदि- ॥ श्रीगणेशाय न (मः) । कवित्त- गढत लंक दईवत संक झंकत अहिराइण । धनत धीन अहि वेलत पान पेधत पत्राइण ।। अमरत पास माया तपास रस होइ महा जल । परमा वात सोवन धात चितत वेगागल ॥ अगराइ चाइ एकागवै सालिहांतर दिठो सवे । त्रिहुं राइ तिलक नारियेण तना दाता तो वीरमदे ॥ अन्त- कर परि जिण गिरवर धरयौ, मथुरा मारचौ कंस । रेषा राषस निरदले, जयकारी जदुवंस ॥ १० श्रीठाकुरांरी साषी छ ।। लिषतं मिश्र आनंदराम ॥ शुभमस्तु ।। ६१५. ७७४३ (४) वेदस्तुति भाषा ग्रादि- ॥श्रीरामजी।। अथ बेदस्तुता भाषा लीप्यते ॥ राजश्री राजैसीधजी संभाषतं ।। छंद- श्री भागोतं दसम सकंध, वेद सतुत्स भाषा बंध ॥ ___ अती आनंदं भव बंध छेदं, आवागमन मिटै भ्रम पेदं । चोपई- श्रीसुषदेव ब्रह्म ततुवज्ञाता । वेदव्यासके पुत्र विष्याता ॥ तीनके पदवंदन मै करु । तीनको ध्यान हीरदैमै धरु ॥ अन्त- नीतीप्रती पाठ जु जे करै, बुपजै ब्रम ज्ञान । ___ तत पद नीहचे पाय है, राजै प्रम बीज्ञान ॥ ६० ईति श्रीबेदसतुती भाषा प्ररथ सपुरण ॥ कथीतं म्हाराज श्रीराजैसीधजी ।। ६७५. ४०१० शुकबहोतरी ___ आदि- दि०।। श्रीगणेशाय नमः ॥ अथ वात सूवावहुत्तरी लिप्यते । दूहा- करि प्रणांम श्री सारदा, अपनी बुध परमांन । सुक शप्त वार्ता उ करो, न्यायते देवी दांन ।। १ विक्रम नगर सुहामणो, सुष संपतकी ठोर । हिंदू थान ऽरु हिंदू धरम, पैसो सहर न और ॥२ "अन्त- "हरदत्त सेठ होम करायौ तिहां सारिका पिण आई। परसं दिव्यमाला । पडी। उणारे दर्शन सेती सराप छूट शुकशारिका गंधर्व होय आपण लोक गया। Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१६ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर : इति श्री वहुत्तर वार्त्ता सुध सुवाबहुत्तरी संपूर्णम् ॥ ७२ संवत् १८६६रा मिती श्रावण सुदी १ दिने लिपतं पं० विजैसमुद्रेण श्रीजैसलमेर दुर्गे चतुर्मास्यां स्थिता | शुक होतरी । प्रथम पत्र प्राप्त ६७६. ४४१६ आदि- ''''दी कह्यो । पृथ्वीके विषै वहुतरी कथा मनुष्य भाषा करि प्रभावती ग्रा कहसी । सील रषावसी । तदि गंधमाद परवतकै विषै ग्राविने शुक सरीर छोडि मूलगो शरीर पामी पांचसं मोहर ब्राहमणन दान देई । निपाप थाइस। अन्त— ··· कवि देवदत कहे । शुकका वचन भेला करिकै ग्रापको बुद्धिकै अनुसारे बांधी हुई । इति श्रीशुकवहोतरी कथा समाप्ता ॥ संवत् १७६० वर्षे आसोज वदि ६ पप्टी भोम वासरे पं० वनीतविजय लिपि चक्रे ॥ शुभं भवतु || श्रीसमाप्ता ॥ ७२४. ४२८७ (१६) सवाई जैसहजीकी जोधपुर चढ़ाईका वर्णन - "संवत १७७ का मीती सावरण वदी ८ ने श्रीमाहराजा सवाई जैसंघजी जोधपुर वुपर चढा । राजा भैसंघरी हुकम पतिसाह महमुदसाह का [ सा]धे चढा । सो रोजपदरामै १५ जोधपुर जाइ लागा । नरफ मडोवरकी डेरा जाइ कीया । मुकाम १ विशेष- आगे युद्धके खर्चे और जोवपुरकी तरफसे लिये गये उपहार त्रादिका वर्णन है जो 14 पूर्ण है। ७७५. ४६०३ हमीररासो (हमीरायन ) आदि- श्री गनेंसाय नम । हमीराईन लीपतै ॥ कवीत - गवरीनंद आनंद चंद लीलाट वीराजैत । च्यार भुज कर फरस सरस भुषन अग राजत ॥ कर कमंडल जयमाल लाल वसत्र वोह सुहावै 1 मधुर स्वगंध स्वणमय रची और उदभाहन कीन । हो हय प्रसन सुधी दुधी धनी जो कथ कवीत प्रमा माग ॥ १ श्रन्त-कवीतः ॥ श्रसी करीउ काहु करें नहीं, कोउ सो करी राजवी चक्र तल । वाईस वीक्रम राण दुयवीन पाईवयाभा: अजहु मध्यकी रोड रोले । दक्षीन भंडारा मदगल कहु हमेल करी । कदल रनथंभ गढ असी करें न कोई ॥ ती श्रीहमरायन साको श्रीगार संपुरन सभापती | छंद जाजाकोः ॥ कुडलीयो माई मोहदे असीस काई जीवो वरस सो । याई मोह दे असीस छीत्री ई तोर जीवो । वारा ऊपर वीस भनैजा जन वीरम केह । लीपतं पांडे नाथुराम ब्राह्मन गोङ मी त्रासावी श्रम धर्ममुर्त्त गउ ब्राह्मनका रक्षपाल राजा श्रीमलजी कूं: नाथुराम ब्राह्मन गोङ सदारामको भतीजो टोडे रहे हे पंकीजीको अप भीछुकको असीस वंचजोजी मीतो पोस वदी ६ मंगलवार संवत् १७८७ जो पुस्तग वाचं जीकु राम राम वंचजोजी । जाद्रप्टं दत्त्वा तासं लीपते मा । जदी सुद्ध वीसुद्धं वा मम दोषे न दीयते ॥ शु० ॥ Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३१७ हस्तलिखित ग्रन्य-सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] २१-हिन्दी ५३९८ अध्यात्मरामायण आदि ॥ श्रीरामाय नम ॥ दोहा- जुधकांड पूरन भयौ, ब्रह्मज्ञांनके भाइ। उतरकांड कहत हौं, बिधिसौं सबै बनाय ।। १ चौपई- जयति जयति रघुकुल उजियारे । जयति राम कौसल्या प्यारे ॥ रावन दस सिर मारयौ यैन । राम कमल दल निरमल नैन ॥ २ अन्त- संवत सत्र हस इकताला । तीज जेठकी चंद उजाला ॥ पूरन भयौ मउ मैंदान । यहई जानौं थान मुकाम ॥ ११० ग्रंथ हौत भए बिघन सु भारे । हनुमान गनपति सब टारे ।। भगवान ग्रंथ यह पूरन गायौ । गुरकी कृपा सबै बनि प्रायौ ॥ १११ छंद- भंग अक्षिर कटित, अर्थ बिपरजै होइ। दुषनतें भूषन करें, कोबिद कहिए सोई ।। ११२ इति श्रीब्रह्मांड पुराणे उतरषंडे अध्यातम रामायने उमा महेश्वर संवादे उतरकांडे नवमौ अध्याय ॥ ६ ॥ मूल ४४६३ ।। भाषा ५२६६ ।। इति श्री रामचरित्र भगवानदास निरंजनी कथिते संपूरण । सुभं मंगल । सुभ.भवत । वषे जेठ मासे बदि दसै रिबि बासुरे ॥ संवत .१७८३ ।। जले रक्षत पेले रक्षित पेले रक्षे रक्षे सथ लाभ तवधानान मूरप हस्त न दातव्यं । रावे बधनात पुस्तकं ॥ १॥ मंगल लिषकानां पाठकांनाव मंगल मंगल सर्व देवानां भूमी भूपति मंगल ॥ १ ॥ सति निरंजन तुम सरना मंत्र सति राम ॥ राम राम ।। ५३८२ कवित्त संग्रह आदि ॥ श्री महागणपतये नम ॥ कवित्त- सील भरी सोंहैं, आन पतिकौं न जोंहें, कुल कांनि अरसोहें तन जोति सरसाती हैं। उदैनाथ भोंहें कर तीन तीरछोहें रति भोंन लों चलों द्वार लों ना चलि जाती हैं । वेंन कहिवेकों पति मोनहीमें राचे प्रान, असी कुलवधू काहू कासों बतराती हैं। रिस रचें मनमें तो मनहीमें मेंटें, जैसे जलकी लहरि जल मांझ ही बिलाती हैं ॥ १ ................. ..... ........ ........ aso m -na - अन्त .-. - . . दोहा- सांवन सुदिकी तीजकों, करी पचीसी सार । संवत अठ्ठारह सतहि त्रेपन थिर सनिवार ।। १०७८ इति छक पच्चीसी संपूर्णः ।। संवत १८६३ शाके १७२७ मिति फाल्गुण बुदि १२ गुरु - . . - " . - - -.--. Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१८ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर वार । इंदं पुस्तकं समाप्तं । दसकत भट्ट शामसुदरका । रणजीत तत्सुत वलदेव पठनार्थ ।। यादृशं पुस्तकं दृष्ट्वा तादृशं लिखितं मया । यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोपो न दीयते ॥रामः।। ३५५. ५३८६ __रामायण, युद्धकांड श्रादि- (प्रारंभिक पत्र प्राप्त) मनोहर कवि कलानिधि रच्यो ।। तहां जुद्धकांडहिं नारदागम सर्ग वत्तीसौं सच्यो ।। ३२ अन्त- व्रज चक्रवति कुमार गुनगन गहिर सागर गाजई । श्री रामचरन सरोज अलि परतापसिंघ विराजई । तिहि त रामायन मनोहर कवि कलानिधिनै रच्यो । तहं जुद्ध कांडहिं सतरू चौंतीस ग्रंथ फल वर्णन सच्यौ ।। १३४ लिख्यते लेषक रामसेवग लिखायतं ठाकुरजी श्रीमेदसिंहजी तस्य पुत्र पृथ्वीसिंह आत्मपठनार्थ संवत १८३७ शाके १७०२ प्रवर्तमाने मासोतम मासे उत्यम मासे अश्वेन........ ३६५. ४६२३ (१) रूपमंजरी आदि- श्रीगणेशाय नमः । अथ रूपमंजरी नंद कृत लिप्यते । दोहा- प्रथम हि प्ररणऊ प्रेममय, परम जोति जो पाहि । ___ रूप उपावन रूपनिधि, नित्य कहत कवि जाहि ॥ १ . अन्तदोहा- जदपि अगमते अगम अति, निगम कहति हैं जाहि । तदपि रंगीले पेमते, निपट निकट प्रभु याहि ॥ ११७ इति श्री नंददास कृत रसमंजरी ग्रंथ संपूर्ण समाप्तं ॥ श्रीरस्तु ।। शुभमस्तु । सम्वत् . १७२६ चैत्र वदि तृतीया वुधवारे मोकाम रंगामाटी सबलसिंघ कुवरस्य पठनार्थ रसमंजरी ग्रथं मुरलीधर मिश्रेणमलेखि ॥ ३७४. ६०१६ व्रतकथाकोश. आदि- ॥ ० ॐ नमः ।। अथ श्री व्रतकथा कोश भाखा लिष्यते । चौपई- आदिनाथ वंदू जिनरा [य] । कर्म कलंक रहित सुपदाय । धनुष पंच से जाको काय । वृषव लछ्य सोभै अधिकाय ॥ १ अन्तछप्पै- श्री जिनंद गुण धाम जास वच सुरिण चित धरिये। श्रावकको आचार पालि कर्मनिसौं लरिये ।। दान सील तप भाव च्यारि वृप मुल विचारौ । और सकल परिहारि चहू उत्तम उरि धारो सुरगादि थान दाइक महा क्रमते सिवपदको कराहि । ताते पुस्याल अनिको अवै इनि विनि मनमें किम धरहि ।। २१ :: : इति श्रीसूरिश्रुतसागर कृत व्रतकथकोशके अनुसारि भाषा श्रीपल्य विधानकी Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] . [ ३१६ समापिता ॥ मिती माघसिर सुदि १३ पंचम्या तिथौ वार वृहस्पति वासरे संवत १९२३ का। श्री ।। श्री ।। श्री ।। श्री।। श्री ॥ ४६२. ४०२८ सभासार नोटक आदि- प्रथम पत्र अप्राप्त से पथरन भीजै पानी कब लौं विचारीयै ।। जिहां वकवाद तिहां अंत न सवाद कछु, श्राप जो न सुधरै तो कौंनकौं सुधारिये । जोपै अति जोर तो वताउं एक ठोर तोहि, जानीये जगत जोपै एक मन हारीये ॥ २६ दोहरा- सब लछन पहिलै सुनौ पुण्य सुसंगत पाय । मन चंचलतासू वस, नीच संग न सुहाय ।। २७ अन्त- सतगुरु सोही जो वतावै साचे मारगर्छ, साथी सतसंग जामै चलत ने हान है । कहत अरूप कोउ कोट काम केसै तेजपुंज धाम जाहि जैसी ही पहिचान है। ताहिम मगन देहकों विसर जान, वेदको विचार यहै जान है सुजान है ।। यहै पेम लछिना अनन्य भक्ति मुक्ति यह, यत्र पदप्राप्ति विग्यान निरवान है ।। २७ दोहा- सब विध सब रस सोहियत, कहत यहै रघुराम । यह नाटिक सम सदा, भूषन भेद सुनाम ।। २८ छप्पै- यह नाटिक जो सुनै, ताहि हिय फाटिक पुल । यह नाटिक जो सुन, बुधवल कमल प्रफुलै ।। यह नाटिक जो सुनै, ग्यान पूरन मन आवै । नाटिक सूने सूजान, मरम मनूजको पावै॥ विग्यान जान निरवानकै, जोग ध्यान धर धन लहै । पावत परमपुरुष गत, मति प्रमान कवि रघु कहै ।। ३२६ इति श्री कवि रघुराम विरचित सभासार नाटिक संपूर्णम् । संवत् गुरणकृत वसु शशी, तपस्यपक्ष शिति जान । पक्षति छाया सुत दिवस, ग्रंथ चढयो परमान ।। १ अपि किसोर सोझत हुँते, रत्नचंद्र के मित्त । सभासारनाटिक लिष्यो, सकल रिझावन चित्त ।। २ निगम दिवसकी संख्यमै, सत्वरतें शपिरत्न । लिख्यो ग्रंथ वाचत सुनत, करीयो इनको यत्न ॥ ३ ॥ श्रीरस्तु ॥ सवनर ।। भद्रं भूयादिति ।। श्रीः ॥ Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२० ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर ... ४८४. ५८६५ सिंहासन बत्तीसी आदि- ॥ श्री गणेशाय नमः ।। अथ स्यंघासन वतीसी भोज प्रबंध हितौ उपदेस कवि क्रस्नदाश कति लिपते । छैपा- प्रथम सुमरि गण इसनं गणनायक । विघ्नहरन मति राय काज सिधिकरण सहायक ।। येक दंत मय मंन अंत नहि पाव पाव सुमति गति । फरस हथ समरथ देव परतछ अमित गति ॥ कवि कस्नदास वंदत चरन, और सुमति दुस्तर तरन । रस सिंधु मौढ विक्रम चरित सु, करित दुरित दुर्गम हरन ॥ १ अन्त- दीनो वर विक्रमकों सोय, सारिवाहन तन दाहन होय ।। तो लगि सो नृप आयो तहा, विक्रम वीर अंवि जहा ।। ४० चंडी वाच तेरे हेत दह्यो तन आय.... विशेष- इसके पश्चात् पत्र रिक्त है। २२-जैनस्तोत्र ३. ४१४६ अन्तरिक्ष पार्श्वस्तव आदि- श्री अन्तरीक पार्श्वनाथ छन्द लिष्यते । दूहा- सारदपाय प्रणमां करी, आपो अविरल वांरिण। पुरसादाणी पास जिरण, गास्युं गुण-मरिण-पांणि ।। १ अद्भुत कौतुक कलियुगे दीसै एह अदंभ । धरतीथी अधर रहै, सदा अंतरीक थिर थंभ ॥ २ अन्त- कीयो छंद आनंद वृद मनमाहै प्राणी।। सांभलतां सुषकंद चंद जिम सीतल वाणी ॥ श्रीविजयदेव गुरुराज अाज तस गणधर राजै । श्रीविजयप्रभ सूरि नाम काम सम रूप विराजै ॥ गणधर दोय प्रणमी करि थुरिगयो पास असरण-सरण । भावविजय वाचक भरणे जयो देव जय जय करण ॥ ४६ इति श्री अंतरीक पार्श्वनाथ छंद संपूरण । ४३४६ अजित शांतिस्तव (सवालावबोध) त्रिपाठ प्रादि-अजि अंजि असघ भयं संति च संत सब गय पावं। . जय गुरु संति गुण करे दोवि जिणवरे परिणवयामि ॥ १ ४. Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३२१ . . . ' ' हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] अन्त- जइ इच्छह परम पयं अहवा कित्ति सवित्थडं भुवणे । ता तेलक्कुद्धरणे जिणवयणे फु प्रायरं कुणह ।। ४० इति श्रीअजितशांतिस्तवः । ४३६२ एकादश गणधर स्तवन आदि- गोयम गणहर पढ़म संघयणं । तित्थंकर वीर जिरा पढ़मसीस सोवन समारणउ ॥ इत्यादि ।। १ अन्त- इय समयज्जत्ति सव्यसत्ति चित्त भत्ति वन्निया। वैशाख सुदि इग्यारिसि दिनि वीर नाहइ थापिया ।। ए सयलगणहर ए इग्यारसि जे प्रागहइ भाविया ।। एतवन भणसि भाव सुणसि ते लहइ सुख सपया ॥ ५ श्रीप्रभासगणधरस्तव । इति श्री एकादशिदिनसम्बन्धि श्री एकादशगणधर स्तवनं सम्पूर्ण ।। २०. ४०३० कायस्थिति स्तोत्र आदि- श्री पन्नवणा भगवती माहि थकी उदार करी गीतार्थ पूर्वाचार्य कायस्थिति नउ स्तवन करइ छइ। आदि गाथा-जहतु हदसण रहिउ कायठिई भीसगे भवारत्ने । भमिउ भवभय भंजणा जिणिदत्तह विन्न विस्सामि ।। १ जह कहतां जिम हे जिनेश्वर तुह दंसण रहिउ, ताहरइ..'आदि । अन्त- बहु सो अनन्ती वार हिव घणइ पुण्य तणइ उदय सांप्रत तुझ कुमइ दीवं उछइ । ता तस्मात्तिणि कारणि अकाय नहीं काया जिहां एहवा जे सिद्ध तेह तउ पद मुक्तिपद तेहती संपदा हे तीर्थंकर द मुनइ ॥ २४ इति श्रीकायस्थितिस्तवनबालावबोधः समाप्तः । २५. ४३६३ गौतम दीपाली का स्तवन श्रादि- इन्द्र भूती गउतम भणई तिसला कुखि निधान । ज्ञात पूतनूं पामीउ दइ मुझ मुगतिनो दान ॥ १ अन्त- देव गुरु भगत्यिमी सुगती वर अरगुसरो। सकल कहि हीर गुरु गुण विचारो ।। ७५ जिन वचन दीप दीपालिका राजती। इति श्री गउतम दिपालिकालि स्तवनम् ॥ २६. ४५६६ चतुविशति जिनस्तोत्र ____ आदि- जाड्यध्वंसकृते नत्त्वा नाभेयप्रमुखान् जिनान् । ____ अात्मनः स्मृतये वक्ष्ये यमकस्तुतिवृत्तिकाम् ॥ १ Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ ] [ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर अन्त- स्निग्धा अविरला चासो विभा दीप्तियच श्रनच्छविभा श्रलकानां केशानां श्रन्ता यस्याः सा श्रनच्छविभालकांता ॥ इति श्रीचतुविशति जिनसंक्षेपतो वृत्तिः समाप्ता । ७४४४ (१) चोवीसी इस गुटके में निम्न कृतियाँ हैं - १. आनंदघन चोवीसी. २ संग्रहणी सूत्र ३ जीवविचार प्रकरण ४ नवतत्त्व. ५ दण्डक प्रकरण. ६ सप्तस्मरण. ७ प्रतिक्रमणसूत्र ६ पांच तिथि थुई. १० स्तुतिस्तवन. ११ गोतम रातो. १२ स्नात्रपूजादि. १३ चौडालिया. १४ थूलभद्र नवरसो. १५ बार भावना. १६ आनंदघन वहीतरी. १७ पनरे तिथिरी थुई. १८ पंचसंधि (सारस्वत प्रक्रिया) १६ सिंदूरकर यादि स्तोत्रस्तवन । पंच परमेष्ठि- नमस्कारार्थ ३७. 1 ६५. ४२६८ ६१. प्रादि- श्री जिनाय नमः । नमो अरिहंताणं । माहरउ नमस्कार श्री अरिहंत भगवंत नइ हुउ । किसा छड़ ते अरिहंत जीय अरिहंते राग द्वेष रूपिया ग्रहरि वरी जीता न अठारे दोपे रहित इत्यादि । १०१. ग्रन्त- माहउ नमस्कार पंचांग प्रणाम त्रिकाल वंदरगा सदा हुई । इति श्री पंचपरमेष्ठिनमस्कारार्थः सम्पूर्णः || ४०२५ भक्तामर स्तोत्र आदि- इनही पछड़ आप घरे पाछा श्रावी राजानी सेवा करिया लागा पूर्तिली रीतइ आदि । अन्त- अन इन्वत्तिकरी मानतुंग सूरि इं रची, मई इस ताहरा स्तोत्र रूपिणी पुष्पमाला जे कठ कंदलि धरइ तेह नह लक्ष्मी स्वयंवर वरइ ॥ ४४ इति भक्तामर स्तोत्र- प्राकृत वार्तिकवृत्ति समाप्तम् ॥ भक्तामर भाषा भाषा भक्तामर कियो, हेमराज हित हेत । जे नर पढ़े सुभाव सो, ते पावे सिव खेत ॥ इति श्री भक्तामर भाषा संपूर्ण । ७४५० भक्तामर भाषा प्रादि १८ कृतियाँ इस गुटके में निम्न कृतियाँ हैं - १ भक्तामर भाषा हेमराज कृत १ - १६. २ चौंसठ योगिनी नाम तथा घंटाकर्ण १७ - २१. ३ कल्याणमंदिर भाषा २२- ३२. ४ चैत्यवंदन २-४ ५ भक्तामर स्तोत्र ५-१७. ६ कल्याणमंदिर स्तोत्र सिद्धसेन कृत १७ - २६. स्तोत्र संग्रह आदि १३ कृतियाँ ७ लघु शांति २९ - ३३.८ प्रजित शांति ३३-३६ ३६-५१. १० शक्ति मंत्र ८३-८४ ११ पदस्तवन ८४-८९ १३ सोलह पद ११५ - १३० १४ स्नात्र प्रष्ट प्रकारी नवपद पूजा १३१ - १६५. १५ वीस १२ वसुधारा ६०-११५. १००. ६२७७ Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. वार हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] . .. [३२३ विहरमान गीत १६६ वौ। १६ अतीत अनागत वर्तमान चौबीसी १९७-२००। १७ बावन "वीर नाम २००-२०२. १८ पदस्तवन (१२ कृतियाँ) २०२-२३२ । ११४. ४३४४ वीतराग स्तोत्र आदि- यः परात्मा परं ज्योतिः परमः परमेष्ठिनाम् । आदित्यवर्णं तमसः परस्तादमनन्ति यम् ॥ १ अन्त- तव प्रेष्योऽस्मि दासोस्मि सेवकोऽप्यस्मि किंकरः । उमिति प्रतिपद्यस्व नाथ नाथ परं ब्रवैः ।। ८ श्रीहेमचंद्रप्रभावाद्वीतरागस्तवादितः । कुमारपालभूपालः प्राप्नोतु फलमीप्सितम् ।। ६ इति वी० स्तोत्रो आशीस्तवो विंश: प्रकाशः ।। २० . १२३. ४१५६ श्रीदेवीछन्द, शनैश्चर स्तुति प्रादि- सकल-सिद्धि-दातारं पावं नत्त्वा स्तविमहं । वरदा सारदा देवी जगदानंददायिनी ।। १ अन्त- इच्छं बहु भक्ति भर अडल छंदन सर्छ । या देवी भगवई तुम पसोइं होऊ सया संग कल्याणं ।। ४५ इति श्री देवीछंद संपूरण । शनि स्तुति-आनंदन जग जयो रविसूत सांभलवान । __ कोड कवित करो तुझ स्तव तुज गुण को हवें मान ॥ १ अन्त- ए मंत्र धरी ऊंकार उक्षर सारह । ए मंत्र जपीय नर धारह । एणे मंत्रे उलट धरी विनतडी चीत प्राणिये । रिध वृध सहजें सदा, वली वली एम सनीसर वषाणीये ।। १६ इति शनीसर स्तुति ॥ लिपिकर्ता-सुबुद्धिविजय गणी । १२८. ४५११ शोभन-स्तुति श्रादि- भव्यांभोजविवोधनकतरणे विस्तारि कर्मावली रंभा सामजनाभिनन्दनमहा नष्टा पदा भासुरैः । भक्त्या वन्दितपादपद्मविदुषां संपादय प्रोज्झिता (त्थिता) रंभा सामजनाभिनंदन महा नष्टापदा भासुरैः ।। १ अन्त- सरभसनातनाकिनारीजनोरोजपीठीलुठत्तारहारस्फुरद्रश्मिसारक्रमांभोरुहे। परमवसुतरागजारोवसन्नाशितारातिभाराजिते भासिनी हारतारावलक्षा मदा। क्षणरुचिरुचिरोरुचंचत्सटासंकटोत्कृष्टकंठोद्भटे संस्थिते । संकटा भव्यलोकं त्वमेवांविके परमंव सुतरां गजारोवसन्नासिताराति भा राजिते भासिनी हार तारावलक्षा मदा ।। ६६ ।। २४ ॥ श्री शुभं भवतु ॥ Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२४ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्येपण मन्दिर, जोधपुर १३० ७२७८ शोमन स्तुति आदि- आसी[]द्विजन्माखिलमध्यदेशप्रकागसांकाश्यनिदेशजन्मा। अलब्धदेवपिरिति प्रसिद्धि यो दानवपित्त्वविभूपितोपि ॥ १ शास्त्रवधीतो कुशल: कलासु वन्धे च बोधे च गिरा प्रकृयः । तस्यात्मजन्मा समभून्महात्मा देवः स्वयंभूरिव (वा) सुदेवः ॥ २ अब्जायतास्यश्लाध्यस्तनूजो गुणलब्धपूजः।। यः शोभनत्वंशुभवर्णभाजा ननाम नाम्ना वपुषाप्यधत्त ॥ ३ कातन्त्रचंद्रोदिततन्त्रवेदी यो वुद्ध वौद्धाहततर्कतत्त्वः । साहित्य विद्यार्णवपारदर्शी निदर्शनं काव्यकृतां बभूव ॥ ४ कौमार एव क्षतमारवीर्यश्चेष्टां चिकीर्पन्निव रिष्टनेमेः । यः सर्वसावद्यनिवृत्तिगुर्वी सत्यप्रतिज्ञो विदधे प्रतिज्ञाम् ॥ ५ एतां यथामति विमृश्य निजाम्बु (नु) जस्य तस्योज्वलां कृतिमलंकृतवान् स्ववृत्या । अभ्यथितो विदधता त्रिदिवप्रयाणां -तेनैव सांप्रत कविवर्नपाल नामा ॥ ६ अन्त- इति श्रीशोभनदेवाचार्यकृतचतुर्विशतितीर्थकरस्तुतिवृत्तिः, कृतिरियं तस्यैव । १३२ ६८३६ स्तम्भ पार्श्वस्तुति प्रादि ____ इस गुटकेमें निम्न ५ कृतियाँ हैं-१ स्तंभ पार्श्वस्तुति, २ आत्मोपरि सज्झाय, . ३ शांतिजिनस्तवन, दानशीलादि चौढ़ालियो, ५ जम्बूकुमार सज्झाय । १३४ ६१६० स्तवनम पुष्पिका के अन्तिम २ श्लोक पूर्व पाटलिपुत्रमध्यनगरे भेरी मया ताडिता पश्चान्मालवसिंधुटक्कविषये कांचीपुरे वैदुषे ।। प्राप्तोहं कलहाटकं बहुभटैविद्योत्कट: संकटं वादाणं विचराम्यहं नरपते सा(शा)दुर्लवत्क्रीड़ितम (क्रीडितुम्) ।। १ काञ्च्यं नग्नाटकोऽहं मलमलिनतनुल्लाम्वुसे पाण्डुपिडु । पुंड्रोड्र शाकभक्षी दशपुरनगरे मिष्टभोजी परिबाट ।। वाराणस्यामभूवं शशिकरधवलः पांडुरंगस्तपस्वी। राजन् यस्यास्ति शक्तिः स वदतु पुरतो जैननिग्रंथवादी ।। २ इति समंतभद्रस्वामिविरचितं स्तुवनं ॥छ।। १३६ ६८२५ स्तोत्रसंग्रह ___इस गुटकेमें निम्न ५ स्तोत्र हैं-१ नवकार रो स्तवन, २ श्री महावीरजी रो स्तोत्र, ३ श्री पार्श्वनाथ स्तोत्र, ४ श्रीशांतिनाथ स्तोत्र, ५ संगीत बंध नमस्कार, ये पांच स्तोत्र हैं। Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] [३२५ २३-जैनागम ४३५८ आवश्यकसूत्र सवालावबोध आदि- नमो अरिहन्ताणं नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं । नमो उवज्झायाणं नमो लोय सव्वसाहूणम् ।। १ अन्त- समाईय पोसह, संठियस्म जीवस्स जाइजो कालो। सो सफलो बोधवो सेसो संसार फल हेउ ।। १ इति श्री आउशक संपूर्णम् ४२ ४४१८ उत्तराध्ययनसूत्र (सवालावबोध) आदि- संजोगाविप्पमुक्कस्स अरणगारस्य भिक्षुणो।। विणयं पउ करिस्सामि आणुपुब्बं सुणोहमे ॥ १ अन्त- श्रीवर्द्धमानस्वामी परिनिवृतः निर्वाणं प्राप्तः किं० । उत्तराध्ययनभवसिद्धिका भव्यजीवाः तेषां समन्तात् ।।८२ छ।। इति षट्त्रिंशत् श्रीउत्तराध्ययनबालावबोधः समाप्तः ॥ ५० ४३५७ उत्तराध्ययनावचूरि आदि- श्रीवर्द्धमानमानम्य बृहद्वृ त्यनुसारतः । श्रीउत्तराध्यायनानामवचूरि लिखाम्यहम् ॥ १ अन्त- योग उपधानादिरुचितव्यापारस्तदानतिक्रमेण यथायोगं गुरु० तचित्तप्रसन्नता स्याद्धेतोरधीयेत न तु प्रमादं कुर्यादिति भावः। इति श्रीउत्तराध्ययनावचूरिः॥ ८१ १०६ फल्पसूत्र (सस्तवक) प्रादि- ॐ नमो अरिहन्ताणं नमो सिद्धाणमित्यादि । अन्त- श्रीमत्तपागणाधीशश्रीदेवविमलप्रभोः । श्रीसोमविमलाहन टवार्थो लिखितः स्फुटः ॥ टवार्थः कल्पसूत्रस्य मूर्खशिष्यस्य हेतवे । बृहद त्यनुसारेण संशोध्यः सर्वधीधनः ।। १२१ ७४४५ प्रतिक्रमणसूत्र आदि .... १. प्रतिक्रमणसूत्र । २. जयतिहूयणस्तोत्र । ३ श्रावककरणीस्वाध्याय-जिनहर्षकृत । ४. शत्रुञ्जयरास-समयसुन्दरकृत। ५. गोतमरास। ६. मुनिमालिका-वादिसिंहकृत । ... ७. गोतमस्वामिस्तवनादि । ८. कालज्ञानभाषांचीपई-लक्ष्मीवल्लभगणिकृत । . .. १२२ ७४४६ प्रतिक्रमणसूत्र प्रादि - १. प्रतिक्रमणसूत्राणि । २. स्तुति-स्तवन । ३. शत्रुजयरास। ४. गोतमरासो। Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ ] | Sলাম ঘুচন্তায় শকি, মীমু? ५. स्तवनादि ८ । ६. जीयविचार, प्राचीन राजस्थानी नापा ५. ममताचप्रकारका ८. विचारपब्रिशिका । ६ वार्यास परिगह।" वाहमापना । १२७ ७३४५ प्रश्नस्यापारणासटीका अन्त- नितियानुननभम्पन चन्द्रोगामुन । पण्डितगगेन गुगावप्रियगा संमोदिता चयम् ।। ६५६ ७२२३ समवायाजपत्ति वृत्तिरचनाफाल:- एकादशहातेप्वच विंगत्यधिनेषु विक्रमनभानाम् । अगाहिलपाटफन गणे (रे) रनिता रामवायटी फेयम् ।। २४-जैनप्रकरण ७. ७०१६ प्रागमसारोद्धार भाषा यह और संख्या ७३३१ वाली प्रति मिलती है, किन्तु इसमें निम्न दोहा अन्नमें विशेष है करची इहां सहाय अति, दुर्गदास शुभ चित्त । समझावन निज मित्त कौं, कीनों प्रत्य पवित्र ॥ १२ १६. ४३०२ ऋषभपंचाशिका प्रादि- ॐ नमो वीतरागाय नमः ॥ भत्तिभरनमिरसुरवरातिरीडं मणियंति कतिकयसोहो । उसभाइ जिणवरिंदाणं पायपंकेरुहे नमिमो ॥ १ निज्जिय परीसहच, संभयुव सग्रवरिउपसरम् । संपत्तकेवलिसिरि सिरिवीरजिणेसर वंदे ॥ २ अन्त- इयभाणग्रपलीबियकम्मिवरण वालवुद्धिणा विमय । भत्ती इपू उभयभयसमुद्दवो हिच्छवो हि फलम् ।। ५० ___इति ऋषभपंचाशिका समाप्ता ।। ६७. ४५६६ धर्मोपदेशश्लोकाः प्रादि- दृष्ट्वा शत्रुञ्जयं तीर्थ नत्वा रैवतकाचलम् । स्नात्वा गजपदे कुण्डे पुनर्जन्म न विद्यते ।। १ . अन्स- इति श्रीपुराणे कथिताः श्लोकाः ।.. Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] [ ३२७ ८४. ७२०० प्रनोधचिन्तामणि अन्त- यमरसभुवनमिताब्दे स्तम्भनकाधीशभूषिते नगरे । श्रीजयशेखरसूरिः प्रबोधचिन्तामरिणमकार्षीत् ।। ६. ७३४७ प्रवचनसारोद्धार सटीक ग्रन्थान्ते- श्रीमानबुदपर्वतप्रभुरभूत् भूमान् सुरत्राणभूः, सत्याव्हो भुवि राजसिंह इति यो रामावतारः परः । श्रीमानक्षयराजराजतिलकः प्रोद्यत्प्रतापानलस्तत्पुत्रोद्भऽतभाग्यभूमिरधुना वालोऽपि पाति क्षितिम् । तस्य श्री .......सत्पुत्रद्वयोसंयुतो, राज्यस्तम्भनिभः समस्तभुवनप्रख्यातकीर्तिव्रजः ।। २ यात्रां श्रीविमलाचलस्य महता संघेन माडम्बरं, द्वधाभूततपागणस्य सुचिरादद्रेरिवाश्चर्यकृत् । सन्धानं च मिथो विधाय भृतवान् यो बोधिलक्ष्म्याङ्गिनः, स्वात्मानं सुकृतं श्रिया च यशसा द्यावापृथिव्यन्तरम् ।। ३ तेन श्रीतपगच्छनायकगुरुश्रीहीरसूरीशितुः, संघे श्रीमदुपासकेन नगरे श्रीरोहिणीनामनि । वर्षे विक्रमतो रसावसुरसक्ष्मासम्मिते वत्सरे (१६८१) चित्कोशे स्वकृते चिरं विजयतामेषा गृहीता प्रतिः ।। ४ १११. ४०८५ मङ्गलकलशचोपाई आदि- श्रीगुरुभ्यो नमः ।। दुहा- प्रह उठी नीत प्रणमीयइ, श्रीरिसहेसरदेव । नाम थकी नवनिध मीलइ, सिवपद आपइ सेव ॥ १ मंगलकलसई दांनसु, पामि परधल रिद्ध । राजलीला सुख भोगवी, देव तरणी गति लीध ॥ ७ अन्त- तस सेवक नित्य हर्षगणि रे, सदा मन पाणंद । तत शिष्य लक्ष्मीहर्ष कहै रे, सवै नरनावद ॥५॥ दा० सहेर काकंदीनयर भली रे, रह्या तिहां चोमास । श्रावक सदा सुखिया बस रे, पुन्यै करी जस वास ।। ६ ॥ दा० सांभलवों करवो भावसू रे मनमें प्रांणी विनोद । धरम करै ते सुख लहै रे, उछ एह प्रमोद ॥ ६ ॥ दा० इति श्रीमंगलकलशचउपी संपूर्ण ।। '' १२१ ४२६६ विशतिस्थानकविचारामतसंग्रह ग्रन्थान्ते-- विंशतिस्थानकाचारविचारामृतसागरः। गच्छेशश्रीजयचन्द्रसूरिशिष्येण निर्मितः ।। २२ Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२८ ] वीरग्रामाख्यपुरे युग्मव्योमेन्दु पञ्चभिः । प्रमिते वत्सरे हर्षेज्जिन हर्षेण साधुना ।। २३ ग्रन्थस्यास्य पवित्रस्य वाचनश्रवणादिभिः । लभन्ते प्राणिनः प्रौढ़ां श्रीजिनेश्वरसम्पदम् || २४ ग्रन्योऽष्टाविंशतिशतानुमित: सर्वसंख्यया । जोवेदयं बुधश्रेणिवाच्यमानो निरन्तरम् ॥ २५ इति श्रोविंशतिस्थानक विचारामृतः संग्रहः सम्पूर्णः ॥ विचारामृत संग्रह १२२ ७४७७ [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर अन्त- सूरि : श्रीकुलमण्डनोऽमृतमिव श्रीश्रागमाम्भोनिधि श्चक्रे चारुविचारसङ्ग्रहमिमं रामाव्धिशक्राब्दके (१४४३) । १२७ ४०२६ अन्त- इति श्रीशीलोपदेशमालावालाववोध श्रीखरतरगच्छ मेरुसुन्दरोपाध्यायविरचित धनश्रीकथा समाप्ता । हिव ग्रंथकार ग्रन्थनी समाप्ती भरणी श्रापणउं. नामगर्भित मंगलगाथा कहई ई जईसिंह मुणीस रविनेयजय कित्तिरगा कयं एवं सीलोवएसमालं शीलोपदेशमालावालावबोध १४२. ४३५६ राहिय लहइ वाहि सुहां ।। ११५. व्याख्या - इराई पूर्वोक्त प्रकारि करी जयसिंह सूरि तेहनउ विनीत शिष्य शिष्य जयकीर्तिमुनि तीरणई ए शीलोपदेशमाला प्रकरणरूप मूलसूत्र कीधऊं । इति श्रीशीलोपदेशवालावबोध प्रकरण समाप्तम् ॥ ग्रन्थाग्रन्थ ६२५० ।। सैलानागाव्धिचन्द्रो वृद्धमासं त्रयोदशी । कृष्णपक्षे रविपुत्रो अरुणोदयजिनपूजनम् ॥ १ संग्रहणीवालावबोध श्रादि- श्रीपार्श्वनाथं फलवद्विकाख्यं गुरूंश्च श्रीमज्जिनदत्तसूरीन् । गीर्देवतां भाष्यसुधासमुद्रं क्षमाश्रयं श्रीजिनभद्रनाम्ना ॥ १ ग्रन्त - इति श्रीवाचनाचार्यश्री श्रीश्रीशिवनिधान गरिगविरचिते संग्रहणी वाला दोघे सामान्याधिकारः समाप्तः । इति श्रीलघुसंग्रहरणी वालादबोधः समाप्तः ॥ संग्रहणीसूत्र ( संवेणनो रासछंद) १४५. ४००४ प्रादि- दशमई ग्रहू सातमीई चौदव तर ग्रामई । अधिके एकेकं तिहां थी तिमई | २३|| अन्त - (ढाल एह ) अर्थ - निरुपम अमृत उपम सुण्यो श्रवणे सुख करी, विचार करता चित्त धरता कर्मकोडिना दुःख हरें । तां रहु रास प्रकास उत्तम मे हूं शशि दिरण्यरू, शासना देवी साउलि श्रीसंघ चतुविध जय करूं ॥ ५५० • इति श्री संग्रहणी सुत्रे परिपर्णता नाम सप्तमोल्लासः ॥ श्लोक संख्या ग्रन्थानं ॥ ६४१ Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-१ ] [ ३२६ १४६. ४०३१ संग्रहणीसूत्र सस्तबक ____ अन्त- मलिहारि हेमसूरीणं सीस लेसेण सूरिणा रइयं। . संघयरिणरयणमेयं नंदउ वीरजिणतिच्छं ।। ३० इति श्री संग्रहणीसूत्र संपूर्णमिति । १६० ६२०३ सम्मेदशिखरमाहात्म्य . ग्रन्थान्ते पुष्पिका- इति श्रीभगवॅल्लोहाचार्यानुक्रमेण श्रीभट्टारकजिनेन्द्रभूषणोपदेशा च्छीमद्दीछितदेवदत्तक(कृ)ते श्रीसंमेदसिखरिमाहात्म्ये समाप्तिसूचको नाम एकविसतिमोऽध्यायः ॥ २१ १६२. ७२१७ समाधिशतकटीका अन्त- तुरङ्गदृष्टितत्त्वभूमिसंयुते (१७२७) सुवत्सरे, तपस्यशुक्लपञ्चमीदिने च तक्षके पुरे । समुद्धृतं सुपुस्तकं समाधिसाधिताशयम्, सुवादिराजधीधनेन धारितं स्वधीगृहे ॥ १७१. ५६११ हरिवंशपुराण अन्त- इत्यरिष्टनेमिपुराणसंग्रहे हरिवंशे जिनसेनाचार्यस्य कृती गुरुपादकमलवर्णनो नाम षट्पष्टितमः सर्गः। विशेष- श्रीवर्द्धमानपुरे श्रीपाश्र्वालय नत्रराजवसतो निर्मितम् । ++++++++ ++++ Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री * परिशिष्ट २ ग्रन्थकार नामानुक्रमणिका ग्राणन्द जेठूमल १७५ आत्माराम २०७ अानन्द कवि २०६ ग्रानन्दगिरि १६,६१ आनन्दधन १६१,२०८, २३६ अानन्दचन्द १६१ आनन्दतीर्थ ४ आन्हिदत्त १०२ ईसरदास २०४ अखैराज २४२ अग्निवेश मुनि १३६,१५४ अग्रदास २११,२१३ अचलकीर्ति १६५ अजितप्रभ १५२ अद्वयारण्य ७१ अनुभूति स्वरूपाचार्य ७७,७८,७६ अनूपसिंह १६५ अनंतदेव ४१,४३, ४५, १५७ अनन्त पण्डित १२६, १४६ अनन्त पण्डित (त्र्यम्बकात्मज) १४३ अनन्त भट्ट २५ अनन्तराम ६६ अन्नं भट्ट ७०, ७१ अप्पय (?) (वेंकटेशशिष्य) ११७ अप्पय दीक्षित १००, १४१, १४३ अभयदेव २३६, २५५, २५६, २५७, २५६, २६५ अभयसोम १८६, १६४, २४१ अभिनव नारायणेन्द्र सरस्वती १५ अमृत कवि १७४ अमृतचन्द ७० अमरचन्द्र १४१ अमरप्रभ २४२ अमरसिंह ८२, ८३, ८४ अमर भरूक १२६, १२७ अष्टाव ५८ अहोबल शास्त्री १२ उज्ज्वलदत्त ७३ उत्तम २६६ उत्पल भट्ट ६६,१०३, ११२, ११५, १६८ उदय २११ उदयनाचार्य ७० उदयप्रभ ८५ उदयरल १६४ उदयरतन १७८, १९४, २४० उदयराज १६७ उदयवन्त १७० उदैराज १८२ उपेन्द्र ११४ उमास्वामी २६३ ऋ ऋपभसागर १६४ ऋपि शर्माचार्य (महर्पि) १२१ कृपाराम १०४, १७४ कृपाराम मिश्र १०२ कृष्गा कवि २१७, २२७ प्रादमल्ल १६० Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-२ ] [३३१ कृष्ण जीवन २०८ कृष्णदत्त १५६ कृष्णदास ५६, २०८, २११, २१८, २३३ २३६ कृष्णदास पयोहारी १३ कृष्णानन्द ६६ कृष्ण मिश्र ७६ कृष्णयाजी ६४ कणाद महर्षि ७१ कनककीर्ति १७८ कनककुशल १५१, २४२, २४३ ,, ,, (विजयसेन सूरिशिष्य) १५३ कनकनिधान १६० कनकसुन्दर २०४ कनकसोम १६५, २६६ कवीर १६७ कमलवन्धु १८१ कमलसंयम २४६ कमलाकर ३६, ११५, १२० " (रामकृष्णसुत) २८ , भट्ट ४२, ४५ . करणीदान २०३ कर्काचार्य २१, २७ कर्णसिंह ३२ कर्मचन्द १७३ कलश कवि १७१ कल्यारण १५६, १८६ कल्याणकर १०० कल्याण मिश्र २२२ कल्याणराम ६० , वर्मा ११८ कविकान्त सरस्वती ४४ (आदित्याचार्य सुत) कवियण १८१, १६१, १९३ कविराज भिक्षु ६६ कवि शेखर १२५ कवीन्द्राचार्य २२० । कात्यायन २८ कालिदास ७, ६०, १२२, १२३, १२६, १२७, १२८, १३०, १३४, १३५, १३६, १४०, १५२ काशीनाथ ६८, १११, ११४, १५४ , भट्ट (जयराम सुत) ३२ काशीराम १६०, २०१ किशनसिंह २१८ किशोरी अली २१४ कीर्तिप्रभ २४१ कीर्तिविलास २३० कुक्कोक पण्डित २५ कुवेरानन्द वर्णी ५० कुमुदचंद्र २३७ कुलपति मिश्र २३१ कुलमण्डन २६८ कुशलधीर १६३ कुशललाभ १७७, १८८, २३८ कुशला २१६ केदार भट्ट १२२ केयदेव १५५ केशरविमल २०२ केशराज १७६ केशव ८७, ६३, १११, ११४, २०८ , (आचार्य) १८६ , (कवि शेखर) १३० ., दास १६५, २२१ " देवज्ञ ६२, १०७ केशव भट्ट १३१ , मिश्र ७० केसरसिंह १६७ केसरी कवि (बालकृष्ण भट्टसुत) २७४ । कैवल्याश्रम १३ कोक १२५ कोविद मिश्र २३५ कौण्डि भट्ट ७६ कंकाली भाटण १७४ Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३२ ] खडियो जगो १६१, १६२ खुशाल २३३ खुशालचंद १८७, २३५. खेतल १७३ खेतसी २२६ खेमचंद २०८ खेमो १६३ स गजकुशल १७०, २०० गजसागर २६२ ग गजसार २३६ गणपति दैवज्ञ २४, २८, १०५ ( रावल हरिशङ्कर सूनु ) 11 गणपति मिश्र २२७ गणेश ८८ " ree (ढुंढिराजात्मज ) १४, १५ दीक्षित ६० दैवज्ञ ε३, ४, ५, १०२, ११४ 39 गर्ग ऋषि ८८८, १०१, १८३ गाङ्गला १८८ गिरिधरराय २३० गिरिधारी मिश्र १११ गुणकीर्ति १६७ गुणभद्र २०७, २६७ गुणरत्न १२१ विजय २३८,२५१ गुणविनय १२६ गुणसागर १६७, १७६, १७७, १८० गुणसार २४३ गुरणाकर १२०, २४२ गुरुप्रसाद २२० गुरुसेवक ( श्रीकाल ) ३२ गोपदास ५८ गोपाल ३,७८, ६२, २१६. २१३ गोपालदास १५४, १८३,१८८२१६ गोपाल (न्याय पंचानन भट्टाचार्य) ४२ [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर गोपाल भट्ट ६४, १४२ गोपीनारायण (सूर्यसेन महीमहेन्द्र ) ४२. गोपेश्वर ६८ गोरखजी १७१ गोरक्षनाथ ३८ गोवर्द्धन ७१, १२, १३०, १३१, १४० गोवर्द्धन कण्डोलक (द्विजराम सुत) १०१ गोविन्द (विष्णु दैवज्ञ सुत) ६६ - गोविन्द कवीश्वर १४० गोविन्द गरि २४० गोविन्द ठक्कुर १४१ गोविन्ददास १९२ गोविन्द दैवज्ञ ११६, ११७ गोविन्द गाटारगी २१० गोविन्द पण्डित ४२, ४३ गोविन्दराम २०३ गोविन्दाचार्य ५६ गौतम मुनि ८६ गौरीकान्त भट्टाचार्य ७० गौरीकान्त सार्वभौम १३ गङ्ग १६७ २०८ गङ्गादास १२२ गङ्गावर (रामचन्द्र पाठक सुत) २६ १०० गङ्गाधर भट्ट २७३ गङ्गाराम १०६ 37 13 कवि (जय पनामक) १४१ भट्ट ४१ 31 गङ्गश्वर ७० गङ्ग ेश मिश्र २२७ च चक्रघर १०६ चक्रपाणि ६७, १५८ चक्रवर्ती चक्रदास २१६ चतुर्भुजदास कायस्थ १८७ Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३३३ हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग-२, परिशिष्ट-२ ] चतुर्भुज मिश्र २, १२७ जगन्नाथ सम्राट् १११ चतुरविजयगणि १०७ जगमाल मालावत १७० चरणदास २१८, २३६ जटमल १७१ चानण खिडियो १८८ जड़भरत ६१ चाणक्य १४५ जनगोपाल २१६ चामुण्ड कायस्थ १५५ जनार्दन २२८ चिन्तामणि २०६, २१० जयकृष्ण ७५ __, पण्डित ११० जयकीति २६८ चिरञ्जीव भट्टाचार्य ६६ जयगणि ६२ चूडामणि चक्रवर्ती १०४ जयदेव १२६, १३१, १४१ चूडामणि भट्टाचार्य ७१ जयपारदीक्षित १५६ चेतनदास १७४ जयराम १४ चैतन्यदास १२७, १२६, १६६ जयरामन्यायपञ्चानन ७१ चैनराम २२१ जयराम भट्ट १७ चैना १८६ जयराम भट्टाचार्य २२ चोथमल १७६ जयरङ्ग १६७ चोथो श्रावक १६६ जयवल्लभसूरि २३६ चौर कवि १३० जयशेखर २६५ चन्द ? १८४ जयानन्द २४४ चन्द कवि १८४, २३३ जसराज १५२, २१६ चन्द्रकीर्ति ७८, ८१, १८५ जसवन्तसिंह १७६, २१६ चन्द्रचूड २५ जानकवि २१७ चन्द्रसिंह ६० जिनकीर्तिसूरि २३६ चन्द्रशेखर ११२ जिनचन्द्र ८१ जिनदत्तसूरि ७२, २६८ छत्रसिंह श्रीवास्तव २२७ जिनदास १७६ जिनप्रभ २६४ छीतरदास १७४ जिनभद्र २६८ जिनमाणिक्य २०२ जगदैवज्ञ १०८ जिनरङ्ग २०३ जगदानन्द महामहोपाध्याय ३१ जिनवल्लभ १४४, १६५, २४२, २६६ - जगदीश २०८, २१० जिनसागर २४०, २४१ जगदीश भट्टाचार्य ७१ जिनसागरसूरि १४२ ...' जगन्नाथ भट्ट (तैलङ्ग पण्डितराज) २ जिनसुन्दर १७६, २६४ जगन्नाथ (पण्डितराज) ५, १३, १३१, जिनसूरि १७० जिनसेन २३६, २७१ जगन्नाथ मिश्र १२२ जिनहर्प १६४, १६६, १७४, १८२, Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ ] । राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर १६४, १६५, १६६, २०२, २०४ २०७, २६८ जिनहर्पसूरि (सुमतिहंस) १६४ जिनहंस २४७ जिनोदय २०३ जीवक ५५ जीवगोस्वामी ५६, ६०, ६१, ६३ जीवनाथ ११६ जीवागुर्जर (याज्ञिक नरहरिसुत) ६६ जैतकवि १६८ जोरावरसिंह २२१ ठण्डीराम २१६ ठाकुरसी १८२ डेडराज २२६ (जनराज) दलपतिराय २०७ दक्षनकवि २११ दादू १६८ दादूजी १७८, १०६ दामोदर १०८ दासपण्डित १६० दिनकर ८७, ८६ दिनकर भट्ट (रामकृष्णात्मज) ४५ - दिवाकर १००,१०१, १०४, ११२ दिवाकर (नृसिंहगरणकसुत) ६२ दिवाकर भट्ट ४५ दीपचन्द्र १५५ दीपोऋपि १७० दीपो १७८, २०२ दुर्गदेव ८५ दुर्गाशङ्कर ११६ दुर्गाशङ्कर पाठक ८८ दुर्गाशङ्कर शुक्ल २८ दुर्योधन ६८ दुर्वासा ऋषि ६ देद कवि १६६ देवकीनन्दन (जीवानन्द सुत) २३ देवगुप्त १६३ देवचन्द्र २६० देवदत्त ११८, २६६, २७१ देवप्रभ १३१ देवभद्र २६६, २७० देवयाज्ञिक २१, २२ देवयाज्ञिक (प्रजापतिसुत) २३ देवसागर (रविचन्द्रशिष्य) ८२ .. देवसूरि ७२ देवसेन पण्डित ७१ देवीदान ११८ देवीदास २१४, २२२ देवेन्द्र २६५ देवेन्द्रसूरि १४४, २६१, २६८ देवेन्द्राश्रम ३३ . ढुण्डियज्वा १३४ ढुण्डिराज ६३, १०६ तत्त्वहंस १६६ तरुणीवीरेन्द्र ३२ (नरोत्तमारण्यमुनीन्द्र शिष्य) तिलकसूरि १८६ तिलकाचार्य २६३ तुलछीदास २०९ तुलसीदास १४, २२२, २२३, २२४, २२५, २२६, २२७, २२८, २३३, २३४ तेजसिंह १४८, २१६ तेजसिंहगरिण १४२ तेगकवि १८५ दत्तलाल १७८, २१६ दलपतिराम २ Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; परिशिष्ट-२ । नरपति ८७, ६६ नरसिंह १३ धनपाल (पण्डितवान्धव) २४३ । नरसिंह (रतनराजगणिशिष्य) १०६ धनराजग़रिण (भुवनराजगणिशिष्य) १०५ नरसिंह सरस्वती ६७ धनसार १४४, १४५ नरहरदास २०३ धनेश्वर १३४, १३६, २७१ नरहरिदास बारहठ १६४ धनञ्जय ८४ नरहरि भट्ट १४३ धनञ्जयसूरि ११ नरेन्द्रपुरी ७६ धर्मकुमार १५२ नरोत्तमदास २३३ धर्मघोष २४३ नागदेव उपाध्याय ३६ धर्मदास १४३, २६० नागभट्ट ३८ धर्मदेव १६४ नागराज (टाकवंशीय) १३१ धर्ममन्दिर १६४, १६० नागरीदास २१४, २९६ धर्ममन्दिरगणि १८२ नागार्जुन १५५ धर्ममेरुगणि १३६ धर्मराजाध्वरीन्द्र ६६ नागार्जुनसिद्ध ३१ धर्मवद्धंन २०२ नागेश ७६, ८१ धर्मसमुद्र १६३ नागेश भट्ट ७५ धर्मसागर २५२ नागेश भट्ट (श्रीकालोपनामकशिवभट्टसुत) १४२ धर्मसी २३७ धर्मसुधी १४३ नागोजी भट्ट १२, ३२, ७५ धर्मेश्वरमालवीय ८९ नाथिया १८१ धुरन्धरमल्लारि १२२ नानू ऋषि २४४ नाभादास २१७ न नामदेव १८१ नृपति भूपति ११८ नारचन्द्र ६७, १०३ नृसिंह ३५ नारायण १०, २१, ८६, ६०, १०८ नृसिंहदैवज्ञ १२० , (रामेश्वर भट्ट सुत) २५ नृसिंहाश्रम १३० नारायणदास सिद्ध (ब्रह्मदाससुत) १८, ६६ न्यायवागीश भट्टाचार्य १४१ नारायणदैवज्ञ (अनन्तपुत्र) १०७ नकुल १६८ नारायणदैवज्ञ कौशिक ११२ नथमल २२७ नारायण पण्डित (नृसिंहदैवज्ञसुत) ८८ नयनसुख २१२ नारायण भट्ट ३, २७, १३६ नयनसुख (केशवमिश्र सूत) २२८ __, . (रामेश्वरसुत) २३ नयविजय १६० नारायणमुनि (शठकोपमुनि) २६ नयविलास २६८ नाहरखांन राजसिंहोत २०४ नयसुन्दर १९७, २०२ नित्यनाथ १५८ नर्बदो चारण १६३ नीलकण्ठ ८,४२, ४५,६४,६५, ६८, Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६ ] १०४, ११२, ११३, ११६, ११७, १३२, १३३, १४० नीलकण्ठ (शंकरभट्टात्मज) २४, ३६ ( गोविन्दसूरिनु ३७ ) " नीलकण्ठ शुक्ल ७६ नेमिचन्द्र २६१, २६३ नेमिप्रभ १४६ नन्द २०२ नन्दमिश्र ६८ नन्दन ( अमरसिंहसून ) १० नन्ददास १४, ६०, १८१, २०६, २१०, २१२, २१४, २१७, २१६, २२०, २२१, २२६ नन्दराम ८७, २२० नन्दराम मिश्र ८,६८,११६ नन्दिकेश्वर ८८ प पतञ्जलि ६५, ७३ पतञ्जलिऋषि ७५ पृथ्वीवर मिश्र (शाण्डिल्यगोत्रज, जगन्नाथ सुत, हरपुरवासी) ३७ पृथ्वीधराचार्य ७ पृथुयश ११५, १६८ पृथ्वीराज १६८, १९३ पदम कवि १६८ पद्मचन्द मुनि १७५ पद्मनाभ ११२ पद्मनाभ ( नर्मदात्मज) १०२ पद्मप्रभदेव ८ पद्मप्रभसूरि १०४ पद्मसागरगरण १८६ पद्मसुन्दर ७६ पद्माकर २०६, २१३ परमानन्द ५४ परमानन्ददेव ६६ परमानन्ददास २११ [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर परमानन्द विष्णुपुरी ( दण्डिपुत्र ) ८३ परमानन्दशर्मा 85 परमल्ल १६६ परमसुखोपाध्य १००, ११० परमहंस विष्णुपुरी ६२ पर्वतधर्मार्थी ( कुन्दकुन्दाचार्य शिष्य ) ६८. पराशरऋषि ११२ पराशरमुनि ४४ प्रकाशानन्द ७२ प्रजापतिदास १०० प्रताप २०१ प्रतापरुद्रदेव ३१ प्रतापशाहदेव ३३ प्रतापसिंह सवाई १६४, २२८, २२६, २३०, २३४, २३६ प्रतापसिंह (महाराज) २११, २१५ प्रतापसिंह २१२, २१३, २१४, २१६, २२०, २२१, २२६ प्रद्योत्तम भट्टाचार्य १४१ प्रधानपुहकर २२१ प्रवोधानन्दसरस्वती ११, ५६ प्रभाचन्द्र २३६, २७१ प्रभुचन्द १७६ पशुपतिराठीय ७३ पञ्चानन भट्टाचार्य ७२ पाणिनि १७, ७३, ७५ पारस्कर २६ पार्श्व चन्द्र २५०, २६५ पाशचन्द्र १७७, २५८ पासचन्द २४३ प्रियदास २१८ प्रियादास २१७ पीताम्बर १५४ पुञ्जराज २४० पुञ्जराजनरेन्द्र ७८ पुण्यकीर्ति १८४ पुण्यानन्द मुनीन्द्र ३१ Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-२ ] [३३७ पुण्यसागर १६२ बाबादैवज्ञ (रामपुत्र, शिवानुज) १०० पुन्हकवि १८८ बालकृष्ण १००, २२२ पुलिन्द भट्ट (बाणभट्टतनय) १२७ बालकृष्णानन्दसरस्वती ४ पुरुषोत्तम ४०, ४१, ५५, ६८ . बालचन्द्र १८६ पुरुषोत्तमदेव ७६ बालपुरी २३२ पुष्पदत्त ७, १२ बिहारी २१७ पूर्णानन्दगिरि ३६ बीका १८ पूर्णानन्दयतीन्द्र १३४ बुद्धिविजय १५० पूर्णानन्द श्रीगौड़ ६० बुद्धिराज ३३ प्रेमजी गरिण २५८ वैजापण्डित ९० प्रेमविजय २४३ बोपदेव १५७, १६० प्रेमविमल २४१ बोपदेवमधुसूदन १४० बृहस्पति ८३ वखतो १८५ वनवारीदास २०२ बनारस १६५ बनारसी गर्ग २१६ बनारसीदास २०१, २०६, २१०, २१२, २२६, २३२, २३६, २४३, २४५, २७३ बप्प भट्टि २३८ बलदेव २ बलभद्र ७२, १०६, १२०, २३० बलभद्र शुक्ल २२ बल्लालदेव ४२ वल्लालसेन ८५, १५३ ब्रह्मगुलाल २०१, २३६ ब्रह्मचैतन्यमुनि ६० ब्रह्मजिरणदास १६३, १८५, २०४ ब्रह्मदेव २६३ ब्रह्मरायमल २१६ ब्रह्महंस २४४ ब्रह्मानन्द ६७ ब्रह्मज्ञानतत्त्वसार ५६ वारण १२७ भक्तिलाभ १७२, २४५ भक्तिविजय १५० भगवतीदास २१५ भगवान् (अर्जुननागाशिष्य) २०६ भगवानदास निरंजनी २०७ भगवतीदास १७६ भट्ट गदाधर (ज्ञानानन्दापरनामधेय, विमर्श शिष्य शिवशङ्करसुत) ३८ भट्टाचार्य ३६, ४० भट्टाचार्यशिरोमणि ७३ भट्टाचार्यसिद्धांतपञ्चानन ७१ भट्टोजी ८१ भट्टोजीदीक्षित २६, ४१, ४६, ७५, ८० भड्ड १८६ भरत ११७, ११८ भर्तृहरि १४४, १४५ भवदेव ७० भवदेव महोपाध्याय ६५ भद्रराजदशार्ण १७६ भद्रसेन १७२ भवानी २१६, २२२ भान २०६ भानुकोति १६१ Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३८ ] भानुजी दीक्षित ८३ भानुदत्त १४१ भानुदत्त मिश्र १४२ भानुमेरु १६७ भारवि १२७ भारामल २७० भाव कवियण १६३ भावचन्द्र १५२ भावदेव १५१, १५३, १५६ भावप्रभ १६५ भावभट्ट (जनार्दनसूनु) १२४ भावमुनि ६० भावविजय २३७ भास्कराचार्य ८६, ८७, ८८, १०२, ११२, ११६ भास्कर शर्मा १२२ भीमविजय २६४ भीमसेन ७५ भीषम २१६ भुवनकीर्ति १६२, २४१ भुधर ५६, २१५, २३६ भूपति मिश्र ७६ भेवानन्द ७६ भैरवदत्त (हरिरामशंमपुत्र) ११२ भोज १५८ [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर ... मथुरानाथ (मालवीय शुक्ल) ६१ मदनगोपाल १५५ मदनपाल १५६ मदन भट्टोपाध्याय ७१ मदनस्वामी ६३ मधुरशर्मा ६ मधुराचार्य १४० मधुसूदन १२६ मधुसूदन दैवज्ञ (श्रीपतिशिप्य) १०१ मधुसूदन सरस्वती ७, १२, ६८ . . मनराम १७३ मनसाराम (रामकृष्णसुत) १०७ मनीराम ११५, २२० मनोरथ कवि १३० मनोहर २२५ मनोहरदास २२६, २३१, २३६ मनोहरदास सोनी २१२ मयासुर ११६ मयूर कवि १४० मलयकीर्ति १७३मलयगिरि २५३, २५६, २५७, २६१ मल्लिनाथ ६३, १२७, १२८, १३६, १४० मलूकदास १८३ मलयेन्द्रसूरि १०६ महमद १८६ महात्मा आंघ्रिपूर्ण ६ महादेव ६२, ८८, १००, ११० महादेव. (हीरामणिसुत) ६० महादेव (कान्हड़जी वाडवसुत) १०७ .... महादेव दैवज्ञ ६३ महादेव राजगुरु २२, ११८ महादेव सरस्वती मुनि ६० : महानन्द २३८ महानन्द पाठक २७ महामुद्गल भट्ट १३५ महाक्षपणक (काश्मीराम्नायी) ८२. :.":महिमानिधान १५० मकरन्द २०६ मगनीराम ९८२ मञ्चनाचार्य २५ मण्डनसूत्रधार १११ मरिणकण्ठ भट्टाचार्य ७३ मतिकुशल १७३ मतिचन्द्र १६७, २६१, २७० मतिराम २२१ मतिवर्धन २६२ मतिसागर २०५ मतिसागर उपाध्याय ११२ मतिसार १६७, १९८, २७० Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२, परिशिष्ट-२ ] [ ३३६ महिमोदय १६६ मुरलीदास २१६, २३३ महीदास ७७ मुरलीधर भट्ट २१३, २२२ महीधर ३४, ३५, ६४, ६५, १०३ मूला (मयारामसुत) २३७ महेशकवि २०३ मूला वाचक २४३ महेश्वर ७६, १३८, १५८ मेघराज वाचक २५६, २५७ महेश्वर कवि ७३ मेघराज (लब्धिविजय शिष्य) १८२ महेश्वर भट्ट ६ मेरुतुङ्ग २६५ महेश्वर शर्मा ८३ मेरुसुन्दर १२२, २४२, २६८ महेन्द्र सूरि १०६ मोतीलाल २०६ माघ १३६ मोतीराम २१९ माणिक्यसुन्दर १४६, १५०, २६० मोरेश्वर १५६ माधव १५, २२ ४२, ४३, ७७, मोहन २१५ १०३, १५६ मोहनदास २१६ माधवदास २१६ मोहनदास मिश्र १४० माधवदैवज्ञ (गोविन्दसुत नीलकण्ठपौत्र) मोहनविजय १७२, १७३, १८२, १८८, १२३ १८६, १६०, २४५ माधवपण्डित १५४ माधव भट्ट ७८ माधो (भगवन्त हरिदासशिष्य) २२८ माधोदास १८१, १६२, २२५ यदुनन्दन १०७ माधोदास गाडण १६२ यशवन्तसिंह (महाराज) २०७ मानकवि १६५, २३१ यशोदानन्द गुसांई २२२ मान कवसर १६६ यशोधर मिश्र ६७ यशोवर्धन १७२ मानतुङ्ग २४१, २४२ मानतुङ्ग (हेमराज) २४१ यशःसोम २३६ मानदेव २४२ यज्ञ श्वर ११३ . मानसागर १६८, २०२ यामुनाचार्य १,२ मालकवि १८७ याज्ञवल्क्य ऋषि १६, ६५ मालजी (त्यगलाभट्टसुत) २७ याज्ञिक दीक्षित ४५ मालदेव १८४ योगचन्द १६० मालमुनि १८३ योगेश्वर ६१ योद्धराज २३ मिट्ठन शुक्ल ११६ मुकुन्ददास २१७ मुजादित्य ६५. १०६ मुनिचन्द्र २४३ रघुदेव ७३ - मुनिरत्नसूरि १४६ .... रघुदेव तर्कालङ्कार ७१ . .. मुरारि १२६ रघुदेव भट्टाचार्य ७० Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४० ] [ राजस्थान पुरातत्यान्वेषणमन्दिर रघुनाथ ८, १७, ७०, २२० रघुराम (शिवरामसुत) ५६ रघुराम कवि २३१, २३२ रघुवीर १०८ रघुवीर दीक्षित २२ रत्नकीर्ति १५१ रत्नशेखर १६५, २०४, २०५, २२०, २५७, २६०, २६२ रत्नाकर पुण्डरीक ४०, ४१ रत्नेश्वर सूरि २८ रतनविमल १८४ रतनूं हमीर २०४ रविदास १३४ रसग्रानन्द २०९, २१३ रसानन्द २२६ रसनायक २१४ रसराशि २०७, २१३, २१६, २२०, २२१, रसिक १६१ २३५ रसिकराय २१७ रसिकोत्तंस ६१ राघवचैतन्य ७ राज १६३ राजर्षि भट्ट ६० राजऋषि १०६ राजमार्तण्ड १५८ राजवल्लभ पाठक १५० राजसिंह १६३, १८५, १६५ . राजसी २०१ राजशील पाठकवर १४६ राजानक क्षेमराज १३ राजुल १६१ राधाकृष्ण २२२ राधागोविन्द मिश्र (किशोरीरमणशिप्य .. नवनन्दसुत) १६६ रायांदामोदरदास १२२ राम ११०, १५८ रामकृपण ११, ६०, ६१, ११० रामकृष्ण कवि ५, ६ रामकृष्ण दैवज्ञ (नीलकण्ठवंशीय आपदेव सुत) ३७ रामकृष्ण भट्ट (नारावरणसुत) ४१ रामकृष्ण विद्वान् ६० रामकवि १७२, २३५ रामचरण १०१, २२५ रामचरणदास १६२ रामचन्द्र ७४. ११८, १२७, १६६, १८६, . २२५, २२६ रामचन्द्रदास २३० रामचन्द्र नैमिषवासी २२ रामचन्द्र भट्ट (विठ्ठलसुत वालकृष्णपौत्र) ... ४० रामचन्द्राचार्य (गोपालगुरुशिष्य) ४० रामचन्द्राचार्य सोमयाजी ११७ रामचंद्राश्रम ७४ रामतीर्थ ३५ रामदान मुंता २२६ रामदैवज्ञ ८६,१०६, १०७, १०८, ११०, १११ रामदैवज्ञ (मधुसूदनात्मज) १०६ रामनाथ १६२ रामप्रसाद (सीतापतिशरण) २२५ .. रामरत्न २१६ रामरुद्र ११० रामलाल २२७ रामशरण २०४ रामानुजाचार्य ६२, ६६ रामानुजदास ६६ रामानन्द १६२ रामानन्द भिक्षु (रामेन्द्रवनशिष्य). १. रामाश्रम १३० रामेश्वरदास २१० रामेश्वर भट्ट (नारायणभट्टसुत) ४१.. रायचन्द्र ऋषि १८५. . Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२, परिशिष्ट-२ ] [ ३४१ रावण १२, १५४, १५६ लालभट्ट (अनारगिरिशिष्य) ३६ रुघनदास १६४ लालमणि (जगद्रामात्मज) ६६, १०७ रुचिपति महोपाध्याय १२२ लावण्यकीर्ति १६२ रुद्रधर २८ लावण्यविजय २३८ रुद्रधर (लक्ष्मीधरात्मज) ४५ लावण्यसमय २०२, २३८ रुद्रधरत्रिपाठी ११०, १११ लीलाशुक २, १२७ रुद्रमरिण ६६ लेशसूरि २७० रूपगोस्वामी ६२, १२७, १४० लोलिम्बराज १४०, १५४, १५८ रूपचन्द १४५, १७६, २१६, २४० रूपचन्द्र २६७ वृद्ध वशिष्ठ २३ रूपनारायण ४२ वृद्धविजय २६० रूपसनातन ५६, ६३ रैदास १६३ वृन्द १६७, १८२, २०६, २१३, २१६, रंगनाथ ८६, ११४, ११६ २२६, २२७ रंगदास १३ वृन्द (वरदराज) २२८ वृन्दावनदास २३०, २३२ ल वृन्दावनहित २१० लच्छीराम २०८ वच्छराज २७६ लब्धिचन्द्र ६२ वनमाली ६७ लव्धिविजय १८०, २३७ वरदराज ७५, ७६, ७९ लब्धिविज्ञान १६३ वरदार्य ६० लल्ल प्राचार्य ११२ वरदाचार्य (वेङ्कटनाथाचार्यशिष्य) ५८ लक्ष्मणदान वारठ २३४ वररुचि ७३ लक्ष्मणाचार्य ६६ वर्द्धमान सूरि ७४ लक्ष्मीधर १४१ व्रजजीवन २३६ लक्ष्मीनिवास (नृसिंहाश्रमशिष्य) ३५, ३६ व्रजनाथदीक्षित १२४ लक्ष्मीनिवास १३५ व्रजलाल गोस्वामी ६१ लक्ष्मीपति (कृष्णानन्दसुत) ८६ व्रजवासीदास २२६ लक्ष्मीपति ८६ वल्लभ ४६, ५८ लक्ष्मीवल्लभ १६४, २५३ वल्लभ (अानन्द देवायनि) १३६ लक्ष्मीवल्लभ गरिण १६८ वल्लभगणि ८२ लक्ष्मीहर्ष २६७ वल्लभाचार्य ५३, ५४, ६०, ६१, ६२ लाभवर्धन १८३, १६३ ६५, ६६, २१५ लालचन्द १८०, १८७, १९२, १६३, वराहमिहिर १०२, १०३, १०५, १११, १६४, २३५ ११२ लालचन्द्र २३१ वसन्त १८० लालदास २०७, २१८ वसन्तराजभट्ट ११३ Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४२ ] [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर वसिष्ठ ऋपि ११३ वसुदेव दीक्षित २३ वाग्भट्ट १४२, १५४ वाचस्पति ६५, १५६, १५७ वानर २४४ वाल्मीकिमुनि ६७, १२६, १३४, १३७ १३८, १३६ वासुदेव भट्ट ७८ विक्रम १३० विघ्नराज १८५ विजयचन्द्र १६७ विजयदेवसूरि १६८ विजयरामाचार्य ८ विजयहर्ष १६३ विटूल ८,८६ विट्ठलदीक्षित २२, ५४, ६१ विट्ठलेशदीक्षित ११ विद्यातीर्थ ११ विद्यानन्द ७० विद्यानन्दनाथ (श्रीनिवासभट्ट गोस्वामी)३८ विद्याभूषण ५४, ६८, १२२ विद्यारण्य ३७ विद्यारण्य योगी १३१ विद्यारुचि १७२ विद्याराम १४२ विद्याविलास ६१ विद्वन्नारायण ६३ विनयविजय १६६ विनयसुन्दर २४२ विनीतविमल १६४ विनोदीलाल २४१ विमलसूरि १४४ विलास २१२ विष्णुदास २१६, २३० विष्णुदैवज्ञ १०२ विष्णुपुरी ६२ विष्णुशर्मा १५३, २३५ .... विथाम १५८ विश्वनाथ ११, २२, ७०, ८८, ६३, १०४, ११३, ११८, ११६ विश्वनाथ चक्रवर्ती ३ विश्वनाथ दैवज्ञ ८७, १२० विश्वनाथ पञ्चानन, भट्टाचार्य ७२ विश्वनाथ (श्रीपतिद्विवेदिसुत) २२ विश्वभूषण २११ विश्वामित्र ऋषि ८ विश्वेश्वर ५०, ५८, ६१, ६४, १४१ विश्वेश्वर (लक्ष्मीधरात्मज) १४१ । विश्वेश्वर कौशिक ४२ विश्वेश्वर सरस्वती ६२ विश्वेश्वराश्रम ७० विशाखदत्त १३४ विज्ञानेश्वर ४० विज्ञानेश्वर (श्रीपद्मनाभभट्टोपाध्यायात्मज) ४३ वीरचन्द २.० वीरचन्द्र २३८ . . वीरविजय २४३ . वीरसागर गणि १०६ . वेङ्कटाचार्ययाजी १३६ वेङ्कटनाथ वेदान्ताचार्य १०, १४ वेङ्कटेश १०६ वेणीराम १७६ वेदाचार्य १४ वेदव्यास ५, ११, ४८, ४६, ५६, ५७, .. १३१, १३२, १३३ वैजलभूपति ७४, ७५ वैद्यनाथ १४१, १५७ वैद्यनाथ शाम्भव ६५ वैद्यनाथ (सोमनाथवंशज) २२७. वंगसेन १५५ वंशीली २१४, २२६ वंशीधर ६४ . श्याम Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-२ ] [ ३४३ . श्यामल ११५ श्यामाचार्य २५६ श्रीकृष्ण (नरसिंहमूरिसूनु) ७४ श्रीकृष्ण कवि २२२ श्रीकृष्ण भट्ट २०६, २११, २१५, २२० श्रीकण्ठ १२२ . श्रीचन्द्र २६६ श्रीचन्द्रसूरि २६६ श्रीधर ११ श्रीधरस्वामी १०, ५१, ५२, ५३, ५४, ६२, ६३, ६४, २७३ श्रीनिवासदास ६, ११, ६४, ६५ श्रीनिवास भट्ट ६६ श्रीनिवासाचार्य ४४ श्रीपति ६०, ६१, ६२, ११० श्रीपतिपण्डित ६४ श्रीपति भट्ट ८६, १०४, २३६ श्रीरामवर्मा (हिम्मतवमपुत्र) १२६ श्रीरामानुज ३६ श्रीरामोपाध्याय ३६ श्रीवल्लभ ८, ६८ श्रीवल्लभगरिण ८१ श्रीविठ्ठल ६६ श्रीसार १६४, १६५, १६७, १६९, १६०, १६३ श्रीहर्ष ७०, १३० श्रुतसागर २२६ शठारि ? ६६ शतानन्द १०४,१०७ शशधर ७१ शशिनाथ माथुर २११ शत्रुघ्नोपाध्याय १८, २० शाण्डिल्य ऋपि ६७ शालिग्राम १८६ शालिनाथ १५७ शालिवाहन २७३ शाङ्गधर १५६, १६०, १६१ शान्तिविमल १६५ शान्तिहर्ष १६४, १७०, १८७. शितिकण्ठशर्मा ७१ शिरोमणिदास २१२ शिवकवि २०८ शिवचन्द २५० शिवदासराय २३२ शिवनिधान १९३, २५३, २६६ शिवपण्डित १६० शिवप्रसाद २४ शिवराम १६५ शिवलाल पाठक ६६ शिवशङ्कर ११४ शिवादित्य ७२ शिवानन्द भट्ट ३८, ४१, १५६ शीलाङ्क २४७ शीलाचार्य २५८ शुक ११५ शुद्ध कीर्ति १६८, २७३ शुभचन्द्र १६४ शुकवर्द्धन गरिण २६१ शुभशील २०२ शूलपाणि ४६ शेखनालम २२१ शेरसिंह १८३ शेषकमलाकर १२६ शेषचिन्तामणि १४२ शेषनाग ६० शेषानन्द पण्डित ७२ शोभन २४४ शंकर भट्ट २२, १५१ शंकराचार्य १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ११, १२, १३, १४, १६, ३८, ५०, ५८, ५६, ६४, ६५, ६६, ६७, ६८, १०० १२६, १३५, १४४ - Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४४ ] शङ्कराचार्य नारायणतीर्थ ५६ शङ्ख ऋपि ४४ शम्भूनाथ मिश्र (सुखदेवशिष्य) २०७ सकलकीर्ति १५१, १५२, १७१, १८३, १६८, २३७, २३८, २४०, २४२, २४४, २५५, २६४, २६८, २७१ सकलकीर्ति भट्टारक २६० सकलचन्द्र सूरि २३८ सत्यानन्द ३३ सदानन्द ६६, ६७ सदानन्द गरिण ८१ समयराज २४० समयसुन्दर (सकलचन्द्र शिष्य) १२२, १३६, १७०, १७३, १७४, १७८, १७६, १८०.१८१, १८२, १८६, १६८, १६६, २०२, २४२ समरसिंह ८६ ६४, ६५ समुद्र ऋपि ११८ समुद्रमुनि १६५ समन्तभद्र २४४ सरूपदास १७७ सरस्वती (वैरिसाल) २१६ सरस्वतीतीर्थ (परमहंसपरिव्राजकाचार्य) [ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर सायणाचार्य १८ सारकवि २२० सारंग १८८ सालवाहरण २३५ सिद्धसेन ७१, २६३, २६५ सिद्धान्तवागीश ७१ सिद्धिविजय ११६ सिद्धसेनसूरि १६६ सिंहतिलक १०४ सिंहनन्दि २४३ मीताराम पर्वणीकर १३, १३० सुखदेव मिश्र २११ सुखलाल १४० सुखसागर २०६ सुजसविजय १६६ सुदर्शनविजय २४० सुन्दर २१३ सुन्दरदास २०७, २०८, २११, २१४, :: २२५, २२८, २३३, २३४, २३५, २३६ सुन्दरलाल २०८ सुन्दरसूरिचन्द्र १६७ सुबन्धु १३६ सुमतिकीर्ति १६४ सुमतिरंग २३६ सुमतिविजय १३६ सुमतिसूरि २५४ सुमतिहंस २५२ . सूत्रधारमण्डन ६६. सूर २३० सूरज १८१ सूरजीशाह १६५ सूरत २१६ सूरतमिश्र २०७, २०८ . सूरतदास ४१६ सूरदास २३४ १२८ सर्वदेव ७१ सहजसागर २६०,२४३ स्वच्छन्द शङ्कराचार्य ११३ स्वप्नेश्वराचार्य ६७ स्वात्माराम योगीन्द्र ६४ स्वरूपदास २१४, २१५ साईदास १८० सागरचन्द १७४, १८६ सागरचन्दसूरि ६७ साधुकीर्ति २००, २०१, २३८ सामन्त (हपरत्नशिप्य) ६५ Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२, परिशिष्ट-२ ] [ ३४५ सूरदेव भट्ट (गोपीनाथसुत) १३६ हरिकवीश्वर १४४ सूर्यकवि ६५, १३७ हरिदत्त ८८ सूर्यमल्ल १६४ हरिदत्त भट्ट ६१ सूरविजय १६० हरिदास २३१, २४१ सूरविप्र ८७ हरिनाथ ११६ सूरसागर १७६ हरिभद्रसूरि २४७, २५४ सेवक १६६ हरिभट्ट ६५, १०८, १७७ सेवकसूर १६० हरिभद्र श्वेतभिक्ष ६४ सोमतिलक २७३ हरिभद्रसूरि ७२ सोमचन्द्र १२२ हरिमुनि (वज्रसेन शिष्य) १४४ सोमचन्द्र (रत्नशेखरशिष्य) १४४ हरिराम २१० सोमतिलक १२१ हरिराय ८, ६१ सोमनाथ १२१, २११, २२१ हरिलाल २३५ सोमनाथ (नीलकंठात्मज) २३१ हरिवल्लभ ६३, २०६, २१६, २३१ सोमप्रभ १४६, १४७, २३८ हरिहर ४० सोमप्रभाचार्य १४० हलायुध २६ सोमविलास २५२ हरिश्चन्द्र (आर्द्रदेवकायस्थ) १३० सोमसुन्दर २६०, २६५ हस्तिरुचि १५६ सोमसूरि १६५, २६६ हारीत ऋषि ४६ हितहरिवंशगोस्वामी ५७ हिल्लाज ६४ हीर २०६ हीरकलश १६८ हनुमत्कवि १२८, १२६ हीररतन १६२ हरदयाल २२६ हेमकवि १६७ हरदास १८६ हर्षकीति ८४, १४६, १८२, २३८, हेमचन्द्र ७३, ८१, ८२, ८४, १३१, २४६, २६७ २३६ हर्षकीर्तिसूरि ७४, ७६, ९२, १०६, हेमचन्द्र (रत्नशेखरशिष्य) १६६ १५७ हेमचन्द्रसूरि ७६, २४३ हर्षमुनि १८४ हेमचन्द्राचार्य ६५, ७२, ७६, ८०, १४० हर्षचन्द्रगणि १८४ हेमप्रभसूरि १२० हर्षरुचि २४३ हेमरतन १७१, १८३ हर्षविजय ६३ हेमराज २०६, २४२ : हर्षसागर २४० हेमहंस ७१, २५७ हर्पसौभाग्य (सूर्यसौभाग्यशिष्य) ८५ हेमहंसगणि ८५ हरिकर्ण १०२ हेमाद्रि ४१ . Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४६ ] हेमानन्द १६४ हंसकवि १७१ [ राजस्थान पुरातत्त्यान्वेषणमन्दिर त्रिविक्रमाचार्य ११८. विध्यवृद्ध २१ ... .. क्षपणक ८४ क्षमाकल्याण ७५, १८२, २६२ क्षमाधवरण २६८ क्षीरस्वामी ८३, ८४ क्षेमशर्मा १६० क्षेमहंस १२२ क्षेमेन्द्र १२३, १४४ ज्ञानकवि १७६ ज्ञानचन्द १८३ ज्ञानभूपण १८४, २३६ ज्ञानविमल ७६ ज्ञानराज ११६ ज्ञानविमल १६५, १७० ज्ञानसागर १६६, १७३, १९६ ज्ञानेन्द्र सरस्वती ८० त्रिमल्ल १५४, १५५, १५६ ++ + +++++ Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २ परिशिष्ट ३ ++++++ इन्द्रगढ़ पोथीखाना ग्रन्थ सूची ++++++ १६६० ई० Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इन्द्रगढ़ का हस्तलिखित ग्रन्थ-संग्रह ... राजस्थान सरकार के आदेश सं० २६१, दिनांक ४-८-५६ ई० के अनुसार इस विभाग की ओर से इन्द्रगढ़ स्थित पोथीखाने का निरीक्षण किया गया। ग्रन्थों की अस्तव्यस्त स्थिति की जानकारी प्राप्त होने पर राज्य सरकार से उक्त संग्रह को इस संस्थान के संरक्षण में प्राप्त कराने का प्रस्ताव किया गया। तदनन्तर राज्य के पत्र सं० एफ. ६ (६२) एज्यू. वी. ५६, दिनांक २४-१०-५६ ... ई० के अनुसार अनुमति प्राप्त होने पर इन्द्रगढ़ से उस संग्रह को इस विभाग में प्राप्त कर लिया गया। ठिकाना इन्द्रगढ़ (कोटा) का पोथीखाना विद्याप्रेमी महाराजा श्री शिवसिंहजी के समय में 'सरस्वती भंडार' के नाम से स्थापित किया गया था। महाराजा शिवसिंह स्वयं अच्छे विद्वान, सुकवि एवं विद्याप्रेमी थे। इनके द्वारा निर्मित कितने ही ग्रंथ उपलब्ध होते हैं जिनमें से कुछ इस संग्रह में भी प्राप्त हुए हैं। शिवसिंहजी के सुपुत्र महाराजा हाड़ा संग्रामसिंह अपने समय के एक आदर्श साहित्यकार नरेश .. हुये हैं । ये बड़े ही विद्यारसिक एवं सुकवि थे । अच्छे-अच्छे पंडितों को पुरस्कृत करना एवं ग्रन्थरचना करते-कराते रहना इनका व्यसन था। इनके द्वारा निर्मित सौ से भी अधिक ग्रन्थ प्राप्त होते हैं जिनमें से भी अधिकांश इन्होंने अपने ठिकाने में शिला-मुद्रणालय की व्यवस्था कर मुद्रित करा लिये थे, जो अब प्रायः अप्राप्त हैं। उक्त हाड़ा संग्रामसिंहजी के समय में इस संग्रह की दशा अवश्य अच्छी रही होगी, यह स्वतः अनुमेय है। इनके उत्तराधिकारी महाराजा सुमेरसिंहजी के निःसंतान अवस्था में अकाल ही काल-कवलित हो जाने पर इस संग्रह की दुर्दशा होने लगी और ग्रन्थ भी इतस्ततः नष्टभ्रष्ट एवं जीर्ण-शीर्ण होने लगे। जिस समय इस संग्रह को देखा गया उस समय यह ठिकाने की सम्पत्ति के रूप में रखा हुआ था। बहुत से ग्रन्थ गढ़ में धूल में दबे हुये जीर्ण-शीर्ण, कीटविद्ध, दीमक-वर्षादि से क्षतिग्रस्त अवस्था में पड़े थे जिन्हें प्राप्त करके इस . .. विभाग के संग्रहालय में व्यवस्थित-रूप में संशोधकों के उपयोगार्थ रखा गया ... है। संप्रति इस संग्रह में २०६ हस्तलिखित ग्रन्थ प्राप्त हैं। इनमें बहुत से ग्रन्थ हाड़ा संग्रामसिंह एवं उनके पिता महाराजा शिवसिंहजी के रचे हुये हैं। .. इनके अतिरिक्त कुछ छपे हुए उर्दू ग्रन्थ भी प्राप्त हुये हैं। राजवंशीय साहित्यकार हाड़ा संग्रामसिंह की अोर, जितना चाहिये उतना, ..... अभी विद्वानों का ध्यान नहीं गया है। उक्त संग्रह की पुस्तकों की प्रस्तुत सूची विद्वानों एवं सर्वसाधारण की जानकारी और उपयोग के लिये प्रकाशित कराई .:. . जा रही है। .. --मुनि जिनविजय ....................... ...... . Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट ३ इन्द्रगढ़ पोथीखाने से प्राप्त हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची क्रमाङ्क ग्रन्थनाम कर्ता भाषा विषय पत्रसंख्या | लिपिकाल विशेष अलंकारमञ्जरी संग्रामसिंह रसालंकार २ शालिहोत्र राजस्थानी प्रायुर्वेद ३२ १९११ | त्रिमल्लभट्टकृत अलंकार मञ्जरी का भावानुवाद १३२ १८९५ | लि, क. गुमानीसाह . लि. स्था. इन्द्रगढ़ १३० १८वीं श. काव्य ३ हनुमन्नाटक, सटीक (रत्नमञ्जूषा मू. हनुमत्कवि, टी. मोहन. संस्कृत टीका) दास माथुर चतुर्वेद ४ | मधुमालती चौपई चतुर्भुजदास हिन्दी ५ छन्दःकौस्तुभ ६ सभाप्रकाश ७ | पृथ्वीराजरासो (पद्मावती समय) संग्रामसिंह हरिचरणदास चन्दवरदायी छन्दःशास्त्र रसालंकार काव्य २२२ १९वीं श. | कामदारी लिपि, प्रारम्भ में 'स्वप्नावलि के ५ पत्र हैं । पद्य संख्या १४५४ १६३४ | लि. क. वंशीधर गुजराती १६२३ १८२६ | लि. क. चैनराम ब्राह्मण लि स्था. किला रण स्तम्भवर ६४ २०वीं श. | हिकमत के फारसी भाषा के नुस्खे नागरी लिपि में लिखे हैं। ८ | हिकमतग्रन्य फारसी, हिन्दी आयुर्वेद Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग २: परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़ पोथीखाना ग्रन्थ सूची ] कर्त्ता विषय पत्र संख्या क्रमाक ε १० ११ १२ १३ (क) हरिरस १४ १५ १६ १७ १८ ग्रन्थनाम रूपक प्रभाकर वृन्दसतसई पुरुषपरीक्षा नाममञ्जरी (ख) नीसाणी विवेकवार्ता (ग) नीसारखी ईसरदास (घ) सूरदास के पद सिखनख श्रृंगार सटिप्पण रततरंगिणी रूप ( क ) रत्नावलि रसाणव केसोदासकी वाणी १६ काव्यरसायन २० (क) जनकजुहार संग्रामसिंह वृन्दकवि विद्यापति नन्ददास ईसरदास बलभद्र शम्भुनाथ मिश्र संग्रामसिंह सुखदेव (?) केसोदास देवदत्त कवि भाषा राजस्थानी हिन्दी संस्कृत हिन्दी राजस्थानी == हिन्दी काव्य "" कथा कोष काव्य " "" うま 35 रसालंकार कार २८ ८५ ८७ ५८ रसालंकार १५ राजस्थानी फाव्य हिन्दी राजस्थानी सन्तसाहित्य ३ - २५४ हिन्दी राजस्थानी काव्य ४१ १२ ५७ ७८ १-४ लिपिकाल १६वीं श. १६२ (?) १९१२ १९२३ १६२४ २०वीं श. १९१४ | श्रादि में कुछ स्फुट कवित्त लिखे हैं । चारों कृतियों के कुल ५८ पत्र हैं । [ ३५० "" विशेष १८८८ शिवसहनृपतिकारिता अपूर्ण, लि. क. धाभाई लक्ष्मण, शिवसिंहराज्ये लि. क. भवानीराम शिर्वासहराज्ये १९३१ लि. क. रामवल्लभ गुजराती १६२६ अन्तिम प्रशस्ति में गुलाब कवि ( अलवरवासी) ने स्वयम् को ग्रन्यकर्त्ता बताया है । Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TRATIME... लिहित अन्य मुचो, भाग २ परिशिष्ट-३, इन्द्रगड पोयोताना अन्य सूनी] नागा विषय पत्र कन्या लिपिकात विशेष इस गुपयानो : राजस्थानी काव्य १६२६ 17 सामोरको विस्तार (1) मोटारसायों को गूगो क (रमास- म. स्याहास. टी. रसाल हिन्दी ४-७ ८-११ १२वा १३वा १४२ २१ काव्य १९१७] लि. क. बगसीराम राजस्यानी वेदान्त ११-१३ ED FREE EFFERFFFFFE ६-३२ न गदारवायो ६) और को mil enमाया हिन्दी काय राजस्थानी नतसाहित्य फाय्य ३१६ १६वी दा. | मुलिखित प्रति १-४ १८३६ लि. क. प्रशासपाई २-५७ __ नागदापम्पो female हिन्दी ! रमाकार (1ोa) विराम मातार १२-१८ २०यों दा. पारा ११ पर पयाप्त,पपून १८-२२ १-२४ । १६२६ नि. म. बोशित मिद लि. या अन्तगर, नापूर्ण १- ५२०ी मा. Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३५२ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्य सूची, भाग २, परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़ पोथीखाना ग्रन्थ सूची ] भाषा विषय पत्रसंख्या लिपिसमय का विशेप ग्रन्थनाम हिन्दी रसालंकार १-१२ / २०वीं श. (च) पाण्डवयशेन्दुचन्द्रिका तृतीय मयखान्त (घ) कविप्रिया केशवदास । (ज) साहित्यानन्द, पोडशस्कन्धान्त | ग्वालकवि ... २७ (क) इश्कचमन (ख) राजनीति कवित्त देवीदास (ग) स्फुटफवित्त संग्रह - २८ रामचरितमानस अयोध्याकाण्ड गो. तुलसीदास - २६ (क) गुरुपरिचय रिचयअष्टांग १२-३६ ३७-२५३ १-१४ १-३५ काव्य नीति काव्य १-७ सन्तसाहित्य १३३ | लि. क. लाला खुमानसिंह १-७५ | २०वीं श. | 'श्रीगुरु बलदेवजी शिक्षा' व 'श्रीदुर्जनगुरु शिक्षा' श्रादि विभिन्न " . काव्य - ३० फुटकर गजल ३१ (क) धनञ्जयकोष (नाममाला) | धनञ्जय द्वितीय परिच्छेदान्त संस्कृत कोष ४-१५ १७५१ | लि. क. पं. दयाराम, गुटके के प्रादि व अन्तमें स्फुट फवित्तादि हैं तथा दोनों कृतियों के मध्य छत्रबन्ध कवित्त आदि हैं। १७६० | लि. क. चारण विहारीदास हिन्दी काव्य १-१३ | (ख) पृथ्वीराजरासो (नाहरराय | चन्दवरदायी समय ३२ / विहारीसतसई लालचन्द्रिका टीका | कवि लाल ५४ | १९वीं श. | अन्तमें नृपस्तुति प्रादि हैं। . Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; परिशिष्ट - ३, इन्द्रगढ़ पोथीखाना ग्रन्थ सूची ] कर्त्ता भाषा विषय पत्र संख्या क्रमाङ्क ३३ ३४ रसमहार्णव ३८ ३९ ग्रन्थनाम गीतावली ( कवितावली ) ४० ४१ ४२ ३५ ३६ | भक्तिभूषण ३७ (क) रागचमनचीतीस्यो चन्द्रालोकटीका ( रसमयूख ) (ख) श्रृंगारतिलक (ग) हठप्रदीपिका (घ) स्फुट कवित्त (च) राधाष्टक (छ) सितार सिद्धान्त मोहनराय वृन्दावनमाधवकया (चारों मिलन ) स्वरोदय सटीक (क) निशानी ( विवेक विचार ) संग्रामसिंह संग्रामसिंह 11 د. "" ग्वालकवि " संग्रामसिंह केशवदास रामचन्द्रिका (क) चेतन सिद्धान्त (ख) कविप्रिया ( चित्रालंकारप्रकरण ) "" (ग) वृत्तरत्नाकर ( द्वितियाध्यायान्त) केदारभट्ट (घ) सत्यनामप्रकाश कबीरदास केशवदास गाडण हिन्दी "" राजस्थानी "" राजस्थानी हिन्दी 31 11 " "" >> " " संस्कृत हिन्दी काव्य रसालंकार 37 योग ( भक्ति ) ) काव्य रसालंकार काव्य "1 17 संगीत काव्य सन्तसाहित्य रसालंकार छन्दः शास्त्र सन्तसाहित्य कथा " संस्कृत, हिन्दी ज्यौतिष हिन्दी काव्य ३०६ १०६ ३८ ४० १-१२ १-५ १-६ १-७ ८-११ १२-८१ १५५ २ १-१२ १३-२५ ८८ १-२४ १-१८ १-२० लिपिसमय १८८० १९२६ १६वीं श १६२७ २०वीं श. 11 " 19 11 ܐܙ "" 39 १६०६ २०वीं श "" "1 [ ३५३ शिवसिंहजी द्वारा लिखायें गये गीत, लि. क. गुज 'राती 'मांधाता' अपूर्ण विशेष लि. स्था. इन्द्रगढ़ लि. क. गुजराती वंशीधर अपूर्ण लि. क. गुजराती वंशीधर " १८११ लि. क. लाला छेदीराम २०वीं श | पूर्ण Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; परिशिष्ट ३, इन्द्रगढ़ पोथीखाना ग्रन्थ सूची ] क्रमा क ग्रन्थ नाम कर्ता विषय (ख) स्फुट साखियाँ ( कवित्त आदि) (ग) गुणनन्द्यास्तुति (घ) ज्ञानसमुद्र (घ) गजल, कवित्त, गीत श्रादि का संग्रह (छ) गुरुस्तुति, गोरखगणेशज्ञानगोष्ठी गोरखनाथ प्रस्थ (ज) निसानी, केशवदास गाडण चारण की (झ) प्राणशांकली (ट) शंकालि (ठ) डंगरसी वांगड़ी को गीत (ड) वज्रशूच्युपनिषद् ईश्वरदास ४३ विहारीसतसई टीकाय (क) कृष्णचन्द्रिका (ख) हरिप्रकाश सुन्दरदास शंकराचार्य कृष्णकवि हरिकवि भाषा हिन्दी काव्य राजस्थानी सन्तसाहित्य हिन्दी 53 "1 "" " राजस्थानी काव्य 11 संस्कृत 篮 काव्य 12 सन्तसाहित्य " ܕܕ "1 वेदान्त काव्य पत्र संख्या लिपि समय २०-२५ २५-४८ ४१-८१ ८१-६४ ६४-६६ | ११८-११६ १२०-१२१ | १२१-१२२ १२३-१२४ १२५-१३० १२३-२७६ २०वीं श. 19 11 1" 33 " १८८२ १६२४ " [ ३५४ विशेष अन्त में गीत व भौंरगीता हैं प्रन्त के २२ पत्रों में कबीर, नामदेव, मीरां सूर आदि की साखियां व दोहे हैं श्रागे पत्र १५४ तक विभिन्न पद श्रादि हैं तथा कुछ प्रौषधियों के योग हैं, लि. क. 'निहाल ' र. का. १७८२ २. का. १८३४ Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- - --- - - - [ ३५५ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्र गढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] कर्ता भाषा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल विशेष ग्रन्यनाम बलदेव हिन्दी काव्य राजस्थानी वार्ता २७ (ग) अमरचन्द्रिका ४४ (क) सदैवत्ससालिंगरी वात (ख) पन्ना वीरमदेकी वात डिगल ग्रन्य संग्रामसिंह फुलप्रकाश (हाड़ावंश के खरड़े) शृंगारगुडो संग्रामसिंह (क) भाषाभूषणटीका मू. जसवन्तसिंह टी. हरिचरणदास (ख) कविप्रियाच्याख्या (कविप्रिया- मू. केशवदास टी. हरिचरणदास (ग) पिंगलकाव्यविभूषण | बक्शी सुमनेश काव्य इतिहास रसालंकार १२३-२७६ १९२४ र. का. १८७३ १-७२ | २०वीं श. १-६२ १९१४ लि. क. चि. नूरीलाल ... १६३० २०वीं श. १९३३ १६३० लि. क. वंशोधरगुजराती ४१ २४२ १६२६ भरण, लि. स्था. इन्द्रगढ़ छन्दःशास्त्र १०२ १९१२ काव्य (घ) ध्रुवाष्टक नीति (च) पद्यामृततरंगिणी विश्वनाथसिंहदेव भास्कर अग्निहोत्री संस्कृत रसालंकार (छ) काव्यरसायन ४६ हरिरस ५० विहारीसतसई देवदत्त बारहठ ईसरदास विहारीलाल १०३वां । २०वीं श. १-२७ १९३० लि. क. वंशीधर गुजराती .. ब्राह्मण, लि. स्था. ग्राम सुनमानपुरा १-४ । २०वीं श. प्रति कीटविद्ध जीर्णशीर्ण .. १-१२ ६८ १७८६ प्रागे पत्र ८५वें तक श्रायु-.. र्वेद संबंधी कुछ स्फुट योग .. हैं। लि. स्था. इन्द्रगढ़ काव्य Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३५६ RAMCHARMAHA राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २ परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूचि ] , क्रमाक | ग्रन्थसूची कर्ता विषय | पत्र संख्या msonasmeenawara artewww.masti.Netanaparaana - rumeramamaenmumereminarmparmananem भाषा लिपिकाल विशेष ज्योतिष ६ २०वीं श. ५१ शकुनावली अन्तमें १८ पत्रों में कुछ दोहे हैं काव्य संस्कृत हिन्दी ५२ (क) गीतगोविन्द जयदेव (ख) भजन-संग्रह चन्द्रसखी मीरां आदि (ग) फुटकर कवित्त ५३ / रामचरितमानस (बाल, अयोध्या, | गो. लसीदास लंका व उत्तरकाण्डके स्फुट पा) १-३८ १-५० १-३४ १२४ १८८४ अपूर्ण, चा.क के केवल २ पत्र (३१वां व ३२वां । है) इसी प्रकार अन्य काण्ड भी अपूर्ण हैं । बीच बीचमें पत्र नहीं हैं १९१७ लि. फ. ब्राह्मण रामनाथ १८७१ लि. फ. लच्छीराम भगत १६०२ १९२६ लि. फ. रामनायाह्मण, ५४ पाण्डवयशेन्दुचन्द्रिकाटीका (बोधिनी) रसाल । ५५ | पृथ्वीराजरासो (एकादशखण्डान्त) | चन्दवरदायी .:. ५६ / भाषाभूषण जसवन्तसिंह हितहमेल (४२वां ग्रन्य) संग्रामसिंह १६३ १३० २३ रसालंकार " राजस्थानी फाक्य कांटो मू. मतिराम, टी. शिवदत्त | हिन्दी नफुल २०वीं श. ५८ । (क) रसराज सटीक (ख) शालिहोत्र (फ) अजामिलचरित्र (ख) कबीरजीकी बारगी (ग) नामदेवजीकी वाणी (घ) ध्रुवचरित्र कवीर नागदेव जनगोपाल रसालंकार श्रायुर्वेद ওও काव्य सन्तसाहित्य १-१२१ १२१-१७५ काव्य । १७५-१६६ १८६८ अन्तमें ८ पत्रों में नाम महिमा' व 'दासजीको नाममहिमा है " लि. क. ब्राह्मण भुवाना Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वाचेपण मन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्यसूची, भाग २; परिशिष्ट - ३; इन्द्रगढ़ पोथीखानाग्रन्यसूची ] कर्त्ता विषय पत्रसंख्या क्रमाङ्क ग्रन्थनाम (च) प्रह्लादचरित्र (छ) भरतचरित्र (ज) राजा मोहमदकी कथा (झ) सुन्दरदासजीके सवैया (क) फुटकर कवित्त (ख) हाथी के लक्षण ६१ (ग) रागमाला नखशिसवर्णन व कोकसार ६२ (क) सुखसंवाद ६० (ख) गणेशगोरखसंवाद ६३ | सतसई ( डिंगल ) ६४ | गीतवही ( ६८० गीतों का संग्रह ) ६५ भगवद्गीता का अनुवाद ६६ (क) विवेकविचार (ख) फुटकर रागसंग्रह जनगोपाल 31 सुन्दरदास आनन्दकवि संग्रामसिंह शिवसिंह भाषा हिन्दी " 13 " " 17 "1 1:5 काव्य "" "" 23 13 कामशास्त्र 11 राजस्थानी | सन्तसाहित्य 19 ज्यौतिष संगीत "" काव्य 13 21 हिन्दी ( व्रज ) | वेदान्त हिन्दी 17 संगीत १९६-२१४ |२१४-२२१ | २२१-२२६ २२६-३१७ १-३५ ३६-४७ १-१६ २६ १-४६ १-१६ ६३ २२८ १८८ ४० २० लिपिकाल १८६८ "3 "1 "" २०वीं श 31 " १६०७ २०वीं श. "3 १९३४ २०वीं श १६०० १८६७ 19 13 अन्तमें पत्रोंसें नाम महिमा व दासजीको नाम महिमा है । लि.क. ब्राह्मण भुवाना । ܐܕ [ ३५७. 15 विशेष लि.क. रघुनाथसिंह अन्तमें पत्र सं. ५० तक जनगोपाल श्रादिके भजन हैं । पूर्ण कि.क. रघुनाथसंह, कोट विद्ध लि. क. ब्राह्मण भुवाना लि. क. राव जुहार 'मताप ( महताब ) पुत्र, Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] [ ३५८ कर्ता भाषा विषय पत्रसंख्या ग्रन्थनाम लिपिकाल विशेष | विवेकवार्ता केशवदास गाडण हिन्दी काव्य ६८ | रघुनाथरूपक कवि मनसाराम (कविमंछ) राजस्थानी ____६६ / यवनछंद (फारसी छंदों का वर्णन) | संग्रामसिंह हिन्दी | संगीतपयोनिधि (७६वां ग्रन्थ) संगीत २१० जीर्णशीर्ण, कीटविद्ध, अन्त में १० पत्रों में स्फुट श्लोक, पद्य व राग हैं ८८ १९२५ लि. क. ब्राह्मण रामनाथ २८ / २०वीं श. 'गणपतिचरणसरोजरज, घर हाड़ा संग्राम । यवन छंद रचना रचत, इन्द्र दुर्ग निजधाम।' १६३३ / रामरामग्रहचन्द्रमा, दरश हरियाली रैन । इन्द्रदुर्ग निजधाम में, ये तो ग्रंथ लखैन । गुनसन्तियोग्रन्थ जो, यह रच्चौ संग्राम, यह सुधार सुध कीजियो, जो सुकवि गुरधाम । २६ | १८८४ लि. क. 'रामरतन', अन्त में ६ पत्रों में नक्षत्र राशि व वायुविचार आदि हैं। लि. क. रामरतन २-३२ ३२-६३ : ७१ / (क) सुखसंवाद सन्तसाहित्य सन्तवास जनगोपाल (ख) सन्तदासजीकी साखी (ग) प्रह्लादचरित्र (घ) ध्रुवचरित्र (च) फुटकर दूहा (छ) ठीकरनाथजीकी भावना छन्देन्द्रकल्याणकल्पद्रुम " अहमद ७ कल्याणदास भटनागर छन्दःशास्त्र | : ५५ / १६यों श... फोटविद्ध, अपूर्ण, जीर्णशीर्ण : Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट ३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] [ ३५६ कर्ता विषय भाषा पत्रसंख्या विशेष ग्रन्थनाम लिपिकाल प्रकीर्ण संग्रामसिंह वंशभास्करगत रसिकप्रियान्तर्गत (केशवदास) १० फोदण्डचन्द्रिका बुर्धासहचरित्र नखशिखवर्णन गुरुपरीक्षा ढोलामारूरी वार्ता सदैवत्ससालिंगारी वात | (क) भक्तिमुक्तिप्रश्नोत्तरी | अपूर्ण (ख) तत्त्वसारगीता (ग) वर्णप्रभाकर (घ) भक्तिपदार्थ (च) शिरोमणिसार हिन्दी ४७ १९वीं श. जीर्ण काव्य १६० २०वीं श. अपूर्ण रसालंकार १८६७ / लि. क. चि. नन्दराम लि. स्था. 'करवाड़' काव्य ३८ २०वीं श. राजस्थानी वार्ता १३४ ५६ हिन्दी वेदान्त १-७० राजस्थानी ७०-८७ धर्मशास्त्र ८७-१६० भक्ति(योग) १-१३ वेदान्त १३-२२ लि. क. ब्राह्मण चि. चम्पालाल | भक्ति(योग) ३२-५५ लि. स्था. सेवागली मध्ये, चर्मण्यतीतटे काव्य ८७ १८१६ | प्रथम पन अप्राप्त इतिहास ११७ | २०वीं श. अपूर्ण | नीति १८६४ १-१६ ज्योतिष १-११८ अन्त में तीन पत्रों में नवग्रहदान लिखे हैं (छ) सहजानन्दभक्ति राठोड़ पृथ्वीराज कृष्णरुक्मिणीरीवेली सटीक २१ वंशभास्कर सटीक ८२ (क) चाणक्यदर्पण (ख) नीतिशतक (ग) वृहज्जातक चाणक्य संस्कृत भर्तृहरि . . Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर - हस्तलिखित ग्रंथसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] कर्त्ता विषय क्रमाक ८३ ८४ ६५ ८६ ८७ ८८ ८६ ६० ६१ ६२ ६३ ग्रन्थनाम नरसीजीका माहेरा कर्मविपाक पातशाहीका किस्सा हाडों के प्रशस्तिगीतके स्फुटपत्र स्फुटकीर्त्तनक वित्तसंग्रह हरिदासजीके पद गजलचन्द्रिका श्रकाराविक्रमसे कवित्तसंग्रह रसभक्तिपथ लीलावतीगणितभाषा ताराविलास सटीक ९४ (क) स्वरोदय (ख) नामसार (क) स्वरोदय (स) तिथिकल्पद्रुम ९६ (क) सुमुखीपञ्चाङ्ग हरिवास संग्रामसिंह शिवदत्त विद्यानाथ चरणदास फतेहसिंह राठौड़ संग्रामसिंह रुद्रयामलगत भाषा राजस्थानी काव्य संस्कृत, हिन्दी कर्मकाण्ड हिन्दी कथा काव्य "1 "1 "" 21 13 " " संस्कृत, हिन्दी हिन्दी 17 }} " संस्कृत " सन्तसाहित्य काव्य "" योग ( भक्ति ) ज्यौतिष " 39 काव्य ज्योतिष "1 तन्त्र पत्र संख्या लिपिकाल ४६ & १२२ ६३ ५० ४३ ४१ ५८ १२ १४ १-६ १-१३ १४- ५४ १-१६ १६-२४ समग्र १३६ २०वीं श "" १६वीं श २०वीं श 51 १८०७ १६२८ १६वीं श ܙ SSS " अपूर्ण १८२६ "" १६३५ १६वींश अपूर्ण " [ ३६० विशेष लि. क. जोशी जीवराज गुर्जरगौड़, पृष्ठ ४१ वें व ४२ वें में देवाचारण के कवित्त लिखे हैं । कवित्त संख्या ११६ से ७७५ तक पृष्ठ सं. १० पर नक्षत्र - स्वरूपचक्र एवं पत्र ६ तथा १० के पृष्ठों पर दोहा आदि लिखे हैं । लि. क. श्राचार्य नगाददिच्य (?) लि. स्था. सांगोदा Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थ सूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] विषय | पत्र संख्या | लिपि काल | [ ३६१ : विशेष कर्ता ग्रन्थ नाम भाषा संस्कृत समग्र १३६ | १८२६ (ख) रजःस्वलास्तोत्र (ग) शिवमहिम्नःस्तोत्रादि पुष्पदन्ताचार्य स्तोत्र उच्छिष्टगणिपति व बटक भैरवस्तवराज प्रादि भी हैं । अपूर्ण लि. क. चि. रामरतन ब्राह्मण गो. तुलसीदास हिन्दी १७. रामाज्ञा काव्य १६१८ .. ज्योतिष प्रकीर्ण १६०७ २०वीं श. ज्योतिपगन्य फुटकरवार्ता (ज्यौतिप त्रायुर्वेद केयोग व मोकल विद्या) १०० स्फुटवार्ता (लौहगुणवर्णन श्रादि) प्रतिमें तीन खुले पत्र है जिनमें लोह परीक्षा आदि लिखित है। चिन्तामणिपंडित ज्योतिष संस्कृत राजस्थानी २७ १८६८ १४ १६वीं श. १०१ रमलोत्कर्ष १०२ छायापुरुविधि और स्वरोदय | (कबीरसाहवको) १०३ (क) ज्योतिषसार (लघुजात कानुसार) १-३१, १९१० लि. क. द्वारका व्यास, आगे पत्र सं. ३६ तक ज्योतिष एवं जैनशास्त्र सम्बन्धी कुछ चक्र है। ३६-४० " (ख) मेघमाला (ग) चमत्कारचिन्तामणि १०४ सुभापितपद्धति शार्ङ्गधर, दामोदरसून संस्कृत सुभाषित । २७ / २०वीं श. | अपूर्ण, हम्मीरभूपतिचौहान राज्यसभासदस्यराघवनाम्नः पौत्रः (प्र.क.) - Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३६२ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्थसूची] ग्रन्थ नाम विषय पत्र संख्या लिपि काल विशेष का भाषा क्रमाङ्क १०५ | जुबदा रमलभाषा, सोदाहरण संग्रामसिंह प्यारेराम १०८ १०६ व्यंग्यपंचपंचाशिका १०७ किष्किन्धाकाण्ड छप्पय विक्रमभूपकी कथा १०६ | संवत्सरीफल | सुन्दरपदमुक्तावली " कथा (वार्ता) सुन्दर १११ / सेऊसमनजीकी परची अनन्तवास ११२ / राशियोंकी किताब ११३ / दीवान मोजीज ११४ गुंचापरागको फिताब ११५ / किताब खलायक मुहम्मदरफी उकदीन ११६ | किताब रमल १२७ । किताब ताजबीयीका रौजा राजस्थानी ज्योतिष १८७० लि. क. ब्राह्मणनानजी, गुर्जरगौड रसालंकार १७ १६३१ प्रथम पत्र प्राप्त हिन्दी काव्य ३१ २०वीं श.. प्राद्य १० पत्र प्राप्त २१ १८८३ राजस्थानी धर्मशास्त्र ८१ १९वीं श. कामदारीलिपि काव्य ।। १०८ लि. कि. व्रजवल्लभ लि. स्था. माधवपुर १८५६ लि. क. भुवाना ज्योतिष २०वीं श. | फारसी लिपि काव्य प्रकीर्ण मुद्रित फारसी लिपि ज्योतिष प्रकीर्ण इस पुस्तकमें ताजमहल निर्माणका ब्यौरा दिया गया है। फारसी लिपिमें फारसी लिपिमें इतिहास ५५३ , मुद्रित.. हिन्दी १४६ जीर्णशीर्ण अपूर्ण . " काव्य अपूर्ण .. संस्कृत, हिन्दी, धर्मशास्त्र ८६६से १०३२ - १६३४ | मुद्रित... . " १३७ ११८ | याफता ....११६ | वाकराजपूताना . . १२० / वंशभास्कर -.. .१२१ / विनयपत्रिका . . . . . १२२ मर्यादापरिपाटीसमाचार गो. तुलसीदास . - Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर - हस्तलिखितग्रन्यसूची, भाग २; परिशिष्ट ३ इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्यसूची ] क्रमाङ्क ग्रन्थनाम कर्त्ता विषय पत्र संख्या १२३ प्रेमरत्नाकर १२४ कवीरजीकी साखी १२५ विरदप्रकाश १२६ | गृहदर्पण, (३६वाँ ग्रन्थ) (यात्राविषयकवर्णन व स्टेशनों के नाम ) १२७ शालिहोत्र १२८ मन उमंग अनुराग १२९ (क) चैतन्यसिद्धान्त (ख) चतुरमहाबोध १३० (क) व्यंग्यार्थ चन्द्रिका (ख) पावसपचीसी (ग) प्रेमपचीसी १३१ (क) अलङ्कार - मुक्तावली (स) छन्दः प्रस्तार (ग) श्रलङ्कारदीपिका १३२ (क) श्रात्म - उद्धार (ख) श्रात्मप्रकाश (ग) युक्तिरत्न (घ) गुक्तिरत्नत्रिधामणि राजकुमार, भैया रतनपाल हिन्दी कवीर उमेदसिंह संग्रामसिंह नकुल संग्रामसिंह गुलावकवि जगन्नाथकवि गुलाबकवि संग्रामसिंह 19 " शिवसिंह "1 " भाषा " " " "" 12 57 "" 17 11 "" "" " "9 >> "> 11 काव्य 17 7 प्रकीर्ण श्रायुर्वेद काव्य वेदान्त 19 रसालंकार काव्य " रसालंकार छन्दःशास्त्र रसालंकार वेदान्त 35 भक्ति (योग) ३३ २०२ २७ १४ ५८ १६ २७ ११ १४ o us alm १४-१६ १७-१६ ३ ३ ५ १-५३ १--२५ २५-३२ ३२-४० लिपिकाल १७४१ २०वीं श. १९१६ २०वीं श १९१३ "" १६६२ १८६० १६३५ लि. क. वंशीधर गुजराती-. ब्राह्मण श्राद्य दो पत्र प्राप्त अपूर्ण 36 " 12 १६१० "" 11 [ ३६३ विशेष - - - लि. क. - स्वामी खेमदास आगे १२ पत्रों में स्फुट कवित्त आदि है । श्राद्य ५ पत्र प्राप्त । अपूर्ण २०वीं श छन्दः संख्या ५२२ T Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर--हस्तलिखितगंथसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची ] कर्ता विपय पनसंख्या | लिपिकाल विशेप भापा क्रमाला ग्रन्थनाम शिवसिंह हिन्दी काव्य ४०-४७ / २०वीं श. ४७-५५ वेदान्त काव्य (च) प्रेमप्रभा (छ) मुक्तिमंगल (ज) स्नेहसार (झ) प्रन्थसंक्रान्ति (८) स्फुटकवित्त १३३ भर्तृहरिचरित १३४ / रामचरित ५८-६७ ६७-७८ ४० सन्तसाहित्य फाव्य सेनापति स्फुटकवित्त (प्रारम्भिक ४ पत्रोंमें) १३५ १६०० संग्रामसिन्धु ग्रन्थव्याख्या (व्यंग्यार्थ- | संग्रामसिंह मौपितकमाला) १३६ / रामचरितमानस (बालकाण्ड) गो. तुलसीदास १३७ / पावसषोडशी (५०वा ग्रन्थ) | संग्रामसिंह १३८ । भूगोलप्रश्नोत्तरी (१९वां ग्रन्थ) १३९ / रससिरोमणि महाराज रामसिंहजी छत्रसिंहजीसुत, नरवर निवासी १४० विहारीसतसई, सटीक विहारीलाल | महाभारत उद्योगपर्य, ६ अध्याय, कृष्णकवि पद्यानुवाद १४२ (क) पूर्णबोधप्रकाश ज्ञानप्रकरण पूर्णदास (गोवर्धनाश्रम वाशिक्षेमप्रतापशिष्य) (ख):., भक्तिभक्तसंप्रदाय २०वीं श. अपूर्ण १६२६ १६३१ १६३० लि. पा. लछमण पाभाई लि. स्या. यौवा रसालंकार काव्य वेदान्त ३१८ १९२७ र.सा. १७६२ साद्य तीन पत्र प्राप्त १७३१ लि. स्था.-धीपतिशाय सिंह राज्ये :. ... " रस्था. , :... भक्ति (योग) - ३२८ anwimmine Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६५ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची ] ग्रन्थनाम का विषय । पत्रसंख्या | लिपिकाल भाषा विशेष क्रमा १४३ हिन्दी काव्य १८२६ । र. का.-१७८१ (क) व्रजचरित (ख) अमरलोकप्रखण्डधामवर्णन ४-७ लीला योग वेदान्त १७-३७ ३७-४५ ४५-५६ भक्ति योग काव्य वेदान्त (ग) धर्मजहाज (घ) गुरुचेलासंवाद अष्टांगयोग (च) पञ्चोपनिषद, भाषा (छ) ज्ञानस्वरोदय (ज) ब्रह्मज्ञानसागर (झ) भक्तिपदार्थ (ट) चारयुगवर्णन कुण्डलिया (३) नायिका अंगवर्णनादि (ड) चौवीसगुरुपरीक्षा (ढ) मोहछुड़ावनअंगवर्णन (त) सन्देहसागर (थ) शब्दोंके मंगलाचरणदहा (द) स्फुट कवित्त छन्द आदि १४४ | शनैश्चरकथा इन्द्रजाल | हरिलीलामृत । (क) रसशृङ्गार (ख) पावसपञ्चाशिका ६४-७५ ७५वाँ ७६-१०० १००-११५ ११५-१२४ १२४-१२७ १२७-१७५ १७५-१८१ १८ काव्य कथा ज्योतिष तंत्र १८१४ १६वीं श. | अपूर्ण १८८८ लि.क.-मनीराम १९२० । प्रथमपत्र प्राप्त संस्कृत हिन्दी १४७ काव्य Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३६६ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-३; इन्द्र गढ़पोथीखानाग्रन्थसूची कर्ता विषय ग्रन्थनाम . भाषा पत्रसंख्या - लिपिकाल विशेप क्रमाङ्क हिन्दी । काव्य १९२० ७-१० १०-१३ १-११ संग्रामसिंह १९२१ र.का.-१९११ (ग) झमाल (दूसरी) आदि (घ) शृङ्गाररत्न (1) अलङ्कारमञ्जरी (छ) पावसषोडशी १४८ | साहित्यबोध (काव्यप्रकाशानुवाद) १४६ | परिभाषाप्रकरण रसालंकार काव्य रसालंकार न्याय दर्शन सिद्धान्त पञ्चानन संस्कृत भट्टाचार्य ११ / १९वीं श. अपूर्ण ७ १७१८ लि. क.-लक्ष्मण, गंगारामा त्मज, लि. स्या. काशी १८४७ ३ | १६वीं श. अपूर्ण सनत्कुमारसंहितोक्त स्तोत्र संग्रामसिंह " रसालंकार रामस्तवराज शिवशतनामस्तोत्र शृङ्गारप्रश्नोत्तरी, भाषा (६८वा ग्रन्थ) १५३ / अलङ्कारमञ्जरी १५४ / वाजिचन्द्रिका (६३वाँ ग्रन्थ) १५५ | आरामदर्पण (७४वां ग्रन्थ) निमल्ल, वल्लभभट्टपुत्र संग्रामसिंह ज्योतिष राजस्थानी प्रकीर्ण ..... हिन्दी काव्य पद्माकरभट्ट परमानन्द कवि कालिदास " १६वीं श. प्रधम पत्र प्राप्त २१ १६३१ १८ १९३४ धाय दो पत्र प्राप्त, लि. क. रामनाथ १५ / २८वीं श. एक कवित्त ग्रेनीका भी है । १-१२ १७६१ : लि. प. वस्तराम . १२-१७ १७-२३ २३-३० ३०-४० ४०-४८ १५६ / स्फुट कवित्त १५७ / (क) ध्रुवचरित (ख) मंगलाष्टक (ग) गणेशजीकी स्तुति (घ) गोरखनाथजीकी स्तुति (च) भोगलपुराण (छ) रागचिन्तन. :. संस्कृत हिन्दी स्तोत्र । पुराण(कथा) संगीत F...... Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] [ ३६७ कर्ता क्रमाङ्क भाषा पत्रसंख्या विषय ग्रन्यनाम विशेष लिपिकाल | छीतमराम संग्रामसिंह (ज) छीतमजीकी जकड़ी (क) कायस्थद्वादशनाम टीका रसचन्द्रोदय रसचन्द्रोदय १६० । राजयोग भाषा १६१ बहुलाष्टमी कथा १६२ खींवरा वालेसराकी वारता राजा प्रथ्वीचन्द्र अनन्य .. १६३ हिन्दी काव्य ४१-५१ १७६१ कथा (पुराण) ५१-५७ रसालंकार १९१६ २० १६१० वेदान्त १९२१ | | लि. क.-श्रीलाल कथा ५ / २०वीं श. राजस्थानी वार्ता (कथा) १७ १८५४ लि.क.-घासीराम ज्योतिषी (डाकोत) लि. स्था. गणोली (बूंदी) संस्कृत | ज्योतिष | ११ | १६वीं श. प्रथमपत्र प्राप्त राजस्थानी राजस्थानी १४-१६ १९०५ | कोटविद्ध १६-१७ हिन्दी | सन्तसाहित्य १५-२५ २५-३० ३८-४६ ४६-४६ ४९-५० ५१-५२ ५२-५३ ५३वा ज्योतिष ५४वा " पनकोश राजस्थानीटीकासहित (क) मासविचार (ज्येष्ठमाससे) (ख) छायापुरुषविचार (ग) कबीरजीके रेखता (घ) प्रात्मप्रकाश (च) वालबोधिनी चौपाई (छ) हरिवोल (ज) शब्द (झ) फवाराष्टक. (ट) अखण्डपरब्रह्मकी स्तुति (6) प्रात्मदान भारती (ड) सम्वत्सरको फल धर्मदास कबीर धर्मदास Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ me-meme राजस्थान पुरातत्यान्येपण मन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २ परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची] गन्यनाम कर्ता भापा | विषय पत्रसंख्या | लिपिकाल विशेष १६०५ कबीर सन्तसाहित्य | ५५-५६ ५७-५८ रामानन्द हिन्दी संस्कृत,हिन्दी हिन्वी संस्कृत | अपूर्ण जालन्धरनाथ (3) गुप्तज्ञानगुदरी (त) रामरक्षा (थ) मूलपांजीग्रन्य १६५ / विवेकमार्तण्ड | शृङ्गारसिन्धु (नवम कल्लोल) १६७ / (क) सिद्धान्तबोध (ख) सिद्धान्तसार (ग) गोरक्षशतक (घ) चौबीस अवतार १६८ | चौहाणोंकी वंशावली भगवानदास जसवन्तसिंह वेदान्त रसालंकार वेदान्त २०वीं श. १४ ५-३२ १५१० श्राद्य ४पत्र प्राप्त १-२२ २३-३० , लि. क.-विश्वनाथ ३१वां १२ । १९८३ " काव्य " १९वीं श. खरड़ा " . संस्कृत योग प्रकीर्ण गोविन्दराम बडवा, कोटा- हिन्दी | इतिहास निवासीफी पुस्तकसे वेला चारण शिवसिंह संस्कृत पुराण(कथा) ज्योतिष हिन्दी संस्कृत ज्योतिष पद्मपुराणगत हिन्दी कथा (पुराण) संस्कृत रसालंकार गोरचा ढाढी राजस्थानी काव्य श्रीकृष्णचन्द्र (महाराजा- हिन्दी धिराज) १-७ ५-३३ काव्य . १६६ / गीतबही ___१७० / गोतमध्याक्षरी १७१ (क) आदित्यनतमाहात्म्य | (ख) नक्षत्रफल .. १७२ मानसदीपिका व्याख्या - १७३ / पञ्चाङ्ग . .१७४ / सूर्यजीको कथा (हिन्दी) १७५ छत्रबन्ध ..१७६. कमाल १७७. (क) कवित्तशतकः .. ५२ १३ १४ १६१६ २०वीं श. १-२८ Matrorkariwwwnwar INTre suminomimaratram INDIAutomami ramer Haasantanaam Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [३६६ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थ सूची, भाग-२; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] कर्ता भाषा विषय ग्रन्यनाम पत्रसंख्या | लिपिकाल क्रमात विशेष मोहनकवि हिन्दी । काव्य १-१४ २०वीं श. (ख) दोहाशतक (ग) स्फुटकवित्त (घ) विष्णुपद (च) मोहननामपचीसी (छ) दोहासंग्रह १७८ । (क) शृंगारचमन १-४० १-२ १-१२ संग्रामसिंह १९३२ लि. क.-रामवल्लभ चौबे .. गुजराती, लि. स्था.-इन्द्रगढ़ संगीत रसालंकार छन्दःशास्त्र संस्कृत (ख) प्रेमचमन (ग) रागसंयोग (घ) दृष्टिकलानिधि (६८वां ग्रंथ) १७६ (क) छन्दःशास्त्र (ख) वृत्तरत्नाकरटीका | समयसुन्दरगणि गणेशमहिमाकथा संग्रामसिन्ध .. संग्रामसिंह गीतापरिचयटीका शिवसिंह (महाराजा) चारणगीतसंग्रह हिन्दी कथा रसालंकार वेदान्त १२-२३ २४-२७ २०वीं श. | अपूर्ण १०-२० १७८५ १९०८ | २०वीं श. लि. क.-व्यास कालूराम ३४४ इसमें निम्नलिखित सूची के अनुसार विविध गीतों का सङ्कलन है। १८३चार " राजस्थानी काव्य कवित्तसंख्याश १ कबित हींगळाजको २ फबित् वीजाशणिजीको ३ गीत नरसिंगजीका Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३७० wcogRMATrunMME mraanMCAPR.. ATHMANymurarmerc PatanA anera राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर-हस्तलिखितमन्यसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची । सन्थसूची भाषा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल immwwwewromartket" विशेष का ४ दुहा सोरदुण ५ कवित राठ(6) ६ गोत जाति त्रीवल ७ कवित्त यंम्रतध्वनि ८ नशाणीमोराछलतन(त)जीको है गीत हामाजीको १० गीत चतळोळ हनुमत जीको ११ गीत गोख बोढी देवजीको १२ गीतजोगारमा(रंम) » » » x 7 9 -------- - ५६वें गीत का प्रसङ्ग नहीं मिलता है। 0 222 "" 222 १३ फपित् चबाणकी उतप्ती १४ गीत गोग(गोगा) चहवाण १५ गीत राव कोलणको १६ गीत हाळुजी को १७ गीत रों (गो)पाळजीको १८ गीत बैरसळ | १६ गीत लालाहाडाको २० गीत भापो पशुकाळको । २१. गीत रान अरजनजीको . २२ फवित राव सुरजनको २३ गीत रावसुरजमलजीको ११-१२ १२ १२ ६६. १३ ७१-७६ ।। १३-१६ -norammamminimumment - - - Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-३; इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] कर्त्ता विपय पत्रसंख्या क्रमाङ्क ग्रन्थनाम २४ नसाणी राव सुरजनकी २५ नीसाणी राव द्वदा भोजकी २६ नीसाणी दाजीकी २७ २८ २६ ३० ३१ ३२ गीत दूदाजीको राव भोजको गीत गीत पाड़गति राव भावसिंघजीका गीत गीत भगोतसिंघजीको राव श्रमेद (उमेद) सींघजीका गीत ३३ ध ( जोव) सिंघजी लार सती होई जीको ३४ गीत राव छत्रसाळजीको ३५. गीत म्हांराजा ईद्रसालजीको ३६ गीत म्हाराजा सरदारसींधजीको ३७ गीत महाराजा मेघसिंघजीको ३८ गीत म्हाराजा छत्रसंघजीका ( गीत चोसरो) ३६ गीत म्हाराजा देवसींघजीको ४० गीत वेलियो सांणोर ४१ गीत त्रीकुटबंध 1 भाषा ८० ८१ ८२-८३ ८३-८७ ८८-६८ ६६-१५८ १६-१७ १७ १७ १८-१६ १६-२३ २३-४० १५६-१६७ ४० १६८-१७८ ४२-४६ १७३-१८३ ४६-४६ १८४-१९१ ४६-५३ १६२वां ५३वां १६३-१६६ ५३-५५ २००-२११ ५५-५८ २१२ - २२० ५८-६० २२१-२६८ ६०-७५ २७१ २६εवां ७५वां २७० ७५-७६ ७६-७७ लिपिकाल [ ३७१ विशेष इसमें इन्द्रगढ़ महाराजाकी प्रशस्ति है Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर--हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] [ ३७२ कर्ता क्रमाङ्क भाषा ग्रन्थनाम विषय लिपिकाल पत्रसंख्या विशेष २७३-२७६, ७७-७६ भगतेसनरेशकी प्रशस्ति है २७७-२७८ ७६ २७६ ७६-८० २८०-३०४८०-६० ३०५-३६२ ६०-१०४ ३६३ १०४ इसमें स्फुटकवित्त भी हैं। ४२ रूपैका महाराजाजी भगत रामजी का कवित ४३ गीत मुक्ताग्रह ४४ गीत चोसरा ४५ गीत त्रिकुटबंध भाखड़ी ४७ साखी म्हाराजा सरदारसिंघ जीकी कही ४८ रूपक कवरजी सुनमानसिंघजी • फा गीत पंचसर ४६ गीत मुक्ताग्रह ५० गीत सुपंखरो ५१ गीत त्रीकुटबंध ५२ गीत (कु)वरजी श्रमानसिंघ जीका ५३ गीत म(न) तापसिंघजीको ५४ गीत राव अजीतसींधको ३६४-३६५ १०४-१०५ सुनमानसिंह प्रशस्ति है। ३६६-३६७ १०५-१०६ ३६५-३७८ १०६-१११|| ३७६-३६५ १११-११७ ३६६--३९८ ११७वां ३९६-४०६ ११७-१२०/ १२०-१२२ पद्यसंख्या मूल पुस्तकमें फेवल १ ही दी गई है। पुनः ४०४ से प्रारम्भ है। . ४०४-४०८, १२३-१२४ J५५ रूपफ माहाराजा अमरसींघ. जीका गीत वेलीयो ५६ गीत माहाराजा फकीरसींघ ४०६-४१० १२४-१२५ Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २; परिशिष्ट-3, इन्द्रगढ़ पोयी खानाग्रन्यसूची ] क्रमाङ्क कर्त्ता विषय पत्रसंख्या ग्रन्थनाम ५७ माहाराजा जोगीरामजीका ५८ गीत महाराजा सालमसींध जीका ५६ गीत घासीरामजीका ६० ६१ गीत दलेलसींघजीको ६२ गीत महाराजा मरजादसिंघ जीकौ ६३ गीत कंवर फतेप्सींघजी सुजाण सींघजी ईसालोतको ६४ गीत बरोसालोवताका गीत महाराज प्रतापसिंघजीको ६५ कबित रूपजी माहासीगोत ६६ माधोसीघजीको ६७ गीत मुकुर्नीसिंघजीका सावझड़ो ६८ श्रीजी कसोरसींघजीका गीत ६६ गीत रामसींधजीका गीत भीव (व) सोंघजीका गीत स्यामसींधजीका ७० ७१ ७२ गीत दुरजलसाल (दुरजनसाळ ) जी का ७३ गीत जैराम बीयास (व्यास) भाषा | ४११-४१३ १२५-१२६ ४१४-४१६ १२६-१२७ ४१७-४१८ १२७ ४१६ ४२० | १२७-१२८ १२८ ४२१-४२३ | १२८-१२६ | ४२४-४२५ | १२६-१३० |४२६-४३६ १३०-१३४ १३४ ४३७ | ४३८ १३४ | ४३६-४४६ १३४- १३६ | ४४७-४५१ १३६-१३८ १३८-१३६ | ४५२ - ४५५ |४५६-४६५ १४०-१४३ |४६६ १४३-१४४ ४६७-४७८ १४४ - १४८ | ४७८ - ४८० | १४८ - १४६ लिपिकाल [ ३७३ विशेष Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितनन्यसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्र गढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] [ ३७४ भाषा कर्ता ग्रन्थनाम विषय लपिकाल पत्रसंख्या विशेष क्रमाङ्क ७४ गीत मोहोसिंघजीका ७५ गीत गोरधनसिंघजीका ७६ गीत अजीतसिंघजीका ७७ माहाराव छत्रसाळजी फबित् ७८ गीत प्रथीसिघजीका ७६ गीत नाहरसिंघजीको ८० गीत नाथजीको ८१ गीत हरदैनारायणको ८२ गीत दोलतसिंघ हरदावतको ८३ गीत भीवसींघ हरैदावतको ८४ जैतसिंघ हरदायत कबित् ८५ छीनसींघजी मेवाउता गीत .८६ फतेसीघ जैतसीधजीको कबित ८७ कसुबा(कसुंबा) बायको गीत ८ गीत हाडा भीवसिंघजीको ८६ कबित् राव हमीरको |६०. प्रथीयराजकी छप्प . ६१. गीत गोख डोढ़ो बरड़ोदको ... राणा भोजराज चहुंवाणको ६२. कवित् टोडरमल चहुवान ..नीमराणाको राजा... ४८१-४८२ १४६ ४८३-४८४ १४६-१५० ४८५ १५० ४८६-४८६ १५०-१५१ ४६० १५१-१५२ ४६१ १५२ ४९२ १५२-१५३ ४६३ १५३ ४६४ १५३ ४६५ १५३-१५४ ४६६-४६७ १५४ ४६८-४६६ १५४-१५५ ५००-५०१ १५५ ५०२-५०४ १५५-१५६ ५०५-५०६ १५६-१५७ ५०७-५०८ । १५७वां ५०६-५१२ १५७-१५८ ५१३१५८ ५१४ १५८-१५६. - - Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्येपणमन्दिर हस्तलिखित ग्रंथसूची, भाग २; परिशिष्ट - ३; इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्यसूची ] कर्त्ता विषय पत्रसंख्या प्रमाङ्ग ग्रन्यनाम ३ गीत बेदलाका ठाकुर चखत सोघ चवाण को सुपंसरी चोटीबंध २४ गीत चपाणाको ६५ गीत समसाळ देवड़ाको २६ गीत प्रखसीध पड़ोको ६० गीत सुरतान वेवडोको = गीत (वी) रमदे सोनगराफो ६८ गीत राणगदे सोनगराको २०० गीत जसो सोनगरको १०१ गीत कुभा ( कुंभा ) सोचीको १०२ गीत धीरतसीच पोचीको १०३ गीत नगा बोनीको १०४ गोल पोसप खीचीको १०५ गोत कर पातस्याको १०६ कवित साहिजाको दानसाहको १०७ कवित् न न नवायको १०८ थिए ओरंजे (ब) पातस्याका १०६ गीत साहिबाबाको १२० गत १११ गीत राणा कुंभाको भाषा ५१५ते५१७ १५६ - १६० |५१८-५१६ १६०-१६१ ५२० १६१ ५२१ १६१ ५२२ १६१ ५२३ १६२ ५२४ १६२ ५२५ १६२-१६३ ५२६ १६३ ५२७ १६३-१६४ ५२८-५२६ १६४ १५३० ५३१-५३२ १६५ ५३३ १६५ [५३४-५३६ १६५-१६६ ५३७ ५३८ ५३९ १६४-१६५ १६६ १६६-१६७ १६७ |१४०–५४३ १६७ लिपिकाल [ ३७५ विशेष Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 . [ ३७६ - राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-३; इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्यसूची ] कर्ता भाषा विषय पत्रसंख्या | लिपिकाल | - - विशेष ग्रन्यनाम ११२ गीत रायमल राणाको ११३ गीत राणा परतापसींघको ११४ गीत राणा अमरसींघको ११५ गीत राणा जगतसींघजीको ११६ गीत राणा राजसींघको ११७ गीत राणा परतापसींघजीको ११८ गीत राणा सगरांमसींघजीको ११६ गीत राणा सांगाको १२० गीत जमल पताको १२१ गीत रावळजीका १२२ गीत रावळको १२३. गीत अमरसींघ रावळको १२४ गीत जेतसी रावलको १२५ गीत सालमसींघ देवळको १२६ फबित् सेवो रावलको १२७ कवित् काबड्या खेड़ीको - भारतसीधजीको ... १२८ गीत राणा भीवको | १२६ गीत उडणा प्रथीराजको | १३० गीत सागा मीणाको . १३१ गीत चोडो लाखाको ५४४१६८ ५४५-५४६ १६६-१६६ ५४६१६६-१७० ५५० १७० ५५१-५५५ १७०-१७१ ५५६ १७२ ५५७१७२-१७३ ५५८-५५६ १७३-१७४ ५६०-५६१ १७४-१७५ ५६२ १७५ ५६३ १७५-१७६ १७६ ५६५ १७६ ५६६ १७६-१७७ mm ५६७ १७७ १७७ ५६६-५७० १७७-१७८ ५७१-५७२ १७८-१७६ ५७३ १७६ ५७४ १७६ - - Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्यान्वेषणमन्दिर हस्तलिखितग्रन्यसूची, भाग २; परिशिष्ट ३ इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्यसूची ]. क्रमाक कर्त्ता विपय पत्रसंख्या ग्रन्यनाम १३२ गीत सोही चलो १३३ गीत देवीसी बेगुका ठाकुरको १३४ गीत वारिकादास चोपायतको १३५ गीत जसोतसो चोदावतको मुरताग्रह १३६ गीत नरायणदास सगतायतको १३७ गीत जगत नरायणदास सगतायतको १३८ गीत प्रस्तालो १३२ गोल गोदारा सगतावतको १४० गीत परतारसी रागतायतको १४१ गीत जगत लगायतको १४२ गीत लालसींघ सगतावतको १४३ गीत लगतसोध सगतायतको श्रीकुटपंप १४४ गीत सुतसोध संगतायतको १४४ गीत संगतायतको १४६ गीत रामा संघको १४० मतको भाषा ५.७५ |५७६ ५७७ ५७८ ५७६ १७६-१८० १८० १८० १८०-१८१ ५६८ ५६६ ६०० १८१ ५८०-५८१ १८१-१८२ ५८२ ११८२ |५८३-५८६ १८२ - १८४ ५८७-५६३ १८४ - २८५ ५६४- ५६५ १८५-१९६ ५६६ |१८६ १८६-१८८ ५६७ १८५ १८८ १८८-१८६ ६०१-६०४ १८६ - ११० लिपिकाल [ ३७७ विशेष Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३७८ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची ] ग्रन्थसूची कर्ता भाषा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल विशेष ६०५१६०-१६१ ६०६-६०७ १६१वां ६०५-६१२ १६१-१९४ ६१३ १६४ ६१४१६४-१६५ १९५-१९६ ६१७-६१६ १९६-१९७ ६२०१६७ १४८ गीत समरसींघ चंद्रावतको १४६ गीत भारतसींघ साहपुर १५० गीत उमेदसींघ साहेपुर १५१ गीत प्रदोतसींघको १५२ गीत रामानंद नागाको १५३ गीत केसरीसींघ सीसोदो १५४ गीत सांवलदास डाबरको १५५ गीत अचलसींघ राणाउतको १५६ गीत जगमाल जाजपुरको ठोकुरको बीबंकड़ो | १५७ गीत देवलाका ठाकुरको तसर गीत . । १५८ गीत जंगखोड़ो बेधुका रावत हरीसींघजीको | १५६ गीत बिहारीदास गलोतको | १६० गोत आनु गलोतको १६१ गीत मुलराज सोलखीको. मुक्ताग्रह १६२ फबित् नाहारसिंघ सोळखीको - १६३ दोनु कवित् नाहारखीजीको छै। ऐक कवित नाहारखांजी १९७-१९८ १६८ ६२४ ६२५ १६८ १९८-१६६ १९६-२०१ ६२६ ६२७ . २०१ २०१ को ऐफ सुरजीको Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७६ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रंथसूची, भाग २; परिशिष्ट-३; इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची ] . क्रमाङ्क. ..... ग्रन्यनाम कर्ता भाषा पत्रसंख्या विषय लिपिकाल विशेष ... من ل no ع २०३ in ع m ع m ६२८-६२६ २०१-२०२ ६३०-६३१ २०२ ६३२ २०२-२०३ ६३३ ६३४ २०३-२०४ ६३५ २०४ ६३६ २०४ ६३७ २०४-२०५ ६३८ २०५ ६३६-६४२ २०५-२०६ ६४३ २०६ ع m ع m ir ع ع १६४ कवित हरीजीको १६५ गीत लालतीघ सोल(लं)खीको १६६ गीत कसनसींघजीको १६७ गीत वीरमदे सोलखीको १६८ गीत सीधराव जैसंगको १६६ गीत मुळराज सोलखीको १७० कवित नाथावताको १७२ गीत देवीसींघ नाथावतको १७२ फवित् करण नायावतको १७३ गीत गोयंदा सखराडाको १७४ गीत अमरसिंघ भाटी जैसळमेरको १७५ गीत सबळा भाई १७६ गीत जादुको १७७ गीत विजासर बैयाको १७८ गोत फरण सरवैयाको १७६ दुहा जसा सरवैयाका १८० गीत रागोड़ाफा १८१ गोत राजा गजसींघजीको १८२ गीत राजा जसोतसींघजीको १८३ गीत अमरसींघ राठोडको नागोरको राजा ع ६४४ २०७ ५४५ x २०७ ६४ २०७-२०८ ६४७ २०८ ६४८ २०८-२०६ ६४६ २०६-२१० ६५०-६५२ २१० ६५३-६५६ २१०-२१२ ६५७-६५८ २१२ Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३८० .. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्यसूची, भाग २, परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] ग्रन्थनाम कर्ता भाषा विषय पत्रसंख्या | लिपिकाल - विशेष १८४ गीत राजा अजीतसींघजीको ६५६-६७२ २१२-२१४ ६६७ से ६७० तकके गीत नहीं हैं । ६७३-६७५ २१४-२१६ ६७६-६८१ २१६-२१६ ६८२२१६-२२० ६५३२२०-२२१ ६८४-६८६ २२१-२२३ १८५ गीत राजा प्रभ(य)सींघजीको १८६ गीत बखतसींघको १८७ गीत जीवा प्रापा दखणीको १५६ गीत राजा बिजेसींघको। . सुपंखरो १८६ गीत राजसींघ रूपनगरको राजाको १६० (गी) "त कुंपा राठोडको १६१ गीत नीयाको १६२ गीत रतनको १६३ गीत बलु चौपावतको १९४ सोनंग बलुको बेटो दोहा १६५ गीत रामसींघ राठोडको | १६६ गीत बोलतसींघ राठोड़को | १९७ गीत अमरसिंघ गरडवाको गीत नागेटो. | १९८ गीत ईसौंघ खैरवाका ठाकुरको .. | १६६ गीत. गोकलदास राठोड़को ... अमरसींघ नागोरका ठाकुरकै ...। प्रांटे काम प्रायो ६८७-६६० २२३-२२५ ६६१२२५ ६९२ २२५ ६६३-६६५ २२६-२२७ २२७ ६६६-६९७ २२७-२२८ ६९८ २२८ ६६६२२८-२२६ २५ यह दोहेकी संख्या है। ७००-७०१ २२९-२३० ७०२. २३०.. Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग – २; परिशिष्ट-३; इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] कर्त्ता विषय पत्रसंख्या क्रमाक ग्रन्थनाम २०० गीत जतसीध सुमीयांगको ठाकुर राठोड़को २०१ गीत केसरोसींघ उदाउतको २०२ गीत उदाउतको २०३ गीत मोहोकम राठोड़को २०४ गीत विजा राठोड़को २०५ गीत हठीसींघ राठोड़को २०६ गीत तेजसींध राठोड़को २०७ गीत कुसलसींघ चाँपावतको २०८ गीत सेरसींघजी कुसल - सींघजीको २०९ गीत कुसलसींघ सेरसींघको २१० गीत सेरसींघजीको २११ गीत दुरगादास राठोड़को २१२ गीत गोपालसींघ मेड़त्याको २१३ गीत श्ररध गोख कसनसींघ राठोड़को २१४ गीत परसा राठोड़को २१५ गीत चतुरा राठोड़फो २१६ गीत करण राठोड़फो २१७ गीत साहावसींघ राठोड़को भाषा ७०३ ७०४ ७०५ ७०६ ७०७ १७०८ ७०६ |७१० ७११ ७१८ |७१६ |७२० २३०-२३१ |७१२- ७१४ २३५-२३६ ७१५- ७१७ २३६-२४१ २४१ २४१-२४२ २४२ ७२१ ७२२ ७२३ |७२४ २३१-२३२ | २३२ | २३२-२३३ २३३ २३३-२३४ २३४ २३४-२३५ २३५ २४२-२४३ २४३ २४३ |२४३ - २४४ लिपिकाल [ ३८१ विशेष Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - राजस्थान पुरातत्यान्वेषणमन्दिर हस्तलिखित ग्रन्यसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] [ ३८२ विशेष लिपिकाल विषय भापा का पत्रसंख्या ग्रन्थनाम ७२५२४४ ७२६-७२६ २४४-२४६ ७३०-७३१ २४६-२४७ ७३२ २४७ ७३३ २४७-२४८ ७३४ ७३५ ७३६ ७३७ २४८ २४८ २४६ २४६ २१८ गीत करण राठोडको २१६ गीत सँसमल राठोड़ को २२० गीत माधोसींघ राठोडको २२१ गीत जसोतसींघजीका उमरावाको २२२ गीत अभैसीधजीका उमरावाको २२३ गीत परथीराज राठोडको २२४ गीत ज(य)सींघ राठोडको २२५ गीत सेवो वादेलको २२६ गीत घाणोराको ठाकुर पदम . सींधको २२७ गीत सगतसींघ राठोडको २२८ गीत मोफम चांपाउतको २२६ गीत अखसींघ राठोडको २३० गीत कमो राठोडको . २३१ कवित् राव बीकाको २३२ गीत कल्याणसींघजीको २३३ गीत प्रथीराज राठोड़ को २३४ गीत रायसींधको २३५ गीत बीकानेरको मोणसीधका बेटाको ७३८ २४६-२५० ७३६ २५० ७४० २५०-२५१ ७४१ २५१ ७४२ २५१ ७४३ २५१-२५२ ७४४-७४५ २५२-२५३ ७४६. .. २५३ २५३ . Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-३; इन्द्रगढ़पोथीखानानन्थसूची] [ ३८३ .......: कर्ता विशेष ग्रन्थनाम भाषा विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल क्रमाङ्क ७४८ २५३-२५४ ७४६ २५४ २५४-२५५ ७५० ७५१-७५४ २५५-२५६ २५६-२५७ ७५६ २५७ २३६ गीत सांणोर थाणबंध बेलीयो. रामसींघको २३७ गीत रायसींघ बीकानेरको २३८ कवित् बीकानेरका राजा अनोपसींघको २३६ गीत बीकानेरको पदमसींधको २४० गीत केसरीसींघ बीकानेरको २४१ कवित् रोजा गजसींघजी बीकानेरको २४२ गीत भींव राठोड़को २४३ गीत दुदा राठोड़को २४४ गीत लखधीर योंदा २४५ गीत योक अखरो करण बीकानेरका राजाको २४६ गीत आफुको २४७ गीत भ्यागको २४८ छप्पै राव भाराको जाडो चाकी २४६ गीत जाडेजाको बीसर २५० गीत हीरा मांगळ्याको २५१ गीत महेड़ जाड़ेचाको ও ও ७५८ ७५९ ७६० २५७-२५८ २५८ २५८-२५६ २५६ ७६२ २५६-२६० २६० २६० ७६३ ७६४ २६०-२६१ २६१ २६१-२६२ ७६६ Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३८४ - - राजस्थान पुरातत्यान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्यसूची, भाग २, परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची ] ग्रन्थसूची कर्ता भापा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल विशेष ७६७ २६२ ७६८ २६२ ७६६ २६२-२६३ ७७०२६३ ७७१२६३-२६४ ७७२-७७३ २६४ ७७४-७७५ २६४-२६५ ७७६-७७८ २६५-२६६ 994 २६६ ७८० २६६ २५२ गीत राव देसलको २५३ दुरजनसाल सोडाको २५४ गीत भोज काबाको २५५ गीत घासड़ी सोड़ा चवाणको २५६ गीत सोड़ा राठोडाको चुकको २५७ गीत सोड़ा भाटीको चुकको २५८ गीत राजा मानको २५६ फजित बड़ो जैसींघको २६० गीत बडो जैसींघको २६१ गीत जगतसींघ प्रांम[मेरका राजाको लहवाल २६२ गीत राजा रामसींघजीको २६३ कवित् राजा बसनसींघको २६४ गीत सोहि प्रोगान राजा . सवाई जैसींधको २६५ गीत बडा जैसींचजीको २६६ गीत दुमेळ । मनोहर साखळी बड़ा जैसींघको उमरावको २६७ गीत तलोकसींघ राजाउतको २६८ कवित् कुशलसींघ नाथाउत .. चोमा[v]को ठाकुर २६६ गीत गजैसीध नाथाउतको ७८१ ७८२ २६६-२६७ २६७ ७८३-७८८२६७-२७० ७८६-७६० २७०-२७१ ७६१ ७६२ २७१ ७९३-७६४ २७१-२७२ ७६५-७६६ २७२-२७३ Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर - हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट ३; इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसची ] क्रमाङ्क कर्त्ता विषय पत्रसंख्या ग्रन्थनाम २७० गीत सोरठो उद (य) सींघ सेखाउतको २७१ गीत दीपसिंघजीको २७२ गीत दोलतसींघको २७३ गीत सोसींघ सेखाउतको २७४ गीत कानसिंघ बलभदोत २७५ गीत देवसींघ खंगारोतको २७६ गीत श्रमरसाँघ खंगारोत २७७ गीत गोरधन कल्याणोत २७८ गोत मानसिंघ फल्याणोत २७६ गीत कमा कल्याणोतको २५० गीत जैचंद कल्याणोतको २८१ गीत फतेसींघ नागाको २८२ गीत जैसींघ नरूको २८३ गीत दोनु जैसींघ नरूकाका २८४ गीत सुजाणसींघ जंगनायोतको २८५ गीत साहेबखां भाखरोतको २८६ कवित राजसघ भाखरोतको २८७ गीत राजसींघ भाखरोतको २८ गीत गुजरीका पेट (वेटा) को नरायणदासजीको दोलतखां बेटो छ जोको गीत छै भाषा ७६७ ७६८ ७६६ २७३ २७३-२७४ २७४ ८०० २७४-२७५ ८०१ २७५ ८०२ २७५-२७६ ८०३ २७६ |८०४ -८०५ २७६ |८०६ ८०७ ८०८ ५०६ ८१० ८११ ८१२ ८१६ ८१७ २७६-२७७ २७७ २७७ २७७-२७८ २७८ | २७८ २७८-२७६ ८१३ २७६ |८१४-८१५ २७६-२८० २८० | २८०-२८१ लिपिकाल [ ३८५ विशेष Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३८६ राजस्थान पुरातत्यान्वेषणमन्दिर--हस्तलिखितग्रन्थ सूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] अन्यनाम कर्ता भाषा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल | विशेष ८१८२८१ यह दोहेकी संख्या है। 11 ८२० २८१ २८१-२८२ २८२-२२३ २८३ २८३ २८३ 1 १ अन्यह दोहेकी संख्या है। 1 ० ८२२ २८६ करित जैतसींघ मानसींघउत (बाकाउत)को २६० वुहो वाकाउतको २६१ गोत सपुतको २९२ गोत कपुतको २९३ गीत बेसर मानसींघोताको २६४ दुहा सवाई जैसींघजीको २९५ गीत खंगार कछावाको। खंगारो ताको बड़ो सारा सु २६६ फधित नाथाउत कछवावाको २६७ गीत जंग खोडो राजा विठल दारा गोडको २६८ गीत राजा अनाद। . (पानां?)को | २६६ कवित राजा बीठलको डुंगरसी बाझड़ीका कहया . .. ३०० गीत राजा अनरव गोड़को ३०१ कवित् सावझड़ो : ३०२ गीत राजा नरसं (ग)को ३०३. गोत जाति हंसमग . ३०४ गीत अरट गोड़ांको . ८२३ २८३-२८४ ८२४-८२७ २८४-२८५ २६२८५-२५६ गीतसं० ६२८ नहीं है। ३०-८३२ २८६ 11 ८३३ २८६-२८७ ८३४-८३५ २८७ ८३६-८३६ २८७-२८८ ८४०२८६ ८४१२८९ Pummen Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाताग्रन्थसंचा। m . w ३८७. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपणमन्दिर-हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग-२; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] . ग्रन्यनाम कर्ता विषय पत्रसंख्या | लिपिकालं विशेष .. भाषा سه سر له गीतसं. ८६५ नहीं है। Is U ८४२-८६० २८९-२९६ ८६१-८६४ २६६-२६८ २६८-२६६ २६६ ८६८ २६९ ८६६ २९६-३०० ८७० ३०० ९७१-६७२ ३००-३०१ ३०५ गीत अरजन गोड़को ३०६ गीत सुभरांम गोड़को ३०७ गीत राजा मनोरदासजीको ३०८ गीत राजा उत्तमरामजीको ३०६ गीत वीरभद्र गोड़को . ३१० गीत अरजन वीरभद्र को ३११ गीत जोरावरसीधजी माहा राजा छीनसींघजीका नावजीको ३१२ गीत उद(य)भाण हरभाण गोड़को ३१३ गीत सगता गोडको ३१४ दुही रासा(णा)सांगा उतमराव रतनको कह्यो ३१५ गीत थानसींघ सांगाउतको ३१६ गीत कसनसींघ गोड़को ३१७ गीत दलाझालाको ३१८ गीत राज कीरतसींघजी सावर्ड(डी)का तकरांको ३१६ गीत नाथजी झालोताणाको ठाकुरको ३२० कुंडल्या जसोत झालाका ११३०२ यह दोहेकी संख्या है। Pitis ८७४-८७५३०२-३०३ ८७६-८७७ ३०३ ८७८-८७६ ३०३-३०४ ८८० ३०४ ८८१ ३०४-३०५ ८८२-८९ ३०५-३०६ madamadominakse Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३८८ राजस्थान पुरातत्यान्वेषणमन्दिर---हस्तलिखितग्रन्थसूची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची ] ग्रन्थनाम कर्ता भाषा | विषय | पनसंख्या | लिपिकाल विशेष यह दोहेकी संख्या है। ८६० कवित् सं. है। ३२१ इहो माधोसींघ झालाको ३२२ वहो मदनसींघ झालाको ३२३ फवित हमतेसिंघ झालो ३२४ मंत्र हेमतसींघ झाला उपर ३२५ गीत जालमसींघ झालाको ३२६ हो पुाराको ३२७ गीत सादुल (सार्दुल) पुंवारको ३२८ गीत रावत मयण उमटको ३२६ गीत परसरांम उमटको १-८६०३०६-३०७ ८९१ ३०७ ८९२ ३०७ ८६३ ३०७-३०८ १,८६४ ३०८ ८६६ ३०६ ८६७ ३०६-३१० *१ संख्या दोहेफी है। कवित्तसंख्या के अतिरिक्त ४ दोहे और हैं। यह संख्या दोहे की है। * १ ३१० ३३० दुहो मानधाता पुवार बीजोल्यांका ठाकुरको ३३१ गीत नंगा खातीको ३३२ गीत नारंग देसतीको ३३३ गीत रजपुताका गाढको ३३४ गीत अनोपसींघ कछवावो ३३५ गीत माधोसींघ कछवावो अजवगढ भानगढका ठाकुरको ३३६ गीत गोयंददास माधारणीको .. कछवावो ३३७ गीत कमा माधाणी कछवावो ३३८ कवित् सवाई जैसींघको ८६८-८६६ ३१०-३११ ६००३११ ६०१-६०४ ३११-३१३ ३१३ ३१३-३१४ ९०६ ९०७ ३१४ ९०८ ६०६ ३१४ ३१४-३१५ Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग २, परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] क्रमाङ्क ग्रन्यनाम .... कर्ता भाषा विषय पत्रसंख्या लिपिकाल - विशेष ६१०-६१६ ३१५-३१७ : ९२०-६२१ ३१७-३१८ ६२२-६२३ ३१८ ३३६ फबित् सताराका राजाका ३४० कबित् हरदसाह वुदेलाका ३४१ कवित् प्रातमारांम रूघनाथ सींघ गोड़ भाखरोत ३४२ कयित् तरवरसाह भाटको ३४३ फबित् घरती चकवहुवाको ३४४ कवित् रूपगाको खोडको ३४५ कवित् प्रसताई देवीदासका कहा ३४६ कवित् कुडळया गिरधरका कह्या ६२४-६२५ ३१८-३१६ ६२६-६२७ ३१६ ६२८३१६-३२० ९२६-६३६ ३२०-३२२ ६३७-६६६ ३२२-३२६ इसके पश्चात् स्फुटपत्र हैं, उन्हीं पर क्रमशः पत्रसंख्या दी हुई है। अतः गीत संख्या क्रमशः नहीं है ३३० ३३० | ३४७ गीत अमरसींघजी खातोली का ठाकुरको ३४८ गीत महाराजा भगतरामजी को छसर । भख्यारीदास बागड़ीको कहो ३४६ कवित खटदरसणका भाव परी छप्प ३५० गीत डोढी अठताळो सदा. सोको ३३० पत्र ३३१ से ३३४ तक स्फुट कवित्त दोहे हैं। ३३५ Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३९० .: राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखितग्रंथसूची, भाग २ परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानानन्यसूची ] ___कर्ता __भाषा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल - क्रमाक ग्रन्थनाम : विशेष mr ३३६ mr ३४० ३४४ ३४४ इतिहास वंशभास्करगत | हिन्दी ४-११६ | २०वीं श. | अपूर्ण १८४ .... १८५ वेदान्त " ३० | अपूर्ण, फीटविद्ध . . . १८७ ३५१ गोत सावझड़ो ३५२ गीत जाति अठतालो ३५३ गीत पदमसींघजी रहणावन को ठाकुरज्याकी ठुकराण्या मुथरामें काम पायी ज्याको ३५४ गीत देवो बागाको ३५५ नशाणी राव साडाकी उम्मेदचरित्र गीतासार मदनकवाररी कथा (क) वैराग्यशतक भर्तृहरि (ख) पोथी साठसम्वत्सररी (ग) गोकुल नाथामल्ल अखाड़ाके युद्ध (घ) शाहजहाँका चारोंशहजादाँकी कथा (पद्यबद्ध) (च) कुतुबरात परिचय अष्टाङ्ग . .. भाषापिंगल (क) कविकुलकण्ठाभरण .. (ख) काव्यकौमुदी - संग्रामसिंह (ग) सपखरो सानोर गीत लक्षण ०० राजस्थानी कथा संस्कृत काव्य हिन्दी ज्योतिष काव्य ८-१२ | १-३३ अपूर्ण F ३-८० योग छन्दशास्त्र रसालंकार २०वीं श. कीटविद्ध, अपूर्ण अपूर्ण १-१३ छन्दःशास्त्र Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषणमन्दिर-हस्तलिखित ग्रन्यची, भाग २; परिशिष्ट-३, इन्द्रगढ़पोथीखानाग्रन्थसूची] . भाषा | विषय | पत्रसंख्या | लिपिकाल | कमाङ्क कर्ता विशेष ग्रन्थनाम ... १० १० रसालंकार वेदान्त . काव्य रसालंकार २०वीं श. अपूर्ण | १६०५ २०वीं श. १६१ १६२ संस्कृत " १९४ काव्य हिन्दी संस्कृत जीर्णशीर्ण, अपूर्ण .. . - . १६६ १६७ १६८ १६६ २०० २०१ (घ) भाषाभूषण जसवन्तसिंह परमलोकपत्रिका यशःप्रकाश कविजुहार विदग्धमुखममण्डन (तृतीयपरि- धर्मदास च्छेदान्त) वीरसप्तशती सूर्यमल्ल महाकालभैरवकवच गन्धर्वतन्त्रोक्त भैरवकवच (त्रैलोक्यमङ्गलनामक) रुद्रयामलोक्त सुमुखीसहस्रनाम रुद्रयामलगत अर्गलाकीलकस्तोत्र सप्तशतीगत सुमुखीपटल (हनूमद्विषयक) रुद्रयामलगत गणेशकवच क्षेत्रपालमन्त्र अमृतसञ्जीवनीकल्प बालापूजनपद्धति उड्डीशतन्त्र गर्गसंहितागिरिराजखण्डटीका | नाथूराम गुजराती इन्द्रगढेन्द्रमहाराजसंग्रामसिंहविरचितग्रन्थोंकी सूची प्रादि Army mmu you . १८६१ २०वीं श. १८६० १८६५ १९वीं श. " मन्त्रशास्त्र तन्त्र मन्त्रशास्त्र तन्त्र अन्तिमपत्र अप्राप्त अपूर्ण " २०४ २०५ २०६ पुराण २०वीं श. प्रकीर्ण Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थ-साला प्रधान सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य मुनि श्री जिनविजयजी प्रकाशित ग्रन्थ १-संस्कृत ग्रन्थ १. प्रमाणमंजरी, ताकिकचूड़ामणि सर्वदेवाचार्य,सम्पादक-मीमांसान्यायकेसरी पं० पट्टाभिरामशास्त्री, विद्यासागर । मूल्य-६.०० २. यन्त्रराजरचना, महाराजा-सवाई-जयसिंह-कारित । सम्पादक-स्व० पं० केदारनाथ, ज्योतिर्वित्। मूल्य-१.७५ ३, महषिकुलवैभवम्, स्व० पं० मधुसूदन अोझाप्रणीत, सम्पादक-म०म० पं० गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी। मूल्य-१०:७५ ४, तर्कसंग्रह, अन्नंभट्ट, सम्पादक-डॉ. जितेन्द्र जेटली, एम. ए., पी-एच. डी., मूल्य-३.०० ५. कारकसंबंधोद्योत, पं० रभसनन्दी, सम्पादक-डॉ. हरिप्रसाद शास्त्री, एम. ए., पी. एच-डी., मूल्य-१.७५ ६. वृत्तिदीपिका, मौनिकृष्ण-भट्ट, सम्पादक-पं० पुरुषोत्तमशर्मा चतुर्वेदी, साहित्याचायं । मूल्य-२.०० ७. शब्दरत्नप्रदीप, अज्ञात कर्तृक, सम्पादक-डॉ. हरिप्रसादशास्त्री, एम. ए., पी-एच. डी. । मूल्य-२.०० ८. कृष्णगीति, कवि-सोमनाथ, सम्पादिका-डॉ. प्रियवाला शाह, एम. ए , पी-एच. डी., . डी. लिट् । . मूल्य-१.७५ ६ नृत्तसंग्रह, अज्ञातकर्तृक, सम्पादिका-डॉ. प्रियवाला शाह, एम. ए., पी-एच डी., .. डी. लिट् । मूल्य-१.७५ १०. शृङ्गारहारावली, श्री हर्प-कवि-रचित, सम्पादिका डॉ. प्रियबाला शाह, एम. ए., पी-एच. डी., डी. लिट् । मूल्य-२.७५ ११. राजविनोद महाकाव्य, महाकवि-उदयराज, सम्पादक-पं. श्री गोपालनारायण बहुरा, ... एम. ए., उप-सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। मूल्य-२.२५ १२, चक्रपाणिविजयमहाकाव्य, भट्ट लक्ष्मीधर विरचित, सम्पादक-केशवराम काशीराम शास्त्री। मूल्य-३.५० १३. नृत्यरत्नकोश (प्रथम भाग), महाराणा कुम्भकर्ण रचित,सम्पादक-प्रो. रसिकलाल छोटालाल पारीख, तथा डॉ. प्रियवाला शाह, एम. ए., पी-एच. डी., डी. लिट्। ' मूल्य-३.७५ १४. उक्तिरत्नाकर, साधुसुन्दर-गणी-विरचित, सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य श्री जिनविजय मुनि । सम्मान्य संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। ... मूल्य-४.७५ .. . १५. दुर्गापुष्पाञ्जलि, म०म० पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदीकृत, सम्पादक-पं० गङ्गाधर द्विवेदी, ... साहित्याचार्य । . . . . . मूल्य-४.२५ ... 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