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हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २-परिशिष्ट १ }
. [ २८७ ११-ज्यौतिष . ५. ४४४२
अद्भुतसागर इति श्रीपाकसमयाद्भुतावर्तः ॥ इति श्रीमहाराजाधिराजनिश्शंकशंकरश्रीमद्वल्लाल. . सेनदेवविरचित अद्भुतसागरः समाप्तः ।
पुस्तकके अन्तमें इक्ष्वाकुवंशोत्पन्न मानसिंहादि राजाओंका वंशवर्णन है। लिपिकर्ता-पुरोहित सदाराम, ठाकुर भैरू सिंघजीपठनार्थम् ।
लिपिस्थान-शिवपुरी ग्राम । संवत् १७८७ माघ शुक्ला १ बुधवार । ६. ४६३०
अद्भुतसागरी प्रथम खण्ड पूर्ण ग्रंथकी पत्र संख्या ऊपर ३६० लिखी है किन्तु यह प्रति अपूर्ण है। प्रतिमें ऊपर "पुस्तकमिदं शुक्लसदासुखजीकस्य" ऐसा लेख है। . ७. ४३१४
( अयनांशादिकरणविधि ) ____ इस गुटके में उपर्युक्त ग्रन्थके अतिरिक्त शीघ्रबोध करणकुतूहल, शनिचारफल, वंध्याभेद, सन्तानार्थ औषधविधिके दोहे व यन्त्र बीच बीचमें दिये हुए हैं। दोहे उपयोगी हैं। २४ पृष्ठ तक अयनांशादिकरणविधि है । फिर १ पृष्ठ से ७५ पृष्ठ तक शीघ्रबोध है। इसके बाद प्रकीर्ण है। १४. ७०६१
आकाशपुरुषचित्र : यह सुषुम्णारचक्र है, जिसमें पुरुषाकारमें सुषुम्णा नाड़ीमें नक्षत्रमालाकी स्थापना ___ करके बताया गया है । चित्र अध्येतव्य है । ५०. ४१०४
ग्रहणपद्धति आदि- श्रीमग्दोवर्द्धनधरं नत्वा सौरमतानुगाम् ।
__ स्वल्पानल्पार्थयुतां कुर्वे ग्रहणपद्धतिम् ॥ १ अन्त- नखधृतिविक्रमवर्षे काम्यकवनवासिनन्दरामेण ।
रचितोपरागपद्धतिरियमतिहृद्या ग्रहज्ञानाम् ।। २४ इति श्रीमिश्रनन्दरामविरचिता ग्रहणपद्धतिः समाप्ता ।
रचनाकाल--१९२० संवत् । स्थान-काम्यकवन । ६१: ४३६२
गणितनाममाला श्रादि- गणितस्य नाममालायां वक्ष्य गुरुप्रसादतः। .
बालानां सुखवोधाय हरिदत्तो द्विजाग्रणीः ।। १ अन्त- कुण्डलज्ञानविप्रेण हरिदत्तेन धीमता ।
नाममाला कृता श्रेष्ठा देवगुर्वोः प्रसादतः ।। ३०