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सञ्चालकीय वक्तव्य
.. प्रस्तुत सूची राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुरमें अप्रैल सन् १९५६ ई०
से मार्च सन् १९५८ ई० तक संग्रहीत ३८.५५ हस्तलिखित ग्रन्थोंकी है । मार्च सन् १९५६ तक संगृहीत ४००० ग्रन्थोंकी सूची भाग १ के रूपमें प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही. मार्च सन् १९५८ तक संग्रहीत राजस्थानी ग्रन्थोंकी सची भी राजस्थानी ग्रन्थ सूची, भाग १. के. नामसे पृथक प्रकाशित की जा चुकी है । .. ग्रन्थोंका वर्गीकरण और. विषयनिर्धारण ये दोनों ही कठिन एवं समयसापेक्ष्य कार्य हैं। हमारा विचार था कि राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानमें संग्रहीत ग्रन्थोंका वर्गीकृत और सविवरण सूचीपत्र तैयार कराकर विज्ञजनोंके सामने लाया जाय, किन्तु ग्रन्थोंकी संख्या दिनों-दिन बढ़ती रही और आगन्तुक विद्वानों एवं अनुसंधित्सुनों का, सामग्रीकी उपयोगिताकी दृष्टिमें रखते हुए,
यह अनुरोध रहा कि संगृहीत सामग्रीका कोई न कोई रूप जल्दी से जल्दी ... सामने आ जाना चाहिए। एतदर्थ यथासाध्य उपकरणोंको जुटा कर विभागीय . कर्मचारियों द्वारा थोड़े से थोड़े समयमें मोटे तौर पर वर्गीकरण एवं विषयविभाजन कराकर ये सूचियाँ वार्षिक सूचिकाके रूपमें प्रकाशित की जा रही हैं। आगे विवरणादि तैयार करनेका कार्यक्रम भी हमारे सामने है और राजस्थानी सचित्र ग्रन्थोंके सूचीपत्रका काम इस दिशामें श्रीगणेश करनेके लिए हाथ में
लिया गया है। इस प्रकार हमारे सूची-प्रकाशन कार्यक्रममें एक तो संग्रहीत.. ग्रन्थोंकी सूची और दूसरी विवरणात्मक सूचियाँ यथावसर निकलती रहेंगी। ... प्रस्तुत ग्रन्थ-सूची, भाग २, का स्वरूप यद्यपि प्रथम भागके बहुत कुछ अनु
रूप रखा गया है, फिर भी इसमें अावश्यकतानुसार कुछ परिवर्तन किये गये हैं। यथा भाषाका कोष्ठक कम करके हिन्दी एवं राजस्थानी ग्रन्थोंके पृथक विषय बना दिये गये हैं जिससे सुविधानुसार इन दोनों भाषाओंके ग्रन्थोंकी जानकारी मिल सके। विशेष उल्लेखनीय के कोष्ठकमें रचनाकाल, लिपिस्थान, लिपिकर्ता, ग्रन्थदशा और विषय-स्पष्टीकरणका संक्षिप्त संसूचन किया गया है। इसके अतिरिक्त परिशिष्ट १ में कुछ विशिष्ट ग्रन्थोंके आद्यन्त अंश अविकल रूपमें उद्धत कर दिये गये हैं। साथ ही ग्रन्थके विषयमें यदि कोई विशेष
सूचना प्राप्त हुई है तो वह भी समाविष्ट कर दी गई है। तात्पर्य यह है कि .' ग्रन्थके स्वरूप एवं दशाको समझनेके लिए संक्षिप्त रूपमें जानकारी देनेका
यथाशक्य प्रयास किया गया है। परिशिष्ट २ में ग्रन्थकर्ता-नामानुक्रमणिका दी