Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ ऐं नमः ॥
चिन्तन हैम संस्कृत भव्य-वाक्य संग्रह
: सौजन्य : प.पू.मु. श्री भुवनविजयान्तेवासी मु.श्री जम्बूविजयजी म.सा.नी
प्रेरणाथी (१) श्री सिद्धि-भुवन-मनोहर-जैन ट्रस्ट, अमदावाद तथा
(२) श्री जैन, आत्मानन्द सभा-भावनगर.
: लेखक : संपादक : प्रकाशकश्च : हरेशभाई लवजीभाई कुबड़िया
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ ऐ नमः ॥
चिन्तन हैम संस्कृत भव्य-वाक्य संग्रह
: मुद्रापंक :
प.पू.मु. श्री भुवनविजयान्तेवासी मु. श्री जम्बूविजयजी म.सा. नी
प्रेरणाथी
(१) श्री सिद्धि-भुवन - मनोहर - जैन ट्रस्ट, अमदावाद तथा ( २ ) श्री जैन आत्मानन्द सभा - भावनगर.
फ्र
: लेखक : संपादक : प्रकाशकश्च : श्री विजय केशरसूरी स्याद्वाद विद्यामन्दिर
तथा
श्री भीनमाल महाविदेह धामना अध्यापक हरेशभाई लवजीभाई कुबडिया
'संवत् - २०६१ वीर सं. २५३१
मूल्य पठन पाठन
नकल १०००
ई. सं. २००५
प्रथम
आवृत्ति
-
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्राप्ति स्थान : १. हरेशभाई लवजीभाई कुबडिया, २. श्री विजय केशरसूरीश्वरजी.
१३, नवकार एपार्टमेन्ट, स्याद्वाद विद्यामन्दिर, हाई स्कूलनी पाछळ तलेटी रोड, गिरि विहार, तलेटी रोड, पालिताणा-३६४२७०
पालिताणा -३६४२७०. . मोबाइल नं. ९४२६३१६८८१ ३. श्री भीनमाल महाविदेह धाम, तलेटी रोड, पालिताणा - ३६४२७०
....लेखनना सहभागी.... १. प.पू.सा.श्री तत्त्वगुणाश्रीजी.म.सा. (सागर समुदाय) २. श्रेष्ठिवर्यश्री हसमुखभाई शामजीभाई धामी विले-पारले (इस्ट) । ३. सुभाषनगर जैन संघ उज्जैन ह. राजकुमार संघवी ४. पंकजकुमार मोतीचन्द्र झवेरी (मुंबई)
५७२४-माष्य-भग्रन्थ-पंथसंग्रह-भपयडी-उत्संडी -वृत्क्षेत्र समास- दोश-तत्वार्थ-
टीमी-प्रथमा मध्यमा-उत्तमा-२धुवंशनैषध-रात-त्रिषष्टि-प्राकृत-व्या४२९-न्यायमूभिडी--तईसंग्रह-भुतावलीસ્યાદ્વાદમંજરી-પ્રમાણનય-રત્નાકરાવતારિકા-વ્યાતિપંચક-યોગ શતકયોગદૃષ્ટિ સમુચ્ચય-યોગવિંશિકા-વિંશતિર્વિશિકા-ષોડશક
प्रायानलिपिन★ अभ्यास भाटे भगो ★ હરેશભાઈ લવજીભાઈ મ્બડિયા મો. : ૯૪૨૬૩ ૧૬૮૮૯ १3, नवजार अंपा. हाई स्कूदनी ५७, शत्रु४य पाई,
તળેટી રોડ, પાલિતાણા - ૩૬૪૨૭૦
© सर्व वेपणे स्वाधीन छ. © આ પુસ્તક જ્ઞાન ખાતાનું હોઈ શ્રાવકે ઉપયોગ રાખી અધ્યયન ક્રવું.
मुद्रऽ : मिश्रा ग्रासि कोन : (०७८) २२६८१८१४
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
लेखनना सहभागी.....
दिव्यकृपा
खरतरगच्छाधिपति गणाधीश श्रीमज्जिन सुखसागरजी म. सा.
दिव्याशीष आगमज्योति पू. प्र. श्री सज्जनश्रीजी म. सा.
शुभाशीर्वाद गणाधीश प्रवर प.पू. श्री कैलाशसागरजी म.सा. उपाध्याय प्रवर मरूधरमणि प.पू. श्रीमणिप्रभ सागरजी
म.सा.
पावनप्रेरणा प्रखर व्याख्यात्री संघरत्ना 'सज्जनमणि'
श्री शशिप्रभाश्रीजी म.सा.
.
श्री बडोदरा जैन खरतरगच्छीय संघ के ज्ञानद्रव्य से रु. ५०००/___ का सहयोग मिला है।
धन्यवाद
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
| २७.
आवाम्
वयम्
त्वम्
युवाम
a s ins & wg voor a
अनुक्रमणिका क्रम। विषय
पृष्ठ । क्रम। विषय अहम्
अपादान | विना
सम्प्रश्न ३०. वर्तमान - नकारात्मक
३१. ह्यस्तन - नकारात्मक यूयम्
३२. विध्यर्थ - नकारात्मक
३३. आज्ञार्थ - नकारात्मक ते
३४. तुम् कर्ता
त्वा गति कर्म
३६.| हेतुनाम - प्रयोजनरूप | सामान्य कर्म
३७. हेतुनाम - सहायरूप १३. करण
३८. सम्भव सह
३९. सती सप्तमी सप्रदान (माटे)
४०. अनादर षष्ठी आपवू
४१. विशेषण-विशेष्य रुचि
(विभक्ति) स्पृहा
४२. विशेषण-विशेष्य कृदन्त अपादान
४३. वर्तमान कृदन्त सम्बोधन
४४. अलम् | विशेषण-विशेष्य
कार्य-कारण २२. | वर्तमान-कर्तरि+भावे (प्रथमपुरुष) .
धिग् | वर्तमान-कर्तरि+भावे
| बहुव्रीहि | (द्वितीयपुरुष)
| नञ् तत्पुरुष २४. | वर्तमान-कर्तरि+भावे
४९.| द्वन्द्व (तृतीयपुरुष)
गौण नाम षष्ठी २५. वर्तमान-कर्तरि+भावे (नाम) ३१ | ५१. गुजराती+संस्कृत . १०९ २६. वर्तमान-कर्तरि+भावे (नाम) ३२ | ५२.| पत्रम्/पत्रकम्/दलम् . १२७
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________
*
*
*
*
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(अहम्)
हुँ पठन करूं छु अहम्
हुं अटन करूं छु | हुं नमुं छु
हुं पूजा करूं छु | हुं चमकुं छु
हुं छोडी दऊं छु हुं सीखं छु
| हुं खाऊं छु हुं दोरुं छु
३४. हुं खरं छु हुं जागुं छु
हुँ जाप करूं छु हुं उलंघन करूं छु
हुं खुश थाईं छु हुं इच्छं छु
हुं गीत गावं छु हुं परीक्षा( लq) करूं छु
हुं गमन करूं छु हुं प्रयाण करूं छु
हुं देखुं छु । हुं प्रसन्न था, छं . हुं खीलुं छु हुं अनुभवू छु ।
हुं अनुसरूं छु हुं तिरस्कार करूं छु
। हुं अनुभव करूं छु हुं क्रीडा करूं छु .
हुं समर्थ थाउं छु हुं स्मरण करूं छु
हुँ रमुं छु हुं आजीविका चलावं छु
हुं वंदन करूं छु हुं छोडूं छु
हुं भाषण करूं छु हुं विवाद करूं छु
हुं प्राप्त करुं छु हुं दान आपुं छु
हुं रांधुं छु हुं निकळु छु
हुँ इच्छं छु हुं पलळु ( भीजाऊं) छु हुं ध्यान धरूं हुं दुःखी थावं छु
हुँ सेवा करूं हुं चालुं छु
हुं वायूँ छु हुं आचरूं छु
हुं मांगुं छु हुं भणुं छु
हुं लखुं छु. हुं खावु छु
हुं स्पर्श करूं छु हुं रक्षण करूं छु
हुँ कम्युं छु हुं बोलुं छु
हुं आळोटुं छु | हुं रहुं (वसुं) छु
५८. हुं नृत्य करूं छु
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
mij
||२ | (अहम्+आवाम्)
हुं मुंझावु छु
हुं ललचायूँ छु १. हुं पोषण करूं छु
हुं विचार करूं छु हुं शान्त पडुं छु हुं दण्डं छु हुं वर्णन करुं छु
हुँ जाहेर करूं छु ६७. | हुं तोळं छु
हुं शणगारुं छु हुं कथा करूं छु हुं चिन्ता करूं छु हुं दुःख दऊं छु हुं रंगुं छु
हुं शोक करुं छु ७४. | हुं मानुं छु ७५. हुं शी छु ७६. | हुं वखाणुं छु
हुं वर्णq छु हुं प्रवेश करूं छु
हुं बोलुं छु ८०. हुं फरूं छु
हुं जीq छु .
हुं त्याग करूं छु ८३. | हुं निन्दा करूं छु ८४. | हुं सरकुं छु
हुं सम्भालु छु हुं उडुं छु हुं मळु छु हुं तरुं
5 Fror wrr w9 9 9 9 9 9 9 9 9 9 NNN NNNNNN
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ८९. | हुं जोवू छु ९०. | हुं शोभुं छु | ९१. हुं ध्रुजु छु
हुं प्रकाशुं छु
आवाम् . अमे बे नमीए छीए. अमे बे रहीए छीए अमे बे आश्रय लईए छीए अमे बे प्रवेश करीए छीए | अमे बे रचीए छीए | अमे बे अटकीए छीए
अमे बे शोचीए छीए अमे बे चढीए छीए अमे बे प्राप्त करीए छीए अमे बे वेचीए छीए अमे बे ओळंगीए छीए अमे बे शोधीए छीए अमे बे मानीए छीए अमे बे मुकीए छीए अमे बे उखेडीए छीए . अमे बे वावीए छीए अमे बे भेटीए छीए अमे बे आलोटीए छीए अमे बे रोपीए छीए अमे बे मांगीए छीए अमे बे रटीए छीए अमे बे सांचवीए छीए. अमे बे मलीए छीए. | अमे बे लखीए छीए .
04.
.
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
| ५५.
छीए
Wwww
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (अहम्+आवाम्) | ३
अमे बे स्पर्श करीए छीए | अमे बे स्मरण करीए छीए अमे बे खीलीए छीए ५६. अमे बे आजीवीका चलवीए
अमे बे कम्पीए छीए २८. अमे बे आवीए छीए
अमे बे छोडीए छीए |अमे बे नृत्य करीए छीए
अमे बे विवाद करीए छीए अमे बे संतोष पामीए छीए | ५९. | अमे बे दान आपीए छीए अमे बे मुंझाईए छीए
अमे बे निकलीए छीए अमे बे ललचाईए छीए । अमे बे भीजाईए छीए अमे बे पोषण करीए छीए । ६२. अमे बे दुःखी थईए छीए अमें बे विचारीए छीए
अमे बे बोलीए छीए अमे बे पूजा करीए छीए
अमे बे प्रमाद करीए छीए अमे बे शान्त पाडीए छीए अमे बे दीपीए छीए अमे बे दण्ड करीए छीए अमे बे मानीए छीए अमे बे वर्णन करीए छीए अमे बे क्रोध करीए छीए अमे बे जाहेर करीए छीए अमे बे थाकीए छीए अमे बे तोलीए छीए . अमे बे मलिए छीए अमे बे शणगारीए छीए
अमे बे बेसीए छीए अमे बे कहीए छीए
अमे बे पुछीए छीए अमे बे चमकीए छीए
अमे बे आदेश करीए छीए अमे बे शिखीए छीए
अमे बे लखीए छीए अमे बे उल्लंघन करीए छीए अमे बे विचारीए छीए अमे बे दोरीए छीए
अमे बे चोरी करीए छीए अमे बे इच्छीए छीए
अमे बे गणत्री करीए छीए अमे बे परीक्षा करीए छीए अमे बे उडीए छीए अमे बे प्रयाण करीए छीए अमे बे पक्षाल करीए छीए अमे बे प्रसन्न थईए छीए अमे बे गणत्री करीए छीए अमे बे जागीए छीए । | अमे बे इच्छीए छीए अमे बे अनुभव करीए छीए | ८१. | अमे बे घोषणा करीए छीए अमे बे तिरस्कार करीए छीए | ८२. अमे बे रांधीए छीए अमे बे क्रीडा करीए छीए । ८३. | अमे बे प्रश्न पूछीए छीए
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| ४ | (वयम्)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ८४. अमे बे पीईए छीए | ११. अमे राज्य करीए छीए
अमे बे शणगार करीए छीए | अमे यत्न करीए छीए . ८६. अमे बे अनुसरीए छीए
अमे साचवीए छीए . अमे बे रचना करीए छीए अमे बनावीए छीए अमे बे मोह पामीए छीए । अमे श्रृंगार करीए छीए अमे बे चिन्तन करीए छीए अमे मुंझाईए छीए अमे बे नमीए छीए
अमे भरीए छीए अमे बे भणीए छीए
अमे भजीए छीए अमे बे पडीए छीए १९. अमे तपीए छीए अमे बे बोलीए छीए
अमे कंटालीए छीए अमे बे खाईए छीए
अमे निकलीए छीए अमे बे चालीए छीए
अमे हारीए छीए... अमे बे जीवीए छीए
अमे रांधीए छीए अमे बे जपीए छीए २४: अमे खुश थईए छीए |९८. अमे बे निंदा करीए छीए अमे चमकीए छीए ९९. अमे बे सरकीए छीए
अमे शिखीए छीए १००. अमे बे तरीए छीए
अमे उल्लंघन करीए छीए १०१. अमे बे प्राकाशीए छीए
अमे दोरीए छीए
| अमे इच्छीए छीए वयम्
अमे परीक्षा लईए छीए १. अमे नमीए छीए
अमे प्रयाण करीए छीए अमे नृत्य करीए छीए
अमे प्रसन्न थईए छीए ३. अमे अभिमान करीए छीए
अमे जागीए छीए ४. अमे युद्ध करीए छीए
अमे अनुभव करीएं छीए अमे मेलवीए छीए
अमे तिरस्कार करीए छीए अमे वहन करीए छीए
अमे क्रीडा करीए छीए अमे विसामो लईए छीए
अमे स्मरण करीए छीए ८. अमे थाकी जईए छीए
अमे आजीविका चत्ववीए अमे शरण लईए छीए १०. अमे वसीए छीए ३९. अमे छोडीए छीए
छीए
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
४०. अमे विवाद करीए छीए ४१. अमे दान आपीए छीए ४२. अमे भींजाईए छीए
४३. अमे दुःखी थईए छीए
४४. अमे लखीए छीए ४५. अमे स्पर्श करीए छीए
४६. अमे खीलीए छीए
४७. अमे कम्पीए छीए ४८. अमे आलोटीए. छीए
४९. अमें ललचाईए छीए
५०. अमे मुंझाईए छीए ५१. अमे पोषण करीए छीए
५२. अमे विचारीए छीए ५३. अमे पूजा करीए छीए ५४. अमे शान्त, पाडीए छीए ५५. अमे दण्ड करीए छीए ५६. अमे वर्णन करीए छीएं ५७. अमे तोलीए छीए ५८. अमे शणगारीए छीए ५९. अमे कहीए छीए ६०. अमे गर्जना करीए छीए ६१. अमे पार पामीए छीए ६२. अमे सरकीए छीए ६३. अमे त्याग करीए छीए
६४. अमे शोधीए छीए ६५. अमे रचना करीए छीए
६६. अमे रक्षण करीए छीए ६७. अमे घोषणा करीए छीए ६८. अमे चोरी करीए छीए ६९. अमे सिंचन करीए छीए
( वयम् )
अमे प्रवेश करीए छीए
अमे भेटीए छीए
अमे क्रोध करीए छीए
अमे विहार करीए छीए
अमे रडीए छीए
अमे उभा छीए
७०.
७१.
७२.
७३.
७४.
७५.
७६. अमे फरकीए छीए
७७.
७८.
७९.
८०.
अमे विजय पामीए छीए
अमे तरीए छीए
अमे छांटीए छीए
अमे वांछीए छीए
८१.
अमे रहीए छीए
८२.
अमे भणीए छीए ८३. अमे पडीए छीए ८४. अमे बोलीए छीए ८५. अमे खाईए छीए ८६. अमे चालीए छीए ८७. अमे जीवीए छीए ८८. अमे आचरीए छीए ८९. अमे निन्दा करीए छीए ९०. अमे सरकीए छीए ९१. अमे सम्भालीए छीए ९२. अमे उडीए छीए
९३.
अमे मलीए छीए
९४.
अमे जोईए छीए
९५.
अमे शोभिए छीए
९६.
अमे ध्रुजीए छीए
९७.
अमे चमकीए छीए.
९८. अमे प्रकाशीए छीए
•
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________
|६ | (त्वम् )
Al1AI AL
All
ॐ 3
>
2.
.
.
.
.
त्वम् १. | तुं नमे छे २. | तुं भणे छे
| तुं पड़े छे | तुं रक्षण करे छे | तुं बोले छे | तुं त्याग करे छे | तुं कहे छे | तुं पूजा करे छे
तुं अटन करे छे | तुं दोडे छे
तुं जय पामे छे | तुं भेंटे छे | तुं मेळवे छे | तुं मोह पामे छे | तुं माने छे तुं वर्ते छे तुं बोलावे छे तुं जमे छे तुं बनावे छे | तुं झंखे छे तुं रंगे छे तुं हसे छे तुं आवे छे तुं जाय छे तुं मारे छे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
२९. तुं रडे छे ३०. तुं गाय छे ३१. तुं रमत करे छे ३२. | तुं भोजन करे छे
| तुं उपरथी पडे छे । तुं रस्तामां आलोटे छे.. तुं विसर्जन करे छे | तुं जाहेर करें छे. .' | तुं अपेक्षा राखे छे | तुं इच्छे छ | तं वखाणे छे .. | तुं वरसे छे . .
तुं परिवर्तन करे छे ... ४२: तुं शोक करे छे ।
| तुं प्रमोद करे छे तुं महेनत करे छे तुं राज्य करे छे तुं द्रोह करे छे | तुं खुश थाय छे | तुं गोखे छे | तुं परीक्षा करे छे
तुं पोषण करे छे | तुं सारूं वर्तन करे छे | तुं अटके छे | तुं तरे छे | तुं प्रगटावे छे | तुं विजय पामे छे | तुं प्रार्थना करे छे
| तुं तोले छे . ५८. | तुं ध्यान धरे छ
2.
4.
तुं हसे छे
तुं दण्डे छे तुं पीडे छे
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
५९. तुं चाले छे ६०. तुं वसे छे
युवाम्
१. तमे बे नमस्कार करो छो
२.
तमे बे नृत्य करो छो
३.
तमे बे पडो छो
४.
तमे बे नाशी जावो छो
५. तमे बे गुस्से थाव छो
६.
तमे बे शान्त पाडो छो
७.
८.
९.
तमे बे गभरावो छो
१०. तमे बे गोखो छो
तमे बे दोडो छो बेधो छो
११. तमे बे अटन करो छो १२. तमे बे जीवों छो १३. तमे बे शोक करो छो १४. तमे बे कोप करो : छो १५. तमे बे त्याग करो छो १६. तमे बे तरो छो
१७. तमे बे पीडो छो १८. तमे बे लखो छो
१९. तमे बे जमो छो २०. तमे बें दोडो छो २१. तमे बे प्रयाण करो छो २२. तमे बे अटको छो २३. तमे बे सिद्ध थावो छो
२४. तमे बे विहार करो छो २५. तमे बे शोभो छो २६. तमे बे सेवा करो छो
•
( युवाम् ) २७. तमे बे सिञ्चन करो छो २८. तमे बे भागो छो २९. तमे बे प्रवेश करो छो | तमे बे दुःखी थावं छो
३०.
३१. तमे बे शान्त कसे छो
३२.
तमे बे खसो छो
३३.
तमे बे उभा छो
३४.
तमे बे याद करो छो
३५.
तमे बे हसो छो
३६.
तमे बे पालन करो छो
३७. तमे बे मानता नथी
३८.
तमे बे गर्जन करो छो
३९.
तमे बे गांडा थावो छो
४०.
तमे बे निरीक्षण करो छो
४१.
तमे बे निवेदन करो छो
४२.
तमे बे परिहार करो छो
४३. तमे बे प्रसंशा करो छो ४४. तमे बे प्रार्थना करो छो ४५. तमे बे लोभ करो छो ४६. तमे बे तिरस्कार करता नथी ४७. तमे बे स्वाद लो छो
४८. तमे बे फेलाव छो ४९. तमे बे विपरीत बोलो छो ५०. तमे बे इच्छा करो छो ५१.
तमे बे ताबे थावो छो
५२.
तमे बे आबाद थावो छो
तमे बे चरो छो
तमे बे गीत गावो छो
तमे बे जीतो छो
तमे बे क्रीडा करो छो
५३.
५४.
५५.
५६.
.
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
___
_
|८ (यूयम्) . चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ५७. | तमे बे जाप करो छो २८. | तमे भागो छो यूयम्
२९. | तमे विराम ल्यो छो . . .
| तमे प्राप्त करो छो तमे नमो छो
| तमे महेनत करो छो तमे रखडो छो
| तमे वावो छो तमे पूजा करो छो
| तमे मस्त थावो छो तमे चालो छो
| तमे मुंझाव छो तमे तजो छो
| तमे खेद पामो छो .. तमे जीवो छो
| तमे अटन करो छो तमे रक्षण करो छो
| तमे फरो छो तमे वसो छो
तमे खावो छो तमे परिवर्तन पामो छो
३९. | तमे भयो छो तमे अहीं विद्यमान छो
| तमे क्षोभ पामो छो तमे खेद पामो छो
| तमे कथा करो छो तमे खोटी श्लाघा करो छो
तमे निंदा करो छो तमे (संस्कृत) शीखो छो
४३. | तमे वो छो तमे रोष करो छो .
| तमे चोरी करो छो | तमे (अमने) व| छो
| तमे गणो छो तमे माफ करो छो
| तमे आपो छो तमे उठो छो
तमे मंगावो छो तमे उद्धार करो छो
तमे लई जाव छो तमे सर्जन करो छो
तमे चोरो छो तमे विहार करता नथी
५०. | तमे वन्दन करो छो तमे प्रयाण करो छो
तमे रांधो छो . तमे भाषण द्यो छो
तमे हरण करो छो तमे आश्रय लो छो
| तमे पूछो छो तमे गभरातां नथी
| तमे इच्छो छो तमे उद्धार करतां नथी
| तमे सजावो छो तमे झंखो छो
| तमे ( पट्टराणी ने) मलो छो तमे तिरस्कार करो छो
.
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(सः) सः
२९. ते (सूर्य) तपे छे
३०. |ते (शीतलता) आपे छे | ते फेलाय छे
३१. ते राज्य करे छे २. ते तजे छे
| ते गांडो थाय छे ३. ते कम्पे छे
| ते जन्म पामे छ |ते रहे छे
| ते नाशे छे ते विसामो ले छे
| ते प्रकाशे छे |ते उडे छे , .
| ते तपे छे |ते हर्ष पामे छे
ते बले छे | ते तिरस्कार करे छे .
ते दीपे छे ते आदेश करे छे
३९. ते उडे छे ते (अहीं) मस्त छ
४०. ते वसे छे ते वरसे छे .
ते बेसे छे १२. | ते प्रवेश करे छे
४२. | ते नमे छे ते सुकाय छे
| ते भणे छे ते खेद पामें छे
| ते बोले छे ते वन्दन करे छे
ते रक्षण करे छे ते अटकतो नथी
ते फरे छे. ते पोषण करे छे
ते चाले छे ते उल्लंघन करे छ
४८. |ते जय पामे छे ते थाकी जाय छे
४९. | ते जोखे छे ते लोभ करतो नथी
ते रचे छे ते राज्य करे छे
| ते क्रीडा करे छे . ते सेवा करे छे
५२. |ते तरे छे ते वखाणे छे
५३. | ते जाप करे छे | ते जुवे छे
५४. | ते जमे छे ते शिखर पर आरूढ थाय छे|
| ५५. | ते दोडे छे २६. ते (लागणी) अनुभवे छे ।।
| ५६. | ते सरके छे ते (आकाशमां) झबके छ | ते (धन) भेगुं करे छे
M:19*9931
पि
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
१० (तौ)
तौ
ते
*
*
१. ते बे भणे छे २. ते बे पीवे छ ।
ते बे पूछे छे ४. ते बे बतावे छे
ते बे तरे छे ते बे सन्तोष पामे छे ते बे लई जाय छे ते बे भीजाय छे ते बे पडे छे . ते बे नमे छे ते बे पूजा करे छे ते बे जमे छे ते बे पोषण करे छे ते बे नाशी जाय छे ते बे मळे छे ते बे सान्त्वन करे छे ते बे भूले छे ते बे फरे छे ते बे खसे छे ते बे मरे छे ते बे जीवे छे ते बे क्रीडा करे छे ते बे जाप करे छे
बे जुवे छे बे उभा छे
जाय छे ते बे भूले छे ते बे खेद पामे छे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह २९. | ते बे शान्त थाय छे
| ते बे पार पामे छे .. ३१. | ते बे झंखे छे .
| ते बे कहे छे | ते बे प्रवेश करे छ । ते बे दुःखी थाय छे
बे शान्त करे छे. ते बे हसे छे . .. ते बे पालन करे छे | ते बे चोरी करे छे ते बे प्रमाद करे छे
ते बे विहार करे छे ४१. ते बे भाषण करे छे
| ते बे निन्दा करे छे ४३. | ते बे परीक्षा करे छे ४४. | ते बे महेनत करे छे
| ते बे (पाणीथी) तृप्त थाय छे| | ते बे (भगवान्ने ) भजे छे
ते बे (झाड) सळगे छे ४८. | ते बे (चश्मा ) पहेरे छे ४९. ते बे युद्ध करे छे
ते बे मारे छे | ते बे बोले छे
ते बे विजय पामे छे . |ते बे (गरीबी) भोगवे छ ।
ते बे ( दुःश्मनोने) मारता नथी| ५५. ते बे निवेदन करे छे
| ते बे (सोना महोर) गणे छे
| ते बे (आँख) धोवे छे ५८. | ते बे कपट करे छ ।
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
५९. ते बे - ( काँटा ) काढे छे ६०. ते बे (स्थान) ग्रहण करे छे ६१. ते बे कथा करे छे
ते
१. तेओ ( विनयवान् ) छे
२. तेओ (पवित्र) छे
३. तेओ रचे छे
४. तेओ युद्ध करे छे
५. तेओ रोपे छे
६. तेओ महेनत करता नथी
७. तेओ अनुभवें छे
८. तेओ संभळे छे
९. तेओ दण्ड करें छे
१०. तेओ पराजय पामे छे
११. तेओ निन्दा करता नथी
१२. तेओ फरे छे
१३. तेओ खसे छे
१४. तेओ जिते छे
१५. तेओ क्रीडा करे छे
१६. तेओ जाप करे छे
१७. तेओ जमे छे १८. तेओ वरसे छे
१९. तेओ रहे छे
२०. तेओ गणे छे २१. तेओ रक्षण करे छे
२२. तेओ भक्षण करे छे
२३. तेओ चोरी करे छे २४. तेओ जोखे छे २५. तेओ शणगारे छे
२६.
२७.
२८.
तेओ गोखे छे
तेओ शान्त पडे छे
तेओ पालन करे छे
२९.
तेओ गोखे छे
३०.
तेओ लई जाय छे
३१.
तेओ पूरुं करे छे ३२. तेओ ध्यान करे छे
३३. तेओ वखाण करे छे
( ते )
३४. ओ मुके
३५.
तेओ मार्ग काढे छे
३६.
तेओ विद्यमान छे
३७. तेओ सेवा करे छे
३८. तेओ माने छे
३९.
४०.
तेओ वसे छे
तेओ चाले छे
४१.
तेओ नमे छे
४२. तेओ पूजा करे छे
४३. तेओ बोले छे
४४.
तेओ खरे छे
४५.
तेओ त्याग करे छे
४६. तेओ जमे छे
४७. तेओ आलोटे छे
४८. तेओ मळे छे
४९. तेओ प्रश्न पूछे छे ५०. तेओ भजन करे छे ५१.
तेओ भाषण करे छे
५२. तेओ दोडे छे
५३. तेओ चमके छे ५४.
तेओ आपे छे
५५.
तेओ आदेश करे छे
११
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________
____
_
||१२ (कर्ता) ५६. तेओ विचारे छे
कर्ता १. हरेश नमे छे
दीपा खाय छे भरत गाय छे मनिषा बोले छे | मीतेश दोडे छे श्वेता लखे छे कामिनी हसे छे अञ्जु पीवे छे | नीतिन जुवे छे रूपेश गोते छे राजा जाय छे निमेश बोले छे घोडो कूदे छ सर्प करडे छे. मनीष आपे छे | मेनका भणे छे | दिनेश रडे छे हरीश फरे छे भावना नमे छे ज्योति बले छे काजल रमे छे डिम्पल रखडे छे स्नेहल आवे छे सीमा पूछे छे हीना कहे छे दीना चाले छे | रेखा मारे छे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह २८. वृक्ष उगे छे २९. रोहित तरे छे ३०. | सूर्य तपे छे ३१. | निमेश थाके छे
| कूत्तरो भसे छे
| सीता नमे छे. ३४. | मोनीत पडे छे
साधना बेसे छे | राखी बांधे छे
गौरव. मुके छे ३८. | ध्वजा फरके छे ३९. नकुल भूले छे ४०. | किरण झुले छे ४१. नेहा जमे छे
गाय चरे छे ४३. | गधेडुं भूके छे
गाय वागोळे छे | मोहिनी (ऊभी) छे .. | वीणा (बेठी) छे
स्वीटु (सुती) छे ४८. | साप सरके छे ४९. नीता शोक करे छे ५०. संजय याद करे छे
| फुल खीले छे.
| रतिलाल विचारे छे ५३. | धनपाल फेंके छे
कवि रचे छे ५५. प्रवीणा गणे छे
तरुणा झंखे छे ५७. | दिव्या भूले छे.
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
८८.
|चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(गति) | १३|| ५८. | वृक्ष वधे छे
| दमयन्ती झंखे छे ५९. मां रांधे छे
| सोनल जीवे छे ६०. | मीनल सम्भाळे छे
गति कर्म ६१. जुली सम्भाळे छे ६२. | बादल वरसे छे
| ईश्वर जिनालय जाय छे ६३. | पारुल पीवे छे
२. | गिरीश तलेटी जाय छे ६४. | मेघ गाजे छे
| निकिता पालिताणा जाय छे | कमल खीले छे'
| उषा मन्दिर जाय छे चोर लुण्टे छे .
राम अयोध्या जाय छे ६७. अनील आळोटे छे
पारस स्कूल जाय छे |संगीता गाय छे
बबीता बाजार जाय छे | राजा दण्डे छे .
सीता वनमां जाय छे ७०. | व्यापारी तोले छे
निमेश देरासर जाय छे ७१. | समकित गोखे छे
| निलेश शिखरजी जाय छे निखिल डांटे छे
| राखी गिरनार जाय छे लीना वसे छे
१२. | संघ नाकोडा जाय छे ७४. पाणी टपके छे
| बीना भावनगर जाय छे ७५. | पांदडु खरे छे
| राजू दुकाने जाय छ । ७६. लोक निन्दे छे
हनुमान लंका जाय छे नीलेश बोले छे
| विशाल ऊना जाय छे ७८. | कागडो उडे छ ।
गुरुजी हॉस्पिटल जाय छे ७९. चूडी खखडे छे ।
अञ्जना जंगलमां जाय छ ८०. चेरी तजे छे
निमेश कच्छ जाय छे प्रधान खुश थाय छे
| पुष्पा शंखेश्वर जाय छे शीतल गभराय छे
| स्नेहा होटल जाय छे शान्ता स्पर्शे छे
हेमा सरकसमां जाय छे | राखी रखडे छे
| देविका होस्टेल जाय छे ८५. हुं (अहीं) र्छ
| राजा परदेश जाय छे . ८६. प्रवीण कूदे छे
| गुञ्जन डेम जाय छे ८७. प्रीतेश हसे छे
२६. | मेहुल फोरेन जाय छे .
१
१४.
७७.
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
__
३४.
||१४|. (सामान्य कर्म) २७. मोसम घेर जाय छे . २८. गोविन्द पाठशाला जाय छे २९. जील नदीए जाय छे ।
दमयन्ती वनमां जाय छे
रेश्मा कोलेज जाय छे ३२. | मनोज जंगलमां जाय छे
सामान्य कर्म १. अमृत परमात्माने नमे छे
गणेश शंकरने नमे छे कृष्ण कंसने मारे छे गुरुजी आज्ञा आपे छे
बीनल जीनलने कहे छे ६. गौतम वीरने बोलावे छे ७. सूर्य प्रकाश आपे छे ८. सीता गीताने पूछे छे.
मीरा कविता लखे छ । निकीता नृत्य करे छे दीपिका पुस्तक आपे छे
गुरु शिष्यने शिखवे छे १३. | रचना कविता वांचे छे १४. सुतार फर्निचर बनावे छे
राधा रसोई बनावे छे बिलाडी दूध पीवे छे पोपट पाणी पीवे छे वांदरो फल खाय छे राजेश गीत बनावे छे शिष्य गुरुने वांदे छे
| माली पुष्प लावे छे २२. संगीता आंगी रचे छे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
२३. | सासु वहुने धमकावे छे | २४. | बालक चन्द्रने जुवे छे ..
२५. | साधु संसारने तरे छे। | २६. | मीरा कृष्णने पूजे छ
| पिता पुत्रने समजावे छे | कुम्भार घडो बनावे छे ।
झाड छाया आपे छे | अशोक गीत गाय छे . .
| अ.भगवन्त राजो..आपे छे ३२. | बादल पाणी वरसे छे ३३. | सुनीता संतोष पामे छे
| ममता मोह पामे छे . ३५. | दुर्योधन दुःशासनने भेटे छे ३६: | बाहुबली अहंकार त्यजे छे ३७. | कुणाल,सुखने अनुभवे छे ३८. | गोपाल भार उपाडे छे ३९. | पक्षी दाणा चरे छे ४०. राम बाण आपे छे ४१. डॉक्टर दर्दीने वढे छे ४२. अमीर गरीबने मारे छे ४३. | पवन पत्थर फेंके छ ४४. | प्रीतेश धार्मिक भणे छे ४५. | सिपाही चोरने पकडे छे . ४६. नीशा फल तोडे छे
| भमरो फूल सुंघे छे
| निकिता ज्योतिने बोलावे छे ४९. नाविक नदीने तरे छे
| वंकचुल धन लुण्टे छे .
| भीम पहाड खोदे छे ५२. | मीनाक्षी पोपट पाळे छे
_
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
m 3 » 2
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(करण) | १५// ५३. | सरस्वती विद्या आपे छे | २३. | पद्मिनी पगवडे नृत्य करे छे ५४. | नयन नेत्र उघाडे छे | २४. | गरुजी कंकवडे पगलां करे छे ५५. मां अन्न रांधे छे
२५. | श्याम पाणीवडे हाथ धोवे छे करण
२६. | सूर्यना तापवडे कपडां सूकाय | रमेश पेन वडे लखे छे ।
२७. | हुं दण्डासन वडे काजो लऊं | मनीष जीभवडे चाखे छे ३. खुश्बु चश्मावडे जुवो छ
२९. | नाववडे लोको तरे छ | वांदरो पगवडे चाले छे ।
.२९. | वीरनी वाणीवडे लोको धर्म | सोनुं कानवडे सांभळे छ ।
पामे छे | वैशाली कार वडे जाय छे
३०. | किरण स्वेटर वडे ठंडी रोके छे ७. | पूर्वी कातरवडे बाळ कापे छे|
३१. | योधो तलवारवडे युद्ध करे छे ८. | शीतल घडा वडे पाणी भरे छे
३२. | साधु तपवडे कर्म खपावे छे | एकलव्य हाथवडे बाण छोडे
३३. | शिष्य गुरुवडे आगल वधे छे
| ३४. हुं पाणीवडे तरस मटाडुं छु १०. | रोहित पुस्तकवडे भणे छ ।
| हुं नवकारवाडी वडे जापकरूं ११. | कृष्ण हाथवडे वांसली प्रकडे
३६. | पक्षीओ पांख वडे उडे छे १२. | निकुंज आंखवडे T.V. जुवे
३७. | क्षमावडे धर्म टके छे
३८. | वृक्ष पाणी वडे उगे छ । १३. | रवि कार वडे दुकान जाय छे|
३९. | जया साईकल वडे आवे छे १४. भानु बोल वडे रमे छे ।
४०. | ते कटासणावडे सामायिक १५. | जिज्ञा पेन्सिलवडे दोरे छे
करे छे १६. आचार्य शिष्योवडे शोभे छे
हुँ रजोहरण वडे जयणा पालुं १७. | निर्मल दूरबीनवडे जुवे छे १८. लाकडी वडे चोरने मारे छे
स्त्री आभूषण वडे शृंगार करे १९. | हुं पुष्पोंवडे प्रभुने पूनुं छु । २०. | नीता श्रद्धावडे भक्ति करे छे|
४३. | हुं मनवडे वाक्यो विचारूं छु २१. संघ बसवडे जाय छे ४४. | जीवो पाणीवडे जीवे छे २२. | हुं मुख वडे भोजन करूं छु | ४५. | शायर पेनवडे शायरी लखे छे
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________
जाय छे
१८.
|| १६ | (सह)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह किशोर किताब वडे भणे छ | | लग्न करे छे |४७. | कृपा साबुवडे कपडां धोवे छे | १२. | सीता गीता साथे बजार जाय नीला मशीनवडे पुस्तक छापे
| रावण मन्दोदरी साथे नृत्य करे लुहार अग्निवडे लोढुं तपावे छे | २०. चन्द्रमा शीतलता वडे शोभे छ | १४. | पाण्डवो मुनिओ साथे वनमां डॉक्टरवडे हॉस्पिटल शोभे छ |
| जाय छ पेट्रोलवंडे वाहान चाले छे | १५. | शीला नीला साथे स्वाध्याय व्यापारी त्राजवावडे तोले छे करे छे . नह्वण जलवडे श्रीपालनो | १६. | बीना लीना साथे वरघोडामां | कोढ जाय छे माणसो नाववडे नदी तरे छे | १७. हुं गरुजी साथे धर्मकथा करूं सह
सैनिको दुश्मन साथे लडे छे १. सीतानो राम साथे पत्नीनो |
१९. | मृगावती चन्दना साथे समसम्बन्ध छे
वसरणमां जाय छे २. | मुगट साथे कुण्डल शोभे छे
२०. | पाणी दूध साथे मिश्र थाय छे पुण्डरीक स्वामी मुनिओ साथे
२१. | गुरु शिष्य साथे प्रभु भक्ति मोक्षमां गया
करे छे ४. आ. भ. मुनिओ साथे विहार
२२. | अर्जुन कृष्ण साथे जय पामे करे छे कृष्ण शेषनाग साथे रमे छे । २३. ममक्ष परिग्रह साथे संसार शीला नीला साथे फरे छे
| त्यागे छे | मेहुल गुंजन साथे जमे छे
| आत्मा साथे शरीर छे |लाल रंगनी साथे लीलो रंग
राजु सूरज साथे बहार जाय छे जामे छे
भाई साथे भाभी झगडे छे । कमल कादवनी साथे रहे छे
| साहेबजी भगवान् साथे वात नल राजा दमयन्ती साथे
करे छे वनमां जाय छे
२८. दीपक साथे ज्योत बले छे | अमर कुमार गुणमंजरीनी साथे |
| २९. | जिज्ञा साथे बिन्दु निन्दा करे छे
; i
२६. |
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
छे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(सह) | १७ ३०. | मोनित मयूर साथे गभराय छे| ५३. | योगिता साथे पिंकी आवे छे। ३१. देव साथे अप्सरा आवे छे । ५४. आशा साथे पुष्पा वातो करे
| जमाई सासु साथे वातो करे छे ३३. | हेतल हितेश साथे चढे छ । ५५. | वर्षा साथे हर्षा जाप करे छे
| केरी पांदडां साथे पडे छे । ५६. | मोनिका मोनित साथे क्रोध ३५. | मयूर ढेल साथे क्रीडा करे
छे करे छे ३६. सीमा दिया साथे स्कूल जाय ५७. पुण्य साथे पाप छे
| ५८. | पाटा साथे दसी ढांके छे छोकराओ वानरांओ साथे रमे . ५९. | सापडा साथे चोपडी छे
६०. | फुल साथे अक्षत छे बालक मां साथे जमे छे । ६१. | तीर साथे कामठु छे | भक्त साथे भंगवान् होय छे | ६२. | रथ साथे बलद छे
संयोग साथे वियोग होय छे | ६३. | बारणा साथे स्टोपर छे
| कविता साथे रचना लखे छे| ६४. | घडा साथे काचली छे ४२. नेहा दिशा साथे लाडवो खाय ६५. | पातरा साथे तरपणी छे
६६. विनय साथे विद्या छे ४३. | माली साथे मीना बगीचामां| ६७. | गुरु साथे शिष्य छ। जाय छे
६८. | रीना साथे सविता छ ४४. | योगेश साथे जयेश पडे छ । | ६९. | टेबल साथे खुरशी छे ४५. श्याम स्वीटी साथे पूजा करे ७०. ताला साथे चावी छे
| चन्द्र साथे ताराओ छे ४६. राणी साथे राजा नमे छे । | ७२. | गुलाब साथे कांटाओ छे ४७. | सीमा साथे राजू रक्षण करे छ। ७३. | चम्पा साथे चमेली छे ४८. राकेश साथे हितेश दोडे छे । ७४. साप साथे नोलियो झगडे छे अर्पित साथे अंकित चोरी करे| ७५. भीष्म साथे गंगा छे
७६. | तीर्थंकर साथे प्रातिहार्यो छे ५०. | अक्षय साथे आकाश हसे छे| ७७. | अकबर साथे बिरवल छे ५१. किरण कृपा साथे फरे छे । ७८. हुमायु साथे कर्णावती छे ५२. | पारस साथे परेश नवकार गणे| ७९. | | साईकल साथे स्कूटर छे
८०. | व्हील साथे ब्रेक छ।
७१. ।
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
||१८| (सम्पादन माटे) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ८१. बन्दुक साथे गोली छे | १२. अनिल देवी माटे हार लावे छे ८२. अप्पु साथे हाथी छे
१३. | दीना प्रभु माटे पुष्पो लावे छे ८३. | ट्रेन साथे इंजेन छे १४. | सुरेश पूजा माटे केसर लावे छे | ८४. सुख साथे दुःख छ
| राम सीता माटे युद्ध करे ले ८५. अणु साथे परमाणु छे | मेकना पोपट माटे दाणा लावे
|वींटी साथे हिरो छे
केवली साथे केवल ज्ञान छ | १७. माया महेमान माटे सीरो करे छे| ८८. जन्म साथे मरण छे | १८. लीना दीना माटे खोटी थाय
|दुर्जन साथे सज्जन छ । ९०. मरुभूति साथे कमठ छे | १९. भिखारी पेट माटे रोटी मांगे छ। ९१. बरसाद साथे बिजली चमके | २०. साधना जात्रा माटे पर्वत चढे
८९.
3
सम्प्रदान (माटे)
गरीब पेट माटे मजुरी करे छे|
२२. | वीरभाण उदयभाण माटे प्राण १. हुं रीना माटे पेन लावू छु ।
आपे छे. २. मीना शीला माटे डॉक्टर लावे |
| २३. | विद्या माटे विदुष किताब
लावे छे ३. स्मिता श्वेता माटे रमकडां लावे | २४. हीना माटे माँ पर्स लावे छे
विणा माटे विवेक दिल्ली जाय ४. | साधु मोक्ष माटे संसार त्यागे छे | साधु शासन माटे प्राण आपे
शीला माटे सरला मिठाई लावे ६. माँ बालक माटे रडे छे
| टीना रीना माटे स्वेटर लावे छे ७. बहेन भाई माटे रसोई करे छे |
राजा कवि माटे भेंट लावे छे भूख्यो भोजन माटे तडपे छे |
| राजा गरीब माटे फल लावे छे तरस्यो पाणी माटे तलसे छे
| हुं कल्याण माटे धर्म करूं छु राजेश पूनम माटे साडी लावे
३०. | बहेन भाई माटे राखी लावे छे|
३१. भीष्म पिता माटे राज्य तजे छे शिष्य गुरुजी माटे गोचरी लावे
३२. | श्रावक साधु माटे कांबली
लावे छे . .
२७. टीन
wh
@
*
२९.
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत- भव्य वाक्य संग्रह
८.
(आपवुं ) १९ सूरज छायाने चश्मा आपे छे ९. सूर्य जगतने प्रकाश आपे छे माँ बालकने प्रेम आपे छे ३४. माली फुल माटे बगीचामां ११. चन्द्र जगत्ने शीतलता आपे जाय छे
३२. कुंती रंग माटे कलर लावे छे ३३. यात्रिको यात्रा माटे आबु जाय छे
१०.
छे
दहिं वडां जीभने स्वाद आपे
छे
३५. हंसा बुद्धि माटे बदाम खाय
छे
३६. राजा राणी माटे अंगूठी लावे १३.
. १४.
छे ३७. शबरी राम माटे बोर लावे छे ३८. पविता कवित माटे ऊभी छे ३९. केतना माटे चेतना गिफ्ट लावे छे
आपवुं
१. रेश्मा रमीलाने पेन आपे छे २. आ. भ. श्रावकोने व्याख्यान आपे छे
१७.
४०. शिष्या गुरुजी माटे सर्मपण १८.
भाव लावे छे..
१९.
४१. नर्स दर्दी माटे दवा लावे छे.
२०.
४२. नमिता नम्रता माटे रडे छे
२१.
२२.
३. नकुल सहदेवने धन्यवाद आपे छे
४. द्रोणाचार्य पाण्डवोने विद्या आपे छे
गुरु शिष्यने शिक्षा आपे छे ६. काका काकीने लाकडी आपे
छे
१२.
७.
| मामा मामीने मिठाई आपे छे
१५.
१६.
पिता पुत्रने आशीर्वाद आपे छे साहेब विद्यार्थीने ज्ञान आपे छे
२५.
२६.
२७.
पिता पुत्रीने दहेज आपे छे
गुरु शिष्योने शिखामण आपे
छे
२८.
वर कन्याने वींटी आपे छे
नदी तरस्याने पाणी आपे छे
सेवा माणसने मेवा आपे छे
नेहा स्नेहाने कुण्डल आपे छे
माँ बालकने लाडवो आपे छे
२३. भीम अर्जुनने शाबासी आपे छे
सुखियो दुःखियाने आश्वासन आपे छे
२४. | मलयासुन्दरी महाबलने | नवलखो हार आपे छे
गुरु शिष्यने कामली आपे छे
एकलव्य द्रोणाचार्यने गुरु दक्षिणा आपे छे
बिरबलने अकबर सूचना आपे छे
युधिष्ठर दुर्योधनने राज्य आपे
छे
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
२० (रुचि)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह २९. दीपा गायने घास आपे छ । ११. श्वेताने रंग गमे छे ३०. पूजारी मयणाने केसर आपे छे | १२. | दिव्याने साहित्य गमे छे ३१. संघ साधुने पदवी आपे छे | १३. क्रोधीने क्रोध गमे छे
रीना रीकुने सहाय आपे छे | १४. दर्दीने दवा गमे छे ३३. भाई बहेनने विदाय आपे छे | १५. | राणीने अलंकारो गमे छ ।
आचार्य भगवन्त दीक्षार्थीने १६. नारीने शृंगार गमे छे
रजोहरण आपे छे . १७. भक्तने भगवान् गमे छे ३५. गुरु शिष्यने आशीर्वाद आपे छे | १८. | पुत्रीने शिखामण गमे छे . .
| राजा गरीबने धन आपे छे । १९. | माछलीने पाणी गमे छे ३७. व्यापारी ग्राहकने माल आपे छे | २०. देवने देवलोक गमे छ ।
टीना मीनाने चोकलेट आपे छे | २१. | भमराने पुष्प गमे छे । सासु वहुने दुःख आपे छे | २२. | साधुने विहार गमे छे. पोस्टमेन मेनाने टपाल आपे छे | २३. | कमलने सरोवर गमे छे. घडीयाल अमने टाईम आपे छे | २४. - राजाने राज्य गमे छे गायक पब्लिकने आनन्द आपे | २५. अभयने संयम गमे छे
| २६. | मीराने भजन गमे छे छाया मायाने बॅग आपे छ । २७. प्रजाने राजा गमे छे विरल विरागने चेक आपे छे | २८. | कृष्पाने वांसली गमे छे रुचि
२९. सिंहने गुफा गमे छे
३०. रामने न्याय गमे छ । मने मोक्ष गमे छे
३१. | मने वैयावच्च गसे छे सुश्मीताने आंगी गमे छे
| दिनाने मुसाफरी गमे छे गुरुम.ने वाचना गमे छे
| जमाईने घेबर गमे छे बिरलने अध्ययन गमे छे
३४. मनिषने क्रिकेट गमे छे चोरने चोरी गमे छे
३५. | पंकजने पार्टी गमे छे रञ्जितने गीत गमे छे
३६. | मेहुलने पेंटींग गमे छे जस्माने जलेबी गमे छे
३७. | कंजुसने धन गमे छे स्नेहाने स्तवन गमे छे
साधुने क्रिया गमे छे ९. श्रेयांसने भक्ति गमे छे
३९. | पण्डितजीने अभ्यास गमे छे १०. करुणाने दया गमे छे ४०. भूख्याने भोजन गमे छे
WWW W W w
३८.
o
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
४१. तरस्याने पाणी गमे छे
४२. मालीने फूल गमे छे ४३. कविने काव्यो गमे छे
४४. दीपाने दिपक गमे छे
४५. बिलाडीने ऊंदर गमे छे ४६. रचनाने कविता गमे छे
४७. श्रावकने धर्म गमे छे
४८. मीनलने रमकडां गमे छे
४९. जीनलने मूर्ति गमे छे ५०. स्नेहलने कार गमे छे ५१. वानरने फूल गमे छे ५२. सोनलने टी.वी. गमे छे
५३. रीनाने मयूर गमे छें ५४. दीपालिने घडियाल गमे छे
५५. भाविकोने भक्ति गमे छे ५६. देवांगनाओने नृत्य गमे छे ५७. पोपटने मरचुं गमे छे
५८. गुरुजीने जाप गमे छे ५९. वनिताने विनय गमे छे ६०. प्रभुने सर्वनुं कल्याण गमे छे ६१. मने प्रभु मुखडुं गमे छे ६२. पतंगियाने ज्योत गमे छे ६३. चक्रवाकने चक्रवाकी गमे छे ६४. साधुने इर्या समिति गमे छे ६५. शरीरने अनुकुलता गमे छे ६६. शरीरने सेवा गमे छे ६७. राणीने हिंचको गमे छे
स्पृहा
१. हरेश मोक्षने झंखे छे
२.
३.
४.
५.
६.
७.
८.
९.
१०.
११.
१२.
१३.
१४.
१५.
१६.
१७.
२०.
२१.
( स्पृहा ) २१
१८. कैदी मुक्तिने झंखे छे
१९. अपंग लाकडीने झंखे छे
२२.
२३.
२४.
दुःखियो सुखने झंखे छे
गरीब धनने झंखे छे
व्यापारी धनने झंखे छे
दमयन्ती नलने झंखे छे
मुनि मोक्षने झंखे छे
मुमुक्षु संयमने झंखे छे
रोहित प्रभुदर्शनने झंखे छे
चातक वरसादने झंखे छे
पब्लीक गायकने झंखे छे
कबुतर दाणाने झंखे छे
गाय घासने झंखे छे
दर्दी डॉक्टरने झंखे छे
विद्यार्थी पाठने झंखे छे
देवता व्रतने झंखे छे
अञ्जना पवनने झंखे छे
भिखारी रोटलीने झंखे छे
बिलाडी दूधने झंखे छे
मैना पोपटने झंखे छे
श्रावक सामायिकने झंखे छे
नारकनाजीवो शान्तिने झंखे छे
देवकी पुत्रने झंखे छे
२५.
अनाथ प्रेमने झंखे छे २६. बंदर जामुनने झंखे छे २७. वीणा आईस्क्रीमने झंखे छे २८. मुनि मौनने झंखे छे २९. एकलव्य द्रोणाचार्यने झंखे छे ३०. मलया सुन्दरी महाबलने झंखे
छे
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
३२.
ॐ 3 ;
25
||२२] (अधिकरण) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह अधिकरण
२९. | मैसूरमां गार्डन छे
३०. अग्निमां जीव छ । १. ध्वजामां चक्र छे
३१. उपधिमां संथारो छे अढी द्वीपमां जम्बूद्वीप छे
| वाणीमां मीठास छ महा विदेहमां सीमंधर स्वामी छे | ३३. | वींटीमां हीरो छे ओघामां अष्ट मङ्गल छे
३४. | लाडवामां मेवो छ पेनमां साही छे
| पाण्डवोमां संप छ । घडियालमां नंबर छ
अञ्जनामां शीयल छे .. भगवान्मीं करुणा छे
| मूर्तिमां सौम्यता छ गुफामां सिंह छे
| साडीमां फोल छे साडीमां डिझाईन छे
३९. | गुरुजीमां गम्भीरता छ | सागरमां.माछली छे
४०. | त्यागमां मोक्ष छे | चोपडीमा वार्ता छ
| संयोगमां सुख छ | व्यापारीमां लोभ छे
४२. वियोगमां दुःख छ तपेलीमां दूध छे
| तपमां तेज़ छे गुरुमां उदारता छे
४४. | संयममां सुख छ नवकारमा सार छे
४५. दुःखमां दर्द छे | सत्यमां जय छे
४६. | रोगमा पीडा छे | केरीमा मीठास छ
| श्रावकमां विनय छे | गौशालामां गायो छे
गरिबमां दरिद्रता छ १९. जेलमां कैदी छे
| चारित्रमा सुवास छ २०. लाईटमां पावर छे.
५०. | सेवामां मेवा छे २१. | मोरमां कला छे
| आभूषणमां हीरा छे २२. | पुष्पमां सगन्ध छे
| दुर्जनमां दुर्गुण छे । रसमलाईमां दूध छे
५३. | कूवामां पाणी छे उपाश्रयमां गुरुदेव छे
५४. | दुकानमां नोकर छे | शिखरजीमां पार्श्वनाथ छे
५५. | हॉस्पिटलमां नर्स छे | मोक्षमां वीर प्रभु छे
| स्टेशनमा गाडी छे | जम्बूद्वीपमां भरत क्षेत्र छे
५७. | गाडीमां कोलसा छ २८. संस्कृतमां वाक्यो छे
५८. | देरासरमां मूर्ति छ ।
o crores and
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(सम्बोधन) | २३|| ५९. पर्समां पैसा छे
९. पूजारीओ ? तमे दरवाजो ६०. आल्बममा फोटो छे
क्यारे उघाडशो ? | केमेरामां रोल छे
११. | हे मुनि ! तमे भूला पड्या | थालीमां रोटली छे
छो? ग्लासमां शरबत छे ११. | हे सागर ! तारु पाणी खारूं सर्पमां विष छे
| केम छे ? हाथीमां मान छे
| सन्नी ! तुं कोनो फोटो पाडे ६५. | दीपकमां ज्योत छे
छे ? खाणमां सोनु छ १३. | हे भ्रमर ! तुं पुष्पमां केम | रावणमां शक्ति छ ।
लोभाई जाय छे ? ६८. | गौतममां लब्धि छे
हे सोनी ! तुं सारा घाट घडे छे | संसारमां दुःख छे
साहेब ! मारां वाक्यो सांभ| देहमां रोग छे
लशो ? | साधकमां समता छ १६. | गुरुदेव ! हुं तलाटी जावं ? ७१. | माँमा ममता.छे
१७. | नीला ! तुं फरवा जाय छे ? सम्बोधन .
१८. | अङ्किता ! तुं शुं करवा जाय
छे ? हे माणसो ! तमे नमन करो छो| १९. | अर्पिता ! तारे आपq जोईए हे माणसो ! तमे दुःखी थाव २०. | प्रदीप ! तं परदेश जा
मन्त्रिश्वर ! तमारो निर्णय शुं | हे प्रभु ! तुं मारी साथे क्यारे| छे? | बोले छे ?
| २२. | राजन् ! तमारो जय छे .४: | हे देवताओ ? तमे क्यां जाव
| प्रजाजनो ! तमारुं वचन छो ?
मान्य छे | सखी ! तुं शिखरजी जईने
दीपिका ! तुं देरासरमां बेस आवी ?
| दीप्ति ! तुं एक नृत्य करे छे ? | राज कुमारो ! तमे शिकार
| प्रभु ! मने सहन शीलता करवा न जशो ?
आपो ७. गुरुदेव ? मने भणावशो ? | २७. शामलीया लाल ! मने मकी ८. हे कोयल ! तारे गावं जोईए तमे क्यां जाव छो ?
.
ता.छ
3 .
२५. २६.
.
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________
||२४] (सम्बोधन)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह २८. |हे ध्वजा ! ऊचे फरकीने तुं शुं| भणीश ? कहेवा मांगे छे ?
४४. | राधा ! आपणे वन्दन करवा हे कोश्या ! समुद्र मर्यादा मुके
| जईशं? | तो पण हुं डगवानो नथी ।४५. | हे गुरुजी ! आपणो विहार | हे शालीभद्र ! आप ३२ नारी क्यारे थशे ? |लईने घरमां केम बेठां छो ? | रीना ! आपणे गरीबने दान हे स्थुलीभद्र ! ते घणुं दुष्कर | करीए कर्यु
साहेब ! देवलोकमां केवा हे धन्नामुनि ! तमे धन्य मानव विमान छे ? भवने पाम्यां
| मीना ! नरकमां दुःख होय छे | ३३. हे प्रभु ! बालपणमां तमे | ४९. | मोना ! तुं बजार जाय छे ? अमारां स्नेही हतां
५०. सोना ! आपणे क्यारे जईशं? ३४. हे नारद ! तमे द्रोपदीने क्यां ५१. हे भद्रेश ! तुं बेनने नथी याद |संताडी छे ?
करतो ? हे प्रजाजनो ! पांचालीने कोई | ५२. | इलाची ! तुं दोरडा पर नाचे छे|
उठावी गयुं छे ३६. अरे सुदर्शन ! तने आ कलंक ५३. | चंदना ! तुं क्यारे पारणुं करीश |शा माटे ?
? . हे बादल ! तुं वरसीने घराने ५४. | सूरज ! त्तुं निशाने भूली गयो | भीजाव हाथ ! तुं हवे के टलुं. ५५. | प्रभुजी ! हुं क्यारे तरीश ? लखीश?
| ५६. मेना ! तुं क्यारे बोलीश ? ३९. हरीश ! तुं आगल क्यारे ५७. सर्प ! तुं झेर क्यारे चुसीश ? वधीश ?
५८. पारुल ! तुं कई कॉलेजमा |सोनल ! आपणे अमेरिका हती ? | क्यारे जईशं?
| हे लोको ! मारो अरणीक क्यां| प्रभु ! मारो मोक्ष क्यारे थशे ? छे ? हे नेम ! तमे पाछा के म ६०. हे मदारी ! वांदरो केलुं क्यारे फर्या ?
खाशे ? ४३. साहेब ! हुं व्याकरण क्यारे ६१. हे कुन्ती ! तें वरदान मांग्यु
४२.
Page #30
--------------------------------------------------------------------------
________________
छ ?
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (विशेषण-विशेष्य) २५/ हतुं ? .
| १६. लाम्बी पेन ६२. श्रीपाल ! तुं आरती उतार | १७. | गांडो गधेडो ६३. | हे राजा ! तारे देवलोकमां जq| १८. | होशियार प्रीतेश
१९. | बलवान् राजु ६४. हे मीरां ! तुं कृष्णने भजे छे| २०. | लडु चोर गणेश ६५. भूत ! तुं बालकने डरावे छे| २१. | कालो, कृष्ण
| रोहिणिया चोर ! तुं कानमांथी| २२. | पराक्रमी अर्जून | आंगली काढ
२३. | तीखां मरचां ६७. | नीति ! तुं स्तवन बोल .२४. | ऊचो पर्वत ६८. चेरी ! तुं क्यारे यात्रा करीश ? २५. | सुन्दर बगीचो
| हे गुरुदेव ! आप आज्ञा २६. | ऊंडो कूवो फरमावो
२७. | मोटी दुकान ७०. हे मीना ! तुं शुं विचारे छे ? २८. वफादार कूत्तरो विशेषण-विशेष्य २९. | देखावडी ढिंगली
| पोचुं पपैयुं १. | लीला पार्श्वनाथ
नाचतो मोर २. काला नेमनाथ
| शान्त साधु ३. गुलाबी बटवो :
३३. | चिकणु तेल ४. लाल घोडो
३४. | खाटी पिपरमेन्ट ५. सफेद हंस
३५. | सपाट जमीन लीलां पान
लाम्बो जमाई ७. काळो नाग
| दोडती छोकरी सुगन्धी मोगरो
३८. | पीळो हळवो ९. स्वादिष्ट समोसा
३९. | शीतल चन्द्र १०. | घटादार वृक्ष
चंचल चोर | तेजस्वी सूर्य
| ठण्डी कोफी १२. | तपस्वी मुनि
४२. | कडवं कारेलु २३. शान्त मूर्ति
४३. | गरम कामळी १४. गम्भीर गुरुजी
४४. लाम्बो चोटलो १५. लाल फूल
४५. | रेशमी बाल
११.
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
||२६] (विशेषण-विशेष्य) ४६. लटकाली लता ४७. सुगन्धी चन्दन ४८. गुणीयल शिष्या
लाल पात्रा फरकती ध्वजा सोनेरी फेम . मीठी केरी खाटी द्राक्ष काळो सापडो केसरी ध्वजा सफेद पाट गुलाबी पेन पीळु पेपर खारुं पाणी सुन्दर घर मनोहर बगीचो विशाल मकान
मोटुं सरोवर | रातुं कमल वागतुं टेप चालतो पंखो सफेद दूध परम भक्त डाह्यो माणस गुणीयल श्रावक गम्भीर समुद्र लाम्बु झाड मोटी टुंक गरम मसालो नानुं आसन
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ७६. सफेद पाकिट ७७. झेरी सर्प ७८. लीलो पोपट
ज्ञानी गुरु वि.वा. साध्वी सती सीता दोडतुं स्कूटर . |सुन्दर स्कूल .. झगमगतुं देरासर धार्मिक पाठशाला वीतराग प्रभु त्यागी राम . . | परमात्मा वीर
सुन्दर चमेली ९०. | काली,माटी
लीला पिस्ता ९२. सफेद दांत ९३. मुलायम साडी ९४. लाम्बो ऊंट ९५. मायावी माणस ९६. दयालु शेठ . ९७. | भूरी गाय . ९८. | पचरंगी ऊन ९९. | जिद्दी सोनु १००. मीठो मोदक १०१. सत्यवादी हरिशचन्द्र १०२. भोली बहु १०३. आझाद पक्षी १०४. भव्य आंगी | १०५. गुलाबी गुलाब
डा
.
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान कर्तरि भावे...) | २७ १०६, लीलो बाम
१२०. बहादुर शेर १०७/ पवित्र गङ्गा
१२१. प्रशस्त राजा १०८ सुखी प्रजा
१२२. तीक्ष्ण बुद्धि १०९, न्यायी राजा
१२३. कोमल काया ११०. बलती आग
१२४. काचो मार्ग १११. खीलती कली
१२५. ममतालु माता ११२. जीन्स पेण्ट
१२६. प्रेमालु पिता ११३. नटखट गुड़ियाँ
१२७. निर्मल जल ११४. झुलतो पुल
१२८. रंगीन टी.वी. ११५. वहेती नदी
१२९. अपार सम्पत्ति ११६. भोलो शंकर
१३०. घोर उपसर्ग ११७. रूपाळी राधा
१३१. तरुण वय ११८, उदास रवि
१३२. पावन शीला ११९. मधुर वाणी
१३३. डुबती नैया . वर्तमान कर्तरि + भावे (प्रथम-पुरुष) | हुं नमुं छु .. . १. |मारा वडे नमाय छे | हुं पुरुं करूं छु
२. |मारा वडे पुरूं कराय छे ३. हुं बारीकीथी जोवू छु
३. मारा वडे बारीकीथी जोवाय छे | हुं यत्न करूं छु
मारा वडे यत्न कराय छे हुं हुकम करूं छु
|मारा वडे हुकम कराय छे हुँ उद्धार करुं छु
मारा वडे उद्धार कराय छे हुं आश्रय लq छु
|मारा वडे आश्रय लेवाय छे हुं मांगुं छु
मारा वडे मंगाय छे हुं रोकुं छु
मारा वडे रोकाय छे हुं विचारुं छु .
मारा वडे विचारय छे हुं गोतुं छु
मारा वडे गोताय छे | हुं काढुं छु
मारा वडे कढाय छे | हुं जीतुं छु
मारा वडे जीताय छे हुं मारूं छु
१४. मारा वडे नचाय छे
*3
;
&
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
C) hoy thc) •hc)
| २८ (वर्तमान कर्तरि भावे...) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह हुं नाचुं छु
१५. | मारा वडे अपाय छे हुं आपुं छु
| मारा वडे आदेश अपाय छे हुं आदेश आपुं छु
मारा वडे वखाणाय छे . हुं वखाणुं छु
मारा वडे रटाय छे हुं रटुं ( रटण करूं) छु मारा वडे शणगाराय छ । हुं शणगारूं छु
मारा वडे भूलाय छ : हुं भूलुं छु
मारा वडे मराय छे. हुं चालुं छु ।
मारा वडे चखाय छे . . हुं सिद्ध थाq छु
मारा वडे सिद्ध थवाय छे हुं चमकुं छं .
मारा वडे चमकाय छे हुं जय पामुं छु
मारा वडे जयपमाय छे हुं गणुं
मारा वडे गणाय छे. हुं निन्दा करूं छु
मारा वडे निन्दा कराय छे हुं क्रोध करुं छु
मारा वडे क्रोध कराय छे हुं स्पृहा करूं छु
वड़े स्पृहा कराय छे ३०. हुं खावू छु
मारा वडे खवाय छे. हुं हर्ष पामुं छु
मारा वडे हर्ष पमाय छे हुं रहुं छु .
मारा वडे रहेवाय छे हुं वन्दन करूं छु
| मारा वडे वन्दन कराय छे हुं तिरस्कार करूं छु ३४. | मारा वडे तिरस्कार कराय छे हुं जावू छु
३५. | मारा वडे जवाय छे वर्तमान कर्तरि + भावे (द्वितीय पुरुष) १. | तुं दीपे छे
१. तारा वडे दीपाय छे । २. | तुं दुःख दे छे
२. | तारा वडे दुःख देवाय छ । ३. | तुं प्रशंसे छे
तारा वडे प्रशंसाय छे | तुं विपरीत बोले छे
तारा वडे विपरीत बोलाय छे | तुं रोपे छे
तारा वडे रोपाय छे . तुं तोले छे
तारा वडे तोलाय छे | तुं त्याग करे छे
७. | तारा वडे त्यांग कराय छे
Call.sal.la.ca
» » »
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान कर्तरि+भावे...) | २९|| ८. |तुं क्रोध करे छे
तारा वडे क्रोध कराय छे ९. तुं लई जाय छे
| तारा वडे लई जवाय छे १०. | तुं प्रकाशे छे
तारा वडे प्रकाशाय छे ११. तुं दोडे छे
तारा वडे दोडाय छे १२. | तुंबळे छे
तारा वडे बलाय छे १३. | तुं मळे छे
वडे मलाय छे १४. | तुं लखे छे
वडे लखाय छे १५. | तुं नाशे छे
तारा वडे नशाय छे | तुं वरसे छे
तारा वडे वरसाय छे तुं वा छे
तारा वडे ववाय छे | तुं धोवे छे
तारा वडे धोवाय छे तुं ध्यान करे छे
तारा वडे ध्यान कराय छे तुं उडे छे
तारा वडे उडाय छे तुं भणे छे ...
तारा वडे भणाय छे | तुं फरे छे ।
तारा वडे फराय छे करे छे
तारा वडे कराय छे २४. तुं पडे छे
तारा वडे पडाय छे तुं रडे छे
तारा वडे रडाय छे तुं खरे छे
। वडे खराय छे २७. | तुं आचरे छे
वडे आचराय छे २८. | तुं त्यजे छे.
| तारा वडे त्यजाय छे २९. | तुं गणत्री करे छे
तारा वडे गणत्री कराय छे तुं जपे. छे.
३०. तारा वडे जपाय छे .. ३१. | तुं फरके छे
३१. | तेना वडे फरकाय छे . वर्तमान कर्तरि + भावे (तृतीय पुरुष) १. | ते पामे छे
| तेना वडे पमाय छे | ते गाय छे
तेना वडे गवाय छे ते पूछे छे
तेना वडे पूछाय छे | ते तरे छे
तेना वडे तराय छे
All Cell Cell
Tara
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
३०
. ( वर्तमान कर्तरि + भावे... ) चिन्तन हैम संस्कृत- भव्य वाक्य संग्रह
५. ते निरीक्षण करे छे
५. तेना वडे निरीक्षण कराय छे ६. तेना वडे मस्त बनाय छे
६. ते मस्त बने छे
७. ते वहन करे छे
७.
तेना वडे वहन कराय छे.
८. ते शोभा करे छे
८.
तेना वडे शोभा कराय छे
९. ते आह्वन करे छे
९.
तेना वडे आह्वन कराय छे
१०.
तेना वडे विसर्जन कराय छे
१०. ते विसर्जन करे छे ११. ते प्रेरे छे
१२. ते श्लाघा करे छे
१३. बालक रमे छे
१४. राधा दोडे छे
१५. मोहन भणे छे
१६. जिज्ञा विचारे छे
१७. सोना हसे छे
१८. तीतली उडे छे १९. गाय चरे छे
२०. साप करडे छे
२१. मोना भरे छे
२२. सैनिक लडे छे
२३. भमरो सुंघे छे
२४. मोर नाचे छे २५. प्रधान आपे छे
२६. भीक्षु मांगे छे
२७. नदी वहे छे
२८. वन बळे छे
२९. मीरा भजे छे
३०. संघ प्रयण करे छे
३१. मेना प्रसन्न थाय छे
३२. गुरु म०सा० गाय छे ३३. विमान उडे छे
११.
तेना वडे प्रेराय छे
१२. तेना वडे श्लाघा कराय छे
१३. बालक वडे रमाय छे
१४. राधा वडे दोडाय छे १५.
मोहन वडे भणाय छे.
१६. जिज्ञा वडे विचाराय छे
१७. सोना वडे हसायं छे.
१८. तीतली वडे उड़ाय छे
१९. गाय वड़े चराय छे २०.
साप वडे करडाय छे
२१.
मोना वडे भराय छे
२२. सैनिक वडे लडाय छे
२३. | भमरा घडे सुंघाय छे २४. मोर वडे नचाय छे
२५. प्रधान वडे अपाय छे
२६. भीक्षु वडे मंगाय छे २७. नदी वडे वहाय छे २८. वन वडे बलाय छे २९. मीरा वडे भजाय छे ३०.
३१.
संघ वडे प्रयाण कराय छे मेना वडे प्रसन्न थवाय छे
३२. गुरु म.सा. वडे गवाय छे
३३. विमान वडे उडाय छे
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________
in 3 ; ii
११.
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान कर्तरि भावे...) | ३१||
___ वर्तमान कर्तरि + भावे (नाम) १.. | पूजारी घसे छे
१. | पूजारी वडे घसाय छे | नयना विश्राम ले छे
| नयना वडे विश्राम लोवाय छे ३. राजु रक्षण करे छे
३. | राजु वडे रक्षण कराय छे ४. मोहन बोले छे
| मोहन वडे बोलाय छे सुरज गभराय छे
५. सुरज वडे गभरावाय छे ६. भरत जुवे छे
६. भरत वडे जोवाय छे ७. | दिशा पाले छे
७. | दिशा वडे पळाय छे ८. अनील सर्जे छे
८. | अनील वडे सर्जाय छे | सीता संतोष माने छ
| सीता वडे संतोष मनाय छे १०. स्वीटी जाय छे
१०. स्वीटी वडे जवाय छे बिलाडी पीवे छे .
बिलाडी वडे पीवाय छे । ऊर्मिला वखाणे छे १२. | ऊर्मिला वडे वखाणाय छे मेह वरसे छे
१३. | मेह वडे वरसाय छे १४. नेहा भूले छे
१४. नेहा वडे भूलाय छे १५. सोनी रचे छ
१५. सोनी वडे रचाय छे रावण हरे छे
| रावण वडे हराय छे ममता जागे छे
| ममता वडे जगाय छे | कामिनी समृद्ध थाय छे | कामिनी वडे समृद्ध थवाय छे १९. सर्प निकले छे
| सर्प वडे निकळाय छे । २०. लुहार काढ़े छे
२०. | लुहार वडे कढाय छे परमाधार्मिक दुःख दे छे | परामाधार्मिक वडे दुःख २२. गधेडं आलोटे छे
देवाय छे | दुर्योधन निष्फल थाय छे | गधेडा वडे आलोटाय छे २४. हनुमान बाले छे
२३. | दुर्योधन वडे निष्फल थवाय छे २५. | देव उत्पन्न थाय छे
| हनुमान वडे बळाय छे |२६. इन्द्रभूति माने छे
देव वडे उत्पन्न थवाय छे २७. कालसौरिक कसाई - द्रोह | | इन्द्रभूति वडे मनाय छे करे छे
२७. कालसौरिक कसाई वडे
१८.
२४.
२५.
२६. इन्दशनि
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
*
on »
*
*
|३२] (वर्तमान कर्तरि+भावे...) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह २८. | मयणा पूछे छे
| द्रोह कराय छे २९. मध टपके छे
| मयणा वडे पूछाय छे ३०. चन्दना वहोरावे छे २९. | मध वडे टपकाय छे . ३१. नलराजा तजे छे
३०. | चन्दना वडे वहोरावाय छे गजसुकुमाल ध्यान धरे छे | ३१. | नल राजा वडे तजाय छे
३२. | गजसुकुमाल वडेध्यान धराय छे वर्तमान कर्तरि + भावे (नाम) रेवती नमे छे
रेवती वडे नमाय छे २. सुन्दरी करे छे
सुन्दरी वडे कराय छे | कृष्ण वगाडे छे
| कृष्ण वडे वगाडाय छे | कुम्भार घडे छे
कुम्भार वडे घडाय छे वकिल लडे छे
वकिल वडे लडाय छे अनीता रांधे छ
अनीता वडे रंधाय छे सविता मारे छे
| सविता वडे मराय छे पविता वसे छे
पविता वडे वसाय छे |जिनल खाय छे
जिनल वडे खवाय छे विनल गुस्सो करे छे
बिनल वडे गुस्सो कराय छे | डिम्पल भागे छे
डिम्पल वडे भगाय छे हितेश पकडे छे
| हितेश वडे पकडाय छे १३. | दमयन्ती डरे छे
दमयन्ती वडे डराय छे माली उखेडे छे
१४. | माली वडे उखेडाय छे भरत आवे छे
| भरत वडे अवाय छे माँ चिन्ता करे छे
| माँ वडे चिन्ता कराय छे राजा( द्यूतमां) हारे छे १७. | राजा वडे ( द्यूतमां) हराय छे सिंहासन कम्पे छे
सिंहासन वडे कम्पाय छे करिम स्वाद ले छे १९. | करिम वडे स्वाद लेवाय छे | समुद्र खळ भळे छे
समुद्र वडे खळभळाय.छे । कैलाश शोक करे छे
| कैलाश वडे शोक कराय छ। बादल गरजे छे .. २२. | बादल वडे गंरजाय छे
»
.
*
१३.
१८.
२१.
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________
२३.
३०.
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(अपादान) ३३ २३. भमरो गुञ्जे छे
भमरा वडे गुञ्जाय छे २४. मन्दोदरी नाचे छे
| मन्दोदरी वडे नचाय छे २५. गौतम स्वामी चढे छे
|गौतम स्वामी वडे चढाय छे रमेश जीते छे
रमेश वडे जिताय छे २७. राकेश वढाडे छे
| राकेश वडे वढाय छे सुनीता पूजे छे .
सुनीता वडे पूजाय छे अनीता पडे छे
अनीता वडे पडाय छे ३०. संजय लखे छे
संजय वडे लखाय छे ३१. हंसा संतोष पामे छे ३१. हंसा वडे संतोष पमाय छे जया कहे छे
३२. जया वडे कहेवाय छे अपादान.
११. | वादलमांथी पाणी वरसे छे
१२. | टीना आलबममांथी दीक्षाना अग्निमांथी ज्वाला निकले छे
| फोटा काढे छे | कामलीमाथी लीलो रंग जाय | १३. | रमा कबाटमांथी सवर्णनो हार
काढे छे | गीता बोक्षमांथी हिरानो सेट
प्रीतेश भजीयांमांथी मरचां काढे छे
काढे छे ४. तरुणा तिजोरीमाथी मारा पैसा | १५. | साहेब लाल थेलीमाथी ब्लू काढे छे
रूमाल काढे छे भगवान्नी मूर्तिमांथी शीतल-|
| दरजी कापडमांथी ड्रेस बनावे सुगंधी अमी झरे छे । साधना डोलमांथी स्वच्छ- १७. श्वेता पूजनमांथी प्रभावना शीतल पाणी काढे छ ।
लावे छे सपना विडियोमांथी लग्ननी
| लुहार लोढामांथी ओजार केसेट काढे छे
(खेतीना साधनो) बनावे छे रवि खाणमांथी सोन काढे छे
१९. | सोनी सोनामांथी बंगडी कुम्भार माटीमाथी घडो बनावे |
बनावे छे
२०. उषा कूवामांथी पीवा. माटे १०. माली बगीचामांथी गुलाबी
पाणी काढे छे - पुष्पो लावे छे
| २१. | केसर केरीमांथी मीठो केसरी
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________
करे छे
काढे
४३. गुरु
||३४] (विना)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह रस निकले छे
३८. संयोगमांथी वियोग उत्पन्न २२. अमे संस्कृत बूकमांथी वाक्यो | थाय छे करीए छीए
३९. नेमनाथ रागीमांथी विरागी बने २३. भरतनी आँगलीमांथी सुवर्णनी वीटी पडे छे
आत्मामांथी परमात्मा बने छ बालकनी आँखमांथी आँस | भूख्यो सिंह गुफामांथी गर्जना
टपके छे २५. ऐंजिनमांथी धुंवाडो निकले छे | ४२. प्रिया माथाना बालमांथी ज़
पानखर ऋतुमां झाडमांथी पांदडां खरे छे
गुरुदेव लीला बटवामांथी रावण युद्ध माटे लंकामांथी | वासक्षेप ले छे आवे छे
| ४४. माता घऊंमांथी कांकरां काढे माखणमांथी घी थाय छे २९. गुलाबना फुलमांथी सुगंध | ४५. | राधा सांवरणी वडे रुममांथी आवे छे
कचरो काढे छे ३०. पत्थरमांथी मूर्ति बने छे ४६. | अल्पा केमेरामांथी यात्रानो ३१. रेल्वे स्टेशनमांथी यात्रिको | रोल काढे छे गाममां आवे छे
| ४७. मध्याह्ने गुरुदेव पात्रामांथी ३२. सुवर्णना पिञ्जरामांथी तारो | ठण्डी गोचरी काढे छ पोपट उडे छे
शशी सागरना पेटालमांथी ३३. चोर राज्यना भण्डारमांथी मोती लावे छे. रत्नोनी चोरी करे छे
दादीमाँ डाबलीमांथी तमाकुं ३४. स्त्रीओ बाजारमांथी रसोडानो काढे छे सामान खरीदे छे
विना ३५. माछीमार समुद्रना पाणीमांथी माछलीओ काढे छे
हुं निशा विना बगीचामां जती ३६. जंगलमांथी सिंह पलायन
नथी थाय छे
सुरज विना प्रकाश मलतो ३७. वाल्मीकी लुण्टारामांथी ऋषि
नथी बने छ
३. | माँ विना वात्सल्य मलतुं नथी
(४८.
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
नकी
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(विना) | ३५|| ४. | साबु विना कपडां धोती नथी ५. सूत्र विना अर्थ थतां नथी । २५. | बालक विना लाडवो कोण ६. अर्गन विना ज्वाला निकलती खाय ? नथी
२६. | पवन विना माणसो मुंझाय छे ७. हुं गुरु विना यात्रा करवा जावू २७. | राधा कं कु विना पगलां
पाडती नथी ८. मारे. मिष्ठान विना चलावq २८. दूत विना संदेशो मलतो नथी जोईए
२९. नणंद विना भाभीए रहेदूं| हुं जुली विना शिखरजी गई| | जोईए हती
३०. | वीर विना गौतम रडे छे १०. खाण्ड विना चा बनती नथी ३१. रतिलाल भावना विना
पाणी विना माईली रहेती नथी | सामायिक करे छे १२. हथीयार विना युद्ध थतुं नथी ३२. | धुंघरुं विना मन्दोदरी नाचती | रात विना दिवस उगतो नथी | नथी केवलज्ञान विना मोक्ष मलतो | ३३. | विश्वास विना वचन देती नथी नथी
३४. | सिंह विना गर्जना थती नथी दासीए भाव विना दान दीधुं ३५. प्रधान आज्ञा विना जतो नथी हतुं .
| ३६. | भूल विना क्षमा मलती नथी १६. मुकुट विना राजा शोभतो नथी ३७. हु जित विना हर्ष पामती नथी
| बिल विना सर्प रहेतो नथी ३८. कृष्ण विना मथुरा नगरी | झाड विना फल आवतां नथी| शोभती नथी | राधा सहेलियो विना फरवा| ३९. तीर्थंकर विना देव समवरसण जाय छे.
| रचतां नथी २०. वर विना बहु आवती नथी । ४०. | पेन विना वाक्यो लखती
दीपक विना ज्योत बलती नथी
| पुस्तक विना संस्कृत भणती २२. राम विना हनुमान जतो नथी| नथी २३. पुरुषार्थ विना सफलता ४२. हुं पात्रा विना गोचरी जाती मलती नथी
नथी २४. | राजा विना प्रजा दुःखी थाय| ४३. | घडा विना पाणी लावती नथी
नथी
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
जोईए
नथी .
||३६] (विना)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ४४. | भाव विना भक्ती थती नथी जाय छे ४५. | दया विना धर्म थतो नथी । ६५. | भक्तने भगवान् विना गमतुं ४६. चाँद विना चाँदनी थती नथी | नथी
वादल विना पाणी वरसतुं| ६६. चीकुंने चोकलेट विना गमवू नथी दशी विना ओघो बनतो नथी ६७. | मारे अनुकुलता विना जीव, | जित विना अरिष्ठ लखे छे । | जोईए मोनिका विना सोनिका भणे ६८. हुं आज्ञा विना सूई जावू ?
६९. | जिनेश पुष्प विना पूजा करवा ५१. हुं चश्मा विना जोती नथी (माटे) जाय छे फुल विना सुगन्धं आवती | ७०. भगवाननी आज्ञा विना
| माणसोए आगल न जवू हुं विचार्या विना वाक्यो बोलुं जोईए
७१. | जीवो नारकीमां इच्छा विना नेम विना राजुल रडती हती | दुःख भोगवे छे राजा विना राणी शोभती नथी | ७२. | ते पुण्य विना सुख मेलवे ?
गुरुदेव विना ज्ञान मलतुं नथी | ७३. | बालक प्रोत्साहन विना ५७. | त्याग विना तप थतो नथी आगल वधे ?
पाँख विना पोपट उडतो नथी | ७४. | मीना विना रीना देरासर जाय हुं लेशन कर्या विना पाठशाला जावू ?
७५. | अञ्ज विना निशा भणती नथी हुं गुरुदेवनी आज्ञा विना आq | ७६. अल्पा विना शिल्पा फरे छ ।
| दीपालि दीपक विना पूजा करे| | राजानी आज्ञा विना प्रधान काम करे छे
जया बूक विना पाठशाला गई ते भगवान्नी आज्ञा पालन |
विना मुक्ति मेलवतो नथी । | तारे चम्पल विना दहेरासर जवं ६३. ते दुःख भोगव्या विना सुख | जोईए मेलवतो नथी
| हाथ विना काम (र्य) थतुं ६४. | निलेश जम्या विना बजार नथी .
हती
७९.
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
८१. हुं शक्ति विना पर्वत चढती नथी
८२. कटाशणा विना सामायिक थतुं नथी
८३. कमला कार विना बजार जाय छे ८४. सुजाता रवि विना रमे छे अध्यापक चोपडी विना भणावे छे
८५.
८६. गुरु विना शिष्या तलेटी जाय छे
८७. कमल विना रमेश जमतो नथी ८८. ते बन्दुक विना शेरने मारे छे ८९. कामलीना ओढ्य विना उज्जेही पडे छे
९०. राम विना लक्ष्मण रहेतो नथी ९१. हुं दाण्डा विना गोचरती जती नथी
९२. मूर्ति विना मन्दिर शोभतुं नथी ९३. संगीत विना नाट्यगृह शोभतुं नथी
९४. राजा विना राज दरबार शोभतो नथी
९५. पूर्वी विना आशा स्कूल जाय छे
९६. ध्वजा विना शिखर शोभतुं | नथी
९७. ते गुरखानी रजा विना अन्दर प्रवेशतो नथी ९८. तुं केस कढाव्या विना डॉक्टर
( सम्प्रश्न) ३७
पासे जती नथी
९९.
मुखकोश बांध्या विना प्रभु पूजा थती नथी
१००, सही कर्या विना बैंकमांथी पैसा मलता नथी
१०१, इन्टर्व्यु आप्या विना सर्विस | मलती नथी
१०२ हरियाली विना बगीचो शोभतो नथी
१०३. पाणी विना होडी चालती नथी
१०४, बालक महेनत विना फल मोलवतो नथी
१०५ - विनय विना विद्या आवती नथी
१०६, चन्दनानी आँखना आँसु विना वीर पाछा फरे छे
१०७, दण्डासण विना जयणा पळाती नथी सम्प्रश्न
१. हुं पालिताणा जावुं के शङ्खेश्वर | जाऊं ?
२. हुं पालिताणामां गामनी धर्मशालामां उतरुं के आगम मन्दिरमां उतरूं ?
३. हुं काँचना देरासर जावुं के बाबुना देरासर ?
४.
हुं आचार्य महाराज साहेबने वन्दन करवा जावुं के देरासर
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
जावं ?
||३८] (सम्प्रश्न)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
१६. | हुं यात्रा करवा पालिताणा हं साध्वीजी महाराज साहेबने| जावं के हस्तगिरि जावं ? ' धर्मशालामां बोलवू के १७. हं केसर घसुं के बरास घसुं ? उपाश्रयमां बोलावू ? |१८. | हं दहेरासर जावू के तलेटी नीता कुमारपाल राजानी |
| जावं ? . आरतीमां जाय के अन्यत्र ? | १९. हं गहली करूं के साथियो हुं साहित्य मन्दिरमा जावू के करूं ? साचा सुमतिनाथना दर्शन | २०. | हं देव-वन्दन करूं के 'चैत्य करवा जावू ?
| वन्दन करूं ? ८.
हुं धर्मशालामां दीक्षा जोवा | २१. हं स्तवन बोलुं के उवसग्गहरम जावू के वरघोडामां जाएं ? बोलुं ? हुं पन्नारूपामां महापूजनना | २२. |हं पूजा करूं के क्रिया करूं ? दर्शन करवा जावू के तलेटी | २३. हुं मोटी प्रदक्षिणा दऊं के नानी जावं ?
| प्रदक्षिणा दऊं ? १०. हु आगम मन्दिरमा सुन्दर | २४.
हुं नवटुंक जावू ? के घेटीपाग प्रतिमाजीना दर्शन करूं के जावं ? केशरीया जीमां जावं ? २५. हुं भक्तामर देरासरमां करूं के मारे चन्द्रदीपक धर्मशालामां | उपाश्रयमां करूं ? भक्ति राखवी के नन्दामा २६. | हुं पच्चक्खाण देरासरमां करूं राखवी ?
के उपाश्रयमां करूं? हुं गिरिविहारमा भणुं के राजेन्द्र | २७. | हुं छ8 करीने सात यात्रा करूं | भुवनमां भj ?
के अट्ठम करीने (११) हुं साबरमतीमां व्याख्यान अग्यार यात्रा करूं? साम्भालवा जावू के | २८. | हं भावनामां जावं के पूजामां
गिरिविहारमा पूजनमां आq ? | जावू ? १४. हुं गिरिविहारमा भोजनगृह | २९. हं वरखनी आंगी करूं के
बन्धावू के हॉस्पिटल | उननी करूं ? बन्धावू ?
| ३०. | हुं स्नात्र भाणावं. के १५. हुं यतिन्द्र भवनमां जमुं के | | पञ्चकल्याणक पूजा भणावं ?
ओसवाल भुवनमां जमुं ? |३१. | हं देववन्दनं करूं के
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(सम्प्रश्न ) | ३९|| पच्चक्खाण करूं ?
काढुं ? ३२. हु प्रतिक्रमण करूं के | ४८. हुं संस्थारो करूं के पग
| सामायिक करूं ? ! दाबु ? ३३. | हुं काँप काढुं के भणवा ४९. | अमे पाँचमे विहार करीए के | बेसुं?
सातमे ? ३४. | हुं संस्कृत करूं के प्राकृत ५०. | हुं विहारमा संस्कृत बूक लवू करूं ?
के स्वाध्याय ? ३५. हुं वाक्यो बोलुं के रूपो| ५१. | आपणे विहार पहेलां तलेटी लखं?
जईए के गुरुमन्दिर ? हुं स्तवन करूं के सज्झाय ५२. आपणे विहारमा काचा रस्ते शिखं ?
चालीए के रोड उपर | हुँ गाथा गोखं के अर्थ करूं ? चालीए ? ३८. हुं भक्ति करूं के यात्रा करूं ? ५३. हुं घडो ऊचकुं के तरपणी |हं पडिलेणह करूं के टपाल ऊचकुं ? लखं ? ..
५४. | हुं विहारमां गुरुजीथी आगल ४०. हुं आयंबिल करूं के एकासj | रहुं के पाछल रहुं ? करूं ?
| हुं विहारमा डाबी बाजु चालु ४१. हुं व्याख्यानमां जावू के वन्दन | के जमणी बाजु चालुं ? । करवा जावू ?
५६. | हुं विहारमा एकासणा करूं के ४२. हुं बोर्ड पर लखुं के बूकमां बियासणा करूं ? लखं ?
| ५७. | हुं मौन राखं के रूपो बोलुं ? ४३. | तमे दाण्डो लेसो के कामली| ५८. आपणे पाटण जईए के लेशो ? ..
| शङ्केश्वर जईए ? ४४. | तमे चा लेसो के कॉफि ५९. | हुं विहारमां बे कामली ओढुं लेशो?
के एक कामली ओढुं ? |४५. | अमे साहेब पासे भणीए के ६०. | आजे आपणे सवारे विहार
. गुरुजी पासे भणीए ? | करीए के सांजे करीए ? ४६. हुं रीन साबु वापरुं के पावडर ६१. आजे आपणे १५ कि.मी. वापरूं ?
चालीए के २५ कि.मी. ४७. हुं काजो लवू के लुणा चालीए ?
चालाए!
.
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
६२.
|| ४० (सम्प्रश्न)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह | आजे आपणे पाँचवागे | | मद्रास करे ? निकलीए के चार वागे | ७६. हुं साहेब पासे संस्कृत शिखं निकलीए ?
के कर्मग्रन्थ करूं ? . | हुं विहारमा जोड लऊं के | ७७. हुं गुजराती वाडीमां कल्पसूत्र भगवान् लऊं ?
|वांचुं के बारसासूत्र वांचुं ? | ६४. आपणे काले गुरुकुल जईए | ७८. हुं मैसुर गार्डनमां जावं के के पीपरला जईए ?
| बेंग्लोर डंगानमां जावं ? ६५. हुं विहारमां पाकिट राखं के | ७९. हुं उद्यानमां बेसुं के फरूं ? | विटलो ?
| ८०. | हुं फुल तोडु के पाणी पावू ? ६६. आपणे विहार करीने ८१. हुं मालीने बोलावू के मालणने
पालिताणा जईए के सुरत बोलावू ? जईए ?
९०. | हुं फुलनी माला गुंथु के छुटा |आपणे आजे स्कूलमां उत्तरीए | फुल राखं ?
के उपाश्रयमां ? | ९१. हुं वेचुं के खरीदूं ? हुं उपाश्रय दादावाडीमां बनाएं | ९२. हुं पुष्प लवू के कुम्पण लवू?
के पटालममां बनायूँ ? ९३. हुं गीत गावं के नृत्य करूं ? ६९.. हं ओली वेपेरीमां करूं के | ९४. हु पुष्पमाला चढावं के केसर वाडीमां करूं ?
मोगरानी माला चढावं ? ७०. हुं आराधना भवनमां जाप | ९५. हु मित्रोने पुष्प दऊं के मालीने
कराऊं के साधारण भुवनमां | दऊं ? कराऊं ?
९६. हुं बगीचामां स्मुं के बेसुं ? ७१. हुं दीक्षा एकली लऊ के | ९७. | | हुं बगीचाने जोईने संतोष पामुं कोईनी साथे लऊं ?
के गुरुदेवने जोईने ? दीक्षामां अमे पूजन रखावीए | ९८. | हुं गुलाब लऊ के कमल
के वरघोडो चडावीए ? | लऊं? ७३. आचार्य म.सा नव्वाणुं करावे | ९९. हुं गुलाब गीताने आपुं के के चोमासु करावे ?
| रीटाने आपुं ? ७४. हुं पौषध करूं के उपवास | १००, हुं महेमानने बगीचो देखाईं के करूं?
| म्युझियम ? ७५. गुरुजी होस्पेट चोमासुं करे के १०१ हुं वृन्दावनमा जावू के महा
६८.
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०३
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान नकारात्मक) | ४१/ लक्ष्मीमां जावं ?
२. | हुं सामायिक करती नथी कैलास १ प्लेट फोर्ममां जाय ३. तमे वन्दन करता नथी के २ प्लेट फोर्ममां जाय ? | ४. | तेओ उपाश्रय आवता नथी अमर कोल्ड ड्रिंक्स पीये के ५. | तमे बे नवकार गणता नथी
आईस्क्रीम खाय ? | ६. | वेपारी परदेश जतो नथी । १०४, टिकिट चेक करवा टी.सी. ७. | कोमलने कमल गमतुं नथी
आवे के इन्स्पेक्टर ? ८. रीटा रखडवा (माटे) जती १०५. टीना गाडीमां जाय के बसमां | नथी जाय ?
. ९. पोपट उडतो नथी . १०६. स्टेशन पर रेकडी आवे के १०. | वानरो फल खातो नथी रीक्षा आवे ?
११. हुं पूजा करती नथी १०७. हुं गाडीमां चढं के प्लेट फोर्म १२. हुं निन्दा करती नथी पर बेसं ?
१३. | चीकु जातो नथी १०८. इंजेन कोलसाथी चाले के १४. हुं काँप काढती नथी करंटथी चाले. ?
१५. | हुं फरवा जती नथी |१०९. हुं ट्रेनमा केन्टीन चलावं के हुं बजारनुं खाती नथी छापा वेचुं ? . .
| मेहुल टी.वी. नथी जोतो ११०. गाडीमां मुसाफिर सुवे के | १८. गुञ्जन रडतो नथी
१९. | जिज्ञेश स्कूलं जतो नथी |१११. गाडी स्टेशन पर उभी रहे के २०. हुं भणती नथी चाले ?
२१. सुनीता पडती नथी ११२. गार्ड गाडीने लाल झंडी देखाडे २२. हुं लखती नथी ।
के लीली झंडी ? . २३. रमेश नमतो नथी ११३. गाडी धीमी चाले के उतावडी| २४. शर्मीला चालती नथी चाले?
| हुं नरकमां जती नथी वर्तमान नकारा
२६. | अमे बे ७मी नरकमां जतां
नथी त्मक
२७. | राजाने राज्य गमतुं नथी हुं उपाश्रय जती नथी
२८. | प्रधानने आज्ञा पाळवी गमती
नथी
बेसे?
२५.
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
"
|४२] (विध्यर्थ नकारात्मक) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह २९. राज कुंवरी चिन्ता करती नथी| २०. हु भणी न हती ३०. अश्व दोडतो नथी | २१. सुनीता पडी न हती.. ३१. राणी पूजा करती नथी | २२. | में लख्यं न हतुं .. २. राजा युद्ध करतो नथी २३. | रमेश नम्यो न हतो
सीता बोलती नथी २४. शर्मीला चालती न'ती ह्यस्तन नकारा
२५. हुं ७मी नरकमां गई न हती
२६. | अमे बे ७मी नरकमां गया न त्मक
हतां . ..
| राजाने राज्य गमतुं न हतुं १. हुं उपाश्रय गई न हती २. हुं सामायिक करती न हती
| प्रधानने आज्ञा पाळवी गमती ३. तमे वन्दन कर्यु नथी
न हती ४. तेओ उपाश्रय आव्या नथी
| अश्व दोडतो न हतो ५. तमे बे ए नवकार नथी गण्यां
| राणी पूजा नती करती | वेपारी परदेश गयो न हतो .
३१. | राजा युद्ध करतो न हतो कोमलने कमल गमतुं न हतुं
३२. | सीता बोलती न हती रीटा वटवा (
३३. हुं लेख लखती न हती हती
विध्यर्थ नकारापोपट उडतो न(ह)तो वानराए फल न खाएं
त्मक में पूजा न करी
मारे उपाश्रये न जq जोईए १२. में निन्दा करी नहीं
| मारे सामायिक न करवू जोईए चीकु न गयो (गयो नहीं)| ३. | तमारे वन्दन न करवू जोईए (गयो न हतो)
| तेओए उपाश्रये न आवदूं १४. में काँप काढ्यो न हतो | जोईए १५. हुं फरवा गई न हती
| तमारे बेए नवकार न गणवा १६. हुं बजारनुं खाती न हती। जोईए १७. | मेहुल टी. वी. जोतो न हतो | वेपारीए परदेश न जq जोईए १८. गुञ्जन रडतो न हतो । ७. | कोमलने कमल न गमवू १९. | जिज्ञेश स्कूल न गयो | जोईए .
१३.
ॐ
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
४.
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (आज्ञार्थ नकारात्मक) ४३
रीटाए रखडवा( माटे) जवू न आज्ञार्थ नकारा
जोईए ९. पोपटे उडवू न जोईए
त्मक |१०. वानराए फल खावू न जोईए।
१. हुं उपाश्रय न जावं ? |मारे पूजा करवी न जोईए ।
२. हुं सामायिक न करूं ? मारे निन्दा करवी न जोईए
३. | तमे वन्दन न करो चीकुए जवू न जोईए
| तेओ उपाश्रय न आवे १४. मारे काप न काढवो जोईए
तमे बे नवकार न गणो १५. मारे फरवू न जोईए
| वेपारी परदेश न जाय १६. | मारे बंजारनुं न खावं जोईए
७. | कोमलने कमल न गमे १७. | मेहले टी.वी. न जोवं जोईए
८. | रीटा रखडवा न जाय १८. गञ्जने रडवं न जोईए
९. | पोपट( न) उडे (नहीं) १९. जिज्ञेशे स्कूल न जवं जोईए
वानरो फल न खाय . २०. मारे भणq न जोईए .
| ११. हुं पूजा (न) करूं ? २१. सुनीताए पडवू न जोईए
( नहीं ?) २२. मारे न लखवू जोईए
. १२. हुं निन्दा न करूं ? मारे नमवू न जोईए . २४. शर्मिलाए न चालवं जोईए
१३. चीकु स्कूल न जाय
१४. हुं काँप न काढुं ? मारे ७मी नरकमां जq जोईए
१५. हं फरवा न जावं ?
हुँ बजार न जावं ? आमारे बेए ७मी नरकमां जवं न जोईए
मेहुल टी.वी. न जुवे
१८. | गुञ्जन न रडे २७. | राजाने राज्य गमवू न जोईए
| जिज्ञेश स्कूल न जाय अश्वे दोडवू न जोईए
|हुं (न) भणुं ? (नहीं ?) प्रधाने आज्ञा न पाळवी जोईए
२१. सुनीता (न) पडे (नहीं) ३०. राजकु वरीए चिन्ता करवी
२२. हुं न लखुं ? जोईए नहीं
| २३. | रमेश न नमे | राणीए पूजा करवी जोईए नहीं
| २४. शर्मीला न चाले ३२. | राजाए युद्ध न करवू जोईए | ३३. | रामें रावणने न मारवो जोईए |
२५. | हुं ७मी नरकमां न जावू ?
नहीं
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
४४
२६.
WWW
तुम्
|४४ (तुम्)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह | अमे बे ७मी नरकमां न जईए? । | प्रयत्न करे छे. २७. | राजा राज्य न करे | ११. | भिक्षुक खावा माटे भिख २८. प्रधान आज्ञा न पाले
मांगवा (माटे) जाय. छे । राजकुंवरी चिन्ता न करे | १२. राम नमवा माटे तैयार थाय छे ३०. अश्व न दोडे
१३. | रीना कूवामां पडवा माटे जाय राणी पूजा न करे । ३२. | राजा युद्ध न करे
ललिता तजवा माटे तैयार ३३. हुं लेख न लखुं ?
थाय छे .
| सैनिको लडाईमां दुःश्मनोने वर वधु प्रार्थना करवा माटे
जितवा माटे जाय छे .. मन्दिरमा जाय छे
वकिल कोर्टमां (के स ) - अप्सरा नृत्य करवा माटे सज्ज
जीतवा माटे जाय छे थाय छे
१७. पक्षी उडवा माटे वृक्ष उपरथी| विसामो लेवा माटे हुं ओटला
| आकाशमां जाय छे. उपर बेठी छं
१८. | | रूपेश भोजन करवा माटे नवीन टी.वी. देखवा माटे
फेक्टरीथी आवे छे । सोफा उपर बेठो छे
| १९. हुं लखवा माटे टेबल लऊ छं | राजु वांचवा माटे नेहा पासेथी
२०. | गायक गीतो गावा माटे चोपडी मांगे छे
| विदेश जाय छे ६. स्त्री पोता- रक्षण करवा माटे
२१.. मुनि ध्यानधरवा माटे वृक्षनी |भाई ने बोलवे छे
नीचे बेसे छे तप करवा माटे हुं झंखना
| २२. | नेताओ भाषण देवा माटे करती हती
आम तेम फरे छे ८. सुरसेन भीमसेनने भेटवा माटे | २३. | गोवालो आजीविका चलाउभो छे
ववा माटे पशु पाले छे। ९. पितानी सेवा करवा माटे पत्र | २४. | बिलाडी उंदरने पकडवा माटे आवे छे
इच्छे छे १०. साधु कर्म क्षय करवा माटे | २५. | उपाश्रयमां आराधना करवा
| माटे बेनो आवे छे
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम, संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ___ (तुम्) | ४५ २६. भमरो पुष्पमांथी रस चुंसवा ४१. | रानी बीनाने मलवा माटे माटे जाय छे
बगीचामां जाय छे २७. कपिल खेलवा माटे बोल ४२. दर्शन पूजा करवा माटे देरालावे छे
सर जाय छे २८. | विकास आंगी रचवा माटे ४३. | सैनिक युद्ध करवा माटे वरख लावे छे
तैयारी करे छे २९. / लीना चाय बनाववा माटे ४४. | इनाम लेवा माटे बालको | उभी छे .
उत्सुक थाय छे ३०. चोर चोरी करवा माटे राज- नदी तरवा माटे नाविको महेलमां जाय छे
| जहाज लावे छे ३१. | वेपारी वस्तु तोलवा माटे ४६. | रूपेश सामान भरवा माटे दुकानमां बेठो छे .
| रिक्सा लावे छे ३२. | मीरा नृत्य करवा माटे धुंघरूं ४७. गाडी रोकवा माटे सिग्नल लावे छे ।
बतावे छे स्मिता भणवा माटे स्नेहा ४८. चाय पीवा माटे दोस्त ने
पासेथी किताब लावे छे . बोलावे (आँ) छे ३४. सुगन्धी जाप करवा माटे बेठी ४९. चोरने पकडवा माटे पोलिस
आवे छे
.
|धीरज बलवा माटे जाय छे | ५०. | फल वेचवा माटे रेकडी रानी भणवा माटे दीनाना घरे | आवे छे जाय छे
| ५१. सखियो वरने जोवा माटे तरुण तजवा माटे तैयार थाय दोडे छे
५२. | केदियो छुटवा माटे प्रयत्न | सोनु निन्दा करवा माटे उभी करे छे
५३. रेश्मा पाणी भरवा माटे नदीए | अशोक रक्षण करवा माटे| | आवे छे
| तलवार लईने आवे छे । | ५४. | खेडुत अनाज वाववा माटे ४०. | धनपाल व्यापार करवा माटे बीज लावे छे परदेश जाय छे
| ५५. | जंगलमा हरण भक्षण करवा
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
४६ (तुम्)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह माटे फरे छे
७०. | परमात्मा जगत्नुं कल्याण ५६.. राजा प्रजा माटे सुन्दर नगरी करवा माटे देशना आपे छे
| वसावे छे (सम्प्रदान) ७१. | गुरुदेव जयणा करवा माटे मुसाफर टाईम पास करवा रजोहरण आपे छे माटे सींग चणा खाय छे भूख्यानी भूख मिटाववा श्याम दिल्ली जवा माटे ट्रेनमां दयालु दान आपे छे बेठो छे
७३. | पिता अने पुत्र दहेज लेवा भिखारी पैसा लेवा माटे | माटे इच्छता नथी । स्टेशनमां फरे छे
पुत्रने आगल वधवा माटे आ. भ. व्याख्यान देवा माटे पिता प्रोत्साहन आपे छे विराजमान थाय छे
ओटला उपर बहेनो निन्दा | भाविक सेवा करवा माटे करवा माटे भेगी थाय छे दोडे छे
७६. | उदय रत्न मुनि प्रभु गुण गावा दर्दी दवा लेवा माटे मेडिकल | माटे तलसे छे जाय छे
| संघपतिनी प्रशंसा करवा साधु कर्म क्षय करवा माटे
| माटे लोको उभा छे महेनत करे छे
| श्रेणिक दासीने दान देवा गुरुदेव पापथी बचवा माटे
माटे धन आपे छे धर्म बतावे छे
| साधु इन्द्रियोने जितवा माटे हुं आत्म कल्याण करवा माटे
तप करे छे धर्म करूं छु
| माता रिंकु ने रमवा माटे चेकिंग करवा माटे टी.सी.
| रमकडां आपे छे आवे छे
८१. | राजा न्याय आपवा माटे| साधक साधना करवा माटे|
| दरबारमा बेठो छ जंगलमां जाय छे
८२. | शत्रुञ्जयना शिखरो जोवा माटे जीना रीना माटे खरीदी करवा
| विदेशियों आवे छे मार्केटमां जाय छे
८३. | शियाल द्राक्षने खावा माटे मोनिका सामायिक करवा
झाड ने पकडे.छे माटे उपाश्रयमां जाय छे ।
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
त्वा
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(त्वा) | ४७/ |८ ४. दुर्योधन राज्य मेलववा माटे
पाण्डवोनी साथे युद्ध करे छे| ९९. | रींकु कपडा धोवा माटे ८५. मुमुक्षु संयम लेवा माटे अने साबुन लावे छे | संसारथी छुटवा माटे इच्छे छे| १००, राजा राणीने मनाववा माटे गरीब माणस बालकनुं पोषण | जाय छे
करवा माटे चिंता करे छे । ८७. डाकु गामनो नाश करवा
| १. | राजा राणी बगीचानी सुन्दरता माटे लाकडी लावे छे
| जोईने किल्लोल करे छे रहिम श्यामने भूलवा माटे
| बगीचाने जोईने राजा आवे छे कोशिश करे छे रोगी रोगनो नाश करवा माटे
| रीना फुल तोडीने माथामां
| नाखे छे | दवा ले छे | रेश्मा प्रतिष्ठामां जवा माटे
| बगीचाना झुलामां बेसीने हुं श्रृंगार करेछे
खुश थाq छु करिम रुई लेवा माटे घरे जाय
५. | माली फुलने तोडीने वेंचवा
(माटे) जाय छे
| लोको बगीचाने जोईने आनं| मोना दवाई लेवा माटे दुध ५. पीवे छे
दित थाय छे
| वज्रस्वामी श्री देवी पासेथी दुःखीने शान्त करवा माटे
पुष्प लईने श्रावकोने आपे छे मनोरमा प्रयत्न करे छे
८. | मसूरना विशाल उद्यानने ९४. | लोको जीववा माटे पाणी
| जोईने लोको प्रशंसा करे छे पीवे छे. टीचर भूल सुधारवा माटे पेन ९. | फुलनी कोमलता जोर्डने
| कवि कविता लखे छे मांगे छ
१०. | बगीचामां पक्षीओनो किल| रानी लेशन तपासवा माटे
| किलाट सांभलीने राजा हसे टीचरने बूक आपे छे - मोन्टु लखवा माटे कागज ,
| ११. | पतंगीया पुष्प उपर बेसीने रस लावे छे
| पीवे छे १८. रंगारो रंगवा माटे पीछी लावे|
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| ४८ (त्वा)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह १२. प्रफुल पुष्प लईने प्रभुने | २८. | शोभा फल जोईने खाय छे चढावे छे
२९. | मीरा धुंघरूं बांधीने नाचे छे १३. | बगीचानी हरियाली जोईने ३०. | डाक चोरी करीने दोडे छे हेतल हर्षित थाय छे
रूपा रूमाल लईने आवे छे | उद्यानमां बेसीने लोको शान्ति | | ते मानव भव पूर्ण करीने अनुभवे छे
देवलोकमां जाय छे | विदेशी लोको मैसूरना बगी-| ३३. | देवता विमानमां बेसीने भ्रमण |चाने जोईने आश्चर्य पामे छे करे छे रीटा उद्यानमां जईने रमे छे ।
| तीर्थंकरनो जन्म थयो जाणीने जीनल बीनलने गुलाब | देव सुघोषा घंट वगाडे छे विणीने आपे छे
३५. | चोसठ इन्द्र प्रभुने लईने मेरु रामू पैसा लईने बजार जाय छे
| पर्वत उपर जाय छे । कपिल दुकानमां जईने कपडां| ३६. अप्सराओ नृत्य करीने देवोने जोवे छे
| रीझवे छे | अल्पेश कपडां जोईने भाव | ३७. | देवता वैक्रिय रूप करीने करे छे
रेवतीनी परीक्षा करे छे |तरुण भाव करीने कपडां| ३८. | हरीणगमैषी इन्द्रनी आज्ञा लईने खरीदे छे
| त्रिशलानो गर्भ बदले छे अरुण कपडां पहेरीने स्कूल ३९. | सौधर्म देवने वचन आपीने जाय छे
हरिणगमेषी मनुष्य जन्म ले छे पीस्ता बजारमा जईने बदाम | भगवान नी सहन शीलता खरीदे छे
| सांभलीने देव परीक्षा करे छे कमला कारमा बेसीने गाम | ४१. | देरासरमां देवो आवीने जाय छे
नाट्यरंभ करे छे शेठ दुकानमां बेसीने वेपार ४२. देवो देवीओ- रूप जोईने करे छे
हरण करे छे | भरत वस्तु तोलीने आपे छे | ४३. | भगवान्नुं च्यवन कल्याणक नीता पुस्तक लईने विचार करे | जाणीने इन्द्र शक्रस्तव बोले
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
४४. १
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(त्वा) | ४९|| | भगवान्ने केवल ज्ञान थयुं ६०. | राजा युद्ध करीने नगरमां | जाणीने देवता समवसरण | प्रवेश करे छे रचे छे
६१. | प्रजानुं सुख जोईने राजा ४५. | भगवान्नो विहार समय संतोष अनुभवे छे
जाणीने देवो नव सुवर्ण ६२. | राजा राणीने हार आपीने खुश कमल रचे छे
थाय छे ४६. | भगवान्नी दाढा लईने देवता| ६३. | प्रजा राजानी आज्ञा पालीने | जाय छे.
| राजानु गौरव वधारे छे | देवो दुर्गन्ध जोईने भागे छे । ६४. | राणी श्रृंगार सजीने राज| नन्दीश्वर द्वीप जईने देवो| | सभामां आवे छे
अट्ठाइ महोत्सव करे छे . ६५. | | प्रधाननी सलाह मेलवीने | देवो १० हजार वर्ष सुधी| | राजा कार्य करे छे · | नाटकजोईने उठे छे ६६. युद्धनो विचार करीने राजा ५०. स्कूलमां आवीने बालको सेनापतिने अश्व तैयार करवानुं भणे छे ..
| कहे छे ५१. बालको भणीने रमे छे . ६७. राजा युद्ध करीने जय पामे छे ५२. बालको रमीने नास्तो करे छे| ६८. राणी राजानी राह जोईने ५३. | पाठ करीने लेशन करे छे । थाकी गई . ५४. | लेशन वांचीने तेना अर्थ | ६९. | राणी पुत्रने जन्म आपीने | लखे छे
| प्रमोद करे छे ५५. | बालको स्कूलथी रीक्षामां| ७०. | दासी पुत्र जन्मनी वधामणी
बेसीने घेर जाय छे । |लईने राज सभामां आवे छे ५६. | बालको घेर जईने माता साथे | ७१. | राजा पुत्रने जोईने आनन्दित धमाल करे छे
थाय छे ५७. | बालको धमाल करीने रडे छे | ७२. | राजा राज कुमारने तैयार ५८. | बालको रड्या पछी जमवा| करीने मन्त्रीनी साथे परदेश | बेसे छे
| मोकले छे ५९. | राज-सभामां नर्तकी नृत्य | ७३. | सखियों ने मलीने राजकुमारी करीने इनाम मेलवे छे
महेलमां आवे छे .
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
७४..
|५० (त्वा)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह | राजानी आज्ञा लईने राजसूत्र गोखे छे कुमारी महेलमांथी उद्यानमा ८९. श्रावको उपाश्रयमां आवीने जाय छे
मनिओने कामली वहोरावे छे | राज कुमारीना लग्न करावीने | ९०. विमला उपाश्रयमां जईने बेसे राणीनी चिन्ता राजा दूर करे छे युवराजने पदवी आपीने राजा | ९१. बेसीने म.सा.ने वन्दन करे छे हर्षित थाय छे . |९२. सोनल सामायिक लईने स्वाराणीनी पीडा जोईने राजाध्याय करे छे .. मुच्छित थाय छे ९३. बहेनो उपाश्रयमां आवीने राजाने मुर्छित जोईने मन्त्रीओ व्याख्यान सांभले छे वैद्योने बोलावे छे ९४. भाईओ उपाश्रयमां आवीने मयंक सवारे उठीने नवकार बोली बोले छे मन्त्र गणे छे
९५. काजल उपाश्रयमां आवीने अमे आवश्यक क्रिया करीने प्रतिक्रमण करे छे | देरासरमां जईए छीए |९६. संघ उपाश्रयमां आवीने संघ
ते शिखरने जोईने नमो पूजन करे. छे ... जिणाणं कहे छे
९७. उपाश्रयमां आवीने बहेनो प्रभु दर्शन करीने स्तुति बोले | निन्दा करे छे
| ९८. उपाश्रयमां आवीने सीता भावेश मुखकोश बाँधीने | स्मरण गणे छे पूजा करे छे । ९९. उपाश्रयमा जईने बेनो भावना नीला अष्ट प्रकारी पूजा करीने | भावे छे कर्म खपावे छे |१००. उपाश्रयमां आवीने बनो केसर घसीने वाटकी भरे छ| पौषध करे छे संघ उपाश्रय आवीने चोमा- |१०१. खेडुत दाणा लावीने वावे छे सानी विनंती करे छे |१०२. दीपक बळीने प्रकाश आपे छे साहेब उपाश्रयमां आवीने १०३. उंदर बिलाडीने जोईने भागे छे
संस्कृत बूक आपे छे १०४. बालक मयूरने जोईने नाचे छे ८. सोनल उपाश्रयमां आवीने १०५..धर्मी पापने जोईने कम्पे छ ।
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ( हेतुनाम प्रयोजन-रूप) | ५१] १०६. शेरने जोईने शियाल नाशे छे भाविको आवे छे . हेतनाम प्रयोजन- १३. | शिष्योना अभ्यासना प्रयो
जनथी गुरुदेवनी उपाश्रयमां रूप
स्थिरता छे १. संजय खरिदीना प्रयोजनथी १
१४. | उपाश्रयमां पूजनना प्रयोबजारमा जाय छे
जनथी सिद्धचक्रनुं माण्डलुं
काढे छे लग्नना प्रयोजनथी सामान
विहार करवाना प्रयोजनथी खरीदे छे दीक्षाना प्रयोजनथी गाम जमण |
साध्वीजी महाराज साहेब
| माणसने बोलावे छे (हे) करे छे दीक्षाना प्रयोजनथी मुमुक्षोनुं १५.
क्षुधाना प्रयोजनथी साधु
गोचरी वापरे छे बहुमान छे .
| तपस्याना पारणाना प्रयोशान्त थवाना प्रयोजनथी| १
| जनथी धर्मशालामां आचार्य नवकार गणे छे
भगवन्तना पगलां थाय छे | पोताना रक्षणना प्रयोजनथी |
| भक्तिना प्रयोजनथी वन्दन सुरसुन्दरी समुद्रमां पडे छे. ।
करे छे धन मेलववाना प्रयोजनथी
१९. | जयणाना प्रयोजनथी रजोहरण व्यापारी गामो गाम फरे छे ।
वापरे छे । ८. शील रक्षणना प्रयोजनथी| नर्मदा गांडी बने छे
हुं लखवाना प्रयोजनथी बूक ९. आचारांग सूत्र भणवाना प्रयो- |
लावू छु | जनथी साध्वीयो जोग करे छे|
| २१. | भणवाना प्रयोजनथी हुं जागुं १०. पापनों नाश करवाना प्रयो
२२. | बूक मुकवाना प्रयोजनथी हुं जनथी तप करे छे ११. चोमासाना प्रयोजनथी आचार्य
| टेबल लावू छु
| भाणाववाना प्रयोजनथी | भगवन्त उपाश्रयमा प्रवेश करे
| २३.
अध्यापक आवे छे
२४. | बेल वगाडवाना प्रयोजनथी १२. नव्वा गु यात्रा करवाना
वोचमेन आवे छे प्रयोजनथी पादरली भवनमां|
| २५. | बालकने स्कूल मुकवाना
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
५२ (हेतुनाम प्रयोजन-रूप) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
प्रयोजनथी माता आवे छे जनथी बालक चोर पासे जाय २६. रतिलाल स्वादना प्रयोजनथी खीर पीवे छे
| ३९. | संस्कृत शिखववाना प्रयोलेशन पुरुं करवाना प्रयो- जनथी साहेब आवे छे | जनथी साहेब वढे छ |४०. | वृद्धो सवारनी ताजगी मेलवबाधा( ना) पालवाना प्रयो- |वाना प्रयोजनथी घासमां चाले जनथी नित्य देरासर जाय छे स्तुतिना प्रयोजनथी उत्कृष्ट ४१. | वृद्धो फरवाना प्रयोजनथी | भाव लावे छे
उद्यानमां जाय छे रत्न-त्रयी मेलववाना प्रयो-| ४२. कन्याओ शणगार करवाना जनथी प्रदक्षिणा दे छे
| प्रयोजनथी फुलो तोडे छे । मोक्ष पद प्राप्त करवाना प्रयो- | ४३. ते चक डोलमां बोसवाना |जनथी सिद्ध-शिला उपर फल| प्रयोजनथी टिकीट खरीदे छे अर्पण करे छे
| ते बे दोस्ती करवाना प्रयोपूजन भणाववाना प्रयोजनथी| | | जनथी उद्यानमा मले छे
मन्दिरमां तैयारी करे छे | ४५. सुगन्ध मेलववाना प्रयोजनथी ३३. अट्ठाई महोत्सवमां भक्ति गीति| गुलाब सुंघे छे
गावा माटे अशोक गेमावतने | ४६. लपसवाना प्रयोजनथी लपबोलावे छे
सणी पर चडे छे कर्म-क्षयना प्रयोजनथी राधा | ४७. | बालको रमवाना प्रयोजनथी मोनिका साथे नृत्य करे छे । उद्यानमां दोडा दोड करे छे पूजन भणाववाना प्रयोजनथी| ४८. | | रोगी इलाजना प्रयोजनथी गजानन्द ठाकुरने बोलावे छे होस्पिटल आवे छे आवाज बन्ध करवाना प्रयो-| ४९. डॉ. शक्ति ना प्रयोजनथी जनथी गजानन्दभाई बुम पाडे| | ग्लुकोस चढावे छे
| ५०. | बालकने इलेक्शन आपवाना पूजननी प्रभावना लेवाना प्रयोजनथी चोकलेट आपे छे प्रयोजनथी रेखा मोनीत रति- ५१. | हॉस्पिटलनी सफाईना प्रयोलाल दोडीने आवे छे । | जनथी नोकर राखे छे चोकलेट मेलववाना प्रयो- ५२. | रोगी स्वास्थ्यना प्रयोजनथी
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (हेतुनाम-सहाय-रूप) ५३|| डॉ. नी आज्ञा माने छे
हेतुनाम-सहाय५३. | दर्दी रोग दूर करवाना प्रयोजनथी आराम करे छे
रूप ५४. चोकीदारे रक्षण करवाना
जयणा पालवामां रजोहरण | प्रयोजनथी जागृत रहेवू जोईए
सहाय रूप छे ५५. | राजाए न्याय आपवाना प्रयो
| वाक्यो लखवामां विचारो | जमथी विचारवं जोईए
| सहाय रूप छे ५६. | चोर चोरी करवाना प्रयोजनथी|
निन्दा करवामां जिह्वा सहाय | भागे छे
रूप छ ५७. | बिलाडी दूध पीवाना प्रयो
. ४. | नदी तरवामां जहाज सहाय जनथी ताके छे
| रूप छे ५८. | हुं सुवाना प्रयोजनथी संथारो
| साधुने क्रिया करवामां अष्ट करूं छु
| प्रवचन माता सहाय रूप छे ५९. साहेबने बताववाना प्रयो
| अकबरने निर्यण आपवामां | जनथी वाक्यो लखुं छु
| बिरबल सहाय रूप छे ६०. | यात्राना प्रयोजनथी यात्रिको
७. | भारतनी आझादीमां गांधीजी | पालिताणा आवे छे .
| सहाय रूप हतां | दादाने भेटवाना प्रयोजनथी हुं
| मनुष्य भवनी प्राप्तिमां पुण्य गिरिराज चढं छु
सहाय रूप छे | ते सम्बन्धीने मलवाना प्रयो
९. | लोकालोकनुं स्वरूप जाणवा जनथी स्टेशन आवे छे ।
| केवलीने केवल ज्ञान सहाय | ते सामान लेवाना प्रयोजनथी |
रूप छे कुलीने बोलावे छे .
| दुःखावाने मिटाववा बाम ६४. ते चोमासु करवाना प्रयो
| सहाय रूप छे जनथी नागेश्वर जाय छे
११. | तरस मिटाववा पाणी सहाय | रीना छ'री पालित संघमां
रूप छे जवाना प्रयोजनथी शङ्केश्वर
१२. | वार्ता लखवामां अलंकारित जाय छे
भाषा प्रयोगो सहाय रूप छे | गिरिराज चढवामां लाकडी
| १०.
१३.
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
|५४ ] ( हेतुनाम-सहाय-रूप) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह सहाय रूप छे
दोरडं सहाय रूप छे राजाने राज्य करवामां प्रधान | २९. | बजार जवामां स्कूटर सहाय सहाय रूप छे
रूप छे गजरान चलाववा सार्मिक | ३०. अर्जननो जय थवामां कष्ण दान सहाय रूप छे ।
सहाय रूप छे मरजीवाने डुबकी मारवामां | ३१. तपनी पुर्णाहुतिमां शासन देव | ओक्सिजन सहाय रूप छे | सहाय रूप छे
छोकराओने स्केटिंग करवामां | ३२. मलया सुन्दरीने पुरुष वेष | स्केटिंग बुट सहाय रूप छे धारण करवामां गुटिका सहाय | जुगारीने जुगार रमवामां पासा | |
रूप छे सहाय रूप छ
३३. | चोरने चढवामां दोरडं सहाय | निगो दना जीवो ने प्रगति रूप छे .
करवामां सिद्धना जीवो सहाय ३४. | झाड़नी वृद्धिमां पाणी सहाय २०. वाहनो चलाववामां पेट्रोल • रूप छ सहाय रूप छे
३५. | अमर कुमारने अग्नि- सिंहाकाजो लेवामां दण्डासण | सन बनवामां नवकार सहाय सहाय रूप छे
रूप छे २२. |सिंहने रहेवामां गुफा सहाय | ३६. | जीवने मोक्ष पामवामां क्षपक रूप छे
क्षेणि सहाय रूप छे २३. | पथिकोने विश्राम लेवामां | ३७. झाडनी वृद्धिमां पाणी सहाय
| वृक्षनी छाया सहाय रूप छे रूप छे . गौतम स्वामीने अष्टापद | दर्शनावरणीय बांधवामां निद्रा चढवामां किरण सहाय रूप छे सहाय रूप छे वृद्ध यात्रिकोने यात्रा करवामां | लखवामां पेन सहाय रूप छे डोली सहाय रूप छे
कविता लखवामां कविनुं चक्रवर्तीने छ खण्ड साधवामां दिमाग सहाय रूप छ। चक्र सहाय रूप छे ४१. | रामने स्कुल जवामां पग सहाय विद्यार्थीओने समजावामां बोर्ड | रूप छे
सहाय रूप छे | ४२. | जितुने पेन पकडवामां हाथ | कूवामांथी पाणी काढवामां सहाय रूप छे
३८.
४०.
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(सम्भव) | ५५/ ४३. कल्पनाने गलत वाक्य हता
काढवामां रब्बर सहाय रूप छे| ५७. साहेबने फरवामां सायकल | मोनितने रमवामां डिम्पल | सहाय रूप छे सहाय रूप छे
| ५८. प्रभुना जन्म कल्याणक निमित्ते |बालकने मारवामां लाकडी | मेरु पर्वत उपर जवामां देवोने सहाय रूप छे
| देव विमान सहाय रूप थाय स्वाद लेवामां जीभ सहाय रूप छे
५९. | ट्रेन चलाववामां इञ्जेन सहाय हथियार युद्धमां सहाय रूप छे| रूप छे ४८. | युद्धमां जवा माटे हाथी- ६०. | गाडी ऊभी राखवामां सिग्नल
| घोडा-रथ सहाय रूप छे । | सहाय रूप छे | राज-कुंवरीने राज कुंवर साथे| ६१. | सामान मुकवामां कुली सहाय | मलवामां दासी सहाय रूप छे रूप थाय छे | वंकचूलने पल्लीमां जवामां ६२. | रिर्जवेशन करवामां टी.सी.
पुष्पचुला सहाय रूप छे सहाय रूप छे ५१. | युद्धमां घायल थयेला हाथीने
सम्भव सजीवन थवामां वैद्य संहाय रूप छे
आचार्य नरकमां जाय पण ५२. | प्रजाना आनन्दमां राजा सहाय
हुं कर्मग्रन्थना अर्थ करूं पण रूप छे
शंकर त्रीजी आँख खोलो पण | राजा विनयी बन्यो एम| ४. गंधन कुलना सर्प झेर चुसे जाणीने पूजाने महोत्सव
पण करवामां प्रधान सहाय रूप छे |
| ललीता राखीनुं मुहूर्त कढावे युवराजने परदेश मोकलवामां
पण | राजाने राणी सहाय रूप थवी|
| ६. | राजुल नेमनी पाछल संसार | जोईए
छोडे पण चण्डकौशिक ने प्रतिबोध ७. | पू....सूरि म.सा. सरस्वतीनी करवामां वीर सहाय रूप हता
साधना करे पण ५६. | पाञ्चालीना शीलनुं रक्षण
समता धारी श्रावक दुःश्मनने करवामां कृष्ण सहाय रूप
क्षमा करे पण
५३.
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
| पण
||५६ | (सम्भव)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ९. नरकमां श्रेणिक राजा समताथी २४. लव-कुश रामनी साथे युद्ध दुःख भोगवे पण
करे पण १०. मोनित भजियाना मरचा खाय | २५. | सती शीयलना कारणे पोताना
प्राण आपे पण गर्भमा रहेलो तीर्थंकरनो जीव | २६. ते समुद्रमांथी मोती लावे पण माताने दुःख आपे पण । २७. | आ कालमां छमासी तप थाय | सती गायत्री पोताना पतिने पण | यमराज पासेथी पाछो मांगे | २८. | पू....म.सा. ५१ उपवास करे पण
पण मुछित थयेला राजाने जोईने | २९. अमे सुरत चोमासुं करीए पण राणी गभराय पण ३०. | उपवासमां भूख लागे पण पूर्व- वेर लेवा उदयभाणनी | ३१. स्वप्नमां भगवान् देखाय पण माता सापण बनीने मारे पण | ३२. | संकटमां देवो सहाय करे पण साधुनो वेश जोई ने भव्य | ३३. चौद पूर्वी मुनि निगोदमां जाय जीवो चारित्रने झंखे पण । पण , नाचती सुन्दरीने जोईने राजानी | ३४. | भाव विना दीक्षा लाभदायक नियत बगडे पण
बने पण युवराज पोताना पराक्रमथी | ३५. | महा-मुनि संयममां डगे पण
दुःश्मनोने जिते पण ३६. | काला माथानो मानवी धारे ते १८. अजगरना मुखमांथी महाबल | करे पण
मलयासुन्दरीने काढे पण ३७. | नीलम सुमतिने वेश्याना फंदा|हुं नियम अधुरा राखं पण । | मांथी छोडावे पण वधारे भणवाथी चश्मा आवे | ३८. ओरमान पुत्रने जोईने माताने पण
इर्ष्या थाय पण हरीश परीक्षामां १ नम्बरे आवे | ३९. | | धनना लोभमां ललचाईने भाई
भाईने मारे पण राजा राणीना मृत्युथी बीजा | ४०. रस-गुल्लाने जोईने मोढामां लग्न करे पण
पाणी आवे पण २३. हुं अट्ठम करीने २१ यात्रा करूं | ४१. रणजीत १०० रसगुल्ला खाय
पण
पण
पण
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
| पण
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(सम्भव) ५७ ४२. हुं उत्तराध्ययनना ३६ अध्ययन ६३. अपेक्षा स्कूल जाय पण
| कण्ठस्थ करूं पण ६४. | हमणां मोर अहींथी उडे पण ४३. हुं कलाकमां गिरिराज चढुं पण ६५. कदच लाईट चालु थाय पण ४४. हुं संस्कृतमां बोली शकुं पण ६६. शासन देवना क्रोधथी उपद्रव ४५. हुं दुःखियाने आश्वासन आपुं| थाय पण | पण
६७. |शन्नी आजे धमाल करे पण ४६. हुं १०० किलोग्राम. वजन ६८. | ते बालक जीवे पण उपाईं पण
६९. | तडकामां फरवाथी माथु दुःखे ४७. मुनिओ जंगलमा रहे पण
पण ४८. | हुँ ५० घडा पाणी लावू पण ७०. गारुडी मन्त्रथी झेर उत्तारे पण ४९. हुं सिद्धचक्रनुं मांडलुं बनायूँ ७१. | स्प्रींग दबाववाथी उछले पण पण
७२. | ढळावमा गाडी छटके पण | राधा सम्यक्त्व प्राप्त करे पण ७३. | जन्म दिवस छे माटे पार्टी आपे | चोर ताळा तोडे पण
हं एक दिवसमां ५० ७४. आजे पू....विजयजी स्तवन | किलोमीटर चालुं पण .
बोले पण | अकबर बिरबलने मन्त्री पदंथी ७५. परिश्रम करवाथी ताव आवे काढे पण
पण ५४. ते आचार्य पद प्राप्त करे पण ७६. | स्कूटर चलाववा जतां एक्सि५५. रवि सर्पने पकडे पण
डण्ट थाय पण ५६. वकिल साचो न्याय आपे पण ७७. अमीता धमाल करे तो मार
हुं घोर अंधारामां चालुं पण खाय पण | लालचन्द्र आचार्य भगवन्तना| ७८. | पाप क्रिया करे तो लोको | पगला करावे पण
| निन्दा करे पण वृद्ध साधु मासक्षमण करे पण ७९. | श्राविका सामायिकमां वातो | माँ बालकने घरमां भणावे करे पण पण
| ८०. ठण्डी छे माटे स्वेटर पहेरुं पण . | रवि केवी पण कठिन समस्या ८१. थाक छे माटे वाक्यो न पण | हल करे पण
लखं ६२. | तमे डॉ. बनो पण ८२. भाडे आपवा मकान बन्धावे
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
पण
|५८ | (सम्भव)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह पण
९९. | कवि ग्रन्थ लखे पण दोरडा उपर नाचतो इलाची | १००. हुं ५०० आयंबिल करूं पण कुमार पडे पण
१०१. व्रतधारी श्रावक गोचरी लावे देवताओ मनुष्य लोकमां आवे | पण पण
१०२. गृहस्थ लोच करे पण संदीप बालपणमां कार चलावे | १०३. साहेब १ महिनामां बूक पूरी, पण .
करावे पण दादी म.सा. दादानी यात्रा करे | १०४. हुं ६८ उपवास करूं पण पण
१०५. आचार्य सर्व संघने सम्भाले दमनो दर्दी विमानमां बेसे पण| पण गुञ्जन घोडा रेसमा प्रथम नम्बर | १०६. मन्दोदरी नृत्य करतां तीर्थंकर आवे पण
नामकर्म बांधे पण हाथीना कानमां कीडी पेसे | १०७. आ.भ. नव वर्षना नाना
• बालकनुं मुहूर्त काढे पण . सामान्य मुनि ग्रन्थोनी रचना | १०८. चन्दन बाला भगवान्ने पार| करे पण
करावे पण | आजे बालकोनुं बहुमान थाय | १०९. ते शान्तिथी भगवान्नी भक्ति पण
करे पण हुं प्राकृत भणुं पण | ११०. छ'री प्रालित संघ मद्रासथी कालियो नाग कृष्णने डंख | शिखरजी जाय पण मारे पण
| १११. मोर वःसादमां पाँख फेलावी नलराजा दमयन्तीने मुकी जाय नृत्य करे पण पण
| ११२. अवधी ज्ञानी अढी द्वीपनी | पक्षालना प्रभावथी कोढ रोग | बहार देखे पण . दूर थाय पण
११३. छ महिनानो बालक दोडे पण | आजना कालमां पक्षीवडे | | ११४. ते ओघानी दशी गणे पण |संदेश अपाय पण | ११५. ते सुन्दर वाक्यो लखे पण | चक्रवर्ती दीक्षा ले पण ११६. राम रहिम साथे दोस्ती करे पण साधु म. सा. भगवती सूत्र ११७. पोपट मरचुं खाय पण भणे पण
११८. हं आचाराङ्ग भंणं पण
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (सती सप्तमी) | ५९|| |११९. अपंगो यात्रा करवा जाय पण गाथा गोखे छे १२०. बाने छीकणी सुंघतां छींक ६. तारामां विवेक होते छते ज्ञान आवे पण
वधे छे १२१. कदाच गुरुजी आज्ञा करे पण ७. ते प्रभु भक्ति करते छते कर्म १२२. मने वाक्यो लखतां ऊँघ आवे | तोडे छे पण
। ८. तीर्थंकर मोक्षमा जते छते १२३. हुं गिरिराजना पगथियां चढुं| | निगोदनो जीव व्यवहार राशिपण
मां आवे छे १२४. सेवक सेवा न पण करे .. ९. ते काउस्सग्ग करते छते |१२५. ते लाम्बा लाम्बा विहार करे | स्थिरता पामे छे पण
| १०. सामायिक करते छते समता १२६. ते साहेबर्नु लेशन पुरुं करे| आवे छे पण
धर्म ध्यान करते छते जूना १२७. दीक्षा लईने जोग करे पण कर्मो तोडे छे |१२८. गुरु शिष्यने सम्भाले पण १२. |दुःख सहन करते छते नारकर्नु |१२९. नरकना जीवो समता राखे आयुष्य भोगवे छे पण
१३. | पुरुषार्थ करते छते सफलताने १३०. वंकचुल ७ (सात) व्यसनमा
मेलवे छे मस्त रहे पण
| पशुओनो पोकार साम्भलते सती सप्तमी
छते नेमनाथ रथ पाछो फेरवे ते देरासर गये छते भावना ,
| परमात्मानी भक्ति करते छते भावे छे .
श्रेणिक राजा तीर्थंकर नाम | २. |तेने मिठाई खाते छते सुगर
कर्म बाँधे छे वधे छे
१६. परमात्मानी आरती उतारते छते बादल गर्जते छते वरसाद |
कुमारपाल राजा पोतानुं नाम आव्यो हतो
अमर बनावे छे | ते व्याख्यान सांभलते छते | १७. छमासी तप करते छते .चम्पा जीवनमां उतारतो नथी ।
श्राविका जैन शासननी शोभा ५. | सोनल सामायिक करते छते | |वधारे छे
.
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
१८.
||६०.(सती सप्तमी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
| बिजोरा पाक वहोरावते छते होते छते वस्तु खुटे छे रेवती तीर्थंकर नाम कर्म बाँधे | ३२. | रावण वीणा बगाडते छते
मन्दोदरी नृत्य करे छे . हुं वाक्यो विचारते छते खोटां | ३३. | कोणिक रोजना सो कोडा पडे छे
मरावते छते श्रेणिक समता | जुगारी जुगार रमते छते पैसा | धारण करे छे | कमाय छे
३४. | कृष्ण वासली बगाडते छते विनय करते छते विद्या प्राप्त । | राधा आवे छे . .... थाय छे
| ३५. | राक्षा बन्धन आवते छते बहेन | परीक्षा आपते छते संजु नकल | | पासे भाई राखी बन्धावे छे करे छे
| ३६. | रेश्मा स्कूल जते छते युनिफोर्म पेंटिंग करते छते पेण्टर रंग पूरे बगाडे छे .
तीर्थंकर- कल्याणक होते छते | | मेघ वरसते छते बालको जाय | . . | देवताओ महोत्सव करे छ ।
पुष्प पूजा करते छते साप संगीत वागते छते भक्तो भाव
| डंखे छे विभोर थाय छे
| समवसरणमां बेठे छते चन्दनपूर्व भवमां घृतनुं दान देते छते | बाला समयने भूले छे .. धन सार्थवाहे तीर्थंकर नाम | ४०. | उटी फरवा जते छते ते कन्या| कर्म बांध्यु
कुमारी जाय छे २७. श्रावक मुनिने मोदक वहोरा- ४१. चण्डकौशिक दंस दते छते
वते छते ना ना कहे छे । | वीरना अंगूठेथी दूधनी धारा कार्योत्सर्ग ध्यानमा होते छते | वहे छे प्रसन्नचन्द्र मुनि राज्य, चिंत-| ४२. | दीपकमां धी पूरते छते ज्योत वन करे छे
| बुझाई जाय छे बालकोनी टीम वॉली बोल | ४३. | गिरिराज चढते छते हुं पडी हती | रमते छते हारी जाय छे । ४४. | वाक्यो लखते छते मारे डोशीमां लाकडीना टेके विचारवू जोईए . चालते छते पडी जाय छे । ४५. | चोकलेट खावानी इच्छा करते स्वामिवात्सल्यनुं आयोजन छते बालक रडे छे
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
६१.
४८. /
बहार काढे छे
|चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (सती सप्तमी) | ६|| ४६. | रथयात्रा देखते छते लोको करूं छु समकित पामे छे
| सूर्योदय थये छते कोयल ४७. | सतीनुं सतीत्व जोते छते टहुकार करे छे
|लोको अजायबी पामे छे । ६२. | रोहक कानमांथी आंगली सिंहनी गर्जना साम्भलते छते काढ्ये छते भगवान्नी देशना शिकारीओ दोडे छे
साम्भले छे ४९. | पेनने खोलते छते साही| ६३. |
| शालीभद्रनी ऋद्धि अपार होते | ढोलाय छे
छते देवलोकमांथी नव्वाणु ५०. | साप दंस मारते छते जीभ | | पेटियो उतरे छे
६४. नवा वर्षे गौतम स्वामीनुं नाम ५१. | दोरडां कूदते छते राधा चक्कर लीधे छते ऋद्धि सिद्धि अपार खाय छे
थाय छे माता रडते छते दीक्षार्थी ६५. | प्रभुने जन्म थये छते हरिण संसारने छोडे छे . गमेषीदेव घंटनाद करे छे । | सखियो रडते छते ते ६६. | दीक्षानो समय जणाते छते अलङ्कारोनो त्याग करे छे । नव लोकान्तिक देवो आवे छे चन्दनाए अट्ठम कर्ये छते ६७. हुं दरवाजो खोलते छते साहेब बाकुलाथी पारणुं कर्यु
आवे छे चन्दनाए मुण्डन कर्ये छते ६८. संकेत केलावडां खाते छते
आँखमां अश्रु न हतां । चटणी मांगे छे | नवकार मन्त्र गणते छते सर्प ६९. | राणी रिसाये छते राजा पण फुलनी माला बने छ । गभराय छे सुभद्रा जल छंटकाव करते ७०. | बालक हठ पकडते छते माता छते नगरना दरवाजा खुले छे| मारे छे | श्रीपाल पक्षाल लगाडते छते ७१. | वांदरो फल फेंकते छते बालक
कोढ रोग दूर थाय छे । झीले छे | महावीर स्वामीए घोर तपस्या| ७२. | हुं सुती छती स्वप्न जोq छु करते छते उपसर्गोने सहन ७३. | राजा दान आपते छते लोको कर्या
दोडे छे . ६०. | हुं प्रतिक्रमण करते छते निंदा ७४. | सिंहनी गर्जना साम्भलते छते
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
| ९१.
६२] (सती सप्तमी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह पशुओ भागे छ
माली फुल लावते छते पूजारी मदारी वांसली वगाडते छते फुल चढावे छे सर्प नृत्य करे छे
लक्ष्मण मुच्छित थये छते नीतु थाकते छते बेसे छे । हनुमान औषधि लावे छे ७७. चीकु चोरी करते छते रीकु | ९३. लक्ष्मण नरकमां दुःख भोग| जुवे छे
वते छते सीता सान्त्वना आपे बेन रडते छते भाई विदाय| आपे छे
| ९४. वृक्षमांथी फल पडते. 'छते पुण्य होते छते करोडपति बने वांदराओ खाय छे
९५. मार खाते छते बिलाडी दूध बेन विदाय लेते छते भाई पीवे छे समजावे छे
स्वीटी स्कूल जाते छते रडे छ | वैयावच्च करते छते भाव | ९७. | जीव यात्रा करते छते थाके छ | जागे छे
९८: हनुमान पत्थर लावते छते ते ते आर्तध्यान करते छते कर्म | पुल बाँधे छे | उपार्जन करे छे
९९. सीता हरणनी माँग करते छते ते पुण्य भोगवते छते देव- | राम दोडे छे लोकनो भवपूर्ण करे छे १००. मुनि लोच करते छते कर्म | | रोहित पुरुषार्थ करते छते पाछळ खपावे छे पडे छे
|१०१. तमे आवते छते दरवाजो बन्ध घडो फुटते छते पाणी ढोळाय| करो .
| १०२. ठण्डी पडते छते सरदी थाय छे भूख लागते छते नीरु रडे छे | १०३. विहार करते छते तेओना पग ऊँघ आवते छते हुं सुq छु । छोलाय छे | राजुल विलाप करते छते नेम- | १०४. सुलसाना ३२ पुत्रो मरण नाथ पाछा जाय छे । | पामते छते ते शोक करती संसारी संसारना सुख भोगवते | नथी छते वैरागी बने छे १०५. हुं वाक्यो वांचते छते आनन्द वैरागी संसारमा रहेते छते कर्म| | पामुं छु खपावे छे
| १०६. सुनीता स्नात्र करते छते नाचे
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्री
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (अनादर-षष्ठी) | ६३||
११. | मनुष्य जन्म प्राप्त थये छते |१०७/ कामली ओढते छते मारा वडे कर्माधिन मनुष्यो रत्नत्रयीनी
| जीवोनी जयणा पलाय छे । आराधना करतां नथी १०८, हुं काँप काढते छते गोर्खा छु| १२. | पिताजी ना पाडते छते प्रफुल १०९, हाथी सुंढ ऊँची करते छते| शेर बजारमा जाय छे
लोकोने डरावे छ । १३. | राखीने गुरुजी कहेते छते ११०. मुमुक्षु करोडोनी सम्पति होते मुहूर्त कढावती नथी
छते वैभवनो त्याग करे छे । १४. सूर्यनो प्रकाश होते छते ते अनादर-षष्ठी
लाईट करे छे
| १५. | गोचरी लावीने भक्ति करते | माता वलोपात करते छते
छते तेणी उपवास करे छे । धन्नो अणसण करे छे
१६. | माता ना पाडते छते दिव्या बगीचो होते छते माली फुलो- कॉलेज जाय छे
नी सजावट. करतो नथी । | १७. | छत्री होते छते पारुल वर३. | फुलो होते छते, पूजारी प्रभुनी
| सादमां भीजाय छे पुष्प पूजा करतो नथी
१८. | दशरथचें मन न होते छते ४. | वकिल होते छते केस जल्दी
| कैकयी वरदान ले छे छुटतो नथी
| चन्दना रडते छते मूला शेठाणी ५. | पोलिस होते छते चोर चोरी
| चन्दनाने भोंयरामां पूरे छे | करे छे
| कुत्तरानी इच्छा न होते छते ६. रीना बोलावते छते मीना
लोको तेने बांधी राखे छे आवती नथी
बेसवानी व्यवस्था होते छते ७.. राजानी आज्ञा होते छते प्रजा
| माणसो प्रसंगोमां ऊभा रहे छे पालन करती नथी
प्रजापाल ना पाडते छते ८. शक्ति होते छते पङ्कज तप
मयणा कोढियाने वरे छे करतो नथी
सखियो ना पाडते छते पाणी होते छते तुं घडो खाली
राजकुंवरी शिकार रमवा जाय राखे छे.. १०. पेन होते छते कल्पेश पेन- २४. | खेड़तोनी बेदरकारी होते छते .सिलथी लखे छ
पशुओनी हालत बगडे छे।
| २३.
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
||६४] (अनादर-षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
पशुओनी हालत बगडते छते दुर्योधन द्रौपदी- चीर खेचे छे
खेडुतो बेदरकार रहे छे |३९. मृगावतीने केवल ज्ञान होते | यशोदा मनाई करते छते कृष्ण छते चन्दनबाला ठपको आपे माखण चोरे छे सेनापति होते छते युद्धमा | ४०. | मातानो निषेध होते छते लवसिपाहीयो प्रमाद करे छे कुश पिता साथे युद्ध करे छे | मेताराज मुनि निर्दोष होते छते | ४१. | शिष्य कहेते छते शैलकाचार्य सोनी एमनी उपर शंका करे छे | विहार करता नथी .. साहेब, रजिस्टर होते छते हुँ| ४२. | साहेब ना पाडते छते हुं वाक्यो लेशन पुरुं करती नथी । | बोलुं छु गुरुदेव ना पाडते छते ते | ४३. आचार्य भगवान्त ना पाडते मद्रास तरफ विहार करे छे । | छते शिष्यो असज्झायमां भणे महावीर स्वामी होते छते ते | गौतम स्वामिना गुणगान करे | ४४. | आचार्य भगवन्त वासक्षेप
आपते छते तेओ नथी लेता | रावण ना पाडते छते बिभिषण | ४५. गुरुदेव ना पाडते छे हुँ उपवास | रामथी सम्बन्ध जोडे छे
करूं छु चेलणा राणी होते छते | ४६. | | रस्तामां जिनालय आवेत छते कोणिक श्रेणिक राजाने कोडा | तेओ ; नमो जिणाणं' नथी मारे छे
बोलता साधु म.सा.ना पाडते छते | ४७. | नर्तकी नाचते छते राजा श्रावको देरासरमां आशातना शाबाशी आपतो नथी .. करे छे
| ४८. | गुरुदेव ना कहेते छते श्याम वरसाद वरसते छते मालि गिरिराज चढे छ । वृक्षोने पाणी सिञ्चे छ । ४९. | गुरुदेव होते छते श्याम साध्वीजी भ.ना पाडते छते चोमासामां शत्रुञ्जयनी यात्रा श्राविकाओ वातो करे छे । करे छे | भगवान् होते छते गोशलक ५०. | फुलनी सुगन्ध होते छ। रिंकु
| पोताने तीर्थंकर जणावे छे । नाक बन्ध करे छे ३८. भिष्म पितामह जोते छते ५१. | मीनाक्षी बेन जैन देरासर होते
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (अनादर-षष्ठी) | ६५||
छते विष्णुना मन्दिरमा जाय छे| ६५. पिता ना पाडते छते पुत्र गुरु | ५२. | दीक्षा मण्डपमा जग्या होते छते पासे जाय छे
लोको ऊभा छे. ६६. | जटायु ना पाडते छते रावण ५३. | दीक्षार्थी होते छते राजा | सीताने लई जाय छे
दीक्षार्थीना अवगुण गाय छे | ६७. | साधु भ० उपदेश देते छते ५४. साहेब पाठशाळा भणावते छते लोको धर्म करता नथी
| रोनु घरमां भणे छे । ६८. | साधु भ० उपदेश देते छते ५५. | माता काम करते छते पूर्वी रमे लोको पाप-प्रवृत्ति आचरे छे
६९. | राजा आदेश देते छते युवराज | संकेत साम्भलते छते पिताने युद्धमा जतो नथी
जवाब आपतो नथी । ७०. | राजा युद्धनो आदेश देते छते | हुं वाक्यो बोलते छते कोई| युवराज राजमहेलमां आनन्द | साम्भलतां नथी -
माणे छे ५८. पच्चक्खाण लीधे छते | ७१. धृतराष्ट्रनी ना होते छते दुर्यो
सामायिकमां बेनो वातो करे | धन पाण्डवो साथे झगडे करे
| राम अने लक्ष्मण ना पाडते| ७२. | लोको समजावते छते इलाची छते सुर्पणखा मांगणी करे
छे कुमार नटडी पासे जाय छे सेजलदे ना पाडते छते सुमति ७३. | देवकी ना पाडते छते कंस कामसेना पासे जाय छे । | पुत्रोने मारे छे यशोदा ना पाडते छते कृष्ण ७४. | देवकी देखते छते कंस पुत्रोने मटकी फोडे छे
मारे छ ६२. पू. भद्रबाहुसूरि ना पाडते छते ७५. | शान्तनु रोकते छते गङ्गा पाछी | शिष्य वैश्याने त्यं चातुर्मास जाय छे करवा जाय छे
| अर्जुन ना पाडते छते अभि६३. | राधाने आज्ञा आपते छते साधु | मन्यु युद्धमां जाय छे | म. साने गोचरी वहोरावती ७७. | राजा शान्त्वन आपते छते नथी
प्रजा शोक करे छे ६४. नेता आज्ञा आपते छते लोको ७८. नैना ना पाडते छते सुधीर आज्ञा मानता नथी
फटाकडा फोडे छे ।
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
६६ (विशेषण-विशेष्य) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
लक्ष्मण ना पाडते छते सीता | १०. मयणा प्रभुजीनी सुन्दर आंगी लक्ष्मण रेखा ओलंगे छे । रचे छे | बोट होते छते ते हाथथी समुद्रमां| ११. | प्रभुजीनी भव्य अङ्ग रचना तरे छे
जोईने मुग्ध बालको खसता गुलाब होते छते ते मोगराने
नथी . सुंघे छे
| १२. नूतन जिनालयमां सोनानुं सुन्दर विशेषण-विशेष्य सिंहासन होवू जोईए
| १३. शामलिया पार्श्वनाथ. भ. १. नूतन देरासरमां मनोहर मूर्ति लोकोने आकर्षित करे छे जोईने परम शान्ति अनुभवे छे
| १४. | भव्याति भव्य पूजनमा २. प्रभुजी- मटकालु मुख भाविको
आचार्य भ. पधारे छ निहाले छे.
१५. | रवि निर्मल जलथी प्रभुजीनो प्रभुजीना मुखथी झरतुं अमृत
| प्रक्षाल करे छे लोको झीले छे
१६.. देरासरनी फरती ध्वजा शामलिया पार्श्वनी चमत्कारी
लोकोने आकर्षित करे छे प्रतिमा जोईने लोको विस्मय
१७. | देरासरना पगथियां खुब लिसा पामे छे नूतन जिनालयनी भव्य प्रतिष्ठा
श्याम देरासरमां रंगीन पट कराववा महान् आचार्य भग
बनावे छे वन्त पधारे छे
| देरासरनो नानो कलस जोईने | त्रिलोकी नाथनी अपरम्पार |
| नानो बालक मांगे छे कृपाथी जीवन धन्य बने छ
| पार्श्व प्रभुनी करुणा दृष्टिथी काचना विशाल देरासनी
लोको आनन्द पामे छे सुन्दरता जोवा विदेशियो पण
| नटखट शन्नी गरम स्वादिष्ट आवे छे
समोसा खाय छे हर्ष घेली मयणा प्रभुजीने
२२. काली बिलाडी ठण्डं दूध सोनाना फूलडे वधावे छे
| जल्दी जल्दी पीवे छे मन हरणी प्रभुनी सुन्दर प्रतिमा २३. | देखावडी ढिंगली राजा सामे जोईने लोको क्षण वार संसारने
| सुन्दर नृत्य करे छे भूले छे
२४. गोल्डन ना दरियानो आनन्द
१९.
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
मेलवबा राधा - मनिष लाल बोटमां बेसे छे
३७.
२६.
२५. गोल्डन ना स्थिर पूतलाने जोईने फोरेनर आनन्द पामे छे । ३८. | गार्डनमां करुण शूटिंग जोईने निरीक्षक माणस पण रडे छे २७. गार्डनमां चालती लटकाली | लताने जोईने राधा बोलवे छे। ४०. २८. गार्डनमां कलरिंग फुवारो
३९.
जोवा माटे बालक रडे छे २९. गार्डनमां दोडता सफेद ससलाने | जोईने मनिषर्ने पकडवानुं मन थाय छे
३०. गार्डनमां महान् ऋषिने जोईने माणसो नमस्कार करे छे ३१. गार्डनमां गर्जता सिंहना अवाजथी माधुरी डरती थी ३२. नयना पोतानी गमगीनी दुर करवा माटे साहेलियो साथे विशाल बगीचामां जाय छे ३३. कमलेश लाल शर्ट पहेरीने | बगीचामां क्रिकेट रमे छे ३४. सूरज गार्डनमां गांडा हाथीने जोईने पोताना इलाजथी | काबुमां लावी शकतो नथी ३५. राजानी आज्ञाथी माली बगीचामांथी राणी माटे सुन्दर फुलो लावे छे
३६. निशा नाना बगीचाने विशाल करवा माटे पिताजी पासे
४१.
४४.
(विशेषण - विशेष्य )
अरजी करे छे
बगीचाने खोदतां नयनाने नवलखोहार मले छे सुधिर बगीचानी तीखी भेल खाईने निन्दा करे छे
जिज़ा पिताजी साथे बगीचामां मोटा चकडोलमां बेसे छे भरत बगीचामां अनाथ बालकने जोईने वासु साथे
४६.
४७.
४८.
४९.
६७
४२. श्रीपाल महाराजानी पत्नीने बगीचामो कालो सर्प करड्यो ४३. नर्तकी बगीचामां पोतानी सुन्दर कला बतावीने पब्लिकने खुस करे छे विशाल उपाश्रयमां परम पू. आ. भ. विरजामान छे ४५. उपाश्रयमां सिद्ध चक्र पूजन भणाववा गम्भीर पण्डितजी आवे छे
वात करे छे
गांडो माणस बगीचामां | मालीने पूछ्या वगर फूल ताडे
छे
उपाश्रयमां मोटा बे दरवाजा लोखण्डनां छे
सुन्दर उपाश्रयने जोईने लोको प्रशंसा करे छे
ऊननुं गरम कटासणुं लईने बेनो सामायिक करे छे उपाश्रयमां श्रावको मधुर
Page #73
--------------------------------------------------------------------------
________________
(विशेषण - विशेष्य )
भक्ति गीत गाय छे ५०. उपाश्रयमां वृद्ध साध्वीयोने जोईने श्रावको भक्ति करवा माटे अने वहोराववा माटे आवे
छे
६८
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
लईने, लाल शर्ट पहेरीने साहेब संस्कृत भणाववा आवे छे
सफेद माला पहेरीने दीक्षार्थी दीक्षाना वरघोडामां जाय छे साधु. म. सा. सफेद दाण्डो लईने गोचरी जाय छे झरीनो लाल बटवो लईने आ.भ. वासक्षेप नाखे छे सञ्जय सफेद शाल ओढीने दहेरासर जाय छे
स्विटी काली बेग लईने स्कूल जाय छे
६६: | अनीता लीलुं टेबल लईने लखे छे
५८. विशाल उपाश्रयमां दीक्षार्थी सारुं भाषण आपे छे
६१.
उपाश्रयमां ज्ञान पञ्चमीने दिवसे सुन्दर ज्ञान उत्साहथी श्रावक-श्राविकाओ गोठवे छे ५२. उपाश्रयमां उत्साहथी कल्पसूत्र वांचवा माटे मोटी बोलीओ ६४. श्रावको वडे बोलाय छे
६३.
५३. बालकों उपाश्रयमां रंगीन मांडलुं कलर वाला चावलथी दोरे छे
५४. उपाश्रयमां मोटी तपस्या | निमित्ते संघ पूजन थाय छे ५५. उपाश्रयमां नानो बालक आवीने दीक्षा माटे रडे छे ५६. उपाश्रयमां महान् तपस्वीने जोईने भवि लोको वन्दन करवा आवे छे
५९. उपाश्रयमां नाना बोलको जगडु शाहनो ड्रामा करे छे ६०. मोटा उपाश्रयमां लाल थेली
६२.
६५.
६७.
६८.
५७. उपाश्रयमां प्रभावशाली ७०. आचार्य भगवन्तने जोईने माणसो जापनो वासक्षेप नखावे छे
७१.
६९.
सुनीता गुलाबी साडी पहेरीने उपाश्रय आवे छे
श्याम लाल आसन पर धर्म क्रिया करे छे
कालो नाग माणसने जोईने मोटी फणा मारे छे गुच्छावाला मोटा दण्डासणथी साध्वीजी म.सा. काजो ले छे लाल पेनथी हरेश साचा वाक्यो लखे छे
७२. भूरो शर्ट पहेरीने अनील सुन्दर गार्डनमां जाय छे
७३. सफेद ड्रेस पहेरीने नरेश, | गणतन्त्र दिवस मनावे छे ७४. सफेद सुपडी लईने चन्दन
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
बाला बांकुला वहोरावे छे ७५. गरम कांबली ओढीने साध्वीजी म. यात्रा करे छे ७६. | नानो लाल डब्बो लईने सुरेश गाँव जाय छे
७७. सलगता कोलसाथी सीता स्वादिष्ट भोजन बनावे छे ७८. प्लास्टिकनी ब्लू डोलमां गीता गरम पाणी लावे छे
७९. | सफेद ग्लासमां नीता मीठं दूध पीवे छे
८०. बनारसनी पीली साडी पहेरीने राखी पौषध करे छे
८१. काली सुटकेश लईने ललिता नाना भाईने मलवा जाय छे ८२. घरथी स्टेशन जवा माटे पील रिक्षामा बेसे छे
८३. सफेद टिकिट लईने कला लाल रेलगाडीमां आवे छे ८४. ट्रेनमां बेसीने स्वादिष्ट भोजन करे छे
८५. स्टेशन पर उतरीने मीठां जामुन ले छे
८६. स्टेशन पर दुःखी भिखारी मेला कपडां पहेरीने भीख मांगे छे
८७. टिकिट चेक करवा माटे काला कोट वालो टी.सी. आवे छे
८८. टी. सी. नो दुष्ट स्वभाव जोईने
८९.
९०.
९१.
९२.
(विशेषण - विशेष्य ) ६९
लोको डरे छे
गाडीने रवाना करवा माटे सफेद कोर्ट वालो गार्ड हरी झंडी बतावे छे
गाडीने ठहरवा माटे लाल झंडी बतावे छे
९५.
गाडीमांथी मोनित सोनेरी अंगुठी नाखे छे
चालती गाडीमांथी मोह न गन्दा प्लेट फोर्म पर उतरतो नथी
९४.
९३. स्टेशन पर गरीब कूल्लीने जोईने मने दया आवे छे स्टेशन पर अपंग माणस मधुर गीत गाईने घणा पैसा मेळवे छे
गाडीनुं काळं इञ्जिन सलगता | कोलसाना गरम तापथी चाले छे
९६. पूनाथी निकलती गाडी अंधारी गुफामांथी पसार थाय
छे
९७.
९८.
माता पिताने गाडीमां बेसतां जोईने नानो मनिष रडे छे गाडीमां समय पसार करवा माटे करुण वार्ताओ वांचे छे प्रीतेश स्टेशन पर मलवा माटे आवे त्यारे सुन्दर भेट लावे छे १००, स्टेशन पर दोडता चोरने जोईने लोको बूम पाडे छे
९९.
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________
||७०(विशेषण-विशेष्य-कृदन्त ) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह १०१. लाल साडी पहेरावीने गांडी कलर छे
कलाने डॉक्टरने बताववा | ११२. हॉस्पिटलमां शिखर बन्धी. माटे समकित काळु पेण्ट अने | | विशाल देरासर होवू जोईए.
| सफेद सर्ट पहेरीने लाल | ११३. हॉस्पिटलमां बेसवा लाकडानी कारमा बेसीने स्टेशन पर लाम्बी बेंच छे . जईने सफेद टिकिट लईने | ११४. हॉस्पिटलनुं उद्घाटन मन्त्री लाल डब्बामां ए.सी. कोचमां द्वारा रीब्बन कापीने कराय छे बे सीने बोम्बनी प्रख्यात | ११५./ दर्दीओ माटे डॉक्टरना हृदयमां मेण्टल हॉस्पिटलमां लई जाय
करुणा होय छे
| ११६. बधा डॉक्टरो साथे मलीने १०२. आजे विशाल नूतन | हॉस्पिटलनी ख्याति. माटे
हॉस्पिटलनो शीलान्यास छ | विशाल जन समुदायनी हॉस्पिटलनो नकसो सुन्दर
| मिटिंग राखे छे अने आकर्षक छे ११७. ट्रेन- एक्सिडण्ट थतां गम्भीर १०४. हॉस्पिटलमां सफेद आरसना | रीते घायल थयेलां लाल मोटा अने लिसा पत्थर होवा
लोहीथी खरडायेला नाना जोईए
मोटा बालक-वृद्ध-आदिने १०५. नूतन हॉस्पिटलमां होशियार | बोम्बेनी प्रख्यात "बॉम्बे डॉक्टरो आववाना छे
हॉस्पिटलमां" पहोंचाडवामां १०६. हॉस्पिटलना बारी बारणाओने आवे छे
लीला रंगना पदडा छे . विशेषणविशेष्य१०७. हॉस्पिटलना नोंने सफेद युनिफोर्म छे
कृदन्त |१०८, हॉस्पिटल नाम सुन्दर अक्षरोमां| | तीर्थ स्वरूप पालिताणामां लखेलुं छे
वृद्धाश्रममां वृद्ध साधु-साध्वी १०९. डॉक्टर रोगीना भयंकर रोगने
अने श्रावक श्राविकाओ माटे जोई विचारे छे
| पुण्यशाली श्रावको उत्तम हॉस्पिटलमां दर्दीओने पोष्ठिक |
लक्ष्मीथी उत्साह पूर्वक उदार खोराक आपे छे
दिलथी वैयावच्च करे छे |१११. हॉस्पिटलनी भींतोनो क्रिम
Page #76
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (विशेषण-विशेष्य-कृदन्त) ७१ २. | परम पूज्य सरल स्वभावी घडामां मधुर गोरस लईने
आचार्य भगवन्त....सूरि म. वेश्याना विशाल भावन | सा.नी पावन निश्रामां नाना बे आगल लटकाली चालथी बालको पोताना पवित्र चालती गोरस ल्यो गोरस एम आत्माने मोक्षमां लई जवा ( बोलती) कोकिल कण्ठथी माटे भयंकर संसारने त्यजीने अवाज करती फरे छे अमूल्य चारित्र ग्रहण करवा | ५. | हॉस्पिटलमां समय पसार माटे ममतालु माता पासे | करवा माटे दर्दी रूमनी मोटी | आज्ञा मांगे छे.
बारीमा प्लास्टिकनी कुर्सी पर काला नेम कुमार किमती | बेठा बेठा सवारमा सूर्यना | वस्त्र आभूषणो धारण करीने | लाल किरणोने तेमज सामना सफेद घोडा वाला रत्न जडीत बगीचामां रमतां, खिलता रथमां बेसीने उग्रसेन राजानी लाल गुलाबी पीला पुष्पोने लाडली पुत्री राजुलने वरवा | |सुंघतां नाना बालकोने जुवे छे माटे जतां नाना पशुओनो| ६. घोर जंगलमां भयंकर क्रोधित करुण पोकार साम्भलीने सर्पने जोईने रूपालि राधा रोती राजलने मकी रथ पाछो | | अतिशय भयभीत थईने वालीने संयम ग्रहण करे छे पोताना मोटा भाईने जोरथी | परमात्मा वीरना शासनमां बूम पाडीने दोडीने जल्दी महान् आचार्यो भव्य जीवोने आववायूँ कहे छे प्रतिबोध करीने संयमनी ७. |विशाल स्कू लना मनोहर | उत्कृष्ट भावना जागृत करी| उद्यानमां नाना नाना मोह रूपी संसारने छोडी बालकोनी रमत अने एमनी समता धारक श्रेष्ठ जीवन मीठी मीठी तोतिली बोली बनाववानी प्रेरणा करे छे । साम्भलीने अध्यापक मनमां | सती नीलम देवी पोताना खुब ज आनन्द अनुभवे छे प्राणनाथ सुमतिने मेलववा अने बालकोने खुब सुन्दर | माटे सुन्दर स्वप्न अनुसार प्रोत्साहन आपे छे |गोवालणनो अद्भूत वेश | दयालु शेठ गरीब दुनियाना | धारण करी माथा उपर लाल माणसोने स्वादिष्ट भोजन अने
Page #77
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| ७२ | (विशेषण-विशेष्य-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
सुन्दर वस्त्रो खुब ज उल्लासथी रंगना घोडा पर मुल्यवान् | पोतानी सुन्दर हवेलीमां झगमगता वस्त्रो, गलामां बोलावीने पोताना हाथथी चमकतो हार, अने माथे पीली हर्षोल्लास पूर्वक अर्पण करे छे झरीनी पाघडीथी सुशोभित ज्ञानि-ध्यानि-त्यागि-तपस्वि- एवा राज कुमारने आवतो मुनि महाराज पोतानी विशाल जुवो छे नगरीने छोडीने आत्माराधनानी | | १३. | स्टेडियममां विशाल जन अपूर्व साधना करवा माटे उग्र समूहनी वच्चे सफेद | विहार करीने, भवि लोकोने | युनिफार्म, लाल टोपी, आँख प्रतिबोध करीने भयंकर पर काला चश्मा, माथा पर जंगलमां निर्भय बनीने टोपो, हाथमां ग्लोक्स, पगमां कार्योत्सर्ग करे छे
पेड बांधीने हाथमां लाकडानी | तारक परमात्माना पावन दर्शन | बेट अने सीझन बोल लईने
पूजनथी आत्मा परम शान्ति लोको- मनोरञ्जन करवा एवं पूर्व सञ्चित क्लिष्ट | | क्रिकेटर मैदानमां आवे छे । कर्मोनो जल्दी नाश करीने | १४. सफेद विदेशी लाल बेग लईने शीघ्र मोक्षपद प्राप्त करे छे । ऊंचा पहाड उपर सफेद बुट | कलिकाल सर्वज्ञ | पहेरीने मधुर मुस्कानथी धीरे | हेमचन्द्राचार्य लघुवयमां चारित्र | | धीरे चाले. छे अंगीकार करी पोतानी | १५. | संदीप पोताना मित्रोनी साथे बुद्धिमत्ता एवं होशियारीथी लीली फियेट कारमां काली अनेक ग्रन्थोनी सुन्दर रचना सीट पर बेसीने मुम्बईनी करी अढार देशना पराक्रमी प्रख्यात चोपाटीना मनोहर राजा कुमारपाल महाराजाने गम्भीर उच्छाला मारता प्रतिबोध करी जैन शासननी समुद्रना किनारे फरतां फरतां खुब-खुब शोभा वधारे छे त्यांना रमणीय वातावरणने | राजकुंवरी मखमलना' गादला निहालतो डुबता सूर्यनी
पर घोर निद्रामा प्रसन्न लालासथी आनन्द पामतो | मुखवाली सुन्दर स्वप्नमां किल्लोल करे छे लीला आकाशमांथी श्वेत | १६. विशाल अने भव्य उज्जैनी
१२.
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (विशेषण-विशेष्य-कृदन्त) ७३||
नगरीमा (राजा) प्रजापाल महान् आचार्य पासे मोटा प्रजानुं सुन्दर अने न्यायथी | ग्रन्थना वाञ्चन करवानो थोडो पालन करतां पोतानी मोटी प्रयत्न करतां सारी सफलता | दिकरी मयणा अने नानी सुर-/
मेलवे छे सुन्दरीनी गुरुकुलमांथी ज्ञान २०.| त्यागी साधु मोटो तप करवा ध्यानमां केवी प्रवीण थई छे ? माटे मोटा आचार्य पासे ते नी परीक्षा करवा भर मन्त्रित वासक्षेप नखावीने दरबारमा प्रधानो सामन्तो लीला पार्श्वनाथ सामे लीली प्रजाजनो अने अन्तःपुर सहित . | नवकारवाडी लईने सफेद तारा मण्डलनी मध्यमां रहेला आसन पर बेसीने उत्कृष्ट चन्द्रनी जेम शोभतो एवो ते ध्यान धरे छे जात जातना चित्र विचित्र २१. सञ्जय लाल पेनथी सफेद प्रश्नोनी वृष्टि करे छे
बूक पर ब्लु शब्दोथी मोटुं नाना नाना बालको स्कूल नाम लखीने पुस्तक उपर जवा माटे लाल रंगनो रेईन सुन्दर सजावट करे छे कोट पहेरीने प्लास्टिकनी २२. | लाम्बी लाकडीने सहारे वृद्ध बेगमां प्लास्टिकना पूंठा वाली बुढिया सफेद साडी हाथमां पुस्तको भरीने वरसादी बुंट लईने महान् दीक्षार्थीने सुन्दर पहेरीने थोडाक बालको रंग भेट आपवाथी अति प्रसन्न बीरंगी छत्री लईने वरसादनी| थाय छे मजा मानता वाहनोना जोरे| २३.| चार बूक लईने लाम्बो उडता कादवना छांटाओथी| सुनील जाडा अध्यापक पासे बचता स्कूले जाय छे
आवीने गहन अर्थनी सुन्दर काली साडी पहेरीने लाम्बी विवेचना करे छे ललीता पाञ्चमी रुममांथी| २४. नीति सफेद साडी पहेरीने गरण पाणी लईने लाल नूतन दहेरासर जवा माटे तैयार घडामां भरीने नानी राखीने थईने स्वादिष्ट मिठाई अने | आपे छे
सरस फल लईने तथा सुन्दर मोटा उपाश्रयमां व्रतधारी| रुमाल लईने जल्दी जल्दी | श्रावक सफेद कटासणु लईने दहेरासर जईने प्रभुनु मटकालुं|
Page #79
--------------------------------------------------------------------------
________________
२५.
२६.
७४ (विशेषण-विशेष्य-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
मुख जोईने विनम्रपणे बे हाथ कलरवाली पुस्तकनी अन्दर जोडीने प्रभुने पांचेय अंग क्रीम कलरना पेपर उपर सुन्दर नमावीने वन्दन करे छे
अक्षरथी लखीने रंगीन पेनथी| | प्रकाश दौडती ट्रैनमां बेसीने खुब ज सारी डिजाइन करीने
सुन्दर प्लेट फार्म पर उतरीने बधा लोकोने आकर्षित करे | मोटी धर्मशालामां जवा माटे | सुन्दर रिक्सामां बो सीने | २९. | छ'री पालित संघने | धर्मशाला आवीने जल्दीथी कढाववानी उत्तम भावना ऊंचो पर्वत चढीने आदीश्वर राखीने पू. महान् आचार्य दादानुं चमकतुं मुख९ जोईने भगवन्त पासे सुश्रेष्ठ (शुभ) खुब ज आनन्द पामे छे मुहूर्त कढावीने देश विदेश कामिनी काली कारमां बेसीने सुन्दर पत्रिका मोकले छे अने सुन्दर महल जोवा माटे आवीने ममतालु माता, प्रेमालु पिता उत्सुक भावथी सुन्दर महल | | स्वजनो वगेरेने संघमां आववा जोई ने महल बनावनार माटे भावभर्यु आमन्त्रण आपे माणसनी खुब ज तारीफ | करीने पाछा वलतां सुन्दर| ३०. प्रात:काल ऊठीने नमस्कार
गार्डनने जोईने त्यांना रंगीन महामन्त्रनुं स्मारम करीने | फुवारा खीलता फूल आदिने आकर्षक एवा फोटाना दर्शन | जोईने मनने प्रफुल्लित करे छे करीने उत्तम एवी पूजानी साहेब काली सीट वाली| सामग्री तैयार करीने जिन सायकल पर बेसीने लाल मन्दिर जाय छे, "निस्सिही' थेली अने ब्राउन रुमाल लईने "नमो जिणाणं'' करीने धर्मशाला आवीने काला बोर्ड हृदयना भाव भर्या उमलका पर रंगीन चोक पीसथी साथे त्रिलोकी नाथना दर्शन लखीने अमने खुब ज सारी करीने भाववाही स्तुति करी छे| | रीते समजावीने घणुं लेशन ३१. नाना मासुम बालकने पाँच आपे छे
वर्षनी उम्मर थतां उमंग- भरेली कञ्चन सफे द पेन लईने माता नर्सरीमा टाई, युनिफार्म काली रीफल नाखीने बिना पहेरावीने ग्रीन साडी पहेरीने
२७.
Page #80
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह ( विशेषण - विशेष्य-कृदन्त ) ७५
कहेतो परमात्माने हैयाभीनी श्रद्धाथी भावपूर्वक नमस्कार करे छे
काला रीक्षामा बेसाडवा जाय छे ने साथै सुन्दर एवा चित्रवाली बूक अने पेन तेमज | स्वादिष्ट काजु - द्राक्षवालो | चेवडो लंच बोक्षमां भरी आपे
छे
३२. विशाल विनीता नगरी ना गम्भीर अने महा पराक्रमी प्रथम चक्रवर्ती भरत महाराजा सुन्दरं भव्य आरिसा भुवनमां अनित्य भावना भावतां भावतां चार घाती कर्म रूपी शत्रुथी विजयी बनी उत्कृष्ट अद्भूत अप्रतिपाती केवल ज्ञानने पामे छे
३३. पवित्र गिरिराज पर भाव पूर्वक चढतो भक्तिवान् श्रावक | पोतानी शुभ भावनाथी अपार इच्छाने पोताना मनोबलने पूर्ण करवा माटे भवी लोकोनी साथे उल्लास पूर्वक प्रभुना मधुर गीत गातो शाश्वत गिरिने स्पर्शना करतो मननी भावनाथी डोलतो जयणा पूर्वक चालतो दादाना दर्शन माटे दौडतो मनोहर मूर्ति त्रिलोकी नाथने निरखतां अनराधार आंसु वरसावतो | मोटी स्तुति बोलतो पोताना जीवननी करुण कथनी
३४.
३५.
भव्य मथुरा नगरीमां माखण चोर शामलीयो पोताना मित्र साथे नगरीमां रमतो पोताना महान् पराक्रमथी शेष नागने | डरावतो घरोनी लाल मटकी फोडतो अप्सरा जेवी गोपीओ साथे फरतो साक्षात् रम्भा समान राधा साथे मधुर कोकिल कण्ठथी मोरली वगाडतो पूज्य पिताश्री वासुदेवनी पूर्ण आज्ञा पालतो पोताना ज्येष्ठ बन्धु गम्भीर बलदेवनी साथे गुरुकुलमां शान्त मूर्ति, प्रभावशाली गुरुदेव पाथी धार्मिक विद्या स्थिर मनथी उत्कृष्ट भावनाथी प्राप्त करीने कपटी कंस सा घोर रणमां महान् बलथी घोर युद्ध करीने विजयी बनी विशाल नगरीनो राजा बने छे पूज्य पिताश्री साथे अणमोल मुक्तिनो पंथ ग्रहण करवा तत्पर बनेलो रत्नत्रयी चारित्रने मेलववा झंखतो अमूल्य रजोहरण झीलवा उत्कृष्ट भावनाथी दोडीं रहेलो अरणिक दीक्षा ग्रहण करीने
Page #81
--------------------------------------------------------------------------
________________
२. |
|७६ / (वर्तमान-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
| संयम जीवन टकाववा माटे मोटी भयानक सजा पूरी भक्तिपूर्वक गोचरी लेवा माटे करीने पूज्य पिताश्री पासे भर तडकामां चालतो पगे आवीने पवित्र शरणमां प्रेम दाझतो मोटा महेलनी नीचे पूर्वक शीष झुकावीने दिल ऊभो रहेलो वेश्यानी नजरे खोलीने क्षमा मांगे छे अवतो पोताना संयम
वर्तमान-कृदन्त जीवनथी. चलित थतो मातानो करुण रुदन एवं
१. | दोडता हरणने जोईने सीता हसे पोकार सांम्भाली सुन्दर महेलथी उतरतो तत्काल
| गर्जतो सिंह मोढुं फाडे छे माताना पवित्र शरणमां पडतो
नाचती अप्सरा थाकी जाय छे दीलथी क्षमा मांगतो मातानी
४. | बोलती मेना वडे अटकाय छे आज्ञा पाळवा धग धगती
| नाचतो मोर कला करे छे शीला पर शुभ भावनाथी
| ६. | भीख मांगतो भीखारी रखडे छे मोक्षरूपी संथारो
७. | भक्ति करता मोर वडे हसाय छे (संस्तारक) करे छे । ८. | भसतुं कुत्तरं करडे छे | चोरी करतो महा पराक्रमी
दोडता काका पडे छे अपार लक्ष्मीने मेळववा माटे | १०. | भुंकतो गधेडो अलोटे छे। दोडतो मोटा दोरडा पर चढतो | ११. | नाटक करतो सूरज रखडे छे ऊंडी तिजोरीनी जाडी चावी
१२. | प्रदक्षिणा करतो मुकेश स्तुति
| बोले छे लईने मोटुं तालुं खोलतो सुन्दर आह्लाददायक नव
१३. | परमात्मानी पूजा करतो लखा घरेणा ले तो नवी
| नागकेतु कर्म खपावे छे कडकडती नोटोना मोटा
|लखतो मनिष धातु गोखे छे बंडल लईने जल्दीथी दोडतो
| प्रभुनी भक्ति करतो रावण पुलिसनी नजरे चडतो क्रोधी
| तीर्थंकर पद बाँधे छे इन्स्पेक्टर वडे पकडातो मोटी
१६. | चकडोलमां बेसेलो बालक ब्लु जीपकारमा बेसीने जेलमां
| रडे छे आवीने लखी रोटली खातो | १७. | दहेज लेतो ससरो हर्ष अनुभवे जेलतुं मुश्केल काम करतो
१४.
१५.
Page #82
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान-कृदन्त) | ७७|| १८. | पुरुषार्थ करतो ते सफलता | मेळवे छे
३५. गर्जना करता सिंहथी जंगलना १९. ते पुरुषार्थ करतां सफलता पशुओ डरे छे मेळवे छे
३६. | घोर जंगलमां ध्यान करता २०. गरीब माणस याचतां मुनिने राजा नमस्कार करे छे
( मांगतां) शरमाय छे । ३७. | अवाज करतां बालकोने
जमता भाईने बेन पीरसे छे | अध्यापक डांटे छे | तीर्थंकरने जोतो इन्द्रभूति ३८. | रमता श्यामने माँ बोलावे छे विस्मय पामे छे.
धन लई जता चोरने राजा | प्रतिक्रमण करतो श्रावक उंघे | | दण्डे छे
४०. | संसारनो त्याग करतां बालको रूममा प्रवेश करतां साहेब आनन्द अनुभवे छे 'मत्थएण वन्दामि' बोले छे | ४१. | चालती गाडी बन्ध पडे छे | चालतो बळद गभराय छे । ४२. | आवता साहेबने जोईने अमे उतरतो देव अवलोकन करे छे जल्दी आवीए छीए रडता बालकने माता लाडवो ४३. | सासुने जोतां जमाई हरखे छ | आपे छे
४४. | लखती हुं थाकती नथी । | दोडता उंदरने बिलाडी पकडे ४५. | रमतो बालक पडे छे
४६. | स्कूले जती सोनल रडे छे २९. भागता चोरने सिपाही पकडे ४७. | संसारमा विरक्त रहेलो मुमुक्षु
संयमने झंखे छे | राजाने अन्याय करतो जोईने ४८. | शासननी प्रभावना करतां ..... प्रजा हाहाकार मचावे छे । । आचार्य भगवन्त व्याख्यान ३१. नाचती राधाने राजा ईनाम आपे छे आपे छे
४९. | बेनने विदाई आपतो भाई ३२. उडता पक्षीने पाराधी बाण मारे उदास छे
५०. | चण्डकौशिकने प्रतिबोध ३३. झगडता रतिलालने लोको करता वीर बुझ-बुझ कहे छे धूतकारे छे
| दीपकनी झळहळती ज्योत ३४. खेलती गुडियां देखावडी लागे| चमके छे
Page #83
--------------------------------------------------------------------------
________________
७१.
|| ७८ | (वर्तमान-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ५२. वरघोडामां गाती नारी शोभे छ | अकबर थाकतो नथी ५३. वरघोडामां आगळ चालती अष्ट | ६८. | पारेवाने अभयदान आपता
मङ्गलनी झाँकिया अद्भूत छे मेघरथ राजा सोलमां तीर्थंकर ५४. रेसमां आगळ दोडतो सफेद | | बने छ
घोडो पहेलो नम्बर लावे छे । ६९. | बालक दोडतो दोडतो माँनी ५५. वल्ड दौडमां प्रथम आवती | पासे आवे छे
पी.टी. ऊषानुं सन्मान थाय छे | ७०. नोट गणतो रूपेश भूली जाय आकाशे उडतुं विमान अटके
गिरिराज चढतो वसु शुभ ५७. | पैराशूटथी नीचे उतरतो पाय- भावना भावे छे लोट गभराय छे
७२. आदीश्वर दादाने भजतो ते ५८. गुरुदेवना स्नेह-आशीषने ध्यान मग्न बने छे.
| पामती शिष्या हर्ष अनुभवे छे ७३. | जमाईने जमतो जोईने ससरो| ५९. रामनु स्मरण करती सीता | | मीठाई लावे छे अटन करे छे
| आचार्य भगवन्त झगडत ६०. कृष्णने भजती मीरा एमां| बालकने प्रतिबोध करे छे खोवाई जाय छे
७५. | अनाथ नाना रखडता ६१. शिक्षणना आधारे आगल | बालकने जोईने हेमाने दया वधता विद्यार्थिओ गौरव पामे | आवे छे
| वातो करता माणसो थाकता ६२. सीता- हरण करतो रावण कपट करे छे
गोचरी जता साधुने जोईने ६३. मधुर कण्ठे स्तवन बोलतां पू. | इलाचीने केवल ज्ञान थाय छे . ....म.सा. डोले छे
१४ स्वप्ना जोती माता आनन्द ६४. देरासर खोलतो पूजारी नवकार पामे छे गणे छे
विहार करता मुनि अनेक कष्ट अष्ट प्रकारी पूजा करतो सहन करे छे
श्रावक भावना भावे छे । ८०. भयंकर सर्पने जोता बालको ६६. कायोत्सर्गमां मुनि स्थिर रहे
छे डरता नथी ६७. बीरबलनु सन्मान करतो ८१. सुन्दर आंगी जोतो सूरज
नथी
Page #84
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान-कृदन्त ) | ७९||
| आनन्दित थाय छे । ९९. | हसतो राजा सभामां आवे छे | मजुरो पासे काम करावती| १००, देव विमानमांथी उतरतो देव | मेना गुस्से थाय छे
| गिरिराजनी स्पर्शना करे छे। ८३. | दान आपतो राजा हर्षित थाय १०१. केसर घसतो पूजारी वातो करे
| पाछा वलता नेमने जोईने १०२, नाचतो मोर मेहने बोलावे छे
राजुला मुच्छित थाय छे । १०३, दोडता ससला खाडामां पडे | भक्ति करती मीना नाचे छ । | रोती राजुलाने मुकी नेम जाय . १०४, बगीचामां चालतो नरेश
आनन्द पामे छे दूध पीती बिलाडी डरे छे । १०५, सामायिक करतो श्रावक सुती राजकुवंरी स्वप्न जुवे छे| समता राखे छे | संदेश देतो दूत गभराय छ । १०६, पूजा करतो कमलेश चिन्तन | पास थतो राजू ईनाम मेंळवे छे । करे छे | पाणी पीतो हाथी सूंढ ऊंची १०७, समुद्रमा तरतो रूपेश गोथा करे छे
खाय छे फुफाडा मारतो नाग 'जीभ १०८, ध्याने चढतो ज्ञानी आत्मसात् बहार काढे छ ।
करे छे वांचना आपता गुरु महाराज १०९, शिकार करतो युवराज खोवाई समजावे छे
|जाय छे | संस्कृत भणता बालमुनि ११०. जवला चणतो पक्षी सुई जाय | आगल वधे छे तीखा मरचा खातो गणेश १११. जवना बनावतो सोनी साधुने पाणी पीवे छे
नमस्कार करे छे कॉलेजमां भणती ममता ११२. काष्ठनी भारी नाखते (छते) प्रभुदर्शन करती नथी
क्रोंच पक्षी जागे छे |९७. रत्नोनी माला लेती दासी ११३. जवला जोतो सुनार (सोनी) हरखाय छे
संयम ग्रहण करे छे ९८. अट्ठम करती चन्दनबाला ११४. मन वचन कायानी स्थिरता अतिथिनी राह जुवे छे
करतो सोनी केवल ज्ञान पामे
Page #85
--------------------------------------------------------------------------
________________
*
*
3
२२:
८० (अलम्)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
| १६. | दोडती नर्स ना चश्माना ११५. बोर्ड पर लखता साहेब अमने | स्फोटन वडे सर्यु समजावे छे
| १७. | नवी हॉस्पिटल बनाववा माटे चालता साधु गाथा गोखे छ | | विशाल जग्या ग्रहण करवा अलम्
| वडे सर्यु .
माउन्ट आबुमां सुन्दर हॉस्टेल |नव्वाणु यात्रा वडे सर्यु
| वडे सर्यु | रोगीने हॉस्पिटल वडे सर्यु
| १९. | हॉस्टेलमां प्रिन्सिपालनी जोडे रोगीने केन्सर वडे सर्यु । वार्तालाप वडे सर्य डॉ. ने ऑपरेशन करवा वडे | २०. हॉस्टेलमां खुश्बु-मनीषने सर्यु
| एड्मीशन वडे सर्यु | दर्दीने दवा ग्रहण वडे सर्यु ।
२१. हॉस्टेलना टिचरोनी मुश्केलीना | नर्सने दर्दीने इन्जक्शन प्रदान
| समाधान वडे सर्यु | वडे सर्यु
| हॉस्टेलमां गोवा ट्रीप वडे सर्यु| ७. | हॉस्पिटलमां वातो करवा वडे
| विद्यार्थी ओने पेइन्टींगनी
| हरिफाई वडे सर्यु | रोगीने दर्शन वडे सर्यु
| हॉस्टेलना लोनमां आकर्षक हॉस्पिटलमां डॉ.थी परिचय
| उद्यान वडे सर्यु वडे सर्यु
२५. हॉस्टेलनी रुमोमां कूर्सी | डॉ. ने दर्दीने धमकावा वडे
टेबलनी स्थापना वडे सर्यु सर्यु
| हॉस्टेलना वार्षिक उत्सवमा हॉस्पिटलमां बारी बारणाना
| बलवन्त ठाकुरने बोलववा पदडानी शोभा वडे सर्यु
| वडे सर्यु डॉ.ने आदेश वडे सयुं ।२७. | हॉस्टेलमां रीनाने स्पेश्यल डॉ. हॉस्पिटलमा प्रवेश वडे क्लास वडे सर्यु
| २८. | हॉस्टेलना चोकमां गणतन्त्र | रोगीना घा उपर स्प्रेना सिंचन
दिवसनी उजवणी वडे सर्यु वडे सर्यु
२९. | हॉस्टेलना मध्यभागमा मालि१५. | दमना दर्दीने ऑक्सिजन वडे |
| कना पुतडाना दर्शन वडे सर्यु सर्यु
३०. | मेहलुने हॉस्टेलंनी केबिनमां
c
सर्यु
सर्यु १४.
Page #86
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
नास्ता - वडे स
| वडे स
३१. हॉस्टेलमां लाईटना रंगीन ४६. उपाश्रयमां साध्वी समुदायना झुम्मर वडे स ३२. हॉस्टेलमा टेली ग्रामना समाचार साम्भली दीप्तिना | रुदन वडे सर्वं
समावेश वडे सर्वं उपाश्रयमां सिरीयस साध्वीने
४७.
४८.
३३. मोनाना पिताश्रीने हॉस्टेलमां फीस्स थवा वडे सयुं
३४. क्लास टिचर न आवतां | विद्यार्थीने लेशन वड़े सयुं ३५. प्रीतेशने काका साथे उपाश्रयना प्लानं वडे सयुं ३६. उपाश्रयना उद्घाटनमां सुरेश भाई वडे. स
३७. उपाश्रयमां नवा ट्रस्टी वडे सयुं ३८. उपाश्रयमां महान् साधुओना | पारणा वडे स
४३.
(अलम् )
८१
नवकार स्मरण वडे सर्वं
उपाश्रयमां नाना बालकोने प्रोत्साहन रूपी प्रभावना वडे
सर्यु
४९. उपाश्रयमां गृहस्थना लोच वडे सर्यं
५२.
५३.
५०. उपाश्रयमां दीक्षार्थीना मातापिताने समजाववा वडे सयुं ५१. उपाश्रयमां गुरु महाराजनी वांचना वडे सयुं
बालकोने स्कूल वडे सर्वं अध्यापकने भणाववा वडे
सर्वं
बूक मुकवा वडे स अध्यापकने मलवा वडे सङ्खु बेल वडे सर्वं
अध्यापकना आगमन वडे
३९. उपाश्रयमां युवानोनी शिबिरो ५४.
५७.
वडे स ५५. ४०. उपाश्रयमां जगडुशाहना नाटक ५६. वडे स उपाश्रयमां गमन करता | फेरीयाने नवकारवाली वेचवा वडे स
सर्यु
५८.
हरीशने रूपेश साथे भगवा वडे स
४२. उपाश्रयमां आ.भ.ने विनन्ति ५९. नीतेश ! अल्पेशने वातो वडे स हॉस्टेलमां नवा साधनो वडे ६०. सर्यु
४४. उपाश्रयमां स्पर्धा वडे सयुं ४५. उपाश्रयमां मुमुक्षुना भाषण
करवावडे स
अध्यापक ! राकेशने ईनाम आपवा वडे सर्वं
६१. | छात्रोने दण्ड करवा वडे सङ्खु ६२. मोहनने परीक्षामां पहला
Page #87
--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्यु
८२ (अलम्)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह नम्बरथी पास थवा वडे सर्यु सर्यु ६३. | पुस्तक लई जता तरुण वडे | ८१. मारे मौन वडे सर्यु सर्य
८२. तेने पोपट वडे सर्यु .. ६४. | अध्यापकने शिकायत करवा ८३. | पाठशालामां जवा वडे सर्यु वडे सर्यु
८४. | साहेबने वाक्यो वडे सर्यु ६५. | सर ! पेपरने फाडवा वडे सर्यु ८५. | केसर बरास वडे सर्यु ६६. | अध्यापक अने छात्रोना हसवा ८६. | स्नात्र पूजा वडे सर्यु वडे सर्य
८७. |फरकती ध्वजाना दर्शन वडे ६७. | उद्यानमां गमन वडे सर्यु सर्यु . ६८. बगीचामां फुलोनी सुगन्ध वडे ८८. शान्ति कलशनी क्रिया वडे
सर्यु वृन्दावन गार्डनना कलरींग ८९. अष्ट प्रकारी पूजा वडे सर्यु | फुवारा वडे सर्यु
९०. प्रभुने अलङ्कार वडे सर्यु ७०. उद्यानना चकडोल वडे सर्यु | ९१. आरती मङ्गलदीवा वडे सर्यु
| बगीचानी टिकिट वडे सर्यु ९२. भक्ति भावथी स्तवनना गान | गार्डनमां मालणने सिञ्चन वडे वडे सर्यु सर्यु
पच्चखाणं वडे सर्यु | गार्डनमां बालको वडे सर्यु | ९४. भक्तामरना स्मरण वडे सर्यु ७४. | गार्डनमां मोनाने फुल वडे सर्यु | ९५. देरासरमा पूजन वडे सर्यु ७५. | उद्यानमां मित्रो वडे सर्यु | ९६. सामुहिक आराधना वडे सर्यु
| नीतिनने सुरज साथे सुटिंग | ९७. देववन्दन वडे.सर्यु | वडे सर्यु
९८. देरासरना उद्घाटन वडे सर्यु मीनाने भेल खाता मर्चा ९९. | देरासरमां पाणी वडे सर्यु | काढवा वडे सर्यु १००. देरासरमां आंगी वडे सर्यु | उद्यानमां राज कुमारी मुछित १०१. सिंहासनना स्थापन वडे सर्यु | थतां पाणीना छंटकाव वडे | १०२. मूर्तिना स्थापन वडे सर्यु सर्यु
१०३. अढार अभिषेकनी क्रिया वडे | जयेश ! खोटु बोलतां तारे हसवा वडे सर्यु
१०४. अञ्जन शलाकानी क्रिया वडे ८०. त्रिलोकी नाथने निरखवा वडे सर्यु
७१.
९३.
सर्यु
Page #88
--------------------------------------------------------------------------
________________
| १३.
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (कारण कार्य) | ८३| कारण कार्य
जल्दी मेलवीश
| जमना ! जो तुं पान पराग जो पुण्यनो उदय जागशे तो
| खाईश तो केन्सरनो रोग थशे चन्दनानो अभिग्रह पूर्ण थशे | १४.
| वज्रकुमार ! जो तुं बहु रडीश २. | जो स्वयंवरमां ते धनुष
| तो साधुने वहोरावी दईश | उपाडशे तो प्रभञ्जनाने वरशे | १५. मनीष ! जो तं आयंबिल ३. जो वीणानो तार तुटशे तो
करीश तो रसनेन्द्रियने जितीश मन्दोदरी, नृत्य अटकशे १६. | ललीता ! जो तुं श्रीपालनी ४. | जो पद्मा ! तुं सात कोडीमां
| दीक्षामां जईश तो (तने ) | राज्य मेलवीश तो तने हुँ
| प्रभावना मलशे बोलावीश
| १७. | जीनल ! जो तुं पू....सूरि | करुणा ! ‘जो तुं छ8 करीने|
म.सा.ना व्याख्यानमां जईश | यात्रा करीश तो त्रीजे भवे
तो (तुं) तत्त्वनुं ज्ञान प्रायः मोक्षे जईश
| मेलवीश ६. चक्रवर्ती ! जो तुं राज्य १८. | प्रदीप जो तुं कन्दमूल खाईश छोडीश तो स्वर्गे जईश
तो नरकमां जईश मुनिवर ! जो तमे शुद्ध १९. पू. श्री....म. सा. ! जो तमे | | भावनाथी काजो काढशो तो
| नव्वाणु करशो तो लाडवानी | मुक्तिमां जशो
बाधा छुटशे ८. | मदारी जो तुं वांसली वगाडीश २०..| मोहन ! जो तुं करुण गीत | तो साप बहार आवशे ।
| गाईश तो पब्लिक रडशे | राधा ! जा तु शुभ भावनाथा| २१. | गायत्री जो तुं महेनत करीश | नवकार मन्त्रनुं स्मरण करीश तो टी. वी. ने छोडीश
तो विनोथी पार उतरीश २२. बदामी ! जो मयूरी तारा | राणी ! जो तारी पीडा राजा
लाम्बा बाल जोशे तो नजर जोशो तो मुच्छित थशे ।
पडशे | सुरज ! जो तुं डॉ. बनीश तो २३. निशा जो तुं कॉलेज जईश तो | पापना काम करवा पडशे ।
| मासी म. सा. वढशे १२. | श्रेणिक ! जो तुं पुरुषार्थ २४. | अनीता ! जो तुं संसारथी करीश तो रत्न त्रयी-चारित्र
| विरक्त रहीश तो संयम लईश
Page #89
--------------------------------------------------------------------------
________________
८४ .(कारण कार्य )
२५. जो मयणा धर्मने पाळशे तो | परीक्षामां पार उतरशे २६. जो गजसुकुमाल समता | राखशे तो मोक्षने पामशे २७. जो हुं गुरुदेवनी निश्रामां रहीश | तो मारो उद्धार थशे
२८. जो आचार्य भगवन्तना पगला थाय तो आंगण पावन थाय २९. जो तुं प्रभुनी भक्ति करीश तो भवने तरीश
३०. जो सीता हा पाडशे तो लवकुश रामने मलवा जशे
३१. जो साधु शुद्ध आचार पालशे तो वैराग्य दृढ बनशे
३२. जो अमे जयणा पालशुं तो ४६. जो पवन आवशे तो कपडां
निरोगी रहीशुं
३४. जो इन्द्रभूति समवसरणमां जशे तो गौतम बनशे
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
नगरीना द्वार उघडशे
जो लोको नेमनाथनी जान. जोशे तो घेला थशे
जो कृष्ण हा पाडशे तो पर
णावाशे
जो भरवाड अने भरवाडण
बलदेव मुनिने वहोरावशे तो मोक्षमां जशे
संकेत ! जो तुं सेवा करीश तो (तुं ) मेवा मेलवीश ४४. जो कृष्ण आवशे तो माटलुं फोडशे ४५. जो शर्मीष्टा नाचशे तो घुघरूं बाँधशे
३५.
४०.
उड
३३. जो हरेश भाई आवशे तो ४७. मालती ! जो तुं रमीश तो तारो | संस्कृत भणावशे पहेलो नम्बर आवशे
खाशे ३७. जो वरसाद वरसशे तो जीनु अने गुञ्जन भींजाशे
३८. जो देव आवशे तो पुष्प वृष्टि
करशे
जो सुभद्रा सती चारणीथी पाणी काढशे तो चम्पा
३९.
४१.
४२.
४३.
जो ब्राह्मी सुन्दरी आवशे तो ४९. मानसी ! जो तुं तडके भाईनो अहंकार तुट रखडीश तो ( तारुं ) माथु
३६. जो अल्पा पीरसशे तो बालको
४८. हितेश ! जो तुं जङ्गलमां जईश तो डरीश
५०.
५१.
५२.
५३.
दुःख
लोको जो मदारीने जोशे तो
दोड
निर्मल ! जो तुं सारुं भणीश तो विद्वान् बनीश
जो तुं बारणा खुल्ला मुकीश तो चोर आवशे
जो कीर्ति भाई आवशे तो
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________
| लावशे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (कारण कार्य) | ८५|| पेण्डा लावशे
६८. | मीनाक्षी ! जो तुं मन मक्कम | निशा ! जो तुं खाण्ड वेरीश | करीश तो संयमने लई तो कीडीओ थशे
शकीश | जो रतिलाल आवशे तो ६९. भिखारी ! जो तुं महेनत लाडवो लावशे
| करीश तो रोटी मेळवीश | जो हुं वाक्यो बोलीश तो ७०. | जो आ. भगवन्त आवशे तो साहेब साम्भलशे
जोग करावशे जो मारी संस्कृत बूक पूर्ण ७१. जो तुं गुरु प्रत्ये श्रद्धा भक्ति थशे तो गुरु म.सा. खुश थशे. राखीश तो विद्या आवशे | जो मामा आवशे तो रमकडां| ७२. | जो नीलम गोवालणनो वेश
| धारण करशे तो वेश्याना जो श्रीपाल-श्रेणिक दीक्षा पंजामांथी सुमतिने छोडावशे लेशे तो शासन दीपशे ७३. | पद्मा ! जो तुं संयम ग्रहण जो तमे दहेरासर बन्धावशो तो | करवानी भावना राखीश तो | पुण्य बाँधशो
तने मोक्ष प्राप्त थशे जो किरिट म.सा. पासे जशे ७४. आशा ! जो तुं भक्तिथी तो दीक्षा लेणे .
प्रभुना गुणगान करीश तो जो कृष्ण आवशे तो माखण तारा कर्मनो क्षय थशे चोरी जशे
। ७५. | अश्विन भाई ! जो तमे शङ्केश्वर जो पाण्डवो देखाशे तो जशो तो अट्ठम करवानुं मन | दुर्योधन राज्य लई लेशे । थशे पारुल ! जो तुं माता-पिताने ७६. शैला ! जो तुं सामायिक नमीश तो नम्रता आवशे । करीश तो कर्म खपशे जो तुं परिग्रह राखीश तो नरके ७७. जो रोहिणीया चोरने पगमां
काँटो वागशे तो कानमांथी ६६. | जो तुं जीवनमा त्याग करीश आंगली काढशे .
|तो आगल वधीश ७८. | जो तमे दर्शन करशो तो | अनिता ! जो तुं वीस स्थानक सम्यग् दर्शननी प्राप्ति थशे तप करीश तो तीर्थंकर नाम ७९. | जो सीता अग्नि परीक्षामां कर्म बाँधीश
| पास थशे तो (तेनुं) सतीत्व
जईश
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________
||८६] (कारण कार्य) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह वखणाशे
आवीश तो यात्रा थशे | जो हेली माउन्टाबु जशे तो ९३. जो राजु बजारमा जशे तो. त्यांनी कोतरणीना फोटा सामान लावशे पाडशे
|९४. जो संसारी सम्बन्धी आवशे तो | जो · बालकोने संस्कार (मने) वातो करावशे वाटिकामां मोकलशो तो ९५. जो शर्मिला चा पीशे तो भविष्यमा आगल वधशे खराब आदत पडशे भारती ! जो तुं छरी पालित | ९६. शालिभद्र ! जो (तमे) लमारे संघमां जईश तो साधु | घेर जशो तो तमने तमारी माँ जीवननी चर्यानो अनुभव थशे गोचरी वहोरावशे स्वीटी ! जो तुं स्कूल जईश | ९७. जो तमे भूख्या रहेशो तो तो ज्ञान मलशे
उणोदरी व्रत थशे... सञ्जय ! जो तुं पूजा करीश तो | ९८. जो तुं अभिमान राखीश तो (तारूं) पुण्य बंधाशे
(तने) केवलज्ञान नहिं थाय | जो पेनमां साही हशे तो ९९. जो सुरसुन्दरी जागशे तो अमर वाक्यो लखाशे (मया) कुमारने गोतशे जो संस्कृत बूक हशे तो | १००.जो माछली पाणीमां रहेशे तो नियमो थशे
जीवशे जो (मने) रजोहरण मलशे तो १०१. जो महाबल मलया सुन्दरीने मारी इच्छा पूर्ण थशे । बोलावशे तो राजा क्रोधित श्रीपाल-श्रेणिक ! जो तमे थशे . | संसार तजशो तो (तमने) १०२. जो नर्मदा ! तुं धर्मनुं पालन संयम मलशे
करीश तो शिव मन्दिरमा मोसम ! जो तुं गोखीश तो निवासी बनीश तारा सूत्रो पाकां थशे १०३. जो बालकोने तरस लागशे तो जो चोक पीस हशे तो साहेब | पाणी माँगशे वडे बोर्ड पर लखाशे १०४. जो सासु गुस्सो करशे तो मने | जो झाड उपरथी फल पडशे घरथी बहार काढशे .
तो बालक लेवा दोडशे १०५. जो तुं भणीश तो मने आनन्द ९२. | अनीता ! जो तुं पालिताणा| थशे ।
मावश
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(धिग्) ८७ १०६. जो पुत्र मलशे तो माता खुश ३. धोखेबाज शियालने धिक्कार
थशे
थाओ
१०७. जो प्रभुनो जन्म थशे तो इन्द्रनुं ४. | परमाधार्मिकना कार्यने धिक्कार
| सिंहासन चलायमान थशे । थाओ १०८. वीर धवल ! जो तुं युद्ध | कसाईना का( म )र्यने धिक्कार
करीश तो अवश्य तारी जीत | थाओ थशे
| मारी उपयोग शुन्यताने धिक्कार |१०९. जो विनय हशे तो विद्या थाओ आवशे
कोणिकना दुष्ट भावने धिक्कार ११०. मीना ! जो तुं अन्य धर्म| थाओ
पालीश तो (तने ) मिथ्या- ८. परमात्मानी आज्ञा न माननारने त्वनी प्राप्ति थशे
धिक्कार थाओ १११. सोना ! जो तुं रत्नत्रयीनी| ९. | राजुनी जीदने धिक्कार थाओ
आराधना करीश तो तने शुद्ध १०. | मधुपान करनारने धिक्कार समकितनी प्राप्ति थशे.
थाओ |११२. हरीश ! जो तुं धमाल करीश | ११. | खारा पाणीने धिक्कार थाओ
तो (तने) मार पडशे | १२. | प्रजाने दुःखी करनार राजाने |११३. राकेश ! जो तुं होटल जईश | धिक्कार थाओ
तो (तारी) आदत बगडशे १३. | प्रभुनी निन्दा करनारने धिक्कार ११४. नर्तकी ! जो तुं नृत्य करीश तो | -थाओ
(तने हुँ) राजा पासे इनाम | १४. दुष्कालने धिक्कार थाओ अपावीश
१५. | स्थुलिभद्रमा रहेला अहंकारने |११५. गीता ! जो तुं निन्दा करीश तो | धिक्कार थाओ
नरकनी भागीदारिणी बनीश १६. | शेठना क्रोधने धिक्कार थाओ धिग
१७. कृतघ्नने धिक्कार थाओ
१८. ब्राह्मणना लोभने धिक्कार । १. लो को ना अन्ध विश्वासने
थाओ धिक्कार थावो
| मारी अनुकूलताने धिक्कार २.. |मारी भूलो अने कुटेवोने
थाओ धिक्कार थावो
२०. | चोरना कार्यने धिक्कार थाओ
-
-
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
४१.
८८ (धिग्)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह करमाई गयेला फूलोने धिक्कार थाओ थाओ
३९. | श्री राणीना वचनने धिक्कार राजाना अन्यायने धिक्कार | | थाओ थाओ
४०. | देवना झगडाने धिक्कार थाओ कूत्तराना भसवाने धिक्कार | विराट संसारने धिक्कार थाओ थाओ
४२. | शत्रुनी चढाईने धिक्कार थाओ | पापीना पापने धिक्कार थाओ ४३. | रावणना कपटने धिक्कार थाओ मारा अशुभ विचारोने धिक्कार | ४४. | कंसना निश्चयने धिक्कार थाओ थाओ
४५. | रोहिणीया चोरना अभिग्रहने मारा प्रमादने धिक्कार थाओ | धिक्कार थाओ | तेना अहंकारने धिक्कार थाओ | ४६. | वहुनी सासुने धिक्कार थाओ मरिचिना मदने धिक्कार थाओ | ४७. | सर्पना झेरने धिक्कार थाओ वाणियानी अनीतिने धिक्कार | ४८. वैश्यानी मायावी जालने थाओ
धिक्कार थाओ नरकना दःखोने धिक्कार थाओ | ४९. | भरवाडना लोभने धिक्कार दम्भी माणसना दम्भने धिक्कार | थाओ थाओ
५०. | दुःख देनार पुत्रने धिक्कार आनन्दना व्यसनने धिक्कार | थाओ थाओ
५१. | परमाधार्मिकने धिक्कार थाओ चण्ड कौशिक ना क्रोधने | ५२. | कनकवतीना कपटने धिक्कार धिक्कार थाओ
थाओ वरसादनी बिलजीने धिक्कार | ५३. | बाहुबलीना अभिमानने धिक्कार थाओ
थाओ शकुनीनी दानतने धिक्कार ५४. | | शकुनीना विश्वासघातने धिक्कार थाओ
थाओ रहनेमिना खराब विचारोने ५५. | मम्मण शेठना लोभने धिक्कार धिक्कार थाओ
थाओ वंकचूलना साथीने धिक्कार | ५६. जीवन बगाडनार टी.वी. विडीयो थाओ
ने धिक्कार थाओ ३८. कैकै यीना वचनने धिक्कार | ५७. मायावी राक्षसने धिक्कार थाओ
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________
थाओ
थाओ
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य. संग्रह
(धिग्) ८९/ ५८. हरिषेणना षड्यन्त्रने धिक्कार | थाओ
७६. | मारी दुर्बुद्धिने धिक्कार थाओ ५९. मन्थराना कार्यने धिक्कार थाओ| ७७. राणीनी अभद्रताने धिक्कार ६०. गोशालक ना अभिमानने थाओ धिक्कार थाओ
७८. राज सभामां थतां दुष्ट कार्यने ६१. सङ्गम देवना उपसर्गने धिक्कार धिक्कार थाओ
| ७९. साते य व्यसनमां लीन ६२. जेने संयम न गमतुं होय तेने जु गारीने धिक्कार थाओ
धिक्कार थाओ . ८०. कालशौरिकना कसाईपणाने ६३. |जेने होटल जवु गमतुं होय तेने | धिक्कार थाओ धिक्कार थाओ
८१. रावणनी काम वासनाने उद्भट वेशने धिक्कार थाओ धिक्कार थाओ ६५. मारी उंघने धिक्कार थाओ ८२. सोमिल ब्राह्मणनी वैर वृत्तिने
नरकना दुःखने धिक्कार थाओ धिक्कार थाओ सुपात्रदान न आपनार दासीने | ८३. कानमां खीला ठोकनार धिक्कार थाओ . |गोवालीयाने धिक्कार थाओ केन्सरना रोगने धिक्कार थाओ| ८४. फांसीनी सजा आपनार जजने संसार वधारनार मोहने धिक्कार | धिक्कार थाओ थाओ
८५. | देरासरमां आसातना करनार ७०. जमालीनी वातने धिक्कार | श्रावकने धिक्कार थाओ थाओ
८६. श्रेणिकनी दासीना दानने शिथिल साधुनी साधुताने
धिक्कार थाओ धिक्कार थाओ
८७. तेनी लालसाने धिक्कार थाओ ७२. मूर्खनी मूर्खताने धिक्कार थाओ | मोज शोखना साधनोने ७३. उपाश्रयमा शान्तिनो भंग धिक्कार थाओ
करनारने धिक्कार थाओ ८९. आजना टी.वी. युगने धिक्कार ७४. | सनत्कुमारना रूपने धिक्कार | थाओ थाओ
| ९०. | कंसनी दुष्टताने धिक्कार थाओ ७५. बह्मदत्तना कार्यने धिक्कार
६८.
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
९० (बहुव्रीहि )
बहुव्रीहि
क्रम. विशेषण विशेष्य
१.
२.
३.
४.
अनन्त गुणो
छे रंग
छे आँखमां
छे प्रतिमा
छे सुगन्ध
छे डंको
छे गुस्सो
छे मरचां
लाल
आंसुं
शाश्वती
सारी
वागतो
तेज
तीखां
मटकालुं छे मुखडुं
छे स्वभाव
५.
६.
७.
८.
९.
१०. सरल
११. हसतुं
छे मुख
१२. सुन्दर छे पाँख
१३. आकर्षक छे रूप
१४. भयंकर छे अंधारुं
छे सुख
छे शक्ति
१५. अपार
१६. अनन्ती
१७. मोटो
१८. जडेलां
१९. ठण्डुं २०. मीठी छे वाणी
२१. लोहमय छे फ्रेम
छे महिमा
छे रत्नो
छे पाणी
२२. सुन्दर छे कोतरणी २३. कोमल
छे काया
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
यद्नुं
योग्य
रूप
जेमना
ओनो
जेने
जेमां
जेमां
जेनो
जेनो
जेमां
जेनुं .
जेनो
जेमनुं
जेनी
तदनुं अन्यपद
प्रथ.
रूप
एवा
वा
एवीते
एवो
एवं
एवी ते
एवीते
एवां ते
एवी
ते
एवीते
एवा ते
एवो
ते
एवो ते
एवीते
जेनुं .
जेमां
जेमां
एवो
जेमनी
एवा
जेनो एवों
जेमां
जेमां
परमात्मा
पात्रा
राजुल
नन्दीश्वर द्वीप
गुलाब
घडियाल
नणन्द
भाजीयां
मूर्ति
| कौशल्या
बालमुनि
मोर
देव
नरक
मोक्ष
सिद्ध भगवन्त
गिरिराज
मोजडी
माटलुं
एवी ते
एवं ते जेमनी एवा ते
जेनी
एवा ते चश्मा एवुं ते देरासर जेनी एवं ते
जेनुं
नसलं
पू....म.सा.
Page #96
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
२४. उजवाती छे
२५. अतिशय छे
बल
२६. सादु छे जीवन
२७. कपायां छे
कांडां
(बहुव्रीहि )
दीपावली ज्यां एवं ते पावापुरी तीर्थ
जेमां
एवा
जेओनुं एवा एवी
जेना
२८. पलाय छे भाषासमिति जेना वडे एवी ते
२९. सुकाता नथी पांदडा
छे दिल
३०. उदार
३१. घणो
३२. सफेद छे बर्फ
३७. कपटी
३८.
शान्त
३९. पुण्यशाली
३३. फरकती छे ध्वजा
३४. कालो छे काँच
३५. तेज
छे बुद्धि
३६. सुखी
छ प्रजा
४०. मक्कम ४१. सफेद
४२. लीलां
४३. आनाथ
४४. भूरी ४५. मीठा
छ प्रकाश
छें मामा
छे स्वभाव
छे मातापिता
छे मन
छे बाल
छे पांदडां
छे बालको
छे आँखो
छे रसगुल्ला
४६. लाला छे रंग
४७. लाम्बो
४८. रहेली
४९. मीठो
छे काण्टो
छे माछलीओ
छे रस
•
जेना एवं
एवो
जेनुं
जेनो
जेमां
जेनी
ज़ेनो
जेनी
जेनी
ज़ेना
जेनो
एवो ते
एवो
एवं
एवा
एवो
| एवा
जेमां
जेनो
एवो
एवो
जेना
| एवा
जेनुं
एवा जेना एवो
to to to to to to to to to to to to te
जेना एवं
जेमां एवं
जेनी एवी
ज्यां एवो
जेनो एवी
जेमां
ते
to te
tete te te te te te te π FE π
एवं ते
एवो तो एवी ते
|परमात्मा
मुनिओ
कलावती
मुहपत्ति
रायणनुं वृक्ष
कर्ण
सूर्य
हिमालय
देरासर
चश्मा
९१
अभयकुमार
सत्यवादी
हरीशचन्द्र दुर्योधन | सरल स्वभावी
पुत्रो मुमुक्षुओ
बुढापो
झाड
अनाथाश्रम
बिलाडी
|जमणवार
चुंदडी
गुलाब
| सागर
केरी
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
९२
(बहुव्रीहि)
५०. विचक्षण छे बुद्धि
५१. उदार छे मन. ५२. बलीष्ट छे शरीर कोमल
छे काया
छे सौन्दर्य
५३.
५४. अद्भूत ५५. खारुं छे पाणी
छे दाण्डी
छे दिल
छे नियमो
५९. करुण छे कथनी
६०. मटकाली छे चाल ६१. सर्प छे लञ्छन
६२. अट्टम ( नो ) छे
तप
६३. लटकती छे लता
छे वय.
५६. लाम्बी
५७. निर्दयी
५८. नाना
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
एवो ते
बिरबल
एवा ते म.सा.
एवो ते
भीम
एवो ते
शालीभद्र
एवी ते
अप्सरा
एवो ते
जेनी
जेनुं
जेनुं
जेनी
जेनुं
जेमां
जेनी
जेनं
७१. वागतो
७२. उतरती
७३. त्यजाती छे आठ
नारीयो
७४. शोभतुं छे शासन ७५. भयंकर छे क्रोध
एवं
एवो ते
एवीते
एवी ते
एवी
ते
जेमनुं • एवा
जेने
जेना
जेनी
जेनी
जेमां
जेनी
६५.
जेमनी
६४. बाल करुण छे दृष्टि ६६. भयंकर छे आकृति ६७. पवित्र छे भूमि ६८. रमणीय छे वातावरण जेनुं एवो
जेनी
जेनी
६९. अपरम्पार छे कृपा ७०. घणी
छे सहन
शीलता जेमनी
एवी ते.
एवं
एवो ते
एवा ते
एवो ते
छे घण्ट
छे नव्वाणुपेटी जेमनी
जेमनी एवा ते
एवं ते
एवा ते ज्यां वुं
एवा ते
जेना वडे एवो जेमनाथी एवा
जेनो
एवो
| समुद्र
दण्डासण कालसौरिक
कसाय
पं. शिवा
लालनी बूक
कामलता
ढींगली
पार्श्वनाथ
चन्दनबाला
वृक्ष
बालक
परमात्मा
राक्षस
पालिताणा
| लालबाग
अरिहन्त
स्खंधक मुनि
देरासर
शालीभद्र
धन्यकुमार
आचार्य
सर्प
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
सिंह
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ७६. सफेद- . छे कलर ७७. चमकतां छे | रत्नो ७८. लाम्बी | छे | कूची ७९. | मधुर | छे अवाज
वाहन ८१. सुखी । छे
प्रजा विवेकी बालक ८३. नानी | छे बहन
सुन्दर पाँख ८५. कालों | छे | सर्प :
लाम्बी
गरम दशी ८८. सुनहरी बाल
वांकी पुंछडी अतिशय | छे, पीडा सीधो जमाई भव्य छ | जिनालय भयंकर छ | वेदना जेमां लाम्बा
छ | नख करुण | छे | स्टोरी
लाम्बी | छे | चोटी |९८. कलरिंग | छे | डिझाईन |९९. गरम .. | रोटली १००. काला | छे | मरी १०१. मीठं | । छे दूध १०२. मधुर १०३. गोल
आकार जेनो १०४. अद्भूत | कला जेनी १०५. पवित्र | छे | परमाणु ज्यांना १०६. पावन छे | निश्रा जेमनी
EEEEEEEEEEEEEEE |
(बहुव्रीहि) | ९३|
आसन .
झुम्मर एवं | ते ताळु
संगीत
अम्बिका | एवो | ते राजा एवी | ते माता एवो | ते भाई एवी | ते परी एवो | ते घडो
गणपति ओघो गुड़ियाँ कूत्तरो निगोद
|SPEPP?? BFBFFFFFFFFFFFFES..
TE TET TETTE TE TE TETTE TE TE TETTET TETTE TET TETTE TE TE TE TE TE
सासु
जेमां
REE
देव-विमान नरक | राक्षस अञ्जना ब्राह्मण बूक. थाली पापड ग्लास धुंघरूं पुरी नर्तकी गिरिराज गुरुदेव
AM
आवाज
जेनी
H
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
जेनुं
जेनी
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
मम्मण शेठ जेमनो
चन्द्रप्रभु
वटवृक्ष जेना
जैनागम जेना
भीखारी भाग्यशाली परमात्मा रोगी जैनाचार्य गायत्री मन्त्री
तालु
EEEEEEEEEEEEE
12
भीम
|९४ | (बहुव्रीहि) १०७. कंजुस | हृदय १०८. उज्वल वर्ण १०९. शीतल छाया ११०. सुवर्णना
अक्षरो १११. जीर्ण... |छे वस्त्रो ११२./ तेज छे नसिब ११३. अखुट खजानो ११४. निर्बल छे शरीर |११५. पवित्र जीवन ११६. मधुर कण्ठ ११७. अद्भूत जटा ११८. नानी चावी ११९. विशाल काया १२०. निर्दय १२१. धोळु कवर १२२. झेर दांतमां १२३. घणी माया १२४. लाल
छे| कलर १२५. पचरङ्गी पाँख १२६. सुन्दर रूप १२७. आकर्षित आँख १२८. जिद्दी स्वभाव १२९. डुबती |१३०. भरपूर १३१. धोलो १३२. जडेला छे रत्नो १३३. भव्य छे आंगी |१३४. शणगारी १३५. लाल
हृदय
कंस
| sty at oth or oth st or at al. o streat s of or other tv chota
TE TE TETTE TE TE TETTE TE TE TE TEETE TEETTE TE TE TETTET TE TE TE TE
जेनी
जेनी
एवो | ते
जेनुं
जेमनी जेनो
पुस्तक सर्प (व्यं.) मायावी माला मोर अप्सरा पस्मात्मा सोनु समुद्र गुणियल स्फटीक रत्न मुगुट परमात्मा मुमुक्षुओ . पोपट
जेमां
एवो
जेना जेनो जेमां जेमनी जेओनी जेनी जेमां
१३६. रहेलु
जमा
कंगण .
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
com * 5
WWWWW
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (नञ् तत्पुरुष) | ९५||
न अत्ययः = अनत्ययः नचं तत्पुरुष
२९. न असिः = अनसिः न अर्थः = अनर्थः
३०. न आतपः = अनातपः न औषधिः = अनौषधिः
न अल्पः = अनल्पः न उद्यानम् = अनुद्यानम्
| न इषुः = अनिषुः न आयतनम् = अनायतनम्
३३. न ऋतुः = अनृतुः न उद्गतः = अनुद्गतः
३४. न अपरः = अनपर: न उचितम् = अनुचितम्
३५. | न अप्सराः = अनप्सरा: ७. न अग्निः = अनग्निः
३६. | न अम्बरम् = अनम्बरम् ८. न उद्यमः = अनुद्यमः
३७. न अर्जितम् = अनर्जितम् ९. न अवश्यम् = अनवश्यम्
३८. | न अश्रु = अनश्रु न अवधिः = अनवधिः
३९. न अङ्गम् = अनङ्गम् ११. न अवस्था = अनवस्था
४०. न उपायः = अनुपायः १२. न अपराधः = अनपराधः
४१. न अभ्यासः = अनभ्यास: १३. न आत्मा = अनात्मा
४२. | न अन्तः = अनन्तः | न आदिः = अनादिः
४३. | न अब्धिः = अनब्धिः न आद्यः = अनाद्यः '
४४. न आर्यः = अनार्यः न अन्यः = अनन्यः
४५. न आज्ञा = अनाज्ञा | न आवश्यकम् = अनावश्य
| न सीमा = असीमा कम्
२. न सखार्थः = असखार्थः न एकता = अनेकता
३. न सम्बन्धः = असम्बन्धः |न आचारः = अनाचारः
| न स्थिरः = अस्थिरः न आनन्दः = अनानन्दः
| न सभा = असभा | न उपयोग: = अनुपयोगः
न भारः = अभारः न उदारः = अनुदारः
न द्वीपः = अदीपः |न आयुः = अनायुः
| न संतुष्टः = असंतुष्टः २४. न अटनम् = अनटनम्
न भागः = अभागः २५. न अवतारः = अनवतार
१०. न जनः = अजनः . २६. न अरिः = अनरिः
११. न स्वादः = अस्वादः २७. न अध्ययनम् = अनध्ययनम्। १२. न भक्षः = अभक्षः .
ॐ 39
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| ९६ / (नञ् तत्पुरुष) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
न भक्ष्यः = अभक्ष्यः | ४३. | न समीक्ष्य = असमीक्ष्य १४. न तृणम् = अतृणम्
| (सं.भू.कृ.) १५. न गुणः = अगुणः ४४. न गुरुः = अगुरुः |न प्रसन्ना = अप्रसन्ना
| न ग्रामः = अग्रामः न क्षरन् = अक्षरन्
| न गन्तव्यम् = अगन्तव्यम् न कर्म = अकर्म
| न जीर्णः = अजीर्णः न गमनम् = अगमनम्
न जीवः = अजीवः न वेगः = अवेगः
| न तीक्ष्णम् = अतीक्ष्णम् । ' न सारः = असारः
न कुशलः = अकुशल: |न कारणम् = अकारणम् ५१. न कर्तव्यम् = अकर्तव्यम् न कार्यः = अकार्यः ५२. न कण्टकः = अकण्टकः न जिनः = अजिनः ५३. न कुलीनौ = अकुलीनौ. न तत्त्वम् = अतत्त्वम् ५४. न मानम् = अमानम् न नीचः = अनीचः ५५. न मृत्युः = अमृत्युः |न प्रभूतः = अप्रभूतः
न रात्रिः = अरात्रिः न कृपणः = अकृपणः | न विघ्नम् = अविघ्नम् न जनः = अजनः
न व्याधिः = अव्याधिः न वियोगः = अवियोगः | न छाया = अछाया |न प्रतिक्रिया = अप्रतिक्रिया | ६०. | न व्यापारः = अव्यापारः |न प्रतिपाति = अप्रतिपाति न प्रवासः = अप्रवासः न कम्पः = अकम्पः ६२. | न विश्वासः = अविश्वासः न पारः = अपारः ६३. न गन्धः = अगन्धः न नित्यः = अनित्यः
न न्यायः = अन्यायः न नियोगः = अनियोगः ६५. | न स्पर्शः = अस्पर्शः न शुभः = अशुभः
| न नयनम् = अनयनम् न काष्ठम् = अकाष्ठम्
न शीलम् = अशीलम् न कालः = अकालः
| न सत्यम् = असत्यम् न कृतः = अकृतः
| न ज्ञानम् = अज्ञानम् . न कुलम् = अकुलम्
न नाथः = अनाथः ४२. न कीर्तिः = अकीर्तिः
न शूरः = असूरः
|६१.
६४.
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
१९.
| चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(द्वन्द्व) | ९७ द्वन्द्व
१५. | दिवस अने रात दिनश्च रात्रिश्च
दिन-रात्री | मित्र अने शत्रु मित्रञ्च शत्रुश्च १६. विनय अने विद्या विनश्च = मित्र-शत्रू
| विद्या च विनय-विद्ये २. | हाथ अने पग (समाहार) १० | क्षमा अने दया क्षमा च दया | हस्तश्च पादश्च = हस्त-पादम
च क्षमा - दये | श्रमण अने श्रावक श्रमणश्च
१८. | पुण्य अने पाप पापञ्च श्रावकश्च = श्रमण-श्रावको |
पुण्यञ्च पाप-पुण्ये | स्वजन अने ज्ञान ज्ञातिश्च
| पाणी अने दूध जलञ्च दुग्धञ्च | ज्ञानञ्च = ज्ञाति-ज्ञाने .
| जल-दुग्धे बहन अने भाई स्वसाच . २०.
| गरीब अने धनवान् दरिद्रश्च बन्धुश्च = बन्धू (ए.शेष.) |
| धनवांश्च दरिद्र-धनवन्तौ E. | शिशिर ऋतु अने शरद् ऋतु] २१. | स्त्री अने पुरुष स्त्री च पुरुषश्च
शिशिरश्च शरच्च शिशिर-शरदौ| स्त्री-पुरुषौ । | बिजली अने वरसाद विद्युच्च २२. कीडी अने माखी (समाहार) वारिदश्च विद्युद्वारिदौ
| पिपीलिका च मक्षिका च | माता अने पिता माता च पिता
एतयोः समाहारः पिपीलिकाच मातरौ / पितरौं
मक्षिकम् । | पल्लं अने छेल्लु आद्यश्च| २३. | सूर्य अने चन्द्र सूर्यश्च चन्द्रश्च | अन्तिमश्च आद्यान्तिमौ
सूर्य-चन्द्रौ सोनुं अने तांबु काञ्चनञ्च २४. काचबो अने मोर कर्मश्च ताम्रञ्च काञ्चन ताने
मयूरश्च कूर्म-मयूरौ | दौलत अने कीर्ति वैभवश्च २५. | घोडो अने गधेडो रासभश्च कीर्तिश्च वैभव-कीर्ती
| अश्वश्च रसभाश्वौ अग्नि अने पवन वह्निश्च २६. | रम्भा अने उर्वशी उर्वशी च वातश्च वह्नि-वातौ
रम्भा च उर्वशी-रम्भे वैभव अने विपत्ति विभूतिश्च २७. नेम अने राजुला नेश्च राजुला विपच्च विभूति-विपदौ ।
च नेम-राजुले हंसा अने कान्ता हंसा च २८. | ओघो अने मुहपत्ति रजोहरणञ्च कान्ता च हंसा-कान्ते
मुखवस्त्रिका च रजोहरण
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
२९.
||९८ (द्वन्द्व)
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह मुखवस्त्रिके
४३. चोर अने सिपाही स्तेनश्च निशा अने सूरज सूरजश्च निशा सैनिकश्च स्तेन-सैनिको च सूरज-निशे
| ४४. खावं अने पीवं भक्षणञ्च वेलडी अने डाल लता च पानञ्च भक्षण-पाने शाखा च लता-शाखे
| रत्न अने माणेक रत्नञ्च पांदडुं अने पुष्प पर्णञ्च पुष्पञ्च माणिक्यञ्च रत्न-माणिक्ये. पर्ण-पुष्पे
| ४६. | डाह्यो अने खराब प्राज्ञ श्च | सवार अने सांज प्रातश्च | कापुरुषश्च प्राज्ञ-कापुरुषौ प्रदोषश्च प्रातः-प्रदोषौ ४७. हाथी अने वांदरो गजश्च आम्बो अने लिम्बडो माकन्दश्च वानरश्च गज-वानरौ निम्बश्च माकन्द-निम्बौ ४८. सुख अने दु:ख सुखञ्च मान अने माया मानश्च माया दुःखञ्च सुख-दुःखे च मान-माये
| ४९. गुरु अने शिष्य गुरुश्च शिष्यश्च | सुनन्दा अने सुमङ्गला सुनन्दा
गुरु-शिष्यौ च सुमङ्गला च सुनन्दा- | ५०. गधेडं अने पशु रासभश्च मृगश्च सुमङ्गले
| रासभ-मृगौ ज्ञान अने अज्ञान ज्ञानञ्च ५१. नियम अने वाक्य नियमश्च अज्ञानञ्च ज्ञानाज्ञाने
वाक्यञ्च नियम-वाक्ये कूवो अने नदी कूपश्च नदी च | ५२. | पुष्प अने फल कु सुमञ्च कूप-नद्यौ
फलञ्च कुसुम-फले ससरो अने जमाई श्वशूरश्च ५३. | | तडाव अने कूवो कासारश्च जामाता च श्वशूर-जामातारौ कूपश्च कासार-कूपौ उदय अने अस्त उदयश्च ५४. | कागडो अने घूवड काकश्च अस्तश्च उदयास्तौ
| उलूकश्च काकोलूको वीर अने गौतम वीरश्च गौतमश्च | ५५. | तीर अने तलवार तीरञ्च वीर-गौतमौ
असिश्च तीरासी सज्जन अने दुर्जन साधुश्च ५६. गंगा अने यमुना गङ्गा च दुर्जनश्च साधु-दुर्जनौ ।
यमुना च गङ्गा-यमुने . तडको अने छांयो आतपश्च | ५७. | ब्रह्मा अने ब्राह्मण ब्रह्मा च | छाया च आतप-छाये
ब्राह्मणश्च ब्रह्म-ब्राह्मणौ
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गौण नाम षष्ठी) | ९९||
| समुद्र अने तलाव समुद्रश्च ११. | रामनो पुत्र कुश छे
| कासारश्च समुद्रकासारौ | १२.| जैन धर्मनो इतिहास महान् छे ५९. | राजा अने प्रजा नृपश्च प्रजा च १३.| आदीश्वर भगवान्नो यक्ष नृप-प्रजे
कवड यक्ष छे | लाकडी अने लाकडु दण्डश्च १४. | शेठनो बंगलो छे
| काष्ठञ्च दण्ड-काष्ठे १५. राजानो महेल छे ६१. | विद्यार्थी अने विद्वान् छात्रश्च १६. राणीनो कण्ठ मधुर हतो प्राज्ञश्च छात्र-प्राज्ञौ
युवराजनो जन्म श्रीपुरमां थयो | साधु अने साध्वी श्रमणश्च युवराजनो गुस्सो जोरदार हतो आर्या च श्रमणार्ये
राजकुंवरीनो मण्डप शोभवो | सासू अने वहू श्वश्रूश्च वधूश्च जोईए | श्वश्रू-वध्वौ
दासीनो संदेशो मल्यो हतो ६४. | ग्राम अने नगर ग्रामश्च नगरञ्च राजानो न्याय सत्य छे | ग्राम-नगरे ।
२२. | मुकुटनो हीरो चमकतो हतो ६५. | शक्ति अने श्रद्धा बलञ्च श्रद्धा प्रधाननो साथ राजाने जोईए च बल-श्रद्धे
२४. शंखेश्वरनो महिमा अपरम्पार छे| गौण नाम षष्ठी । आचार्य महाराज साहेब
शकेश्वरनो छरी पालित संघ | राकेश रस-गुल्लानो भोगी छे
कढाव्यो हतो २. | मोदक मोनिकनो छे
| नोळियानो सम्बन्ध सर्प साथे | बिरबल अकबरनो मन्त्री छे ४. | राजानो मन्त्री ईमानदार छ ।
| २७. | सञ्जय सुशीलनो भाईबन्ध छे ५. | भरतनो भाई बाहुबली छे ।
साधुओनो समुदाय मोटो छे | इच्छानो रोध ए ज तप छे
कमठ- पार्श्वनाथ भग-वान्नी | पुत्रीनो वियोग माताने रडावे छे
साथे (सार्धम् ) १० भवथी | पापनो डर राखवो जोईए |
वेर हतुं | सामायिक नो अर्थ छ,
नीलमनो फोटो सुन्दर छे समभावमा रहेवू
| सुरसुन्दरीनो पति राज-कुमार | वीरनो अभिग्रह पूर्ण थयो राजा | द्रोपदीनो स्वयंवर रचे छे
| ३२. | साधुनो वेश तारणहार छे
२३.
»
.
३१. सुरसुन्दरीना
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
५९.
देवलोकनो ऐरावत दोडे छे
६०.
रामनी प्रजा सुखी छे
१०० ( गौण नाम षष्ठी ) ३३. | दाण्डानो रंग कालो छे ३४. रावणनो भाई बिभिषण छे ३५. गांधारीनो भाई शकुनी छे ३६. कलावतीनो हार छे ३७. काकानो जमाई डॉक्टर छे ३८. कारनो रंग लाल छे ३९. | राजानो महेल मनोहर छे ४०. राजानो पुत्र युवराज छे ४१. खेतरनो मालिक खेडुत छे ४२. आचार्यना शिष्यो गम्भीर छे ४३. गुरुजीनो स्वभाव सरल छे ४४. देरासरनो कलश सुन्दर छे ४५. | देरासरनो दरवाजो सुखडनो छे ४६. देरासरनो पाटलो छे ४७. देरासरनो पूजारी श्याम छे ४८. देरासरनो भण्डार सुवर्णनो छे ४९. सोनानो वृषभ छे ५०. देवलोकनो देव आवे छे ५१. | देवलोकनो इन्द्र नमे छे ५२. | देवलोकनो आ किल्बिषिक देव छे
६१. मन्दोदरीनी कला सुन्दर हती ६२. रावणनी बहेन सुर्पणखा छे ६३. | प्रभुनी भक्ति समकित आपे छे ६४. | नेमनी साथे ( सार्धं ) ६५.
राजुलनी प्रति अजोङ छे वेल्लूरनी होस्पिटल मोटी छे ६६. आत्मानी शक्ति अनन्त छे ६७. | पुष्पनी माला भगवान्ना कण्ठमा छे
शालिभद्रे पत्थरनी शीला पर असण
६९. गुरुजीनी आज्ञा मारुं जीवन छे ७०. | धर्मशालानी सफाई सारी छे ७१. धर्मशालानी रसोई स्वादिष्ट छे ७२. | धर्मशालानी बेन भक्तिवान् छे ७३. धर्मशालानी साध्वीयो विनयवान् छे ५३. | देवलोकनो सुघोषा घण्ट वगडे ७४. धर्मशालानी संस्था व्यवस्थित छे ५४. देवलोकनो आनन्द चैत्र ७५. अनुभवे छे
७६.
५५. देवलोकनो शयन खण्ड सुशोभित छे
५६. देवलोकनो महल रत्ननो छे ५७. | देवलोकनो देव भगवान्नी पूजा करे छे.
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
५८. देवलोकनो इन्द्र भगवान्नो जन्माभिषेक करे छे
६८.
होवी जोईए
धर्मशालानी हॉस्पिटल बने छे धर्मशालानी निन्दा न करवी
जोई
७७. | धर्मशालानी गोचरी लावुं ? ७८. धर्मशालानी जग्या विशाल
७९.
होवी जोईए धर्मशालानी खबर लेवा
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गौण नाम षष्ठी) १०१||
(माटे) ट्रस्टीए आवq जोईए १०२, देवनी माला करमाती नथी ८०. | चाँदीनी थाली छे । १०३, देवनी माला शोभे छे ८१. सोनानी वाटकी छे १०४. देवनी मोजडीमां रत्नो छे। हीरानी आंगी छे
१०५, देवनी युवान् वय होय छे आरसनी प्रतिमा छे १०६, मैसूर गार्डननी सुन्दरता जेवा वरकनी थोकडी छे
जेवी छे पूजानी पेटी छे १०७, सीता पवित्रतानी मूर्ति छे केसरनी डब्बी छ १०८, मरणनी वेदना भयंकर छे अष्ट मङ्गलनी पाटली छे ।.१०९, कविनी कल्पना अद्भत छे मातानी पासे बालक रडे छ | ११०. राजानी जित निश्चित छ । मुंबईनी दुनिया रंगीली छे । १११. हरिश्चन्द्र राजानी परीक्षा देवोए आजे श्री....जीनी दीक्षा तिथि करी हती छे
११२. लोको बिरबलनी बुद्धिने | गौतम स्वामीनी पासे लब्धि छे | प्रशंसे छे
बेननी बेबी भृणवा माटे जाय ११३. प्रभुनी कृपा अपरम्पार छ । छे
| ११४. चन्दनानी आँखमां आँसु नथी सूरिजीनी वाणी मिठी छे' | ११५. पाँच पाण्डवोनी माता कुन्ती ९४. | हॉस्पिटलनी वेन (गाडी ) ऊभी
११६. आबुनी कोतरणी सुन्दर छे ९५. आजे स्कूलनी रजा छे ११७. देवलोकनुं विमान उत्तरे छे
| देवलोकनी देवी नाचे छ । ११८. देवलोकनुं नाटक कोण ९७. | देवलोकनी वावडी आकर्षक जोवे ?
११९. देवलोकनुं एक नाटक ९८. | देवलोकनी राज-सभामां इन्द्र १०,००० वर्षनुं छे
१२०/ देवलोकनुं नाटक के टला | देवलोकनी अप्सरा गाय छ । वर्षतुं छे ? १००. देवलोकनी इन्द्राणी शणगार १२१, देवलोकनुं जीवन केयूँ छ ? करे छे .
१२२, देवलोकनुं विमान नन्दीश्वर १०१. देवलोकनी हासा-प्रहासा देवी| द्वीपमा उत्तरे छे आवे छे ..
१२३, देवोनुं आयुष्य लाम्बुं होय छे
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
||१०२ (गौण नाम षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह १२४. देवोनुं रूप कामदेव जेवू होय | १४७. प्रभुजी- मुखडं अद्भूत छ ।
|१४८. सुविधिनाथ, बीजूं नाम पुष्प १२५. देवो शरीर वैक्रिय पुद्गलोर्नु दन्त छे
|१४९. पार्श्वनाथनुं लञ्छन सर्प छे १२६. आ देवनुं नाम शुं छे ? १५०. प्रभुनुं सिंहासन सोनानुं छे १२७. रामनुं राज्य सारूं हतुं | १५१. वन्दना स्कूलनुं लेशन करे छे| १२८. अर्जुन- वचन ...... पाळे छ | १५२, विनीता पिता- कहेवू मानती १२९. वीरनुं शासन छे
नथी
.. .' १३०. काँचनुं देरासर छे १५३. राम लङ्कानुं राज्य जिते छे १३१. आम्रनुं वृक्ष छे
१५४, शकुन्तलानुं मन दुष्यन्तमां छे १३२. माता वात्सल्य विशाल होय १५५. जरासंघ बाण कृष्णने वागे
१३३. कॉलेजनुं शिक्षण सारुं होवू १५६, अञ्जनानुं सतीत्व जोईने देवो जोईए
नमे छे १३४. कॉलेजनुं लेशन पूरुं कर्यु हतुं १५७. सुलसार्नु, समकित जोईने १३५. कॉलेज, मान पत्र मल्युं छे । . अम्बड हारी जाय छे १३६. कॉलेजनुं वातावरण खराब छ | १५८. साधनानुं जीवन सरल छे १३७. कॉलेज, फन्कसन जोरदार न १५९. सिद्ध चक्रनुं माण्डलुं छे ...
१६०. एकलव्य- बाण छ । १३८. ऊषा कॉलेजनुं ध्यान राखे छे | १६१, मैसूर गार्डन- नाम प्रख्यात छे १३९. भरत कॉलेजनुं नाम वधारे छे |.१६२. छायानी( मुं) बेग छे १४०. रमेशने कॉलेजनं टेन्शन छे | १६३. कमलेश- स्वेटर छे १४१. कॉलेज, पाणी पीवाय ? | १६४. साधर्मिक भक्तिनुं काम महान् १४२. हरीशचन्द्रनु जीवन आदर्शमय
१६५. हृदयमां नवकारनुं स्थान छे १४३. लवण समुद्रनुं पाणी खारुं छे १६६, आराधनानुं काम उत्तम छे १४४. कमलनु फुल सरोवरमां छे १६७. रखडवानुं काम मननी १४५. गुरुनुं वचन मान्य छे
चञ्चलता छ १४६. समिति गुप्तिनुं पालन मारु १६८. देवोनु सौन्दर्य अद्भूत छे कर्तव्य छ
| १६९. जगत्नु हित परमात्मा चिन्तवे
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गौण नाम षष्ठी) १०३/ छे ..
१८९. आदीश्वर दादाना पगलां छे १७०. राक्षस- रूप जोऊईने लोको १९०. समुदायना पात्रा छे । डरे छे
१९१. बगीचाना फूलो ( मारे) जोवा १७१. नरकनुं दुःख अति भयंकर छे १७२. स्वर्गनुं सुख देवो अनुभवे छे | १९२. बगीचाना मालीने मळवू १७३. कूवानुं पाणी मीठं छे
जोईए १७४.दुःखियानुं दुःख साम्भळवू १९३. बगीचाना फोटा लीधां हतां जोईए
| १९४. बगीचाना झुला खुबज सुन्दर १७५./रोगियोना रोगोनं निराकरण करवू जोईए
१९५. बगीचाना ससला दोडे छे १७६. पोतानुं स्वाभिमान राखवू | १९६. बगीचाना पगी क्रोधी छे जोईए
१९७. बगीचाना पगथियां लीसां छे १७७. सहनशीलता जीवन, सौन्दर्य | १९८. बगीचाना फुवारा कलरींग छे
१९९. बगीचाना फुवारामां सङ्गीत १७८. देवोना देव भगवान् छे
वागे छे १७९. देवोना नेत्र स्थिर रहे छ | २००. बगीचाना वृक्षो घटादार छे १८०. देवोना हाथमां भगवान्नी | २०१. प्रभुना समवसरणमां बार दाढा हती
पर्षदा छे. १८१. देवोना शरीरमां दुर्गन्ध नथी । २०२. राजाना दरबारमा ज्योतिषी १८२. देवोना नायक इन्द्र छे
आवे छे १८३. देवोना विमानोना आकार २०३. प्रजाना दीलमां राजा वसेलो
जुदा-जुदा होय छे १८४. सर्वार्थ सिद्ध विमनना देवो २०४. महिनाना ३० दिवस थाय छे
एकावतारी होय छे । २०५. मोक्षना वासीने अरूपी पणुं १८५. देवलोकना स्वप्न कोने आवे | होय छे
२०६.सूर्यना किरणोथी प्रकाश १८६. डायमण्डना चक्षु छे
थाय छे १८७. फूलोना गुच्छा छे २०७. मथुरा नगरीना राजा न्यायी छे १८८. गिरिराजना ३५०० पगथियां २०८. बॉम्बेना ट्रस्टी कुंजस छ
२०९. सेनापतिना सैनिको युद्ध करे
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०४ (गौण नाम षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
हाथथी इक्षुरस वहोरे छे २१०. राज्यना भण्डारो भरपूर छे २३०. नरकना जीवो दुःखी छे २११. राजाना महेलमां धावमाता छे | २३१. बगीचाना फुलो सुन्दर छे ... २१२. राजाना माणसो गाममा फरे छे | २३२. मिथ्यात्वीयोना मन्दिरोमां हुं २१३. राजाना माणसो सुखी छे । जती नथी . २१४. राजाना प्रधानो न्यायी होय छे | २३३. संयमीना मुख पर तेज होवू २१५.राजाना अन्तेउरमां दासीओ फरे | जोईए
| २३४. तपस्वीना दर्शन करवा लोको २१६. राजाना राज-कुमारो गुरु- | दोडे छे ।
कुलमां भणे छे | २३५. मीराना पगमां धुंघरुं छे २१७. राजाना अलङ्कारो सोनी घडे छे | | २३६. वान्दराना हाथमां फल छे २१८. राजाना दरबारमां नर्तकी नाचे | | २३७. शिहोरना पेंडा वखणाय छे
२३८. रात्रिना अन्धारामां हुं गभरावं छु २१९. अकबरना दरबारमा बिरबल | २३९. नवकारना प्रभावे शूलीनु बुद्धिशाली हतो
सिंहासन ,थयुं अकबरना राज्यमां पू. | २४०. जन्मना कारणे मरण थाय छे हीरसूरीश्वरजी महाराजनुं नाम | २४१. संसारना सुखो नश्वर छ ।
२४२./हुं संयमना सुखने अनुभवू छु २२१. भरतना पिता ऋषभदेव छे २४३. देवोने विरति न होय २२२. देवदेवीना अलङ्कारो शोभे छे |२४४. देवोने कवलाहार न होय २२३. सिद्धाचलना १०८ नाम छे .. २४५. देवोने पुत्र न होय २२४. सरस्वतीना हाथमां वीणा छे |२४६. देवोने भक्ति होवी जोईए २२५.सुभद्राना हाथे दरवाजो खुले | २४७. देवोने जन्मथी युवान् वय होय
| २४८. सर्वार्थ सिद्ध विमानना देवोने २२६. वासुपूज्य स्वामिना कल्या- सौथी वधु सुख होवू जोईए
णको चम्पापुरीमां थयां २४९. पक्षीने बे पाँख होय छे २२७. पिताना भाई काका थाय छे | २५०. गौतम स्वामीने ५०,००० २२८. पार्श्वनाथ भगवान्ना १० केवली शिष्यो हता .
भवना चित्रो वेल्लूरमा छ २५१. वीरप्रभुने एक पुत्री हती। २२९. प्रभुजी श्रेयांस कु मारना | २५२. सगर चक्रवर्तीने ६०,०००
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गौण नाम षष्ठी) १०५ पुत्रो हत्ता
२७९. मारो पाडोसी तपस्वी छे २५३. चन्दनाने अभिग्रह हतो | २८०. अमारो समुदाय विशाळ छे २५४. अमर कुमारने श्रद्धा हती । | २८१. मारो भाई वकिल छे २५५. रोहिणीया चौरने परमात्मानी | २८२. मारो कण्ठ मधुर नथी
देशना साम्भळवानी सोगन्ध | २८३. तमारो स्वभाव सरल छे हती
२८४. मारो जन्म दिवस आज छे २५६.चोरने भय छे
२८५. अमारो निर्णय नक्की नथी २५७. गरीबने भूख छ । २८६. तमारो महोत्सव क्यारे छे ? २५८. गुरुदेवने उपवास छ २८७. अमारो बंगलो दूर छे २५९. देवोने दुर्गन्ध नथी २८८. मारो नियम साचो छ २६०. चक्रवर्तीने ६ खण्ड होय छे | २८९. मारो श्लोक काचो छ २६१. साधुने समता होवी जोईए २९०. तमारो दिक्करो आवे छे २६२. रामने बे पुत्र हता
२९१. आमारो विहार हमणां नथी २६३. जनकने एक पुत्री हती। २९२. अमारो क्लास बन्ध छे २६४. रावणने १० मस्तक हतां । २९३. तमारो काँप काढुं ? २६५. देरासरने ३ शिखर छ । २९४.तमारो वैराग्य घणो ज मक्कम २६६. द्रौपदीने ५ पति हतां । २६७. अष्टापदने ८ पगथियां छे २९५. तमारो देश महान् छे । २६८. तेने छ अंगुलि हती २९६. तमारो जमाई केवो छ ? २६९. बोलपेनने केप ( ढाकणुं) हतुं २९७. तमारो दिकरो डाह्यो छे ? २७०. तमारो नोकर चालाक छे २९८./तमारो पैसो नीतिनो छे २७१. तमारो केदी भागे छे २९९. तमारो भाव ऊँचो छ २७२. तमारो पुण्योदय क्यारे जागशे | ३००.अमारो नौकर ईमानदार छे
३०१.मारो कागळ तमने मल्यो हशे २७३. तमारो पडाव क्यां छे ? ३०२. मारो भाई शेर बजारमा जाय २७४. तमारो विचार जाण्यो हतो । २७५. तमारो स्वयंवर क्यारे थयो ? ३०३. तारो सम्बन्धी आव्यो छे २७६. तमारो धर्म महान् होवो जोईए | ३०४.मारो दाण्डो कयो छे ?. २७७. तमारो मित्र विवेकी छे | ३०५. मारो पुण्योदय केवो छ ? २७८. तारे तारो भव सुधारवो जोईए| ३०६. तमारो व्यापार शुं छे ?..
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
। १०६ (गौण नाम षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ३०७. अमारो व्यापार उपदेश | ३३२. तमारी पूजा न करवी जोईए आपवानो छे
३३३. तमारी साथे (सार्धम् ) (हुं) ३०८. तमारो दाण्डो क्यां छे ?
श्लोक बोलुं छु ३०९.मारो दाण्डो खुणामां छे |३३४. तमारी कुशलता जोईने अमे | ३१०. तमारो भाई क्यां रहे छ ? खुश थईए छीए .. ३११. मारो भाई चित्रदुर्गमां रहे छे | ३३५. तमारी सहनशीलतानी अमे ३१२. मारुं रजोहरण छे
अनुमोदना करी हती . ३१३. मारो स्वाध्याय छे ३३६. तमारी. दीक्षा क्या थई ?. ३१४. मारो राम क्यारे आवशे ? ३३७.मारी दीक्षा चित्रदुर्गमां थई ३१५. मारो श्याम केम रिसाणो ? | ३३८. अमारी पाठशालाना साहेब ३१६. अमारी नोटबूकमां वाक्यो गुजरातना छे लखाव्यां छे
३३९. तमारी बेन शं करे छे ? . ३१७. मारी बाजुमां शालिनी रहे छे |३४०.मारी बेन दीक्षा ले छे ३१८. मारी मोजडी मोंघी छे ३४९.मारी वात बधाय माने छे ३१९.मारी साडीमां आभला भरेला | ३४२. मारी पासे. अणमोल रत्न छे
३४३. अमारी पासे ज्ञान रूपी धन छे ३२०.तमारी दृष्टि करुणा-भरी छे |३४४.मारी काया कोमल छे ३२१.मारी माता नम्रतावाली छे |३४५. मारी नबळी कळी गुरुदेव ३२२. मारी सखी चञ्चल छे . जाणे छ । ३२३.मारी भक्तिमां खामी छे |३४६. तमारी वाणीमां मीठास छे ३२४.मारी जित थवी जोईए ३४७. तमारी सायकल पडी हती ३२५. अमारी आँखमां आंशुं आवतां | |३४८. तमारी तबियत अनुकूल छे नथी
३४९. माझं दिल नाजुक छे ३२६. तमारी भावना सारी छे |३५०. माझं घर दूर छे ३२७. अमारी पाठशाला सारी चाले | ३५१. माझं मन अकळाय छे
३५२. माझं दुःख कोने कहुं ? ३२८. प्रभु ! तमारी शोभा अनेरी छे | ३५३. अमारुं ग्रुप सारुं छे ३२९. तमारी बेग सुन्दर होवी जोईए | ३५४. माझं भाग्य तेज छे ३३०. तमारी आज्ञा पाळवी जोईए |३५५. तमाळं वचन लोकप्रिय होवू ३३१. तमारी रीत अमने गमे छे जोईए .. .
WWW WWW
WWW
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गौण नाम षष्ठी) १०७|| ३५६.माझं मन संस्कृतमां जोडायेलु ३८१. तमाऊं कार्य संतोष जनक छे
३८२. तमाळं बोलवा- पूरूं थाय ३५७. तमाझं नाम शुं छे ?
त्यारे बीजा बोलशे ३५८. मारुं नाम अपेक्षा छे ३८३. तमाळं मान सांचवq जोईए ३५९. तमारूं घर केयूँ छ ? ३८४. मारूं कहेलुं रीटाए मान्युं हतुं ३६०. माझं घर मोटुं छे ३८५. अमारुं स्वप्न भक्ति-भरेल ३६१. तमारुं मुख सुन्दर छे
होवू जोईए ३६२. तमाळं लखाण आकर्षक छे | ३८६. तमाळं नाम नेताओना लिष्टमां ३६३. माझं भणवानुं चालुं छे ३६४. तमारूं नाम मारे जाणवू जाईए ३८७. अमारां गाममां देरासर छे ३६५. तमाळं ध्यान राखq मुश्किल | ३८८. अमारा गाममा हम्मेशा चातु
र्मास थाय छे ३६६. तमाळं शरीर तन्दुरस्त होवू ३८९. अमारा वरघोडामां प्रभुजीनो जोईए
रथ होय छे ३६७. तमाळं झाड बहु फलदायक छे | ३९०. तमारा बेना सम्वाद साम्भल्यां ३६८. तमाळं निशान जोरदार हतुं ३६९. तमाळं पडवू मुश्केल छे ।
| ३९१. अमारा तीर्थोनी रक्षा थवी ३७०. तमारुं पारणुं काले छे
जोईए . ३७१. अमाझं गाम मोरबी छे
| ३९२. अमारा देरासरमां अजैनो पण ३७२. मारूं लेशन पूरूं नथी
आवे छे ३७३. माझं मन तपमां छे
३९३. मारा गामने छेडे मोटुं तळाव छे ३७४. तमाळं काम व्यवस्थित छे
३९४. मारा गाममां बसोनी व्यवस्था
न हती ३७५. अमारुं ग्रुप नानुं छे । ३७६. तमाझं जीवन धन्य छे
३९५. मारा घरे गुरुजी पधारे छे ३७७. मारुं वाक्य खोटुं नथी
| ३९६. मारा घरमां टी. वी. छे ३७८. अमारुं भविष्यमां शुं थशे ?
३९७. मारा घरे धर्मआराधना होवी ३७९. माझं स्थान स्टेशननी पासे छे।
जोईए ३८०. अमाझं भणq वडिलोने गमे छ | ३९८. मारा घरमां भगवान
हतां
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
फेक्टरी छ
४०४.
१०८ (गौण नाम षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह विराजमान छ
| ४१६. तमारा माथामां जू होवी जोईए| ३९९. तमारा बगीचामां पुष्य छ । | ४१७. तमारा ग्रुपमा केटला रत्नो छ ? ४००. तमारा घरमां केटली वहुओ | ४१८. मारा प्रभुने देवो पण नमे छे छे ?
| ४१९. मारा दान्त में आजे गण्यां. ४०१. अमारा गाममां झुलतो पुल | ४२०. तमारा वखाण हुं करूं छु हतो
४२१. तमारा पुण्यमां कचाश छे ४०२. अमारा गाममां घडियालनी | | ४२२. तमारा गुण आदरणीय छे.
| ४२३. तमारा मुखना दर्शन करतां ४०३. अमारामां समर्पणता छे | मारी आँख हरखे छे (सप्तमी)
४२४. तारा अङ्गो पर हजारो सूर्यअमारी सहनशीलता छे
तेज झलके छे ४०५. तमारी श्रद्धा छे | ४२५. अमारा विहारमां शङ्केश्वर तीर्थ ४०६. तमारा गुरु कोण छ ? | आवे छे.
शासनदेव अमारा तपनी | ४२६. मारे घणुं सुख छ पूर्णता करे
४२७. मारे बे संस्कृत बूक छे ४०८. मारा वाक्यो केवा छ ? ४२८. तमारे ६ शर्ट पेण्ट छे ४०९. तमारा साहेब आव्या हतां ४२९. तारे केटली साडी छे ? |४१०. अमारा गाममां साहेब पधारे छे | ४३०. तमारे बे सोनानी पाटली छे ४११. तारा देशनी आझादी क्यारे थई | ४३१. तमारे ५ मामा छे
.|४३२. तमारे भाई केटला छे ? ४१२. तमारा धर्मनी कथा (तारे)|४३३. मारे ३ भाई छे कहेवी जोईए
| ४३४. तमारे घरे (१०). दशमना मारा शासननी प्रभावना तुं| एकासणा थाय छे क्यारे करीश ?
४३५. तमारे घरे शेनो प्रसंग छे ? ४१४.तमारा वनमां प्राणिओ हतां |४३६.. अमारे घरे दीक्षानो प्रसंग छे ४१५. तमारा समवसरणमां चन्दना
आवी हती
४००
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) १०९||
अर्हम् नमः । श्रीशलेश्वर पार्श्वनाथाय नमः ।
श्री शारदा देव्यै नमः । १. | पायो व्यवहारमा बोसाय | यानि वाक्यानि व्यवहारे उद्यन्ते છે તેઓનું
तेषाम् वयम् सापो संस्कृत शमे छीमे. | संस्कृतम् कुर्मः । આપણે હંમેશાં સંસ્કૃત ભણવું वयम् प्रतिदिनम्-( सदैव-निरन्तरम् ) | कोमे.
| संस्कृतम् भणेम । 3. | तमे संस्कृतथी शा माटे | यूयम् संस्कृतात् कथम् क्षुभ्यथ ? । | गभराओ छो ? सुरेश मंदिर सारी शत पू सुरेशः जिनालये सम्यग् पूजयति ।
५. ते भारी ओछ.
स मम (मे) पितृव्यः अस्ति । ६. | तमान सभा समान भने युष्माकम् ग्रामे अस्माकम् अनेकानि મિત્રો રહે છે.
मित्राणि वसन्ति । | तमारी पेन मापी हो थी ते| युष्माकम् लेखिनीम् (कलमम् ) सार्या वणी श..
प्रयच्छत यतः सा आर्या लिखेत् । | उ हेवो ! तमे सही मावो| हे देवाः ! यूयम् अत्र आगच्छत
मने हैन शासनन। मने | जैनशासनस्य च अनेकानि उत्तमानि | उत्तम आर्यो रो. . कार्याणि कुरुत-(आचरत) ।
अमारा 43 मा तमे | अस्माभिः अद्य यूयम् निरीक्ष्यध्वे ।
નિરખાઓ છો. १०. आयार्य 43 वांयना अपाय आचार्येण वाचना प्रदीयते ।
मो तमारी पाहाणामां| ये युष्माकम् पाठशालाम् आगच्छन्ति आवे छ | तभी सुं८२ अभ्यास ४३ छ. 1 ते शोभनम् अध्ययनम् कुर्वन्ति ।
| (शोभनम् पठन्ति ।) १२. सर्व प्रशासो सुपी थाय सर्वे प्राणिनः सुखिनः भवन्तु । | (थाओ)
Page #115
--------------------------------------------------------------------------
________________
||११० (गुजराती+संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह १३. मधु२ पाएमा उत्तम डंसो मधुरे वारिणि उत्तमाः हंसाः नृत्यन्ति ।
नृत्य ७३ जे. १४. उत्तम श्रमो पासेथी तमे | उत्तमाभ्याम् मुनिभ्याम् यूयम् प्रेरणाम्
પ્રેરણા મેળવો છો. | लभध्वे । १५. ते मो॥२ पाय छे. मने | सः उद्गारम् करोति असौ च आर्या
पक्षी सार्या ॥सुं माय छे. जृम्भते । १६. अभने संस्कृत सामावडे छे. वयम् संस्कृतम् सुष्ठ जानीमः ।।
| (शोभनम् परिच्छिन्द्महे ।) ।' १७. तमे उभ सेट माव्यां ? यूयम् कथम् विलम्बेन आगताः ? १८. साडे५ ६शन ७२वा भाटे यां शिक्षक ! दर्शनार्थम् गताः ततः
डतां तेथी (अ) मोi (वयम्) विलम्बेन आगताः । : साव्या. |यमान यमांथा हुं तमने | उपनेत्रस्य काचात् अहम् युष्मान् દિખું છું
| पश्यामि । २०. |तमा ४भए। ५मा उत्तम युष्माकम् दक्षिणे,पादे-चरणे उत्तमम् 2 छ.
चक्रम् अस्ति ।. . 3 प्रभु ! हेमो तमने नमे छ. | हे विभो ! ये युष्मान् वन्दन्ते
તેઓને હું નમું છે. (तेभ्यः) तान् अहम् वन्दे । २ २. प्रयत्न ४रो सतानो संदेड प्रयतध्वम् सफलतायाः शंसयः न ।
નિથી Baiवान शनथी तारी भू५ कदलीवट्टकानाम् दर्शनात् तव (ते दू२ २७.
क्षुधा-(क्षुध् ) अपगता। २४. तरीहीक्षा स्यारे छ ? तव दीक्षा (संयम-ग्रहणम्/प्रवज्या
ग्रहणम् ) कदा अस्ति ? २५. ॥५५॥ २४यमा श्रम अस्माकम् राज्ये ये मुनयः वसन्ति
|२३ छ तेसोनु सिस्ट अमारा | तेषाम् सूचि-पत्रकम् अस्माकम् પ્રધાન પાસે છે.
सचिवस्य-समीपेऽस्ति । 2युपसाइटमाथी प्राश दण्ड-दीपात् प्रकाशः आगच्छत् ।
आवतो तो. २७. पीपास२न। पंपाने हुं छु. पीत-वर्णं व्यजनम् अहम् पश्यामि ।
२६.
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) १११/ २८. सगीमा ५ धो छे. अङ्गार-पात्र्याम् (त्रिकायाम् ) तापः
अतीव अस्ति । २८. दूधार्नु । तमने पडु मे छ. | दुग्धिकायाः/दुग्ध्या: व्यञ्जनम् ।
शाकः युष्मभ्यम् भृशम् रोचते । 30. ते मनमाथी घi | तस्मात् गृहात् बहवः मूषकाः/
દિોડીને ત્યાં જાય છે. उन्दराः धावित्वा तत्र गच्छन्ति । 3१. तभारो पत्र भण्यो. युष्माकम् दलम्/पत्रम् मिलितम्/
अमिलत् ।
. तव अङ्गल्याम्/अङ्गल्यौ/अङ्गलौ ३२. तरी सांगणीमा मेवटी छ. एका मुद्रिका अस्ति ।
लोटमा न्यायाधीश न्याय- न्यायालये न्यायाधीश: न्यायम्
युराहो मापे छ. . यच्छति । ३४. भा२i iiमां मयूरो मम प्राङ्गणे /अङ्गने /णे /मयूराः
हामओ माय छे. . कणान् खादन्ति । विपीयावडे तुं पुरीने 660 कङ्कमुखेन त्वम् पुरिकाम्/पूरीम्
परावर्तयसि । ૩૬. ચકલાની ચાંચમાં ચકલીની | चटकस्य चञ्चौ चटकायाः पक्षः |५i छ.
अस्ति । तमा मो२मा भा२। युष्माकम् अपवरके मे (मम ) भित्रना हिरामी आवे छे. | मित्रस्य दीक्कराः आगच्छन्ति । तुं भने भेटभा ॥णो ॥ भाटे | त्वम् मह्यम् उपदायाम् मापे छ ?
गालीन् कथम् यच्छसि ? । તેના ગળામાં ઉત્તમ અનેક | तस्य कण्ठे/गले/गल्ले उत्तमाः अनेके डारो छ.
हाराः सन्ति । पेन पड़े तमे 34थी पास्यो| अक्षर-जनन्या/कलमेन यूयम् त्वरया/ सपोने.
शीघ्रम् वाक्यानि लिखत। मे विमा संस्कृतना पायो एकः विभाग: संस्कृतस्य वाक्यानि बोले छ मने बाली विभाग वदति, द्वितीय-विभागश्च तेषाम्
| १४२।ती अनुवा६ ४३ छ. | वाक्यानाम् गूर्जरानुवादम् करोति ।
Page #117
--------------------------------------------------------------------------
________________
४४.
११२ (गुजराती संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ४२. वाम डोय तो सेवामा | कूपे स्यात् तर्हि उपकूपम् आगच्छेत् ।
सावे. ४३. |तभे तो साप वा छो ? अमने यूयम् तु केवलम् कीदृशाः स्थ ? |
તો બિલકુલ ચાલુ જ્ઞાન આપો | अस्मभ्यम् तु केवलम् अविशेषम्/ છો કંઈ ડીપમાં તો સમજાવતા | सामान्यम् ज्ञानम् प्रयच्छथ किञ्चिदपि ४ नथी.
| विशेषतायाम् तु न शिक्षध्वे । . નવના ટકોરે તું આવજે. नवानाम् टणत्कारे त्वम् आगच्छ । ४५. 2030 या व पाटियामा | स्थूल-सुधा-खण्डेन कृष्ण-फलके તું ધોળા અક્ષરો લખે છે. | त्वम् श्वेतानि/धवलानि अक्षराणि
| लिखसि । ४६. तीन। य२सानी हशीमो तस्याः चारुवालकस्य दडशिका: सई छ.
श्वेताः सन्ति । ४७. तुं मां सारने मुझे छ. | त्वम् गर्गम् िसागरम् मुञ्चसि/से ।
ते शेहियामोना घरोमा २३०ी | तस्य श्रेष्टिन: गृहेषु स्थितानाम् उत्तमानाम् उत्तम न्यामोन। योटामi | कन्यानाम् केशपासे स्थितानि रक्तानि २७ मा २७ पुष्पो दूरथी | कुसुमानि युष्माभिः दृश्यन्ते । તમારા વડે દેખાય છે. माहे मा५५॥ निहिभाते अद्य अस्माकम् जिनालये तस्य मायार्य भगवंतनी निश्राम | आचार्यभागवतः निश्रायाम् बृहच्छान्ति
ड६ शान्ति स्नात्र पू४न तुं. | स्नात्र-पूजनम् भूतम् । ५०. प्रभु मडावी३ समवसरमा प्रभुः वीर: समवसरणे उत्तमम् धर्मम् ઉત્તમ ધર્મ કહ્યો.
अकथयत् । ५१. तभा मम 2i विद्वानो युष्माकम् ग्रामे कतिपयाः प्राज्ञा:
सन्ति । ५२. व माओ नृत्य नथी ४२di ? कीदृक्षाः/कीदृशाः बालाः न नृत्यन्ति? ५३. तभा व सिंडनी साथे युष्मादृशाः/युष्मादृक्षाः सिंहेन सह
| सतां ॥ माटे गमराय छ ? युध्यमानाः कथम् क्षुभ्यन्ति ? । |तमा वा पासेथी सभे ॥ | युष्मादृशेभ्यः/युष्मादृक्षेभ्यः वयम् माटे वि४ न भेगवीमे ? कथम् विजयम् न लभामहै/न प्राप्न
वाम ?
Page #118
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम. संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) ११३|| ५५. ॥ ३जी डोना ठेवा छ ? | अमूनि फलानि कीदृक्षाणि/कीदृशानि
सान्ति ? । ५६. ओनाव ॥भोमांथी ज्या कीदृक्षेभ्यः कीदृशेभ्यः ग्रामेभ्यः के माए।सो च्यारे ज्या यां? | जनाः कदा क्व गताः ? अगच्छन् ?
/गतवन्तः ? । ५७. ठेवी ठेनी भावना तेवी तेनी यादृक्षी/यादृशी यस्य भावना સિદ્ધિ
तादृक्षी-शी तस्य सिद्धिः । यादृक्षी/शी भावना यस्य सिद्धि स्तादृक्षी/शी तस्य । यस्य यादृक्षी/शी
भावना तादृक्षी/शी सिद्धिः तस्य । ५८. स२५॥ मेवा ॥ पाणी अमू द्वौ बालौ सदृशौ दृश्येते ।
पाय छ ५८. 8 नगरीमोमांथी तमे विडा | याभ्यः नगरीभ्यः यूयम् विहरध्वे/
रो छोते नगरी-मोन iविहरथ तासाम् नगरीणाम् कीदृक्षाणि नामो छ ? .
नामानि सन्ति ? ६०. वी पुस्तिाने तुं छे ? | कीदृक्षाम् कीदृशीम् पुस्तिकाम् त्वम्
स्पृहयसि ? ६१. सीताने २५ मे छे. सीतायै मृगः रोचते । ६२. |तने पुस्ती मे छे. तुभ्यम् पुस्तके द्वे रोचेते । 53. नेिश्वरने हुँ भुं छु. जिनेश्वराय अहम् रोचे । ६४. शिल्पा भौसि २त्नाने मे छ. शिल्पा मौलिक-रत्नायै रोचते ।
अमे २०ने भी छीओ. | वयम् नृपाय/नृपतये रोचामहे । उ भित्रोत भने भो छो.| हे मित्राणि ! यूयम् मह्यम् रोचध्वे । ज्या भाए।सनी न्यामोना| कस्य जनस्य कासाम् कन्यानाम्
ज्या घरो ध्यां छ ? कानि गृहाणि कुत्र/क्व सन्ति ? ६८. ज्या हिवसे या पापो कस्मिन् दिने के बालाः कतिकृत्वः કેટલીવાર ખાય છે.
खादन्ति ? ६८. व हिवसे ज्या पाणी 340 कीदृक्षे/शे दिने कीदृक्षाः बालाः સમયે કેવી રીતે ખાય છે. कीदृक्षे /शे समये ( कीदृक्ष्याम्
वेलायाम् ) कीदृशम् खादन्ति ?
WWWW
F५.
Page #119
--------------------------------------------------------------------------
________________
| ११४ ( गुजराती + संस्कृत ) ७०. ४ अने धर्मशालासोभां ४ भाताना संतानो वडे रहेवाय छे, खेखोनी पासेथी आप પુસ્તકોને મેળવીએ છીએ. ७१. तमारा धर्मने या उरीने | अभारी भगिनीखो तेयोनी | साथै यात्रा रवा माटे पण वडे | यासीने आनंद पूर्व भय छे. ७२. पेसा रामना अने प्रधानो | खमारी पासे सारी रीते भएो छे. तुला = छ५डु, तुलाधरः= व्यापारी, हट: =हाट, गुडः= |ગોળ
93. भारी हुआनमां जे वडेपारी छजडा वडे उत्तम गोण भेजे
छे.
७४. तमे प्रेम छो ?
७५. खमे तो भभमां छीजे. ७६. तमारे ६ वांधो नथी
દિકરાઓ ઘણું કમાય છે. ७७ तमे जावो तो जरा पछी આપણે વાતો કરીએ છે. ७८. तभे ज्या गाममां रहो छो ? ७८. आठे वांयननो पाठ श३ थाय छे.
८०. तभारी शिष्याओ शुं भएो छे ? ८१. वर्तमान यातुर्भासभां सुंहर
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह यासु धर्मशालासु यस्याः मातुः संतानैः न्युष्यते, एभ्यः वयम् पुस्ताकानि लभामहे ।
| खाराधना थ.
८२. ते खार्या हॉस्पिटलमां भय छे. ८३. प्रभुनी खज्ञाने तमे स्वीद्वारो.
युष्माकम् धर्मम् स्मृत्वा अस्माकम् भगिन्यः तैः सह यात्राम् कर्तुम् पादाभ्याम् चलित्वा आनन्देन गच्छन्ति । अमुष्य नृपस्य अनेके प्रधानाः अस्माभिः सह सम्यग् पठन्ति ।
मम हट्टे/टे द्वौ तुलाधरौ तलया उत्तमम् गुडम्, तोलयतः ।
यूयम् कथम् स्थ ?
`वयम् तु कुशलाः स्मः । युष्माकम् काऽपि त्रुटी न, दिक्करा: भृशम् अर्जन्ति ।
यूयम् आगच्छत एव पश्चाद् वयम् वार्तालापम् कुर्मः ।
यूयम् कस्मिन् ग्रामे वसथ ? अद्य वाञ्चनस्य पाठः प्रारम्भी भवति ।
युष्माकम् शिष्याः किम् पठन्ति ? प्रवर्तमाने चातुर्मासे सुन्दरा / शोभना / सम्यग् आराधना भूता । सा आर्या चिकित्सालयम् गच्छन्ति । प्रभोः आज्ञाम् यूयम् स्वीकुरुत/
Page #120
--------------------------------------------------------------------------
________________
| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
८४. भारी साथे तुं जोस नहीं. ८. तमारा झार्योभां खभे सरडार આપીએ છીએ.
८६. सरडारी डायहासो असरारी होता नथी.
८७. वेषारी सोडो डायहामांथी ફાયદા શોધે છે.
८८. तभारी डॉसे४मां કન્યાઓ ભણે છે ?
८८. तमारा प्रिन्सिपास तेखोने जुज प्रिय छे.
૯૦. |હું મારા મિત્રને ગમતો નથી. ८१. अर्ध सार्या यश्मा वडे थोपडी वांये छे ?
( गुजराती + संस्कृत) ११५ अनुरुध्यध्वम् ।
मया सह त्वम् मा वद/मा वादीः । | युष्माकम् कार्येषु वयम् सहकारम्
टसी युष्माकम् महाविद्यालये कतिपयाः कन्याः पठन्ति ?
युष्माकम् आचार्यः तेभ्यः अतीव रोचते ।
अहम् मम मित्रेभ्यः न रोचे । का आर्या उपनेत्रेण पुस्तिकाम् पठति
?
यांहलो शोले छे.
3. तमे सांगडी वडे यावीनुं પરાવર્તન કરો છો.
८२. तेलीना ज्यानमा प्रेशरनो तस्याः ललाटे / भाल प्रदेशे / कपोले केशरस्य तीलकः राजते । यूयम् अङ्गुल्या द्वारोद्घाटिकायाः/ कुञ्चिकायाः परावर्तनम् कुरुथ । रामस्य दक्षिण- नेत्रस्य प्रतिषेकः रक्तोऽस्ति ।
९४. रामनी ४भशानी भजनो जूएशो सास छे.
एप घोणी हिवासभां तुं पेन्ट२नी पींछी वडे. रातुं चित्र जनावे छे.
प्रयच्छामः ।
राजकीयाः आदेशाः /नियमाः असरकारिणः प्रभावशालिनः न सन्ति । व्यापारिणः जनाः बन्धनात् गुणान् मार्गयन्ते ।
८६. खेड भाल अने यार उन्यास | प्रभावना सेवा भाटे भय छे. ८७. जरजर संस्कृत भाषा डेटली
जधी सरण छे ?
श्वेतायाम् भित्तिकायाम् त्वम् चित्रकृतः / चित्रकारस्य पिच्छिकया रक्तम् चित्रम् विरचयसि ।
एकावृद्धा चतस्रः च कन्याः प्रभावनाम् अनेतुम् गच्छन्ति । खलु संस्कृत भाषा कीयती सरलाऽस्ति ?
९८ तमे खेड वाड्य सजवा भाटे यूयम् एकम् वाक्यम् लखितुम्/ लेखनाय/लेखनार्थम् यच्छथ ।
खापो छो.
Page #121
--------------------------------------------------------------------------
________________
||११६ (गुजराती संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह |ce. तमे तमागार्य पूरा रो. यूयम् युष्माकम् गृहकार्यम् पारयत । १००./भारी बातोमा भने २स नथी. | युष्माकम् वार्तालापे/वार्तायाम् मम
रुचिः न अस्ति । १०१. तमा। बेटानी | इदम् किञ्चित् युष्माकम्/नः पुत्रस्य गीयो नथी.
उद्यानम् न अस्ति । १०२.२मे 35 तमा मेहुं पोसता वयम् युष्माकम् चर्वितम् न वदामः
नथी (५९) परंतु सभारी जाते. परन्तु वयम् स्वयम् विचार्य/संचिन्त्य
वियारीने मोलीमे छीमो. वदामः ।. . ... १०७/तभे अ५थी तमा ५मा यूयम् झटिति/शीघ्रम् त्वरया युष्मा
|तभा पायो नमो. . कम् पत्रे वाक्यानि लिखत । १०४/मारे ते ५४मा ४३२ ४ यूयम् तस्मिन् पाठे अवश्यम् गच्छेत ।
मे. १०५.मा२। मामानी न्य। ६ मम मातुलस्य कन्या कस्याम् पाठ
416मां सुंद२ (मो छ ? | शालायाम् सम्यक् पठति ? १०६.४ थामलामा तमा नाम यस्मिन् स्तम्भे ,युष्माकम् नाम मम |
મારા બંને નેત્રો વડે દેખાય છે | नेत्राभ्याम् दृश्यते सः स्तम्भः रक्तो
તે થાંભલો રાતો છે. १०७.माहिनाथनी मांगी ने आदेः अङ्गरचनाम् दृष्ट्वा अस्माकम्
समा भन वर्ष पामे छ. मनः/मानसम्/प्रमोदते/समुल्लसते । १०८.तम भासोन। वन महापुरुषाणाम् जीवन-चरित्रात्
यरित्रमाथी तमा२। २। शुं. युष्माभिः किम् प्राप्तम्/अलभ्यत?
प्रात रायुं ? १०४. वेलीनी पारीमा पांय | तस्य हर्म्यस्य वातायने पञ्च
२४न्यामो समी. छ. राजकन्याः तिष्ठन्ति । ११०.तमारी दुशणता २७॥ मेवा युष्माकम् कुशलताम् इच्छन्तः वयम्
समे मी दुशण छीमे. अत्र कुशलाः स्मः । १११.त्या सर्वन भारी वहन त त्र सर्वेभ्यः मम (मे) वन्दना । ११२.५२म पाणु प्रगट प्रभावी परम-कृपालु-प्रगट-प्रभावि-पार्श्व
पार्श्व प्रभुनी ५२ पूनित | प्रभु-परम पूनित-प्रसादेन प्रतिदिनम् प्रसाद 43 प्रतिहिन प्रमोद प्रमोदः प्रवर्तते ।
ऽस्ति
।
Page #122
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) ११७||
प्रवर्तमान छ. १ १३.मडी समारी सभ्यास | अत्र अस्माकम् अभ्यासः सम्यक्
५२२५२ याले छे. . प्रचलति । ११४,त्यां तमारी प्रगति हो. तत्र युष्माकम् प्रगतिम् कथयत । ११५/४म सोयुज सोनी यथा लोहचुम्बकः अयः-कणान्
४ामोने आर्षे छ, तभे| कर्षति तथा सिद्धात्मनः कर्मसिद्धात्मामो पुलोने या पुद्गलान् न कर्षन्ति ।
नथी. ११६,यौहमे गुस्थान: ओई ५५ चतुर्दशे गुणस्थानके केऽपि जीवाः
वो श्यारे ५५ भने जांधताकर्म न बध्नन्ति ।
नथी. |११७/हिंसाना शन3 सनोन हिंसायाः दर्शनेन/दर्शनात् सज्जनाहाय छ.
नाम्/साधूनाम् हृदयम् कम्पते ।। |११८/५भावती इसीने शिवा-हवानी पद्मावती हसित्वा शिवा-देव्या सह
साथे वातो ४२ छ. . । वार्ताम् करोति । | ११८ तमा२। पननी साथ हूं। युष्माकम् भगिन्या सह अहम् न
४मती नथी. . जेमामि । | १ २०.५९॥ ५२माथी ते श्रम | अस्माकम् गृहात् ते श्रमणाः इदानीम्
सत्यारे पाठशाणा त२६ य| पाठशालाम् प्रति गच्छन्ति ।
१२ १.तुं Mi थिभरी नाणे छ. | त्वम् सूपे कुस्तुम्बरीम् क्षिपसि । ૧૨ ૨ીતેણીને નમસ્કાર થાઓ. तस्यै नमः | १२३,तभा द्वारा हुं वायुं छु. | युष्माभिः अहम् कथ्ये । . १२४ो वडे तमे वंहाय ते उत्तम| यैः यूयम् वन्दिताः ते उत्तमाः नृपाः २0% ता.
आसन् । १२५.५९॥ द्वा२। ओ नि२५॥यां अस्माभिः के निरीक्षिताः/निर्येक्ष्यन्त
૧૨૬ કેવી નગરીમાં તમે રહો છો? | | कीदृश्याम् कीदृक्षायाम् नगर्याम्
यूयम् वसथ ? । . . | १२७i सने हाथीसो त बलवन्तः अनेके हस्तिनः तस्मिन्
Page #123
--------------------------------------------------------------------------
________________
११८ (गुजराती + संस्कृत )
જંગલમાં દોડતાં હતાં.
१२८ पाशी पीने लोन अरीने स्नान उरीने पूभ झरीने पाछा घेर जावीने पिताने नभीने ते विद्यार्थियो लावा भाटे वाहनमां जेसीने त्यार पछी पंगे यासीने शिक्षनी पासे खावीने अभ्यास भाटे विनन्ति કરવા લાગ્યાં.
| १२८. भरमा भने छायुं वांयीने त्रासवाहीओ द्वारा रायेला खातन्ने भशीने तेजो मित्र थयां.
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह कानने अधावन् / धाविताः । अधाविषुः ।
जलम् पीत्वा भोजनम् कृत्वा स्नात्वा पूजयित्वा पुनः गृहम् आगत्य पितरम् नत्वा ते विद्याथिनः पठितुम् याने उपविश्य तत्पश्चात् पादाभ्याम् चलित्वा शिक्षकस्य समीपे (अनुशिक्षकम् ) आगत्य अध्ययनाय विनन्तिम् अकुर्वन् / प्रार्थयन्त ।
आपण स्थानम् गत्वा समाचारपत्रकम् पठित्वा त्रासवादिभिः कृतम् आतङ्कम् ज्ञात्वा ते खिन्नाः ।
१३०. हे प्रभु ! लवोभव भने खापनं हे विभो ! प्रतिभवम् सर्व-भवे मह्यम् शर भणे. भवताम् शरणम् लभताम् । १३१ अमारी साथे तभारे न ४भवु अस्माभिः सह/सार्धम्/समम् यूयम् न भेखे. जेत ।
| १३२ तमाशं वडे (द्वारा) अहेवायेसां हरे वाड्यो भारा वडे उपयोग પૂર્વક વિચારાયાં.
| १33. ते झुंडमां पुष्डण पासी छे. ૧૩૪. તારો ભરોસો મુને ભારી | १३५. राहुल वर नारी ३५थी रति हारी.
युष्माभिः कथितानि सर्वाणि वाक्यानि मया उपयोगेन विचिन्तितानि / अचिन्त्यन्त |
तस्मिन् कुण्डे प्रभूतम् वारि अस्ति । तव विश्वासः मम प्रबलः । राजुला वरा नारी रूपतः रतिः पराभूता / हारिता ।
१३७. पिस्तोसनी गोडीसो वडे ते नलिकायाः गोलिकाभिः सः पागल:
પાગલ રાજાને વિંધે છે.
| १३८. ते गाडी ५२ जने खोशिडाखो छे.
नृपतिम्/राजानम्/भूभुजम् विध्यति । तस्याम् गादिकायाम् ( प्रभूतानि ) अनेकानि उपधानानि/उच्छीर्शकानि सन्ति ।
Page #124
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) ११९ - • पुंलिंग
गोलिका ગોળી सम्पर्क: सम्प
नलिका નળી, પાઈપ परिचयः परियय, मोणपाए।
નહેર, નીક केशपाशः योटो
प्रणालिका प्रालि, रिवा४, घृतवरः : १२
गादिका ગાદી कटोरः पाटो
लप्सिका લાપસી लेखः . सेप, हस्तावे४, पत. उष्णिका લાપસી पर्पट: ५५
पादुका
जुत्ता संदेश: संडेश, समायार
नपुंसकलिंग समाचारः समाया२, ५पर चिर्भटकम् यीम અંતર
परिप्रश्नम् પૂછપરછ लोहकान्तः सोऽयुष
गन्धतैलम् सत्त२-सेन्ट चरण
पत्राञ्जनम् સાહી रक्षकः हूत्ता, ti पासi. उच्छीर्शकम् मोशिj ठोठ: 86.
उपधानम् मोशिर्छ . स्त्रीलिंग
तक्रम् छास, वस्त्र मार्जनी - ४॥ .. . जीरकम् छ मेथी मेथी
वर्तमान-पत्रकम्-वर्तमानपत्र, छापुं केश-मार्जनी शो, iतीयो.
५२ कर्तनी तर .
विशेषण लेखनी पेन
पागल પાગલ, ગાંડો कूपी पादी, पोटस, शीशी. स्थाली स्थाणी, रास... नवीन J नविन न. हसन्तिका साडी
नूतन १ उतारी inwi घी 43 मरेदी | तव कुक्षौ/भुजकोटरे घृतेन भरिता/ iयनी नवी नोट छ. | घृत-भरिता नवीना काचस्य कूपी
अस्ति । १४०.साडी- उियामistणी साडी | मषी-कूप्याम् कृष्णा मसी/कृष्ण
મારા વડે દેખાય છે. | पत्राञ्जनम् मया दृश्यते । १४१.साव२९.33 हासी ! तुं मार्जन्या हे दासि ! त्वम् शीघ्रम्
नव
Page #125
--------------------------------------------------------------------------
________________
||१२० (गुजराती+संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
४८ही ध्यरो 6 ॥२५॥ ॐ खलम् अपनय यतः अधुना मम
उमा भारी 416 छे. (मे) पाठ: अस्ति । १४२.तारी थाणीमा यीमाना दु:31: तव स्थाल्याम् चिर्भटकस्य खण्डानि
सन्ति । |१४ 3./तभा पश्यिय आपो. युष्माकम् परिचयम् (यूयम् ) प्रयच्छत १४४. नूतन नियम तुं प्रवेश | नूतने जिनालये त्वम् प्रविश ।
४२. १४५. वि पोताना नवां व्यो सः कविः स्वकीयानि नानि
ફટાફટ બનાવે છે. काव्यानि शीघ्रातीशीघ्रम् रचयति । १४६. मने मेथी भीही पाती नथी मम मेथी मधुरा न लगति युष्माकम्
तमने ५९॥ शुंवी लागे छ ? | अपि किम् कटुः लगति ? .. १४७. वृद्ध ! तुं ॥ भाटे पू७५२७ | हे वृद्ध ! त्वम् कथम् परिप्रश्नम् ४३ छ?
करोषि ? ... १४८. श्रमान योरपायो ए॥ तेषाम् श्रमणानाम् चोलपट्टकाः मदीन छे.
| परिधूसराः सन्ति । १४८.ति. भात पछी पा५ पामो यूयम् ओदनस्य- पश्चात् /ओदनछो?
पश्चात् पर्पटम्/पर्पटकम् खादथ ? १५०. सीमोमा भने अं॥२॥ यासु हसन्तीकासु अनेकानि
छतेनी पासे तमे ॥ भाटे 4 अङ्गाराणि सन्ति तासाम्/तत् समीपे छो?
यूयम् कथम् गच्छथ ? १५१.माहे अमावडे सोण वायो. अद्य अस्माभिः षोडश वाक्यानि पायi.
लिखितानि । ૧૫૨.તું વિજય પામ.
त्वम् विजयस्व । १५3. भवानी १२ये मने द्वयोः स्थम्भयो/स्तम्भयोः मध्ये
वृक्षोमा आवेदi गाने होतi | अनेकेषु वृक्षेषु आगतानि फलानि
तमे मानंद पामो छो. पश्यन्त: यूयम् मोदध्वे ।। १५४.सिंड 43 पवायेकी छन्याने सिंहेन खादिताम् कन्याम् पश्यन्
જોતો તું ઊભો છે. | त्वम् तिष्ठसि । १५५.समा२। 43 45 वाये | अस्माभिः नीतेभ्यः पुस्तके भ्य
पुस्तोमाथी स२६॥ 43 | सरलया कथिता वार्ता मया दृष्टा/
Page #126
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) १२१)
वायेसी । भा२। 43 | अदृश्यत ।
१५६/4iमोने हेमती मायामाने कपीन् पश्यन्तीम् आर्याम् पश्यतः
होतां मयूरोने होती तुं वर्ष पामे मयूरान् पश्यन्ती त्वम् मोदसे ।
१५७,आ५९॥ 43 ववायेदा पीठी-| अस्माभिः उप्तेभ्यः बीजेभ्यः उद्गतैः
भांथी गेलो मने वृक्षो व ते अनेकैः वृक्षैः तद् उद्यानम् शोभते ।
Gधान शोभे छे.. १५८/वाध 43 पवात पाण | व्याघ्रण खाद्यमानेन बालेन खाद्य५वात। णोने तुं भेगवें छ. | मानानि फलानि त्वम् लभसे /
। प्राप्नोषि । १५८ जेन ! तुं संगीत बंध ४२ हे भगिनि ! त्वम् संगीतम् संवृणु
नडिंतर सभे ५४ ६५ रीमे अन्यथा वयम् पाठम् संवृण्मः । .. छीमे. .
तमे पडेला पाहमा माव्या है| यूयम् प्रथमे पाठे आगताः/आगतબીજા પાઠમાં આવ્યા. .| | वन्तः द्वितीये वा पाठे जग्म/आगताः
?
१६१, नगरना मा यातुर्मासन। अस्य नगरस्य अस्य चातुर्मासस्य सर्वे
દરેક આચાર્ય ભગવંતો દરરોજ | आचार्य-भगवन्तः प्रतिदिनम् न्यूना
मसेम मे ५ तलेटी | तिन्यूनम् अपि सकृत् /एकवारम् संगीतनी साथे अवश्य य छ.| तटीस्थलम् संगीतेन सह अवश्यम्
गच्छन्ति । १६२।२। 43 मा ५18 (भए। मया असौ पाठ: पठनीयः । ।
योग्य छे. १६३/अमा२। 3 ते जिनालयोअस्माभिः ते जिनालयाः दर्शनीयाः ।
५॥ योग्य .. १६४ आयार्य 43 मड ४८ही द्वाभ्याम् आचार्याभ्याम् अत्र झटिति આવવા યોગ્ય છે.
आगन्तव्यम् । आगमनीयम् अस्ति । १६५४ी 43 तुं उवाय छ ती यया त्वम् कथ्यसे तया द्वौ तौ
व ते सायाो वहन ४२व आचार्यों वन्दनीयौ/वन्द्यौ स्तः ।
Page #127
--------------------------------------------------------------------------
________________
||१२२/ (गुजराती+संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
योग्य छ. १६६.आर्याभो संस्कृत (भा आर्याभिः संस्कृतम् पठनीयम् ।
યોગ્ય છે. १६७.॥२॥ वडे भार भावा योग्य छे. त्वया तर्जना खादितव्या/खाद्या/
प्राप्या अस्ति । १६८. २।४मारोवडे सीत। पू४ | राजकुमाराभ्याम् सीता पूज्या/पूजयोग्य छे.
नीया । १६८.वे द्वितीय पाठ १३ थाय छे. अथ द्वितीयः पाठः प्रारम्भीभवतिः । १७०.९ तमने पायो सवा माटे | अहम् युष्मभ्यम् वाक्यानि लेखितुम् मापुंछु.
यच्छामि। १७१.तेसो सभारी साथे आवे छे. ते अस्माभिः सह आगच्छन्ति । : |१७२.तमने ओए। ४ छ ? युष्मान् कः कथयति ? . |१७३.अभा२। वनमा डे नमस्२! अस्माकम् जीवने हे नमस्कार ! त्वम् तुं २ छ.
| वससि । १७४.२॥५५॥ ॥ममा मे सुंदर अस्माकम् ग्रामे एका शोभना पाठપાઠશાળા છે.
शाला अस्ति । |१७५.तमो ६२२४ पडेल आवे छ. | ते प्रतिदिनम् शीघ्रम् आगच्छन्ति । १७६. मायामो २४२५॥ 3 द्वे आर्ये रजोहरणेन भुमिम् प्रमृज्य तत्
भीनने पुंछने त्या२ ५छी | पश्चात् स्वीयम् आसनं पृथ्वी-तले
पोतार्नु मासन नाये भुई छ. स्थापयतः । १७७.तारी पेनमा साडी ओछी छे | आसनम् अधः मुञ्चतः ।।
नतिरतो तुं मने पायो | तव लेखिन्याम् पत्राञ्जनम्/मसी લખે તેવી છો.
अल्पम्/अल्पा अस्ति । अन्यथा तु त्वम् अनेकानि वाक्यानि लिखेत्री
तादृशा असि । १७८.माहे महीने स्पर्धा थाय छ. | अद्य अत्र स्पर्धा भवति । १७८.तमारे समासनां ५।म यूयम् समास-पाठे आगच्छत न वा
04j छ । नहिं मेवात ४२ | अमूम् वर्ताम् प्रथमम् कुरुत । .
પહેલાં. १८०. महावीर स्वामीना वतना महावीर-स्वामि-कालिनः साधवः
Page #128
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) १२३||
साधुसो योभासानी संमति चातुर्मासस्य सम्मन्त्यै किम् आज्ञा|भाटे | माश। पत्रनो 6पयोग पत्रस्य उपयोगम् अकुर्वन्/चक्रुः ?
કરતાં હતાં ? १८१/७२८२ नो बन पानो माग परिमार्जकस्य द्वयोः पार्श्वयोः भागPRINT 6५२ मावे तो सा. द्वयम् एतावत् उपरि आगच्छेत् तर्हि
शोभनम् । ૧૮૨ અમારાં આચાર્યોના અનેક | अस्माकम् आचार्याणाम् अनेकेभ्यः શિષ્યોમાંથી ઘણા ઉત્તમ છે. | शिष्येभ्यः प्रभूताः उत्तमाः (शिष्याः)
.सन्ति । १.८३,२॥ मांथामा वासक्षेप छे. तव मस्तके / शिरसि वासक्षेप
अस्ति । १८४४ीन पायो तो १३ ४ अत्रत्यानि वाक्यानि आरम्भध्वम् माय छे.
समयः गच्छति । ૧૮૫ડિસ્ટરમાંથી ઘણી શાકની परिमार्जकात् प्रभूताः खड्याः रजः
२४४ो नाणे छ... कणाः निर्गच्छन्ति । १८६/तमा ममा दी| युष्माकम् ग्रामे कतिपया: पाठशाला:
8 छ ? . . | वर्तन्ते । १८७, अमारी तबियत ही छ.| अत्र अस्मकम् अरोग्यम् शोभनम्
अस्ति । वर्तते । । १.८८ शुम आर्यभा हुं अवश्य स्म२५ शुभ कार्ये अवश्यम् स्मरणीयः अहम् २५॥ योग्य छु.
अस्मि । १८४ार्य भने सेवा ४९uan योग्य कार्य-सेवे ज्ञापनीये ।
१८०, वेडेशनमा तया तीर्थनो एषु विराम-दिनेषु यूयम् कस्य
प्रवास रो छो? | तीर्थस्य प्रवासम् कुरुथ ? १८१, सार्या पेन 43 जानने यो सा आर्या कलमेन कर्णम् खनति
ते। १८२, पंगाम २ ५५ार्नु नाम अस्मिन् व्यजने तव जनकस्य/पितुः
भा२। हेपाय छे. . नाम मया दृश्यते । १८3/3 भडिता ! शुतुं ता॥ हे महिले ! त्वम् तव बालेभ्यः
Page #129
--------------------------------------------------------------------------
________________
१२४ (गुजराती+संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
पाणीने पार्मिशिक्षए। आपे धार्मिकशिक्षणम् प्रयच्छसि किम् ?
छ.? १४४.ड, अमे तो ६२४ मा ओम्, वयम् तु प्रतिदिनम् अस्माकम्
माओने ५४॥ ४4। माटे | बालान् पाठशालाम् गन्तुम् प्रेरणाम् |माम शो छी पछी | कुर्मः पश्चात् (तु) ते गच्छेयुः वा न 30य नय से समनी | वा तत्तु एतेषाम् इच्छा ।
भ२७. . १८५.तभे ॥ भाटे मी घोघाट रो यूयम् कथम् अत्र कोलाहलम्
छो ? अभा२। मां 343 | कुरुथ ? अस्माकम् पाठे स्खलना थाय छे.
| भवति । . १८६.भारी मा ५6शामा अस्माकम् अस्याम् पाठशालायाम्
योवीश (२४) पारी या२ (४) चतुर्विंशतिः वातायनानि/गृहाक्षाणि ६२वा (२) ही में १ | चत्वारि द्वाराणि गादिका-द्वयम् एकम् मोशि. (२) कोई त्रए | उच्छीर्शकम् द्वौ कृष्ण-फलको त्रिस्रः (3) मादी मा6 (८) पं. घट्य: अष्टौ व्यजनानि एकादश दण्डअव्या२ (११) ट्युबलाईट | दीपाः/तेजोयष्ट्यः एका उपनेत्रवती मे: (१) यश्भावामां आर्या आर्या घटिका-रहित-भत्तिका: घडियाल गरनी हवालो मने वाक्यानि च लिखन्त्यः सप्तदश वायो यती सत्त२ (१७) | आर्याः सन्ति । ,
सार्यामी छ. १८७.७वे आयामो स्वयम ४ वांयन | अथ आर्याः स्वयम् एव वाञ्चनम् ४३ छ.
| कुर्वन्ति । १८८.भुमिमा सभे मा वायो | वसतौ वयम् अमूनि वाक्यानि
समारी शिष्यासोने अडाये | अस्माकम् शिष्याभ्यः कथयामः ।
छीयो. hce. 16 °४ ४२वानी डोय | यदि पाठः संवरणीयः एव तर्हि
तो वायो ४ सजावो. | वाक्यानि एव लेखयेत । २००.मे. तो ५२५२ गप्पा वो यूयम् तु नाम गप्पगोलकम् क्षिपथ ।।
छो. २०१.५। ७५२न॥ २४ामोन ते | पल्यंकस्य उपरि/स्थिताः गादिकाः
Page #130
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (गुजराती+संस्कृत) १२५||
|तपासे छे भने तोमांथी साथ | सा मृगयते ताभ्यां च हस्तपट्टकम् ३माल stढे छे.
| उद्धरति (गृह्णाति)। २०२/ते सार्या भणीने संस छ | सा आर्या कम्बलम् संवृणोति અને જાય છે.
गच्छति च । ૨૦૩ ના એવું નથી લખાવ્યું. ना/नहि/न इदृक्षम् न लेखितम् । ૨૦૪ હજુ તો પાઠને વાર છે થોડાં अथ अपि पाठस्य समयः अस्ति વાક્યો લખો.
अल्पानि/स्तो कानि वाक्यानि
लिखत । ૨૦૫ તમે તો ખૂબ પાવરફૂલ છો. यूयम् तु भृशम्/अतीव शक्ति
सम्पन्नाः स्थ । २०६तमा। 43 ४३२ नवा पाइभ युष्माभिः नूतने-पाठे अवश्यम्
आवा योग्य छे परंतु पी आगन्तव्यम् परन्तु अन्ये/अपरे पाठा
416 143 तेनुं ध्यान २।५. | न दुष्येयुः तत् चिन्त्यम् । २०७२04153 या२ पू॥वाणी.छ. असौ दण्डिका चतुष्कोणा अस्ति । २०८, सानो सिघि छ.. | अमूः रेखाः सरलाः सन्ति । २०ीनी पनमा साडी मुटी य| तस्याः लेखिन्याम् मसी त्रुटति ।
ર ૧૦હું વીરને નમું છું.
वन्दे वीरम् । २११/माठे हिवस. माटे ओए। अद्य एक-दिनार्थं /दिनाय कः य? भाटे या नथी माव्या. | गच्छेत् ? अतः एव सर्वाः (आर्याः)
न आगताः । २.१२.मावती मा टाईममा श्वः/श्वस्तने दिने अमुष्याम् वेलायाम् | |पायम ग्रन्थनी 46 छ. | पञ्चम कर्मग्रन्थस्य पाठः अस्ति । २.१33 वेपारी ! तुं 1241 43 | भो तुलाधर ! त्वम् तोलके न
ત્રાજવામાં અન્ન જોખીને મને तुलायाम् अन्नम् तोलयित्वा मह्यम् सा५.
प्रयच्छ । ૨ ૧૪ પરમાત્માની નાભીમાં કસ્તુરીની परमात्मनः नाभौ/उदरावर्ते कस्तुरी| छ.
गन्धः अस्ति । २१५/भीम पोताना परवडे भेरुनी भीमः स्वीयेन बलेन मेरोः तुलनाम्
तुलना १३. छ. मने ते करोति । सा च राज-कुमारी स्वस्याः
Page #131
--------------------------------------------------------------------------
________________
१२६, (गुजराती+संस्कृत) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
२०४भारी पोताना सुमधु२६ (स्वीयेन ) सुमधुर-कण्ठेन कोकिल
43 ओडिसनी तुलना ४३ छ. |स्य तुलनाम् करोति ।। २ १६.तीनी साडीमा सीलो छ. तस्याः साटिकायाम् नील-वर्ण
| अस्ति । २ १७.५९॥ वनमा भने अस्माकम् जीवने अनेके उत्तम-गुणाः
उत्तम विस पामे ते भाटे | विकसेयुः तदर्थं वयम् सत्य-भावेन
आप साया भावपूर्व | जिनेश्वरम् प्रार्थयेमहि ।
જિનેશ્વરને પ્રાર્થીએ. २ १८/तमा। क्षेत्रमा तमो. ॥ भाटे | युष्माकम् क्षेत्रे ते कथम् विहरन्ति ?
विडार २ छ ? २ १८.तेनी यावी43 ते ३भर्नु तहुं | तस्य कुञ्चिक या सः (जनः)
मोले छ. उद्घाटिनी =यावी वर्गस्य-खण्डस्य/कक्षायाः तालकम् दुया.
| उद्घाटयति । २ २०.. २% यि ५२ बेहदो स नृपतिः दोलायाम् उपविष्टः अस्ति ।
२ २१. तलवारना था 43 ते मृत्यु पामे असे:/खड्गस्य घया सः म्रियते ।
छ. २.२ २.१५४ 43 ते तेनो P ene | कराघातेन सः तस्य कपोलम् रक्तम् १३ छ.
करोति/रक्तीकरोति । २२ 3.जी होरीव ते सार्या वरखने सूक्ष्म-तन्तुना सा आर्या वस्त्रम् सीवे छे.
सीव्यति। ર ૨૪.એ તો એમ જ કહેવાય. | एतद् तु एवम् एव कथ्येत । २ २५.पर्वत ५२थी मने डाथीसो गिरेः/शिखरिणः अनेके हस्तिनः
४८ही नीये ५ छे. | शिघ्रम् निपतन्ति । २ २६.९ मा हेवाधिदेवने नभुं अहम् भावेन देवाधि-देवम् नमामि ।
वन्दे । २ २७.९॥२५॥ ०५४यानुं पालन कुमारपालः जीवदयाम् पालयति ।
४२ छे.
२ २८.मो४२%80 आव्यो बनावे .
भोजः काव्यानि रचयति ।
Page #132
--------------------------------------------------------------------------
________________
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (पत्र+पत्रकम्/दलम् ) १२७|| २ २८.नेश्वर उपहेश मापे छ. जिनः उपदेशम् यच्छति । २ 30.भुसा३२ म य छे. प्रवासी ग्रामम् गच्छति । ૨૩૧. વડ છાયો આપે છે.
वट: छायाम् यच्छति । ૨૩૨.બિલાડો દૂધ પીએ છે. बिडालः दुग्धम् पिबति । २ 33.वृक्ष इस मापे छे.
वृक्षः फलम् यच्छति । २ ३४.हीवो प्रश आपे छे. दीपः प्रकाशम् यच्छति । ૨૩૫.ધન ગુણો આપે છે. धनम् गुणान् यच्छति । २६.नस भयंतान छोउ छ. नलः दमयन्तीम् त्यजति । ૨૩૭.અમે સૂર્યને જોઈએ છીએ. | वयम् सूर्यम्/रविम्/भानुम्/दिवा
करम्/पश्यामः । ૨૩૮.ગધેડો વાનરાને ભેટે છે. रासभः/खरः कपिम्/वानरम् मिलति । | २ ३८.सिद्धसेन जाव्यो रये छ. | सिद्धसेनः काव्यानि सृजति ।। ૨૪૦.રાજા ન્યાય જાહેર કરે છે. | नृपः/राजा/भूपाल:/न्यायम् घोष૨૪૧. સાર્થવાહ માણસોને લઈ જાય | यति । पृथ्वीपतिः/भूधरः ।
| सार्थवाहः जनान् नयति । २४२.धुवर सूर्यने नथी कोतुं. . उलूकः सूर्यम् न पश्यति । पत्र
पत्रकम्/दलम् १. शान्त-हान्त-त्यागी-वैरागि- | शान्त-दान्त-त्यागि-वैरागि-पञ्च महा
पंय महाव्रतधारि-सय्यारित्र व्रत धारि-सच्चारित्र चूडामणियूडामणि पाय 4 २१४- षटकाय जीव रक्षक-श्रुतज्ञान श्रुत शान वांछु विनयाहि वाञ्छुक-विनयादि गुण-गणाल'ગુણ ગણાલંકૃત લઘુ બંધ | | कृतादरणीय लघु बन्धु-मुनिराज श्री भुनि२।श्री....
विय | ....विजय महाराजस्य परमपूनितभा२।४।। ५२म पूनित | चरणारविन्द-मध्ये । ચરણારવિંદ મળે.
२. पाहसित नगरथी भंह पादलिप्त-नगरतः मन्दमतेः अध्या
बुद्धिवा॥ सध्या५७....नी पकस्य....नति-ततयः स्वीकार्याः । નમસ્કાર શ્રેણીઓ સ્વીકારવા
Page #133
--------------------------------------------------------------------------
________________
||१२८/ (पत्र+पत्रकम्/दलम्) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह |
યોગ્ય છે. 3. हव गुर पाथी मडी सुपाता | देव-गुरु-कृपातः अत्र सुख-शाता
प्रवर्तमान छे. त्या ५९॥ तेम प्रवर्तमानाऽस्ति । तत्राऽपि तथैवाडोय. १९॥ हिवसथी आपनो ऽस्ति । बहु-दिवसतः भवदीयम् पत्र नथी तो अनुग्रह उरीने | पत्रकम् नास्ति तर्हि अनुग्रहम् कृत्वा | (पत्र) समवो.
(पत्रम्/दलम् ) लिखेत । ४. उवे तमे विडार उशने यात्रा | अथ यूयम् विहृत्य यात्रायै अत्र कदा
माटे सही ज्यारे सावो छो? आगच्छथ ? ५. मी समारो अभ्यास सारो | अत्र अस्माकम् अभ्यासः सम्यग् याले छे.
चलति । . ६. आय.....२त्ता 43 वायु छ | आर्या....रत्नया कथितम् यद् -
है “मापना द्वार। मोदी- "युष्माभिः प्रेषितानि पुस्तकानि वायेस पुस्तओ तथा पत्रो भण्या पत्राणि च लब्धानि सन्ति ।" छ."
| युष्माकम् सर्वेषाम् तपश्चर्यायाः शाता ७. तमने जयाने तपश्चर्यानी त स्यात् । तत्र परमेष्ठि-मध्य-स्थान
शे, त्यो मायार्य मरावतीने प्रप्तेभ्यो मे वन्दना । कार्य-सेवे भारी वहन. आर्य सेवा ज्ञापनीये । ફરમાવશો.
क्षतय ४ क्षन्तव्याः । परिमृज्य एतत् भूखयु भाई ४२१॥ योग्य छे. | पत्रकम् पठनीयम् । शुभ-कार्येऽवश्यं सुधारीने मा ५ वांया स्मरणीयः ।। યોગ્ય છે. શુભ કાર્યો અવશ્ય |
યાદ કરવા યોગ્ય છું. ४. पत्रानो प्रत्युत्तर अवश्य | पत्रस्य/दलस्य प्रत्युत्तरम् अवश्यम् આપશો.
दातव्यम् । १०. सपाय छे....नी हनी. | लिख्यते....स्य वन्दना ।
Page #134
--------------------------------------------------------------------------
________________ तत्त्वार्थ प्रकरण किरात भाष्य प्राचीन लिपि कर्मग्रन्थ त्रिषष्टि पंचसंग्रह न्यायभूमिका कम्मपयडी तर्कसंग्रह बृहत्संग्रहणी मुक्तावलि बृहत्क्षेत्रसमास स्याद्वादमंजरी लोकप्रकाश प्रमाणनय तत्त्वालोक रत्नाकरावतारिका टीकाओ षोडशक प्रथमा व्याप्तिपञ्चक मध्यमा योगशतक उत्तमा योगदृष्टि समुच्चय प्राकृत योगविंशिका व्याकरण विंशतिविशिका रघुवंश तर्कभाषा नैषध उपरोक्त अभ्यास माटे मलो हरेशभाई लवजीभाई कुबडिया 13, नवकार एपार्टमेन्ट, हाई स्कूलनी पाछळ तलेटी रोड, पालिताणा - 364270. गुजरात - भारत. लेखकोने बीजी आवृत्ति समये प्रूफनी झंझटथी बचवा उपरोक्त स्थले संपर्क करो. M-9426316889