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|८ (यूयम्) . चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ५७. | तमे बे जाप करो छो २८. | तमे भागो छो यूयम्
२९. | तमे विराम ल्यो छो . . .
| तमे प्राप्त करो छो तमे नमो छो
| तमे महेनत करो छो तमे रखडो छो
| तमे वावो छो तमे पूजा करो छो
| तमे मस्त थावो छो तमे चालो छो
| तमे मुंझाव छो तमे तजो छो
| तमे खेद पामो छो .. तमे जीवो छो
| तमे अटन करो छो तमे रक्षण करो छो
| तमे फरो छो तमे वसो छो
तमे खावो छो तमे परिवर्तन पामो छो
३९. | तमे भयो छो तमे अहीं विद्यमान छो
| तमे क्षोभ पामो छो तमे खेद पामो छो
| तमे कथा करो छो तमे खोटी श्लाघा करो छो
तमे निंदा करो छो तमे (संस्कृत) शीखो छो
४३. | तमे वो छो तमे रोष करो छो .
| तमे चोरी करो छो | तमे (अमने) व| छो
| तमे गणो छो तमे माफ करो छो
| तमे आपो छो तमे उठो छो
तमे मंगावो छो तमे उद्धार करो छो
तमे लई जाव छो तमे सर्जन करो छो
तमे चोरो छो तमे विहार करता नथी
५०. | तमे वन्दन करो छो तमे प्रयाण करो छो
तमे रांधो छो . तमे भाषण द्यो छो
तमे हरण करो छो तमे आश्रय लो छो
| तमे पूछो छो तमे गभरातां नथी
| तमे इच्छो छो तमे उद्धार करतां नथी
| तमे सजावो छो तमे झंखो छो
| तमे ( पट्टराणी ने) मलो छो तमे तिरस्कार करो छो
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