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(बहुव्रीहि)
५०. विचक्षण छे बुद्धि
५१. उदार छे मन. ५२. बलीष्ट छे शरीर कोमल
छे काया
छे सौन्दर्य
५३.
५४. अद्भूत ५५. खारुं छे पाणी
छे दाण्डी
छे दिल
छे नियमो
५९. करुण छे कथनी
६०. मटकाली छे चाल ६१. सर्प छे लञ्छन
६२. अट्टम ( नो ) छे
तप
६३. लटकती छे लता
छे वय.
५६. लाम्बी
५७. निर्दयी
५८. नाना
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
एवो ते
बिरबल
एवा ते म.सा.
एवो ते
भीम
एवो ते
शालीभद्र
एवी ते
अप्सरा
एवो ते
जेनी
जेनुं
जेनुं
जेनी
जेनुं
जेमां
जेनी
जेनं
७१. वागतो
७२. उतरती
७३. त्यजाती छे आठ
नारीयो
७४. शोभतुं छे शासन ७५. भयंकर छे क्रोध
एवं
एवो ते
एवीते
एवी ते
एवी
ते
जेमनुं • एवा
जेने
जेना
जेनी
जेनी
जेमां
जेनी
६५.
जेमनी
६४. बाल करुण छे दृष्टि ६६. भयंकर छे आकृति ६७. पवित्र छे भूमि ६८. रमणीय छे वातावरण जेनुं एवो
जेनी
जेनी
६९. अपरम्पार छे कृपा ७०. घणी
छे सहन
शीलता जेमनी
एवी ते.
एवं
एवो ते
एवा ते
एवो ते
छे घण्ट
छे नव्वाणुपेटी जेमनी
जेमनी एवा ते
एवं ते
एवा ते ज्यां वुं
एवा ते
जेना वडे एवो जेमनाथी एवा
जेनो
एवो
| समुद्र
दण्डासण कालसौरिक
कसाय
पं. शिवा
लालनी बूक
कामलता
ढींगली
पार्श्वनाथ
चन्दनबाला
वृक्ष
बालक
परमात्मा
राक्षस
पालिताणा
| लालबाग
अरिहन्त
स्खंधक मुनि
देरासर
शालीभद्र
धन्यकुमार
आचार्य
सर्प