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श्री
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (अनादर-षष्ठी) | ६३||
११. | मनुष्य जन्म प्राप्त थये छते |१०७/ कामली ओढते छते मारा वडे कर्माधिन मनुष्यो रत्नत्रयीनी
| जीवोनी जयणा पलाय छे । आराधना करतां नथी १०८, हुं काँप काढते छते गोर्खा छु| १२. | पिताजी ना पाडते छते प्रफुल १०९, हाथी सुंढ ऊँची करते छते| शेर बजारमा जाय छे
लोकोने डरावे छ । १३. | राखीने गुरुजी कहेते छते ११०. मुमुक्षु करोडोनी सम्पति होते मुहूर्त कढावती नथी
छते वैभवनो त्याग करे छे । १४. सूर्यनो प्रकाश होते छते ते अनादर-षष्ठी
लाईट करे छे
| १५. | गोचरी लावीने भक्ति करते | माता वलोपात करते छते
छते तेणी उपवास करे छे । धन्नो अणसण करे छे
१६. | माता ना पाडते छते दिव्या बगीचो होते छते माली फुलो- कॉलेज जाय छे
नी सजावट. करतो नथी । | १७. | छत्री होते छते पारुल वर३. | फुलो होते छते, पूजारी प्रभुनी
| सादमां भीजाय छे पुष्प पूजा करतो नथी
१८. | दशरथचें मन न होते छते ४. | वकिल होते छते केस जल्दी
| कैकयी वरदान ले छे छुटतो नथी
| चन्दना रडते छते मूला शेठाणी ५. | पोलिस होते छते चोर चोरी
| चन्दनाने भोंयरामां पूरे छे | करे छे
| कुत्तरानी इच्छा न होते छते ६. रीना बोलावते छते मीना
लोको तेने बांधी राखे छे आवती नथी
बेसवानी व्यवस्था होते छते ७.. राजानी आज्ञा होते छते प्रजा
| माणसो प्रसंगोमां ऊभा रहे छे पालन करती नथी
प्रजापाल ना पाडते छते ८. शक्ति होते छते पङ्कज तप
मयणा कोढियाने वरे छे करतो नथी
सखियो ना पाडते छते पाणी होते छते तुं घडो खाली
राजकुंवरी शिकार रमवा जाय राखे छे.. १०. पेन होते छते कल्पेश पेन- २४. | खेड़तोनी बेदरकारी होते छते .सिलथी लखे छ
पशुओनी हालत बगडे छे।
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