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||६४] (अनादर-षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
पशुओनी हालत बगडते छते दुर्योधन द्रौपदी- चीर खेचे छे
खेडुतो बेदरकार रहे छे |३९. मृगावतीने केवल ज्ञान होते | यशोदा मनाई करते छते कृष्ण छते चन्दनबाला ठपको आपे माखण चोरे छे सेनापति होते छते युद्धमा | ४०. | मातानो निषेध होते छते लवसिपाहीयो प्रमाद करे छे कुश पिता साथे युद्ध करे छे | मेताराज मुनि निर्दोष होते छते | ४१. | शिष्य कहेते छते शैलकाचार्य सोनी एमनी उपर शंका करे छे | विहार करता नथी .. साहेब, रजिस्टर होते छते हुँ| ४२. | साहेब ना पाडते छते हुं वाक्यो लेशन पुरुं करती नथी । | बोलुं छु गुरुदेव ना पाडते छते ते | ४३. आचार्य भगवान्त ना पाडते मद्रास तरफ विहार करे छे । | छते शिष्यो असज्झायमां भणे महावीर स्वामी होते छते ते | गौतम स्वामिना गुणगान करे | ४४. | आचार्य भगवन्त वासक्षेप
आपते छते तेओ नथी लेता | रावण ना पाडते छते बिभिषण | ४५. गुरुदेव ना पाडते छे हुँ उपवास | रामथी सम्बन्ध जोडे छे
करूं छु चेलणा राणी होते छते | ४६. | | रस्तामां जिनालय आवेत छते कोणिक श्रेणिक राजाने कोडा | तेओ ; नमो जिणाणं' नथी मारे छे
बोलता साधु म.सा.ना पाडते छते | ४७. | नर्तकी नाचते छते राजा श्रावको देरासरमां आशातना शाबाशी आपतो नथी .. करे छे
| ४८. | गुरुदेव ना कहेते छते श्याम वरसाद वरसते छते मालि गिरिराज चढे छ । वृक्षोने पाणी सिञ्चे छ । ४९. | गुरुदेव होते छते श्याम साध्वीजी भ.ना पाडते छते चोमासामां शत्रुञ्जयनी यात्रा श्राविकाओ वातो करे छे । करे छे | भगवान् होते छते गोशलक ५०. | फुलनी सुगन्ध होते छ। रिंकु
| पोताने तीर्थंकर जणावे छे । नाक बन्ध करे छे ३८. भिष्म पितामह जोते छते ५१. | मीनाक्षी बेन जैन देरासर होते