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चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (अनादर-षष्ठी) | ६५||
छते विष्णुना मन्दिरमा जाय छे| ६५. पिता ना पाडते छते पुत्र गुरु | ५२. | दीक्षा मण्डपमा जग्या होते छते पासे जाय छे
लोको ऊभा छे. ६६. | जटायु ना पाडते छते रावण ५३. | दीक्षार्थी होते छते राजा | सीताने लई जाय छे
दीक्षार्थीना अवगुण गाय छे | ६७. | साधु भ० उपदेश देते छते ५४. साहेब पाठशाळा भणावते छते लोको धर्म करता नथी
| रोनु घरमां भणे छे । ६८. | साधु भ० उपदेश देते छते ५५. | माता काम करते छते पूर्वी रमे लोको पाप-प्रवृत्ति आचरे छे
६९. | राजा आदेश देते छते युवराज | संकेत साम्भलते छते पिताने युद्धमा जतो नथी
जवाब आपतो नथी । ७०. | राजा युद्धनो आदेश देते छते | हुं वाक्यो बोलते छते कोई| युवराज राजमहेलमां आनन्द | साम्भलतां नथी -
माणे छे ५८. पच्चक्खाण लीधे छते | ७१. धृतराष्ट्रनी ना होते छते दुर्यो
सामायिकमां बेनो वातो करे | धन पाण्डवो साथे झगडे करे
| राम अने लक्ष्मण ना पाडते| ७२. | लोको समजावते छते इलाची छते सुर्पणखा मांगणी करे
छे कुमार नटडी पासे जाय छे सेजलदे ना पाडते छते सुमति ७३. | देवकी ना पाडते छते कंस कामसेना पासे जाय छे । | पुत्रोने मारे छे यशोदा ना पाडते छते कृष्ण ७४. | देवकी देखते छते कंस पुत्रोने मटकी फोडे छे
मारे छ ६२. पू. भद्रबाहुसूरि ना पाडते छते ७५. | शान्तनु रोकते छते गङ्गा पाछी | शिष्य वैश्याने त्यं चातुर्मास जाय छे करवा जाय छे
| अर्जुन ना पाडते छते अभि६३. | राधाने आज्ञा आपते छते साधु | मन्यु युद्धमां जाय छे | म. साने गोचरी वहोरावती ७७. | राजा शान्त्वन आपते छते नथी
प्रजा शोक करे छे ६४. नेता आज्ञा आपते छते लोको ७८. नैना ना पाडते छते सुधीर आज्ञा मानता नथी
फटाकडा फोडे छे ।