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१०४ (गौण नाम षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
हाथथी इक्षुरस वहोरे छे २१०. राज्यना भण्डारो भरपूर छे २३०. नरकना जीवो दुःखी छे २११. राजाना महेलमां धावमाता छे | २३१. बगीचाना फुलो सुन्दर छे ... २१२. राजाना माणसो गाममा फरे छे | २३२. मिथ्यात्वीयोना मन्दिरोमां हुं २१३. राजाना माणसो सुखी छे । जती नथी . २१४. राजाना प्रधानो न्यायी होय छे | २३३. संयमीना मुख पर तेज होवू २१५.राजाना अन्तेउरमां दासीओ फरे | जोईए
| २३४. तपस्वीना दर्शन करवा लोको २१६. राजाना राज-कुमारो गुरु- | दोडे छे ।
कुलमां भणे छे | २३५. मीराना पगमां धुंघरुं छे २१७. राजाना अलङ्कारो सोनी घडे छे | | २३६. वान्दराना हाथमां फल छे २१८. राजाना दरबारमां नर्तकी नाचे | | २३७. शिहोरना पेंडा वखणाय छे
२३८. रात्रिना अन्धारामां हुं गभरावं छु २१९. अकबरना दरबारमा बिरबल | २३९. नवकारना प्रभावे शूलीनु बुद्धिशाली हतो
सिंहासन ,थयुं अकबरना राज्यमां पू. | २४०. जन्मना कारणे मरण थाय छे हीरसूरीश्वरजी महाराजनुं नाम | २४१. संसारना सुखो नश्वर छ ।
२४२./हुं संयमना सुखने अनुभवू छु २२१. भरतना पिता ऋषभदेव छे २४३. देवोने विरति न होय २२२. देवदेवीना अलङ्कारो शोभे छे |२४४. देवोने कवलाहार न होय २२३. सिद्धाचलना १०८ नाम छे .. २४५. देवोने पुत्र न होय २२४. सरस्वतीना हाथमां वीणा छे |२४६. देवोने भक्ति होवी जोईए २२५.सुभद्राना हाथे दरवाजो खुले | २४७. देवोने जन्मथी युवान् वय होय
| २४८. सर्वार्थ सिद्ध विमानना देवोने २२६. वासुपूज्य स्वामिना कल्या- सौथी वधु सुख होवू जोईए
णको चम्पापुरीमां थयां २४९. पक्षीने बे पाँख होय छे २२७. पिताना भाई काका थाय छे | २५०. गौतम स्वामीने ५०,००० २२८. पार्श्वनाथ भगवान्ना १० केवली शिष्यो हता .
भवना चित्रो वेल्लूरमा छ २५१. वीरप्रभुने एक पुत्री हती। २२९. प्रभुजी श्रेयांस कु मारना | २५२. सगर चक्रवर्तीने ६०,०००