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| चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
८१. हुं शक्ति विना पर्वत चढती नथी
८२. कटाशणा विना सामायिक थतुं नथी
८३. कमला कार विना बजार जाय छे ८४. सुजाता रवि विना रमे छे अध्यापक चोपडी विना भणावे छे
८५.
८६. गुरु विना शिष्या तलेटी जाय छे
८७. कमल विना रमेश जमतो नथी ८८. ते बन्दुक विना शेरने मारे छे ८९. कामलीना ओढ्य विना उज्जेही पडे छे
९०. राम विना लक्ष्मण रहेतो नथी ९१. हुं दाण्डा विना गोचरती जती नथी
९२. मूर्ति विना मन्दिर शोभतुं नथी ९३. संगीत विना नाट्यगृह शोभतुं नथी
९४. राजा विना राज दरबार शोभतो नथी
९५. पूर्वी विना आशा स्कूल जाय छे
९६. ध्वजा विना शिखर शोभतुं | नथी
९७. ते गुरखानी रजा विना अन्दर प्रवेशतो नथी ९८. तुं केस कढाव्या विना डॉक्टर
( सम्प्रश्न) ३७
पासे जती नथी
९९.
मुखकोश बांध्या विना प्रभु पूजा थती नथी
१००, सही कर्या विना बैंकमांथी पैसा मलता नथी
१०१, इन्टर्व्यु आप्या विना सर्विस | मलती नथी
१०२ हरियाली विना बगीचो शोभतो नथी
१०३. पाणी विना होडी चालती नथी
१०४, बालक महेनत विना फल मोलवतो नथी
१०५ - विनय विना विद्या आवती नथी
१०६, चन्दनानी आँखना आँसु विना वीर पाछा फरे छे
१०७, दण्डासण विना जयणा पळाती नथी सम्प्रश्न
१. हुं पालिताणा जावुं के शङ्खेश्वर | जाऊं ?
२. हुं पालिताणामां गामनी धर्मशालामां उतरुं के आगम मन्दिरमां उतरूं ?
३. हुं काँचना देरासर जावुं के बाबुना देरासर ?
४.
हुं आचार्य महाराज साहेबने वन्दन करवा जावुं के देरासर