________________
१८.
||६०.(सती सप्तमी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
| बिजोरा पाक वहोरावते छते होते छते वस्तु खुटे छे रेवती तीर्थंकर नाम कर्म बाँधे | ३२. | रावण वीणा बगाडते छते
मन्दोदरी नृत्य करे छे . हुं वाक्यो विचारते छते खोटां | ३३. | कोणिक रोजना सो कोडा पडे छे
मरावते छते श्रेणिक समता | जुगारी जुगार रमते छते पैसा | धारण करे छे | कमाय छे
३४. | कृष्ण वासली बगाडते छते विनय करते छते विद्या प्राप्त । | राधा आवे छे . .... थाय छे
| ३५. | राक्षा बन्धन आवते छते बहेन | परीक्षा आपते छते संजु नकल | | पासे भाई राखी बन्धावे छे करे छे
| ३६. | रेश्मा स्कूल जते छते युनिफोर्म पेंटिंग करते छते पेण्टर रंग पूरे बगाडे छे .
तीर्थंकर- कल्याणक होते छते | | मेघ वरसते छते बालको जाय | . . | देवताओ महोत्सव करे छ ।
पुष्प पूजा करते छते साप संगीत वागते छते भक्तो भाव
| डंखे छे विभोर थाय छे
| समवसरणमां बेठे छते चन्दनपूर्व भवमां घृतनुं दान देते छते | बाला समयने भूले छे .. धन सार्थवाहे तीर्थंकर नाम | ४०. | उटी फरवा जते छते ते कन्या| कर्म बांध्यु
कुमारी जाय छे २७. श्रावक मुनिने मोदक वहोरा- ४१. चण्डकौशिक दंस दते छते
वते छते ना ना कहे छे । | वीरना अंगूठेथी दूधनी धारा कार्योत्सर्ग ध्यानमा होते छते | वहे छे प्रसन्नचन्द्र मुनि राज्य, चिंत-| ४२. | दीपकमां धी पूरते छते ज्योत वन करे छे
| बुझाई जाय छे बालकोनी टीम वॉली बोल | ४३. | गिरिराज चढते छते हुं पडी हती | रमते छते हारी जाय छे । ४४. | वाक्यो लखते छते मारे डोशीमां लाकडीना टेके विचारवू जोईए . चालते छते पडी जाय छे । ४५. | चोकलेट खावानी इच्छा करते स्वामिवात्सल्यनुं आयोजन छते बालक रडे छे