SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६१. ४८. / बहार काढे छे |चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (सती सप्तमी) | ६|| ४६. | रथयात्रा देखते छते लोको करूं छु समकित पामे छे | सूर्योदय थये छते कोयल ४७. | सतीनुं सतीत्व जोते छते टहुकार करे छे |लोको अजायबी पामे छे । ६२. | रोहक कानमांथी आंगली सिंहनी गर्जना साम्भलते छते काढ्ये छते भगवान्नी देशना शिकारीओ दोडे छे साम्भले छे ४९. | पेनने खोलते छते साही| ६३. | | शालीभद्रनी ऋद्धि अपार होते | ढोलाय छे छते देवलोकमांथी नव्वाणु ५०. | साप दंस मारते छते जीभ | | पेटियो उतरे छे ६४. नवा वर्षे गौतम स्वामीनुं नाम ५१. | दोरडां कूदते छते राधा चक्कर लीधे छते ऋद्धि सिद्धि अपार खाय छे थाय छे माता रडते छते दीक्षार्थी ६५. | प्रभुने जन्म थये छते हरिण संसारने छोडे छे . गमेषीदेव घंटनाद करे छे । | सखियो रडते छते ते ६६. | दीक्षानो समय जणाते छते अलङ्कारोनो त्याग करे छे । नव लोकान्तिक देवो आवे छे चन्दनाए अट्ठम कर्ये छते ६७. हुं दरवाजो खोलते छते साहेब बाकुलाथी पारणुं कर्यु आवे छे चन्दनाए मुण्डन कर्ये छते ६८. संकेत केलावडां खाते छते आँखमां अश्रु न हतां । चटणी मांगे छे | नवकार मन्त्र गणते छते सर्प ६९. | राणी रिसाये छते राजा पण फुलनी माला बने छ । गभराय छे सुभद्रा जल छंटकाव करते ७०. | बालक हठ पकडते छते माता छते नगरना दरवाजा खुले छे| मारे छे | श्रीपाल पक्षाल लगाडते छते ७१. | वांदरो फल फेंकते छते बालक कोढ रोग दूर थाय छे । झीले छे | महावीर स्वामीए घोर तपस्या| ७२. | हुं सुती छती स्वप्न जोq छु करते छते उपसर्गोने सहन ७३. | राजा दान आपते छते लोको कर्या दोडे छे . ६०. | हुं प्रतिक्रमण करते छते निंदा ७४. | सिंहनी गर्जना साम्भलते छते
SR No.002223
Book TitleChintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaresh L Kubadiya
PublisherHaresh L Kubadiya
Publication Year2005
Total Pages134
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy