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४८. /
बहार काढे छे
|चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (सती सप्तमी) | ६|| ४६. | रथयात्रा देखते छते लोको करूं छु समकित पामे छे
| सूर्योदय थये छते कोयल ४७. | सतीनुं सतीत्व जोते छते टहुकार करे छे
|लोको अजायबी पामे छे । ६२. | रोहक कानमांथी आंगली सिंहनी गर्जना साम्भलते छते काढ्ये छते भगवान्नी देशना शिकारीओ दोडे छे
साम्भले छे ४९. | पेनने खोलते छते साही| ६३. |
| शालीभद्रनी ऋद्धि अपार होते | ढोलाय छे
छते देवलोकमांथी नव्वाणु ५०. | साप दंस मारते छते जीभ | | पेटियो उतरे छे
६४. नवा वर्षे गौतम स्वामीनुं नाम ५१. | दोरडां कूदते छते राधा चक्कर लीधे छते ऋद्धि सिद्धि अपार खाय छे
थाय छे माता रडते छते दीक्षार्थी ६५. | प्रभुने जन्म थये छते हरिण संसारने छोडे छे . गमेषीदेव घंटनाद करे छे । | सखियो रडते छते ते ६६. | दीक्षानो समय जणाते छते अलङ्कारोनो त्याग करे छे । नव लोकान्तिक देवो आवे छे चन्दनाए अट्ठम कर्ये छते ६७. हुं दरवाजो खोलते छते साहेब बाकुलाथी पारणुं कर्यु
आवे छे चन्दनाए मुण्डन कर्ये छते ६८. संकेत केलावडां खाते छते
आँखमां अश्रु न हतां । चटणी मांगे छे | नवकार मन्त्र गणते छते सर्प ६९. | राणी रिसाये छते राजा पण फुलनी माला बने छ । गभराय छे सुभद्रा जल छंटकाव करते ७०. | बालक हठ पकडते छते माता छते नगरना दरवाजा खुले छे| मारे छे | श्रीपाल पक्षाल लगाडते छते ७१. | वांदरो फल फेंकते छते बालक
कोढ रोग दूर थाय छे । झीले छे | महावीर स्वामीए घोर तपस्या| ७२. | हुं सुती छती स्वप्न जोq छु करते छते उपसर्गोने सहन ७३. | राजा दान आपते छते लोको कर्या
दोडे छे . ६०. | हुं प्रतिक्रमण करते छते निंदा ७४. | सिंहनी गर्जना साम्भलते छते