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| लावशे
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (कारण कार्य) | ८५|| पेण्डा लावशे
६८. | मीनाक्षी ! जो तुं मन मक्कम | निशा ! जो तुं खाण्ड वेरीश | करीश तो संयमने लई तो कीडीओ थशे
शकीश | जो रतिलाल आवशे तो ६९. भिखारी ! जो तुं महेनत लाडवो लावशे
| करीश तो रोटी मेळवीश | जो हुं वाक्यो बोलीश तो ७०. | जो आ. भगवन्त आवशे तो साहेब साम्भलशे
जोग करावशे जो मारी संस्कृत बूक पूर्ण ७१. जो तुं गुरु प्रत्ये श्रद्धा भक्ति थशे तो गुरु म.सा. खुश थशे. राखीश तो विद्या आवशे | जो मामा आवशे तो रमकडां| ७२. | जो नीलम गोवालणनो वेश
| धारण करशे तो वेश्याना जो श्रीपाल-श्रेणिक दीक्षा पंजामांथी सुमतिने छोडावशे लेशे तो शासन दीपशे ७३. | पद्मा ! जो तुं संयम ग्रहण जो तमे दहेरासर बन्धावशो तो | करवानी भावना राखीश तो | पुण्य बाँधशो
तने मोक्ष प्राप्त थशे जो किरिट म.सा. पासे जशे ७४. आशा ! जो तुं भक्तिथी तो दीक्षा लेणे .
प्रभुना गुणगान करीश तो जो कृष्ण आवशे तो माखण तारा कर्मनो क्षय थशे चोरी जशे
। ७५. | अश्विन भाई ! जो तमे शङ्केश्वर जो पाण्डवो देखाशे तो जशो तो अट्ठम करवानुं मन | दुर्योधन राज्य लई लेशे । थशे पारुल ! जो तुं माता-पिताने ७६. शैला ! जो तुं सामायिक नमीश तो नम्रता आवशे । करीश तो कर्म खपशे जो तुं परिग्रह राखीश तो नरके ७७. जो रोहिणीया चोरने पगमां
काँटो वागशे तो कानमांथी ६६. | जो तुं जीवनमा त्याग करीश आंगली काढशे .
|तो आगल वधीश ७८. | जो तमे दर्शन करशो तो | अनिता ! जो तुं वीस स्थानक सम्यग् दर्शननी प्राप्ति थशे तप करीश तो तीर्थंकर नाम ७९. | जो सीता अग्नि परीक्षामां कर्म बाँधीश
| पास थशे तो (तेनुं) सतीत्व
जईश