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चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(करण) | १५// ५३. | सरस्वती विद्या आपे छे | २३. | पद्मिनी पगवडे नृत्य करे छे ५४. | नयन नेत्र उघाडे छे | २४. | गरुजी कंकवडे पगलां करे छे ५५. मां अन्न रांधे छे
२५. | श्याम पाणीवडे हाथ धोवे छे करण
२६. | सूर्यना तापवडे कपडां सूकाय | रमेश पेन वडे लखे छे ।
२७. | हुं दण्डासन वडे काजो लऊं | मनीष जीभवडे चाखे छे ३. खुश्बु चश्मावडे जुवो छ
२९. | नाववडे लोको तरे छ | वांदरो पगवडे चाले छे ।
.२९. | वीरनी वाणीवडे लोको धर्म | सोनुं कानवडे सांभळे छ ।
पामे छे | वैशाली कार वडे जाय छे
३०. | किरण स्वेटर वडे ठंडी रोके छे ७. | पूर्वी कातरवडे बाळ कापे छे|
३१. | योधो तलवारवडे युद्ध करे छे ८. | शीतल घडा वडे पाणी भरे छे
३२. | साधु तपवडे कर्म खपावे छे | एकलव्य हाथवडे बाण छोडे
३३. | शिष्य गुरुवडे आगल वधे छे
| ३४. हुं पाणीवडे तरस मटाडुं छु १०. | रोहित पुस्तकवडे भणे छ ।
| हुं नवकारवाडी वडे जापकरूं ११. | कृष्ण हाथवडे वांसली प्रकडे
३६. | पक्षीओ पांख वडे उडे छे १२. | निकुंज आंखवडे T.V. जुवे
३७. | क्षमावडे धर्म टके छे
३८. | वृक्ष पाणी वडे उगे छ । १३. | रवि कार वडे दुकान जाय छे|
३९. | जया साईकल वडे आवे छे १४. भानु बोल वडे रमे छे ।
४०. | ते कटासणावडे सामायिक १५. | जिज्ञा पेन्सिलवडे दोरे छे
करे छे १६. आचार्य शिष्योवडे शोभे छे
हुँ रजोहरण वडे जयणा पालुं १७. | निर्मल दूरबीनवडे जुवे छे १८. लाकडी वडे चोरने मारे छे
स्त्री आभूषण वडे शृंगार करे १९. | हुं पुष्पोंवडे प्रभुने पूनुं छु । २०. | नीता श्रद्धावडे भक्ति करे छे|
४३. | हुं मनवडे वाक्यो विचारूं छु २१. संघ बसवडे जाय छे ४४. | जीवो पाणीवडे जीवे छे २२. | हुं मुख वडे भोजन करूं छु | ४५. | शायर पेनवडे शायरी लखे छे