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________________ चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (हेतुनाम-सहाय-रूप) ५३|| डॉ. नी आज्ञा माने छे हेतुनाम-सहाय५३. | दर्दी रोग दूर करवाना प्रयोजनथी आराम करे छे रूप ५४. चोकीदारे रक्षण करवाना जयणा पालवामां रजोहरण | प्रयोजनथी जागृत रहेवू जोईए सहाय रूप छे ५५. | राजाए न्याय आपवाना प्रयो | वाक्यो लखवामां विचारो | जमथी विचारवं जोईए | सहाय रूप छे ५६. | चोर चोरी करवाना प्रयोजनथी| निन्दा करवामां जिह्वा सहाय | भागे छे रूप छ ५७. | बिलाडी दूध पीवाना प्रयो . ४. | नदी तरवामां जहाज सहाय जनथी ताके छे | रूप छे ५८. | हुं सुवाना प्रयोजनथी संथारो | साधुने क्रिया करवामां अष्ट करूं छु | प्रवचन माता सहाय रूप छे ५९. साहेबने बताववाना प्रयो | अकबरने निर्यण आपवामां | जनथी वाक्यो लखुं छु | बिरबल सहाय रूप छे ६०. | यात्राना प्रयोजनथी यात्रिको ७. | भारतनी आझादीमां गांधीजी | पालिताणा आवे छे . | सहाय रूप हतां | दादाने भेटवाना प्रयोजनथी हुं | मनुष्य भवनी प्राप्तिमां पुण्य गिरिराज चढं छु सहाय रूप छे | ते सम्बन्धीने मलवाना प्रयो ९. | लोकालोकनुं स्वरूप जाणवा जनथी स्टेशन आवे छे । | केवलीने केवल ज्ञान सहाय | ते सामान लेवाना प्रयोजनथी | रूप छे कुलीने बोलावे छे . | दुःखावाने मिटाववा बाम ६४. ते चोमासु करवाना प्रयो | सहाय रूप छे जनथी नागेश्वर जाय छे ११. | तरस मिटाववा पाणी सहाय | रीना छ'री पालित संघमां रूप छे जवाना प्रयोजनथी शङ्केश्वर १२. | वार्ता लखवामां अलंकारित जाय छे भाषा प्रयोगो सहाय रूप छे | गिरिराज चढवामां लाकडी | १०. १३.
SR No.002223
Book TitleChintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaresh L Kubadiya
PublisherHaresh L Kubadiya
Publication Year2005
Total Pages134
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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